Saturday, November 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI जेठ जी के अहसान --6

FUN-MAZA-MASTI

 जेठ जी के अहसान --6  


सुबह नींद देर से खुली , बदन में दर्द था पर हैंगओवर नहीं हुआ था ! भैया अभी भी नींद में थे , कुछ बड़बड़ा रहे थे , और चूसो , और चाटो मेरा लण्ड मेरी सोनी , मेरी रानी !यानी भैया नींद में भी मेरे साथ ही लगे थे , क्या ताक़त थी इस मर्द में , दिन में दो बार लम्बी लम्बी चुदाई के बाद भी , नींद में भी चुदाई में ही लगे थे ! रात को जहाँ तक मुझे याद था , मैं नीचे और भैया ऊपर थे , लेकिन सुबह मैं ऊपर थी ! भैया का लण्ड अभी भी चूत में ही था ! आज कुछ टाइट लग रहा था , मेरे हिलाने डुलाने पर भी निकला नहीं , शायद नींद में मुझसे अपना लण्ड चुसवा रहे थे, और लण्ड को सोने या जागने से मतलब नहीं था ! बहुत कोशिश के बाद मैंने चूत से लण्ड को निकाला , पूरा कीचड़ हो गया था , पहले अपना साफ़ किया और फिर भैया का लण्ड साफ़ किया !बिस्तर पर भी भैया और मेरा पानी जो अब बहुत गाढ़ा हो चूका था,फ़ैल गया था, शायद चूत में रहने के कारण सूख नहीं पाया था ! जल्दी से फ्रेश होकर चाय बनाने किचन में आ गयी , सोचा भैया को चाय के साथ उठाऊंगी ! भैया का हुकुम था की कपडे नहीं पहनने हैं ,इसलिए नंगी ही चाय बनाने लगी ! अभी पानी उबलने को ही था , की पीछे से भैया के लण्ड का स्पर्श मेरी गाँड को हुआ , पूरा सख्त था ! फिर एक हाथ में मेरी चूची लेकर दूसरे हाथ से मेरी कमर और बदन सहलाने लगे ! मैं एकदम से गनगना उठी ! सर को थोड़ा पीछे कर भैया को चूमने लगी ! भैया अब रुकने वाले नहीं ,ये सोचकर मैंने गैस बंद कर दी , अब पानी की जगह मैं उबल रही थी ! भैया वैसे तो 45 साल के थे , पर जोश 20 साल के लड़को की तरह था , हरदम चोदने को तैयार ! लण्ड की हालत देख कर मैं समझ गयी की अब मुझे चुदने से कोई रोक नहीं सकता !भैया का चूमना चाटना चालू था , मेरे बदन को चाट चाट कर इतना गीला कर दिया कि नहाने कि जरुरत नहीं रह गयी थी ! मैं अब ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी , टांगों में कमजोरी सी आ रही थी ! भैया ने मुझे पलट दिया और मुझे किचन के स्लैब पर बिठा दिया ! मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगे , और बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेते थे ! मुंह का सारा रस चूस लेने के बाद जेठ जी ने मेरी चूचियो को चूमना और मसलना शुरू कर दिया ! पहले कभी मेरी चूची ने इतना सुख मुझे नहीं दिया , जितना जेठ जी ने पिछले तीन चार दिनों में दे दिया था ! जब वो होठों से मेरे चूचक से दूध पीने कि कोशिश करते तो पूरे बदन में आग सी लग जाती थी ! मेरी गोरी गोरी चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी , घुंडी भी कड़ी हो गई थी !भैया ने जोश में कई बार दांत से भी काट लिया था , जिससे निशान पड़ गए थे ! भैया का लण्ड मेरी चूत और जांघों के बीच रगड़ खा रहा था , लण्ड से लसलसा सा पदार्थ मेरी जाँघों पे फिसलन पैदा कर रहा था !