FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--56
इन बातों ही बातों में नेहा की आँख लग गई .... पर पता नहीं क्यों अंदर ही अंदर मुझे कुछ बुरा लग रहा था| ऐसा लग रहा था की अभी जो हुआ (सम्भोग) वो जबरदस्ती हुआ था| भौजी शायद मन ही मन मेरे ख्यालों को पढ़ चुकीं थीं|
भौजी: क्या हुआ? आप कुछ छुपा रहे हो?
मैं: नहीं तो?
भौजी: आप जानते हो ना आप मुझसे जूठ नहीं बोल सकते| पिछले एक घंटे से आप कोई न कोई बात करके बातों को घुमा देते हो....प्लीज बताओ ना?
मैं: वो......जो कुछ अभी हुआ उसे लेकर थोड़ा परेशान हूँ|
भौजी: क्यों?
मैं: मुझे Guilty फील हो रहा है| ऐसा लग रहा है मैंने आपके साथ जबरदस्ती की...आपको देख के लग रहा है की आप वो सब नहीं karna चाहते थे....बस मेरा मन रखने के लिए आपने वो...... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: I'M Sorry अगर आपको ऐसा लगा| पर मुझे सिर्फ आपकी सेहत की चिंता है.... अगर आप मेरी वजह से बीमार पड़े तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी| मेरे एक दिन एक्स्ट्रा रुकने से आपकी ये हालत हुई| पर माँ-पिताजी ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया ....वरना मैं जल्दी आ जाती और तब शायद आपकी ये हालत नहीं होती| मैंने ये सब आपका दिल रखने के लिए कतई नहीं किया...मेरा भी मन था.... पर मैं आपकी सेहत को लेके चिंतित थी इसलिए आप मेरी ख़ुशी नहीं देख पाये| आप ऐसा बिलकुल ना सोचें की आपने कोई जबरदस्ती की है ...या मेरा मन नहीं था| प्लीज ऐसा ऐसा मत सोचा करो...
मैं: वैसे एक बात और है जो मैं जानने को बहुत उत्सुक हूँ?
भौजी: पूछिये?
मैं: उस दिन आपके और चन्दर भैया के बीच में क्या बात हुई? क्योंकि जब भैया अंदर आये थे तो वो गुस्से में थे और जब बहार निकले तो संतुष्ट थे!
आगे भौजी ने मुझे पूरी बात बताई जिसको मैं डायलाग के रूप में लिख रहा हूँ|
चन्दर भैया: (गुस्से में) ये किसका बच्चा है? मैंने तो तुम्हें सालों से नहीं छुआ....तुम तो मुझे अपने पास भी नहीं भटकने देती फिर ये कैसे हुआ?
भौजी: आपका ही बच्चा है...और खबरदार आपने अगर इस बच्चे के बारे में कुछ उल्टा सीधा कहा तो? सुहागरात में जो हुआ उसके बाद मैं कभी आपको अपने पास भी नहीं भटकने दूंगी| मुझसे और मेरे बच्चों से दूर रहना| आपने मेरे साथ धोका किया है...मेरी छोटी बहन के साथ...छी...छी...छी...छी ... मैं आपकी तरह नहीं हूँ जो बहार जाके मुँह मारूँ! वरना मुझ मैं और आप में फर्क ही क्या रह जायेगा?
भैया भौजी के तेवर देख के थोड़ा सहम गए ... ये भौजी का मेरे प्रति POSSESIVENESS थी जो अब उनके सामने माँ के प्यार के रूप में बहार आ रही थी|
चन्दर भैया: (थोड़ा संभल के, पर फिर भी अपनी अकड़ दिखाते हुए) तो आखिर ये सब कैसे हुआ?
भौजी: उस दिन जब आप देसी चढ़ा के आये थे तब आपने जबरदस्ती मेरे साथ बलात्कार किया था...कुछ याद आया?
चन्दर भैया: नहीं...ये नहीं हो सकता ...मुझे अच्छे से याद है उस दिन मैंने तुम्हें नहीं छुआ था|
भौजी: तो मेरी पीठ पे ये निशाँ कैसे आये...जानते हो कितनी गाली बाकि थी मुझे... अब भी मेरे यौन अंगों पे आपके गंदे हाथों के निशान हैं...काटने के निशान...नौचने के निशान..... बता दूँ ये बात अब को? या कर दूँ थाने में कंप्लेंट और वो भी जो तुमने मेरी छोटी बहन के साथ किया ....?
चन्दर भैया: तुम अपने पति के खिलाफ कंप्लेंट करोगी?
