Wednesday, January 2, 2013

आंटी रात की तो बात ही मत करो


आंटी रात की तो बात ही मत करो

मेरा नाम आशा है मैं स्कूल टीचर हूँ और शादी वादी के चक्कर मे न पड़कर अकेली ही रहती हूँ। हॉं मौका देखकर मौजमस्ती चुदाई यहॉ वहॉ कर लेती हूँ। ऐसे कि किसी को पता न चले। पर एक स्कूल टीचर के लिए ये काफी मुश्किल काम है एक जमाने से कोई मौका नहीं मिला। हालाकि देखने में मैं जबरदस्त हूँ। मेरा रंग गेंहुआ ताम्बई सिल्की चिकना बदन, कद लम्बा, कमर लम्बी, केले के तने जैसी लम्बी मांसल जॉघें, थोड़ी भरी भरी सी, बड़े बड़े कटीले लंगड़ा आमो जैसे स्तन, गोल बड़े बड़े उभरे हुए नितंब, साड़ी में थिरकते देख लोग आहे भरते हैं, पर सब डरते हैं कि कहीं टीचर जी यानि कि मैं नाराज न हो जाऊँ। पहले मैं जिस मोहल्ले में रहती थी वहॉ मेरे एक पड़ोसी थे जो खाड़ी देश में काम करते हैं। बीबी सरकारी नौकरी में है और अक्सर काम काज के सिलसिले में बाहर टूर पर रहती हैं उसके पिता पुरानी जानपहचान के कारण हमारे परिवार के काफी घनिष्ठ हैं। उनका लड़का दसवी में पढ़ता है। स्कूल मेरे घर से करीब होने के कारण अमित मेरे साथ ही रहता है। हम दोनों में काफी गहरी दोस्ती है और वह मुझे आन्टी कह कर बुलाता है। गोरा चिट्ट़ा दिखने में बहुत ही सुन्दर है। एक दिन डिनर के बाद हम दोनों ने कुछ देर तक तो टी वी देखा और फिर यूं ही कुछ देर इधर उधर की बातें कर के अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
करीब एक आध घन्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गई। अपनी साईड टेबल पर पानी की बोतल को देखा तो खाली थी। मैं उठ कर किचन में पानी पीने गई तो लौटते समय देखा कि उसके कमरे की लाईट जल रही थी। । उसके कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। मुझे लगा कि शायद वह सोते समय लाईट बन्द करना भूल गया है मैं बन्द कर देती हूं। मैं दबे पांव लाईट बन्द करने के लिए कमरे में दाखिल हुई लेकिन अन्दर का नजारा देख कर मैं हैरान हो गई।
अमित एक हाथ में पकड़ कर कोई किताब पढ़ रहा था और दूसरे हाथ से अपने तने हुए लन्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था। मैंने देखा उसका लण्ड जबरदस्त था। मैंने कभी सोच भी न था कि इतने मासूम से लगने वाले इस दसवीं के छोकरे का लण्ड इतना जबरदस्त साढ़े 6 लम्बा और डेढ इन्च मोटा भी हो सकता है। मैंने सोचा ये तो बड़े काम का लड़का है मैं आराम से इसे फ़ॅसाकर चुदवा सकती हूँ किसी को कानोंकान खबर नहीं होगी। मैं दम साधे चुप चाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही। लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया। उसने मेरी तरफ मुंह फेरा और मुझे दरवाजे पर खड़ा देख कर चौंक गया। हतप्रभ होकर मुझे देखता रहा। वह कुछ भी बोल नहीं पाया। उसने अपना मुंह फेर कर किताब तकिए के नीचे छुपा दी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मेरे दिल में यह ख्याल आया कि मुझे अपने दिन याद आए। मैं और मेरा पड़ोसी भी तो तकरीबन इसी उम्र के थे जब से हमने सेक्स का मजा लेना शुरू किया था। तो इसमें कौन सी बडी बात है अगर यह मुठ मार रहा था।
मैं धीरे धीरे उसके पास गई और उसके कन्धे पर हाथ रख कर उसके पास ही पलंग पर बैठ गई। वह चुपचाप खामोशी के साथ लेटा रहा। मैंने उसके कन्धे को दबाते हुए कहा -
"नींद नहीं आ रही थी क्या। मुझे भी नहीं आ रही। मैं टीचर हूँ मुझे मालूम है कि नींद न आने पर लड़के लड़कियॉं ये करते हैं। अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाजा तो बन्द कर लिया होता।"
