FUN-MAZA-MASTI
किसी ने देख लिया तो--1
हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम आशा हैं और मैं वलसाड, गुजरात में रहती हूँ. मेरी उम्र २९ साल हैं और मेरे पति घनश्याम रेलवे में इंजिनियर हैं. हम लोग क्वार्टर्स में रहते हैं और यह बात आज से ४ महीने पहले की हैं. हमारे बगल वाले क्वार्टर में सुलेमान भाई और फरीदा भाभी रहते हैं. दोनों ही पचास के ऊपर की उम्र के हैं और सुलेमान भाई कुछ ही साल में रिटायर्ड होने वाले हैं. उनका एक बेटा हैं जिसका नाम अशफ़ाक हैं. अशफ़ाक दुबई में रहता हैं और वो अभी कुंवारा हैं.
अप्रेल में वो गर्मी के दिनों में इंडिया आया था. वो एक हसमुख और नौटी लड़का हैं. उसने हमें भी चोकलेट और खजूरें दी थी. फरीदा भाभी ने मुझे बताया की अशफ़ाक की मंगनी वो लोग दमन में तय करने वाले हैं. दरअसल वो उसकी फूफी की बेटी से ही होनेवाली थी. एक दिन मैं घर में मटर छिल रही थी की अशफ़ाक आ गया.
“भाभी कैसे हो आप.? भैया ने अभी तक टीवी नहीं लगवाया आप के घर में, कैसे टाइम निकालती हैं आप…!” इतना कह के वो मेरे पास बैठा और छिले हुए मटर उठा के खाने लगा.
“अरे रे, छिले हुए मत खा पागल, खाने हैं तो खुद छिल के खा..” मैंने उसका हाथ थाली से हटाते हुए कहा.
“भाभी आप भी ना, जरा भी नहीं बदली हैं.”
“अच्छा, तू तो जैसे दुबई जा के लाटसाहब हो के आया हैं.”
“हा हा हा, वैसे मैं यह कहने आया था की सन्डे को हम लोग दमन जा रहे हैं आप चलेंगे हमारे साथ.”
“क्यूँ नहीं, अच्छी बात हैं.”
“भैया को भी बोल देना प्लीज़.”
“वो शायद ही आयेंगे, अगर नाईट ड्यूटी रही तो मैं मना लुंगी उन्हें आने के लिए.”
जैसे ही मैंने यह कहा वो उठ के जा रहा था. लेकिन मैंने बात आगे की.
“अशफ़ाक, वैसे तूने बताया ही नहीं की हुस्ना कैसी दिखती हैं.”
“क़यामत हैं भाभी पूरी क़यामत..”
इतना कह के उसने अपनी गांड को ऊँचा कर के पर्स निकाला. उसने पर्स की साइड वाली जगह में रखी हुई फोटो मुझे दिखाई. सच में वो बहुत ही खुबसूरत दिखती थी.
“तू इसके लिए दुबई से कुछ लाया की नहीं?”
“लाया हूँ ना भाभी बहुत सब लाया हूँ.”
“क्या लाया हैं?”
“चोकलेट, मेकअप बोक्स, टेडी बियर और…”
और कह के अशफ़ाक की जबान रुक गई, मुझे जानने की जिग्न्यासा हुई की और क्या लाया था वो.
“और क्या?”
“कुछ नहीं भाभी.!”
“अरे बता ना, भाभी कहता हैं और मुझ से ही छिपाता हैं.”
“अरे आप अम्मी को बता देंगी यह सब.”
“धत पगले नहीं बताउंगी किसी को भी.”
अशफ़ाक ने इधर उधर देखा और फिर धीरे से बोला, “मैंने लौन्जरी ले के आया हूँ हुस्ना के लिए!”
“क्या?”
“हाँ आशा भाभी मैं उसके लिए ब्लेक इम्पोर्टेड ब्रा और पेंटी लाया हु और ऊपर एक ट्रांसपेरेंट गाउन भी हैं.”