भौजी: अगर आप मुझ पे इतना गन्दा इल्जाम लगा सकते हो तो मैं भी आप के खिलाफ कंप्लेंट कर सकती हूँ|
भौजी के तेवर और रवैय्ये ने चन्दर भैया को यकीन दिल दिया था की ये नहीं का बच्चा है|
ये सब बता के भौजी रो पड़ीं ...
मैं: I'm Sorry !!! मुझे ये बात नहीं करनी चाहिए थी|
भौजी: मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं है...दुःख है तो इस बात का की मैं इस बच्चे को आपका नाम नहीं दे सकती!
मैं: देखो आप जानते हो ये हमारा बच्चा है...मैं जानता हूँ ये हमारा बच्चा है| बस !!! इसका दूसरा रास्ता था की आप मेरे साथ भाग चलो....पर वो आपके हिसाब से अनुचित है| तो मैं आपको उस बात के लिए जोर नहीं दूँगा|
भौजी ने मेरे दाहिने हाथ को अपना तकिया बने और मुझसे फिर से लिपट गईं| वो बहुत भावुक हो गईं थीं और ऐसे में उन्हें एक कन्धा चाहिए था जिसपे वो अपना सर रख के रो सकें| उनके आसन मुझे टी-शर्ट के ऊपर से महसूस हो रहे थे|
मैं: I LOVE YOU !!!
भौजी: (सुबकते हुए) I LOVE YOU TOO !!!
उन्होंने मेरे गाल पे Kiss किया और हम ऐसे ही लिपटे सो गए| जब मेरी आँख खुली तो भौजी वहाँ नहीं थी|
नेहा मेरी छाती पे लेटी हुई थी, मेरा हाथ अब भी उसकी पीठ पे था| मैं बहुत सावधानी से उठा ताकि नेहा कहीं गिर ना जाए| फिर मैंने हाथ-मुँह धोया और नेहा को जगाने आया| नेहा को गोद में उठा के उसकी आँखें धोई तब जाके नेहा जाएगी| मैं उसे ले के रसोई घर की ओर जा ही रहा था की तभी भौजी आ गईं| उनके हाथ में चाय थी, ओर एक कप में दूध था| साफ़ था की दूध मेरे लिए था, मैंने दूध का कप लिया ओर नेहा को पिलाने लगा;
भौजी: ये आपके लिए है... नेहा के लिए नहीं|
मैं: बच्चे चाय नहीं पीते ....दूध पीते हैं| अब से इसे दूध ही देना...सुबह-शाम|
भौजी: ठीक है कल से दे दूंगी...अभी तो आप दूध पी लो| आपको ज्यादा जर्रूरत है!
मैं: यार.... मुझे कुछ नहीं हुआ है| मैं बिलकुल ठीक हूँ| Stop treating me like a patient!
भौजी: ओह..सॉरी !!! (मैंने उन्हें कुछ ज्यादा ही झिड़क दिया था)
भौजी मुड़ के जाने लगीं, तो मैंने जल्दी से नेहा को गोद से उतार ओर भौजी के कंधे पे हाथ रख के उन्हें रोक ओर अपनी ओर पलटा| बिना देर किये मैंने आने दोनों हाथों से उनका चेहरा थामा ओर उनके होठों पे अपने होंठ रख दिए ओर kiss करने लगा| एक मिनट बाद हम अलग हुए तो मैंने उन्हें; "I'm Sorry" कहा| वो कुछ नहीं बोलीं बस मेरे गले लग गईं| इतने में वहाँ रसिका भाभी आ गईं| उन्हें आता देख मैं भौजी से अलग हो गया|
रसिका भाभी: दीदी..........
भौजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?
रसिका भाभी: दीदी...एक बार मेरी बात सुन लो प्लीज!!!
भौजी: तेरी.....
मैं: (भौजी की बात काटते हुए) बोलने दो उन्हें|
भौजी: (मेरी ओर देखते हुए) बोल
रसिका भाभी: दीदी मैं बहक गई थी.... प्लीज मुझे माफ़ कर दो! इतने दिनों से उन्होंने मुझे छुआ नहीं और ऐसे में मैं मानु जी की ओर आकर्षित हो गई| उन्होंने ही मुझे उनसे (अजय भैया) से बचाया ओर मैं ये बात भूल गई की.... मेरी वासना मुझ पे हावी हो गई थी! इसलिए मैंने ये पाप किया| मैं आपसे हाथ जोड़के माफ़ी माँगती हूँ| प्लीज मुझे माफ़ कर दो!!! मैं दुबारा ऐसी गलती कभी नहीं करुँगी| मैं समझ चुकी हूँ की ये सिर्फ आप के हैं| मैंने कल रात सब देख लिया था...की आप इनसे कितना प्यार करते हो|
भौजी और मेरी आँखें चौड़ी हो गईं पर दोनों को कोई शिकवा या गिला नहीं था| देख लिया तो देख लिया...
