Sunday, November 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........9

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........9

 कुछ देर तक दोनों स्मूच करती रही... पुष्पा के लिए ये बिल्कुल अनोखे पल थे... जिंदगी की पहली किस लड़कियों के संग... पुष्पा अपनी आँख बंद की किस में पूरी तरह लीन थी... तभी पुष्पा जोर से उछलती हुई डॉली को झटके देती उठ बैठी...

डॉली गिरते गिरते बची बेड से... वो सोच में पड़ गई आखिर क्या हो गया इसे अचानक... सामने रिंकी खड़ी जोर से हंस रही थी... उसे समझते देर नहीं लगी कि रिंकी जरूर कुछ की है... वो रिंकी की ओर देखती हुई बोली,"कमीनी मैं तुझे डिस्टर्ब की थी जो मुझे कर दी...रूक बताती हूँ..."

डॉली,"ऐ मुझे थोड़े ही पता था कि इसके गहने छुऩे पर ये ऐसे भड़केगी... मैं तो और डबल इंज्वाय करने की सोच नीचे बस हाथ ही तो रखी थी... ही.. ही... ही.. "

रिंकी की बात सुन डॉली भी हंस पड़ी और एक दो गाली रिंकी को तोहफे में दे डाली... फिर वापस पुष्पा के बगल में बैठ गई और उसकी तरफ देखने लगी... पुष्पा जोर जोर से सांस लेती हुई शर्म से सर झुकाए मुस्कुरा रही थी... वो शर्मीली थी नहीं पर आज ये दोनों उसे शर्म की दुनिया से वाकिफ करवा दी थी...

डॉली उसे मुस्कुराते भांप पुनः मजे करने की सोच उसके कंधे पर हाथ रख चेहरा अपनी तरफ करनी चाही... पुष्पा चेहरा घुमाना नहीं चाहती थी अब... रिंकी बस हंसने में लगी हुई थी जबकि डॉली को संतुष्टि नहीं मिली थी... जब डॉली थोड़ी जोर दी तो पुष्पा उसके हाथ पकड़ ली और बोली...

पुष्पा,"प्लीज डॉली, अब नहीं होगी हमसे... बाद में कर लेना..." पुष्पा की बातो में रिक्वेस्ट थी पर कोई नाराजगी नहीं थी... चेहरे पर उसकी खुशी साफ झलक रही थी... डॉली उसकी बात को तुरंत काटती हुई पूछी,"क्यों यार, रिंकी की प्यास तो बुझा दी और मुझे प्यासी छोड़ देगी...प्लीज.."

फिर डॉली रिंकी की तरफ देखती हुई बोली,"और तुम ... देखना है तो शांति से बैठ के देखो वर्ना गेट उस तरफ है...समझी.." रिंकी भी पीछे कहां रहने वाली थी... वो आगे बढ़ पुष्पा के दूसरी तरफ से बैठी और पुष्पा को बांहों में जकड़ बेड पर वापस पलट गई जिससे डॉली भी साथ ही पसर गई...बीच में एक नाजुक सी फूल और दोनों तरफ दो भंवरे लिपटी...

रिंकी,"साली, मेरी गर्लफ्रेंड और हम ही को बाहर जाने कहती है... अब तुम्हें करना है तो करो वर्ना बाहर जाओ..." दोनों की बात सुन पुष्पा बीच में खुद पर होने वाली कहर को याद कर कांपती सी बोली...

पुष्पा,"हे प्लीज, मेरी बात सुनो... पहले मुझे भूख लगी है... मुझे खाना है... " पुष्पा की बात सुनते ही दोनों के मुख से एक साथ सॉरी निकली और दोनों पुष्पा से अलग हो गई और बाहर किचन की तरफ निकल गई... पुष्पा कुछ राहत की सांस ली पर इसमें उसकी सहमति तनिक नहीं थी... वो खुद मजे चाहती थी पर पेट की आग के सामने हार गई... आज उसे सबसे हसीं जिंदगी की महक जो लग गई थी...

दोनों के बाहर निकलते ही पुष्पा ऩठके खड़ी हो गई... बेचारी उसकी पूरी बूर रस से सरोबार हो चुकी थी... इस बार वो मैदान में आती तो उन दोनों को मालूम पड़ जाती कि मैं पेन्टी नहीं पहनी हूं और मस्ती में पानी छोड़ रही हूँ... वो यही सोच के मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस गई...

खुद को फ्रेश की और बाहर निकल आई... ठीक उसी वक्त वो दोनों भी हाजिर हो गई... नजर मिलते ही मुस्कुराए बिना रह ना सकी... पुष्पा आगे बढ़ते हुए दोनों से सवाल कर गई,"तुम लोग का घर कहाँ है..?"

