FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--43
अब आगे
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विक्की सिसक उठा...और उसने झटके देकर अपने लंड को उसके मुँह के अंदर धकेलना शुरू कर दिया...
हर धक्के से काव्या का सिर पीछे की दीवार से टकराता...और हर बार थोड़ा और अंदर घुसकर वो उसकी साँसे भी रोक देता...
और जल्द ही विक्की के लंड ने प्रसाद बाँटना शुरू कर दिया...और गाड़े रस की बौछारें निकलकर काव्या के चेहरे और होंठों को भिगो गयी..
ये सब इतनी जल्दी हुआ की विक्की को तो विश्वास ही नही हुआ...वो क्या-2 करना चाहता था पर काव्या ने बड़ी ही चालाकी से सिर्फ़ उसका लंड चूस्कर आज के लिए उसको टरका दिया..
काव्या ने टावल से अपना चेहरा सॉफ किया और अपने उपर गिरा माल भी सॉफ करके उठ खड़ी हुई...और बाथरूम का दरवाजा खोलकर सीधा अंदर घुस गयी..जहाँ उसकी माँ पहले से ही टब में नंगी लेटी हुई मज़े ले रही थी..
काव्या ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया ताकि विक्की अंदर ना आ सके...अपनी माँ के सामने उसके साथ वो कोई नाटक नही करना चाहती थी...वैसे भी एक साथ 2-2 को नहाते देखकर वो साला हरामी फिर से शुरू हो जाता...ये मर्द होते ही ऐसे हैं...माल देखा नही की लंड फिर से चुदाई के लिए खड़ा कर लेते हैं..
और काव्या के अंदर जाने के कुछ मिनट बाद विक्की ने ट्राइ भी किया अंदर जाने का..पर दरवाजा अंदर से बंद था इसलिए वो वापिस आकर बेड पर लेट गया..
अंदर जाते जो काव्या ने अपना स्विम सूट उतार दिया..और पूरी नंगी होकर शावर के नीचे खड़ी हो कर नहाने लगी...ये पहला मौका था जब वो जवान होने के बाद अपनी माँ के सामने इतनी बेशर्मी से नंगी होकर खड़ी थी...शायद उनके बीच जो एक शर्म का परदा था वो गिर चुका था...
रश्मि ने आँखे खोली और नहाती हुई काव्या को देखकर उसकी सुंदरता और कसावट वाले शरीर की तारीफ किए बिना नही रह सकी..
उसकी निकली हुई गांड ...पतला पेट और ग़ज़ब का उभार लिए बूब्स बड़े ही सेक्सी लग रहे थे..
रश्मि : "काव्या....तुम दिन ब दिन खूबसूरत होती जा रही हो...''
काव्या ने मन ही मन सोचा 'अभी तो मेरी खूबसूरती को उभरने वाली चुदाई नही हुई है मेरे साथ...जिस दिन से वो करवानी शुरू कर दी ना मैने...हर अंग फुट-फूटकर बाहर निकलेगा...'
फिर कुछ रुककर रश्मि बोली : "तुम बड़ी ही जल्दी आ गयी अंदर...कुछ खास नही हुआ लगता है तुम्हारे साथ...''
काव्या ने कोई जवाब नही दिया...बस मुस्कुराती हुई साबुन लगाकर नहाती रही..
काव्या : "अब आप भी जल्दी करो...घर जाने का टाइम हो रहा है...''
और फिर वो टावल लपेट कर बाहर निकल आई...
तब तक विक्की भी कपड़े पहन कर तय्यार हो चुका था...ये सोचकर की आज के लिए कुछ और तो मिलने से रहा ...वैसे भी जाने का टाइम हो रहा था...
पर काव्या को ऐसे ही टावल मे बाहर आते देखकर वो पछताने लगा...अगर वो ऐसे ही नंगा लेटा होता तो उसके ठंडे बदन से लिपट कर कुछ और मज़े ज़रूर ले लेता..
काव्या ने भी उसको थोड़ा और इनाम देने की सोची और अपने कपडे निकाल कर बेड पर रख दिए...और फिर अपना टावल खोलकर पूरी तरह से नंगी हो गयी...
विक्की ने पहली बार काव्या के नंगे बदन को देखा और आँखे झपकाना भी भूल गया..
काव्या : "चिंता मत करो...जल्द ही इस बदन को प्यार करने का मौका मिलेगा तुम्हे...''
और फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी...तब तक रश्मि भी नहाकर बाहर निकल आई..पर उसने तो टावल लपेटने की भी जहमत नही उठाई...ऐसे ही नगी पुँगी बाहर आकर अपने कपड़े निकालकर पहनने लगी..
अब तो विक्की बेचारा सच मे पछता रहा था...ऐसी हसिनाओ को अपने सामने नंगा खड़े होकर कपड़े पहनता हुआ देखकर उसके लंड ने फिर से खड़ा होना शुरू कर दिया था..पर कुछ ही देर मे दोनो कपड़े पहन कर तैयार हो गयी...और फिर तीनो वापिस अपने घर के लिए निकल पड़े.
वापिस आते हुए रश्मि ने गाड़ी चला रही काव्या से कहा : "काव्या ...पहले मुझे घर पर छोड़ दे...क्योंकि सुबह से समीर अकेले हैं...तुम मुझे घर उतार देना..और विक्की को उसके घर तक छोड़कर आना..''
काव्या ने सिर हिलाकर हाँ कर दी...वैसे भी वो विक्की से कुछ और बाते क्लियर कर लेना चाहती थी अकेले मे..
और दूसरी तरफ रश्मि ने ये सब इसलिए बोला था की उसे समीर के साथ अकेले मे कुछ समय मिल जाएगा..क्योंकि बाद मे जब से उसने दोबारा से विक्की के लंड को देखा था, वो फिर से उत्तेजित हो चुकी थी...और अपनी चूत को अपनी जांघों के बीच दबा कर बड़ी ही मुश्किल से घर का सफ़र तय कर रही थी.
पर उसे क्या पता था की उनके जाने के बाद समीर और उसके दोस्त लोकेश दत्त ने क्या इंतजाम कर रखा है...वो तो 5 बजे तक आने का कह गये थे...और अभी सिर्फ़ 4 ही बजे थे...
रश्मि और काव्या के निकलने के बाद समीर ने लोकेश को फ़ोन किया, लोकेश ने एक घंटे मे वहां पहुँचने का वादा किया और फोन रख दिया.