वह कुछ नहीं बोला बस मुंह फेर कर लेटा रहा। मैंने जबरदस्ती दोनों हाथ से पकड कर उसका मुंह अपनी तरफ घुमाया और बोली -
"कोई बात नहीं मैं जाती हूं तू अपना मजा पूरा कर ले। लेकिन यह किताब तो दिखा और मैंने तकिए के नीचे से वह किताब निकाल ली।"
यह हिन्दी में लिखी मस्तराम की किताब थी। मेरा पड़ोसी भी बहुत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिए साथ साथ पढ़ते थे। चुदाई के वक्त किताब के डायलॉग बोल बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे। जब मैं किताब उसे वापस दे कर बाहर जाने के लिए उठी तब जाकर वह पहली बार हिचकिचाते हुए बोला -
"सारा मजा तो आपने खराब कर दिया। अब क्या मजा करूंगा।"
-"अरे अगर तू दरवाजा बन्द लेता तो मैं आती ही नहीं।"
मैं बहस के बजाये उसके साथ खेलना चाहती थी खास तौर पर उसके कुंवारे साढ़े 6 इन्ची लौंडे से। इस लिए मैंने कहा -
"चल अगर मैंने तेरा मजा खराब किया है तो मैं ही तेरा मजा वापस कर देती हूं।
मैं फिर से पलंग पर बैठ गई और उसे चित्त लिटा और उसके मुरझाए हुए लन्ड को अपनी मुट्टी में बांधने की कोशिश करने लगी़। उसने बचने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने फुर्ती से उसके लन्ड को हाथ में दबोच लिया। अब तक उसे यकीन हो गया था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी इसलिए उसने अपनी टांगें खोल दीं ताकि मैं उसका लौंडा ठीक से पकड़ सकूं। मैंने उसके लन्ड को बहुत हिलाया लेकिन उसने खडे़ होने का नाम नहीं लिया। वो घबराहट में बोल रहा था
"ये आप क्या कर रहीं हैं। अब ये खड़ा नहीं होगा।"
-अरे क्या बात करते हो। इसने अभी टीचर का कमाल कहां देखा है ।"
ऐसा कहते हुए मैं उस के बगल में करवट ले कर लेट गई ताकि मैं उसको देख सकूं। मैंने उसका लन्ड प्यार से सहलाना शुरू किया और उस से धीमी आवाज में धीरे धीरे किताब बोल बोल कर पढने को कहा।
-मुझे शर्म आती है।
वह बोला और अपना मुंह मेरी भारी छातियों में छुपा लिया।
-साले अपना मेरे हाथ में देते हुए शर्म नहीं आई क्या।
मैंने उसे ताना मारते हुए कहा।
-ला मैं पढती हूं।
और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली। मैंने पन्ने पलट कर वह पन्ना खोला जिस पर मर्द और औरत में मजेदार डायलॉग थे। फिर उसको भी मेरे साथ किताब पकडने को बोल कर कहा तू लड़के वाला पढ़ और मैं लड़की वाला पढ़ती हूं।
मैंने पहले पढा़ -
" अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहुत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ।
-"अभी लो रानी पर मैं डरता हूं । इसलिए कि मेरा लन्ड बहुत बडा है तुम्हारी नाजुक चूत में कैसे जाएगा।"
और हम दोनों मुस्करा दिए क्योंकि यहां हालात बिल्कुल ही उल्टे थे। वह फिर शर्मा गया लेकिन इस थोडी सी ही पढ़ाई से उसके लन्ड में जान भर गई और वह तन कर फिर से साढ़े 6 इन्च लम्बा और डेढ इन्च मोटा हो गया था। मैंने किताब उसके हाथ से ले ली और बोली -
" अब किताब की कोई जरूरत नहीं। देख तेरा फिर से खड़ा हो गया है। तू बस दिल में ये सोच कि तू किसी की ले रहा है और बाकी मैं तेरा सहलाती हूँ।"
मैंने उसकी मुठ मारनी शुरू की पर वो घबराहट और मजे की मिली जुली में हालत में एकाएक चूतड़ उठा कर लन्ड ऊपर की ओर ठेल बोला बस आन्टी और झड़ गया। मेरा पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था। मैं सोच रही कि अमित के कुंवारे लन्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाए। उसके लन्ड को हौले हौले सहलाआते हुए पूछा क्यों मजा आया।
-हॉ आन्टी बहुत मजा आया।
-अच्छा यह बता कि खयालों में किसकी ली।
-"आन्टी अभी शर्म लगती है बाद में बताऊंगा"
- वह बोला और अपना मुंह तकिए में छुपा लिया।
