FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........3
कुछ ही देर में कालिया मेन रोड के किनारे पहुंच गया...उसने बाइक से उतरा और लड़की को एक फूल की माफिक गोद में उठा लिया...और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ तेजी से बढ़ गया...तब तक बाइक वाला भी तेजी से मेन रोड पर बाइक चढ़ा फुर्र हो गया...
कालिया बड़ी सावधानी से उसे सीट पर लिटा दिया और खुद भी अंदर चला गया...और चल पड़ा...अब रात भी बीत रही थी चौकसी तेज होने की आशंका थी...कालिया उसे किसी जगह रूकने को बोला...
करीब 1 घंटे में वो अपने ठिकाने तक पहुँच गया...फिर लड़की को सुला दिया और उसके हाथ पांव अच्छे से बांधा और खुद भी सोने की करने लग गया...पर सामने ऐसी लड़की हो जो उसके दिल को घायल कर रही हो तो भला नींद कैसे आ सकती है...
वो रात भर उसे निहारने में जगा ही रह गया...सुबह में करीब चार बजे वो उठा और वहां से निकलने की सोची...वो दूसरी ओर सो रहे साथी को जगाया और चलने बोला...
"आहहहह...मम्मी...मैं कहाँ हूँ..." तभी कालिया के कानों में लड़की की सुरीली कराह सुनाई पड़ा..वो आवाज सुनते ही उसकी तरफ फौरन पलटा...
लड़की कालिया को देखते ही चीख पड़ी...रात के अंधेरे में काला आदमी और भयानक लगता है...वो डर के मारे चीख पड़ी थी...कालिया तुरंत ही नीचे झुक अपने हाथ उसके मुँह पर रख दी जिससे उसकी आवाजें घुट कर रह गई....
इससे वो लड़की छटपटाती हुई और चिल्लाने की कोशिश करती रोने लग गई...उसे रोते देख कालिया अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था पर ऐसी स्थिति में उस पर रहम करना खुद पर कुल्हाड़ी चलाने के बराबर थी...
"ऐ रोना बंद कर नहीं तो...यहीं पे ये...ये..देख रही है ना सीधा तेरे अंदर डाल दूंगा...समझी ना..."कालिया ना चाहते हुए भी उसे डराने के लिए अपने बंदूक उसकी आँखों के आगे लहराते हुए गुर्राया...
ये सुनते ही लड़की के और डर से बुरा हाल हो गया और वो बच्चों की तरह हल्की आवाज में सिसकने लगी...ये देख कालिया कुछ हल्का हुआ पर एक डर थी कि अगर बाहर ये शोर कर दी तो मुश्किल हो जाएगी...
कालिया," देख, ये रोना-धोना बंद करो...नहीं तो मुझे फिर से तुम्हें बेहोश करना पड़ेगा...अब हम यहां से निकलेंगे तो तुम जैसे चलना चाहोगी पसंद तुम्हारी..."कालिया थोड़ा कड़क बनने की कोशिश कर रहा था पर उसकी मासूम भरी चेहरे के सामने बन नहीं पाया...
लड़की अब थोड़ी चुप हो गई और एकटक उसकी तरफ देखने लगी...ये देख कालिया उसके पांव खोल दिए और उसकी बांह पकड़ कर बेड पर बिठा दिया...इस बार लड़की नहीं चिल्लाई...
"तुम मुझे क्यों लाए हो ?"लड़की बैठते ही कालिया से सवाल कर गई...शायद भांप ली थी कि अगर वो शांत रही हो उसे कुछ नहीं करेगा ये...तो वो जानने की कोशिश कर रहा था...
कालिया सवाल सुन ऱूक सा गया और उसकी तरफ देखने लगा...कुछ देर चुप रहाऔर फिर बोला,"मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है पर तेरा एस.पी. बाप...." कालिया "बाप" से आगे कुछ बोलता कि बीच में ही लड़की गुस्से से बोल पड़ी..
