FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........8
फ्रेश होने के बाद लड़की नंगी ही बाथरूम से बाहर निकली...बिल्कुल संगमरमर सी काया लिए...बालों से टपक रही पानी की बूंदे उसे और कयामत बना रही थी...तौलिया ली और पूरे शरीर को अच्छी तरह पानी पोंछी...
फिर पहनने के लिए टीशर्ट्स बेड से उठा ली... बड़ी मुश्किल से पहन पाई वो... काफी छोटी और कसी हुई थी टीशर्ट्स... उसे खुद महसूस हो रही थी जाने कब मेरी चुची टीशर्ट को फाड़ कर बाहर उछल पड़ेगी... इससे उसकी खुद की नजर बार बार ऊंची और कसी चुची पर चली जाती...
और नीचे नाभी को मुश्किल से छू रही थी... उसे काफी असहज महसूस हो रही थी.. आज तक कभी ऐसी ड्रेस नहीं नीचे थी... जिससे वो बार बार टीशर्ट को नीचे कर नाभी को ढ़ंकने की कोशिश करती पर नाकामयाब... बल्कि ऊपर से वक्ष-कटाव और दिखने लग जाती...
तंग आकर उसने छोड़ दी कि आज भर ही तो पहननी है... कल फिर अपनी ड्रेस पहन लेगी और फिर कल या परसों तक तो वापस चली ही जाएगी... फिर नीचे के लिए अब और मुश्किल... बिना कच्छी के ये छोटे से शॉर्ट्स कैसे पहनूँ... ब्रॉ-पैन्टी सब पसीने से बदबू कर रही थी तो उसे धो दी...
मन मसोस कर वो पहन तो ली पर वो अब खुद शर्म से गड़ी जा रही थी... उसकी गर्म A.C. में सनसनाती हुई बाहर की हवा जा रही थी... वो सिहर सी जाती जब वो सोचती कि वो नंगी है... वो सोच में पड़ गई कि क्या करें अब...
फिर पता नहीं उसे क्या सूझी... कमरे में लगी शीशे की तरफ बढ़ी और जैसे ही वो खुद को देखी हड़बड़ाती हुई हल्की चीख पड़ी... उसके हाथ आश्चर्य और शर्म से चेहरे को ढ़ँक ली... फिर कुछ देर बाद जब हौले आँखों से देखी तो उसे खुद पर यकीं नहीं हो रही थी कि ये मैं हूँ...
अंदर ही अंदर काफी खुश भी हो रही थी कि मैं ऐसे ड्रेस पहन ली तो ना जाने कितने पागल हो जाएंगे... क्योंकि जब वो खुद अपनी फिगर की कायल हो चुकी थी ऐसे ड्रेसेज में... फिर हिम्मत करती हुई अपने हाथ हटाई और मुस्काती हुई खुद को गौर से निहारने लगी...
कुछ देर तक कभी सीधी देखती तो कभी तिरछी...कभी झुक के देखती तो कभी साइड से...और हर एक अदा की वो खुद ही दिवानी होती जा रही थी...ना जाने क्यों वो इस ड्रेस को निकालने के ख्यालात छोड़ पहने रहने की सोचनी लगी...
तभी उसने दिमाग को झटकी तो नहीं, पहले कोशिश करती हूँ अगर उसके पास कोई जींस वगैरह हुई तो वो पहन लूंगी...टीशर्ट्स रहनेे दूंगी...तभी उसकी नजर खुद की निप्पल पर पड़ गई जो ब्रॉ नहीं रहने की वजह से टीशर्ट्स में अपनी आकार की नुमाइश पेश कर रही थी...
वो अपने हाथ बढ़ा निप्पल तक ले गई और हल्की चुटकी में निप्पल को रगड़ दी... ये जान कर की उसने या खुद हो गई.. पता नहीं, पर इसमें वो सिहर कर शर्मा सी गई..और फिर वो मटकती हुई दाएं-बाँए होती गेट तक पहुंची...
गेट की लॉक खोल हल्के से गेट खोली और हल्की सी खोली... बस इतनी कि जिसमें से वो सिर्फ अपनी गर्दन बाहर निकाल सकती... वो अपनी मुस्कुराहट चेहरे से गायब नहीं कर पा रही थी... पूरे तन को गेट के पीछे रख बाहर उन दोनों लड़की की तरफ झाँकी...
