Saturday, November 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -2

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -2

 और जब केशव ने ये बात बोली तो अपनी आदत से मजबूर उसकी नज़रें उसके लंड वाली जगह पर चली ही गयी...

और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी नज़रें घुमा ली...पर उनमे आ चुका गुलाबीपन केशव से छुपा न रह सका..

केशव : "क्या हुआ दीदी...आप एकदम से चुप सी क्यों हो गयी...''

काजल : "बस...ऐसे ही...उम्म्म्म एक बात पूछू तुझसे केशव...''

केशव : "हाँ दीदी...पूछो...''

काजल : "मैं तुझे कैसी लगती हू...''

केशव : "आप....मतलब...आप तो अच्छी ही हो दीदी...इसमे पूछने वाली क्या बात है...''

काजल : "अरे नही बुद्धू ....मेरा पूछने का मतलब...देखने में ...कैसी हूँ मैं ...''

इतना कहकर उसने अपनी ज़ुल्फो मे हाथ फेरा..अपने खुले हुए बाल पीछे किए...और अपना सीना बाहर की तरफ़ निकाल कर ऐसे पोज़ दिया जैसे कोई फोटो सेशन हो रहा हो वहाँ...

केशव की नज़रें काजल की हर हरकत पर थी...उसके नाज़ुक हाथों का जुल्फे पकड़कर पीछे करना...अपने चेहरे पर उँगलियों को फेरना , बालों को कान के पीछे अटकाना..सब वो ऐसे देख रहा था जैसे वो सब काजल उसके लिए ही कर रही हो..

केशव अपनी बहन की सुंदरता देखकर हैरान हुए जा रहा था...उसे पता तो था की वो सुंदर है..पर इतनी सेक्सी भी है, ये आज ही पता चला उसको..अभी तो उसने कोई मेकअप नही किया हुआ..अपने गुलाबी होंठों पर लाल लिपस्टिक , आँखो मे काजल और चेहरे पर मेकअप करने के बाद तो ये कयामत ही लगेगी

काजल : "क्या सोचने लगे अब....बोलो ना..''

केशव (झेंपता हुआ सा) : "बोल तो दिया दीदी...आप अच्छी हो...चलो अब आगे देखो...मैं दोबारा पत्ते बाँट रहा हू...''

और केशव ने बात बदलते हुए फिर से 3-3 पत्ते बाँट दिए..ये काम उसने इसलिए भी किया था की काजल की ऐसी बातें सुनकर उसके लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया था और वो अंडरवीयर में ऐसे फँस गया था की उसे सही करने के लिए वो अपने हाथ नीचे भी नही कर पा रहा था...क्योंकि अपनी बड़ी बहन के सामने वो कैसे अपने लंड को हाथ लगाता भला..इसलिए उसने बात बदलने में ही भलाई समझी ताकी उसका लंड नीचे बैठ जाए

अब की बार काजल ने पत्ते नही उठाए..

काजल : "पर तुमने तो कहा था की ब्लाइंड चलने के लिए पैसे चाहिए होते है...अब क्या हम दोनो भी पैसो से खेलें क्या ...''

केशव : "नही...उसके बदले कुछ भी रख देते है...''

इतना कहकर वो इधर उधर देखने लगा...

काजल के मन मे तब तक एक बात आ चुकी थी, वो बोली : "एक काम करते है...ब्लाइंड या चाल के बदले हम एक दूसरे से सवाल करेंगे...और सामने वाला उसके जवाब बिल्कुल सच मे देगा...बोलो मंजूर है...''

केशव को समझ नही आया की उसकी बहन करना क्या चाहती है...पर वो समझ चुका था की काजल उसे फंसाना चाहती है , जो भी था,उसमें वो फंसना नही चाहता था

केशव : "क्या दीदी...आप भी ना...इसमे मज़ा नही आएगा...रूको...में पैसे लेकर आता हू...उससे ही खेलते है...या फिर माचिस की तिल्लिया लेकर आता हू, उन्हे आपस मे बाँट लेंगे, उनसे खेलेंगे...''

काजल : "नही...अब तो मैं ऐसे ही खेलूँगी...वरना तुम उठाओ ये पत्ते और जाओ अपने कमरे मे...मुझे भी नींद आ रही है..''

