FUN-MAZA-MASTI
एक भाई ऐसा भी -5
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अब आगे
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और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.
केशव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी केशव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..
बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..
और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए...
और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.
पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..
बिल्लू ने पेक कर दिया.
अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..
और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..
और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''
तब तक उपर से केशव भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..
केशव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''
काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कुरा दिए...पर काजल ने धीरे से केशव के कान मे कहा : "नही केशव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''
केशव फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''
और केशव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.
उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...
वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...केशव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..
पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..
बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..
केशव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..
काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..
पहला 7 नंबर था..
दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..
केशव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी आ जाएगा..
पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
ये तो हद ही हो गयी...ऐसे बेकार पत्ते तो उसके पास भी नही आते थे...और ये अब काजल के पास आ रहे हैं...ऐसा कैसे हो सकता है...क्यों कल की तरह काजल के पास अच्छे पत्ते नही आ रहे...क्यों वो हार रही है...
उसने अपने दाँत पीस लिए और काजल को पेक करने के लिए कहा..
काजल ने पत्ते फेंक दिए..और केशव से धीरे से बोली : "मैने कहा था ना...कल शायद कोई इत्तेफ़ाक था...तुम बेकार मे मुझसे खिलवा रहे हो और हार भी रहे हो...''
और इतना कहकर वो भागती हुई सी किचन मे चली गयी...ये कहकर की चाय बना कर लाती हूँ सबके लिए..
केशव कुछ नही बोल पाया..
इसी बीच बिल्लू और गणेश चाल पर चाल चल रहे थे...दोनो ही झुकने को तैयार नही थे...केशव भी समझ गया की दोनो के पास अच्छे पत्ते आए होंगे...
बीच मे लगभग 8 हज़ार रुपय इकट्ठे हो चुके थे...आख़िर मे जाकर गणेश ने शो माँगा..बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए...उसके पास सीक़वेंस आया था..5,6,7
और बिल्लू के पास कलर था, ईंट का..उसने अपना माथा पीट लिया...वो जीते हुए पैसो के अलावा अपनी जेब से भी 3 हज़ार हार चुका था..
बिल्लू ने हंसते हुए सारे पैसे समेत लिए..
बिल्लू : "हा हा हा ...सो सुनार की और एक लोहार की ...''
केशव बोला : "मैं ज़रा काजल को देखकर आता हू, उसे शायद लग रहा है की उसकी वजह से मैं हार गया...''
बिल्लू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''
केशव भागकर किचन मे गया...काजल रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''
काजल एक दम से रो पड़ी और केशव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''
केशव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे...''
और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''
काजल : "मतलब ??"
केशव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''
काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''
अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...
केशव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''
और काजल की बात सुने बिना ही वो चाय लेकर अंदर आ गया...बेचारी काजल बुरी तरह से फँस चुकी थी...वो बड़बड़ाती हुई सी उपर अपने कमरे मे चल दी...अपना नाइट सूट पहनने...
अगली गेम से पहले सभी चाय पीने लगे...बिल्लू ने पत्ते बाँटने के लिए गड्डी उठाई ही थी की केशव बोला : "रूको ...काजल को भी आने दो...वो बेचारी समझ रही है की उसकी वजह से मैं हार गया...एक-दो गेम और खेलने दो बेचारी को...शायद जीत जाए...वरना रोती रहेगी की उसकी वजह से मैं हार गया.."
उन दोनो को भला क्या परेशानी हो सकती थी...वो तो खुद काजल के हुस्न को देखते हुए खेलना चाहते थे...
गणेश बोला : "पर काजल आएगी कब ?"
तभी उसके पीछे से आवाज़ आई : "आ गयी मैं ...''
और सभी की नज़रें काजल की तरफ घूम गयी...और उसे उसकी नाइट ड्रेस मे देखकर सभी की आँखे फटी रह गयी...
छोटी सी टाइट टी शर्ट और टाइट पायज़ामे में वो सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी...वो दोनो तो आँखो ही आँखो मे उसे चोदने लगे...
और केशव अगली गेम में जीतने वाले पैसों के बारे मे सोचने लगा..
अब तो केशव को पूरा भरोसा था की अगली गेम काजल ही जीतेगी..उसने काजल को अपनी सीट पर बिठाया और बोला : "चलो ....अब आप खेलो दीदी .....देखना , इस बार आप जीतकर रहोगी...''