उधर देखते ही उनकी नजर आपस में टकरा गई... वो उसे इशारा कर अपने पास बुलाई तो वो दोनों उठ के तुरंत पास आते ही पूछी,"क्या हुआ.?"
"कुछ नहीं , बस एक प्रॉब्लम है..."चेहरे पर हल्की सिकन लाती हुई बोली जिसे सुन उन दोनों के भी चेहरे पर हल्की सिकन उतर आई और प्रॉब्लम जानने की उत्सुक दिखाई दी...
लड़की आगे बोली," वो दरअसल शॉर्टस में सहज नहीं लग रही हूँ तो सोची अगर तुम लोगों के पास कोई जींस,पैंट हुई तो प्लीज..." लड़की पूरी बात ना बोल पाई कि उनमें से एक लड़की बोल पड़ी...
"ओह सॉरी, अगर होती तो हम पहले ही दे देते... यहाँ सिर्फ छोटे छोटे ड्रेसेज ही हैं हमारे... अच्छा दिखाओ तो...जरा देखे तो इनमें तुम क्यों नहीं सहज लग रही हो..." अंतिम शब्द बोलने के साथ वो हल्की मुस्कुरा पड़ी और वो अंदर आने के लिए गेट पर हल्की दबाव दी...
"नहीं तुमलोग हंसोगी तो मुझे शर्म आएगी...प्लीज मैं अंदर ही रहना चाहूंगी...तब तक तुम मेरे कपड़े सुखाने की व्यवस्था कर दो..." लड़की मुस्कुराते हुए बोली जिसे वो दोनों तुरंत ताड़ गई कि इसका मूड अब थोड़ी ठीक है तो वो हंसती हुई प्लीज कह अंदर आने की जबरदस्ती दिखा दी...
ज्यादा उसे रोक नहीं पाई और वो अंदर दाखिल हो गई...जैसे ही उसकी नजर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई... वो लगातार ऊपर से नीचे निहारे जा रही थी... उसे ऐसे घूरते देख वो शर्म से लाल होती जा रही थी और हंसती जा रही थी...
दोनों उसे चारों तरफ घूर घूर कर निहारे जा रही थी... जब दोनों कुछ देर तक इसी तरह घूरती रही तो वो ज्यादा सहन नहीं कर सकी और आगे बढ़ एक का हाथ पकड़ ली और बोली...
"प्लीज, मुझे शर्म आ रही है... ऐसे घूरना बंद करो और मेरे कपड़े सूखने डाल दो...ताकि मैं जल्दी से वो ड्रेस पहन लूंगी..." लड़की की बात सुन वो थोड़ी बनावटी गुस्से में बोली...
"अजीब हो यार तुम... मॉडल को मैं इतने दिन से सिर्फ टीवी पर देख देख पक गई हूँ... आज पहली बार सामने देख रही हूँ तो तुम देखने नहीं देती..." इसकी बात खत्म होते ही दूसरी लड़की उसे पीछे से बांहों में जकड़ती हुई बोली...
"..और कसम से...आज तक हम लोग ना जाने कितने ड्रेस पहन ली कि किसी में हम मॉडल की तरह दिखूं पर नहीं... और ना ही कोई दोस्त... कसम से, काफी खूबसूरत लग रही हो... प्लीज यही पहने रहो जब तक यहां रहो हम दोनों के लिए... "पीछे की लड़की की बात खत्म होते ही आगे वाली लड़की घुटने पर हो ली...
और प्रपोज के स्टाइल में हो बोली," आई लव यू डियर..डू यू लव मी..?" और ये देखते ही हंसे बिना नहीं रह सकी और शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली.. इस हंसी में पीछे वाली लड़की भी साथ हो ली...
"एक्सपेट कर लो मिस.... ऐ, तुम्हारा नाम क्या है?" पीछे वाली लड़की उसके कानों में बोलती हुई पूछी जिसे सुन उसके मुख से अपने आप "पुष्पा " निकल गई, पर उसकी आंखें अभी भी बंद ही थी खुशी और शर्म से...
"वॉव...पुष्पा...मैं डॉली और ये रिंकी...हाँ कह दो रिंकी को... लड़की काफी अच्छी है बस कुछ काम बुरी है... पर तुमसे काफी प्यार करेगी... ये मैं दावे से कहती हूँ... आज तक कभी लड़के को आई लव यू नहीं बोली है ये..."डॉली आगे की बात खत्म कर पुष्पा के गर्दन पर हल्की किस चिपका दी...