"ऐ...पापा हैं वो मेरे...और वो तुम्हारे जैसे गंदे काम नहीं करते...समाजसेवी हैं वे, इज्जत करना सीखो..." लड़की की बातों से कालिया को हंसी छूट गई...
"हा..हा...हा...ओके...तुम्हारे पापा मेरे पीछे पड़ गए हैं...अगर ऐसा रहा तो मैं किधर रहूँगा बताओ तुम ही...हर वक्त मेरे को टेंशन होता रहता है और परसों से भागता ही रहता हूँ..." कालिया की बातों से लड़की चौंक पड़ी...
"कल से...मतलब मेरा सूटकेस तुमने ही छीना था....फिर तो ठीक हो रहा है...मैं तो अब पापा को बोलूंगी कि पापा इसे जेल मत भेजो...सीधा एनकाउन्टर कर दो...इसी ने मुझे उठाया था...देख लेना अब तुम तो गए..."लड़की तुरंत समझ गई कि यही वो चोर था तो अपने अंदर का गुस्सा बाहर करने लगी...
कालिया उसकी बातों से थोड़ा मुस्कुराया और उठ कर उसकी बांह पकड़ बाहर की तरफ चल दिया...वो ज्यादा देर नहीं करना चाहता था...
"ओए..अब मुझे कहां ले जा रहे हो..मुझे घर जाना है..."लड़की ना चाहते भी खिंचती हुई चलती बोली...जिसे सुन कालिया को थोड़ा गुस्सा आ गया...
कालिया,"ज्यादा चपर चपर की ना तो तू कभी घर का मुँह नहीं देख पाएगी...चुपचाप चल तेरे पापा जब तक मेरे केस को खत्म नहीं करेंगा तू मेरे साथ ही रहेगी...समझी ना..चल अब."
लड़की का सारा गुस्सा यूँ हवा हो गई और रोनी सूरत बनाती हुई चलने लगी...गाड़ी में उस लड़की को बिठा कालिया उसके बगल में बैठा और चल पड़ा...अब धीरे धीरे धूप भी लाल रोशनी पड़ने लग गई थी जमीं पर...
लड़की को ऐसे मुंह बना देख कालिया कुछ मायूस सा हो गया...क्योंकि वो बोलते वक्त काफी हसीन लगती थी...वो खुद पर गुस्सा भी हो रहा था कि क्यों डांट दिया...खैर सुबह की वक्त थीतो सड़के सुनसान थी...जिसमें गाड़ी पूरी रफ्तार से बढ़े जा रही थी...
कुछ देर बाद ही लड़की एक बार फिर बोल पड़ी,"मुझे बाथरूम लगी है..." कालिया चौंक सा गया...वो सोचने लगा कि सच कह रही है या फिर नाटक है इसकी...भागने की...
कालिया कुछ सोचते हुए बोला,"गाड़ी अब 3 घंटे बाद अपनी जगह पर ही रूकेगी...तब तक रोक के रखो..." ये सुनते ही लड़की भड़क पड़ी...
"नहीं, मुझे अभी जाना है...ड्राइवर गाड़ी रोको...अगर नहीं गई तो गड़बड़ हो जाएगी..." कालिया उसके बोलते हुए को देख पागल सा हो रहा था...उसे उसकी बोलने के वक्त की एक्सपरेशन काफी अच्छी लगने लगी थी...
"गाड़ी नहीं रूकेगी...जो भी गड़बड़ करनी हो गाड़ी में ही कर लो...तुम्हारी मरजी..."कालिया थोड़ा मुस्कुराते हुए उसकी तरफ टेढ़ी निगाहों से बोला...ऐसे करते लड़की का पारा और चढ़ गया...
"ठीक है...तुम्हें लग रहा है मैं बाथरूम के बहाने भाग जाऊंगी...ओके...हाथ खोलो मेरा...मैं पीछे जा के करती हूँ..." लड़की थोड़ा रूखा सा हो बोली...