-"साले अपना मेरे हाथ में दे सहलावाते हुए शर्म नहीं आ रही थी क्या।"
मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फिर गीली होने लगी थी। मैं चाहती थी कि इस से पहले मेरी चूत लन्ड के लिए बेचैन हो वह खुद मेरी चूत में अपना लन्ड घुसाने को गिड़गिड़ाए। मैं चाहती थी कि लन्ड हाथ में लेकर वह मेरी मिन्नतें करे कि बस एक बार चोदने दो़। मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिए बोली -
" मतलबी शैतान कहीं के केवल अपने ही बारे में सोचता है कभी ये भी नहीं पूछा कि मेरी हालत कैसी है। मुझे तो किसी चीज की जरूरत नहीं। अच्छा चल मेरे कमरे में आ और मैं वहॉ तुझसे बात करती हूं।"
वह अपना लण्ड धोने गया और मैंने भी अपने प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी। फिर ब्रा पैन्टी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये रास्ते में दिक्कत कर सकते हैं। हमारा देशी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज ही ऐसे मौकों पर सही रहते हैं। जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने आप आसानी से घुटनों तक आ जाता है और थोडी सी ही कोशिश से और ऊपर चढाया जा सकता है। जहां तक ढीले ब्लाउज का सवाल है तो थोड़ा झुुको तो सारा जोबन छलक कर बाहर को आ जाता है। बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट ब्लाउज पहन लिया।
तभी वह आ गया। उसका गोरा चिट्टा चिकना चिकना बदन मद मस्त करने वाला लग रहा था। एकाएक मुझे एक आइडिया आया। मैं बोली -
" मेरी कमर में थोडा दर्द हो रहा है जरा आयोडेक्स लगा दे।"
यह बिस्तर पर लेटने का परफेक्ट बहाना था। इसलिए मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गई। मैंने अपना पेटीकोट थोडा ढीला बांधा था इस लिए लेटते ही नीचे खिसक गया और मेरे चूतडों के बीच की दरार दिखाई देने लगी। लेटते ही मैंने अपनी बांहें भी ऊपर की जिससे मेरा ब्लाउज ऊपर चढ गया और उसे मालिश करने के लिए ज्यादा जगह मिल गई। वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर आयोडेक्स लगा कर धीरे धीरे मलने लगा। उसका स्पर्श बड़ा भला लग रहा था मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। थोडी देर बाद मैंने करवट ले कर अमित की ओर मुंह कर लिया और उसकी जांघ पर हाथ रख कर ठीक से बैठने को कहा। करवट लेने से मेरी चूचियां ब्लाउज के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकल आईं थी। उसकी जांघ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई -"तुझे पता है कि लड़की को कैसे पटाया जाता है।
-"अरे आटीं मैं तो अभी कच्चा हूं। आप तो टीचर हैं आप ही सिखाइये।"
आयोडेक्स मलने के दौरान मेरा ब्लाउज थोडा ऊपर खिंच गया था जिसकी वजह से मेरी बड़े बड़े भारी कटीले लगंड़ा आमों जैसे स्तन नीचे से भी झांक रहे थे। मैंने देखा कि वह एक टक उन्हें घूर रहा था। उसके कहने के अन्दाज से य्ह भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले में और बात करने को उत्सुक था।
-"अरे यार लड़की पटाने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है ये मालूम करने के लिए कि वो बुरा तो नहीं मानेगी।
-पर कैसे आटीं।"
उसने पूछा और टांगें ऊपर कर के मेरे पास बिस्तर पर जगह ली। मैंने भी थोड़ा और खिसक कर उसके लिए जगह बना दी ताकि वह आराम से बैठ जाए।
-"देख जब उस से हाथ मिलाओ तो जरा ज्यादा देर तक उनको पकड़ कर रखो देखो कि वो कब तक नहीं छुड़ाती। जब पीछे से उसकी आंखें बन्द कर के पूछो कि मैं कौन हूं तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो। जब कान में कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर मलो। वो अगर इन सब बातों का बुरा नहीं मानती तब आगे की सोचो।"