पुष्पा जब अपनी आंखें खोली तो सामने रिंकी उसी तरह बैठी उसके हां के इंतजार में बैठी थी... जिसे देख उसकी हंसी निकल पड़ी और वो बोली,"प्लीज यार, अब और मत सताओ नहीं तो मैं मर जाऊंगी... तुम लोग इतनी अच्छी फ्रेडली हो मैं सोच भी नहीं सकती..."
रिंकी,"नो, मैं फ्रेंड नहीं हूं तुम्हारी ...दिवानी हूँ और लवर बनना चाहती हूं... फ्रेंड तो डॉली है... और हां नहीं की तो मैं मर जाऊंगी प्लीज..." पुष्पा की तो हंसी रूक ही नहीं रही थी...रिंकी के हाथ पुष्पा की ओर बढ़ी थी...
डॉली,"यस माई डिअर फ्रेंड, अब हां भी कह दो...प्लीज" दोनों की ऐसी बातें सुन वो खुद को रोक नहीं पाई और पुष्पा बोली,"पहले मेरे कपड़े सुखने दे आओ..."
पुष्पा के बोलते ही डॉली बोली,"उफ्फ्फ्फ... ओके तुम हाँ कहो और मैं उधर गई...जल्दी करो..." पुष्पा उसकी बात सुन रिंकी की तरफ देखी जो मुस्कुरा रही थी... पुष्पा ने अपने हाथ उसके हाथ में रखती हुई मुस्कुराई और बोली,"आई लव यू टू रिंकी..."
पुष्पा को भला क्या दिक्कत होती... इतनी हंसमुख फ्रेंड जो मिल गई थी... और ये अगर सच में अच्छी फ्रेंड हुई तो जरूरत पड़ने पर काम भी आ सकती है...
पुष्पा के हां कहते ही डॉली कपड़े लेने बाथरूम की तरफ निकल गई जबकि रिंकी खुशी से उठती हुई पुष्पा से "थैंक्स.." कहती लिपट गई.. पुष्पा रिंकी की हर हरकत पर हंसे बिना नहीं रह सकती थी...
कुछ पल गले मिलने के बाद रिंकी थोड़ी सी पीछे हटी और बोली,"डिअर पुष्पा, अब मेरी गर्लफ्रेंड बनी हो तो कुछ हक तो बनता है ना..." रिंकी की बात सुन पुष्पा जब तक उसकी बात समझने की कोशिश करती तब तक रिंकी अपने होंठ पुष्पा के होंठ से चिपका दी....
पुष्पा की शरीर में तो मानों करंट लग गई... आज पहली बार किसी के होंठ उसके होंठ को टच की थी... वो बदहवास सी रह गई... जबकि रिंकी पुष्पा के अनछुई होंठो से रस चूसनी शुरू कर दी थी...
रिंकी हर पैंतरा जानती थी इस खेल में... जबकि पुष्पा बिल्कुल नादान... कुछ ही पलों में पुष्पा हार सी गई और खुद को रिंकी की बांहों में सौंप दी... रिंकी अपनी प्रेमिका को प्यार किए जा रही थी होठों से...
मदहोश हो चुकी पुष्पा को रिंकी ने कब उसे बेड पर लिटा दी, पुष्पा को मालूम नहीं... वो बस रिंकी की चुसाई में खोई थी... और वो अब रिंकी का भरपूर साथ भी दे रही थी... तभी पुष्पा चिहुंक सी गई....
रिंकी ने अपने हाथ उसकी चुची पर जो रख दी थी... पुष्पा ने तेजी से अपने हाथ बढ़ा उसके हाथ को पकड़ कर हटाने की कोशिश करने लगी और वो खुद को बेड पर लेटी पा सोच में पड़ गई कि वो बेड पर कब आई...
रिंकी को समझते देर नहीं लगी कि ये अभी तक अनछुई कुंवारी है... वो और गहरी और मदहोशी वाली किस करने लगी और अपने हाथ को पुष्पा की चुची से हटाने की बजाए और जोर से पकड़ बना दी...