दोनो ही सूरत मे काजल अपना फायदा देख रही थी...अगर वो खेलने के लिए मान जाता तो वो उससे अपनी पसंद के सवाल करके कुछ सच उगलवाती...और अगर वो चला जाता तो रोज रात की तरह चेटिंग वगेरह करते हुए मुठ मारती ...और वैसे भी आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी...पता नही क्यो.


 

वापिस जाने की बात सुनते ही केशव हड़बड़ा सा गया...आज पहली बार तो उसे अपनी बड़ी बहन को ऐसे देखने का मौका मिला था..और उपर से वो थोड़ा नॉटी भी बिहेव कर रही थी...ऐसे मे वापिस जाना मतलब हाथ में आया मौका खो देने जैसा ही था.

हमेशा अपनी 'बहन' को 'बहन' की नज़र से देखने वाला केशव अचानक से ही उसे एक 'लड़की' की नज़र से देखने लग गया..और देखे भी क्यो ना..खूबसूरत तो थी ही वो..अपनी अदाओं का जादू वो ऐसे चला रही थी जैसे कोई किसी को पटाने के लिए करता है...अब उसकी समझ में ये नही आ रहा था की उसकी हरकतों को वो क्या समझे...पर जो भी था अभी तक तो केशव को मज़ा ही आ रहा था...और ऐसे मज़े को वो खोना नही चाहता था..

केशव : "ठीक है दीदी....जैसा आप कहो...''

और वो फिर से वही बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..काजल के होंठों पर विजयी मुस्कान तैर गयी.

काजल ने भी आज से पहले अपने भाई के बारे मे ऐसा नही सोचा था...पर वो सोच रही थी की कैसे वो अब तक रोज रात को इस कमरे मे सोते हुए अपनी चूत की मालिश करती है और बिल्कुल साथ वाले कमरे में ही उसका जवान भाई भी सोता है...उसके इतनी पास रहते हुए वो ये सब काम करती है..सिर्फ़ एक दीवार ही तो है बीच मे...और अगर वो दीवार भी ना हो तो...और वो उसके सामने ही नंगी होकर अपनी चूत रगड़ रही हो तो....ये सोचते ही उसके पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी....उसके होंठ काँपने लगे...उपर वाले भी ...और नीचे वाले भी.

केशव : "अब क्या हुआ दीदी.....आपकी ब्लाइंड है...पूछो ..क्या पूछना है...''

पूछना तो काजल बहुत कुछ चाहती थी..पर फिर भी अपने होंठों को दांतो से काटकर बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोली : "तेरी....तेरी...एक गर्लफ्रेंड थी ना...वो अभी भी है क्या...और क्या नाम है उसका..''

केशव की आँखे गोल हो गयी...उसने तो सोचा भी नही था की ये बातें इतनी पर्सनल भी हो सकती है...

और ये काजल को कैसे पता चला की उसकी एक गर्लफ्रेंड है ...ये बात तो उसने आज तक उसे नही बताई...वो ज़्यादा बाते करता ही नही था काजल के साथ..इसलिए वो हैरान हो रहा था की ये काजल आज एकदम से क्यों उसकी पर्सनल जिंदगी के बारे मे पूछ रही है..

केशव : "वो....थी या नही थी...आप क्यो पूछ रही हो...और आपको कैसे पता की मेरी एक जी एफ थी..''

काजल : "गेम का रूल है ये...तुझे बताना पड़ेगा...मुझे कैसे पता वो बात रहने दे...''

केशव फँस चुका था...वो सोचने लगा की अगर उसे ये बात पता है तो उसके सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नही है..

केशव : "जी...वो अभी भी है...और उसका नाम सारिका है...''

सारिका का नाम सुनते ही काजल का दिमाग़ सुन्न सा हो गया...ये तो उसकी बचपन की सहेली थी...जिसके साथ वो पिछले 2 सालो से बात नही कर रही...दोनो मे किसी बात को लेकर इश्यू हो गया था इसलिए..

पर उसका खुद का भाई, उसकी सबसे करीबी सहेली के साथ लगा हुआ है, ये उसने सोचा भी नही था.