भौजी: देख अगर तूने कोई बकवास की तो..... समझ ले मैं सब बता दूंगी की तूने इनके साथ क्या-क्या करना चाहा था| वैसे भी तू इतनी मशहूर है की कोई तेरी बात कभी नहीं मानेगा|
रसिका भाभी की आँखें झुक गईं .... क्योंकि उनका ब्लैकमेल करने का प्लान फ्लॉप हो चूका था|
वो आगे कुछ नहीं बोलीं बस चुप-चाप चलीं गई| उनके जाते ही भौजी ने मुझसे पूछा;
भौजी: तो सुन लिया आपने?
मैं: हाँ... अब ही इनके अंदर वो कीड़ा कुलबुला रहा है| खेर आपके जवाब ने उनकी बोलती बंद कर दी|
अभी हमारी बातें चल ही रहीं थी की माँ और पिताजी भी आ गए| थोड़ी आव-भगत के बाद उन्हें पता चला की मेरी तबियत ख़राब थी...और तबियत ख़राब होने के पीछे का करना भी क्या था.... खेर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा| मेरा ये मन्ना है की शायद पिताजी ये बात समझ सकते थे परन्तु माँ को ये बात हजम नहीं हो रही थी| इसका पता मुझे कुछ देर बाद चला| घर में भौजी खाना पका रहीं थीं और मैं और नेहा वहीँ तखत पे खेल रहे थे| माँ आज जहाँ मेरी चारपाई होती थी वहां पर बड़की अम्मा के साथ बैठीं थी और उन्होंने मुझे वहाँ से आवाज दी;
माँ: मानु......इधर आ|
मैं: जी आया!
मैं उनके पास पहुंचा और हाथ बंधे खड़ा हो गया| तभी बड़की अम्मा वहाँ से कुछ काम करने चलीं गई|
माँ: बैठ मेरे पास...मुझे कुछ बात करनी है|
मैं: जी बोलिए|
माँ: बेटा तो इतना होशियार है, समझदार है, फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है? आखिर क्यों तू बात को नहीं समझता| तू जानता है की आज नहं तो कल हमने चले जाना है...फिर तू अपनी भौजी से इतना मोह क्यों बढ़ा रहा है? क्यों उसे तकलीफ देना चाहता है?
मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ...मैं सर नीचे झुका के बैठ गया| मैं माँ को क्या जवाब देता...खुद को कैसे रोकता भौजी के करीब जाने से, खासकर तब जब वो हमेशा मेरे सामने रहती हैं| मेरे एक छोटे से मजाक ने उनका क्या हाल किया था ये मैं भलीं-भाँती जानता था| मैं सच में बहुत उदास और परेशान था की मैं क्या करूँ कैसे खुद को कंट्रोल करूँ ....
मैं: माँ...यहाँ पे मेरा कोई दोस्त नहीं है...एक बस वही हैं जिनसे मेरी इतनी बनती है| ऊपर से नेहा के साथ तो जैसे मैं खुद बिलकुल बच्चा बन जाता हूँ| आपका कहना ठीक है की मुझे इतना मोह नहीं बढ़ाना चाहिए पर.... ठीक है... मैं ऐसी गलती फिर नहीं करूँगा|
मैंने माँ से कह तो दिया था पर मैं जानता था की मैं उस पे अमल नहीं कर पाउँगा| मैंने सब समय पे छोड़ दिया और शायद यही मेरी गलती थी....या फिर अब बहुत देर हो चुकी थी!
खेर रात के भोजन के बाद अब बारी थी सोने की| घर की औरतें आज बड़े घर में सोने वालीं थीं और बचे तीन मर्द: मैं, पिताजी और बड़के दादा तो हम सब आज रसोई के पास वाले आँगन में सोने वाले थे| अब समस्या ये थी की भौजी को मेरी ज्यादा ही चिंता थी, तो भोजन के उपरांत वो मेरे पास आईं;
भौजी: सुनिए ... आप कहाँ सोने वाले हो?
मैं: यहाँ आँगन में|
भौजी: ठीक है फिर मैं यहीं अपने घई में साउंगी|
मैं: देखो ऐसे ठीक नहीं लगेगा....सभी औरतें वहाँ सोएंगी और आप यहाँ...बड़की अम्मा क्या कहेंगी?