बैठने के साथ ही उसकी दोनो बॉल्स झटके से उपर नीचे हुई...और उसकी क्लिवेज और भी ज़्यादा उभरकर बाहर आ गयी..केशव की नज़रें तो पत्तो पर थी पर बिल्लू और गणेश के मुँह से तो पानी ही टपकने लगा बाहर...उन्होने अपनी जीभ को होंठों पर फेर कर सारा रस निगल लिया..
अगली गेम शुरू हो गयी
सबने बूट के बाद 3-3 ब्लाइंड भी चल दी..
अगली ब्लाइंड की बारी काजल की थी...केशव ने 100 के बदले सीधा 500 की ब्लाइंड चल दी..
हैरान होते हुए बिल्लू ने भी 500 की ब्लाइंड चल दी..
पर गणेश इस बार डर सा गया...उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...10 नंबर था उसका सबसे बड़ा...उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए पॅक कर दिया.
केशव ने फिर से 500 की ब्लाइंड चली..अब तो बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...उसने रिस्क लेना सही नही समझा और पेक कर दिया..
उसके पेक करते ही केशव खुशी से चिल्ला उठा : "देखा काजल, मैने कहा था...आप जीत गयी...''
पैसे भले ही ज़्यादा नही आए थे...पर पहली जीत थी वो काजल की, दोनों मन ही मन खुश हो गए की उनका टोटका काम कर गया
अब तो काजल भी केशव की कपड़े बदलने वाली बात को सही मान रही थी, उसने कल भी यही कपड़े पहने थे और जीत रही थी...और अभी से पहले दूसरे कपड़े मे वो हार रही थी, पर कल वाले कपड़े पहनते ही वो फिर से जीत गयी...
केशव ने बीच मे रखे सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
और साथ ही साथ सारे पत्ते भी उठा कर वापिस गड्डी में लगा दिए..अभी तक किसी ने भी काजल के पत्ते देखे नही क्योंकि सामने से शो ही नही माँगा गया था..
केशव ने काजल के पत्ते उठाए और गड्डी में डालने से पहले उन्हे देखा.
वो थे 2,5, 7
इतने छोटे पत्ते और वो भी बिना कलर के...उसने उपर वाले का शुक्र मनाया की सामने से किसी ने शो नही माँगा , वरना ये गेम भी वो हार जाते...क्योंकि उसे पूरा विश्वास था की दोनो में से किसी ना किसी के पत्ते तो उससे बड़े ही होते...
पर ऐसा क्यों हुआ....वो तो समझ रहा था की काजल के कपड़े बदल लेने के बाद वो जीतेगा ...पर उसका ये टोटका काम क्यो नही आया...ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था .
उसने मन ही मन कुछ सोच लिया और अगली गेम शुरू हुई.
और पत्ते बाँटने के बाद 2-2 ब्लाइंड चली गयी , पर इस बार केशव ने तीसरी ब्लाइंड चलने से पहले ही काजल के पत्ते उठा कर देख लिए.
काजल के पास थे 9,गुलाम और बादशाह
वो भी बिना कलर के..
पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए 200 की चाल चल दी.
गणेश : "क्या हुआ केशव...पिछली बार तो 500 की ब्लाइंड चल रहा था...और अब जीतने के बाद 100 से आगे ही नही बड़ा...सीधा चाल चल दी...''
केशव कुछ नही बोला...वो तो अपनी केल्कुलेशन मे लगा हुआ था.
पर चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे...और देखने के साथ ही चाल चल दी.
बिल्लू ने अपने पत्ते देखे और उसने भी मंद-2 मुस्कुराते हुए चाल चल दी.
केशव ने तो ब्लफ खेला था..उसके पास वैसे भी चाल चलने लायक पत्ते नही थे...उसने फ़ौरन पेक कर दिया..
अब खेल शुरू हुआ बिल्लू और गणेश के बीच...दोनो चाल पर चाल चल रहे थे...और आख़िर मे जब बीच मे लगभग 6 हज़ार रुपय इकट्ठे हो गये तो बिल्लू ने शो माँग लिया...
गणेश ने अपने पत्ते सामने फेंके..
वो थे 3,4,5 की सीक़वेंस..
उसे देखते ही बिल्लू ठहाका लगाकर हंस दिया...उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए
उसके पास थे 9,10,11 की सीक़वेंस.