मेरी चूत भी अब पूरी तरह गीली थी ! भैया ने धीरे धीरे नीचे आते हुए मेरी चूत और जांघों को भी चाटने लगे ! थोड़ी देर तक चाटने के बाद , मुझे एक स्टूल पर बिठा दिया , और अपना एक पैर किचन के स्लैब के ऊपर ऐसे रखा कि उनका लण्ड ठीक मेरे मुंह पे था ! मैं इशारा समझ गई और , हाथ से लण्ड को पकड़ कर सुपाड़े को मुंह में भर लिया ! मुंह के अंदर जीभ चाटने का काम करने लगे , फिर मैंने लण्ड को मुंह में आगे पीछे करना शुरू कर दिया ! जीभ से भैया के लण्ड को चाटने लगी , अब मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था , लण्ड चाटना ! भैया जोश से भरते जा रहे थे , मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया ! मेरे मुंह में अपने लण्ड रखकर मेरे चेहरे को दोनों हाथों में ले लिया और मुंह में ही पेलना शुरू कर दिया , ये एक और नया अनुभव था , अच्छा भी लग रहा था ! भैया का लण्ड अब बढ़ता ही जा रहा था , मेरे मुंह को दर्द होना शुरू हो गया , मेरी सांस बीच बीच में रुक जाती थी ! लण्ड कि मोटाई इतनी थी कि पूरा मुंह भर गया था , और भैया लण्ड भी गले तक उतार देते थे , अब मैं छटपटाने सी लगी थी , लगा कि अब सांस ही रुक जायेगी ! मैंने सहारे के लिए उनकी जांघें पकड़ रखी थी , मैंने उसपर नाख़ून चुभो दी , भैया को तब जा कर अहसास हुआ कि मुझे परेशानी है ! अब भैया ने मुझे वापस स्लैब पर बिठा दिया , मेरे दोनों टाँग फैलाये , और लण्ड चूत पे टिका के दवाब डाला ! मेरी चूत तो पहले से ही तैयार थी , रास्ता मिलते ही लण्ड थोड़ा अंदर घुस गया ! भैया लण्ड को आगे पीछे कर के मुझे चोदने लगे !पहले चौथाई लण्ड से थोड़ी देर तक चोदते रहे, फिर मुझे थोड़ा आराम मिलते ही आधे लण्ड से चोदने लगे ! भैया कि चुदाई में एक लय होती थी, जैसे कोई साधा हुआ सुर छेड़ रहे हों , पहले धीरे धीरे , फिर रफ़्तार बढ़ाते बढ़ाते , अंत में तेज और तेज , बहुत तेज ! मेरी चूत भी अब जेठ जी के लण्ड को अच्छे से जान गई थी , जैसे ही वो रास्ता मांगते , ये और फ़ैल कर स्वागत करती थी !अब जेठ जी का लण्ड पूरा अंदर बाहर हो रहा था , मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था , पर चुदाई के मज़े के आगे सब भूल जाती थी ! लण्ड सटासट अंदर बाहर हो रहा था , पर जेठ जी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ! फिर अचानक से रुके , लण्ड बाहर निकला ! लण्ड मेरे चूत का रस पीकर तेल लगाये पहलवान कि तरह लग रहा था, इतना बड़ा और मोटा था कि अगर मैं अभी चुद नहीं रही होती तो , डर से मर जाती ! भैया ने मुझे फर्श पर खड़ा कर उल्टा किया , और मुझे स्लैब पर झुका दिया ! मैंने डर रही थी कि कहीं गाँड न मार ले , पर उन्होंने मेरे चूतड़ को चौड़ा कर के चूत के छेद में लण्ड डाल दिया , सरसराता हुआ लण्ड अंदर फिसल गया ! उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ रखा था , उन्होंने दोनों हाथ से मेरे दोनों चूचियों को सम्हाल लिया था , और जोर जोर से दबा रहे थे ! मैंने अपना मुंह थोड़ा सा पीछे कर लिया था और एक दूसरे को चुम रहे थे, और चूस रहे थे !फच्च फच्च कि आवाज़ से पूरा किचन गूँज रहा था ! जेठ जी का लण्ड अपने पूरे जोश में अंदर बाहर हो रहा था , हर बार बाहर निकलते समय दो चार बूँद मेरी चूत से टपक कर फर्श पर गिर जाती थी , मैंने दोनों टांग फैला रखे थे , इसलिए फिसलने से बची हुई थी ! जेठ जी का जोश देख कर लग रहा था कि आज लगता है मेरी चूची उखाड़ लेंगे !