अशफ़ाक के मुहं से यह सब सुन के मुझे अपनी जवानी याद आ गई. कैसे घनश्याम के साथ मैं हनिमुम के लिए खंडाला गई थी जहां उसने मुझे ऐसी ही पारदर्शक नाइटी ले के दी थी. अशफ़ाक बड़ा खुश दिख रहा था. मुझे घनश्याम की जवानी के दिन याद आये जब वो दिन में मूझे ३-४ बार चोदता था और थका देता था. अब तो मुश्किल से महीने में दो बार वो मुझे शयनसुख देता हैं. अशफ़ाक के अंदर मुझे घनश्याम की वो पुरानी मर्दानगी की झलक दिखी. मेरे मन में कटु ख्याल आया की क्यूँ ना हुस्ना से पहले मैं ही उसके लंड के निचे लेट जाऊं, वैसे अशफ़ाक दिखता भी बड़ा हॉट था. किसी अंडरवेर की एड में मॉडल होते हैं वैसा ही गोरा चिट्टा और मजबूत बांधे वाला था वो.
“तूने साइज़ चेक पूछी थी हुस्ना से?” मैंने अपने डोरे डालने की शरुआत की.
“अरेभाभी, नहीं वो नहीं बताती कभी भी, वो तो आई लव यु बोलने में भी शरमाती हैं.”
“बुध्धू अगर लौन्जरी छोटी बड़ी हुई तो गिफ्ट का कचरा हो जायेंगा.” मेरा इतना कहते ही अशफ़ाक सोच में पड़ गया.
“जा ले के आ यहाँ, मैं चेक करती हूँ.” मैंने उस से कहा.
“सच में भाभी, आप चेक कर सकती हैं ऐसे देख के ही?” उसने पूछा.
“हाँ तू ले आ, मैं कम से कम अंदाज निकाल दूंगी तुझे.”
अशफ़ाक दौड़ के गया और जब वो वापस आया तो उसके हाथ में एक बेग थी. उसने लौन्जरी को गिफ्ट व्रेप करवाया था. उसने व्रेपिंग खोली और अंदर से एक बोक्स निकाला. बॉक्स में मखमली लौन्जरी थी काले रंग की. उसने धीरे से उसे बहार निकाला. मैंने ब्रा को पकड़ा और उसे उसके सामने खोला. वो एक पेड़ वाली ब्रा थी और दिखने में बड़ी सेक्सी थी. मैंने अशफ़ाक के सामने देखा और फिर ब्रा को अपने बूब्स पर रख दिया. अशफ़ाक फटी आँखों से मुझे देख रहा था. ब्रा को मैंने जब बूब्स पर ढंका तो वो फिट दिख रही थी मेरे ऊपर.
“मेरे जितनी साइज़ हैं क्या हुस्ना की?”
“नहीं भाभी, काफी छोटी हैं उसकी साइज़ तो!”
“फिर यह कैसे पहनेंगी वो, तुझे काफी टाइम लगेंगा यह साइज़ करने में!” मैंने डबल मीनिंग वाला डायलोग मारा और अशफ़ाक भी हंस पड़ा.
फिर मैंने काली पेंटी उठाई और उसे अपने ऊपर रखा. अशफ़ाक की नजर मेरे ऊपर ही थी.
“ये भी फिट बैठती हैं आप के ऊपर भाभी.”
“तू हुस्ना की साइज़ की जगह मेरी साइज़ का ले आया सब कुछ. वापस कर देना महंगा होंगा यह सब तो.”
” मुझे यह ख्याल पहले क्यूँ नहीं आया, अगर मैं दुबई से आप को फोन करता तो आप मेरी मदद कर देती ना भाभी.”
“अब तूने फोन नहीं किया तो मैं क्या कर सकती थी!”
“भाभी आप रख लो इसे, वैसे भी मैंने हुस्ना को नहीं बताया हैं इसके बारे में.”
“अरे मैं कैसे रख सकती हूँ इसे पागल, कोई भाभी को भी लौन्जरी गिफ्ट देता हैं क्या?”
“आप के ऊपर मस्त दिखती हैं भाभी, और मैं इसे वापस नहीं ले जाऊँगा.”
“नहीं अशफ़ाक बहुत महंगी लगती हैं ये तो.”
“आप के लिए क्या महंगा क्या सस्ता.”
“मैंने एक शर्त पर इसे रखूंगी?”
“कैसी शर्त?”
“मैं यह पहन के दिखाउंगी तुझे और अगर तुझे अच्छी लगी तो मैं रख लुंगी.”