और ठीक एक घंटे के बाद समीर के घर की बेल बजी...उसने सारे नौकरों को आज पहले से ही छुट्टी दे दी थी..इसलिए दरवाजा खोलने वो खुद बाहर गया.
और दरवाजा खुलते ही वो चोंक गया..बाहर उसकी नयी सेक्रेटरी रोज़ी खड़ी थी...ब्लेक कलर की स्कर्ट और ब्लू शर्ट पहन कर..
समीर : "रोज़ी.....तुम .....यहाँ .....??"
समीर अंदर से घबरा भी रहा था की ये आज कैसे आ गयी....कुछ ही देर मे लोकेश आता होगा, अपने साथ कोई जुगाड़ लेकर...अगर रोज़ी ने वो देख लिया तो क्या सोचेगी उसके बारे मे..
रोज़ी : "सर वो....लोकेश सर ने बुलाया था मुझे यहाँ.... बोले की कोई ज़रूरी काम है..''
समीर सब समझ गया...इसका मतलब लोकेश ने रोज़ी को बुलाया है आज, चुदाई के लिए...पर वो होगा कैसे...वो भला क्यों एकदम से वो सब करने के लिए तैयार हो जाएगी, क्योंकि पिछले 2 हफ़्तों से तो वो खुद उसको ऑफीस में नोटीस कर रहा था , वो ज़्यादा बात नही करती थी किसी से...बस अपने काम से काम रखती थी...एक दो बार जब समीर ने भी उसके साथ इधर - उधर की बातें करनी चाही तो उसने कोई रिस्पोन्स नही दिया...तभी वो समझ गया था की इस लड़की को पटाना थोड़ा मुश्किल होगा...पर आज लोकेश ने उसे यहाँ बुलाया है तो ज़रूर कुछ होकर रहेगा...
समीर : "अरे हाँ ....याद आया ......मैं तो भूल ही गया था...आओ अंदर आओ...''
और रोज़ी अंदर आ गयी...समीर ने दरवाजा फिर से बंद कर दिया.
अंदर जाती हुई रोज़ी की मस्त गांड देखकर समीर का लंड खड़ा होने लगा...वैसे तो वो रोज उसकी गांड को देखकर आहें भरता था..पर आज बात कुछ और थी...और वो उसकी कसी हुई गांड को देख ही रहा था की वो एकदम से पलट गयी...समीर ने झट से अपनी नज़रें घुमा ली..
रोज़ी : "सर ...लगता है आज घर पर कोई नही है ..मेम कहीं बाहर गयी है क्या ?''
समीर : "हाँ ...आज वो काव्या को लेकर पिक्निक पर गयी है...शाम तक आएँगे दोनो ...''
रोज़ी के चेहरे पर कुछ परेशानी के भाव आ गये...वो कुछ बोलने ही वाली थी की फिर से बाहर की बेल बजी...समीर ने दरवाजा खोला तो बाहर लोकेश दत्त खड़ा था..वो अंदर आया और उसने रोज़ी को खड़े हुए देखा
लोकेश : "अरे रोज़ी ....तुम पहले से ही आ गयी यहाँ ....मैने तो तुम्हे 1 बजे आने को कहा था...अभी तो 1 बजा भी नही ..''
रोज़ी : "सर ..... मैने सोचा,जल्दी आकर काम कर लेती हू....आज संडे है ना...इसलिए घर भी कुछ ख़ास काम नही था...''
लोकेश (समीर को आँख मारते हुए) : "वो मैने ही इसको बुलाया था...सोचा की वो प्रॉपर्टी वाला केस जब डिस्कस करेंगे तो ये डॉक्युमेंट रेडी करने मे हेल्प कर देगी ...''
समीर अब भी यही सोचे जा रहा था की वो सब होगा कैसे...
समीर ने लोकेश को एक कोने मे खींचा और बोला : "साले ....तुझे कोई और नही मिला जो तूने रोज़ी को ही यहाँ बुला लिया...तूने कहा था ना की एकदम बढ़िया माल का इंतज़ाम करेगा...इसको तो मैने ऑफीस में भी नोट किया है...ये कुछ नही करने वाली वैसा कुछ .....''
लोकेश : "मेरे भाई...मैने तो इंतज़ाम सबसे बढ़िया ही किया है...पर रोज़ी ही वो माल है , ये बात अगर मैं पहले से बता देता तो तू शायद मना कर देता...पर अब देखना तू मेरा कमाल...जितना मैं इस लड़की को जानता हू, उसके हिसाब से तो आज ये सब करके जाएगी यहाँ से...तू बस देखता जा..''
अब समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...बस वो किसी से ज़ोर ज़बरदस्ती वाला काम नही करना चाहता था..और ये बात उसने लोकेश को भी समझा दी...ताकि वो भी ऐसा कुछ ना करे.
दोनो घर के पीछे बने स्वीमिंग पूल की तरफ चल दिए..और वहाँ चेयर पर जाकर बैठ गये..रोज़ी भी उनके साथ ही चलती हुई वहाँ आ गयी.
लोकेश : "चलो अब शुरू करते हैं...पर सबसे पहले कुछ पीने को मिल जाता तो मज़ा ही आ जाता...''
उसने रोज़ी की तरफ देखा और बोला : "रोज़ी...इफ़ यू डोंट माइंड, क्या तुम फ्रिज से बियर ला सकती हो...''
रोज़ी ने हंसते हुए हाँ कर दी...और अंदर चली गयी...उसके जाते ही लोकेश ख़ुसर फुसर करते हुए समीर को आगे की योजना समझाने लगा.
रोज़ी बड्वाइसर बियर के 2 चिल्ड केन लेकर आई..
लोकेश : "अरे...तुम अपने लिए नही लाई...''
रोज़ी : "नो सर ...मैं नही पीती ...मैने आज तक ये नही पी...''
समीर : "तभी तो...वरना एक बार पीने के बाद तुम हमेशा पीती ...ये लो....पहले तुम सीप लो इसमे से...''
लोकेश ने उसको केन खोलकर दी...रोज़ी ने मना किया पर समीर ने भी उसको पीने के लिए कहा, उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए केन लिया और एक सीप लिया..
रोज़ी : "ईईईईssssssssssssssss .... ये तो कड़वी है ...''
