Saturday, November 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--42

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--42                            

अब आगे
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 उसका लंड रश्मि के होंठों को भी छू रहा था...रश्मि को फिर से होश आ गया..और विक्की के आलीशान लंड को अपने मुँह के इतने पास देखकर उससे रहा नही गया और उसने लपलपाति हुई जीभ से उसे चाटना और चुभलाना शुरू कर दिया...और फिर एक जोरदार झटका देते हुए उसे नीचे पलंग पर गिरा दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसके नाग को सहलाने लगी...और फिर देखते ही देखते उसने विक्की के लंड को मुँह मे लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी...विक्की का पूरा शरीर हिल रहा था रश्मि के हर चुप्पे से...वो तो जैसे उसको उखाडकर निगल लेना चाहती थी..

अपनी माँ की ये सब हरकत काव्या उस फोन पर रिकॉर्ड कर रही थी...और साथ ही साथ उसका एक हाथ अपनी खुद की पेंटी के अंदर भी घुस गया और वो अपनी नन्ही सी चूत को सहलाकर उसे सांत्वना देने लगी की जल्द ही उसका नंबर भी आएगा...पापा करेंगे उसके साथ ठीक वैसा...जैसा इस वक़्त विक्की कर रहा है उसकी माँ के साथ...

रश्मि ने विक्की के लंड को बुरी तरह से उधेड़ डाला...ऐसे जंगली तरीके से उसको चूसा की बेचारा दर्द और मज़े से कराह उठा..

''अहह ....धीरे आंटी ......आप तो खा ही जाओगे आज....''


 रश्मि पूरी तरह से प्यासी चुड़ैल बन चुकी थी....वो बोली : "हाँ ....खा जाउंगी .... इतने दीनो के बाद जवान लंड मिला है....ऐसे लंड को खा ही जाउंगी आज ....''

विक्की ने बड़ी ही मुश्किल से उसके मुँह से अपने लंड को बाहर खींचा और एक बार दोबारा रश्मि को नीचे पटक दिया...और उसके मुम्मों को चूसता हुआ अपने लंड को उसने रश्मि की चूत पर रखकर ज़ोर से धक्का दिया...और रश्मि ने ज़ोर से हुंकारते हुए उसे अंदर ग्रहण कर लिया..

''अहहगगगगगगगघह ..... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... .उफफफफ्फ़ क्या फील है तेरे लंड की ................अहह .....यही तो मैं चाहती थी कब से.................. उम्म्म्ममममममममममम.....अब जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे......अहह....ज़ोर से धक्के मार ....और ज़ोर से ......ऐसे ही ................येस्स .............शाबाश .............और तेज .......और तेज ........''

और अपनी माँ के ऐसे रंडी वाले रूप की कुछ तस्वीरें भी खींच ली थी काव्या ने छुप -छुपकर...अब उसे पता था की दोनों कभी भी झड़ सकते हैं ....इसलिए उसे जल्द से जल्द अपना काम निपटना होगा..

उसने जल्दी से फोन पर अपना ईमेल-आईडी खोला और गैलरी में सेव की हुई वीडियो और पिक्स को अटेच करके खुद की ही मैल आईडी पर ईमेल भेज दिया..सेंड करने के बाद उसने इनबॉक्स चेक किया तो वो मैल आ भी चुकी थी...फिर उसने लॉगआउट किया और गैलरी में जाकर वो वीडियो और पिक्स को डिलीट कर दिया..और फिर वो मैनेजर के पास गयी और उसका मोबाइल वापिस करके अंदर आ गयी..

तब तक रश्मि और विक्की अपनी चुदाई के अंतिम पड़ाव पर थे..

अंदर घुसते हुए उसे विक्की की तेज आवाज़ सुनाई दी..

''अहह ...ऑश आंटी .......आई एम कमिंग .......''

रश्मि : "आ जाऔ.......मेरे अंदर ही निकाल सारा माल .............अहह ....ऑश यसस्स्स्स्स्स्सस्स .... उम्म्म्मममममममम ...''