अशफ़ाक का गला सुख गया और उसने मेरी आँखों से आँखे मिलाई. मेरी आँखों में उसे मादकता ही दिखी होंगी.
“ठीक हैं भाभी.”
“मैं अभी आई इसे पहन के.”
मैं उठी और बगल वाले कमरे में जाके मैंने अपने कपडे उतार दिए. अशफ़ाक दरवाजे की दरार से मुझे नंगा देख रहा था वो मुझे पता था. उसकी आँख को मैंने दरार पर देखा था. और इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा समय नंगी रही और आहिस्ता आहिस्ता ब्रा पेंटी को पहना.
जैसे ही मैं दरवाजे की और बढ़ी अशफ़ाक वहां से भाग के वापस सोफे पर बैठ गया. मैंने दरवाजा खोला और अशफ़ाक के सामने ब्रा और पेंटी में आ गई. अशफ़ाक मुझे ताड़ ताड़ के देखने लगा. मेरे मोटे बूब्स स काली मखमली ब्रा में कयामत लग रहे थे. अशफ़ाक कभी मेरे बूब्स को देखता तो कभी मेरी फ्लेट पेट को. मैं जानती थी की उसका लंड मुझे ऐसे देख के खड़ा तो होना ही था.
“मैं कैसी लग रही हूँ अशफ़ाक?”
इतना सुनते ही अशफ़ाक उठ के भागा मेरी ओर और मुझे गले से लगा लिया.
“यह क्या कर रहे हो अशफ़ाक?” मैंने नौटंकी की.
“कुछ नहीं भाभी आप की तारीफ़ अल्फाज़ से नहीं बल्कि होंठो से करना चाहता हूँ.”
इतना कह के उसने मेरे गर्दन के उपर एक चुम्मा दे दिया. उसके गरम गरम होंठ मेरे बदन पर छूते ही मेरे बदन में जैसे की करंट दौड़ गया. मैंने उसे बाहों में भर के कहा, “कोई देख लेंगा हमें अशफ़ाक?”
“देख लेने दो आज जिसे देखना हो…!”
उसके होंठो से अब वो मेरे गाल, गर्दन और कान के निचे के हिस्से को जोर जोर से चूमने लगा. उधर निचे उसका लंड मेरी पेंटी को टच कर रहा था. मुझे अपने एक्सपीरियंस से पता लगा की उसका लंड कम से कम ७ इंच का तो था ही.
मैंने उसके बालों में अपनी उंगलियाँ डाली और उसने सहलाने लगी. अशफ़ाक के गरम हाथ मेरी कमर पर थे और वो मुझे अपनी और खिंच रहा था. बहार गरमी ज्यादा थी लेकिन उस से भी ज्यादा गरमी हम दोनों के बदन में थी उस वक्त…! अशफ़ाक के हाथ अब आगे बढे और उसने मेरी चुंचियां पकड ली. मैं सिहर उठी उसके मादक स्पर्श से. उसने मेरी गोलाइयों को पूरा दबाया और मेरे मुहं से सिसकी निकल पड़ी.
“अशफ़ाक प्लीज़ दरवाजा बंध कर दो, किसी ने देख लिया तो प्रॉब्लम होंगा.”
अशफ़ाक दरवाजे की कड़ी लगा के वापस मेरी और बढ़ा, चलते चलते उसने अपनी पेंट का पट्टा खोला दिया और ज़िप खोल के अपने लौड़े को बहार निकाला. बाप रे उसका लंड तो पूरा तन के टाईट हुआ पडा था. मैं एक घड़ी बस उसे ही देखती रही, बिलकुल घनश्याम के लौड़े जैसा ही था वो. अशफ़ाक मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड के उसने अपने लंड को मेरे हाथ में दिया. मैंने मुठ्ठी बंध कर के लंड को दबाया.
“कैसा हैं मेरा हथियार भाभी, हुस्ना को पसंद आएगा?”
“वो तो पूरा चेक कर के बताना पड़ेंगा?”