अमित बडे ध्यान से यह सब सुन रहा था। वह बोला -
"सुधा तो इन सब का कोई बुरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सब सोच कर नहीं किया। कभी कभी तो मैं उसकी कमर में भी हाथ डाल देता हूं पर फिर भी वो कुछ नहीं कहती।"
-"सुधा कौन।"
-"मेरी दोस्त।"
-"तब तो यार छोकरी तैयार है। अब तू उसके साथ अगला खेल शुरू कर" - मैंने कहा।
कौन सा।
-"जैसे कभी उसके सन्तरों की तारीफ करके देख क्या कहती है। अगर मुस्करा के बुरा मानती है तो समझ ले कि पटाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।"
-"पर आटीं उसके तो बहुत छोटे छोटे सन्तरे हैं आपकी तरह नहीं हैं।" वह बोला
और मुझसे बचने को तकिए में मुंह छुपा लिया। बस मुझे तो इसी घड़ी का तो इन्तजार था। मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी ओर घुमाते हुए कहा- "तो तुझे मेरे जैसे पसन्द हैं। मैं तुझे लड़की पटाना सिखा रही हूं और तू मुझ पर ही नजरें लगाए हुए है।"
-"नहीं आटीं सच में आपके ये इतने जबरदस्त हैं कि बस।
-कि बस क्या अरे क्या करने को मन करता है ये तो बता।
-मैं इठलाती हुई बोली।
-"इनको सहलाने का और चूसने का। अब तक उसके हौसले बुलन्द हो गए थे और उसे यकीन हो गया था कि मैं उसकी इन सब बातों का बुरा नहीं मानूंगी।"
-तुझे आता भी है। मैंने पूछा।
-पता नहीं कोशिश करता हूँ।
वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। मैंने उसको बांहों में भरकर अपने करीब लिटा कर कस के दबा लिया। उसने भी मेरी गर्दन में अपनी एक बांह डाल कर मुझे भींच लिया ऐसा करने से मेरी चूत में उसका लन्ड दबने लगा। मैंने पाजामे में हाथ डालकर उसका लन्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था।
-अरे ये तो फिर से तैयार है।
अचानक मुझे अहसास हुआ कि वो तो बिना ब्लाउज ऊपर किए मेरा बायाँ स्तन चूस रहा है और दायाँ पकड़कर दबा रहा है। मैंने थोडी देर रूक कर यह पक्का किया कि वास्तव में वह ऐसा कर रहा है फिर उस से कहा -"अरे ये क्या कर रहा है। मेरा ब्लाउज खराब हो जाएगा।"
उसने झट मेरे बड़े बड़े भारी कटीले लगंड़ा आमों जैसे स्तनों से ब्लाउज ऊपर कर दिया और फ़िर सहलाने दबाने लगा। और निप्पल मुंह में डाल चूसने लगा। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बगैर नहीं रह सकी। वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था। वो जान गया था कि मैं भी बेकरार हूं चोदवाने के लिए। मुझे भी मजा आ रहा था और मेरी वासना का ज्वार बढ़ता जा रहा था। कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुंह बाईं चूची पर से हटाया और दाईं चूची की तरफ लाते हुए बोली-
"अबे साले ये दो होते हैं और दानों में बराबर का मजा आता है।"
उसने दायीं चूची पर से भी ब्लाउज ऊपर करके निप्पल मुंह में लेकर चुभलाना शुरू कर दिया। साथ साथ एक हाथ से वो मेरी बाईं चूची को सहलाने लगा। उस्के होठ मुझे अपने स्तनों पर भुत मजा दे रहे थे ।  मेरी भी इच्छा हुई कि उसके उन मतवाले होठों को चूमूं । मैंने धीरे से पूछा- कभी किसी को चूमा कि नहीं अब तक।
उसने ना में सर हिलाया और बोला -
" पर सुना है आन्टी इसमें भी बहुत मजा आता है।
-"बिल्कुल ठीक सुना है पर ठीक से करना आना चाहिए।
-"सिखाइये न उसने उत्सुकता से पूछा। उसने मेरी चूची पर से मुंह हटा लिया था। अब मेरी दोनों चूचियां ब्लाउज से आजाद खुली हवा में झूम रही थी लेकिन मैने उनको छिपाने की कोशिश नहीं की। बल्कि अपना मुंह उसके मुंह के पास ले जा कर अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। फिर हौले से अपने होठों से उसके होठों को खोलकर उन्हें प्यार से चूसना शुरू कर दिया। मैं करीब दो मिनट तक उसके होठ चूसती रही और फिर बोली -"ऐसे।
