FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........11
कुछ देर तक दोनों यूँ ही खड़े रहे... फिर कालिया ने कुछ सोच बिना नजर हटाए अपने हाथ से रिंकी और डॉली को बाहर जाने का इशारा किया... इशारा मिलते ही दोनों मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई... ये बात पुष्पा को मालूम भी नहीं पड़ी...
फिर कालिया ने थोड़ा और निकट अपने चेहरे को कर लिया... अब पुष्पा के होंठ बिल्कुल कालिया के होंठ के समीप हो गई... अब तक पुष्पा बस कालिया को देखे जा रही थी... तभी कालिया आहिस्ते सेबोला,"मैडम, आप रात में बाहर क्या कर रही थी.."
कालिया की आवाज कानों में पड़ते ही पुष्पा आश्चर्य से भर गई... अब भी वो कालिया को घूर रही थी पर अब परेशानी से लबालब नजरें थी... वो जवाब देना चाहती थी पर क्या, ये नहीं सूझ रही थी... और कुछ ही पल में पुनः सूख रहे आंसूं के रास्ते फिर से भरने लगी...
कालिया इस बार बिना चुप कराए अपने सर को पुष्पा के सर से सटाते हुए बोला,"हे... ये क्या बात हुई... तुम्हें हंसना भी आता है या नहीं... मैं तो यूं ही पूछ रहा था... और इसमें रोने की क्या बात है... चढ़ती जवानी में ये सब नहीं होगी तो क्या बुढ़ापे में होगी..."
"पर हाँ, तुम रूम में भी तो कर सकती थी... अगर मेरी जगह कोई और होता तो पता है क्या होता?" कालिया मुस्कुराते हुए बिल्कुल अपनेपन की भाव से बोले जा रहा था... पुष्पा खुद पर काफी गुस्से हो रही थी कि मैं क्यों इतनी एक ही दिन में बहक गई...
"कोई और लड़की होती ना तो मैं भी नहीं मानता उस वक्त और बजा डालता पर तुम.... तुमसे मुझे प्यार हो गया है तो मैं सोच भी नहीं सकता... "कालिया कहते कहते भावुक सा हो गया... पुष्पा उसकी बात से बुत से बन कर रह गई... ये क्या सुन रही हूँ...
कालिया अपने दिल की बात तो कह दिया था पर पुष्पा क्या सोचेगी ये वो सोचा ही नहीं था... क्या पुष्पा ऐसे रिश्तो को कबूल कर सकेगी... अचानक कालिया का दिमाग ऐसे ही सवालों से भर गया... वो तो अभी तक सिर्फ दिल की सुन रहा था, दिमाग से तो कुछ सोचा ही नहीं था...
वो कुछ ही देर में बौखला सा गया और सर को झुंझलाते हुए तुरंत ही पुष्पा को छोड़ एक कदम पीछे हट गया... और किसी तरह अपने पर काबू पाते हुए बोला,"मैडम जी, हमें माफ कर देना... पता नहीं क्या से क्या बोल दिया... मैं आपके साथ तो पहचान वाले लायक भी नहीं हूँ तो ये दोस्ती,प्यार तो दूर है..."
कालिया,"मेरी तो चांदी निकल जाएगी पर आप.... आप की इज्जत,मान-मर्यादा का तो तबाड़ा हो जाएगा... कहां पढ़ी लिखी, सुंदर, नेकदिल और पता नहीं क्या-क्या हो आप पर मैं साला अनपढ़, गंवार, चोर वगैरह वगैरह..." कालिया इसी तरह ढ़ेर सारी बातें कहता चला जा रहा था और पुष्पा बस सुनी जा रही थी...
अंततः कालिया का दिल काम नहीं कर सका और वो सिसक गया... उसने हाथों से एक बारगी अपने आंसू पोंछे और तेज कदमों से बाबर निकल गया... पुष्पा उसे जाते हुए देखती रही... इस वक्त तो इसकी दिल दिमाग कुछ काम ही नहीं कर रही थी...
उसके जाते ही पुष्पा धम्म से बेड पर बैठ गई और गहरी सोच में डूब कालिया की बात याद करने लगी... कुछ देर बाद रिंकी भी वापस आ गई और पुष्पा को ऐसे सोच में देख चुपचाप उसके बगल में आ बैठ गई... कुछ देर बाद वो धीरे से बोली,"पुष्पा, स्नान कर लो, फिर मैं खाना लाती हूँ..."
पुष्पा उसकी बात सुन गहरी सोच से बाहर आई और बोली,"भूख नहीं है..." पुष्पा की बात सुन रिंकी ज्यादा बहस करना मुनासिब नहीं समझी और बोली,"ओके तोकम से कम नहा कर फ्रेश हो लो...चलो उठो..." ऱिंकी की बात पर कोई जवाब दिए बिना वो अपने कपड़े ले बाथरूम में घुस गई... उसके दिमाग में कौतूहल मची हुई थी...
उधर शहर में एस.पी. जब फिरौती कीबात सुनी तो उसका पारा चढ़ सा गया... वो बिना किसी परवाह के साफ मुकर गया और बोला जो करना है कर ले, मैं एक पैसे भी नहीं देने वाला... और मेरी बेटी को कुछ हुआ तो तुम सब को नहीं बख्सूंगा... एक एक कर जिंदा गाड़ दूंगा...
कालिया उसकी बात सुन मुस्कुराए बिना रह नहीं सका... रत्ना कुछ कहना चाहता था जब उसे याद आया कि ये तो उसके प्यार में पड़ गया है तो कुछ भी बोलूंगा ये सुनेगा ही नहीं... रत्ना चुप रह कालिया की बस हरकत को देखता रहा... कालिया रूम से बाहर निकल एक कुर्सी पर पसरकर आंखें बंद कर सोच में पड़ गया...पर ये सोच उसके प्यार की थी...
अंदर करीब एक घंटे बाद पुष्पा नहा कर बाहर निकली... रिंकी अभी भी बैठी थी... वो भी रिंकी के बगल में बैठ गई... रिंकी ने पुष्पा को उसी तरह सोच में देख बोली,"क्या हुआ? कालिया कुछ उल्टा पुल्टा बोले हैं क्या?" पुष्पा रिंकी की बात सुन फफक पड़ी... रिंकी उसे गले से लगा बात को जानने की कोशिश करने लगी...