भौजी: वो सब मुझे नहीं पता....मैं यहीं साउंगी... रात को अगर आपकी तबियत ख़राब हो गई तो आप तो किसी को उठाओगे नहीं... क्योंकि उससे "सबकी नींद डिस्टर्ब हो जाएगी"| मैं यहन हूँगी तो कम से कम रात को उठ के चेक तो कर लिया करुँगी|
मैं: ऑफ-ओह मुझे कुछ नहीं हुआ है.. I M fit and fine
भौजी: वो सब मैं कुछ नहीं जानती| मैं तो यहीं सोउंगी|
अब मुझे इसका हल निकलना था| मैं भौजी को लेके बड़े घर पहुंचा तो वहाँ जाके देखा की सोने का अरेंजमेंट क्या है? घर के आँगन में चार चारपाइयाँ थीं| सबसे दूर वाली रसिका भाभी की, उसके बाद बड़की अम्मा की, उसके बाद माँ की और उसके बाद भौजी की|
मैं: ऐसा करो एक चारपाई यहाँ आपके और माँ के बीच में डाल देते हैं, उसपे मैं सो जाऊँगा| इस तरह मैं आपके सामने भी हूँगा और आपको ज्यादा चिंता भी नहीं रहेगी|
भौजी: ठीक है!
अब मैंने सभी चारपाइयाँ दूर-दूर कीं और मेरी और भौजी की चारपाई के बीच करीब चार फुट का फासला था| बाकी सभी चारपाइयों का भी यही हाल था|
भौजी: अपनी चारपाई इतनी दूर क्यों रखी है|
मैं: (मैंने भौजी को छेड़ते हुए कहा) ऐसा करते हैं मैं आपके साथ ही सो जाता हूँ!
भौजी: हाय!!! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ! आप अभी सो जाओगे और आधी रात को चले जाओगे| मजा तो तब आये जब आप रात भर मेरे साथ रहो| काश.....
मैं: अच्छा अब अपनी ख्यालों की दुनिया से बहार आओ और इस चारपाई पे बिस्तर लगवाओ|
खेर मैं चारपाई पे लेट गया ...और करीब आधे घंटे बाद माँ, बड़की अम्मा और रसिका भाभी भी आ गए|
माँ: मानु....तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैं: माँ.... आपको बहुत मिस कर रहा था तो सोचा आज आपके पास सो जाऊँ| अब एक चारपाई पे तो आप और मैं आ नहीं सकते ना ही मैं इतना छोटा हूँ की आप मुझे गोदी में सुला लो|
मेरी बात सुन के सब हंसने लगे....माँ भी मुस्कुरा दीं| सब अपनी-अपनी चारपाई पे लेट गए| करीब एक घंटा बीता होगा...मुझे झपकी लगी की तभी अचानक एक एहसास हुआ| ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे माथे को छुआ हो! मैंने आँख खोली तो देखा भौजी हैं| मैंने तुरंत आँख बंद कर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैं सो रहा हूँ| दरअसल भौजी मेरा बुखार चेक कर रहीं थीं| उस समय रात के नौ नजी थे| फिर दस बजे दुबारा वो मेरा बुखार चेक करने उठीं| फिर ग्यारह बजे ....फिर बारह बजे...अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ| मैं नहीं चाहता था की कोई मेरी वजह से परेशान हो! जैसे ही भौजी मेरा बुखार चेक कर के लेटीं, मैं उठा और जाके उनके पीछे लेट गया| भौजी ने दाईं और करवट ले रखी थी और मैं उनकी ओर करवट लेकर लेटा, उनकी बगल से होते हुए अपना हाथ उनकी कमर पे रखा और उनके कान में होले से फुसफुसाया;
मैं: कब तक मेरा बुखार चेक करने के लिए उठते रहोगे|
भौजी: आप सोये नहीं अभी तक?
मैं: जिसकी पत्नी बार-बार उठ के उसका बुखार चेक कर रही हो... वो भला सो कैसे सकता है? प्लीज सो जाओ...मैं बिलकुल ठीक हूँ| अगर मुझे तबियत जरा सी भी ख़राब लगेगी तो मैं आपको उठा दूँगा, वादा करता हूँ|
भौजी: पर मुझे नींद नहीं आ रही|
मैं: आपको सुला मैं देता हूँ|
मैंने उनकी गर्दन पे पीछे से kiss किया.... और भौजी के मुख से "सीईईइ ... " की आवाज निकली| कुछ देर मैं उनकी कमर में बाँह डाले लेटा रहा और जब मुझे यकीन हुआ की वो सो गईं हैं तब मैं अपनी चारपाई पे वापस आके लेट गया|
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भौजी: क्या हुआ? आप कुछ छुपा रहे हो?