इतना कह के मैं अपने घुटनों पर जा बैठी. लंड के सुपाडे पर किस करते ही अशफ़ाक की सिसकी निकल पड़ी. मैंने मुहं खोल के उस दबंग लंड को मुहं में ले लिया. आधे से ज्यादा लौड़ा मेरे मुहं में था. अशफ़ाक ने मेरे माथे को पकड़ा और वो मेरा मुहं चोदने की जल्दबाजी कर रहा था.
मैंने उसके लंड को लोलीपोप की तरह मुहं में चलाया और उसके मुहं से सिसकियाँ बढती चली. वो आह आह कर रहा था और मैं उसके लौड़े को जोर जोर से चुस्ती जा रही थी. उसका लौड़ा सख्त था जो किसी भी टाईट चूत की खटिया खड़ी कर सकता हैं, बिलकुल मेरी पसंद का लौड़ा था वो! मेरा थूंक लंड पर जमा हो रहा था. मैं बिच बिच में हाथ से मजा de रही थी अशफ़ाक को और वो आहें भर रहा था.
पांच मिनिट पूरा उसके लंड चूसा मैंने. मेरे हाथ अशफ़ाक की गांड पर थे और मैं आधे से ज्यादा लंड को मुहं में रख के उसके ऊपर जबान चला रही थी. तभी उसके बदन में कंपन आया और उसका लावा मेरे मुहं में निकल पड़ा. कम से कम २० एम्एल जितना वीर्य मेरे दांत, गले और होंठो पर निकाल दिया इस लड़के ने. बहुत दिन से उसने मुठ नहीं मारी होंगी तभी तो इतना पानी निकला था लौड़े से.
अशफ़ाक ने एक लम्बी आह ली और मेरे मुहं से लंड को बहार खींचा. मैंने लौड़े के ऊपर से सब माल चाट के साफ़ कर दिया. अशफ़ाक थक के सोफे पर बैठ गया. लेकिन मैं अभी कहाँ ठंडी हुई थी. मैंने सोफे पर चढ़ के अपनी चूत को उसके सामने रख दिया. पेंटी को साइड में खिसका के मैंने चूत उसके होंठो पर रख दी. चूत पर छोटे छोटे बाल थे जो अशफ़ाक की नाक में घुस रहे थे. अशफ़ाक को पता था की चूत क्या मांग रही थी उस वक्त. उसने अपनी जबान से चूत को मस्ती से चाटना चालू कर दिया. बहुत मजे से लिक कर रहा था वो मेरी प्यासी चूत को. मैं चूत को उसके ऊपर रगड़ के और भी मजे लुट रही थी. अशफ़ाक ने तभी पीछे मेरी गांड पर हाथ रखा और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड के छेद से लड़ने लगी. वो गांड के छेद को मसल रहा था और मैं उत्तेजना के सातवें आसमान पर थी.
तभी अशफ़ाक ने अपनी पीछे वाली ऊँगली को पेंटी के साइड से अंडर किया और अब वो सीधे ही गांड में ऊँगली करने लगा. मैं सिहर उठी! घनश्याम को गांड सेक्स पसंद नहीं हैं इसलिए मैं उस सुख से वंचित ही थी. अशफ़ाक ने जैसे hi गांड में ऊँगली डाली मेरे बदन में एक साथ सेंकडो सुई चुभने लगी. आह की आवाज से मैं उस से लिपट गई. अशफ़ाक ने गांड आधी ऊँगली दाल दी और वो उसे अंडर घुमाने लगा. यह ख़ुशी अब मुझ से बर्दास्त नहीं हो रही थी.
“अशफ़ाक चोद दो मुझे, अब बर्दास्त नहीं हो रहा हैं मुझ से.”
इतना सुनते ही अशफ़ाक ने मुझे सोफे में टाँगे फैला के लिटाया. मेरी पेंटी को उसने खिंच के उतार फेंका. उसका लौड़ा अब मेरी चूत पर था. उस गरम अहसास की अनमोलता कैसे कहूँ आप से! एक झटका लगा और वो लंड मेरी चूत में उतर गया. मैंने फिर से अशफ़ाक को गले से लगा लिया. उसने लंड अंडर घुसेड के एक मिनिट वेट करना मुनासिब समझा. उसके बाद उसके लंड की मार चालु हो गई. वो अपने कड़े लंड को मेरी चूत के अंडर बहार चलाने लगा. मैं सुख के समन्दर में गोते लगा रही थी….!
