Wednesday, January 2, 2013

बहन बनी बीबी


बहन बनी बीबी 
चाहे लड़का हो या लड़की 16 से 21, इसी उम्र में सेक्स की तरफ सब बढ़ते हैं। मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। जब मैं 18 साल का था तब मुझे भी कुछ कुछ होता था। अक्सर रात को सोते वक्त मेरा हाथ मेरे अंडरवियर के अंदर चला जाता था। मैं अनजाने में ही काफी देर तक अपना लंड सहलाता रहता था। जवान लड़कियों को देख कर अक्सर तन जाता। फिर रात को उन्हें याद करके अपना लंड सहलाया करता था।

शादी की रात थी। मेरे मामा के बेटे की शादी थी। वो लड़की भी आई थी बहुत बन-ठन के। उम्र उसकी करीब 18 या 19 साल थी। पर वो मुझ से एक क्लास आगे थी, बोले तो एक साल बड़ी थी, नाम था रिचा। उसकी खूबसूरती एक दम गजब की थी। गोरा रंग, कसा हुआ शरीर, तनी हुई चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं थी पर इतनी मस्त थी कि मेरा लंड उसे देखते ही फनफनाने लगता था।

मैं उसे अपने दिल की बात बता चुका था पर वो कभी उसका ढंग से जवाब नहीं देती थी।

मेरे मामा की एक लड़की है शीतल। मैंने शीतल को रिचा से बात करने को कहा, शीतल मेरी हम-उम्र थी इसीलिए हम दोनों एक दूसरे से खुल कर बात करते थे। कोई भी बात नहीं छुपाते थे। इसलिए मैंने रिचा को लेकर अपने दिल की बात शीतल को बता दी, और उससे कहा की वो मेरी इस मामले में मदद करे।

शादी की रात थी, नाच–गाना खत्म होने के बाद सब सोने की जगह देख रहे थे। जिसको जहाँ जगह मिली, वो वहीं लेट गया। पर मेरी नजर तो रिचा का पीछा नहीं छोड रही थी, में सिर्फ उसके पीछे-पीछे जा रहा था।

शीतल मेरे पास आई और बोली– "मैं और रिचा ऊपर वाले स्टोर-रूम में सोने जा रहे हैं, तुम भी वहीं पर सोने आ जाना।"

मुझे मेरा काम कुछ बनता नजर आ रहा था। मेरे दिमाग में एक बात आई और मैं उनसे पहले ही स्टोर रूम में जा कर लेट गया। तभी आवाज के साथ रिचा और शीतल स्टोर में आई। दोनों किसी बात पर जोर-जोर से हंस रही थे।

आपको एक बात बताना तो मैं भूल ही गया वो यह कि शीतल रिचा से भी ज्यादा सेक्सी थी। वो ज्यादा गोरी तो नहीं थी पर उसका फीगर बहुत मस्त था। एक दम तनी हुई रिचा से बड़ी चूचियाँ थी शीतल की। पर क्योंकि वो मेरी बहन जैसी थी तो कभी उसके बारे में नहीं सोचा था।

कमरे में आते ही दोनों बातें करने लगी। स्टोर रूम में लाइट तो थी पर मैंने ऑन नहीं किया था। कुछ देर के बाद शीतल रिचा को बोली कि तुमने तो कपिल(मैं) पर जादू कर दिया है तुम्हारा पागल दीवाना बना फिरता हैं, और तुम हो कि उसे भाव नहीं दे रही हो।

रिचा–"यार, कपिल पसंद तो मुझे भी है पर वो मुझ से उम्र में छोटा है। कल अगर शादी की बात आयेगी तो सब मना कर देंगे।"

शीतल- "यार तू भी ना कहाँ शादी तक पहुँच गई, अभी तो प्यार लेने और देने की उम्र है शादी में तो बहुत समय बाकी है। अभी तो तुम सिर्फ प्यार करो और जिंदगी के मजे लो। एक बात बता, अगर कपिल तुम्हें चूमना चाहे तो तुम चूमने दोगी?"

रिचा- "सोचना पड़ेगा, और तू कह रही है उसके बारे में तो कल सोचती हूँ उसके बारे में, अब मुझे सोने दे। नाच-नाच कर बदन की लग गयी हे। एक काम कर, मेरा बदन दबा दे।"

इतना उसके मुह से सुनते ही शीतल रिचा से लिपट गई और दोनों एक दूसरे का बदन दबाने लगे। जिसे देख कर मेरा और मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था।मैं भी अपने अंडरवियर में झट से हाथ डाल कर अपना लंड हिलाने लगा।

थोड़ी देर बाद वो दोनो सो गई।

कमरे में बहुत अंधेरा था। हम तीनों की अलावा कमरे में कोई नहीं था। जब लगा कि वो सो गई हैं तो मैं उनके बगल में जाकर लेट गया। दोनों लिपट कर सो रही थी। अँधेरे के कारण पता ही नहीं चल रहा था कि कौन रिचा है और कौन शीतल है। दोनों एक उम्र की और लगभग एक ही फिगर की थी और आज दोनों ने कपड़े भी एक जैसे पहने हुए थे। मैं काफी देर लेटा सोचता रहा, मैं क्या करूँ क्या ना करूँ !