"ओए...गाड़ी में मत करना...नहीं तो 100 धुलाई के और 1000 का परफ्यूम छिड़कना पड़ेगा मुझे...मालिक इसके लिए फूटी कौड़ी भी नहीं देगा..."ये सुनते ही ड्राइवर चिल्लाता हुआ चीख पड़ा...
ये सुनते ही कालिया की हंसी निकल पड़ी और लड़की भी हल्की हंसी हंस पड़ी शायद उसकी अपनी सफल होती योजना पर...लड़की को पहली दफा हंसता देख कालिया की तो जान ही निकल गई...यार इसके अंदर और कहाँ कहाँ खूबसूरती छिपी हुई है...
कालिया उसे समझाने की कोशिश के लब्जों में बोला,"हमसे ले लेना यार..मौं हूँ ना.."
"ना..ना...भाई...मुझे पता है आप तब तक दर्शन नहीं दोगे जब तक मामला खत्म नहीं हो जाता...और कितना दिन लगेगा पता नहीं...तब तक ऐसे ही नहीं रह सकता.."ड्राइवर साफ इंकार कर दिया...
"अच्छा चल, तो कोई जुगाड़ कर दे इसकी...पर ध्यान से येएएए कुछ ज्यादा दिमाग चलाना चाह रही है..." कालिया लड़की की तरफ नजर करते हुए बोला...
लड़की उसकी बात सुन गुस्से से तुनक कर मुँह फिरा ली...जिसे देख कालिया मुस्कुरा कर रह गया...
"ठीक है भाई, पास ही में एक छोटी सी झील है जो सुनसान है और वो इलाका कुछ सुनसान भी हैं तो उधर कोई डर भी नहीं है..."ड्राइवर का ये जिला था तो वो बखूबी जानता था इस इलाके को और दो नम्बरी काम में ये ज्यादा दिलचस्पी लेता था जिससे पैसे भी मनमानी और कभी कभी पार्टी साटी भी मिल ही जाती थी...
कालिया उसकी बात सुन हामी भर दिया...तभी लड़की बीच में एक बार फिर बोली,"सुनसान इलाका..नहीं नहीं मुझे उधर नहीं जाना....मुझे यहीं उ...."
"चुपऽ...."कालिया उसकी इस नौटंकी से जोर से डपटता हुआ गरजा कि लड़की दो हाथ पीछे डर से हो रोने लग गई...कालिया ये देख अपना सर पीट लिया...वहाँ पहुँचते ही कालिया हिदायत से दूसरी ओर जाने बोला...
लड़की थोड़ी डर सी गई और इस जगह कुछ चाह कर भी नहीं कर सकती थी...अगर चिल्लाती भी तो इस सुनसान में कौन सुनता जहाँ आते वक्त एक भी व्यक्ति नहीं मिला था..
वो चुपचाप वापस आ गाड़ी में बैठ गई...कालिया भी बिना कुछ कहे बैठ गया...हाँ इस दौरान कालिया उसके जिस्म को बारीकी से जरूर ताड़ रहा था...
वो लड़की बस चुपचाप बैठी रो रही थी...ये देख कालिया थोड़ा भावुक सा हो गया...वो उसे किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं पहुँचाना चाहता था...पर हो नहीं पाता था...
"तुम्हारा नाम क्या है...?" कालिया ने उसे चुप करवाने के ख्याल से बात को बदल कर उसे भुलाना चाहता था...शायद कालिया उसका दिवाना हो गया था...
वो लड़की अपनी आंखों से उसकी तरफ आंसू बहाती उसकी तरफ देखने लगी पर बोली कुछ नहीं...कालिया उससे ज्यादा देर तक नहीं नजर मिला पाया...वो अंदर से हिल सा गया और पछताने सा लगा कि शाला ये मैंने क्या कर दिया..
कालिया,"वो तुम्हारे सूटकेस में ये एक पेपर था जो मेरे काम का नहीं है..." कालिया अब बात को दूसरी ओर मोड़ते हुए अपनी पॉकेट से निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा...