पुष्पा छटपटाने लगी पर रिंकी से खुद को अलग नहीं कर पा रही थी...रिंकी के हाथ अब पुष्पा की चुची को हौले हौले मसलने लगी थी... पुष्पा बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी... आखिर कब तक कोशिश करती... उसकी चूत जो मानने को तैयार नहीं थी... चूत से पानी रिसनी शुरू हो गई थी...
पुष्पा विरोध करना छोड़ अपने दोनों हाथ बाहर कर रिंकी की पीठ पर रख दी... नीचे पुष्पा प्रेमिका की तरह पड़ी थी और ऊपर रिंकी किसी प्रेमी की तरह चढ़ प्यार की बारिश कर रही थी... पुष्पा अब गरम हो चुकी थी तो उसने भी रिंकी की जीभ को चखने की कोशिश की...
रिंकी को जैसे ही ये महसूस हुई तो उसने झट से अपनी पूरी जीभ पुष्पा के मुंह में उतार दी और अपनी नई प्रेमिका को चूसने के लिए छोड़ दी...पुष्पा रिंकी की हरकत से शर्मा गई और नहीं चूसना चाहती थी पर रिंकी ने उसे पीछे हटने ही नहीं दी, जब तक कि वो स्वाद चखना शुरू नहीं कर दी...
पुष्पा को अंततः चूसनी ही पड़ी और पल भर में ही वो बड़े चाव से चटखारे लेनी शुरू कर दी... रिंकी बस यूं शांत रह अपनी जीभ चूसवाती रही और हौले हौले पुष्पा की चुची दबाती भी रही...और तभी दोनों के कानों में डॉली की आवाज पड़ी...वो तब तक कपड़े बाहर रख आ गई थी...
"डॉर्लिंग ,मैं भी हूं..."डॉली पुष्पा के बगल में पेट के बल लेटी सीधे पुष्पा के कानों में बोली... ये सुनते ही पुष्पा स्मूच रोक दी और बिना डॉली की तरफ देखे शर्माती हुई अपनी आंखों पर दोनों हाथों से पर्दा डाल मुस्कुराने लगी...
"ओए, ये मेरी गर्लफ्रेंड है...तेरी नहीं..चल जा अपना काम कर... " रिंकी ने अपने होंठों पर लगे प्याररस को पोंछती हुई बोली... ये सुनते ही डॉली तेजी से रिंकी के कान मरोड़ती हुई बोली,"शाली, और वक्त तो दोस्त का वास्ता दे हर काम में साथ कर लेती हो... तो अब क्यों नाटक कर रही हो... मैं कुछ नहीं सुनने वाली... हर चीज पर जब हम दोनों का बराबर हक है तो इस पर भी ये नियम लागू होगी तो होगी...."
अपनी बात कहती हुई डॉली आगे खिसक पुष्पा के चेहरे केे बिल्कुल समीप अपने चेहरे लाई और हाथों से पुष्पा को बेनकाब करने की कोशिश करने लगी... इस पर रिंकी हंसे बिना नहीं रह सकी और बिना कुछ कहे पुष्पा के शरीर से हट बगल में लुढ़क कर दोनों को देखने लगी...
डॉली जितनी जोर से पुष्पा के हाथ हटाती, पुष्पा उतनी ही ताकत से हाथों को चेहरे पर कस लेती... उसे देख रिंकी बीच बीच में चुटकी लिए जा रही थी... पुष्पा अपना चेहरा डॉली के किस की डर से नहीं ढ़ंकी थी, बल्कि वो तो शर्म से गड़ी जा रही थी...
काफी कोशिश के बाद भी रिंकी डॉली को नाकामयाब होती देखी तो वो रह नहीं पाई और अपने हाथ बढ़ा पुष्पा के कमर पर हल्की गुदगुदी बना दी... इससे पुष्पा उछल पड़ी और उसके दोनों हाथ गोली की रफ्तार से नीचे कमर की तरफ बढ़ गई...बस डॉली इसी पल का इंतजार कर रही थी...
वो तड़के ही पुष्पा के लबों पर टूट पड़ी... पुष्पा को किस से परहेज तो थी नहीं जो अब विरोध करती... एक से दो भली... यही सोच वो तुरंत ही डॉली को भी सपोर्ट करने लगी और डॉली किसी हवसी की तरह लगातार पुष्पा के होंठ को चूसती तो कभी हल्के से काटती... पुष्पा भी अब थोड़ी थोड़ी मस्ती में डूबकी लगाने लगी थी...
