FUN-MAZA-MASTI
दोस्तों अब तक की कहानी में मैंने आप को बताया की कैसे दोस्त की बहन ने मुझे सेड्युस किया और मेरा लंड चूसा. अब इस चूत और गांड चुदाई की कहानी आगे पढ़े.
शीतल दीदी ऐसे लंड चूस रही थी जैसे वो किसी कैंडी को चाट रही हो और उसके अंदर से मलाई निकल के उसके मुहं में जाती हो. उसकी मादकता मेरे बदन में भी आग लगाए हुए थी. पुरे ५ मिनिट उसने लौड़े को ऐसे ही चाटा और फिर उसे बहार निकाल के खडी हुई.
अंकित तूने कभी असली चूत देखी हैं? उसका सवाल आया.
देखि हैं ना दीदी.
किस की देखि हैं.
दीदी, जो मजदूरन पीछे झाडी में हगने जाती हैं उनका बुर मैं और नरेश खिड़की से छिप के देखते हैं.
बड़े बेन्चोद हो तुम दोनों साले, आजा आज मैं तुझे अपनी चूत दिखाती हूँ.
इतना कह के उसने अपनी सलवार को खोल दिया. मेरे सामने शीतल दीदी की झाट से भरी हुई चूत थी. उसकी चूत काली थी, जो उसके हलके रंग से विपरीत थी. शीतल दीदी ने अब चूत में दो ऊँगली रख के उसे खोला. बाप रे अंदर की लाली तो बड़ी सुहानी थी.
दीदी के मुहं से यह सुन के मैं फट से निचे बैठ गया. उनकी एक टांग मेरे कंधे पर आ गिरी. मैं चूत को अपनी जबान से चाटने लगा. दीदी की चूत से मूत की बास आ रही थी लेकिन बड़ा मजा था सच कहूँ तो. मेरी जबान उनके चूत के होंठो से लड़ रही थी और मैं अंदर घुसने का छेद तलाश रहा था. शीतल दीदी ने तभी मुझे रस्ता दिखाया. उन्होंने जैसे ही चूत को दो ऊँगली से खोला मैं अपनी जबान को अंदर पार्क कर दिया. दीदी की सिसकी निकल पड़ी और उन्होंने मुझे कस के अपने बुर पर दबा दिया. मेरी जबान उनकी खारी और मूत की बास वाली चूत में फिर रही थी. दीदी चुदासी हो के आह आह, अंकित मजा आ रहा हैं ऐसी आवाजें अपने मुहं से निकालने लगी.
मेरा लंड टारजन बना हुआ था. मैं दीदी की चूत चाटते हुए अपने लंड का मर्दन करना चालू कर दिया. मेरी बेताबी देख के दीदी हंस पड़ी और बोली, क्या हुआ सब्र नहीं होता तुझ से?
दीदी आप ने कसम से बड़ा बेसब्र बना दिया हैं मुझे.
यह सुन के दीदी ने अपनी टांग निचे ले ली. फिर वो बिस्तर में लेट गई और अपनी दोनों टाँगे साइड में कर दी. उनकी चूत मेरे सामने खुली पड़ी थी, जैसे की फुल का गमला फुल का वेट कर रहा हो. दीदी चूत और गांड चुदाई के लिए रेडी किसी पोर्नस्टार के जैसे ही लग रही थी.
मैंने अपना लंड हाथ में लिया और मैं उनकी दोनों टांगो के बिच में बैठा. शीतल दीदी ने अपने हाथ में थूंक लिया और उसे चूत पर मल दिया. फिर एक हाथ से उन्होंने अपनी चूत खोली और दुसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा. लंड को उन्होंने चूत के होंठो पर 2 सेकंड के लिए रगडा. चूत से जैसे चिकना झरना बहने लगा. मेरे लंड का सुपाड़ा उस चिकनाहट से गिला और चिकना हो गया. दीदी ने फिर उसे अपनी चूत के छेद पर रखा और मुझे आंख से पेलने को इशारा कर दिया. मैं हलके से झटका दिया और दीदी की चूत की पंखड़ियों को खोलता हुआ मेरा बेटा यानी की मेरा लंड उनकी चूत में आधा समा गया. दीदी के बदन में एक झटका लगा और उन्होंने एक लम्बी सांस ली. उस लम्बी सांस में बड़ी ही संतृप्तता के भाव थे. मैं लंड एक मिनिट ऐसे ही रहने दिया और मैं दीदी के बूब्स को चूसने लगा. दीदी आह आह कर के कराह रही थी और मैं अब धीरे से अपने लौड़े को चूत में घिस रहा था. शीतल दीदी ने अब मुझे आँख से और एक इशारा किया, मैंने एक और झटके में लंड को उनकी चूत के हवाले कर दिया. चूत में लंड एकदम टाईट बैठ गया था और दीदी आह आह कर के अब अपनी गांड को हिलाने लगी थी.