लोकेश : "शुरू -2 मे लगती है...पर बाद मे अच्छी लगेगी...पी लो..''
रोज़ी ने ना चाहते हुए भी 2 सीप और पी लिए...वो स्ट्रॉंग बियर थी...इसलिए कड़वी भी थोड़ी ज़्यादा थी.
लोकेश ने रोज़ी से वो केन ले ली...और खुद पीने लगा...एक मिनट पहले जहाँ उसके होंठ थे..वहाँ अब लोकेश के होंठ लगे हुए थे..
समीर ने भी अपनी केन रोज़ी की तरफ बड़ा दी और बोला : "तुमने इसकी बियर केन पर किस की, अब मेरी पर भी करो..''
रोज़ी भी अपने बॉस के मुँह से पहली बार ऐसी बात सुनकर शरमा सी गयी...वो दोनो तो कॉलेज के लड़को जैसा बिहेव कर रहे थे...जैसे उन्होने आज से पहले कोई लड़की देखी ही नही..या किसी को किस भी नही किया...पर रोज़ी कर भी क्या सकती थी...उसने सकुचाते और शरमाते हुए समीर के हाथ से भी बियर केन लिया और 2 घूंठ पीकर वापिस कर दिया...
समीर : "दो सीप और लो ना ...प्लीज़...''
अब रोज़ी के सिर पर भी हल्का सरूर चड़ने लगा था...स्ट्रॉंग बियर का नशा सबसे जल्दी चड़ता है सिर पर...उसने फिर से 2 सीप और लिए और समीर को केन वापिस कर दिया..समीर की तरफ हाथ करते हुए उसका हाथ हवा में लहरा सा रहा था..
समीर ने रोज़ी की तरफ देखते हुए केन पर मुँह लगाया...वहाँ पर रोज़ी के होंठों की लिपस्टिक का निशान भी बन चुका था...उसे अपनी जीभ से चाट्ता हुआ वो भी बियर पीने लगा..
रोज़ी ये देखकर एक बार फिर से शरमा गयी ... उसने भले ही आज से पहले किसी को किस्स नही किया था..पर समीर का अंदाज ही ऐसा था की रोज़ी को वो किस्स ठीक अपने होंठों पर होती हुई महसूस हुई...शायद बियर का नशा चढ़ चुका था उसके उपर..
समीर ने 3-4 सीप ली और फिर से अपनी केन रोज़ी की तरफ बड़ा दी...इस बार रोज़ी ने बिना ना-नुकर करते हुए वो केन ली और लंबे-2 घूट भरकर लगभग आधी से ज़्यादा केन पी डाली..
समीर ने मुस्कुराते हुए लोकेश की तरफ देखा और उसे इशारे से और बियर लाने के लिए कहा...लोकेश अंदर गया और बियर के 4-5 केन और ले आया...
समीर और लोकेश ने अगले 10 मिनट में ही दो केन और डकार डाले...और तब तक रोज़ी ने भी अपनी बियर ख़त्म कर दी थी...वो उठकर खड़ी होने लगी पर लहराते हुए वो समीर की तरफ गिरती चली गयी और सीधा जाकर उसकी गोद में जा गिरी...समीर ने बड़ी ही कुशलता के साथ उसे संभाल लिया...और सभी लोग ठहाका लगाकर हँसने लगे...रोज़ी अब खुल चुकी थी...वो हँसती ही जा रही थी...
हंसते-2 रोज़ी बोली : "सर ...प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना...आज शायद पहली बार बियर पी है ,इसलिए संभाल नही पाई....हा हा...मेरी वजह से आपकी थाई टूट गयी... ही ही ही ...''
वो अपने गिरने का भी मज़ाक बना रही थी...क्योंकि वो धप्प से गिरी थी समीर की जाँघ पर...
समीर : "अरे नही....तुम तो बिल्कुल फूल जैसी हो रोज़ी....तुम्हारे गिरने से थाई नही टूट सकती मेरी...''
रोज़ी : "कहाँ सर ....मेरा वेट पता है कितना ज़्यादा हो गया है....और मेरे हिप्स देखो ज़रा...कितने बड़े हैं...मुझे सबसे ज़्यादा चिंता तो इन्ही की रहती है...दिन ब दिन बढ़ते चले जा रहे हैं...सारा फेट भरता जा रहा है इनमे...''
वो चिंतित स्वर मे अपनी भरी हुई गांड की तरफ इशारा करते हुए अपना दुखड़ा रो रही थी..
लोकेश भी मज़े लेते हुए बोला : "अरे कहाँ रोज़ी....तुम्हारी बैक तो इतनी सेक्सी है की कोई भी देखे तो देखता रह जाए....ऐसी सेक्सी बैक को देखकर तो मज़ा ही आ जाता है...मन करता है की इसे ज़ोर से दबा दू ...''
रोज़ी : "क्या सर ...आप भी ना....ऐसा करने से भला क्या मिलेगा....ये तो नॉर्मल सी चीज़ है...''
समीर को तो विश्वास ही नही हुआ की रोज़ी ये कर क्या रही है...या तो वो बड़ी ही भोली है...या फिर बड़ी ही चालाक जो नशे का बहाना करके ये सब मज़े ले रही है..
पर तब तक लोकेश ने अपने दोनो हाथों को रोज़ी की फेली हुई गांड पर रखकर उन्हे सेंकना शुरू कर दिया था...टाइट स्कर्ट मे उसकी फंसी हुई गांड की कसावट को महसूस करते हुए लोकेश का लंड खड़ा हो चुका था...और उसे ऐसा करते देखकर समीर का भी...
लोकेश तो रोज़ी की गांड को बुरी तरह से मसल रहा था...और समीर रोज़ी के चेहरे के एक्शप्रेशन देखकर उसकी हालत का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था...वो शायद अब पछता रही थी की उसने ऐसा क्यो बोला..क्योंकि उसकी आँखो मे गुलाबीपन उतार आया था...एक तो नशे की खुमारी और उपर से ऐसी जगह पर किसी मर्द के हाथो का पहला स्पर्श पाकर तो रोज़ी बुरी तरह से बहक चुकी थी...और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से एक सिसकारी निकल ही गयी, जब लोकेश ने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद से टच करवा दिया...वो बिदक कर एकदम से दूर हो गयी...
लोकेश (हंसते हुए) : "वाव ..... रोज़ी .....सच मे....तुमने तो मेरे दिल के अरमान पूरे कर दिए...थेंक्स ...''