पुष्पा कुछ बाद चुप हुई और कालिया की बात को कह डाली...बस एक बात कह ना सकी वो थी रात में अपनी जिस्म की गरमी शांत करने वाली बात... रिंकी एक अच्छे दोस्त की तरह हर शब्द को गौर से सुनने लगी... और सारी बात सुनने के बाद रिंकी,"हम्म्म्म... तो जनाब को इश्क हो गया...तो तुम अभी किसी बात का जवाब मत देना वर्ना ये साले लोग अपनी हार बर्दाश्त नहीं करना जानते... तुम पर जुल्म या दरिंदगी भी कर सकते हैं...ठीक है...अगर जबरदस्ती करे तो मुझे कहना मैं संभाल लूंगी..."
रिंकी की बात सुन पुष्पा थैंक्स कहती हुई उसके गले लग गई... पर सच्चाई तो ये थी कि पुष्पा अभी तक खुद सोच नहीं पाई थी कि वो क्या करे...? उसके अंदर कालिया के प्रति प्यार भी थी और वैर भी... रिंकी की बात को ही मान ली ताकि उसे सोचने के लिए वक्त भी मिल गई...
रिंकी उसके मूड को बदलने के लिए बोली,"जानू,टॉफी खाएगी...?" रिंकी की बात सुन पुष्पा रिंकी से अलग होती हुई रिंकी की ओर देखती हुई हां में सर हिला दी... रिंकी अपने मुंह में रखी टॉफी दांतों तले दबा दिखाती हुई लेने का इशारा की... पुष्पा टॉफी देखते ही मुस्कुरा पड़ी और अपने हाथ बढ़ा रिंकी की बांह पकड़ी और बेड पर लेट गई...
पुष्पा नीचे लेटी थी और रिंकी ऊपर .... दोनों के चुची आपस में भिड़ चुके थे... दोनों मुस्कुरा रही थी... अगले ही पल पुष्पा रिंकीके सर को पकड़ हौले से अपनी तरफ दबा दी जिससे रिंकी के होंठ अगले ही पल पुष्पा के होंठों से चिपक गई और फिर बारी बारी से दोनों एक ही टॉफी अपने मुंह में डाल के चूसने लगी और तब तक चूसती रही जब तक टॉफी खत्म नहीं हो गई...
इसी तरह चलती रही मस्ती दोनों की... कालिया अब रिंकी या डॉली में से किसी के पास नहीं जाता था... जब भी दोनों रत्ना के पास जाती तो कालिया बाहर निकल जाता और पुष्पा से कुछ कुछ बातें करता...पर प्यार-व्यार की बातें कभी कोई बात नहीं होती थी... पुष्पा भी धीरे धीरे नॉर्मल हो गई शायद वो भी यही चाहती थी...
एक दिन दोपहर के वक्त पुष्पा बाहर ही खड़ी रिंकी से बात कर रही थी... उसी वक्त रत्ना रिंकी को आवाज दिया... पुष्पा बात को समझ रिंकी की तरफ देख मुस्कुरा दी... रिंकी "आ रही हूँ " कह चली गई... पुष्पा जान गई कि अब कालिया बाहर आएगा...
कालिया अगले ही पल पुष्पा के बगल में था... पुष्पा उसकी तरफ देख हल्की मुस्कुरा दी और पूछी,"अब मन नहीं करता क्या.." कालिया उसकी बात सुन हंस पड़ा और बोला,"करेगा क्यों नहीं... पर... छोड़ो ये सब वर्ना कहीं मैं फिर से बहक गया तो तुम बेकार की नाराज हो जाओगी..."
पुष्पा के दिल में एक टीस सी उठ पड़ी... वो सुनना चाहती थी शायद वो भी चाहने लगी थी कालिया को पर हिम्मत नहीं होती थी कहने की...कह भी दी तो पता नहीं क्या सोचेगा... वो कालिया की तरफ देख वापस सामने की तरफ मुड़ गई...
कालिया,"अच्छा, तुम अब भी बाहर ही करती हो या अंदर...."कालिया को पता नहीं क्या सूझा वो उस रात वाली बात को छेड़ दिया... पुष्पा शर्म से लाल हो गई पर नाराज नहीं हुई... वो मंद मंद मुस्कुरा कर दूसरी तरफ मुंह फेर ली... कालिया उसके ऐसे बर्ताव से खुश हो गया और एक बार फिर बोलने कह दिया...
पुष्पा दूसरी तरफ मुंह करती हुई ही बोली,"...अब देखने की कोशिश नहीं करते क्या." पुष्पा की बात सुनते ही कालिया चहकते हुए बोला,"ओए, मैं उस दिन भी देखने नहीं निकला था... वो तो थोड़ा रिलैक्स होने के लिए बाहल निकल रहा था कि तुम दिख गई और मैं दबे पांव वापस हो गया... रत्ना तो बेहोश सा सो गया वर्ना उसे शक जरूर होता कि मैं बाहर क्यों नहीं गया..."
पुष्पा उसकी बात सुन के मुस्कुरा रही थी..कालिया आगे बोला,"कसम से उस दिन तुम्हें देख के तो मेरा मूड खराब हो गया था और मन तो किया कि तुम्हें यहीं पर..." कहते कहते कालिया अपने शब्दों को आधा ही बोल रूक गया जिसे पुष्पा अच्छी तरह समझ चुकी थी और वो कालिया की तरफ पलट गई...
कालिया उसे अपनी तरफ देख थोड़ा नर्वस हुआ पर गुस्से में ना देख तुरंत ही बोल पड़ा,"सच्ची कह रहा..अगर तुम्हारी जगह कोई और रहती ना तो मैं छोड़ने वाला नहीं था..." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा शरारत से आँख नचाती हुई हौले से बोली....
पुष्पा,"..तुम्हारी कोई दीदी रहती तो भी..." और ये कहते ही पुष्पा खिलखिलाती हुई अंदर रूम की तरफ भाग ली... कालिया जब उसकी बात समझा तो आश्चर्य से देखा और उसकी इस शरारत पर उसे मारने के लिए मुक्का बना उसके पीछे दौड़ पड़ा...
