Wednesday, November 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI जेठ जी के अहसान --5

FUN-MAZA-MASTI

 जेठ जी के अहसान --5

सुबह नींद खुली तो , जेठ जी अभी तक सो रहे थे ! काफी हिला डुला कर जेठ जी के लण्ड के कैद से अपनी चूत को आज़ाद किया , वीर्य का थक्का चूत से बहार आ रहा था ! जल्दी जल्दी रेलवे के तौलिये से पोछा अपनी चूत को ! भैया का लण्ड साफ़ कर ही रही थी की भैया जाग गए , उन्होंने भी मेरी हेल्प की !हमने 10 मिनट तक एक दुसरे को किस किया और आलिंगन किया , फिर भैया ने अपने हाथों से मुझे पेटीकोट , ब्रा , ब्लाउज पहनाया और साड़ी बाँधने में मदद की ! भैया का सिर्फ अंडरवियर मैंने पहनाया , बाकि कपडे उन्होंने खुद पहन लिए ! गाडी स्टेशन पर लगी तो दीपक कूपे में आकर सामान लेकर गाडी में डालकर चल पड़े ! मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी दीपक से ! रास्ते भर ज्यादातर दीपक और भैया इधर उधर की बात करते , बीच बीच में मैं भी हूँ हाँ कर देती थी !
दीपक फरीदाबाद में एक बड़ी कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे , कंपनी के तरफ से उन्हें दिल्ली में एक बड़ा सा घर (पेंट हाउस) मिला हुआ था !सबसे ऊपर की मंज़िल पर पहुँचते ही हम लॉक कर देते थे और ऊपर का पूरा हिस्सा बिलकुल अलग हो जाता था ! ये अकेली ऊँची बिल्डिंग थी , चारों तरफ दूर दूर तक एक दो मंज़िल के घर ही थे , इसलिए कहीं से भी किसी के भी तांक झांक की गुंजाईश नहीं थी ! कंपनी के ही सिक्योरिटी स्टाफ, जो २४ घंटे गेट पर मौजूद रहते थे , को फ़ोन करने पे वो जरुरत का सामन बाजार से लेकर डिलीवर कर देते थे !घर पहुंचते ही मैं दंग रह गई, दीपक ने घर के अंदर बहुत चेंज किया था, रोमांटिक पेंटिंग और फैंसी लाइट से घर का लुक ही बदल गया था ! दीपक ने नास्ते के लिए नौकरानी को बोल रखा था ! हम तैयार होकर नास्ते के टेबल पर आ गए , और दीपक अमेरिका के टूर के बारे बताने लगे ! अभी से चार घंटे रह गए थे , दीपक के फ्लाइट के , निकलने की तैयारी थी ! हम सब दीपक के साथ पूजा रूम तक आये ! दीपक ने मुझे और भैया को हैरान करते हुए कहा , भैया आज मैं बहुत खुश हूँ , एक बहुत बड़ा बोझ मेरे सर से उत्तर गया है ! भैया आपने सोनी को अपनी पत्नी का स्थान देकर जो अहसान किया है , उसको मैं आपकी तरफ से ज़िन्दगी का सबसे कीमती गिफ्ट समझता हूँ ! बस एक तमन्ना और पूरी कर दीजिये , कि हममे से किसी को भी ये न लगे कि ये मज़ाक है , आप सोनी कि मांग में सिंदूर भर दीजिये ! दीपक ने भैया के आगे सिन्दूर बढ़ा दिया , कांपते हाथों से भैया ने मेरी मांग में सिंदूर लगा दिया ! मैंने भरी आँखों से दीपक की तरफ देखा , दीपक ने भी मेरी मांग में सिन्दूर लगा दी ! फिर दीपक ने एक थैले से दो जयमाल वाले माला निकाले, जो मैंने भैया को और भैया ने मुझे पहनाया ! फिर भैया ने दीपक को माला दिया ,जो उसने मुझे पहनाया , और मैंने अपनी माला दीपक को पहना दी ! मैंने झुक कर दोनों के पावं छुए , और हम एक साथ आलिंगनबद्ध हुए !अब दीपक विदा हो रहे थे , उसने टैक्सी मंगा रखी थी ! हमें एयरपोर्ट जाने से रोकते हुए उसने कहा की आप आपलोग 10 दिनों का हनीमून मनाएं , और घर से बहार जाने की जरुरत नहीं थी ! दीपक ने मुझे भैया के सामने किस किया और घर से निकल गए , हमने दरवाज़ा बंद कर लिया !