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हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम आशा हैं और मैं वलसाड, गुजरात में रहती हूँ. मेरी उम्र २९ साल हैं और मेरे पति घनश्याम रेलवे में इंजिनियर हैं. हम लोग क्वार्टर्स में रहते हैं और यह बात आज से ४ महीने पहले की हैं. हमारे बगल वाले क्वार्टर में सुलेमान भाई और फरीदा भाभी रहते हैं. दोनों ही पचास के ऊपर की उम्र के हैं और सुलेमान भाई कुछ ही साल में रिटायर्ड होने वाले हैं. उनका एक बेटा हैं जिसका नाम अशफ़ाक हैं. अशफ़ाक दुबई में रहता हैं और वो अभी कुंवारा हैं.
अप्रेल में वो गर्मी के दिनों में इंडिया आया था. वो एक हसमुख और नौटी लड़का हैं. उसने हमें भी चोकलेट और खजूरें दी थी. फरीदा भाभी ने मुझे बताया की अशफ़ाक की मंगनी वो लोग दमन में तय करने वाले हैं. दरअसल वो उसकी फूफी की बेटी से ही होनेवाली थी. एक दिन मैं घर में मटर छिल रही थी की अशफ़ाक आ गया.
“भाभी कैसे हो आप.? भैया ने अभी तक टीवी नहीं लगवाया आप के घर में, कैसे टाइम निकालती हैं आप…!” इतना कह के वो मेरे पास बैठा और छिले हुए मटर उठा के खाने लगा.
“अरे रे, छिले हुए मत खा पागल, खाने हैं तो खुद छिल के खा..” मैंने उसका हाथ थाली से हटाते हुए कहा.
“भाभी आप भी ना, जरा भी नहीं बदली हैं.”
“अच्छा, तू तो जैसे दुबई जा के लाटसाहब हो के आया हैं.”
“हा हा हा, वैसे मैं यह कहने आया था की सन्डे को हम लोग दमन जा रहे हैं आप चलेंगे हमारे साथ.”
“क्यूँ नहीं, अच्छी बात हैं.”
“भैया को भी बोल देना प्लीज़.”
“वो शायद ही आयेंगे, अगर नाईट ड्यूटी रही तो मैं मना लुंगी उन्हें आने के लिए.”
जैसे ही मैंने यह कहा वो उठ के जा रहा था. लेकिन मैंने बात आगे की.
“अशफ़ाक, वैसे तूने बताया ही नहीं की हुस्ना कैसी दिखती हैं.”
“क़यामत हैं भाभी पूरी क़यामत..”
इतना कह के उसने अपनी गांड को ऊँचा कर के पर्स निकाला. उसने पर्स की साइड वाली जगह में रखी हुई फोटो मुझे दिखाई. सच में वो बहुत ही खुबसूरत दिखती थी.
“तू इसके लिए दुबई से कुछ लाया की नहीं?”
“लाया हूँ ना भाभी बहुत सब लाया हूँ.”
“क्या लाया हैं?”
“चोकलेट, मेकअप बोक्स, टेडी बियर और…”
और कह के अशफ़ाक की जबान रुक गई, मुझे जानने की जिग्न्यासा हुई की और क्या लाया था वो.
“और क्या?”
“कुछ नहीं भाभी.!”
“अरे बता ना, भाभी कहता हैं और मुझ से ही छिपाता हैं.”
“अरे आप अम्मी को बता देंगी यह सब.”
“धत पगले नहीं बताउंगी किसी को भी.”
अशफ़ाक ने इधर उधर देखा और फिर धीरे से बोला, “मैंने लौन्जरी ले के आया हूँ हुस्ना के लिए!”
“क्या?”
“हाँ आशा भाभी मैं उसके लिए ब्लेक इम्पोर्टेड ब्रा और पेंटी लाया हु और ऊपर एक ट्रांसपेरेंट गाउन भी हैं.”