पुष्पा उसे अपने पीछे आते देख हंसती हुई बोली,"..मजाक कर रही थी..." और वोरूम की तरफ भागने लगी... कालिया बात को सुना तो पर रूके बिना उसकी तरफ उसकी तरफ बढ़ता गया...गेट के अंदर जा जब तक पुष्पा गेट बंद करती तब तक कालिया उसके निकट पहुँच गेट को पकड़ लिया...
पुष्पा के लिए गेट लॉक करना नामुमकिन थी...वो उसे छोड़ अंदर बाथरूम की ओर भागी... कालिया ये देख तेजी से उसके पीछे भागा और जब तक पुष्पा बाथरूम तक पहुँचती उससे पहले ही कालिया उसकी बांह पकड़ खींच लिया... और पुष्पाके दोनों हाथ पकड़ उसे पीछे की तरफ धकेल दीवाल से चिपका दिया और उसके दोनों हाथ ऊपर कर बोला...
कालिया,"अब बोल, क्या बोल रही थी..."
पुष्पा हंसी जा रही थी...फिर अपनी हंसी पर काबू करती हुई बोली,".मजाक कर रही थी.. तुम बोले ना कि कोई भी तो मैं पूछ ली..."अपनी बात कहती हुई पुष्पा पुनः हंस पड़ी...कालिया भी उसकी बात सुन हंस पड़ा और हंसते हुए बोला,"अच्छा, तो और कुछ नहीं मिला पूछने को..."
पुष्पा हंसते हुए ना में सर हिला दी...कालिया पुष्पा की इस खुशी और ऐसे चिपके रहने के बाद भी कितनी नॉर्मल लग रही थी ये सोच वो खुद दंग रह गया... कालिया अब थोड़ा और जोर से चिपक गया जिससे पुष्पा पूरी तरह दब गई थी... वो अब हिल भी नहीं पा रही थी...बस हंसी जा रही थी...
कालिया उसकी हंसी से और कुछ सवाल किए बिना बस उसकी तरफ देखने लगा... मोती जैसे दांतों को निहार रहा था...कुछ देर तक हंसने के बाद थोड़ी शांत हुई तो कालिया को अपनी तरफ देख वो अपनी भौंहे ऊपर की तरफ उचका दी... जिसके जवाब में कालिया ना में सर हिला दिया...
पुष्पा को अचानक नीचे नाभी के पास कुछ गड़ती हुई फील हुई... वो नीेचे की तरफ देखी और देखते ही समझ गई कि वो क्या है... वो शर्मों-ह्या से लालें-लाल हो गई... फिर अपनी नजर ऊपर करती हुई अपनी कलाई छुड़ाने के लिओ जोर लगाती हुई कसमसाने लगी... जिसे देख कालिया हँस पड़ा...
कालिया को हँसते हुए पुष्पा पछतावे और परेशानी में बोली,"उफ्फ्फ्फ... प्लीज छोड़ो ना...हाथ दुख रही है..."उसकी बात सुन कालिया बिना किसी हरकत के बस मुस्कुराता रहा... पुष्पा एक बार फिर छोड़ने बोली तो कालिया ना में सर हिला दिया...पुष्पा अब सिर्फ मुंह से छोड़ने कह रही थी जबकि उसकी अंतर्आत्मा तनिक भी छूटने की नहीं कह रही थी...
पुष्पा,"...तो फिर से बोलने लगूँगी नहीं तो छोड़ो..." उसकी आवाज में हंसी और शर्म दोनों घुली हुई थी... जिसे सुन कालिया बोला,"अब मार भी खाओगी..."
पुष्पा,"नहीं छोड़े तो मैं बोलूंगी ही..." पुष्पा और कालिया दोनों के होंठ अब बिल्कुल ही पास आ गए थे बस कुछ ही इंच की दूरी रह गई थी... इस वजह से दोनों की साँसे आपस में टकरा रही थी... कालिया पुष्पा की इस तरह की हरकत से काफी हद तक समझ गया था कि इसके अंदर भी कुछ चल रही है वर्ना अब तक तो किसी तरह छूट ही जाती...
पुष्पा मुस्कुराती हुई रही पर कुछ बोली नहीं... दोनों के अंदर ढ़ेर सारी कौतूहल हलचल मचा रही थी... इसी कौतूहल में दोनों के होंठ कुछ ही पलों में आपस में सट गई... कालिया का तो होश ही उड़ गया... इतनी रसीली और कामुक होंठ जो सिर्फ छुअन भर से सिहर गया...पुष्पा उफ्फ्फ करती हुई अपनी होंठ पीछे कर दूसरी तरफ मुँह कर ली और लम्बी लम्बी सांसे लेने लग गई... मर्द की पहली छुअन उसे करंट जैसी लगी...
कालिया तुरंत होश में आया और उसके होंठ का पीछा अपने होंठों से करने लगा...मंजिल तक पहुँचते ही कालिया अपने होंठ से उसके पकड़ने की कोशिश की पर पुष्पा छिप ली... दो तीन बार की कोशिश में वो होंठों के साइड की थोड़ी सी भाग पकड़ में आ गई जिसे पकड़ कालिया अपनी तरफ खींचा...
पुष्पा अब ज्यादा सहन नहीं कर पा रही थी जिससे वो कालिया के साथ हो ली और वो जिधर चाहता था उधर कर दी...और कालिया बिना कोई पल गंवाए हल्की पकड़ को पूरी पकड़ में तब्दील कर दिया...कालिया के इस प्रहार से पुष्पा बिखर सी गई और बेजान सी दीवाल में सर सटा कर शांत हो गई... जबकि कालिया कालिया हौले हौले उसके होंठो का रसपान करने लगा...
कालिया खुद को किसी जन्नत में पहुँच गया था... इतनी रसभरी,इतनी गर्म, इतनी मिठास सब तरह की स्वाद मिल रही थी पुष्पा के होंठो से... पुष्पा नई नवेली थी इस खेल में तो वो जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुँच गई... वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि तड़प उठी और सुबकने लगी... कालिया ये देखते ही उसके दोनों हाथ को आजाद कर दिया...