मैं: नहीं तो?
भौजी: आप जानते हो ना आप मुझसे जूठ नहीं बोल सकते| पिछले एक घंटे से आप कोई न कोई बात करके बातों को घुमा देते हो....प्लीज बताओ ना?
मैं: वो......जो कुछ अभी हुआ उसे लेकर थोड़ा परेशान हूँ|
भौजी: क्यों?
मैं: मुझे Guilty फील हो रहा है| ऐसा लग रहा है मैंने आपके साथ जबरदस्ती की...आपको देख के लग रहा है की आप वो सब नहीं karna चाहते थे....बस मेरा मन रखने के लिए आपने वो...... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: I'M Sorry अगर आपको ऐसा लगा| पर मुझे सिर्फ आपकी सेहत की चिंता है.... अगर आप मेरी वजह से बीमार पड़े तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी| मेरे एक दिन एक्स्ट्रा रुकने से आपकी ये हालत हुई| पर माँ-पिताजी ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया ....वरना मैं जल्दी आ जाती और तब शायद आपकी ये हालत नहीं होती| मैंने ये सब आपका दिल रखने के लिए कतई नहीं किया...मेरा भी मन था.... पर मैं आपकी सेहत को लेके चिंतित थी इसलिए आप मेरी ख़ुशी नहीं देख पाये| आप ऐसा बिलकुल ना सोचें की आपने कोई जबरदस्ती की है ...या मेरा मन नहीं था| प्लीज ऐसा ऐसा मत सोचा करो...
मैं: वैसे एक बात और है जो मैं जानने को बहुत उत्सुक हूँ?
भौजी: पूछिये?
मैं: उस दिन आपके और चन्दर भैया के बीच में क्या बात हुई? क्योंकि जब भैया अंदर आये थे तो वो गुस्से में थे और जब बहार निकले तो संतुष्ट थे!
आगे भौजी ने मुझे पूरी बात बताई जिसको मैं डायलाग के रूप में लिख रहा हूँ|
चन्दर भैया: (गुस्से में) ये किसका बच्चा है? मैंने तो तुम्हें सालों से नहीं छुआ....तुम तो मुझे अपने पास भी नहीं भटकने देती फिर ये कैसे हुआ?
भौजी: आपका ही बच्चा है...और खबरदार आपने अगर इस बच्चे के बारे में कुछ उल्टा सीधा कहा तो? सुहागरात में जो हुआ उसके बाद मैं कभी आपको अपने पास भी नहीं भटकने दूंगी| मुझसे और मेरे बच्चों से दूर रहना| आपने मेरे साथ धोका किया है...मेरी छोटी बहन के साथ...छी...छी...छी...छी ... मैं आपकी तरह नहीं हूँ जो बहार जाके मुँह मारूँ! वरना मुझ मैं और आप में फर्क ही क्या रह जायेगा?
भैया भौजी के तेवर देख के थोड़ा सहम गए ... ये भौजी का मेरे प्रति POSSESIVENESS थी जो अब उनके सामने माँ के प्यार के रूप में बहार आ रही थी|
चन्दर भैया: (थोड़ा संभल के, पर फिर भी अपनी अकड़ दिखाते हुए) तो आखिर ये सब कैसे हुआ?
भौजी: उस दिन जब आप देसी चढ़ा के आये थे तब आपने जबरदस्ती मेरे साथ बलात्कार किया था...कुछ याद आया?
चन्दर भैया: नहीं...ये नहीं हो सकता ...मुझे अच्छे से याद है उस दिन मैंने तुम्हें नहीं छुआ था|
भौजी: तो मेरी पीठ पे ये निशाँ कैसे आये...जानते हो कितनी गाली बाकि थी मुझे... अब भी मेरे यौन अंगों पे आपके गंदे हाथों के निशान हैं...काटने के निशान...नौचने के निशान..... बता दूँ ये बात अब को? या कर दूँ थाने में कंप्लेंट और वो भी जो तुमने मेरी छोटी बहन के साथ किया ....?
चन्दर भैया: तुम अपने पति के खिलाफ कंप्लेंट करोगी?
भौजी: अगर आप मुझ पे इतना गन्दा इल्जाम लगा सकते हो तो मैं भी आप के खिलाफ कंप्लेंट कर सकती हूँ|
भौजी के तेवर और रवैय्ये ने चन्दर भैया को यकीन दिल दिया था की ये नहीं का बच्चा है|
ये सब बता के भौजी रो पड़ीं ...