काजल : "सारिका के साथ.....ओह्ह्ह्ह माय गॉड ...पर ये कब से चल रहा है...मुझे तो पता भी नही..''

केशव : "आप एक ही बार मे दो सवाल नही पूछ सकती...अब मेरी ब्लाइंड है..यानी सवाल पूछने की बारी अब मेरी है..''

केशव अपने आप को बड़ा समझदार समझ रहा था उस वक़्त...उसने मुस्कुराते हुए वही प्रश्न अपनी बहन से भी पूछ लिया : "आपका कोई बाय्फ्रेंड है क्या...या कभी रहा हो...क्या नाम है उसका..''

काजल ने सपाट चेहरे से उत्तर दिया : "नही...कोई था ही नही तो नाम किसका बताऊ ..''

बेचारा केशव अपना सा मुँह लेकर रह गया.

वैसे इन बातो का कोई मतलब नही था...दोनो भाई बहन ने आज से पहले कभी इस विषय पर बात नही की थी...उन्हे थोड़ा अटपटा भी लग रहा था...पर मज़ा भी बहुत आ रहा था...ख़ासकर काजल को..वो तो समझ चुकी थी की इस गेम के ज़रिए वो आज सब कुछ उगलवा लेगी केशव से..जो वो हमेशा से उससे पूछना चाहती थी..पर शरम के मारे कभी पूछने की हिम्मत ही नही हुई.

काजल : "अब मेरी बारी...अब ये बताओ...सारिका के साथ तुमने क्या -2 किया है..''

ये उसकी ब्लाइंड थी..

केशव (झल्लाकर) : "आप भी ना दीदी...ये कैसे सवाल पूछ रही है...मुझे शर्म आ रही है..''

काजल : "एक लड़का होकर भी तू ऐसे शरमा रहा है...रहने दे..मुझे नही खेलनी ये गेम शेम ..तू जा अपने कमरे में ..मुझे वैसे भी नींद आ रही है..''

ये तो जैसे उसके स्वाभिमान पर चोट कर दी थी काजल ने...वो एकदम से तैश मे आकर बोला : "मुझे कोई शरम-वरम नही आती ...ये तो तुम्हारा लिहाज कर रहा हू..वरना मुझे ये बाते बताने मे कोई फ़र्क नही पड़ता..''

काजल (चटखारे लेते हुए) : "तो बता ना...चुप क्यों है अभी तक...बोल, क्या-2 किया है तुम दोनो ने अभी तक..''

काजल फुल टू मूड में आ चुकी थी अब तक...और शायद ये भी भूल चुकी थी की वो क्या पूछ रही है और किससे...

केशव : "हमने....वो किस्सस वगैरह ...हग्स....उम्म.....एंड फकिंग भी ....''

लास्ट का वर्ड यानी फकिंग सुनते ही काजल एकदम से सुलग कर रह गयी...दो साल पहले तक, जब तक दोनो की दोस्ती थी, उन्होने यही डिसाईड किया था की अपनी शादी से पहले किसी को भी वो सब नही करने देंगी...पर ये सारिका कितनी चालू निकली...इन दो सालो मे वो कितनी बदल गयी है...कहाँ से कहाँ पहुँच गयी...अपना वादा तोड़ दिया...और चुदवा भी ली...और वो भी उसके खुद के भाई से...

काजल को गुस्सा तो बहुत आया..पर वो कर भी क्या सकती थी...उसकी अपनी लाइफ थी..वो जैसे चाहे , वैसे चलाए...वो बेकार मे ही गुस्सा करके अपना खून जला रही है.

वो थोड़ा नॉर्मल हुई...पर 'फकिंग' शब्द सुनने के बाद वो अपने भाई से नज़रें नही मिला पा रही थी...और ये जानकार भी की छोटा होते हुए भी उसका भाई उससे आगे निकल गया है...यानी किसी के साथ संबंध बना लिया है उसने...और एक वो है...अभी तक अपनी कुँवारी चूत की घर बैठकर मालिश कर रही है बस...