बेचारी मुस्कुराते हुए सिर्फ़ यही बोल पाई : "यू आर वेलकम सर ....''
तभी एकदम से समीर बोला : "अब मेरी बारी ....''
समीर की बात सुनकर रोज़ी एकदम से घबरा राई....उसने तो पहले मज़ाक -2 मे लोकेश को अपनी गांड मसलने के लिए ऑफर कर दी थी..पर जिस तरह से उन्होने उसे मसला था, उसे अंदर से कुछ-2 होने लगा था...वो करने क्या आई थी और कर क्या रही थी यहाँ...पर वो बॉस लोग थे...उन्हे मना करना उसे अच्छा नही लगा...वो धीरे-2 चलती हुई समीर के सामने जाकर खड़ी हो गयी..
समीर ने अपने हाथ के दोनो पंजे उसकी गांड पर रख दिए...और उन्हे ज़ोर-2 से दबाने लगा...ऐसा लगा की किसी 5 स्टार होटल का तकिया है वो...इतनी मखमली और गद्देदार गांड थी रोज़ी की...पूरी तरह से हलवे से भरी हुई...समीर ने लोकेश की तरफ देखा तो उसने इशारा करते हुए उसे थोड़ा और आगे बढ़ने को कहा...समीर ने एकदम से उसकी कमर पर हाथ रखकर रोज़ी को अपनी तरफ खींचा और उसके दांये नितम्ब पर एक जोरदार दाँत मारकर उसके माँस को अपने मुँह मे भर लिया..
रोज़ी दर्द से बिलबिला उठी...: "आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ ये क्या कर रहे हो सर .......... दर्द हो रहा है...आआआआआआआआआआह ''
और उसने आगे होते हुए अपनी मांसल गांड के हिस्से को समीर के मुँह से छुड़वाया ...
समीर : "आई एम सॉरी रोज़ी.....मुझे पता नही एकदम से क्या हो गया था...मुझे माफ़ कर दो...''
और वो एकदम से उठ कर अंदर चला गया.
उसके अंदर जाते ही लोकेश ने रोज़ी को डांटते हुए कहा : "तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या....तुमने अपने बॉस को नाराज़ कर दिया....सिर्फ़ एक किस्स ही तो कर रहे थे वो वहाँ...हाथ लगाने में और किस्स करने में भला क्या फ़र्क है...अच्छे भले मूड का सत्यानाश कर दिया तुमने तो...इतनी अच्छी नौकरी दिलवाई थी मैने तुम्हे, अब पता नही वो भी रहेगी या नही ..''
रोज़ी का रहा सहा नशा भी एकदम से हवा हो गया....इतनी मुश्किल से तो उसको ये नौकरी मिली थी...और वो भी इतनी बाड़िया सैलेरी पर..अभी तो पहली सैलेरी भी नही मिली और नौकरी जाने की नौबत आ गयी..
वो रुंआसी सी हो गयी और लोकेश से बोली : "पर सर ...वो मुझे बाइट कर रहे थे...मुझे काफ़ी दर्द हुआ , तभी मैने उन्हे ऐसा कहा...वरना मेरा ऐसा कुछ भी इरादा नही था...''
लोकेश : "अब ये मुझे बताने से क्या फायदा ...पर अभी भी कुछ नही बिगड़ा है...तुम अंदर जाओ..अपने बॉस के पास और वो जो करना चाहते हैं, उन्हे करने दो...तुम्हारी इच्छा के विपरीत वो कुछ नही करेंगे...बस थोड़े बहुत मज़े ही तो ले रहे हैं...लेने दो...और तुम भी लो...''
इतना कहते हुए लोकेश ने एक और केन खोकर रोज़ी को दी और बोला : "ये लो...इसको पी लो...तुम्हे अच्छा लगेगा...और मज़ा भी आएगा..''
रोज़ी की समझ मे आ गया की उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी है...और अब वो उस ग़लती को सुधारने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी..उसने लोकेश के हाथ से केन लिया और एक ही झटके मे उसे अपने मुँह से लगा कर गटागट पीने लगी...कुछ बियर बाहर निकलकर उसकी गर्दन से होती हुई अंदर चली गयी..पर वो लगातार होंठ लगाकर पीती रही और उसने आधे से ज़्यादा केन एक ही बार मे खाली कर दिया.
उसने अपनी आँखे ज़ोर -2 से झपकाते हुए अपने सिर को ज़ोर से झटके दिए...शायद वो उसके सिर पर चड चुकी थी..
फिर बड़े ही सेक्सी अंदाज में मुस्कुराते हुए उसने लोकेश को देखा और बोली : "आप ठीक कहते हैं सर ...मैने ग़लत किया....अब देखना आप मेरा कमाल...''
और वो झूमती हुई सी अंदर चली गयी...लोकेश भी अपनी बियर लेकर उसके पीछे-2 अंदर आ गया.
समीर सोफे पर बैठा हुआ अपना सिर पकड़ कर लोकेश को कोस रहा था, क्योंकि उसकी वजह से ही वो अपनी मर्यादा भूलकर इस लड़की के साथ हद से आगे बड़ गया था...उसने ये भी नही सोचा की उसको क्या फील हो रहा होगा, उसकी मर्ज़ी और दर्द की परवाह किए बिना वो कैसे वहशी सा बनकर उसकी गांड पर काट खा रहा था...ये उसको शोभा नही देता...वो तो ऐसा था ही नही...आज लोकेश के उकसाने पर उसने ये क्या कर दिया...अब पता नही रोज़ी उसके बारे में क्या सोचेगी...नौकरी तो वो छोड़ ही देगी..पर उससे नज़रें भी वो कैसे मिला पाएगा कभी..शायद उसके ऊपर केस भी कर दे
वो ये सोच ही रहा था की रोज़ी एकदम से उसके सामने आकर बैठ गयी...और उसके दोनो हाथ पकड़ कर बोली : "आई एम सॉरी सर ....मेरी वजह से आपका मूड खराब हो गया...मैं ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहती थी...पर आपने वो बाइट ही इतनी ज़ोर से किया की मुझे काफ़ी दर्द हुआ...पर फिर भी मुझे ऐसा नही करना चाहिए था...आप अपना मूड खराब करके अंदर आ गये मुझे ये बिल्कुल अच्छा नही लगा...प्लीज़ सर ...मुझे माफ़ कर दीजिए ना...प्लीज़...''