मैं: I'm Sorry !!! मुझे ये बात नहीं करनी चाहिए थी|
भौजी: मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं है...दुःख है तो इस बात का की मैं इस बच्चे को आपका नाम नहीं दे सकती!
मैं: देखो आप जानते हो ये हमारा बच्चा है...मैं जानता हूँ ये हमारा बच्चा है| बस !!! इसका दूसरा रास्ता था की आप मेरे साथ भाग चलो....पर वो आपके हिसाब से अनुचित है| तो मैं आपको उस बात के लिए जोर नहीं दूँगा|
भौजी ने मेरे दाहिने हाथ को अपना तकिया बने और मुझसे फिर से लिपट गईं| वो बहुत भावुक हो गईं थीं और ऐसे में उन्हें एक कन्धा चाहिए था जिसपे वो अपना सर रख के रो सकें| उनके आसन मुझे टी-शर्ट के ऊपर से महसूस हो रहे थे|
मैं: I LOVE YOU !!!
भौजी: (सुबकते हुए) I LOVE YOU TOO !!!
उन्होंने मेरे गाल पे Kiss किया और हम ऐसे ही लिपटे सो गए| जब मेरी आँख खुली तो भौजी वहाँ नहीं थी|
नेहा मेरी छाती पे लेटी हुई थी, मेरा हाथ अब भी उसकी पीठ पे था| मैं बहुत सावधानी से उठा ताकि नेहा कहीं गिर ना जाए| फिर मैंने हाथ-मुँह धोया और नेहा को जगाने आया| नेहा को गोद में उठा के उसकी आँखें धोई तब जाके नेहा जाएगी| मैं उसे ले के रसोई घर की ओर जा ही रहा था की तभी भौजी आ गईं| उनके हाथ में चाय थी, ओर एक कप में दूध था| साफ़ था की दूध मेरे लिए था, मैंने दूध का कप लिया ओर नेहा को पिलाने लगा;
भौजी: ये आपके लिए है... नेहा के लिए नहीं|
मैं: बच्चे चाय नहीं पीते ....दूध पीते हैं| अब से इसे दूध ही देना...सुबह-शाम|
भौजी: ठीक है कल से दे दूंगी...अभी तो आप दूध पी लो| आपको ज्यादा जर्रूरत है!
मैं: यार.... मुझे कुछ नहीं हुआ है| मैं बिलकुल ठीक हूँ| Stop treating me like a patient!
भौजी: ओह..सॉरी !!! (मैंने उन्हें कुछ ज्यादा ही झिड़क दिया था)
भौजी मुड़ के जाने लगीं, तो मैंने जल्दी से नेहा को गोद से उतार ओर भौजी के कंधे पे हाथ रख के उन्हें रोक ओर अपनी ओर पलटा| बिना देर किये मैंने आने दोनों हाथों से उनका चेहरा थामा ओर उनके होठों पे अपने होंठ रख दिए ओर kiss करने लगा| एक मिनट बाद हम अलग हुए तो मैंने उन्हें; "I'm Sorry" कहा| वो कुछ नहीं बोलीं बस मेरे गले लग गईं| इतने में वहाँ रसिका भाभी आ गईं| उन्हें आता देख मैं भौजी से अलग हो गया|
रसिका भाभी: दीदी..........
भौजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?
रसिका भाभी: दीदी...एक बार मेरी बात सुन लो प्लीज!!!
भौजी: तेरी.....
मैं: (भौजी की बात काटते हुए) बोलने दो उन्हें|
भौजी: (मेरी ओर देखते हुए) बोल
रसिका भाभी: दीदी मैं बहक गई थी.... प्लीज मुझे माफ़ कर दो! इतने दिनों से उन्होंने मुझे छुआ नहीं और ऐसे में मैं मानु जी की ओर आकर्षित हो गई| उन्होंने ही मुझे उनसे (अजय भैया) से बचाया ओर मैं ये बात भूल गई की.... मेरी वासना मुझ पे हावी हो गई थी! इसलिए मैंने ये पाप किया| मैं आपसे हाथ जोड़के माफ़ी माँगती हूँ| प्लीज मुझे माफ़ कर दो!!! मैं दुबारा ऐसी गलती कभी नहीं करुँगी| मैं समझ चुकी हूँ की ये सिर्फ आप के हैं| मैंने कल रात सब देख लिया था...की आप इनसे कितना प्यार करते हो|
भौजी और मेरी आँखें चौड़ी हो गईं पर दोनों को कोई शिकवा या गिला नहीं था| देख लिया तो देख लिया...