वह बहुत ही उत्तेजित हो गया। इससे पहले कि मैं उसे बोलूं कि एक बार वो भी चूमने की प्रैक्टिस कर ले वह खुद ही बोला -
"आन्टी अब मैं एक बार करूं आपको।
-"कर ले।"
मैं मुस्कराते हुए बोली। अमित ने मेरी ही स्टाईल में मुझे चूमा। मेरे होठों को चूसते समय उसका सीना मेरी छाती पर आ कर मेरी चूचियों पर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दुगुनी हो गई। उसके चुम्बन खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों में लेकर फिर से उसके होठ चूसने शुरू कर दिए। इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूम रही थी। उसने मेरी एक चूची पकड़ ली थी और उसे कस कस कर दबाने और सहलाने लगा। मैंने कमर आगे कर के अपनी चूत उसके लन्ड पर दबाई। लन्ड तो एकदम तन कर लकड़ी के कुन्दे जैसा कड़ा हो गया था। मैं बुरी तरह से चुदासी थी और चुदवाने का यह एक दम सही मौका था। लेकिन मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदने के लिए भीख मांगे और मैं उस पर एहसान कर के उसे चोदने की इजाजत दूं।
मैं मुँह हटाते हुए बोली -
" चल अब बहुत हो गया।
-आन्टी एक रिक्वेस्ट करूं।
-क्या मैं बोली।
-"आन्टी मैंने सुना है कि अन्दर डालने में बहुत मजा आता है डालने वाले को और डलवाने वाले को भी। मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूं। मैं आपको चोदूंगा नहीं सिर्फ‍ अन्दर डालने दीजिए।
-अरे तो फिर चोदने में क्या बचा क्या।
-बस अन्दर डाल कर देखूंगा कि कैसा लगता है प्लीज ।
मैंने उस पर अहसान दिखाते हुए कहा -
"ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुम्हें बताना होगा कि अक्सर खयालों में किस की लेते हो।
मैं चुदासी तो थी ही पलंग पर टांगें फैला कर चित्त लेट गई और उसे अपने घुटनों के बल मेरे ऊपर बैठने को कहा। फिर मैंने उसके पाजामे का नाड़ा खोल कर पाजामा नीचे कर दिया। उसका लन्ड तन कर खडा था। मैंने उसकी बांह पकड़ कर कोहनी अपनी दोनो तरफ रख कर अपने ऊपर लिटा लिया जिससे कि उसका पूरा वजन उसके घुटनों और कोहनियों पर आ गया। वह अब और नहीं रूक सकता था और उसने मेरी एक स्तन को मुंह में भर लिया जो कि पहले से ही ब्लाउज के बाहर था। मैं उसे थोडा और छेड़ना चाहती थी।
-"सुन ब्लाउज ऊपर होने से चुभ रहा है। इसे नीचे कर दे।
-"नहीं आन्टी मैं इसे खोल देता हूं वह बोला और मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए। अब मेरे दोनों बड़े बड़े भारी कटीले लगंड़ा आमों जैसे स्तन आजाद थे औए उसने लपक कर दोनों को अपने कब्जे में कर लिया। एक तो उसने मुंह में लेकर चुभलाना शुरू कर दिया जब कि दूसरे को वह हाथ में लेकर दबाने लगा। इधर वह लगंड़ा आमों का मजा ले रहा था उधर मैंने धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर कर उसे पहले अपनी पिण्डलियां फिर मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघें दिखायी अब वो उत्तेजना से पागल हो रहा था। मैंने उसके लन्ड को हाथ से पकड़ के अपनी मोटी मोटी जांघों के बीच दबा लिया और मसलने लगी जब मेरे बरदास्त के बाहर हो गया तो उसके लन्ड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा अपनी गोरी गुलाबी रेशमी पावरोटी सी फूली चुदास से गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। लन्ड को अपनी बुरी तरह से चुदासी चूत के मुंह के होठों पर रख कर बोली -