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हर धक्के से काव्या का सिर पीछे की दीवार से टकराता...और हर बार थोड़ा और अंदर घुसकर वो उसकी साँसे भी रोक देता...
और जल्द ही विक्की के लंड ने प्रसाद बाँटना शुरू कर दिया...और गाड़े रस की बौछारें निकलकर काव्या के चेहरे और होंठों को भिगो गयी..
ये सब इतनी जल्दी हुआ की विक्की को तो विश्वास ही नही हुआ...वो क्या-2 करना चाहता था पर काव्या ने बड़ी ही चालाकी से सिर्फ़ उसका लंड चूस्कर आज के लिए उसको टरका दिया..
काव्या ने टावल से अपना चेहरा सॉफ किया और अपने उपर गिरा माल भी सॉफ करके उठ खड़ी हुई...और बाथरूम का दरवाजा खोलकर सीधा अंदर घुस गयी..जहाँ उसकी माँ पहले से ही टब में नंगी लेटी हुई मज़े ले रही थी..
काव्या ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया ताकि विक्की अंदर ना आ सके...अपनी माँ के सामने उसके साथ वो कोई नाटक नही करना चाहती थी...वैसे भी एक साथ 2-2 को नहाते देखकर वो साला हरामी फिर से शुरू हो जाता...ये मर्द होते ही ऐसे हैं...माल देखा नही की लंड फिर से चुदाई के लिए खड़ा कर लेते हैं..
और काव्या के अंदर जाने के कुछ मिनट बाद विक्की ने ट्राइ भी किया अंदर जाने का..पर दरवाजा अंदर से बंद था इसलिए वो वापिस आकर बेड पर लेट गया..
अंदर जाते जो काव्या ने अपना स्विम सूट उतार दिया..और पूरी नंगी होकर शावर के नीचे खड़ी हो कर नहाने लगी...ये पहला मौका था जब वो जवान होने के बाद अपनी माँ के सामने इतनी बेशर्मी से नंगी होकर खड़ी थी...शायद उनके बीच जो एक शर्म का परदा था वो गिर चुका था...
रश्मि ने आँखे खोली और नहाती हुई काव्या को देखकर उसकी सुंदरता और कसावट वाले शरीर की तारीफ किए बिना नही रह सकी..
उसकी निकली हुई गांड ...पतला पेट और ग़ज़ब का उभार लिए बूब्स बड़े ही सेक्सी लग रहे थे..
रश्मि : "काव्या....तुम दिन ब दिन खूबसूरत होती जा रही हो...''
काव्या ने मन ही मन सोचा 'अभी तो मेरी खूबसूरती को उभरने वाली चुदाई नही हुई है मेरे साथ...जिस दिन से वो करवानी शुरू कर दी ना मैने...हर अंग फुट-फूटकर बाहर निकलेगा...'
फिर कुछ रुककर रश्मि बोली : "तुम बड़ी ही जल्दी आ गयी अंदर...कुछ खास नही हुआ लगता है तुम्हारे साथ...''
काव्या ने कोई जवाब नही दिया...बस मुस्कुराती हुई साबुन लगाकर नहाती रही..
काव्या : "अब आप भी जल्दी करो...घर जाने का टाइम हो रहा है...''
और फिर वो टावल लपेट कर बाहर निकल आई...
तब तक विक्की भी कपड़े पहन कर तय्यार हो चुका था...ये सोचकर की आज के लिए कुछ और तो मिलने से रहा ...वैसे भी जाने का टाइम हो रहा था...
पर काव्या को ऐसे ही टावल मे बाहर आते देखकर वो पछताने लगा...अगर वो ऐसे ही नंगा लेटा होता तो उसके ठंडे बदन से लिपट कर कुछ और मज़े ज़रूर ले लेता..
काव्या ने भी उसको थोड़ा और इनाम देने की सोची और अपने कपडे निकाल कर बेड पर रख दिए...और फिर अपना टावल खोलकर पूरी तरह से नंगी हो गयी...
विक्की ने पहली बार काव्या के नंगे बदन को देखा और आँखे झपकाना भी भूल गया..
काव्या : "चिंता मत करो...जल्द ही इस बदन को प्यार करने का मौका मिलेगा तुम्हे...''
और फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी...तब तक रश्मि भी नहाकर बाहर निकल आई..पर उसने तो टावल लपेटने की भी जहमत नही उठाई...ऐसे ही नगी पुँगी बाहर आकर अपने कपड़े निकालकर पहनने लगी..
अब तो विक्की बेचारा सच मे पछता रहा था...ऐसी हसिनाओ को अपने सामने नंगा खड़े होकर कपड़े पहनता हुआ देखकर उसके लंड ने फिर से खड़ा होना शुरू कर दिया था..पर कुछ ही देर मे दोनो कपड़े पहन कर तैयार हो गयी...और फिर तीनो वापिस अपने घर के लिए निकल पड़े.
वापिस आते हुए रश्मि ने गाड़ी चला रही काव्या से कहा : "काव्या ...पहले मुझे घर पर छोड़ दे...क्योंकि सुबह से समीर अकेले हैं...तुम मुझे घर उतार देना..और विक्की को उसके घर तक छोड़कर आना..''
काव्या ने सिर हिलाकर हाँ कर दी...वैसे भी वो विक्की से कुछ और बाते क्लियर कर लेना चाहती थी अकेले मे..
और दूसरी तरफ रश्मि ने ये सब इसलिए बोला था की उसे समीर के साथ अकेले मे कुछ समय मिल जाएगा..क्योंकि बाद मे जब से उसने दोबारा से विक्की के लंड को देखा था, वो फिर से उत्तेजित हो चुकी थी...और अपनी चूत को अपनी जांघों के बीच दबा कर बड़ी ही मुश्किल से घर का सफ़र तय कर रही थी.
पर उसे क्या पता था की उनके जाने के बाद समीर और उसके दोस्त लोकेश दत्त ने क्या इंतजाम कर रखा है...वो तो 5 बजे तक आने का कह गये थे...और अभी सिर्फ़ 4 ही बजे थे...
रश्मि और काव्या के निकलने के बाद समीर ने लोकेश को फ़ोन किया, लोकेश ने एक घंटे मे वहां पहुँचने का वादा किया और फोन रख दिया.