फिर मैंने हिम्मत करके दोनों में से एक की चूचियों पर हाथ रख दिया। मुझे कुछ नंगापन सा महसूस हुआ जब हाथ को पूरा सरका के देखा तो पता लगा कि पूरी चूची बाहर थी। जीवन में पहली बार किसी की नंगी चूची को छुआ था। मेरी तो हालत खराब हो रही थी। पर हिम्मत करके मैंने उस नंगी चूची को सहलाना शुरु कर दिया।

वो थोड़ा सा कसमसाई पर मैंने चूची को सहलाना चालू रखा क्योंकि मैं अपने आप को काबू नहीं कर पा रहा था। थोड़ा और उसके करीब गया और जाकर मैंने उसके होठों पर अपनी उंगली फेरना शुरू कर दिया। अचानक उसने मेरी ऊँगली अपने मुँह में ले ली और चूसने लगी। पहले तो मैं थोड़ा घबराया पर जब वो मेरी उंगली को चूसने लगी तो मेरा डर निकल गया। मैंने उसकी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

मैं पूरी मस्ती में था, मैंने आवाज पहचानने की कोशिश भी नहीं की। अगर करता तो पता चल जाता कि वो रिचा नहीं शीतल थी। पर मैं तो मस्ती में उसकी चूचियाँ दबा रहा था, वो भी तो मस्त हो कर दबवा रही थी। मेरी हिम्मत धीरे धीरे और बदने लगी तो फिर मैंने उसकी चूची को मुँह में ले लिया और चूसने लगा। वो और भी मस्त हुई जा रही थी और मैं भी पागलो की तरह चुसे जा रहा था, पहली बार किसी की चूची को मसल मसल के चूस रहा था।

अचानक रिचा ने अंगडाई ली तो मुझे पता चल गया की जिसे रिचा समझ कर मैं मस्ती कर रहा था वो मेरी अपनी बहन जैसी थी। मुझे बहुत शर्म आई और मैं वहाँ से उठ कर भाग गया।

अगली सुबह मुझे बहुत शर्मिन्दगी महसूस हो रही थी कि मैं अपनी बहन के साथ ही मस्ती कर रहा था रात को। एक तरफ मुझे गन्दा लग रहा था मगर दूसरी तरफ मुझे उसकी चूचियाँ भी याद आ रही थी।

तभी शीतल मेरे पास आई, उसे देख कर तो मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था। शीतल मेरे पास बैठ गई। उसके बैठने के बाद मुझे गन्दा लग रहा था तो मैं उठ कर जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बैठने के लिए कहा।

मैं चुपचाप किसी चोर के तरह सिर झुका कर उसके बाजु में बैठ गया।

अचानक वो हुआ जो मैंने कभी सोचा ना था, शीतल मेरे नजदीक आई और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए। अचानक मेरे उपर यह हमला मेरी शर्म पर भारी पड़ गया और मैं भी शीतल के होंठ चूसने लगा। कोई पांच मिनट एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद शीतल मुझ से दूर हुई और बोली- कपिल तुम्हें किसी बात पर शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं खुद यही चाहती थी कि तुम मेरे साथ यह करो जो कल हुआ।

शीतल के मुँह से यह बात सुनने के बाद रही सही शर्मिन्दगी और झिझक की चिंता भी चली गयी।

मैंने शीतल को पकड़ा और एक कोने में ले गया और उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। अगर किसी के आ जाने का डर नहीं होता हो शायद मैं उसे वही नंगी कर देता, मैं इतना पागल हो चूका था।

किसी तरह शादी निपट गई, और रात हो आई।

रात होने से पहले जब भी मौका मिला शीतल और मैं लिपट लिपट कर एक दूसरे को प्यार करते रहे। रात को काफी देर तक शीतल की चूचियाँ चूसी, होंठ चूसे, बस चूत नहीं मारी। रिचा आज हम दोनों के साथ नहीं थी, आज कमरे में हम दोनों अकेले थे।