हाथ आजाद होते ही पुष्पा सहारे के लिए कालिया के कंधे पर हाथ रख दी... उसके पांव थरथराने लगे थे... अचानक पुष्पा बिजली की तरह उछली और दोनों हाथों से कालिया के गर्दन जकड़ ली... और उत्तेजनावश उसने अपने दांत कालिया के होठों पर गड़ा दी...
पुष्पा झड़ रही थी... उसकी बूर से पानी निकल पेन्टी को भिंगो रही थी... होठों के दर्द से कालिया तड़प सा गया पर वो थोड़ा विचलित नहीं हुआ... उसके होठों से खून निकल कर बाहर की तरफ बहने लगी थी... जब तक पुष्पा झड़ी तब तक वो यूँ ही हरदर्द को सह पुष्पा को थामे हुआ था...
पुष्पा पूरी तरह जब झड़ गई तो वो निढ़ाल हो कालिया के बाहों में झूल गई... कालिया हर गम को भुला खुशी से उसे कस के थामा और गोद में उठा लिया... पुष्पा के होंठ भी खून से रंग गए थे... वो अपनी आँखें बंद किए कालिया की पीठ पर हल्की पकड़ बना दी ताकि कालिया को कुछ सपोर्ट मिले...
कालिया उसे ले आहिस्ते से बेड पर सुला दिया मानों कोई टूटने वाली चीज हो... पुष्पा मुस्कुरा रही थी और आराम से लेट गई... पुष्पा को लिटाते ही कालिया भीउसकी बगल में लेट गया और अपने आधे शरीर से उसे ढ़क दिया... फिर उसे गौर से निहारने लगा और साथ ही मुस्कुरा भी रहा था....
वो अपनी खुशी को छुपा नहीं पा रहा था और खुशी से उसके आँखें भी नम हो गई थी... पहली बार किसी से प्यार हुआ था और वो प्यार आज उसकी बांहों में थी... ऐसे किस्मत किसी किसी को ही नसीब होती है...पुष्पा की भी खुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी...
अगले ही पल कालिया नीचे झुका और पुनः पुष्पा के होठों से अपने होंठ मिला दिए.... खून से भरी दोनों के होंठ एक बार भिड़ गए... इस बार पुष्पा भी सहयोग दे रही थी... ना जाने कब तक करते रहे दोनों... आखिर में जब किस टूटी तो कालिया के होंठ से खून बंद हो गई थी और दोनों के होंठ पर से भी सभी रक्त गायब...
दोनों काफी थक चुके थे... थकान की वजह से कालिया पुष्पा के बगल में ही पसर गया... दोनों तेज तेज सांसें ले रहे थे जो पूरे कमरे में गूंज रही थी... करीब दस मिनट तक दोनों यूँ ही पड़े रहे... फिर कालिया अपनी आँख खोली तो पुष्पा अभी आँखें बंद की हुई थी...
कालिया अपनी एक उंगली बढ़ा पुष्पा के गालों पर छुआते हुए हल्के से सरकाने लगा... उसकी उंगली आगे बढ़ पुष्पा के नाजुक होठों पर रेंगते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा... पुष्पा उंगली की दिशा से विचलित हो कसमसाने लगी... उंगली उरेजों पर जैसे ही पहुँची पुष्पा लपक के कालिया की उंगली पकड़ ली...
कालिया अपनी उंगली रूकते देख अपने होंठो को आगे कर दोनों चुचियों की घाटी तक पहुंचा चिपका दिया... पुष्पा कराह उठी और वो कालिया के बाल को पकड़ कर सुबकती हुई बोली,"प्लीज्ज्जऽ" कालिया समझ गया कि झड़ने के बाद ये पुनः गरम हो चुकी है...
कालिया मुस्काराता हुआ अपने सर को ऊपर कर ऊपर की तरफ सरक के पुष्पा के गालों को चूमते हुए बोला,"पुष्पा, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ...और मैं अब वादा करता हूँ कि आगे से मैं ये प्यार तुम्हारे सिवा किसी से नहीं बाटूंगा..." पुष्पा उसकी बात सुन हल्के से अपनी आँखें खोली...
पुष्पा तिरछी नजरों से देखी तो कालिया औंधें मुँह उसकी जुल्फों में अपना सर छिपाए हुए था... पुष्पा अपने कांपते हाथ बढ़ा हल्के से उसके सर पर रख सहलाने लगी... कालिया जिस जवाब के लिए अपनी बात बोला, उसका जवाब पुष्पा ने इशारों में कह दी...कालिया पुष्पा के हाथों से सुनहरे सपनों में खो गया...
अचानक कालिया अपना सर ऊपर किया और पुष्पा को देखने लगा... पुष्पा अब कालिया से नजर नहीं मिला पा रही थी... पर इस वक्त कालिया के अचानक उठने से वो मुंह छिपाती उससे पहले ही कालिया अपने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर सामने कर रखा... विवशतापूर्ण पुष्पा मुस्कुरा कर कालिया की आँखों में आंखें डाल दी...
कालिया,"पुष्पा, क्या खाती हो जो तुम्हारे होंठ इतने मीठे,रसीलें और पता नहीं क्या क्या कहते हैं; वही हैं... पल पल इसकी स्वाद बदलती रहती है और हर स्वाद में एक अलग ही नशा होती है..."
पुष्पा आश्चर्य से कालिया की तरफ देखती हुई मुस्कुराती हुई बोली,"कुछ स्पेशल पर तुमकों नहीं बता सकती..." पुष्पा के बोलते ही कालिया तुरंत ही "क्यों.." कहते हुए सवाल कर दिया...
पुष्पा,"क्यों बताऊं, खाने को मिल रही है तो बस खाने से मतलब रखो... पेड़ मत गिना करो.." पुष्पा इठलाती हुई कालिया को जवाब दी जिसे सुनते ही कालिया दांत पीसते हुए बोला,"शाली, अभी बताता हूँ तुम्हें..." कालिया कहते हुए पुनः पुष्पा के गालों से होता हुआ गर्दन पर टूट पड़ा जिससे पुष्पा खिलखिला कर हंसती हुई बोली...
"ऐ गाली नहीं , नहीं तो सर फोड़ दूँगी..."पुष्पा उसके बाल पकड़ उसे रोकती हुई बोली... जिससे कालिया हंसे बिना नहीं रह सका...