और ठीक एक घंटे के बाद समीर के घर की बेल बजी...उसने सारे नौकरों को आज पहले से ही छुट्टी दे दी थी..इसलिए दरवाजा खोलने वो खुद बाहर गया.
और दरवाजा खुलते ही वो चोंक गया..बाहर उसकी नयी सेक्रेटरी रोज़ी खड़ी थी...ब्लेक कलर की स्कर्ट और ब्लू शर्ट पहन कर..
समीर : "रोज़ी.....तुम .....यहाँ .....??"
समीर अंदर से घबरा भी रहा था की ये आज कैसे आ गयी....कुछ ही देर मे लोकेश आता होगा, अपने साथ कोई जुगाड़ लेकर...अगर रोज़ी ने वो देख लिया तो क्या सोचेगी उसके बारे मे..
रोज़ी : "सर वो....लोकेश सर ने बुलाया था मुझे यहाँ.... बोले की कोई ज़रूरी काम है..''
समीर सब समझ गया...इसका मतलब लोकेश ने रोज़ी को बुलाया है आज, चुदाई के लिए...पर वो होगा कैसे...वो भला क्यों एकदम से वो सब करने के लिए तैयार हो जाएगी, क्योंकि पिछले 2 हफ़्तों से तो वो खुद उसको ऑफीस में नोटीस कर रहा था , वो ज़्यादा बात नही करती थी किसी से...बस अपने काम से काम रखती थी...एक दो बार जब समीर ने भी उसके साथ इधर - उधर की बातें करनी चाही तो उसने कोई रिस्पोन्स नही दिया...तभी वो समझ गया था की इस लड़की को पटाना थोड़ा मुश्किल होगा...पर आज लोकेश ने उसे यहाँ बुलाया है तो ज़रूर कुछ होकर रहेगा...
समीर : "अरे हाँ ....याद आया ......मैं तो भूल ही गया था...आओ अंदर आओ...''
और रोज़ी अंदर आ गयी...समीर ने दरवाजा फिर से बंद कर दिया.
अंदर जाती हुई रोज़ी की मस्त गांड देखकर समीर का लंड खड़ा होने लगा...वैसे तो वो रोज उसकी गांड को देखकर आहें भरता था..पर आज बात कुछ और थी...और वो उसकी कसी हुई गांड को देख ही रहा था की वो एकदम से पलट गयी...समीर ने झट से अपनी नज़रें घुमा ली..
रोज़ी : "सर ...लगता है आज घर पर कोई नही है ..मेम कहीं बाहर गयी है क्या ?''
समीर : "हाँ ...आज वो काव्या को लेकर पिक्निक पर गयी है...शाम तक आएँगे दोनो ...''
रोज़ी के चेहरे पर कुछ परेशानी के भाव आ गये...वो कुछ बोलने ही वाली थी की फिर से बाहर की बेल बजी...समीर ने दरवाजा खोला तो बाहर लोकेश दत्त खड़ा था..वो अंदर आया और उसने रोज़ी को खड़े हुए देखा
लोकेश : "अरे रोज़ी ....तुम पहले से ही आ गयी यहाँ ....मैने तो तुम्हे 1 बजे आने को कहा था...अभी तो 1 बजा भी नही ..''
रोज़ी : "सर ..... मैने सोचा,जल्दी आकर काम कर लेती हू....आज संडे है ना...इसलिए घर भी कुछ ख़ास काम नही था...''
लोकेश (समीर को आँख मारते हुए) : "वो मैने ही इसको बुलाया था...सोचा की वो प्रॉपर्टी वाला केस जब डिस्कस करेंगे तो ये डॉक्युमेंट रेडी करने मे हेल्प कर देगी ...''
समीर अब भी यही सोचे जा रहा था की वो सब होगा कैसे...
समीर ने लोकेश को एक कोने मे खींचा और बोला : "साले ....तुझे कोई और नही मिला जो तूने रोज़ी को ही यहाँ बुला लिया...तूने कहा था ना की एकदम बढ़िया माल का इंतज़ाम करेगा...इसको तो मैने ऑफीस में भी नोट किया है...ये कुछ नही करने वाली वैसा कुछ .....''
लोकेश : "मेरे भाई...मैने तो इंतज़ाम सबसे बढ़िया ही किया है...पर रोज़ी ही वो माल है , ये बात अगर मैं पहले से बता देता तो तू शायद मना कर देता...पर अब देखना तू मेरा कमाल...जितना मैं इस लड़की को जानता हू, उसके हिसाब से तो आज ये सब करके जाएगी यहाँ से...तू बस देखता जा..''
अब समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...बस वो किसी से ज़ोर ज़बरदस्ती वाला काम नही करना चाहता था..और ये बात उसने लोकेश को भी समझा दी...ताकि वो भी ऐसा कुछ ना करे.
दोनो घर के पीछे बने स्वीमिंग पूल की तरफ चल दिए..और वहाँ चेयर पर जाकर बैठ गये..रोज़ी भी उनके साथ ही चलती हुई वहाँ आ गयी.
लोकेश : "चलो अब शुरू करते हैं...पर सबसे पहले कुछ पीने को मिल जाता तो मज़ा ही आ जाता...''
उसने रोज़ी की तरफ देखा और बोला : "रोज़ी...इफ़ यू डोंट माइंड, क्या तुम फ्रिज से बियर ला सकती हो...''
रोज़ी ने हंसते हुए हाँ कर दी...और अंदर चली गयी...उसके जाते ही लोकेश ख़ुसर फुसर करते हुए समीर को आगे की योजना समझाने लगा.
रोज़ी बड्वाइसर बियर के 2 चिल्ड केन लेकर आई..
लोकेश : "अरे...तुम अपने लिए नही लाई...''
रोज़ी : "नो सर ...मैं नही पीती ...मैने आज तक ये नही पी...''
समीर : "तभी तो...वरना एक बार पीने के बाद तुम हमेशा पीती ...ये लो....पहले तुम सीप लो इसमे से...''
लोकेश ने उसको केन खोलकर दी...रोज़ी ने मना किया पर समीर ने भी उसको पीने के लिए कहा, उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए केन लिया और एक सीप लिया..
रोज़ी : "ईईईईssssssssssssssss .... ये तो कड़वी है ...''
लोकेश : "शुरू -2 मे लगती है...पर बाद मे अच्छी लगेगी...पी लो..''