अशफ़ाक के मुहं से यह सब सुन के मुझे अपनी जवानी याद आ गई. कैसे घनश्याम के साथ मैं हनिमुम के लिए खंडाला गई थी जहां उसने मुझे ऐसी ही पारदर्शक नाइटी ले के दी थी. अशफ़ाक बड़ा खुश दिख रहा था. मुझे घनश्याम की जवानी के दिन याद आये जब वो दिन में मूझे ३-४ बार चोदता था और थका देता था. अब तो मुश्किल से महीने में दो बार वो मुझे शयनसुख देता हैं. अशफ़ाक के अंदर मुझे घनश्याम की वो पुरानी मर्दानगी की झलक दिखी. मेरे मन में कटु ख्याल आया की क्यूँ ना हुस्ना से पहले मैं ही उसके लंड के निचे लेट जाऊं, वैसे अशफ़ाक दिखता भी बड़ा हॉट था. किसी अंडरवेर की एड में मॉडल होते हैं वैसा ही गोरा चिट्टा और मजबूत बांधे वाला था वो.
“तूने साइज़ चेक पूछी थी हुस्ना से?” मैंने अपने डोरे डालने की शरुआत की.
“अरेभाभी, नहीं वो नहीं बताती कभी भी, वो तो आई लव यु बोलने में भी शरमाती हैं.”
“बुध्धू अगर लौन्जरी छोटी बड़ी हुई तो गिफ्ट का कचरा हो जायेंगा.” मेरा इतना कहते ही अशफ़ाक सोच में पड़ गया.
“जा ले के आ यहाँ, मैं चेक करती हूँ.” मैंने उस से कहा.
“सच में भाभी, आप चेक कर सकती हैं ऐसे देख के ही?” उसने पूछा.
“हाँ तू ले आ, मैं कम से कम अंदाज निकाल दूंगी तुझे.”
अशफ़ाक दौड़ के गया और जब वो वापस आया तो उसके हाथ में एक बेग थी. उसने लौन्जरी को गिफ्ट व्रेप करवाया था. उसने व्रेपिंग खोली और अंदर से एक बोक्स निकाला. बॉक्स में मखमली लौन्जरी थी काले रंग की. उसने धीरे से उसे बहार निकाला. मैंने ब्रा को पकड़ा और उसे उसके सामने खोला. वो एक पेड़ वाली ब्रा थी और दिखने में बड़ी सेक्सी थी. मैंने अशफ़ाक के सामने देखा और फिर ब्रा को अपने बूब्स पर रख दिया. अशफ़ाक फटी आँखों से मुझे देख रहा था. ब्रा को मैंने जब बूब्स पर ढंका तो वो फिट दिख रही थी मेरे ऊपर.
“मेरे जितनी साइज़ हैं क्या हुस्ना की?”
“नहीं भाभी, काफी छोटी हैं उसकी साइज़ तो!”
“फिर यह कैसे पहनेंगी वो, तुझे काफी टाइम लगेंगा यह साइज़ करने में!” मैंने डबल मीनिंग वाला डायलोग मारा और अशफ़ाक भी हंस पड़ा.
फिर मैंने काली पेंटी उठाई और उसे अपने ऊपर रखा. अशफ़ाक की नजर मेरे ऊपर ही थी.
“ये भी फिट बैठती हैं आप के ऊपर भाभी.”
“तू हुस्ना की साइज़ की जगह मेरी साइज़ का ले आया सब कुछ. वापस कर देना महंगा होंगा यह सब तो.”
” मुझे यह ख्याल पहले क्यूँ नहीं आया, अगर मैं दुबई से आप को फोन करता तो आप मेरी मदद कर देती ना भाभी.”
“अब तूने फोन नहीं किया तो मैं क्या कर सकती थी!”
“भाभी आप रख लो इसे, वैसे भी मैंने हुस्ना को नहीं बताया हैं इसके बारे में.”
“अरे मैं कैसे रख सकती हूँ इसे पागल, कोई भाभी को भी लौन्जरी गिफ्ट देता हैं क्या?”
“आप के ऊपर मस्त दिखती हैं भाभी, और मैं इसे वापस नहीं ले जाऊँगा.”
“नहीं अशफ़ाक बहुत महंगी लगती हैं ये तो.”
“आप के लिए क्या महंगा क्या सस्ता.”
“मैंने एक शर्त पर इसे रखूंगी?”
“कैसी शर्त?”
“मैं यह पहन के दिखाउंगी तुझे और अगर तुझे अच्छी लगी तो मैं रख लुंगी.”