और विक्की की मलाई को अपनी चूत की ब्रेड पर लगाकर और महसूस करते हुए वो भी एक बार और झड़ने लगी...

और विक्की उसके उपर ओंधा गिरकर ज़ोर-2 से हाँफने लगा.

रश्मि कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रही ...और जब 2-3 मिनट के बाद उसने अपनी आँखे खोली तो एकदम से चिल्ला कर उठ बैठी..

पलंग के बिल्कुल सामने काव्या खड़ी थी....उसके चेहरे पर गुस्से वाले एक्शप्रेशन लेकर ...

रश्मि : "काव्य्आआ ??? तुमssssssssssssssssssssssssssssssss .......''






रश्मि ने जल्दी से अपने नंगे बदन को चादर से ढक लिया...पर विक्की ने ऐसा कुछ नही किया...वो आराम से तकिये को पीछे लगा कर उन माँ बेटी का तमाशा देखने लगा..

रश्मि : "तुम....तुम अंदर कैसे आई...?"

काव्या : "दरवाजा खुला था माँ ...तुम तो अपनी हवस की आग मे इतनी अँधी हो गयी थी की ये भी ख्याल नही रहा की बाहर का दरवाजा खुला हुआ है..''

पर ये तो विक्की की ग़लती थी...बाद में तो वही आया था अंदर..

रश्मि ने विक्की की तरफ घूर कर देखा...जैसे वही इस साजिश के पीछे हो..

विक्की ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया...वो अभी भी पूरा नंगा होकर बैठा था...अपनी टांगे फेलाकर...वो भी इसलिए की काव्या अच्छी तरह से देख ले की वो क्या मिस कर रही है..

रश्मि का मुँह शर्म से नीचे हो गया..

काव्या : "वाह ...माँ वाह ...तुम तो मेरे और विक्की के बीच संबंध सुधारने आई थी...पर तुमने तो मेरे ही प्यार पर डाका डाल दिया...क्या ऐसी होती है माँ ..क्या यही प्यार है आपका मेरे लिए...''

काव्या अच्छी तरह से जलील कर रही थी अपनी माँ को...ताकि बाद मे कभी वो उसके सामने ज़्यादा मुँह ना खोल सके और अवेध संबंधों पर उसको कोई भाषण ना दे सके..

वो बोल तो अपनी माँ को रही थी..पर उसकी नज़रें विक्की के नंगे बदन पर फिसल रही थी...जो बड़ी ही बेशर्मी से उसे अपना आधा खड़ा हुआ लंड दिखाकर लुभा रहा था..काव्या भी जब ये सब अपनी माँ को बोल रही थी तो उसने विक्की को देखकर एक आँख भी मारी...ताकि वो भी समझ जाए की यही था उसका प्लान...और काव्या का विक्की को बेइज्जत करने का कोई इरादा नही है...विक्की भी इतना बेवकूफ़ नही था...वो भी समझ चुका था की काव्या इसलिए अपनी माँ को साथ लाने के लिए ज़ोर दे रही थी ताकि वो उन्हे रंगे हाथों पकड़ सके..और इसलिए विक्की भी जान बूझकर अंदर आते हुए बाहर का दरवाजा खुला छोड़ आया था..

पर ये बात अभी तक काव्या को नही पता थी...वो उसे बाद में ये बात बताकर इसका इनाम लेना चाहता था.

रश्मि काफ़ी देर तक उसकी बातें सुनती रही और फिर धीरे से बोली : "तुम जैसा समझ रही हो वैसा बिल्कुल नही है काव्या...हालात ही ऐसे बन गये थे की मैं इस दलदल मे गिरती चली गयी...मुझे पता ही नही चला की कब मेरे दिमाग़ पर जिस्म की प्यास ने कब्जा करके अपना हुक्म चलाना शुरू कर दिया...उस दिन विक्की ने जिस तरह मेरी जान बचाई थी..और जब से मैने इसका...ये...देखा..'' उसने विक्की के लंड की तरफ इशारा किया.. ''तो मैं पागल सी हो गयी थी....ये सच है की समीर ने मुझे फिर से जीने की वजह दी है...उनकी वजह से ही मैं फिर से अपने शरीर से मिलने वाले सुख को भी महसूस कर पा रही हू...पर पता नही क्या जादू था इसके टच मे...मैं बहक गयी...और बस हमेशा इसी के बारे मे सोचने लगी...और आज जब मौका मिला तो हमसे रहा नही गया...वरना विक्की ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहता था...ये तो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही अपना प्यार बचा कर रखना चाहता था...ये सब मेरी वजह से हुआ है...मैने ही अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद की है..''