रिंकी,"डॉर्लिंग, हम दोनों का घर यहाँ नहीं है... पड़ोसी जिले से हैं..."रिंकी बस उतनी ही बताई जितनी पुष्पा पूछी... पुष्पा मन में सोच रही थी कि दिखने में और स्वभाव से ये ऐसी लगती नहीं है फिर ये सब कैसे करती है... वो इस बात को जानने की उत्सुक हो गई....

पुष्पा,"..तो इधर कैसे आ पहुँची और ये सब क्यों कर रही.." पुष्पा खाना शुरू कर दी जबकि वो दोनों वापस बेड पर आ बैठ गई... रिंकी बैठते हुए बोली,"वो सब बेकार की और बीती हुई कहानी है तो उसे मत पूछो... बस इतना समझ लो मुझे शुरू से मस्ती करने की आदत थी जबकि इसे मजबूरी में करनी पड़ी..."

पुष्पा एक बारगी तो चौंक सी गई... आजतक तो मजबूरी की कहानी काफी सुनी थी पर आदत इतने गंदे काम की... वो पलट के रिंकी की तरफ देखने लग गई... रिंकी आगे बोली,"हमदोनों बचपन से ही बेस्ट फ्रेंड हैं... दो साल पहले डॉली के पापा का एक एक्सीडेंट में देहांत हो गया और इस सदमे से आंटी जी मतलब इसकी मम्मी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गई... "

"तो फैमिली की पूरी जिम्मेदारी इस पर आ गई... तो ये जॉब के लिए चक्कर लगाने लगी... जहाँ जाती जॉब तो मिल जाती पर पाँ दस दिन में ही इसे असलियत मालूम पड़ जाती कि जॉब क्यों मिली इतनी आसानी से... बस फिर जॉब छोड़ देती..." रिंकी कही जा रही थी और पुष्पा खाते हुए सुन रही थी गौर से...

रिंकी,"उधर मैं शुरू से ही लड़के से अफेयर करती, मस्ती भी करती कुछ से फिर बॉय बॉय कह देती... बस एक दिन पता नहीं कैसे मैं खुद ब खुद इसके साथ जॉब के लिए निकल पड़ी और जॉब ले ली...दो दिन में हम दोनों को ऑफर मिल गई... रात भर मैं सोचती रही और अगले सुबह डॉली से बात कर हम दोनों हाँ कर दी... कुछ दिन तक तो शहर में ही की जिसमें एक दो घंटे लगते...पर अब दिन के हिसाब से काम करती हूँ... बस यही है कहानी..."

पुष्पा तब तक खाना खा ली और हाथ मुँह धो ली...डॉली बर्तन हटा दी और वापस आ पुष्पा के पास आ गई... पुष्पा डॉली के मंसूबे को समझते देर ना की वो पीछे हटती बोली,"प्लीज डॉली, अभी खाना खाई हूँ कुछ देर रेस्ट करने दो..."

तभी रिंकी पुृष्पा के ठीक पीछे आई और सीधे उसके दोनों चुची को जोर से जकड़त ली जिससे पुष्पा हंसती हुई जोर से चीख पड़ी...

रिंकी,"साली, अब हर वक्त नाटक करने की कोशिश करती है... पर हम इस नाटक को मानने वाले नहीं है... जब तक यहाँ हो तब तक मस्त करोगी हमें...बाद में सोची जाऑगी... समझी माई डिअर पुष्पा..." तब तक डॉली भी आगे से आ पुष्पा को जकड़ उसके होंठ के लिए बढ़ने लगी...

पुष्पा,"नहीं... नाटक नहीं कर रही... कुछ देर रेस्ट कर लेती फिर जो मन हो करना मैं मना नहीं करूँगी... बिलीव मी..."पुष्पा की बात सुन दोनों शांत पड़ गए... फिर रिंकी बोली,"पक्का ना...बाद में नाटक नहीं ना करेगी..."

ये सुनते ही पुष्पा गर्दन पीछे की तरफ की और रिंकी के होंठों पर एक छोटी चुंबन जड़ती हुई बोली,"प्रॉमिश..."जिस पर रिंकी मुस्कुराए बिना ना रह सकी...तभी डॉली बोली,"ठीक है पर हम जो करेंगे वो तो करने दोगी ना..."

पुष्पा हंसती हुई डॉली के होंठ चूमी और बोली,"हाँ बाबा, जो मरजी करना...सीख भी तो लूंगी ना कुछ...अब खुश..."

रिंकी,"हाँ मेरी सोन परी...खुश...अब तुम रेस्ट करो... नाइट में फुरस्त मिलते ही आ धमकूंगी...बस किल्ली खोलने में देर मत करना..." और फिर दोनों हंसती हुई बाहर निकल गई और पुष्पा रेस्ट करने बेड पर पसर गई....













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