दो दिन ऐसे ही निकल गए।

तीसरे दिन भाभी के मायके में जागरण का कार्यक्रम था। सब लोगों को वहाँ जाना था कि अचानक शीतल के सर में दर्द होने लगा। उसने जाने से मना कर दिया। उसे अकेले नहीं छोड़ सकते थे इसीलिए मैं भी रुक गया। अब घर में मैं ओर शीतल अकेले थे। उन लोगो को गए पांच मिनट भी नहीं हुए थे कि शीतल के सर का दर्द ठीक हो गया। मुझे सब समझ में आ गया कि कौन सा दर्द था उसके सर में था।

मैं शीतल के पास धीरे धीरे गया तो वो मुझ से लिपट गई और बोली– "मेरी जान कपिल, मैं कई दिनों से एक अजीब सी आग में जल रही हूँ। प्लीज मेरी आग को आज ठंडा कर दो।"

इतना कहते ही उसने अपने गर्म गर्म और नरम नरम होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं खुद एक आग बन कर जल रहा था। मैं भी उसके होंठ चूसने लगा। आज पूरी रात थी हमारे पास अकेले रहने के लिए क्योकि सब सुबह ही आने वाले थे।

मैंने शीतल को गोद में उठा लिया और भैया के कमरे में ले गया।

उस कमरे में मैंने शीतल को भैया के नए बेड पर लिटा दिया। इसी बिस्तर पर भैया अपनी नई बीवी के साथ सुहागरात मना चुके थे। आज मेरी सुहागरात थी अपनी बहन के साथ।

हम फिर एक दूसरे के होठ चूसने लगे मेरे हाथ शीतल की चूचियाँ के साथ खेल रहा था।

तभी शीतल उठी और पांच मिनट में आने का कह कर चली गई, और दस मिनट के बाद आई।

जब वो आई तो मैं शीतल को देखता ही रह गया। उसने भाभी की नई साड़ी पहन रखी थी और घूंघट भी था।

मैंने उसे फिर गोद में उठाया और बेड पर ले आया। आते ही मैंने उसका घूंघट उठाया और उसके रसीले होठो पर अपने होठ रख दिया। उसने मुझे गले से लगा लिया और मुझे कस के जकड़ लिया, मैंने फिर उसकी चूचियों पर अपना हाथ रखा और उन्हें धीरे धीर से मसलने लगा। फिर कुछ देर के बाद शुरू हुआ कपड़े उतारने का सिलसिला।

पहले मैंने उसकी साड़ी उतारी। परटीकोट और ब्लाउज में शीतल बहुत मस्त लग रही थी। मैंने उसके चुचूक को ब्लाउज के ऊपर से ही चूमने लगा। शीतल के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। मैं समझ गया कि शीतल अब पूरी गर्म हो चुकी है। दिक्कत यह थी कि ना तो शीतल ने और ना ही मैंने इससे पहले कभी सेक्स किया था। पर मैंने एक बार ब्लू फिल्म देखी थी। उसी अनुभव के दम पर मैंने शीतल के सारे कपड़े उतार दिए। अब शीतल मेरे सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी।

मैंने शीतल को लिटा दिया और उसकी टाँगें खोल कर देखा तो पहली बार एक कुँवारी चूत मेरे सामने थी। जिंदगी में आज पहली बार चूत के दर्शन कर रहा था। छोटा सा छेद जिसे रेशम की तार जैसे झांटों ने ढक रखा था। मैं झुक गया और उसके चूत को चूमने लगा। सिसकारी और आहें कमरे में गूंजने लगी। मैं कुछ देर उसकी चूत चाटता रहा।
शीतल तब तक इतनी गर्म हो चुकी थी कि वो मेरी जीभ की चुदाई से ही झड़ गई।
उसका गर्म गर्म पानी मेरे मुँह में फैल गया। वो अब ठंडी हो गयी थी।

फिर शीतल उठी और मेरे कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में मैं ही अपने छ: इंच के लंड के साथ शीतल के सामने नंगा खड़ा था। शीतल मेरे तन कर खड़े छ: इंच के लंड को घूर-घूर के देख रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो शीतल अपने आप उसे धीरे-धीरे सहलाने लगी। मेरा लंड इतना कड़क हो गया था कि मुझे दर्द सा होने लगा था।
मैंने शीतल को अपना लंड चूसने के लिए कहा तो वो बिना कुछ बोले मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी। मैंने पहले कभी सेक्स नहीं किया था और काफी देर से प्रेशर भी ज्यादा हो रहा था तो मैं अपने उपर काबू नहीं रख पाया और एक मोटी धार के साथ शीतल के मुँह में झड़ गया।

फिर कुछ देर के बाद हम दोनों उठे और बाथरूम में जा कर शावर के नीचे खड़े हो गए और एक दूसरे को चूमने लगे। फिर कुछ देर के बाद दोनों बदन फिर से सेक्स की गर्मी में जलने लगे। मेरा लंड फिर खड़ा हो चुका था। मैंने शीतल के गीले शरीर को अपनी गोद में उठाया और फिर से बेड पर लिटा दिया।