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पापा प्लीज........8
फ्रेश होने के बाद लड़की नंगी ही बाथरूम से बाहर निकली...बिल्कुल संगमरमर सी काया लिए...बालों से टपक रही पानी की बूंदे उसे और कयामत बना रही थी...तौलिया ली और पूरे शरीर को अच्छी तरह पानी पोंछी...
फिर पहनने के लिए टीशर्ट्स बेड से उठा ली... बड़ी मुश्किल से पहन पाई वो... काफी छोटी और कसी हुई थी टीशर्ट्स... उसे खुद महसूस हो रही थी जाने कब मेरी चुची टीशर्ट को फाड़ कर बाहर उछल पड़ेगी... इससे उसकी खुद की नजर बार बार ऊंची और कसी चुची पर चली जाती...
और नीचे नाभी को मुश्किल से छू रही थी... उसे काफी असहज महसूस हो रही थी.. आज तक कभी ऐसी ड्रेस नहीं नीचे थी... जिससे वो बार बार टीशर्ट को नीचे कर नाभी को ढ़ंकने की कोशिश करती पर नाकामयाब... बल्कि ऊपर से वक्ष-कटाव और दिखने लग जाती...
तंग आकर उसने छोड़ दी कि आज भर ही तो पहननी है... कल फिर अपनी ड्रेस पहन लेगी और फिर कल या परसों तक तो वापस चली ही जाएगी... फिर नीचे के लिए अब और मुश्किल... बिना कच्छी के ये छोटे से शॉर्ट्स कैसे पहनूँ... ब्रॉ-पैन्टी सब पसीने से बदबू कर रही थी तो उसे धो दी...
मन मसोस कर वो पहन तो ली पर वो अब खुद शर्म से गड़ी जा रही थी... उसकी गर्म A.C. में सनसनाती हुई बाहर की हवा जा रही थी... वो सिहर सी जाती जब वो सोचती कि वो नंगी है... वो सोच में पड़ गई कि क्या करें अब...
फिर पता नहीं उसे क्या सूझी... कमरे में लगी शीशे की तरफ बढ़ी और जैसे ही वो खुद को देखी हड़बड़ाती हुई हल्की चीख पड़ी... उसके हाथ आश्चर्य और शर्म से चेहरे को ढ़ँक ली... फिर कुछ देर बाद जब हौले आँखों से देखी तो उसे खुद पर यकीं नहीं हो रही थी कि ये मैं हूँ...
अंदर ही अंदर काफी खुश भी हो रही थी कि मैं ऐसे ड्रेस पहन ली तो ना जाने कितने पागल हो जाएंगे... क्योंकि जब वो खुद अपनी फिगर की कायल हो चुकी थी ऐसे ड्रेसेज में... फिर हिम्मत करती हुई अपने हाथ हटाई और मुस्काती हुई खुद को गौर से निहारने लगी...
कुछ देर तक कभी सीधी देखती तो कभी तिरछी...कभी झुक के देखती तो कभी साइड से...और हर एक अदा की वो खुद ही दिवानी होती जा रही थी...ना जाने क्यों वो इस ड्रेस को निकालने के ख्यालात छोड़ पहने रहने की सोचनी लगी...
तभी उसने दिमाग को झटकी तो नहीं, पहले कोशिश करती हूँ अगर उसके पास कोई जींस वगैरह हुई तो वो पहन लूंगी...टीशर्ट्स रहनेे दूंगी...तभी उसकी नजर खुद की निप्पल पर पड़ गई जो ब्रॉ नहीं रहने की वजह से टीशर्ट्स में अपनी आकार की नुमाइश पेश कर रही थी...
वो अपने हाथ बढ़ा निप्पल तक ले गई और हल्की चुटकी में निप्पल को रगड़ दी... ये जान कर की उसने या खुद हो गई.. पता नहीं, पर इसमें वो सिहर कर शर्मा सी गई..और फिर वो मटकती हुई दाएं-बाँए होती गेट तक पहुंची...
गेट की लॉक खोल हल्के से गेट खोली और हल्की सी खोली... बस इतनी कि जिसमें से वो सिर्फ अपनी गर्दन बाहर निकाल सकती... वो अपनी मुस्कुराहट चेहरे से गायब नहीं कर पा रही थी... पूरे तन को गेट के पीछे रख बाहर उन दोनों लड़की की तरफ झाँकी...