इतना कहकर वो ज़ोर-2 से रोने लगी...अब काव्या को भी लगा की ये सब कुछ ज़्यादा ही हो रहा है....वो अपनी माँ को इतना भी जलील नही करना चाहती थी की वो अपनी नज़रों में ही गिर जाए...या फिर ऐसा ना हो की वो कोई ग़लत कदम उठाकर अपनी जिंदगी ही ख़त्म कर ले...

ये विचार आते ही काव्या एकदम से घबरा गयी....वो लपककर अपनी माँ के पास पहुँची...और उसके गले से लिपट गयी. : "नही माँ ...ऐसा मत बोलो....मुझे बुरा ज़रूर लगा पर इतना भी नही .... आपकी खुशी मेरे लिए सबसे बढ़कर है....''

और भाव विभोर सी होकर वो अपनी माँ को सांत्वना देने लगी जैसे ये सब उसके लिए कुछ मायने ही नही रखता..

उसकी बात सुनकर एकदम से रोती हुई रश्मि चुप हो गयी और अपनी बेटी को देखने लगी...: "सच.....तू सच कह रही है ना.....''

काव्या : "हा, माँ , मुझे आपके और विक्की के इस संबंध से कोई प्राब्लम नही है...''


विक्की पास मे ही बैठा हुआ उन माँ बेटी का ये नाटक देख रहा था...उसने देखा की बात करते-2 रश्मि की चादर ढलक कर नीचे गिर गयी है और वो उपर से नंगी होकर अपनी बेटी के सामने बैठी है...विक्की को साइड से रश्मि का मोटा स्तन बड़ा ही आकर्षक लग रहा था..

रश्मि ने अपनी बेटी की दरियादिली पर उसे फिर से अपने गले से लगा लिया...गले लगने के बाद काव्या का चेहरा विक्की की तरफ था...जो अपना लंड हाथ में लेकर मसलने लगा..और थोड़ा आगे खिसककर वो अपने लंड को काव्या के हाथ के बिल्कुल पास ले आया जिसे वो रश्मि की पीठ के निचले हिस्से पर सहला रही थी और वहाँ लेजाकर उसे उसके हाथ से टच करा दिया ..विक्की के लंड पर हाथ लगते ही काव्या एकदम से चोंक गयी और झटके से उठ खड़ी हुई..

काव्या : "विक्की .....ये क्या बदतमीज़ी है.....मुझे क्यो टच करवा रहे हो...''

रश्मि ने भी घूमकर उसकी तरफ देखा...और खड़े हुए लंड को फिर से एकबार इतनी पास देखकर उसका ईमान फिर से डोलने लगा...पर अपनी बेटी के सामने वो इतनी भी बेशर्मी नही दिखना चाहती थी....उसने भले ही ये बात कह दी थी की उसे कोई फ़र्क नही पड़ता, पर इसका ये भी मतलब नही है की वो अभी के अभी फिर से शुरू हो जाए, उसके सामने ही...

फिर उसके मन मे विचार आया की वो बेकार मे इन दोनो के बीच कबाब मे हड्डी बन गयी ....उसे थोड़ी देर के लिए उन्हे अकेला छोड़ देना चाहिए...और ये सोचकर वो काव्या से बोली : "मैं थोड़ी देर गर्म पानी से नहाना चाहती हू....तुम दोनो बाते करो तब तक...''

और रश्मि ने बड़ी ही बेशर्मी का परिचय देते हुए वो चादर वहीं छोड़ दी और ऐसे ही नंगी उठकर अंदर चल दी..उसकी मटकती हुई गांड देखकर विक्की ने एक आह सी भारी...