लड़की कभी उसकी ओर देखती तो कभी उस पेपर की तरफ...फिर अपने आंसू एक हाथ से पोंछती गुस्से से भर उसके हाथ से पेपर झपट ली...और फिर सारे पेपर उलट पलट कर देखने लगी...
"सारे तो हैं ना..."कालिया जब उसके हाथों को पेपर पलटते रहा था...जब सारे देख ली तभी कालिया अपने सवाल रख दिए...उसके सवाल सुन लड़की गुस्से से उसके तरफ पलट गई...
"मुझे पापा के पास जाना है..."लड़की रौबदार आवाजें करती हुई बोली...पर कालिया को इसमें भी उसकी सुरीली स्वर ही सुनाई दी...वो थोड़ा सा सीरीयस हो गया...
"ठीक है...हम पहुँचते ही तुम्हारे पापा से अपने आदमी को बात करने कह दूँगा...अगर वो मान गए तो तुम्हें पहुँचा दूंगा आज ही..."कालिया के बोलते ही लड़की एक बार फिर बरस पड़ी....
"शाले तुम हो ही घोंच्चू....जो भी करता है गलत ही करता है...तुम्हे लगता है मेरे पापा मान जाएंगे...कभी नहीं...वे एस.पी. हैं कोई हवलदार नहीं...तुम अगर मुझे उठाने से पहले ही सरेंडर कर माफी मांग लेते तो शायद तुम्हें कम सजा देते...पर तुम तो एक और गलती कर बैठे..." लड़की बोले जा रही थी और कालिया बक-सा बना सुना जा रहा था...
"अब तो वो यही सोचेंगे कि अगर आज तुम्हारी बात मान लेंगे तो तुम इस घिनौने काम में आगे ही बढ़ोगे और इससे भी बड़ी कांड करोगे...उन्हें मुजरिम खत्म करना होता है ना कि बढ़ाना...अब भी वक्त है मुझे वापस ले चलो...कम से कम उम्र कैद नहीं होगी इसकी गारंटी मैं देती हूँ...वरना एनकाउंटर तो फिक्स है...."कालिया को उसकी सच्चाई से परदा हटा कर भविष्य बताती हुई बोली...
कालिया कुछ सोच में पड़ गया पर वो जेल में जाना नहीं चाहता था...उसे सोचते हुए देख लड़की को लगा कि तीर सही निशाने पर लगी है...वो एक दो और बात बोलने लग गई...
"हम्म्म्म...देखो तुम कह तो सही रही है पर अब मुझसे ये नहीं हो पाएगा...मुझे उसी वक्त सरेंडर कर देना था पर उस वक्त कोई तुम्हारी तरह कोई बताया नहीं था...अब कर ही दिया हूँ तो अंजाम जो हो देखा जाएगा...ज्यादा दिन के सिए जेल नहीं जाऊंगा भले ही मारा जाऊं..."कालिया बोला..
लड़की उसकी बात सुन उसकी तरफ देखने लगी...पर बोली कुछ नहीं...वो भी समझ गई कि ये नहीं मानेगा...वो अपने इस खेल को खेलेगा ही...वो चुप हो बैठ गई और वो बस ये सोचने लगी कि उसे कितने दिन तक ये झेलना होगा और अगर पापा नहीं पहुँच पाए उस तक तो ये कुछ मेरे साथ....
ये सोचते ही वो कांप सी गई...वो अब दूसरा तरीका अपनाने की सोच रही थी...वो किस रूट से जा रही थी ये गौर से देख रही थी...रास्ते में कोई ऐसी चीज देखने की कोशिश करती जो पहचान के लिए काफी हो...
वो यहां नई आई थी तो पता तो था नहीं कि इस वक्त वे कहाँ है...बस सुनसान सड़के ही थी...वो बस हर पहचान चिन्ह को याद करती जाती और वहां पहुंचने पर किसी तरह पापा से कॉन्टैक्ट कर उन्हें सारा कहानी सुना देती ताकि पापा जल्द उसे छुड़ा लेते...