अशफ़ाक का गला सुख गया और उसने मेरी आँखों से आँखे मिलाई. मेरी आँखों में उसे मादकता ही दिखी होंगी.
“ठीक हैं भाभी.”
“मैं अभी आई इसे पहन के.”
मैं उठी और बगल वाले कमरे में जाके मैंने अपने कपडे उतार दिए. अशफ़ाक दरवाजे की दरार से मुझे नंगा देख रहा था वो मुझे पता था. उसकी आँख को मैंने दरार पर देखा था. और इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा समय नंगी रही और आहिस्ता आहिस्ता ब्रा पेंटी को पहना.
जैसे ही मैं दरवाजे की और बढ़ी अशफ़ाक वहां से भाग के वापस सोफे पर बैठ गया. मैंने दरवाजा खोला और अशफ़ाक के सामने ब्रा और पेंटी में आ गई. अशफ़ाक मुझे ताड़ ताड़ के देखने लगा. मेरे मोटे बूब्स स काली मखमली ब्रा में कयामत लग रहे थे. अशफ़ाक कभी मेरे बूब्स को देखता तो कभी मेरी फ्लेट पेट को. मैं जानती थी की उसका लंड मुझे ऐसे देख के खड़ा तो होना ही था.
“मैं कैसी लग रही हूँ अशफ़ाक?”
इतना सुनते ही अशफ़ाक उठ के भागा मेरी ओर और मुझे गले से लगा लिया.
“यह क्या कर रहे हो अशफ़ाक?” मैंने नौटंकी की.
“कुछ नहीं भाभी आप की तारीफ़ अल्फाज़ से नहीं बल्कि होंठो से करना चाहता हूँ.”
इतना कह के उसने मेरे गर्दन के उपर एक चुम्मा दे दिया. उसके गरम गरम होंठ मेरे बदन पर छूते ही मेरे बदन में जैसे की करंट दौड़ गया. मैंने उसे बाहों में भर के कहा, “कोई देख लेंगा हमें अशफ़ाक?”
“देख लेने दो आज जिसे देखना हो…!”
उसके होंठो से अब वो मेरे गाल, गर्दन और कान के निचे के हिस्से को जोर जोर से चूमने लगा. उधर निचे उसका लंड मेरी पेंटी को टच कर रहा था. मुझे अपने एक्सपीरियंस से पता लगा की उसका लंड कम से कम ७ इंच का तो था ही.
मैंने उसके बालों में अपनी उंगलियाँ डाली और उसने सहलाने लगी. अशफ़ाक के गरम हाथ मेरी कमर पर थे और वो मुझे अपनी और खिंच रहा था. बहार गरमी ज्यादा थी लेकिन उस से भी ज्यादा गरमी हम दोनों के बदन में थी उस वक्त…! अशफ़ाक के हाथ अब आगे बढे और उसने मेरी चुंचियां पकड ली. मैं सिहर उठी उसके मादक स्पर्श से. उसने मेरी गोलाइयों को पूरा दबाया और मेरे मुहं से सिसकी निकल पड़ी.
“अशफ़ाक प्लीज़ दरवाजा बंध कर दो, किसी ने देख लिया तो प्रॉब्लम होंगा.”
अशफ़ाक दरवाजे की कड़ी लगा के वापस मेरी और बढ़ा, चलते चलते उसने अपनी पेंट का पट्टा खोला दिया और ज़िप खोल के अपने लौड़े को बहार निकाला. बाप रे उसका लंड तो पूरा तन के टाईट हुआ पडा था. मैं एक घड़ी बस उसे ही देखती रही, बिलकुल घनश्याम के लौड़े जैसा ही था वो. अशफ़ाक मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड के उसने अपने लंड को मेरे हाथ में दिया. मैंने मुठ्ठी बंध कर के लंड को दबाया.
“कैसा हैं मेरा हथियार भाभी, हुस्ना को पसंद आएगा?”
“वो तो पूरा चेक कर के बताना पड़ेंगा?”
इतना कह के मैं अपने घुटनों पर जा बैठी. लंड के सुपाडे पर किस करते ही अशफ़ाक की सिसकी निकल पड़ी. मैंने मुहं खोल के उस दबंग लंड को मुहं में ले लिया. आधे से ज्यादा लौड़ा मेरे मुहं में था. अशफ़ाक ने मेरे माथे को पकड़ा और वो मेरा मुहं चोदने की जल्दबाजी कर रहा था.