रोज़ी ने ना चाहते हुए भी 2 सीप और पी लिए...वो स्ट्रॉंग बियर थी...इसलिए कड़वी भी थोड़ी ज़्यादा थी.
लोकेश ने रोज़ी से वो केन ले ली...और खुद पीने लगा...एक मिनट पहले जहाँ उसके होंठ थे..वहाँ अब लोकेश के होंठ लगे हुए थे..
समीर ने भी अपनी केन रोज़ी की तरफ बड़ा दी और बोला : "तुमने इसकी बियर केन पर किस की, अब मेरी पर भी करो..''
रोज़ी भी अपने बॉस के मुँह से पहली बार ऐसी बात सुनकर शरमा सी गयी...वो दोनो तो कॉलेज के लड़को जैसा बिहेव कर रहे थे...जैसे उन्होने आज से पहले कोई लड़की देखी ही नही..या किसी को किस भी नही किया...पर रोज़ी कर भी क्या सकती थी...उसने सकुचाते और शरमाते हुए समीर के हाथ से भी बियर केन लिया और 2 घूंठ पीकर वापिस कर दिया...
समीर : "दो सीप और लो ना ...प्लीज़...''
अब रोज़ी के सिर पर भी हल्का सरूर चड़ने लगा था...स्ट्रॉंग बियर का नशा सबसे जल्दी चड़ता है सिर पर...उसने फिर से 2 सीप और लिए और समीर को केन वापिस कर दिया..समीर की तरफ हाथ करते हुए उसका हाथ हवा में लहरा सा रहा था..
समीर ने रोज़ी की तरफ देखते हुए केन पर मुँह लगाया...वहाँ पर रोज़ी के होंठों की लिपस्टिक का निशान भी बन चुका था...उसे अपनी जीभ से चाट्ता हुआ वो भी बियर पीने लगा..
रोज़ी ये देखकर एक बार फिर से शरमा गयी ... उसने भले ही आज से पहले किसी को किस्स नही किया था..पर समीर का अंदाज ही ऐसा था की रोज़ी को वो किस्स ठीक अपने होंठों पर होती हुई महसूस हुई...शायद बियर का नशा चढ़ चुका था उसके उपर..
समीर ने 3-4 सीप ली और फिर से अपनी केन रोज़ी की तरफ बड़ा दी...इस बार रोज़ी ने बिना ना-नुकर करते हुए वो केन ली और लंबे-2 घूट भरकर लगभग आधी से ज़्यादा केन पी डाली..
समीर ने मुस्कुराते हुए लोकेश की तरफ देखा और उसे इशारे से और बियर लाने के लिए कहा...लोकेश अंदर गया और बियर के 4-5 केन और ले आया...
समीर और लोकेश ने अगले 10 मिनट में ही दो केन और डकार डाले...और तब तक रोज़ी ने भी अपनी बियर ख़त्म कर दी थी...वो उठकर खड़ी होने लगी पर लहराते हुए वो समीर की तरफ गिरती चली गयी और सीधा जाकर उसकी गोद में जा गिरी...समीर ने बड़ी ही कुशलता के साथ उसे संभाल लिया...और सभी लोग ठहाका लगाकर हँसने लगे...रोज़ी अब खुल चुकी थी...वो हँसती ही जा रही थी...
हंसते-2 रोज़ी बोली : "सर ...प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना...आज शायद पहली बार बियर पी है ,इसलिए संभाल नही पाई....हा हा...मेरी वजह से आपकी थाई टूट गयी... ही ही ही ...''
वो अपने गिरने का भी मज़ाक बना रही थी...क्योंकि वो धप्प से गिरी थी समीर की जाँघ पर...
समीर : "अरे नही....तुम तो बिल्कुल फूल जैसी हो रोज़ी....तुम्हारे गिरने से थाई नही टूट सकती मेरी...''
रोज़ी : "कहाँ सर ....मेरा वेट पता है कितना ज़्यादा हो गया है....और मेरे हिप्स देखो ज़रा...कितने बड़े हैं...मुझे सबसे ज़्यादा चिंता तो इन्ही की रहती है...दिन ब दिन बढ़ते चले जा रहे हैं...सारा फेट भरता जा रहा है इनमे...''
वो चिंतित स्वर मे अपनी भरी हुई गांड की तरफ इशारा करते हुए अपना दुखड़ा रो रही थी..
लोकेश भी मज़े लेते हुए बोला : "अरे कहाँ रोज़ी....तुम्हारी बैक तो इतनी सेक्सी है की कोई भी देखे तो देखता रह जाए....ऐसी सेक्सी बैक को देखकर तो मज़ा ही आ जाता है...मन करता है की इसे ज़ोर से दबा दू ...''
रोज़ी : "क्या सर ...आप भी ना....ऐसा करने से भला क्या मिलेगा....ये तो नॉर्मल सी चीज़ है...''
समीर को तो विश्वास ही नही हुआ की रोज़ी ये कर क्या रही है...या तो वो बड़ी ही भोली है...या फिर बड़ी ही चालाक जो नशे का बहाना करके ये सब मज़े ले रही है..
पर तब तक लोकेश ने अपने दोनो हाथों को रोज़ी की फेली हुई गांड पर रखकर उन्हे सेंकना शुरू कर दिया था...टाइट स्कर्ट मे उसकी फंसी हुई गांड की कसावट को महसूस करते हुए लोकेश का लंड खड़ा हो चुका था...और उसे ऐसा करते देखकर समीर का भी...
लोकेश तो रोज़ी की गांड को बुरी तरह से मसल रहा था...और समीर रोज़ी के चेहरे के एक्शप्रेशन देखकर उसकी हालत का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था...वो शायद अब पछता रही थी की उसने ऐसा क्यो बोला..क्योंकि उसकी आँखो मे गुलाबीपन उतार आया था...एक तो नशे की खुमारी और उपर से ऐसी जगह पर किसी मर्द के हाथो का पहला स्पर्श पाकर तो रोज़ी बुरी तरह से बहक चुकी थी...और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से एक सिसकारी निकल ही गयी, जब लोकेश ने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद से टच करवा दिया...वो बिदक कर एकदम से दूर हो गयी...
लोकेश (हंसते हुए) : "वाव ..... रोज़ी .....सच मे....तुमने तो मेरे दिल के अरमान पूरे कर दिए...थेंक्स ...''