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और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.
केशव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी केशव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..
बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..
और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए...
और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.
पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..
बिल्लू ने पेक कर दिया.
अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..
और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..
और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''
तब तक उपर से केशव भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..
केशव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''
काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कुरा दिए...पर काजल ने धीरे से केशव के कान मे कहा : "नही केशव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''
केशव फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''
और केशव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.
उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...
वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...केशव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..
पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..
बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..
केशव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..
काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..
पहला 7 नंबर था..
दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..
केशव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी आ जाएगा..
पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
ये तो हद ही हो गयी...ऐसे बेकार पत्ते तो उसके पास भी नही आते थे...और ये अब काजल के पास आ रहे हैं...ऐसा कैसे हो सकता है...क्यों कल की तरह काजल के पास अच्छे पत्ते नही आ रहे...क्यों वो हार रही है...
उसने अपने दाँत पीस लिए और काजल को पेक करने के लिए कहा..
काजल ने पत्ते फेंक दिए..और केशव से धीरे से बोली : "मैने कहा था ना...कल शायद कोई इत्तेफ़ाक था...तुम बेकार मे मुझसे खिलवा रहे हो और हार भी रहे हो...''
और इतना कहकर वो भागती हुई सी किचन मे चली गयी...ये कहकर की चाय बना कर लाती हूँ सबके लिए..
केशव कुछ नही बोल पाया..
इसी बीच बिल्लू और गणेश चाल पर चाल चल रहे थे...दोनो ही झुकने को तैयार नही थे...केशव भी समझ गया की दोनो के पास अच्छे पत्ते आए होंगे...
बीच मे लगभग 8 हज़ार रुपय इकट्ठे हो चुके थे...आख़िर मे जाकर गणेश ने शो माँगा..बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए...उसके पास सीक़वेंस आया था..5,6,7
और बिल्लू के पास कलर था, ईंट का..उसने अपना माथा पीट लिया...वो जीते हुए पैसो के अलावा अपनी जेब से भी 3 हज़ार हार चुका था..
बिल्लू ने हंसते हुए सारे पैसे समेत लिए..
बिल्लू : "हा हा हा ...सो सुनार की और एक लोहार की ...''
केशव बोला : "मैं ज़रा काजल को देखकर आता हू, उसे शायद लग रहा है की उसकी वजह से मैं हार गया...''
बिल्लू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''
केशव भागकर किचन मे गया...काजल रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''
काजल एक दम से रो पड़ी और केशव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''
केशव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे...''
और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''
काजल : "मतलब ??"
केशव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''
काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''
अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...
केशव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''
और काजल की बात सुने बिना ही वो चाय लेकर अंदर आ गया...बेचारी काजल बुरी तरह से फँस चुकी थी...वो बड़बड़ाती हुई सी उपर अपने कमरे मे चल दी...अपना नाइट सूट पहनने...
अगली गेम से पहले सभी चाय पीने लगे...बिल्लू ने पत्ते बाँटने के लिए गड्डी उठाई ही थी की केशव बोला : "रूको ...काजल को भी आने दो...वो बेचारी समझ रही है की उसकी वजह से मैं हार गया...एक-दो गेम और खेलने दो बेचारी को...शायद जीत जाए...वरना रोती रहेगी की उसकी वजह से मैं हार गया.."
उन दोनो को भला क्या परेशानी हो सकती थी...वो तो खुद काजल के हुस्न को देखते हुए खेलना चाहते थे...
गणेश बोला : "पर काजल आएगी कब ?"
तभी उसके पीछे से आवाज़ आई : "आ गयी मैं ...''
और सभी की नज़रें काजल की तरफ घूम गयी...और उसे उसकी नाइट ड्रेस मे देखकर सभी की आँखे फटी रह गयी...
छोटी सी टाइट टी शर्ट और टाइट पायज़ामे में वो सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी...वो दोनो तो आँखो ही आँखो मे उसे चोदने लगे...
और केशव अगली गेम में जीतने वाले पैसों के बारे मे सोचने लगा..
अब तो केशव को पूरा भरोसा था की अगली गेम काजल ही जीतेगी..उसने काजल को अपनी सीट पर बिठाया और बोला : "चलो ....अब आप खेलो दीदी .....देखना , इस बार आप जीतकर रहोगी...''