तभी गेट पर आहट हुई... दोनों एक साथ उधर नजर दौड़ाए तो "ओहहह शिट्ट्ट.." मस्ती के चक्कर में गेट खुली ही रह गई...हड़बड़ा कर जब तक दोनों अलग होते तब तक तो रिंकी अंदर आ चुकी थी और दोनों को ऐसे देख आश्चर्य भरी नजरों से देखने की कोशिश करने लगी... क्योंकि उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रही थी...
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कालिया इस बार बिना चुप कराए अपने सर को पुष्पा के सर से सटाते हुए बोला,"हे... ये क्या बात हुई... तुम्हें हंसना भी आता है या नहीं... मैं तो यूं ही पूछ रहा था... और इसमें रोने की क्या बात है... चढ़ती जवानी में ये सब नहीं होगी तो क्या बुढ़ापे में होगी..."
"पर हाँ, तुम रूम में भी तो कर सकती थी... अगर मेरी जगह कोई और होता तो पता है क्या होता?" कालिया मुस्कुराते हुए बिल्कुल अपनेपन की भाव से बोले जा रहा था... पुष्पा खुद पर काफी गुस्से हो रही थी कि मैं क्यों इतनी एक ही दिन में बहक गई...
"कोई और लड़की होती ना तो मैं भी नहीं मानता उस वक्त और बजा डालता पर तुम.... तुमसे मुझे प्यार हो गया है तो मैं सोच भी नहीं सकता... "कालिया कहते कहते भावुक सा हो गया... पुष्पा उसकी बात से बुत से बन कर रह गई... ये क्या सुन रही हूँ...
कालिया अपने दिल की बात तो कह दिया था पर पुष्पा क्या सोचेगी ये वो सोचा ही नहीं था... क्या पुष्पा ऐसे रिश्तो को कबूल कर सकेगी... अचानक कालिया का दिमाग ऐसे ही सवालों से भर गया... वो तो अभी तक सिर्फ दिल की सुन रहा था, दिमाग से तो कुछ सोचा ही नहीं था...
वो कुछ ही देर में बौखला सा गया और सर को झुंझलाते हुए तुरंत ही पुष्पा को छोड़ एक कदम पीछे हट गया... और किसी तरह अपने पर काबू पाते हुए बोला,"मैडम जी, हमें माफ कर देना... पता नहीं क्या से क्या बोल दिया... मैं आपके साथ तो पहचान वाले लायक भी नहीं हूँ तो ये दोस्ती,प्यार तो दूर है..."
कालिया,"मेरी तो चांदी निकल जाएगी पर आप.... आप की इज्जत,मान-मर्यादा का तो तबाड़ा हो जाएगा... कहां पढ़ी लिखी, सुंदर, नेकदिल और पता नहीं क्या-क्या हो आप पर मैं साला अनपढ़, गंवार, चोर वगैरह वगैरह..." कालिया इसी तरह ढ़ेर सारी बातें कहता चला जा रहा था और पुष्पा बस सुनी जा रही थी...
अंततः कालिया का दिल काम नहीं कर सका और वो सिसक गया... उसने हाथों से एक बारगी अपने आंसू पोंछे और तेज कदमों से बाबर निकल गया... पुष्पा उसे जाते हुए देखती रही... इस वक्त तो इसकी दिल दिमाग कुछ काम ही नहीं कर रही थी...
उसके जाते ही पुष्पा धम्म से बेड पर बैठ गई और गहरी सोच में डूब कालिया की बात याद करने लगी... कुछ देर बाद रिंकी भी वापस आ गई और पुष्पा को ऐसे सोच में देख चुपचाप उसके बगल में आ बैठ गई... कुछ देर बाद वो धीरे से बोली,"पुष्पा, स्नान कर लो, फिर मैं खाना लाती हूँ..."
पुष्पा उसकी बात सुन गहरी सोच से बाहर आई और बोली,"भूख नहीं है..." पुष्पा की बात सुन रिंकी ज्यादा बहस करना मुनासिब नहीं समझी और बोली,"ओके तोकम से कम नहा कर फ्रेश हो लो...चलो उठो..." ऱिंकी की बात पर कोई जवाब दिए बिना वो अपने कपड़े ले बाथरूम में घुस गई... उसके दिमाग में कौतूहल मची हुई थी...
उधर शहर में एस.पी. जब फिरौती कीबात सुनी तो उसका पारा चढ़ सा गया... वो बिना किसी परवाह के साफ मुकर गया और बोला जो करना है कर ले, मैं एक पैसे भी नहीं देने वाला... और मेरी बेटी को कुछ हुआ तो तुम सब को नहीं बख्सूंगा... एक एक कर जिंदा गाड़ दूंगा...
कालिया उसकी बात सुन मुस्कुराए बिना रह नहीं सका... रत्ना कुछ कहना चाहता था जब उसे याद आया कि ये तो उसके प्यार में पड़ गया है तो कुछ भी बोलूंगा ये सुनेगा ही नहीं... रत्ना चुप रह कालिया की बस हरकत को देखता रहा... कालिया रूम से बाहर निकल एक कुर्सी पर पसरकर आंखें बंद कर सोच में पड़ गया...पर ये सोच उसके प्यार की थी...
अंदर करीब एक घंटे बाद पुष्पा नहा कर बाहर निकली... रिंकी अभी भी बैठी थी... वो भी रिंकी के बगल में बैठ गई... रिंकी ने पुष्पा को उसी तरह सोच में देख बोली,"क्या हुआ? कालिया कुछ उल्टा पुल्टा बोले हैं क्या?" पुष्पा रिंकी की बात सुन फफक पड़ी... रिंकी उसे गले से लगा बात को जानने की कोशिश करने लगी...
पुष्पा कुछ बाद चुप हुई और कालिया की बात को कह डाली...बस एक बात कह ना सकी वो थी रात में अपनी जिस्म की गरमी शांत करने वाली बात... रिंकी एक अच्छे दोस्त की तरह हर शब्द को गौर से सुनने लगी... और सारी बात सुनने के बाद रिंकी,"हम्म्म्म... तो जनाब को इश्क हो गया...तो तुम अभी किसी बात का जवाब मत देना वर्ना ये साले लोग अपनी हार बर्दाश्त नहीं करना जानते... तुम पर जुल्म या दरिंदगी भी कर सकते हैं...ठीक है...अगर जबरदस्ती करे तो मुझे कहना मैं संभाल लूंगी..."