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पापा प्लीज........3
कुछ ही देर में कालिया मेन रोड के किनारे पहुंच गया...उसने बाइक से उतरा और लड़की को एक फूल की माफिक गोद में उठा लिया...और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ तेजी से बढ़ गया...तब तक बाइक वाला भी तेजी से मेन रोड पर बाइक चढ़ा फुर्र हो गया...
कालिया बड़ी सावधानी से उसे सीट पर लिटा दिया और खुद भी अंदर चला गया...और चल पड़ा...अब रात भी बीत रही थी चौकसी तेज होने की आशंका थी...कालिया उसे किसी जगह रूकने को बोला...
करीब 1 घंटे में वो अपने ठिकाने तक पहुँच गया...फिर लड़की को सुला दिया और उसके हाथ पांव अच्छे से बांधा और खुद भी सोने की करने लग गया...पर सामने ऐसी लड़की हो जो उसके दिल को घायल कर रही हो तो भला नींद कैसे आ सकती है...
वो रात भर उसे निहारने में जगा ही रह गया...सुबह में करीब चार बजे वो उठा और वहां से निकलने की सोची...वो दूसरी ओर सो रहे साथी को जगाया और चलने बोला...
"आहहहह...मम्मी...मैं कहाँ हूँ..." तभी कालिया के कानों में लड़की की सुरीली कराह सुनाई पड़ा..वो आवाज सुनते ही उसकी तरफ फौरन पलटा...
लड़की कालिया को देखते ही चीख पड़ी...रात के अंधेरे में काला आदमी और भयानक लगता है...वो डर के मारे चीख पड़ी थी...कालिया तुरंत ही नीचे झुक अपने हाथ उसके मुँह पर रख दी जिससे उसकी आवाजें घुट कर रह गई....
इससे वो लड़की छटपटाती हुई और चिल्लाने की कोशिश करती रोने लग गई...उसे रोते देख कालिया अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था पर ऐसी स्थिति में उस पर रहम करना खुद पर कुल्हाड़ी चलाने के बराबर थी...
"ऐ रोना बंद कर नहीं तो...यहीं पे ये...ये..देख रही है ना सीधा तेरे अंदर डाल दूंगा...समझी ना..."कालिया ना चाहते हुए भी उसे डराने के लिए अपने बंदूक उसकी आँखों के आगे लहराते हुए गुर्राया...
ये सुनते ही लड़की के और डर से बुरा हाल हो गया और वो बच्चों की तरह हल्की आवाज में सिसकने लगी...ये देख कालिया कुछ हल्का हुआ पर एक डर थी कि अगर बाहर ये शोर कर दी तो मुश्किल हो जाएगी...
कालिया," देख, ये रोना-धोना बंद करो...नहीं तो मुझे फिर से तुम्हें बेहोश करना पड़ेगा...अब हम यहां से निकलेंगे तो तुम जैसे चलना चाहोगी पसंद तुम्हारी..."कालिया थोड़ा कड़क बनने की कोशिश कर रहा था पर उसकी मासूम भरी चेहरे के सामने बन नहीं पाया...
लड़की अब थोड़ी चुप हो गई और एकटक उसकी तरफ देखने लगी...ये देख कालिया उसके पांव खोल दिए और उसकी बांह पकड़ कर बेड पर बिठा दिया...इस बार लड़की नहीं चिल्लाई...
"तुम मुझे क्यों लाए हो ?"लड़की बैठते ही कालिया से सवाल कर गई...शायद भांप ली थी कि अगर वो शांत रही हो उसे कुछ नहीं करेगा ये...तो वो जानने की कोशिश कर रहा था...
कालिया सवाल सुन ऱूक सा गया और उसकी तरफ देखने लगा...कुछ देर चुप रहाऔर फिर बोला,"मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है पर तेरा एस.पी. बाप...." कालिया "बाप" से आगे कुछ बोलता कि बीच में ही लड़की गुस्से से बोल पड़ी..