अभी तक इतना सम्हालकर मैंने अपनी चूची रखी थी , जेठ जी ने मसल मसल कर ढीले कर दिए थे ! अब भैया कि साँसें उखड रही थी , लगता था छूटने वाले हैं ! मैं तो सातवें आसमान पर थी , इस पोजीशन में कभी नहीं चुदी थी , बहुत अच्छा लग रहा था ! किचन को मैं खाना बनाने का जगह समझती थी , पर जिस स्लैब पर रखे चूल्हे पर मैं रोटी सेंकती थी , भैया ने मेरी चूत की आंच पर लण्ड सेक रहे थे ! अब भूचाल आने ही वाला था ! जोर की गड़गड़ाहट की आवाज़ आई और लगा अंदर बादल फट गया है और सैलाब आ गया है ! शायद इतना वीर्य मेरी चूत में पहली बार गया है ! ओवरफ्लो हो रहा था , चूत से रस लगातार टपक रहा था ! मैं स्लैब पर लेट सी गयी , जेठ जी भी मेरे ऊपर ही लेट कर अपनी साँसों पर काबू पा रहे थे , निढाल हो गए थे !मैंने अपना चूतड़ हिला कर जेठ जी को जगाया , उन्होंने धीरे से अपना लण्ड बाहर खींचना शुरू किया , लण्ड को हिलाते डुलाते लण्ड को बाहर खीच लिया ! छप छप की आवाज़ के साथ ढेर सारा वीर्य मेरे चूत के पानी के साथ नीचे गिरे और फर्श पर फ़ैल गए ! चूत से बाहर सारा रस मेरी जांघों पर से होते हुए मेरे पैर को भिगो रहे थे !भैया का लण्ड भी रस से सराबोर था ! वैसी ही हालत में हम दोनों एक दूसरे को सहारा देकर बैडरूम में आ गए , लण्ड और चूत की सफाई की और बिस्तर पर निढाल हो गए ! किचन से लेकर बैडरूम तक वीर्य की बूंदें टपक टपक कर निशान लगा रही थी ! हमारा हनीमून इतना जबरदस्त होगा , मैंने नहीं सोचा था ! अभी आठ दिन और बचे है दीपक के आने में , पता नहीं क्या होना है आगे ! इतने घमासान के बाद आराम करना जरुरी था , हम दोनों ही अपनी अपनी दुनियां में खो गए ! 

किचन में की गई चुदाई के बाद मुझमे उठने की भी हिम्मत नहीं थी ! दोपहर में हमने सुबह वाली चाय पी , जेठ जी मुझे गोद में बिठाकर टीवी देखते रहे ! हमने इतना सो लिया था , की अब सोने का मन नहीं था ! माँ और दीपक का भी फ़ोन आया था ! भैया बस हलकी फुलकी छेड़ छाड़ करते रहे , कभी बदन सहलाते और कभी चूची दबा देते ! शाम होने पर भैया ने कहा कि आज बाहर ही बिस्तर लगाते हैं , मैंने कहा ठीक है ! हमारे छत के बगीचे के फूलों के बीच एक बड़ा सा चबूतरा बना था , जिसपर भैया ने गद्दे बिछा दिए ! एक छोटी टेबल लगा कर शराब भी रख दी थी ! खाने के कई सारे आइटम मैंने मंगवा लिया था ! मैंने हल्का सा म्यूजिक चला दिया था , पोर्टेबल सेट पर ! चांदनी रात में माहौल बहुल रोमांटिक हो गया था !भैया चबूतरे के साथ लगी दीवार पर तकिया लगा के बैठे थे , मैं भी उनकी गोद में आकर बैठ गई ! अब हम आधे लेटे और आधे बैठे थे ! पहला पैग लेकर हमने धीरे धीरे पीना शुरू कर दिया , चांदनी रात का मज़ा कई गुना बढ़ गया था ! भैया बीच बीच में मेरे बदन पर हाथ फेर लेते थे ! मैंने साटन की नाईट ड्रेस पहन रखी थी , क्यूंकि खाने की डिलीवरी मैंने ली थी , पर अंदर कुछ नहीं पहना था ! भैया ने सिर्फ अंडरवियर पहना था, और उनका एक हाथ मेरी चूची पर और दूसरा पैग थामे हुआ था ! भैया और मैं अब बातों बातों में काफी खुल गए थे और काफी