रिंकी की बात सुन पुष्पा थैंक्स कहती हुई उसके गले लग गई... पर सच्चाई तो ये थी कि पुष्पा अभी तक खुद सोच नहीं पाई थी कि वो क्या करे...? उसके अंदर कालिया के प्रति प्यार भी थी और वैर भी... रिंकी की बात को ही मान ली ताकि उसे सोचने के लिए वक्त भी मिल गई...
रिंकी उसके मूड को बदलने के लिए बोली,"जानू,टॉफी खाएगी...?" रिंकी की बात सुन पुष्पा रिंकी से अलग होती हुई रिंकी की ओर देखती हुई हां में सर हिला दी... रिंकी अपने मुंह में रखी टॉफी दांतों तले दबा दिखाती हुई लेने का इशारा की... पुष्पा टॉफी देखते ही मुस्कुरा पड़ी और अपने हाथ बढ़ा रिंकी की बांह पकड़ी और बेड पर लेट गई...
पुष्पा नीचे लेटी थी और रिंकी ऊपर .... दोनों के चुची आपस में भिड़ चुके थे... दोनों मुस्कुरा रही थी... अगले ही पल पुष्पा रिंकीके सर को पकड़ हौले से अपनी तरफ दबा दी जिससे रिंकी के होंठ अगले ही पल पुष्पा के होंठों से चिपक गई और फिर बारी बारी से दोनों एक ही टॉफी अपने मुंह में डाल के चूसने लगी और तब तक चूसती रही जब तक टॉफी खत्म नहीं हो गई...
इसी तरह चलती रही मस्ती दोनों की... कालिया अब रिंकी या डॉली में से किसी के पास नहीं जाता था... जब भी दोनों रत्ना के पास जाती तो कालिया बाहर निकल जाता और पुष्पा से कुछ कुछ बातें करता...पर प्यार-व्यार की बातें कभी कोई बात नहीं होती थी... पुष्पा भी धीरे धीरे नॉर्मल हो गई शायद वो भी यही चाहती थी...
एक दिन दोपहर के वक्त पुष्पा बाहर ही खड़ी रिंकी से बात कर रही थी... उसी वक्त रत्ना रिंकी को आवाज दिया... पुष्पा बात को समझ रिंकी की तरफ देख मुस्कुरा दी... रिंकी "आ रही हूँ " कह चली गई... पुष्पा जान गई कि अब कालिया बाहर आएगा...
कालिया अगले ही पल पुष्पा के बगल में था... पुष्पा उसकी तरफ देख हल्की मुस्कुरा दी और पूछी,"अब मन नहीं करता क्या.." कालिया उसकी बात सुन हंस पड़ा और बोला,"करेगा क्यों नहीं... पर... छोड़ो ये सब वर्ना कहीं मैं फिर से बहक गया तो तुम बेकार की नाराज हो जाओगी..."
पुष्पा के दिल में एक टीस सी उठ पड़ी... वो सुनना चाहती थी शायद वो भी चाहने लगी थी कालिया को पर हिम्मत नहीं होती थी कहने की...कह भी दी तो पता नहीं क्या सोचेगा... वो कालिया की तरफ देख वापस सामने की तरफ मुड़ गई...
कालिया,"अच्छा, तुम अब भी बाहर ही करती हो या अंदर...."कालिया को पता नहीं क्या सूझा वो उस रात वाली बात को छेड़ दिया... पुष्पा शर्म से लाल हो गई पर नाराज नहीं हुई... वो मंद मंद मुस्कुरा कर दूसरी तरफ मुंह फेर ली... कालिया उसके ऐसे बर्ताव से खुश हो गया और एक बार फिर बोलने कह दिया...
पुष्पा दूसरी तरफ मुंह करती हुई ही बोली,"...अब देखने की कोशिश नहीं करते क्या." पुष्पा की बात सुनते ही कालिया चहकते हुए बोला,"ओए, मैं उस दिन भी देखने नहीं निकला था... वो तो थोड़ा रिलैक्स होने के लिए बाहल निकल रहा था कि तुम दिख गई और मैं दबे पांव वापस हो गया... रत्ना तो बेहोश सा सो गया वर्ना उसे शक जरूर होता कि मैं बाहर क्यों नहीं गया..."
पुष्पा उसकी बात सुन के मुस्कुरा रही थी..कालिया आगे बोला,"कसम से उस दिन तुम्हें देख के तो मेरा मूड खराब हो गया था और मन तो किया कि तुम्हें यहीं पर..." कहते कहते कालिया अपने शब्दों को आधा ही बोल रूक गया जिसे पुष्पा अच्छी तरह समझ चुकी थी और वो कालिया की तरफ पलट गई...
कालिया उसे अपनी तरफ देख थोड़ा नर्वस हुआ पर गुस्से में ना देख तुरंत ही बोल पड़ा,"सच्ची कह रहा..अगर तुम्हारी जगह कोई और रहती ना तो मैं छोड़ने वाला नहीं था..." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा शरारत से आँख नचाती हुई हौले से बोली....
पुष्पा,"..तुम्हारी कोई दीदी रहती तो भी..." और ये कहते ही पुष्पा खिलखिलाती हुई अंदर रूम की तरफ भाग ली... कालिया जब उसकी बात समझा तो आश्चर्य से देखा और उसकी इस शरारत पर उसे मारने के लिए मुक्का बना उसके पीछे दौड़ पड़ा...
पुष्पा उसे अपने पीछे आते देख हंसती हुई बोली,"..मजाक कर रही थी..." और वोरूम की तरफ भागने लगी... कालिया बात को सुना तो पर रूके बिना उसकी तरफ उसकी तरफ बढ़ता गया...गेट के अंदर जा जब तक पुष्पा गेट बंद करती तब तक कालिया उसके निकट पहुँच गेट को पकड़ लिया...