उधर देखते ही उनकी नजर आपस में टकरा गई... वो उसे इशारा कर अपने पास बुलाई तो वो दोनों उठ के तुरंत पास आते ही पूछी,"क्या हुआ.?"
"कुछ नहीं , बस एक प्रॉब्लम है..."चेहरे पर हल्की सिकन लाती हुई बोली जिसे सुन उन दोनों के भी चेहरे पर हल्की सिकन उतर आई और प्रॉब्लम जानने की उत्सुक दिखाई दी...
लड़की आगे बोली," वो दरअसल शॉर्टस में सहज नहीं लग रही हूँ तो सोची अगर तुम लोगों के पास कोई जींस,पैंट हुई तो प्लीज..." लड़की पूरी बात ना बोल पाई कि उनमें से एक लड़की बोल पड़ी...
"ओह सॉरी, अगर होती तो हम पहले ही दे देते... यहाँ सिर्फ छोटे छोटे ड्रेसेज ही हैं हमारे... अच्छा दिखाओ तो...जरा देखे तो इनमें तुम क्यों नहीं सहज लग रही हो..." अंतिम शब्द बोलने के साथ वो हल्की मुस्कुरा पड़ी और वो अंदर आने के लिए गेट पर हल्की दबाव दी...
"नहीं तुमलोग हंसोगी तो मुझे शर्म आएगी...प्लीज मैं अंदर ही रहना चाहूंगी...तब तक तुम मेरे कपड़े सुखाने की व्यवस्था कर दो..." लड़की मुस्कुराते हुए बोली जिसे वो दोनों तुरंत ताड़ गई कि इसका मूड अब थोड़ी ठीक है तो वो हंसती हुई प्लीज कह अंदर आने की जबरदस्ती दिखा दी...
ज्यादा उसे रोक नहीं पाई और वो अंदर दाखिल हो गई...जैसे ही उसकी नजर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई... वो लगातार ऊपर से नीचे निहारे जा रही थी... उसे ऐसे घूरते देख वो शर्म से लाल होती जा रही थी और हंसती जा रही थी...
दोनों उसे चारों तरफ घूर घूर कर निहारे जा रही थी... जब दोनों कुछ देर तक इसी तरह घूरती रही तो वो ज्यादा सहन नहीं कर सकी और आगे बढ़ एक का हाथ पकड़ ली और बोली...
"प्लीज, मुझे शर्म आ रही है... ऐसे घूरना बंद करो और मेरे कपड़े सूखने डाल दो...ताकि मैं जल्दी से वो ड्रेस पहन लूंगी..." लड़की की बात सुन वो थोड़ी बनावटी गुस्से में बोली...
"अजीब हो यार तुम... मॉडल को मैं इतने दिन से सिर्फ टीवी पर देख देख पक गई हूँ... आज पहली बार सामने देख रही हूँ तो तुम देखने नहीं देती..." इसकी बात खत्म होते ही दूसरी लड़की उसे पीछे से बांहों में जकड़ती हुई बोली...
"..और कसम से...आज तक हम लोग ना जाने कितने ड्रेस पहन ली कि किसी में हम मॉडल की तरह दिखूं पर नहीं... और ना ही कोई दोस्त... कसम से, काफी खूबसूरत लग रही हो... प्लीज यही पहने रहो जब तक यहां रहो हम दोनों के लिए... "पीछे की लड़की की बात खत्म होते ही आगे वाली लड़की घुटने पर हो ली...
और प्रपोज के स्टाइल में हो बोली," आई लव यू डियर..डू यू लव मी..?" और ये देखते ही हंसे बिना नहीं रह सकी और शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली.. इस हंसी में पीछे वाली लड़की भी साथ हो ली...
"एक्सपेट कर लो मिस.... ऐ, तुम्हारा नाम क्या है?" पीछे वाली लड़की उसके कानों में बोलती हुई पूछी जिसे सुन उसके मुख से अपने आप "पुष्पा " निकल गई, पर उसकी आंखें अभी भी बंद ही थी खुशी और शर्म से...
"वॉव...पुष्पा...मैं डॉली और ये रिंकी...हाँ कह दो रिंकी को... लड़की काफी अच्छी है बस कुछ काम बुरी है... पर तुमसे काफी प्यार करेगी... ये मैं दावे से कहती हूँ... आज तक कभी लड़के को आई लव यू नहीं बोली है ये..."डॉली आगे की बात खत्म कर पुष्पा के गर्दन पर हल्की किस चिपका दी...