शीतल तड़प रही थी, वो बोली -"आओ मेरी जान, अब इस छेद की खुजली को मिटा दो।"

मैंने अपना टनटनाया हुआ लंड शीतल की चूत पर रखा और एक जमकर धक्का दे दिया। लंड का सुपारा जोर से फक की आवाज़ निकलते हुए अंदर चला गया। शीतल दर्द के मारे छटपटा उठी। पहले तो मेरी फट गयी, मैंने सोचा की आज शीतल मर जायेगी क्योंकि अंदर का कोई हिस्सा उसका फट गया। फिर मुझे याद आया की भैया की शादी से पहले भैया के दोस्त भैया को यही बता रहे थे की भाभी कितना भी दर्द से तड़पे पर तुम भाभी पर रहम मत करना क्योंकि पहली बार सभी लड़कियों को दर्द होता है। लेकिन अगर तुमने उसके दर्द को देख कर उसे छोड़ दिया तो वो फिर कभी तुम्हारे नीचे नहीं आएगी, और वो फिर कभी नहीं चुदवायेगी तुमसे। फिर सारी उम्र लंड हाथ में लेकर घूमना। यह बात याद आते ही मैंने एक और जोरदार धक्का लगा दिया। लंड करीब आधा चूत में घुस गया।

शीतल- "कपिल मैं मर गई…. मुझे बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज अपना लंड बाहर निकालो…. में इसे और नहीं सह सकती …………………… ईईईईईईईई आआआआ… ईईईई मररर….गई।"

पर मैंने फिर भी रहम नहीं किया उस पर और एक धक्का और लगा दिया। शीतल की आँखों से आँसू निकल रहे थे। धक्का इतना जोरदार था कि लंड शीतल की सील तोड़ता हुआ चूत के गहराई तक घुस गया। अगले ही धक्के में पूरा लंड शीतल की चूत में था। शीतल तड़प रही थी,

उसकी आवाज भी नहीं निकल रही थी दर्द के मारे। उसकी कसी चूत में लंड घुसाते–घुसाते मैं भी थक गया था। मैंने कुछ देर लंड को उसी के चूत के अंदर रख कर इंतजार किया और फिर धीरे धीरे लंड अंदर–बाहर करने लगा।

शीतल थोड़ी कसमसाई, फिर आहें भरने लगी। धीरे-धीरे शीतल का दर्द कम होता दिख रहा था मुझे। फिर वो मुझे अपनी ओर खींचने लगी। मैंने भी धक्कों की गति बढ़ा दी। पांच मिनट की हल्की चुदाई के बाद शीतल ने भी अपने गांड उछालनी शुरू कर दी जो उसके मस्त होने की निशानी थी। शीतल अपनी गांड बुरी तरह उछाल-उछाल के मेरे लंड को अपने अंदर ले रही थी।

फिर शुरू हुआ घमासान युद्ध। बिस्तर के नए-नए गद्दे नीचे से हमें उछाल रहे थे। वो शीतल जो दो मिनट पहले दर्द से तड़प रही थी अब मस्ती से गांड उछाल रही थी, पूरा लंड अपनी कसी चूत के अंदर–बाहर हो रहा था।

शीतल जोर जोर से चिल्ला रही थी- "आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म उईईईइ आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हऽऽ आहऽ मजा आ गयाऽऽ चोदो ! जोर से चोदो मुझे।"

बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद शीतल झड़ गई पर मेरा अब तक नहीं निकला था क्योंकि मेरा एक बार पानी निकल चुका था इसलिए मैं उसे चोदता रहा और करीब तीस मिनट के बाद मैं और शीतल फिर एक साथ झड़ गए। क्या मस्त चुदाई थी। शीतल दो बार झड़ी चुकी थी। इसलिए वो एकदम सुस्त बेड पर पड़ी थी। मैं भी उसे देख कर उसके ऊपर चिपक कर लेटा रहा। बीस मिनट के बाद हम दोनों बिस्तर से उठे तो चादर पर लगे खून के धब्बे देख कर हम दोनों की जान निकल गई।

इस मस्त चुदाई के बाद फिर बातो बातो में शीतल ने मुझे बताया कि उसने भैया – भाभी की सुहागरात देखी थी, तभी से उसे चुदवाने की इच्छा हो रही थी। वो मुझ से चुदवा कर बहुत खुश दिख रही थी।
उसके बाद हम दोनों काफी देर आराम किये और खा पी कर फिर से उस रात हम
दोनों ने तीन बार और चुदाई की।
फिर थक कर सो गए।
 




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Raj Sharma

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