पुष्पा के लिए गेट लॉक करना नामुमकिन थी...वो उसे छोड़ अंदर बाथरूम की ओर भागी... कालिया ये देख तेजी से उसके पीछे भागा और जब तक पुष्पा बाथरूम तक पहुँचती उससे पहले ही कालिया उसकी बांह पकड़ खींच लिया... और पुष्पाके दोनों हाथ पकड़ उसे पीछे की तरफ धकेल दीवाल से चिपका दिया और उसके दोनों हाथ ऊपर कर बोला...
कालिया,"अब बोल, क्या बोल रही थी..."
पुष्पा हंसी जा रही थी...फिर अपनी हंसी पर काबू करती हुई बोली,".मजाक कर रही थी.. तुम बोले ना कि कोई भी तो मैं पूछ ली..."अपनी बात कहती हुई पुष्पा पुनः हंस पड़ी...कालिया भी उसकी बात सुन हंस पड़ा और हंसते हुए बोला,"अच्छा, तो और कुछ नहीं मिला पूछने को..."
पुष्पा हंसते हुए ना में सर हिला दी...कालिया पुष्पा की इस खुशी और ऐसे चिपके रहने के बाद भी कितनी नॉर्मल लग रही थी ये सोच वो खुद दंग रह गया... कालिया अब थोड़ा और जोर से चिपक गया जिससे पुष्पा पूरी तरह दब गई थी... वो अब हिल भी नहीं पा रही थी...बस हंसी जा रही थी...
कालिया उसकी हंसी से और कुछ सवाल किए बिना बस उसकी तरफ देखने लगा... मोती जैसे दांतों को निहार रहा था...कुछ देर तक हंसने के बाद थोड़ी शांत हुई तो कालिया को अपनी तरफ देख वो अपनी भौंहे ऊपर की तरफ उचका दी... जिसके जवाब में कालिया ना में सर हिला दिया...
पुष्पा को अचानक नीचे नाभी के पास कुछ गड़ती हुई फील हुई... वो नीेचे की तरफ देखी और देखते ही समझ गई कि वो क्या है... वो शर्मों-ह्या से लालें-लाल हो गई... फिर अपनी नजर ऊपर करती हुई अपनी कलाई छुड़ाने के लिओ जोर लगाती हुई कसमसाने लगी... जिसे देख कालिया हँस पड़ा...
कालिया को हँसते हुए पुष्पा पछतावे और परेशानी में बोली,"उफ्फ्फ्फ... प्लीज छोड़ो ना...हाथ दुख रही है..."उसकी बात सुन कालिया बिना किसी हरकत के बस मुस्कुराता रहा... पुष्पा एक बार फिर छोड़ने बोली तो कालिया ना में सर हिला दिया...पुष्पा अब सिर्फ मुंह से छोड़ने कह रही थी जबकि उसकी अंतर्आत्मा तनिक भी छूटने की नहीं कह रही थी...
पुष्पा,"...तो फिर से बोलने लगूँगी नहीं तो छोड़ो..." उसकी आवाज में हंसी और शर्म दोनों घुली हुई थी... जिसे सुन कालिया बोला,"अब मार भी खाओगी..."
पुष्पा,"नहीं छोड़े तो मैं बोलूंगी ही..." पुष्पा और कालिया दोनों के होंठ अब बिल्कुल ही पास आ गए थे बस कुछ ही इंच की दूरी रह गई थी... इस वजह से दोनों की साँसे आपस में टकरा रही थी... कालिया पुष्पा की इस तरह की हरकत से काफी हद तक समझ गया था कि इसके अंदर भी कुछ चल रही है वर्ना अब तक तो किसी तरह छूट ही जाती...
पुष्पा मुस्कुराती हुई रही पर कुछ बोली नहीं... दोनों के अंदर ढ़ेर सारी कौतूहल हलचल मचा रही थी... इसी कौतूहल में दोनों के होंठ कुछ ही पलों में आपस में सट गई... कालिया का तो होश ही उड़ गया... इतनी रसीली और कामुक होंठ जो सिर्फ छुअन भर से सिहर गया...पुष्पा उफ्फ्फ करती हुई अपनी होंठ पीछे कर दूसरी तरफ मुँह कर ली और लम्बी लम्बी सांसे लेने लग गई... मर्द की पहली छुअन उसे करंट जैसी लगी...
कालिया तुरंत होश में आया और उसके होंठ का पीछा अपने होंठों से करने लगा...मंजिल तक पहुँचते ही कालिया अपने होंठ से उसके पकड़ने की कोशिश की पर पुष्पा छिप ली... दो तीन बार की कोशिश में वो होंठों के साइड की थोड़ी सी भाग पकड़ में आ गई जिसे पकड़ कालिया अपनी तरफ खींचा...
पुष्पा अब ज्यादा सहन नहीं कर पा रही थी जिससे वो कालिया के साथ हो ली और वो जिधर चाहता था उधर कर दी...और कालिया बिना कोई पल गंवाए हल्की पकड़ को पूरी पकड़ में तब्दील कर दिया...कालिया के इस प्रहार से पुष्पा बिखर सी गई और बेजान सी दीवाल में सर सटा कर शांत हो गई... जबकि कालिया कालिया हौले हौले उसके होंठो का रसपान करने लगा...
कालिया खुद को किसी जन्नत में पहुँच गया था... इतनी रसभरी,इतनी गर्म, इतनी मिठास सब तरह की स्वाद मिल रही थी पुष्पा के होंठो से... पुष्पा नई नवेली थी इस खेल में तो वो जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुँच गई... वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि तड़प उठी और सुबकने लगी... कालिया ये देखते ही उसके दोनों हाथ को आजाद कर दिया...
हाथ आजाद होते ही पुष्पा सहारे के लिए कालिया के कंधे पर हाथ रख दी... उसके पांव थरथराने लगे थे... अचानक पुष्पा बिजली की तरह उछली और दोनों हाथों से कालिया के गर्दन जकड़ ली... और उत्तेजनावश उसने अपने दांत कालिया के होठों पर गड़ा दी...
पुष्पा झड़ रही थी... उसकी बूर से पानी निकल पेन्टी को भिंगो रही थी... होठों के दर्द से कालिया तड़प सा गया पर वो थोड़ा विचलित नहीं हुआ... उसके होठों से खून निकल कर बाहर की तरफ बहने लगी थी... जब तक पुष्पा झड़ी तब तक वो यूँ ही हरदर्द को सह पुष्पा को थामे हुआ था...