"ले अब तेरा तीर निशाने पर रखा है। पर अन्दर करने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू लेना चाहता है और खयालों में भी उसी को याद करके मुठ मारता है।"
वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए। मैंने भी अपने होंठ खोल कर उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। चुम्बन के बाद मैंने पूछा तो बता कौन है वो ।
-आन्टी आप बुरा मत मानना। मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ‍ आपको खयालों में रख कर। दरअसल सुधा नाम की तो कोई लड़की है ही नहीं। कितने दिनों से मैं आपकी चूत में अपना लन्ड डालना चाहता था। आज मेरे दिल की इच्छा पूरी हुयी।"
वह मुस्कुराते हुए बोला और मेरे बायें निपल को अपने होंठों दबा चुभलाते हुए दूसरे स्तन को वह हाथ में लेकर दबाते हुए धीरे से उसने धक्का मारा तो उसके लन्ड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा मेरी चुदास से गीली चूत के होंठों में घुसकर अड़स गया। मेरे मुँह से निकला-
"ओफ्फहहहहहहहहहहहो बड़ा तगड़ा है तेरा जरा धीरे से कर अनाड़ी ।
फिर मैंने धीरे धीरे उसका पूरा लन्ड अपनी चूत में किसी तरह घुसेड़वा ही लिया।
-आहहहहहहहहहहह आन्टी आपकी चूत बिना चोदे ही बहुत मजा दे रही है। अच्छा अब मैं इसे बाहर निकाल लूँ वरना मुझसे रूका नहीं जायगा।"
कह कर वो लन्ड बाहर निकालने लगा। अब बौखलाने की बारी मेरी थी। मैं तो यह सोच रही थी कि वह अब चूत में लन्ड रूक न सकेगा और धक्का लगाने लगेगा लेकिन वो तो ठीक उसका उल्टा कर रहा था। इतना लम्बा तगड़ा शानदार लण्ड मैं आसानी से अपने हाथ से निकलने देना नहीं चाहती थी। या यों कहें कि अपनी चूत से निकलने देना नहीं चाहती थी। इतनी देर में लगभग पूरा लण्ड चूत से बाहर हो गया केवल सुपाड़ा ही अन्दर बचा था इससे पहले कि सुपाड़ा भी बाहर निकले मैंने झपटकर उसका लण्ड पकड़ लिया और बोली -
"अबे ठहऱ जा क्या तू इसलिए निकाल रहा है क्यौंकि तूने वादा किया था।
वो ताना सा मारते हुए बोला -"और नहीं तो क्या।
मैंने पूछा -"और तेरा मन क्या कर रहा है।
उसने सोंचा बताने के बहाने दो चार धक्के मारले सो कमर चलाते हुए बोला -"कि मैं ऐसे जोर जोर से चोदूं।
पर अनाड़ी होने के कारण उसका सट से बाहर निकल गया।
हॅसते हुए उसी की बोली में मैंने कहा -
" वाहहहहहहह रे अनाड़ी पर चूंकि तू अपने वादे का पक्का और मेरी चूत का एक सच्चा पूजारी है। इसके इनाम में ये गुरू तुझे चोदना सिखा सीखा कर एक्स्पर्ट चुदक्कड़ बनाएगी पर इसके लिए मुझे तुझसे चुदवाना पड़ेगा चुदवाऊंगी पर तुझे गुरूदक्षिणा में एक वादा करना पड़ेगा। "
वो जल्दी से बोला -"कैसा वादा।"
मैंने मुस्कुराते हुए कहा -
"मैं एक भरेपूरे जवान और खुबसूरत जिस्म वाली औरत हूँ और तू एकदम बच्चा है। सिवा तेरे लम्बे तगडे़ लण्ड के तेरा जिस्म बिल्कुल बच्चों के जैसा है। तुझसे चुदवाने में तुझे तो एक भरीपूरी खुबसूरत जवान औरत के जिस्म का मजा आयेगा पर मुझे लम्बे तगडे़ मर्द के जिस्म का मजा नहीं आयेगा सो तुझे अपने लण्ड की कसम खाकर वादा करना होगा जब तू जवान हो जायेगा और मैं अधेड़ तब आज के बदले गुरूदक्षिणा के रूप में मुझे चोदकर अपने लम्बे तगडे़ लण्ड के साथ साथ अपने मर्दाने जिस्म का भी मजा देगा।"
वो खुश होकर बोला -"मुझे मंजूर है।
मैं मन ही मन मैं बडी खुश हुई कि चलो बुढ़ापे में भी एक जवान लण्ड से चुदवाने का इन्तजाम रहेगा। खुशी छिपाते हुए बोली -
"तब ठीक है चल अब मैंने फिर से तेरा लण्ड निशाने पर रख दिया अब धीरे धीरे अन्दर डाल।"
उसने ऐसा ही किया।
-ज्यादा नहीं सिर्फ‍ थोडा सा बाहर और कर चुदाई मेरी चूत की।मैं बोली। उसने मेरी चूत में धीरे धीरे लन्ड पेलना शुरू किया।
-"ओहहहहहहहहहहह बहुत किस्मत वाला है तू!"