"ऐ...पापा हैं वो मेरे...और वो तुम्हारे जैसे गंदे काम नहीं करते...समाजसेवी हैं वे, इज्जत करना सीखो..." लड़की की बातों से कालिया को हंसी छूट गई...
"हा..हा...हा...ओके...तुम्हारे पापा मेरे पीछे पड़ गए हैं...अगर ऐसा रहा तो मैं किधर रहूँगा बताओ तुम ही...हर वक्त मेरे को टेंशन होता रहता है और परसों से भागता ही रहता हूँ..." कालिया की बातों से लड़की चौंक पड़ी...
"कल से...मतलब मेरा सूटकेस तुमने ही छीना था....फिर तो ठीक हो रहा है...मैं तो अब पापा को बोलूंगी कि पापा इसे जेल मत भेजो...सीधा एनकाउन्टर कर दो...इसी ने मुझे उठाया था...देख लेना अब तुम तो गए..."लड़की तुरंत समझ गई कि यही वो चोर था तो अपने अंदर का गुस्सा बाहर करने लगी...
कालिया उसकी बातों से थोड़ा मुस्कुराया और उठ कर उसकी बांह पकड़ बाहर की तरफ चल दिया...वो ज्यादा देर नहीं करना चाहता था...
"ओए..अब मुझे कहां ले जा रहे हो..मुझे घर जाना है..."लड़की ना चाहते भी खिंचती हुई चलती बोली...जिसे सुन कालिया को थोड़ा गुस्सा आ गया...
कालिया,"ज्यादा चपर चपर की ना तो तू कभी घर का मुँह नहीं देख पाएगी...चुपचाप चल तेरे पापा जब तक मेरे केस को खत्म नहीं करेंगा तू मेरे साथ ही रहेगी...समझी ना..चल अब."
लड़की का सारा गुस्सा यूँ हवा हो गई और रोनी सूरत बनाती हुई चलने लगी...गाड़ी में उस लड़की को बिठा कालिया उसके बगल में बैठा और चल पड़ा...अब धीरे धीरे धूप भी लाल रोशनी पड़ने लग गई थी जमीं पर...
लड़की को ऐसे मुंह बना देख कालिया कुछ मायूस सा हो गया...क्योंकि वो बोलते वक्त काफी हसीन लगती थी...वो खुद पर गुस्सा भी हो रहा था कि क्यों डांट दिया...खैर सुबह की वक्त थीतो सड़के सुनसान थी...जिसमें गाड़ी पूरी रफ्तार से बढ़े जा रही थी...
कुछ देर बाद ही लड़की एक बार फिर बोल पड़ी,"मुझे बाथरूम लगी है..." कालिया चौंक सा गया...वो सोचने लगा कि सच कह रही है या फिर नाटक है इसकी...भागने की...
कालिया कुछ सोचते हुए बोला,"गाड़ी अब 3 घंटे बाद अपनी जगह पर ही रूकेगी...तब तक रोक के रखो..." ये सुनते ही लड़की भड़क पड़ी...
"नहीं, मुझे अभी जाना है...ड्राइवर गाड़ी रोको...अगर नहीं गई तो गड़बड़ हो जाएगी..." कालिया उसके बोलते हुए को देख पागल सा हो रहा था...उसे उसकी बोलने के वक्त की एक्सपरेशन काफी अच्छी लगने लगी थी...
"गाड़ी नहीं रूकेगी...जो भी गड़बड़ करनी हो गाड़ी में ही कर लो...तुम्हारी मरजी..."कालिया थोड़ा मुस्कुराते हुए उसकी तरफ टेढ़ी निगाहों से बोला...ऐसे करते लड़की का पारा और चढ़ गया...
"ठीक है...तुम्हें लग रहा है मैं बाथरूम के बहाने भाग जाऊंगी...ओके...हाथ खोलो मेरा...मैं पीछे जा के करती हूँ..." लड़की थोड़ा रूखा सा हो बोली...