हंसी मज़ाक भी कर लेते थे ! मैंने कहा की भैया , अब हम पति पत्नी है , क्या आपको बुरा लगता है , जब मैं आपको अभी भी भैया कहकर बुलाती हूँ ! भैया बोले , नहीं , तुम मुझे जैसे बुलाती हो वैसे ही बुलाया करो! हमारा नया रिश्ता सिर्फ हम तीन लोगों को ही पता है, और किसी को पता चलना भी नहीं चाहिए ; कुछ और बोलोगी , तो कभी भी भांडा फ़ूट सकता है ! और सच तो ये है की जब हम सेक्स करते हैं ,तो तुम्हारे मुंह से भैया सुनकर बहुत मज़ा आता है ! मैं बोल पड़ी , हाँ भैया , सच में मुझे भी ऐसा लगता है कि आपको अच्छा लगता है , इसलिए मैं जान बूझ कर भी कई बार आपको भैया बोलती हूँ ! भैया फिर बोले " सेक्स के समय हमपर बातों का बहुत असर होता है , कल तुम बहुत खुल कर बात कर रही थी ,मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि पति पत्नी जब सेक्स करते हैं तो उन्हें वेश्या जैसा व्यवहार करना चाहिए , इससे दोनों पूरे जोश में रहते हैं " ! मैंने कहा "पता नहीं भैया , मैं कुछ बहक गई थी ,इसलिए पता नहीं क्या क्या बोल गई !" भैया बोले , " नहीं याद है तो मैं याद दिला सकता हूँ "! मैं चौंक गयी ,"वो कैसे" ! भैया ने मोबाइल की रिकॉर्डिंग मुझे सुना दी, जो उन्होंने चुपके से कल रात रिकॉर्ड कर लिया था ! अपने मुंह से चूत , लण्ड, और चोदो भैया , जैसे शब्द सुनकर मैं शर्म से मर गई ! भैया ने जोर का किस लेते हुए कहा , कि तुम ऐसे ही बोला करो, बहुत अच्छा लगता है !
अब मैं दूसरा पैग ले रही थी , भैया तीन खत्म कर चुके थे , नशा आने लगा था ! मेरे मन में अचानक चंपा का ख्याल आया , मैंने पुछा , भैया आपने चंपा को कैसे पटाया ! भैया बोले पहले वादा करो जो तुम्हारे जबान पर शब्द आना चाहता है , वही बोलोगी , कोई पर्दा नहीं होना चाहिए हमारे बीच में ; खुल कर बोलोगी तो खुल कर जवाब दूंगा , खूब मज़ा आएगा ! मैंने दुबारा बोला, " आपने चंपा को कैसे चो ..चोदा" ! ये हुई न बात , देखो मेरी जान , गावं में किसी को भी मैंने पटा कर नहीं चोदा , लोग खुद मुझसे चुदने का रिक्वेस्ट करते है , चंपा का तो तुम देख ही चुकी हो ! मेरा माथा ठनक गया , और मुंह से निकल गया , 'यानी गावं में औरों को भी चोदा है आपने' ! देखो डार्लिंग , तुमको बताया है न कि हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी लोग यानि डेढ़ सौ के करीब लोग उस फैक्ट्री में काम करने कि वज़ह से नामर्द हो गए हैं , और मेरे इलाज़ में हैं ! लेकिन लगभग हर घर में बच्चे हैं , जो मेरी कोशिश से ही हुए हैं !जेठ जी अपनी मर्दानगी का बखान करते जा रहे थे और मैं गरम हो रही थी , सोच सोच कर रोमांचित हो रही थी कि जो लण्ड मुझे माँ बनाने जा रहा है , वो पहले डेढ़ सौ कुंवारी चूत से बच्चे पैदा करवा चुका है ! मेरे मुंह से निकल गया , मतलब आप डेढ़ सौ कि चूत मार चुके हैं ! भैया बोले , नहीं , सबकी नहीं चोदी, पर ज्यादातर को माँ मैंने ही बनाया !
भैया ने पांचवां पैग बना लिया और मेरे लिए तीसरा , अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , मैं भैया का लण्ड सहलाने लगी थी , और जेठ जी का लण्ड भी हरकत में आने लगा था और उनका हाथ मेरी चूचियों को लगातार मसल रहे थे !