भौजी: देख अगर तूने कोई बकवास की तो..... समझ ले मैं सब बता दूंगी की तूने इनके साथ क्या-क्या करना चाहा था| वैसे भी तू इतनी मशहूर है की कोई तेरी बात कभी नहीं मानेगा|
रसिका भाभी की आँखें झुक गईं .... क्योंकि उनका ब्लैकमेल करने का प्लान फ्लॉप हो चूका था|
वो आगे कुछ नहीं बोलीं बस चुप-चाप चलीं गई| उनके जाते ही भौजी ने मुझसे पूछा;
भौजी: तो सुन लिया आपने?
मैं: हाँ... अब ही इनके अंदर वो कीड़ा कुलबुला रहा है| खेर आपके जवाब ने उनकी बोलती बंद कर दी|
अभी हमारी बातें चल ही रहीं थी की माँ और पिताजी भी आ गए| थोड़ी आव-भगत के बाद उन्हें पता चला की मेरी तबियत ख़राब थी...और तबियत ख़राब होने के पीछे का करना भी क्या था.... खेर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा| मेरा ये मन्ना है की शायद पिताजी ये बात समझ सकते थे परन्तु माँ को ये बात हजम नहीं हो रही थी| इसका पता मुझे कुछ देर बाद चला| घर में भौजी खाना पका रहीं थीं और मैं और नेहा वहीँ तखत पे खेल रहे थे| माँ आज जहाँ मेरी चारपाई होती थी वहां पर बड़की अम्मा के साथ बैठीं थी और उन्होंने मुझे वहाँ से आवाज दी;
माँ: मानु......इधर आ|
मैं: जी आया!
मैं उनके पास पहुंचा और हाथ बंधे खड़ा हो गया| तभी बड़की अम्मा वहाँ से कुछ काम करने चलीं गई|
माँ: बैठ मेरे पास...मुझे कुछ बात करनी है|
मैं: जी बोलिए|
माँ: बेटा तो इतना होशियार है, समझदार है, फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है? आखिर क्यों तू बात को नहीं समझता| तू जानता है की आज नहं तो कल हमने चले जाना है...फिर तू अपनी भौजी से इतना मोह क्यों बढ़ा रहा है? क्यों उसे तकलीफ देना चाहता है?
मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ...मैं सर नीचे झुका के बैठ गया| मैं माँ को क्या जवाब देता...खुद को कैसे रोकता भौजी के करीब जाने से, खासकर तब जब वो हमेशा मेरे सामने रहती हैं| मेरे एक छोटे से मजाक ने उनका क्या हाल किया था ये मैं भलीं-भाँती जानता था| मैं सच में बहुत उदास और परेशान था की मैं क्या करूँ कैसे खुद को कंट्रोल करूँ ....
मैं: माँ...यहाँ पे मेरा कोई दोस्त नहीं है...एक बस वही हैं जिनसे मेरी इतनी बनती है| ऊपर से नेहा के साथ तो जैसे मैं खुद बिलकुल बच्चा बन जाता हूँ| आपका कहना ठीक है की मुझे इतना मोह नहीं बढ़ाना चाहिए पर.... ठीक है... मैं ऐसी गलती फिर नहीं करूँगा|
मैंने माँ से कह तो दिया था पर मैं जानता था की मैं उस पे अमल नहीं कर पाउँगा| मैंने सब समय पे छोड़ दिया और शायद यही मेरी गलती थी....या फिर अब बहुत देर हो चुकी थी!
खेर रात के भोजन के बाद अब बारी थी सोने की| घर की औरतें आज बड़े घर में सोने वालीं थीं और बचे तीन मर्द: मैं, पिताजी और बड़के दादा तो हम सब आज रसोई के पास वाले आँगन में सोने वाले थे| अब समस्या ये थी की भौजी को मेरी ज्यादा ही चिंता थी, तो भोजन के उपरांत वो मेरे पास आईं;
भौजी: सुनिए ... आप कहाँ सोने वाले हो?
मैं: यहाँ आँगन में|
भौजी: ठीक है फिर मैं यहीं अपने घई में साउंगी|
मैं: देखो ऐसे ठीक नहीं लगेगा....सभी औरतें वहाँ सोएंगी और आप यहाँ...बड़की अम्मा क्या कहेंगी?