पुष्पा जब अपनी आंखें खोली तो सामने रिंकी उसी तरह बैठी उसके हां के इंतजार में बैठी थी... जिसे देख उसकी हंसी निकल पड़ी और वो बोली,"प्लीज यार, अब और मत सताओ नहीं तो मैं मर जाऊंगी... तुम लोग इतनी अच्छी फ्रेडली हो मैं सोच भी नहीं सकती..."
रिंकी,"नो, मैं फ्रेंड नहीं हूं तुम्हारी ...दिवानी हूँ और लवर बनना चाहती हूं... फ्रेंड तो डॉली है... और हां नहीं की तो मैं मर जाऊंगी प्लीज..." पुष्पा की तो हंसी रूक ही नहीं रही थी...रिंकी के हाथ पुष्पा की ओर बढ़ी थी...
डॉली,"यस माई डिअर फ्रेंड, अब हां भी कह दो...प्लीज" दोनों की ऐसी बातें सुन वो खुद को रोक नहीं पाई और पुष्पा बोली,"पहले मेरे कपड़े सुखने दे आओ..."
पुष्पा के बोलते ही डॉली बोली,"उफ्फ्फ्फ... ओके तुम हाँ कहो और मैं उधर गई...जल्दी करो..." पुष्पा उसकी बात सुन रिंकी की तरफ देखी जो मुस्कुरा रही थी... पुष्पा ने अपने हाथ उसके हाथ में रखती हुई मुस्कुराई और बोली,"आई लव यू टू रिंकी..."
पुष्पा को भला क्या दिक्कत होती... इतनी हंसमुख फ्रेंड जो मिल गई थी... और ये अगर सच में अच्छी फ्रेंड हुई तो जरूरत पड़ने पर काम भी आ सकती है...
पुष्पा के हां कहते ही डॉली कपड़े लेने बाथरूम की तरफ निकल गई जबकि रिंकी खुशी से उठती हुई पुष्पा से "थैंक्स.." कहती लिपट गई.. पुष्पा रिंकी की हर हरकत पर हंसे बिना नहीं रह सकती थी...
कुछ पल गले मिलने के बाद रिंकी थोड़ी सी पीछे हटी और बोली,"डिअर पुष्पा, अब मेरी गर्लफ्रेंड बनी हो तो कुछ हक तो बनता है ना..." रिंकी की बात सुन पुष्पा जब तक उसकी बात समझने की कोशिश करती तब तक रिंकी अपने होंठ पुष्पा के होंठ से चिपका दी....
पुष्पा की शरीर में तो मानों करंट लग गई... आज पहली बार किसी के होंठ उसके होंठ को टच की थी... वो बदहवास सी रह गई... जबकि रिंकी पुष्पा के अनछुई होंठो से रस चूसनी शुरू कर दी थी...
रिंकी हर पैंतरा जानती थी इस खेल में... जबकि पुष्पा बिल्कुल नादान... कुछ ही पलों में पुष्पा हार सी गई और खुद को रिंकी की बांहों में सौंप दी... रिंकी अपनी प्रेमिका को प्यार किए जा रही थी होठों से...
मदहोश हो चुकी पुष्पा को रिंकी ने कब उसे बेड पर लिटा दी, पुष्पा को मालूम नहीं... वो बस रिंकी की चुसाई में खोई थी... और वो अब रिंकी का भरपूर साथ भी दे रही थी... तभी पुष्पा चिहुंक सी गई....
रिंकी ने अपने हाथ उसकी चुची पर जो रख दी थी... पुष्पा ने तेजी से अपने हाथ बढ़ा उसके हाथ को पकड़ कर हटाने की कोशिश करने लगी और वो खुद को बेड पर लेटी पा सोच में पड़ गई कि वो बेड पर कब आई...
रिंकी को समझते देर नहीं लगी कि ये अभी तक अनछुई कुंवारी है... वो और गहरी और मदहोशी वाली किस करने लगी और अपने हाथ को पुष्पा की चुची से हटाने की बजाए और जोर से पकड़ बना दी...