जेठ जी ने बताया कि शुरू में जब उन्हें पता चला के गाँव के नए शादी शुदा बाप नहीं बन पा रहे हैं , तो मुझे बहुत ताज्जुब हुआ , जो मेरे पास इलाज़ के लिए आये , सबमें एक ही बीमारी थी , कोई भी बाप बनने के काबिल नहीं था , और ज्यादातर बहुएँ कुंवारी ही थी ! सबसे पहले मैंने अपने पड़ोस के लखन भाई कि मदद की क्योंकि बच्चा न होने की वजह से उसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी ! मैंने उसे उसकी प्रॉब्लम समझायी और कहा कि अपनी बीवी गुलाबो को किसी से चुदवा ले , लेकिन गावं में तो कोई था भी नहीं , और लखन थोड़ा संकोची था ,इसलिए उसने मुझे ही कहा कि मैं जबरदस्ती उसकी बीवी गुलाबो को माँ बनाऊ नहीं तो वो आत्महत्या कर लेगा ! गुलाबो की जांच के समय मैं समझ गया था कि वो पूरी खेली खाई है , और मइके से पूरी चुद के आई है ! इसके बाद भी मेरे लिए गुलाबो को चोदने के लिए राज़ी करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था ! मैंने हिम्मत करके लखन की बीवी गुलाबो को पहले धमकाया और फिर समझाया , कि वो मुझे पता है कि वो पहले से ही खूब चुदी हुई है , और ये बात मैं उसके सास ससुर को बता दूंगा क्योकि लखन तो चुदाई के काबिल ही नहीं है ! गुलाबो बहुत डर गई और मुझसे चुदने को तैयार हो गई ! उसे मैंने रोज़ रोज़ अपने क्लिनिक पर बुलाता और चुदाई करता ! चुदाई के दौरान ही मैंने उसको धमकाया तो उसने सच उगल दिया कि उसका सगा भाई ही उसको रोज़ चोदता था,इसलिए उसकी चूत चौड़ी हो गई , और इसी वज़ह से वो चुदने को तैयार हो गई ! गुलाबो के माँ बनते ही गाँव और आस पास के गाँव में ये बात फ़ैल गई , कि मेरे इलाज़ के कारण ही वो माँ बनी है !फिर तो इलाज़ कराने वालों कि लाइन लग गई ! मैंने गुलाबो को अपने यहाँ नौकरी पर रख ली , क्योंकि गाँव में लोग, मेरे मर्द होने के कारण अपनी बहु बेटियों का इलाज़ कराने में हिचकिचाते थे ! गुलाबो ने औरतों को समझाने में मदद की, और मैं गाँव के मर्दों को समझाता था !
इन सब बातों के बीच ही मेरी हालत ख़राब हो गई थी, चूत से पानी लगातार बह रहा था ; मैं भैया का लण्ड मुंह में रखकर चूस रही थी !क्या किस्मत लेकर आये थे मेरे जेठ जी , रोज़ नया माल , ज्यादातर कुंवारी और औरतें खुद चलके आती थी की मुझे चोदो ! यहाँ तक की मेरे पति दीपक ने आठ महीने तक खुशामद किया कि मेरी बीवी को माँ बनाओ ! जेठ जी के लण्ड का भी शायद यही राज़ था , अलग अलग किस्म की टाइट चूत ढीली कर कर के फौलाद बन गया था , नहीं तो ऐसी चुदाई संभव ही नहीं है , एक साधारण आदमी से ! मुझे आज अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, कि मुझे जेठ जी का लण्ड आसानी से मिल गया था, खामखाह एक साल बिन चुदे बिता दिए ! आज मेरा मन चुदाई की बातों में इतना मस्त हो गया था, कि मैं जेठ जी के लण्ड पर थूक डाल डाल के लण्ड चूस रही थी ! जेठ जी पूरी मस्ती में आह आह कर रहे थे, मेरा ये नया रूप उनको दीवाना कर गया था ! आज मैं पागल हो गई थी , वो तो जेठ जी ही ने मेरी सील तोड़ी थी , नहीं तो वो मुझे बदचलन ही समझते ! भैया का लण्ड मूसल हो गया था, मैंने हलके से भैया की टाँग खींचकर उनको सीधा लेटने को कहा ! जेठ जी तो जैसे पागल हो गए , मैंने पैर की उँगलियों से उनको चूमना शुरू किया और ऊपर की तरफ बढ़ी ! जांघ के एक एक कोने को चूमा चाटा , और लण्ड को जीभ से मसाज देने लगी ! जेठ जी के लिए ये बहुत ज्यादा था , शायद गाँव की औरतें इतना फॉरवर्ड नहीं थी ! मैं चंपा से भी ज्यादा उनको उत्तेजित करना चाहती थी ! उनके टट्टों को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगी ! मुस्किल से एक गोली एक बार में मुंह में आ पाती थी ! लण्ड की पूरी चुसाई होते होते जेठ जी अब अधीर हो गए थे , चूत की तलाश कर रहे थे ! लण्ड से आगे बढ़कर , पेट ,नाभि से होते होते मैं उनके छाती पे छोटे छोटे चूची वाली जगह पे आ गई थी ! इस बीच जेठ जी ने अपना लण्ड मेरी चूत पे टिकाकर सुपाड़ा मेरे चूत में प्रवेश करा दिया था ! आज मैं इतनी गीली हो गई थी कि मुझे किसी भी तरह के फिसलन कि जरुरत नहीं थी , लण्ड सटाक से अंदर जा रहा था ! मैंने भैया के चूची वाले एरिया को चाटना और चूमना शुरू कर दिया ! जेठ जी ने ही मेरी चूची कि शेप बिगड़ी थी , चूमकर और चूसकर, मैं अब सब भैया से सीख गई थी और आज मैंने भी सोच लिया था कि उनकी चूची फुला के रहूंगी ! वैसे उनकी छाती उभरी हुई थी , और जैसे मैंने जवान होने के क्रम में अपनी छाती का उभार शुरुआती दौर में देखा था , कुछ वैसा ही जेठ जी का भी था ! शायद जेठ जी को पहली बार किसी ने वहां छेड़ा था , वो पागलों कि तरह मेरी चूत में लण्ड पेले जा रहे थे , आज की तरह आराम से मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया था , और न ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हुई थी कभी ! भैया के चूची कि घुंडी को दांत लगाते ही जैसे भैया पागल हो गए हों , मेरे मुंह को अपने मुंह से चिपका के , जीभ अंदर डाल के ताबड़तोड़ चूसने लगे , साथ ही लण्ड को टॉप गियर में डाल दिया ! भैया अब मेरी गाँड को दोनों हाथ से पकड़ कर अपने लण्ड पर मेरी चूत को पटक रहे थे और अचानक भैया ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाँड में घुसा दी ! फच.. फच.. फच.. की आवाज़ साथ में बज़ रहे म्यूजिक के साथ ताल मिला रहा था, मेरी चूत में जेठ जी लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और गाँड में ऊँगली ! भैया को आज मैंने दीवाना बना दिया था , बदल बरसने को ही था ! मस्त चांदनी रात में खुले छत पर नंगे बदन, एक नाजायज़ रिश्ता मज़बूती के साथ चोदने -चुदने में लगा हुआ था , अपने से आधे उम्र की औरत के साथ ! ऐसी चुदाई की कल्पना ही की जा सकती है , जो आज मेरे हिस्से आई थी ! आज मैं भी चुदाई में अनाड़ी होते हुए भी , एक असली मर्द को ,जो सौ से ज्यादा कुंवारी औरतों को गर्भवती बना चुका था , चुदाई के खेल में पागल बनाने में कामयाब हो गई थी ! अब मैं भी उनको चूस रही थी, चूम रही थी , वो ढीले पड़ते जा रहे थे , लण्ड अपनी दौड़ के आखिरी पड़ाव पर था ! एकाएक भैया तड़पे और बौछार कर दी वीर्य की मेरे चूत में !मैं तो बार बार झड़ी थी , एक आखिरी बार भी झड़ गई वीर्य के धार के चूत की दीवारों पर पड़ने के कारण ! भैया शांत होते जा रहे थे , पर मैं उनको लगातार चूमती चूसती जा रही थी , जब तक वो ठंढे न पड़ गए ! भैया का गाढ़ा लण्ड का पानी पूरी रात मेरी जाँघों और भैया की जांघो को फेविकोल की तरह चिपकने वाला था , पर परवाह किसे थी 





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