मैं भी दीदी के मम्मे मसलता हुआ उसकी चूत को पेलता गया. दीदी की गरम चूत लंड को बड़ा कामसुख दे रही थी. मुठ मार मार के मेरा लंड गरीब हो गया था जिसे आज दीदी अपनी चूत की अमीरी दे रही थी.
ही ही ही, अंकित सीधे सीधे बोलना की तू मेरी गांड मारना चाहता हैं!
मैंने चूत में धक्के लगातार जारी रखते हुए कहा, नहीं ऐसा नहीं दीदी, आप मना करेंगी तो मुझे नहीं करना हैं.
अरे पागल तू तो मेरा हसबंड हैं अभी! तुझे किसी भी चीज के लिए कैसे मना कर सकती हूँ मैं डार्लिंग. कर दे मेरी गांड चुदाई भी तू आज.
मैं खुश हो के लंड को चूत से निकालने ही वाला था की वो बोली, अरे एक बार वीर्य चूत में निकाल दे. गांड नए सिरे से मार लेना.
बात सही थी दीदी की वैसे.
मैंने अपने लौड़े को चूत में और भी जोर जोर से धकेलना चालू कर दिया. दीदी भी अपनी गांड को उठा उठा के मुझे झटके दे रही थी लगातार. 2 मिनिट और चोदा था और मैं निढाल हो गया. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी ने निकल के दीदी की चूत को भिगो दिया. दीदी ने एक लम्बी सांस ली और मुझे गले से लगा लिया.
अब मेरे मन में दीदी की गांड चुदाई करने की योजना आकार ले चुकी थी. मैंने उठ के वहां साइड में पड़ी हुई कोल्ड क्रीम की ट्यूब उठा ली. दीदी ने हंस के मेरी और देखा. वो भी गांड चुदाई के लली रेडी दिख रही थी…!
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दोस्त की बहन--2
दोस्तों अब तक की कहानी में मैंने आप को बताया की कैसे दोस्त की बहन ने मुझे सेड्युस किया और मेरा लंड चूसा. अब इस चूत और गांड चुदाई की कहानी आगे पढ़े.
शीतल दीदी ऐसे लंड चूस रही थी जैसे वो किसी कैंडी को चाट रही हो और उसके अंदर से मलाई निकल के उसके मुहं में जाती हो. उसकी मादकता मेरे बदन में भी आग लगाए हुए थी. पुरे ५ मिनिट उसने लौड़े को ऐसे ही चाटा और फिर उसे बहार निकाल के खडी हुई.
अंकित तूने कभी असली चूत देखी हैं? उसका सवाल आया.
देखि हैं ना दीदी.
किस की देखि हैं.
दीदी, जो मजदूरन पीछे झाडी में हगने जाती हैं उनका बुर मैं और नरेश खिड़की से छिप के देखते हैं.
बड़े बेन्चोद हो तुम दोनों साले, आजा आज मैं तुझे अपनी चूत दिखाती हूँ.
इतना कह के उसने अपनी सलवार को खोल दिया. मेरे सामने शीतल दीदी की झाट से भरी हुई चूत थी. उसकी चूत काली थी, जो उसके हलके रंग से विपरीत थी. शीतल दीदी ने अब चूत में दो ऊँगली रख के उसे खोला. बाप रे अंदर की लाली तो बड़ी सुहानी थी.
दीदी की चूत चाट के चोदी
चाटेगा नहीं इसे तू?दीदी के मुहं से यह सुन के मैं फट से निचे बैठ गया. उनकी एक टांग मेरे कंधे पर आ गिरी. मैं चूत को अपनी जबान से चाटने लगा. दीदी की चूत से मूत की बास आ रही थी लेकिन बड़ा मजा था सच कहूँ तो. मेरी जबान उनके चूत के होंठो से लड़ रही थी और मैं अंदर घुसने का छेद तलाश रहा था. शीतल दीदी ने तभी मुझे रस्ता दिखाया. उन्होंने जैसे ही चूत को दो ऊँगली से खोला मैं अपनी जबान को अंदर पार्क कर दिया. दीदी की सिसकी निकल पड़ी और उन्होंने मुझे कस के अपने बुर पर दबा दिया. मेरी जबान उनकी खारी और मूत की बास वाली चूत में फिर रही थी. दीदी चुदासी हो के आह आह, अंकित मजा आ रहा हैं ऐसी आवाजें अपने मुहं से निकालने लगी.
मेरा लंड टारजन बना हुआ था. मैं दीदी की चूत चाटते हुए अपने लंड का मर्दन करना चालू कर दिया. मेरी बेताबी देख के दीदी हंस पड़ी और बोली, क्या हुआ सब्र नहीं होता तुझ से?
दीदी आप ने कसम से बड़ा बेसब्र बना दिया हैं मुझे.
यह सुन के दीदी ने अपनी टांग निचे ले ली. फिर वो बिस्तर में लेट गई और अपनी दोनों टाँगे साइड में कर दी. उनकी चूत मेरे सामने खुली पड़ी थी, जैसे की फुल का गमला फुल का वेट कर रहा हो. दीदी चूत और गांड चुदाई के लिए रेडी किसी पोर्नस्टार के जैसे ही लग रही थी.
मैंने अपना लंड हाथ में लिया और मैं उनकी दोनों टांगो के बिच में बैठा. शीतल दीदी ने अपने हाथ में थूंक लिया और उसे चूत पर मल दिया. फिर एक हाथ से उन्होंने अपनी चूत खोली और दुसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा. लंड को उन्होंने चूत के होंठो पर 2 सेकंड के लिए रगडा. चूत से जैसे चिकना झरना बहने लगा. मेरे लंड का सुपाड़ा उस चिकनाहट से गिला और चिकना हो गया. दीदी ने फिर उसे अपनी चूत के छेद पर रखा और मुझे आंख से पेलने को इशारा कर दिया. मैं हलके से झटका दिया और दीदी की चूत की पंखड़ियों को खोलता हुआ मेरा बेटा यानी की मेरा लंड उनकी चूत में आधा समा गया. दीदी के बदन में एक झटका लगा और उन्होंने एक लम्बी सांस ली. उस लम्बी सांस में बड़ी ही संतृप्तता के भाव थे. मैं लंड एक मिनिट ऐसे ही रहने दिया और मैं दीदी के बूब्स को चूसने लगा. दीदी आह आह कर के कराह रही थी और मैं अब धीरे से अपने लौड़े को चूत में घिस रहा था. शीतल दीदी ने अब मुझे आँख से और एक इशारा किया, मैंने एक और झटके में लंड को उनकी चूत के हवाले कर दिया. चूत में लंड एकदम टाईट बैठ गया था और दीदी आह आह कर के अब अपनी गांड को हिलाने लगी थी.
मैं भी दीदी के मम्मे मसलता हुआ उसकी चूत को पेलता गया. दीदी की गरम चूत लंड को बड़ा कामसुख दे रही थी. मुठ मार मार के मेरा लंड गरीब हो गया था जिसे आज दीदी अपनी चूत की अमीरी दे रही थी.
दीदी गांड चुदाई के लिए रेडी हुई
दस मिनिट चूत चोदने के बाद मेरे मन में गांड चुदाई का कीड़ा हिला. मैं चूत चोदते हुए दीदी को कहा, दीदी आप ने कभी गांड चुदाई करवाई हैं?ही ही ही, अंकित सीधे सीधे बोलना की तू मेरी गांड मारना चाहता हैं!
मैंने चूत में धक्के लगातार जारी रखते हुए कहा, नहीं ऐसा नहीं दीदी, आप मना करेंगी तो मुझे नहीं करना हैं.
अरे पागल तू तो मेरा हसबंड हैं अभी! तुझे किसी भी चीज के लिए कैसे मना कर सकती हूँ मैं डार्लिंग. कर दे मेरी गांड चुदाई भी तू आज.
मैं खुश हो के लंड को चूत से निकालने ही वाला था की वो बोली, अरे एक बार वीर्य चूत में निकाल दे. गांड नए सिरे से मार लेना.
बात सही थी दीदी की वैसे.
मैंने अपने लौड़े को चूत में और भी जोर जोर से धकेलना चालू कर दिया. दीदी भी अपनी गांड को उठा उठा के मुझे झटके दे रही थी लगातार. 2 मिनिट और चोदा था और मैं निढाल हो गया. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी ने निकल के दीदी की चूत को भिगो दिया. दीदी ने एक लम्बी सांस ली और मुझे गले से लगा लिया.
अब मेरे मन में दीदी की गांड चुदाई करने की योजना आकार ले चुकी थी. मैंने उठ के वहां साइड में पड़ी हुई कोल्ड क्रीम की ट्यूब उठा ली. दीदी ने हंस के मेरी और देखा. वो भी गांड चुदाई के लली रेडी दिख रही थी…!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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