उसके मन मे आया की 'काश....ऐसी कोई जगह होती..जहाँ कभी भी , कोई भी जाकर चुद सके..बिना कोई सवाल पूछे..बस वहाँ जाए, और चुदाई करनी या करवानी शुरू कर दे...तो वो भी वहाँ जाती और अपने प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लेती...'

ऐसे बे-सिर-पैर के ख़याल अक्सर उसके दिमाग़ मे आते रहते थे.



 अब केशव की बारी थी...पर उसकी समझ में नही आ रहा था की वो पूछे भी तो क्या पूछे ...उसकी बहन ने वो काम अभी तक नही किए थे...तो कैसे वो आगे की बाते पूछे..वो पूछना चाहता था की 'दीदी,आपने किसी के साथ कोई संबंध नही रखा,पर क्या आपने आज तक मूठ भी नही मारी..आपको कुछ होता नही है क्या अंदर से...'

पर वो ऐसा पूछ नही पाया...

फिर अचानक वो बोला : "आप ये बताओ...ये कैसे पता चला की मेरी एक गर्लफ्रेंड है...मैने तो आज तक आपको बताया नही..और सारिका से तो आपकी 2 सालो से बोलचाल बंद है..फिर पता कैसे चला..''

काजल ने सिर झुकाते हुए धीरे से कहा : "वो....मैने....कई बार...तुम्हारे मोबाइल पर मैसेजस पड़े हैं...इसलिए...''


केशव : ओह तेरी.....तो ऐसे पता चला काजल को...'

और काजल को उसका नाम शायद इसलिए नही पता था क्योंकि उसने अपने मोबाइल मे सारिका को ''शोना'' के नाम से सेव किया हुआ था..और ये नया नंबर था, इसलिए काजल समझ नही पाई की ये ''शोना'' असल मे उसकी पक्की सहेली सारिका ही है.

केशव : "चलो कोई बात नही...अब तो आपको पता चल ही गया है...अब आप फिर से ब्लाइंड यानी कुछ और पूछना चाहती हो तो पूछो ...वरना अपने पत्ते खोलकर चाल चलो...''

काजल के पास तो काफ़ी सवाल थे...पर पहली बार मे ही वो सब पूछकर वो केशव को भगाना नही चाहती थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए..पर ये पत्ते उसकी समझ मे नही आए...

केशव ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गया..पर काजल के प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर बोला : "क्या हुआ दीदी...पत्ते ठीक नही आए क्या...''

काजल : "पता नही...ये देखो ज़रा...''

उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए...वो थे इक्का, बादशाह और बेगम...

केशव : "यार दीदी....आप तो कमाल हो...पता है ये क्या है....सबसे बड़ी सीक्वेंस ...इनको तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ट्रेल ही काट सकती है..जो बड़ी मुश्किल से आती है...जैसी आपके पास पिछली बार आई थी..इक्के की ''

और फिर केशव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर ..सीक्वेंस ...सभी की जानकारी दी उसने..

केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''

काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''

वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...

केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...

केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''

काजल : "क्या ???"

और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..

और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...

काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''

केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''

वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला

काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''

और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी

अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...

उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...वो हारकर पस्त हो जाती है..पर केशव अपनी हार नही मानता...और शायद इसलिए वो पिछले 1 साल से किसी और की तरफ देखती तक नही है...ऐसी चुदाई करने वाला बी एफ आसानी से थोड़े ही मिलता है आख़िर.

केशव : "चलो , छोड़ो अब ये सब सच बुलवाने वाली गेम्स...मेरे दिमाग़ मे कुछ आ रहा है...वो चेक करने दो पहले मुझे...''

और फिर से उसने दोनों को 3-3 पत्ते बाँटे...और फिर बिना ब्लाइंड या चाल चले केशव ने दोनो के पत्ते पलट कर सीधे कर दिए..

केशव ने अपने पत्ते देखे...ऐसे ही थे..बेकार से...पर काजल के पत्ते इस बार भी कमाल के थे...उसके पास पान का कलर आया था...

केशव ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया...इस बार भी काजल के पास इकके का पेयर आया...

वो फिर से पत्ते बाँटने लगा

काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''

केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''

और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...

आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''

काजल : "हाँ तो....''

केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''







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