पुष्पा पूरी तरह जब झड़ गई तो वो निढ़ाल हो कालिया के बाहों में झूल गई... कालिया हर गम को भुला खुशी से उसे कस के थामा और गोद में उठा लिया... पुष्पा के होंठ भी खून से रंग गए थे... वो अपनी आँखें बंद किए कालिया की पीठ पर हल्की पकड़ बना दी ताकि कालिया को कुछ सपोर्ट मिले...
कालिया उसे ले आहिस्ते से बेड पर सुला दिया मानों कोई टूटने वाली चीज हो... पुष्पा मुस्कुरा रही थी और आराम से लेट गई... पुष्पा को लिटाते ही कालिया भीउसकी बगल में लेट गया और अपने आधे शरीर से उसे ढ़क दिया... फिर उसे गौर से निहारने लगा और साथ ही मुस्कुरा भी रहा था....
वो अपनी खुशी को छुपा नहीं पा रहा था और खुशी से उसके आँखें भी नम हो गई थी... पहली बार किसी से प्यार हुआ था और वो प्यार आज उसकी बांहों में थी... ऐसे किस्मत किसी किसी को ही नसीब होती है...पुष्पा की भी खुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी...
अगले ही पल कालिया नीचे झुका और पुनः पुष्पा के होठों से अपने होंठ मिला दिए.... खून से भरी दोनों के होंठ एक बार भिड़ गए... इस बार पुष्पा भी सहयोग दे रही थी... ना जाने कब तक करते रहे दोनों... आखिर में जब किस टूटी तो कालिया के होंठ से खून बंद हो गई थी और दोनों के होंठ पर से भी सभी रक्त गायब...
दोनों काफी थक चुके थे... थकान की वजह से कालिया पुष्पा के बगल में ही पसर गया... दोनों तेज तेज सांसें ले रहे थे जो पूरे कमरे में गूंज रही थी... करीब दस मिनट तक दोनों यूँ ही पड़े रहे... फिर कालिया अपनी आँख खोली तो पुष्पा अभी आँखें बंद की हुई थी...
कालिया अपनी एक उंगली बढ़ा पुष्पा के गालों पर छुआते हुए हल्के से सरकाने लगा... उसकी उंगली आगे बढ़ पुष्पा के नाजुक होठों पर रेंगते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा... पुष्पा उंगली की दिशा से विचलित हो कसमसाने लगी... उंगली उरेजों पर जैसे ही पहुँची पुष्पा लपक के कालिया की उंगली पकड़ ली...
कालिया अपनी उंगली रूकते देख अपने होंठो को आगे कर दोनों चुचियों की घाटी तक पहुंचा चिपका दिया... पुष्पा कराह उठी और वो कालिया के बाल को पकड़ कर सुबकती हुई बोली,"प्लीज्ज्जऽ" कालिया समझ गया कि झड़ने के बाद ये पुनः गरम हो चुकी है...
कालिया मुस्काराता हुआ अपने सर को ऊपर कर ऊपर की तरफ सरक के पुष्पा के गालों को चूमते हुए बोला,"पुष्पा, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ...और मैं अब वादा करता हूँ कि आगे से मैं ये प्यार तुम्हारे सिवा किसी से नहीं बाटूंगा..." पुष्पा उसकी बात सुन हल्के से अपनी आँखें खोली...
पुष्पा तिरछी नजरों से देखी तो कालिया औंधें मुँह उसकी जुल्फों में अपना सर छिपाए हुए था... पुष्पा अपने कांपते हाथ बढ़ा हल्के से उसके सर पर रख सहलाने लगी... कालिया जिस जवाब के लिए अपनी बात बोला, उसका जवाब पुष्पा ने इशारों में कह दी...कालिया पुष्पा के हाथों से सुनहरे सपनों में खो गया...
अचानक कालिया अपना सर ऊपर किया और पुष्पा को देखने लगा... पुष्पा अब कालिया से नजर नहीं मिला पा रही थी... पर इस वक्त कालिया के अचानक उठने से वो मुंह छिपाती उससे पहले ही कालिया अपने दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर सामने कर रखा... विवशतापूर्ण पुष्पा मुस्कुरा कर कालिया की आँखों में आंखें डाल दी...
कालिया,"पुष्पा, क्या खाती हो जो तुम्हारे होंठ इतने मीठे,रसीलें और पता नहीं क्या क्या कहते हैं; वही हैं... पल पल इसकी स्वाद बदलती रहती है और हर स्वाद में एक अलग ही नशा होती है..."
पुष्पा आश्चर्य से कालिया की तरफ देखती हुई मुस्कुराती हुई बोली,"कुछ स्पेशल पर तुमकों नहीं बता सकती..." पुष्पा के बोलते ही कालिया तुरंत ही "क्यों.." कहते हुए सवाल कर दिया...
पुष्पा,"क्यों बताऊं, खाने को मिल रही है तो बस खाने से मतलब रखो... पेड़ मत गिना करो.." पुष्पा इठलाती हुई कालिया को जवाब दी जिसे सुनते ही कालिया दांत पीसते हुए बोला,"शाली, अभी बताता हूँ तुम्हें..." कालिया कहते हुए पुनः पुष्पा के गालों से होता हुआ गर्दन पर टूट पड़ा जिससे पुष्पा खिलखिला कर हंसती हुई बोली...
"ऐ गाली नहीं , नहीं तो सर फोड़ दूँगी..."पुष्पा उसके बाल पकड़ उसे रोकती हुई बोली... जिससे कालिया हंसे बिना नहीं रह सका...
तभी गेट पर आहट हुई... दोनों एक साथ उधर नजर दौड़ाए तो "ओहहह शिट्ट्ट.." मस्ती के चक्कर में गेट खुली ही रह गई...हड़बड़ा कर जब तक दोनों अलग होते तब तक तो रिंकी अंदर आ चुकी थी और दोनों को ऐसे देख आश्चर्य भरी नजरों से देखने की कोशिश करने लगी... क्योंकि उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रही थी...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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