बेचारी मुस्कुराते हुए सिर्फ़ यही बोल पाई : "यू आर वेलकम सर ....''
तभी एकदम से समीर बोला : "अब मेरी बारी ....''
समीर की बात सुनकर रोज़ी एकदम से घबरा राई....उसने तो पहले मज़ाक -2 मे लोकेश को अपनी गांड मसलने के लिए ऑफर कर दी थी..पर जिस तरह से उन्होने उसे मसला था, उसे अंदर से कुछ-2 होने लगा था...वो करने क्या आई थी और कर क्या रही थी यहाँ...पर वो बॉस लोग थे...उन्हे मना करना उसे अच्छा नही लगा...वो धीरे-2 चलती हुई समीर के सामने जाकर खड़ी हो गयी..
समीर ने अपने हाथ के दोनो पंजे उसकी गांड पर रख दिए...और उन्हे ज़ोर-2 से दबाने लगा...ऐसा लगा की किसी 5 स्टार होटल का तकिया है वो...इतनी मखमली और गद्देदार गांड थी रोज़ी की...पूरी तरह से हलवे से भरी हुई...समीर ने लोकेश की तरफ देखा तो उसने इशारा करते हुए उसे थोड़ा और आगे बढ़ने को कहा...समीर ने एकदम से उसकी कमर पर हाथ रखकर रोज़ी को अपनी तरफ खींचा और उसके दांये नितम्ब पर एक जोरदार दाँत मारकर उसके माँस को अपने मुँह मे भर लिया..
रोज़ी दर्द से बिलबिला उठी...: "आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ ये क्या कर रहे हो सर .......... दर्द हो रहा है...आआआआआआआआआआह ''
और उसने आगे होते हुए अपनी मांसल गांड के हिस्से को समीर के मुँह से छुड़वाया ...
समीर : "आई एम सॉरी रोज़ी.....मुझे पता नही एकदम से क्या हो गया था...मुझे माफ़ कर दो...''
और वो एकदम से उठ कर अंदर चला गया.
उसके अंदर जाते ही लोकेश ने रोज़ी को डांटते हुए कहा : "तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या....तुमने अपने बॉस को नाराज़ कर दिया....सिर्फ़ एक किस्स ही तो कर रहे थे वो वहाँ...हाथ लगाने में और किस्स करने में भला क्या फ़र्क है...अच्छे भले मूड का सत्यानाश कर दिया तुमने तो...इतनी अच्छी नौकरी दिलवाई थी मैने तुम्हे, अब पता नही वो भी रहेगी या नही ..''
रोज़ी का रहा सहा नशा भी एकदम से हवा हो गया....इतनी मुश्किल से तो उसको ये नौकरी मिली थी...और वो भी इतनी बाड़िया सैलेरी पर..अभी तो पहली सैलेरी भी नही मिली और नौकरी जाने की नौबत आ गयी..
वो रुंआसी सी हो गयी और लोकेश से बोली : "पर सर ...वो मुझे बाइट कर रहे थे...मुझे काफ़ी दर्द हुआ , तभी मैने उन्हे ऐसा कहा...वरना मेरा ऐसा कुछ भी इरादा नही था...''
लोकेश : "अब ये मुझे बताने से क्या फायदा ...पर अभी भी कुछ नही बिगड़ा है...तुम अंदर जाओ..अपने बॉस के पास और वो जो करना चाहते हैं, उन्हे करने दो...तुम्हारी इच्छा के विपरीत वो कुछ नही करेंगे...बस थोड़े बहुत मज़े ही तो ले रहे हैं...लेने दो...और तुम भी लो...''
इतना कहते हुए लोकेश ने एक और केन खोकर रोज़ी को दी और बोला : "ये लो...इसको पी लो...तुम्हे अच्छा लगेगा...और मज़ा भी आएगा..''
रोज़ी की समझ मे आ गया की उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी है...और अब वो उस ग़लती को सुधारने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी..उसने लोकेश के हाथ से केन लिया और एक ही झटके मे उसे अपने मुँह से लगा कर गटागट पीने लगी...कुछ बियर बाहर निकलकर उसकी गर्दन से होती हुई अंदर चली गयी..पर वो लगातार होंठ लगाकर पीती रही और उसने आधे से ज़्यादा केन एक ही बार मे खाली कर दिया.
उसने अपनी आँखे ज़ोर -2 से झपकाते हुए अपने सिर को ज़ोर से झटके दिए...शायद वो उसके सिर पर चड चुकी थी..
फिर बड़े ही सेक्सी अंदाज में मुस्कुराते हुए उसने लोकेश को देखा और बोली : "आप ठीक कहते हैं सर ...मैने ग़लत किया....अब देखना आप मेरा कमाल...''
और वो झूमती हुई सी अंदर चली गयी...लोकेश भी अपनी बियर लेकर उसके पीछे-2 अंदर आ गया.
समीर सोफे पर बैठा हुआ अपना सिर पकड़ कर लोकेश को कोस रहा था, क्योंकि उसकी वजह से ही वो अपनी मर्यादा भूलकर इस लड़की के साथ हद से आगे बड़ गया था...उसने ये भी नही सोचा की उसको क्या फील हो रहा होगा, उसकी मर्ज़ी और दर्द की परवाह किए बिना वो कैसे वहशी सा बनकर उसकी गांड पर काट खा रहा था...ये उसको शोभा नही देता...वो तो ऐसा था ही नही...आज लोकेश के उकसाने पर उसने ये क्या कर दिया...अब पता नही रोज़ी उसके बारे में क्या सोचेगी...नौकरी तो वो छोड़ ही देगी..पर उससे नज़रें भी वो कैसे मिला पाएगा कभी..शायद उसके ऊपर केस भी कर दे
वो ये सोच ही रहा था की रोज़ी एकदम से उसके सामने आकर बैठ गयी...और उसके दोनो हाथ पकड़ कर बोली : "आई एम सॉरी सर ....मेरी वजह से आपका मूड खराब हो गया...मैं ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहती थी...पर आपने वो बाइट ही इतनी ज़ोर से किया की मुझे काफ़ी दर्द हुआ...पर फिर भी मुझे ऐसा नही करना चाहिए था...आप अपना मूड खराब करके अंदर आ गये मुझे ये बिल्कुल अच्छा नही लगा...प्लीज़ सर ...मुझे माफ़ कर दीजिए ना...प्लीज़...''
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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