पुष्पा छटपटाने लगी पर रिंकी से खुद को अलग नहीं कर पा रही थी...रिंकी के हाथ अब पुष्पा की चुची को हौले हौले मसलने लगी थी... पुष्पा बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी... आखिर कब तक कोशिश करती... उसकी चूत जो मानने को तैयार नहीं थी... चूत से पानी रिसनी शुरू हो गई थी...
पुष्पा विरोध करना छोड़ अपने दोनों हाथ बाहर कर रिंकी की पीठ पर रख दी... नीचे पुष्पा प्रेमिका की तरह पड़ी थी और ऊपर रिंकी किसी प्रेमी की तरह चढ़ प्यार की बारिश कर रही थी... पुष्पा अब गरम हो चुकी थी तो उसने भी रिंकी की जीभ को चखने की कोशिश की...
रिंकी को जैसे ही ये महसूस हुई तो उसने झट से अपनी पूरी जीभ पुष्पा के मुंह में उतार दी और अपनी नई प्रेमिका को चूसने के लिए छोड़ दी...पुष्पा रिंकी की हरकत से शर्मा गई और नहीं चूसना चाहती थी पर रिंकी ने उसे पीछे हटने ही नहीं दी, जब तक कि वो स्वाद चखना शुरू नहीं कर दी...
पुष्पा को अंततः चूसनी ही पड़ी और पल भर में ही वो बड़े चाव से चटखारे लेनी शुरू कर दी... रिंकी बस यूं शांत रह अपनी जीभ चूसवाती रही और हौले हौले पुष्पा की चुची दबाती भी रही...और तभी दोनों के कानों में डॉली की आवाज पड़ी...वो तब तक कपड़े बाहर रख आ गई थी...
"डॉर्लिंग ,मैं भी हूं..."डॉली पुष्पा के बगल में पेट के बल लेटी सीधे पुष्पा के कानों में बोली... ये सुनते ही पुष्पा स्मूच रोक दी और बिना डॉली की तरफ देखे शर्माती हुई अपनी आंखों पर दोनों हाथों से पर्दा डाल मुस्कुराने लगी...
"ओए, ये मेरी गर्लफ्रेंड है...तेरी नहीं..चल जा अपना काम कर... " रिंकी ने अपने होंठों पर लगे प्याररस को पोंछती हुई बोली... ये सुनते ही डॉली तेजी से रिंकी के कान मरोड़ती हुई बोली,"शाली, और वक्त तो दोस्त का वास्ता दे हर काम में साथ कर लेती हो... तो अब क्यों नाटक कर रही हो... मैं कुछ नहीं सुनने वाली... हर चीज पर जब हम दोनों का बराबर हक है तो इस पर भी ये नियम लागू होगी तो होगी...."
अपनी बात कहती हुई डॉली आगे खिसक पुष्पा के चेहरे केे बिल्कुल समीप अपने चेहरे लाई और हाथों से पुष्पा को बेनकाब करने की कोशिश करने लगी... इस पर रिंकी हंसे बिना नहीं रह सकी और बिना कुछ कहे पुष्पा के शरीर से हट बगल में लुढ़क कर दोनों को देखने लगी...
डॉली जितनी जोर से पुष्पा के हाथ हटाती, पुष्पा उतनी ही ताकत से हाथों को चेहरे पर कस लेती... उसे देख रिंकी बीच बीच में चुटकी लिए जा रही थी... पुष्पा अपना चेहरा डॉली के किस की डर से नहीं ढ़ंकी थी, बल्कि वो तो शर्म से गड़ी जा रही थी...
काफी कोशिश के बाद भी रिंकी डॉली को नाकामयाब होती देखी तो वो रह नहीं पाई और अपने हाथ बढ़ा पुष्पा के कमर पर हल्की गुदगुदी बना दी... इससे पुष्पा उछल पड़ी और उसके दोनों हाथ गोली की रफ्तार से नीचे कमर की तरफ बढ़ गई...बस डॉली इसी पल का इंतजार कर रही थी...
वो तड़के ही पुष्पा के लबों पर टूट पड़ी... पुष्पा को किस से परहेज तो थी नहीं जो अब विरोध करती... एक से दो भली... यही सोच वो तुरंत ही डॉली को भी सपोर्ट करने लगी और डॉली किसी हवसी की तरह लगातार पुष्पा के होंठ को चूसती तो कभी हल्के से काटती... पुष्पा भी अब थोड़ी थोड़ी मस्ती में डूबकी लगाने लगी थी...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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