उसके लन्ड की चुदाई का मजा लेती हुई मैं बोली।
-क्यों उसने अपने लन्ड की रफ्तार बढ़ाते हुए पूछा।
-अरे पहली चुदाई तू अपनी मन पसन्द चूत की कर रहा है।
"इसीलिए तो मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा है।लगता है जैसे सपने में चोद रहा हूं।" वह बोला।
मैं काफी दिनों के बाद चुदवा रही थी। इस लिए मैं भी इस चुदाई का पूरा मजा ले रही थी। वह एक पल को रूका और फिर से मेरे एक निपल को मुंह में दबा कर चूसते हुए लन्ड को ठीक से गहराई तक पेल कर जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। मुझे अब बहुत मजा आरहा था मैं बहकने लगी- "उम्म्म्म्म्म्म्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्ह आह अरे इतना शानदार लन्ड घर में ही पड़ा था और मेरी ये चूत हर रात प्यासी ही रह जाती थी। अरे अनाड़ी पहले बोला होता तो तुझे अब तक सीखा कर एक्स्पर्ट चुदक्कड़ बना देती जालिम आखिर टीचर हूँ तू भी न प्यासा रहता और मेरा भी काम चलता ।"
शायद वह झड़ने वाला था। मैं भी किनारे पर पहुंच रही थी और नीचे से चूतड़ उठा उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। उसने मेरी चूची छोड कर मेरे होठों को चूसने लगा। वो मेरी चिकनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों पिण्डलियों को सहलाने लगता कभी बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी नितंबों को बकोटता दबाता मेरे बड़े बड़े बेलों जैसे स्तनों के साथ खेलता हुआ मेरी पावरोटी सी फूली चूत चोदते हुए झड़ने लगा तभी मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और मेरे मुँह से निकला -" हाय मेरे छोटू राजा मैं भी झड़ने लगी।"
चुदाई से निढाल कुछ देर तक यूं ही एक दूसरे से चिपक कर पड़े रहे।
"अच्छा आंटी एक बात और मानोगी।" -उस ने पूछा।
"अब और क्या चाहिए।" मैंने पूछा।
"मुझे एक बार और करने दीजिये प्लीज।"
वह गिड़गिड़ा कर बोला- "और इस बार मैं देखना चाहता हूँ कि मैंने कितना सीखा।"
-जी नहीं आप माफ कीजिए। मुझे अपनी नहीं देनी।"  मैंने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
-प्लीज आन्टी सिर्फ‍ एक बार और चुदाने में आपका क्या बिगड जाएगा। आप भी देखले तसल्ली कर ले कि मैं कैसा चेला हूँ।।"
अपनी बात में जोर लाने के लिए उसने अपना लन्ड मेरी चूत पर कस कर दबा दिया।
-सिर्फ‍ एक बार मैंने जोर दे कर पूछा।
-सिर्फ‍ एक बार। पक्का वादा।
-सिर्फ‍ एक बार करना है तो बिल्कुल नहीं।
"क्यों आन्टी?" उसने पूछा।
अब मेरा मौका था उसे फिर से झटका देने का।
-"अगर एक बार बोलूंगी तो अभी एक घन्टे बाद ही फिर से मेरी चुदाई कर लेगा क्यों है ना मैंने पूछा।
-बिल्कुल वह जोर दे कर बोला।
-और फिर अगले पांच दिन क्या करेगा। बस मेरी देख कर मुठ मारेगा तो तरह तरह से चुदाई क्या खाक सीखेगा ऐसे तो तू बन चुका एक्सपर्ट चुदक्कड़। इसलिए अगर सिर्फ‍ एक बार मेरी लेनी है तो मुझे तो तू माफ ही कर तू अच्छा चेला नहीं है।"
मैंने जवाब दिया और मुस्कराते हुए उस के चेहरे के हाव भाव देखने लगी।
जब मेरी बातों का मतलब उसे समझ आया तो उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ।  उसके मुरझाए हुए लन्ड में थोडी जान आ गई और उसे मेरी चूत पर रगडते हुए बोला - आप तो वाकई ग्रेट हो टीचर जी!"