बैठने के साथ ही उसकी दोनो बॉल्स झटके से उपर नीचे हुई...और उसकी क्लिवेज और भी ज़्यादा उभरकर बाहर आ गयी..केशव की नज़रें तो पत्तो पर थी पर बिल्लू और गणेश के मुँह से तो पानी ही टपकने लगा बाहर...उन्होने अपनी जीभ को होंठों पर फेर कर सारा रस निगल लिया..
अगली गेम शुरू हो गयी
सबने बूट के बाद 3-3 ब्लाइंड भी चल दी..
अगली ब्लाइंड की बारी काजल की थी...केशव ने 100 के बदले सीधा 500 की ब्लाइंड चल दी..
हैरान होते हुए बिल्लू ने भी 500 की ब्लाइंड चल दी..
पर गणेश इस बार डर सा गया...उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...10 नंबर था उसका सबसे बड़ा...उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए पॅक कर दिया.
केशव ने फिर से 500 की ब्लाइंड चली..अब तो बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...उसने रिस्क लेना सही नही समझा और पेक कर दिया..
उसके पेक करते ही केशव खुशी से चिल्ला उठा : "देखा काजल, मैने कहा था...आप जीत गयी...''
पैसे भले ही ज़्यादा नही आए थे...पर पहली जीत थी वो काजल की, दोनों मन ही मन खुश हो गए की उनका टोटका काम कर गया
अब तो काजल भी केशव की कपड़े बदलने वाली बात को सही मान रही थी, उसने कल भी यही कपड़े पहने थे और जीत रही थी...और अभी से पहले दूसरे कपड़े मे वो हार रही थी, पर कल वाले कपड़े पहनते ही वो फिर से जीत गयी...
केशव ने बीच मे रखे सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
और साथ ही साथ सारे पत्ते भी उठा कर वापिस गड्डी में लगा दिए..अभी तक किसी ने भी काजल के पत्ते देखे नही क्योंकि सामने से शो ही नही माँगा गया था..
केशव ने काजल के पत्ते उठाए और गड्डी में डालने से पहले उन्हे देखा.
वो थे 2,5, 7
इतने छोटे पत्ते और वो भी बिना कलर के...उसने उपर वाले का शुक्र मनाया की सामने से किसी ने शो नही माँगा , वरना ये गेम भी वो हार जाते...क्योंकि उसे पूरा विश्वास था की दोनो में से किसी ना किसी के पत्ते तो उससे बड़े ही होते...
पर ऐसा क्यों हुआ....वो तो समझ रहा था की काजल के कपड़े बदल लेने के बाद वो जीतेगा ...पर उसका ये टोटका काम क्यो नही आया...ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था .
उसने मन ही मन कुछ सोच लिया और अगली गेम शुरू हुई.
और पत्ते बाँटने के बाद 2-2 ब्लाइंड चली गयी , पर इस बार केशव ने तीसरी ब्लाइंड चलने से पहले ही काजल के पत्ते उठा कर देख लिए.
काजल के पास थे 9,गुलाम और बादशाह
वो भी बिना कलर के..
पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए 200 की चाल चल दी.
गणेश : "क्या हुआ केशव...पिछली बार तो 500 की ब्लाइंड चल रहा था...और अब जीतने के बाद 100 से आगे ही नही बड़ा...सीधा चाल चल दी...''
केशव कुछ नही बोला...वो तो अपनी केल्कुलेशन मे लगा हुआ था.
पर चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने अपने पत्ते उठा कर देखे...और देखने के साथ ही चाल चल दी.
बिल्लू ने अपने पत्ते देखे और उसने भी मंद-2 मुस्कुराते हुए चाल चल दी.
केशव ने तो ब्लफ खेला था..उसके पास वैसे भी चाल चलने लायक पत्ते नही थे...उसने फ़ौरन पेक कर दिया..
अब खेल शुरू हुआ बिल्लू और गणेश के बीच...दोनो चाल पर चाल चल रहे थे...और आख़िर मे जब बीच मे लगभग 6 हज़ार रुपय इकट्ठे हो गये तो बिल्लू ने शो माँग लिया...
गणेश ने अपने पत्ते सामने फेंके..
वो थे 3,4,5 की सीक़वेंस..
उसे देखते ही बिल्लू ठहाका लगाकर हंस दिया...उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए
उसके पास थे 9,10,11 की सीक़वेंस.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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