मैंने उसके लंड को लोलीपोप की तरह मुहं में चलाया और उसके मुहं से सिसकियाँ बढती चली. वो आह आह कर रहा था और मैं उसके लौड़े को जोर जोर से चुस्ती जा रही थी. उसका लौड़ा सख्त था जो किसी भी टाईट चूत की खटिया खड़ी कर सकता हैं, बिलकुल मेरी पसंद का लौड़ा था वो! मेरा थूंक लंड पर जमा हो रहा था. मैं बिच बिच में हाथ से मजा de रही थी अशफ़ाक को और वो आहें भर रहा था.
पांच मिनिट पूरा उसके लंड चूसा मैंने. मेरे हाथ अशफ़ाक की गांड पर थे और मैं आधे से ज्यादा लंड को मुहं में रख के उसके ऊपर जबान चला रही थी. तभी उसके बदन में कंपन आया और उसका लावा मेरे मुहं में निकल पड़ा. कम से कम २० एम्एल जितना वीर्य मेरे दांत, गले और होंठो पर निकाल दिया इस लड़के ने. बहुत दिन से उसने मुठ नहीं मारी होंगी तभी तो इतना पानी निकला था लौड़े से.
अशफ़ाक ने एक लम्बी आह ली और मेरे मुहं से लंड को बहार खींचा. मैंने लौड़े के ऊपर से सब माल चाट के साफ़ कर दिया. अशफ़ाक थक के सोफे पर बैठ गया. लेकिन मैं अभी कहाँ ठंडी हुई थी. मैंने सोफे पर चढ़ के अपनी चूत को उसके सामने रख दिया. पेंटी को साइड में खिसका के मैंने चूत उसके होंठो पर रख दी. चूत पर छोटे छोटे बाल थे जो अशफ़ाक की नाक में घुस रहे थे. अशफ़ाक को पता था की चूत क्या मांग रही थी उस वक्त. उसने अपनी जबान से चूत को मस्ती से चाटना चालू कर दिया. बहुत मजे से लिक कर रहा था वो मेरी प्यासी चूत को. मैं चूत को उसके ऊपर रगड़ के और भी मजे लुट रही थी. अशफ़ाक ने तभी पीछे मेरी गांड पर हाथ रखा और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड के छेद से लड़ने लगी. वो गांड के छेद को मसल रहा था और मैं उत्तेजना के सातवें आसमान पर थी.
तभी अशफ़ाक ने अपनी पीछे वाली ऊँगली को पेंटी के साइड से अंडर किया और अब वो सीधे ही गांड में ऊँगली करने लगा. मैं सिहर उठी! घनश्याम को गांड सेक्स पसंद नहीं हैं इसलिए मैं उस सुख से वंचित ही थी. अशफ़ाक ने जैसे hi गांड में ऊँगली डाली मेरे बदन में एक साथ सेंकडो सुई चुभने लगी. आह की आवाज से मैं उस से लिपट गई. अशफ़ाक ने गांड आधी ऊँगली दाल दी और वो उसे अंडर घुमाने लगा. यह ख़ुशी अब मुझ से बर्दास्त नहीं हो रही थी.
“अशफ़ाक चोद दो मुझे, अब बर्दास्त नहीं हो रहा हैं मुझ से.”
इतना सुनते ही अशफ़ाक ने मुझे सोफे में टाँगे फैला के लिटाया. मेरी पेंटी को उसने खिंच के उतार फेंका. उसका लौड़ा अब मेरी चूत पर था. उस गरम अहसास की अनमोलता कैसे कहूँ आप से! एक झटका लगा और वो लंड मेरी चूत में उतर गया. मैंने फिर से अशफ़ाक को गले से लगा लिया. उसने लंड अंडर घुसेड के एक मिनिट वेट करना मुनासिब समझा. उसके बाद उसके लंड की मार चालु हो गई. वो अपने कड़े लंड को मेरी चूत के अंडर बहार चलाने लगा. मैं सुख के समन्दर में गोते लगा रही थी….!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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