भौजी: वो सब मुझे नहीं पता....मैं यहीं साउंगी... रात को अगर आपकी तबियत ख़राब हो गई तो आप तो किसी को उठाओगे नहीं... क्योंकि उससे "सबकी नींद डिस्टर्ब हो जाएगी"| मैं यहन हूँगी तो कम से कम रात को उठ के चेक तो कर लिया करुँगी|
मैं: ऑफ-ओह मुझे कुछ नहीं हुआ है.. I M fit and fine
भौजी: वो सब मैं कुछ नहीं जानती| मैं तो यहीं सोउंगी|
अब मुझे इसका हल निकलना था| मैं भौजी को लेके बड़े घर पहुंचा तो वहाँ जाके देखा की सोने का अरेंजमेंट क्या है? घर के आँगन में चार चारपाइयाँ थीं| सबसे दूर वाली रसिका भाभी की, उसके बाद बड़की अम्मा की, उसके बाद माँ की और उसके बाद भौजी की|
मैं: ऐसा करो एक चारपाई यहाँ आपके और माँ के बीच में डाल देते हैं, उसपे मैं सो जाऊँगा| इस तरह मैं आपके सामने भी हूँगा और आपको ज्यादा चिंता भी नहीं रहेगी|
भौजी: ठीक है!
अब मैंने सभी चारपाइयाँ दूर-दूर कीं और मेरी और भौजी की चारपाई के बीच करीब चार फुट का फासला था| बाकी सभी चारपाइयों का भी यही हाल था|
भौजी: अपनी चारपाई इतनी दूर क्यों रखी है|
मैं: (मैंने भौजी को छेड़ते हुए कहा) ऐसा करते हैं मैं आपके साथ ही सो जाता हूँ!
भौजी: हाय!!! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ! आप अभी सो जाओगे और आधी रात को चले जाओगे| मजा तो तब आये जब आप रात भर मेरे साथ रहो| काश.....
मैं: अच्छा अब अपनी ख्यालों की दुनिया से बहार आओ और इस चारपाई पे बिस्तर लगवाओ|
खेर मैं चारपाई पे लेट गया ...और करीब आधे घंटे बाद माँ, बड़की अम्मा और रसिका भाभी भी आ गए|
माँ: मानु....तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैं: माँ.... आपको बहुत मिस कर रहा था तो सोचा आज आपके पास सो जाऊँ| अब एक चारपाई पे तो आप और मैं आ नहीं सकते ना ही मैं इतना छोटा हूँ की आप मुझे गोदी में सुला लो|
मेरी बात सुन के सब हंसने लगे....माँ भी मुस्कुरा दीं| सब अपनी-अपनी चारपाई पे लेट गए| करीब एक घंटा बीता होगा...मुझे झपकी लगी की तभी अचानक एक एहसास हुआ| ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे माथे को छुआ हो! मैंने आँख खोली तो देखा भौजी हैं| मैंने तुरंत आँख बंद कर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैं सो रहा हूँ| दरअसल भौजी मेरा बुखार चेक कर रहीं थीं| उस समय रात के नौ नजी थे| फिर दस बजे दुबारा वो मेरा बुखार चेक करने उठीं| फिर ग्यारह बजे ....फिर बारह बजे...अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ| मैं नहीं चाहता था की कोई मेरी वजह से परेशान हो! जैसे ही भौजी मेरा बुखार चेक कर के लेटीं, मैं उठा और जाके उनके पीछे लेट गया| भौजी ने दाईं और करवट ले रखी थी और मैं उनकी ओर करवट लेकर लेटा, उनकी बगल से होते हुए अपना हाथ उनकी कमर पे रखा और उनके कान में होले से फुसफुसाया;
मैं: कब तक मेरा बुखार चेक करने के लिए उठते रहोगे|
भौजी: आप सोये नहीं अभी तक?
मैं: जिसकी पत्नी बार-बार उठ के उसका बुखार चेक कर रही हो... वो भला सो कैसे सकता है? प्लीज सो जाओ...मैं बिलकुल ठीक हूँ| अगर मुझे तबियत जरा सी भी ख़राब लगेगी तो मैं आपको उठा दूँगा, वादा करता हूँ|
भौजी: पर मुझे नींद नहीं आ रही|
मैं: आपको सुला मैं देता हूँ|
मैंने उनकी गर्दन पे पीछे से kiss किया.... और भौजी के मुख से "सीईईइ ... " की आवाज निकली| कुछ देर मैं उनकी कमर में बाँह डाले लेटा रहा और जब मुझे यकीन हुआ की वो सो गईं हैं तब मैं अपनी चारपाई पे वापस आके लेट गया|
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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