और मुझे कस कर बांहों में जकड़ लिया।
- चूत में लण्ड डालना तो तुझे आ ही गया है। चल तुझे एक ऐसा तरीका सिखाती हूँ, कि तू बिना बिस्तर के भी चोद सके जैसे कि स्कूल अगर कभी मन हो जाये तो मेरे आफिस में टेबिल कुर्सी पर।" मैं बोली।
वो बोला- "टेबिल पर अरे वाह!
फिर मैंने उसे टेबिल पर चोदना सिखाया। इस बार मै भी बुरी तरह थक गई और हाँफते हुए बोली- अब सो जा सुबह स्कूल भी जाना है जो कुछ सिखलाया है याद रखना मैं इम्तहान भी लूँगी।
वो बोला- जी बहुत अच्छा।
सुबह नीद थोड़ा देर से खुली। अमित और मैं उठ कर जल्दी जल्दी स्कूल जाने के लिए तैयार हुए।
अमित की स्कूल बस जा चुकी थी सो मैंने कहा चल आज तुम्हें अपने स्कूटर पर स्कूल छोड दूं। वह फौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया। वह थोडा सकुचाता हुआ मुझसे अलग होकर बैठा था। उसके हाथ पीछे स्टेपनी को पकडे़ हुए थे। मैंने स्पीड से स्कूटर आगे बढाया तो उसका बैलेन्स बिगड गया और संभलने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली। मैं बोली- संभल कर कस के पकड ले। शर्माता क्यों है।
-अच्छा आंटी कहते हुए उसने मुझे कस कर कमर से पकड लिया साथ ही मुझसे चिपक गया। उसका लन्ड कडा़ हो गया था और वह अपनी जांघों के बीच मेरे चूतड़ जकडे़ हुए था।
-क्या रात वाली घटना याद आ रही है।" मैने पूछा।
-आंटी रात की तो बात ही मत करो। कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल में भी शुरू हो जाऊं।
-अच्छा तो बहुत मजा आया था रात को।
-हां आंटी इतना मजा जिन्दगी में कभी नहीं आया। काश कल की रात खत्म ही नहीं होती। फिर आज रात का प्रोग्राम तो पक्का है न।
-शैतान कहीं के केवल अपने ही बारे में सोचता है कभी ये भी नहीं पूछा कि मेरी हालत कैसी है। मुझे तो किसी चीज की जरूरत नहीं। चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।
अरे आप तो नाराज हो गई आंटी। आप जैसा बोलोगी वैसा ही करूंगा। मैं तो ठहरा अनाड़ी आप ही को मुझे सब सिखाना होगा।
तब तक स्कूल आ गया था। मैने स्कूटर रोक दिया। उतरने के बाद वह खड़े खड़े मुझे देखने लगा पर मैं उस पर नजर डाले बगैर अपने आफिस की तरफ आगे बढ़ गई। स्कूटर खड़ा करते समय शीशे में देखा कि वो मायूस सा अपने क्लास में जा रहा था। मैं क्लास पढ़ाने चली गयी मैं मन ही मन बहुत खुश हुई कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया।
 





 

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Raj Sharma

1 comment:

Unknown said...

kya likhati ho.....................
kash esi teacher mere bhi pas hoti

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