अंदर जाकर रश्मि ने दरवाजा बंद किया और गर्म पानी भरकर टब में लेट गयी और आँखे बंद करके माहोल का मज़ा लेने लगी..


रश्मि के अंदर जाते ही विक्की एकदम से उठा और काव्या की तरफ बढ़ने लगा..वो घबराकर दीवार से जा चिपकी.

काव्या : "नही विक्की....रुक जाओ....मेरे पास मत आओ...''

पर विक्की अपने लंड को मसलता हुआ उसकी तरफ ही बढ़ता चला गया.

विक्की : "अब तो सब कुछ तुम्हारे हिसाब से ही हो गया...मैं जानता हू की तुम यही चाहती थी की तुम्हारी माँ और मैं ये सब करे...अब इसके पीछे तुम्हारा क्या मकसद है ये तो मुझे नही पता, पर मुझे तुमने एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया है अपनी गेम में ...और मैं इस तरह से अपने आप को इस्तेमाल होने नही देता...''

काव्या :"तुम्हे इसका फल भी तो मिल गया ना...तुम तो शायद सोच भी नही सकते थे की ऐसी औरत तुम्हे मिलेगी जिसे देखकर हर आने जाने वाला मुड़कर ज़रूर देखता है...ये सब मेरी वजह से ही हुआ है...''

विक्की चलता हुआ उसके बिल्कुल करीब पहुँच गया...उसका खड़ा हुआ लंड उसके नंगे पेट से टच कर रहा था..क्योंकि उसने अभी तक स्वीमिंग सूट ही पहना हुआ था..

और खड़े लंड का टच एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल करके लड़के अपना काम निकलवाते हैं...और इसका असर काव्या पर भी होने लगा था..

एक घंटे पहले तक तो थोड़ी देर के लिए वो भी बहक गयी थी...और शायद पहले ये सब होता तो वो मना नही करती...पर अब उसका काम हो चुका था...वो अपनी माँ के खिलाफ वो सबूत इकट्ठे कर चुकी थी जिसका इस्तेमाल करके वो उसे बाद में उसका चेहरा दिखा सकती थी..अगर वो उसके और समीर के संबंधो पर कोई सवाल उठती तो...

पर अभी के लिए विक्की का कुछ ना कुछ तो करना ही था..और वो जानती थी की उसे प्यार से ही हेंडल किया जा सकता है..

काव्या ने एकदम से उसके उफान खाते हुए लंड को पकड़ लिया और अपने सपाट पेट पर मसलने लगी...

और बड़े ही सेक्सी लहजे मे बोली : "देखो विक्की....आज के लिए तो तुमने अपने दोस्त को मज़ा दिलवा ही दिया है....मेरा पहले तुमसे ऐसा कुछ भी करने का कोई भी इरादा नही था...क्योंकि तुम मुझे शुरू से ही अच्छे नही लगते थे...पर आज तुमने स्वीमिंग पूल मे जो मुझे मज़े दिए...और मेरी माँ के साथ जो तुमने किया, उसके बाद मेरा भी मन कर रहा है तुम्हारे साथ हर हद से गुजरने का...पर आज नही...मुझे कुछ दिन का समय दो..मैं खुद तुम्हारे पास आउंगी ...और जैसा तुम कहोगे...वैसा ही करूँगी...''

वो बड़े ही प्यार से उसे समझा भी रही थी और अपने नर्म हाथों से उसके लंड को सहला भी रही थी...ऐसी हालत मे भला कोई भी मर्द कैसे मना कर सकता है.

विक्की : "ओके ...मैं आज तुम्हे फोर्स नही करूँगा...पर इसका कुछ तो इलाज कर दो आज के लिए...''

काव्या समझ गयी की आज के लिए तो उसे कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा...

वो धीरे-2 नीचे झुकती चली गयी...उसकी आँखे मे देखते-2 उसने विक्की के लंड को अपने मुँह मे लिया और निगल गयी...



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