"ओए...गाड़ी में मत करना...नहीं तो 100 धुलाई के और 1000 का परफ्यूम छिड़कना पड़ेगा मुझे...मालिक इसके लिए फूटी कौड़ी भी नहीं देगा..."ये सुनते ही ड्राइवर चिल्लाता हुआ चीख पड़ा...
ये सुनते ही कालिया की हंसी निकल पड़ी और लड़की भी हल्की हंसी हंस पड़ी शायद उसकी अपनी सफल होती योजना पर...लड़की को पहली दफा हंसता देख कालिया की तो जान ही निकल गई...यार इसके अंदर और कहाँ कहाँ खूबसूरती छिपी हुई है...
कालिया उसे समझाने की कोशिश के लब्जों में बोला,"हमसे ले लेना यार..मौं हूँ ना.."
"ना..ना...भाई...मुझे पता है आप तब तक दर्शन नहीं दोगे जब तक मामला खत्म नहीं हो जाता...और कितना दिन लगेगा पता नहीं...तब तक ऐसे ही नहीं रह सकता.."ड्राइवर साफ इंकार कर दिया...
"अच्छा चल, तो कोई जुगाड़ कर दे इसकी...पर ध्यान से येएएए कुछ ज्यादा दिमाग चलाना चाह रही है..." कालिया लड़की की तरफ नजर करते हुए बोला...
लड़की उसकी बात सुन गुस्से से तुनक कर मुँह फिरा ली...जिसे देख कालिया मुस्कुरा कर रह गया...
"ठीक है भाई, पास ही में एक छोटी सी झील है जो सुनसान है और वो इलाका कुछ सुनसान भी हैं तो उधर कोई डर भी नहीं है..."ड्राइवर का ये जिला था तो वो बखूबी जानता था इस इलाके को और दो नम्बरी काम में ये ज्यादा दिलचस्पी लेता था जिससे पैसे भी मनमानी और कभी कभी पार्टी साटी भी मिल ही जाती थी...
कालिया उसकी बात सुन हामी भर दिया...तभी लड़की बीच में एक बार फिर बोली,"सुनसान इलाका..नहीं नहीं मुझे उधर नहीं जाना....मुझे यहीं उ...."
"चुपऽ...."कालिया उसकी इस नौटंकी से जोर से डपटता हुआ गरजा कि लड़की दो हाथ पीछे डर से हो रोने लग गई...कालिया ये देख अपना सर पीट लिया...वहाँ पहुँचते ही कालिया हिदायत से दूसरी ओर जाने बोला...
लड़की थोड़ी डर सी गई और इस जगह कुछ चाह कर भी नहीं कर सकती थी...अगर चिल्लाती भी तो इस सुनसान में कौन सुनता जहाँ आते वक्त एक भी व्यक्ति नहीं मिला था..
वो चुपचाप वापस आ गाड़ी में बैठ गई...कालिया भी बिना कुछ कहे बैठ गया...हाँ इस दौरान कालिया उसके जिस्म को बारीकी से जरूर ताड़ रहा था...
वो लड़की बस चुपचाप बैठी रो रही थी...ये देख कालिया थोड़ा भावुक सा हो गया...वो उसे किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं पहुँचाना चाहता था...पर हो नहीं पाता था...
"तुम्हारा नाम क्या है...?" कालिया ने उसे चुप करवाने के ख्याल से बात को बदल कर उसे भुलाना चाहता था...शायद कालिया उसका दिवाना हो गया था...
वो लड़की अपनी आंखों से उसकी तरफ आंसू बहाती उसकी तरफ देखने लगी पर बोली कुछ नहीं...कालिया उससे ज्यादा देर तक नहीं नजर मिला पाया...वो अंदर से हिल सा गया और पछताने सा लगा कि शाला ये मैंने क्या कर दिया..
कालिया,"वो तुम्हारे सूटकेस में ये एक पेपर था जो मेरे काम का नहीं है..." कालिया अब बात को दूसरी ओर मोड़ते हुए अपनी पॉकेट से निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा...
लड़की कभी उसकी ओर देखती तो कभी उस पेपर की तरफ...फिर अपने आंसू एक हाथ से पोंछती गुस्से से भर उसके हाथ से पेपर झपट ली...और फिर सारे पेपर उलट पलट कर देखने लगी...
"सारे तो हैं ना..."कालिया जब उसके हाथों को पेपर पलटते रहा था...जब सारे देख ली तभी कालिया अपने सवाल रख दिए...उसके सवाल सुन लड़की गुस्से से उसके तरफ पलट गई...
"मुझे पापा के पास जाना है..."लड़की रौबदार आवाजें करती हुई बोली...पर कालिया को इसमें भी उसकी सुरीली स्वर ही सुनाई दी...वो थोड़ा सा सीरीयस हो गया...
"ठीक है...हम पहुँचते ही तुम्हारे पापा से अपने आदमी को बात करने कह दूँगा...अगर वो मान गए तो तुम्हें पहुँचा दूंगा आज ही..."कालिया के बोलते ही लड़की एक बार फिर बरस पड़ी....
"शाले तुम हो ही घोंच्चू....जो भी करता है गलत ही करता है...तुम्हे लगता है मेरे पापा मान जाएंगे...कभी नहीं...वे एस.पी. हैं कोई हवलदार नहीं...तुम अगर मुझे उठाने से पहले ही सरेंडर कर माफी मांग लेते तो शायद तुम्हें कम सजा देते...पर तुम तो एक और गलती कर बैठे..." लड़की बोले जा रही थी और कालिया बक-सा बना सुना जा रहा था...
"अब तो वो यही सोचेंगे कि अगर आज तुम्हारी बात मान लेंगे तो तुम इस घिनौने काम में आगे ही बढ़ोगे और इससे भी बड़ी कांड करोगे...उन्हें मुजरिम खत्म करना होता है ना कि बढ़ाना...अब भी वक्त है मुझे वापस ले चलो...कम से कम उम्र कैद नहीं होगी इसकी गारंटी मैं देती हूँ...वरना एनकाउंटर तो फिक्स है...."कालिया को उसकी सच्चाई से परदा हटा कर भविष्य बताती हुई बोली...
कालिया कुछ सोच में पड़ गया पर वो जेल में जाना नहीं चाहता था...उसे सोचते हुए देख लड़की को लगा कि तीर सही निशाने पर लगी है...वो एक दो और बात बोलने लग गई...
"हम्म्म्म...देखो तुम कह तो सही रही है पर अब मुझसे ये नहीं हो पाएगा...मुझे उसी वक्त सरेंडर कर देना था पर उस वक्त कोई तुम्हारी तरह कोई बताया नहीं था...अब कर ही दिया हूँ तो अंजाम जो हो देखा जाएगा...ज्यादा दिन के सिए जेल नहीं जाऊंगा भले ही मारा जाऊं..."कालिया बोला..
लड़की उसकी बात सुन उसकी तरफ देखने लगी...पर बोली कुछ नहीं...वो भी समझ गई कि ये नहीं मानेगा...वो अपने इस खेल को खेलेगा ही...वो चुप हो बैठ गई और वो बस ये सोचने लगी कि उसे कितने दिन तक ये झेलना होगा और अगर पापा नहीं पहुँच पाए उस तक तो ये कुछ मेरे साथ....
ये सोचते ही वो कांप सी गई...वो अब दूसरा तरीका अपनाने की सोच रही थी...वो किस रूट से जा रही थी ये गौर से देख रही थी...रास्ते में कोई ऐसी चीज देखने की कोशिश करती जो पहचान के लिए काफी हो...
वो यहां नई आई थी तो पता तो था नहीं कि इस वक्त वे कहाँ है...बस सुनसान सड़के ही थी...वो बस हर पहचान चिन्ह को याद करती जाती और वहां पहुंचने पर किसी तरह पापा से कॉन्टैक्ट कर उन्हें सारा कहानी सुना देती ताकि पापा जल्द उसे छुड़ा लेते...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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