भैया और मैं बैडरूम में आ गए , सब कुछ अच्छी तरह सजा हुआ था , ताज़े फूल रूम में खुशबू बिखेर रहे थे ! मै जेठ जी के सीने से लग गई ! जेठ जी ने धीरे धीरे मेरे चूचियों को सहलाते सहलाते मुझे चूमने लगे ! अब १० दिनों तक हमें कोई टोकने नहीं आएगा , ये सोच कर मन बहुत रोमांचित हो गया था ! दीपक के अमेरिका जाने का गम , अब जेठ जी मुझे चुदाई की दुनिआ की सैर करा के , दूर करने वाले थे ! मैंने नाईटी पहन रखी थी जो भैया ने उतार दी , अंदर फैंसी ब्रा और पैंटी थी , भैया भी अब सिर्फ अंडरवियर में थे ! मैंने भैया के लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया , भैया लगातार मुझे चूसते जा रहे थे ! भैया ने मेरा पूरा बदन चूमना शुरू कर दिया ! पैर से शुरू कर , पैंटी और ब्रा से होते हुए ,होंठ और माथा भी !मैं अब अपने होश खोती जा रही थी ! भैया का ध्यान अब ब्रा पर था , ब्रा के चारों और उन्होंने जीभ से ब्रा के किनारों को चाटा, और चूमते चूसते हुए ब्रा उतार ली ! भैया का ये स्टाइल मुझे बहुत अच्छा लगता था ! अब भैया ने उसी स्टाइल में पैंटी को भी चूसना और चाटना शुरू कर दिया ! मैं पैंटी गीली कर चुकी थी , भैया ने ऊपर से चाट चाट कर और गीली कर दी , पता ही नहीं चल रहा था की भैया के थूक से गीली की है या मेरे चूत के पानी से !चूत से पैंटी हटती जा रही थी और भैया की जीभ खुले जगह को चाटती जा रही थी ! मैं बस ऑंखें बंद किये हुए इसका अनुभव करती रही ! चूत का पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! भैया की चूत चुसाई शुरू हो गई , और मेरी छटपटाहट भी ! मेरे मन से अब जेठ जी का लिहाज बिलकुल ही चला गया था , और दीपक की ही तरह मैं उनको महसूस कर रही थी ! आज जेठ जी मूड में थे , जीभ से चूत के अनजान कोनो से भी जान पहचान कर ली ! चपड़ चपड़ जीभ ऐसे मेरी चूत चोद रहा था ! मेरी चूत बुरी तरह फैलने सिकुड़ने लगी थी ! चूत की फड़फड़ाहट मैं साफ़ साफ़ महसूस कर रही थी ! भैया के दोनों हाथ मेरी चुचों को बड़ा करने में लगे थे , आंटे की तरह गूंदते जा रहे थे ! भैया धीरे धीरे मेरी टाँगे फैलाकर , मेरे चूत के मुंह पर अपना लण्ड टिका दिया ! मेरे ऊपर झुककर मेरी एक चूची को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगे ! मेरी घुंडी पर दांत लगते ही मैं चिहुंक जाती , दूसरे हाथ से वो दूसरी चूची को दबाते जा रहे थे ! भैया चूची दबाने में इतने मास्टर थे की , चूची को दर्द भी मीठा लगता था ! भैया ने अचानक से चूची की घुंडी को थोड़ा तेज काटा दांत से, मैं जब तक उसका दर्द समझती , भैया के लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर था, एक चीख सी निकली और मैं तड़पने लगी ! मेरी चीख दूर दूर तक सुनने वाला कोई नहीं था ! भैया अब मेरे होंठ चूस रहे थे ! इतना मीठा लग रहा था उनका चुम्बन की मैं उसी में खो गई , कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालकर मुझे चूसते और कभी मैं उनके मुंह में अपनी जीभ डालकर उनके जीभ को चूसती ! मैं इधर चुम्मी के खेल में उलझी रही , और भैया के लण्ड ने आधा रास्ता पार कर लिया ! जब तक मेरे ध्यान अपनी चूत की तरफ जाता भैया अपनी मंजिल से दो इंच दूर थे ! लगता था जैसे किसी ने पूरा हाथ डाल दिया था ! भैया के लण्ड में मुझे कुछ चिकनाहट सी लग रही थी , शायद भैया ने कोई क्रीम लगाया हो ! मेरी चूत भी पानी की सप्लाई लगातार दे रही थी और भैया का भी लसलसा पदार्थ सुपाड़े से बहार छूटा महसूस हुआ था ! आज चूत में उतना दर्द नहीं था , शायद कई कई घंटे भैया का लण्ड चूत में लेकर सोई थी मैं ! भैया अब आखिरी मक़ाम तक पहुंचना चाहते थे, पर चूत इतनी टाइट थी की आगे जाने का नाम नहीं ले रही थी ! भैया वापस लण्ड थोड़ा ऊपर लाते, पर धक्का लण्ड को वहीँ तक जाने देता था ! भैया के लण्ड पीछे करते ही मेरी साँसे चल पड़ती थी , पर धक्का लगते ही रुक जाती थी ! भैया ने मुझे बड़े प्यार से धक्के देने शुरू किये , आज लण्ड काफी अंदर तक जा रहा था पर भैया आखिरी मंज़िल को छूना चाहते थे, वो नहीं हो पा रहा था ! अब धक्के आराम से जा रहे थे , चूत में इतनी ज्यादा चिकनाहट आ गई थी ! मैं तो चाहती थी भैया मुझे बस चोदते रहें , दर्द को मैं भूल चुकी थी ! अब मैं भी नीचे से हलके हलके धक्के लगा रही थी ! भैया बहुत खुश थे की आज वो मुझे ठीक से चोद पा रहे थे ! पता नहीं चला आधा घंटा बीता या एक घंटा , भैया उफान पर थे , शायद अब वीर्य की बरसात होगी , लग रहा था ! मैं तो तीन चार बार पहले झड़ चुकी थी ! एक तूफान सा चला हमारे चुदाई का खेल , मैं पहले गई , पानी का फौवारा छूट गया ! पीछे भैया ने फौवारा छोड़ते हुए , एक जोर का झटका दिया , चूत फट गई और भैया का लण्ड मेरे बच्चेदानी से जा टकराया ! मेरी चीख सुनकर कोई भी डर जाता , पर यहाँ दूर दूर ता कोई नहीं था सुनने को ! मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, लण्ड के सिक़ुरने से राहत तो मिली थी पर चूत की जलन बता रही थी की अंदर भैया ने तोड़ फोड़ कर दी है ! भैया हांफते हुए , मुझे चूमते हुए निढाल हो गए ! एक पहलवान का बोझ मुझे फूलों की तरह लग रहा था ! भैया ने आराम से करवट ली ,और मुझे अपने ऊपर ले लिया ! अब मैं आराम से सोई हुई थी भैया के ऊपर ! चूत का दर्द बीच बीच में याद आ जाता था , पर चुदाई के मज़े में उसको कौन याद करता ! घडी बता रही थी कि दीपक कि फ्लाइट उड़ने को थी , और हमारी लैंड हो चुकी थी ! हम दोनों एक दूसरे के आगोश में एक साथ नींद के आगोश में खो गए !

जब मेरी नींद खुली , तो शाम हो चुकी थी , मेरी चूत अभी तक दर्द कर रही थी ! बहुत ज्यादा सनसनाहट सी हो रही थी ! भैया के ऊपर से हटी , तो गाढ़ा वीर्य इधर उधर फ़ैल गया ! उसको साफ़ किया, भैया का लण्ड पोछा , लण्ड की एक हलकी किस ली और बिस्तर से उत्तर गई ! नंगी बाथरूम जाकर चूत की सफाई भी की और नहा भी लिया ! चूत देखकर मैं हैरान हो गई , अभी दो दिन पहले तक दोनों हिस्से होंठ की तरह चिपके होते थे , अब मुंह खुला हुआ था ! अगर दीपक अभी मेरी चूत में लण्ड डालें तो पता भी नहीं चलेगा , की अंदर कुछ गया है ! जेठ जी का लण्ड अपने चूत के घंटों तक अंदर लेने से मुझे अब चुदाई में तो आसानी हो रही थी , पर चूत का शेप बिगड़ना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था ! नहाने के बाद नंगी ही बाथरूम से बहार आई , देखा जेठ जी उठ गए थे , मुझे देखकर मुस्कराने लगे ! मैंने नाईट ड्रेस निकला तो भैया ने मन कर दिया , ऐसे ही रहो , अच्छा लगता है !मैं शर्म से मरी जा रही थी , जेठ जी से कम से कम ब्रा पैंटी का अनुरोध किया, भैया ने कहा मैं पहना देता हूँ !भैया ने पहनाते पहनाते भी अपनी शरारतें कर दी ! चूची खूब दबाया और चूत भी सहलाई ! भैया थोड़े मूड में आने लगे थे , मैंने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगी , चूत में दर्द भी बताया ! भैया ने दर्द की एक टेबलेट दी और एक क्रीम से चूत की मालिश भी कर दी ! भैया नहाने चले गए और मैं चाय बनाने ! चाय पीकर हम खुले में छत पर अपने छोटे से गार्डन में आ गए ! भैया का साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था , बहुत मज़ाकिया स्वाभाव के थे भैया , मैंने पहले कभी ज्यादा बातें नहीं करती थी भैया से , इसलिए उनके स्वाभाव से मैं परिचित नहीं थी ! मैंने भैया से पूछा की आखिर दीपक को और कमल को किस तरह की प्रॉब्लम है ! भैया ने बताया कि दरअसल ये दोनों ही नहीं , हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी मर्द को ये समस्या है ! असल में हमारे गावं के शुरू में एक बहुत बड़े ग्रुप की केमिकल फैक्ट्री है , उसमें करीब डेढ़ सौ लोग काम करते हैं, जो हमारे और आस पास के गावं के हैं ! कमल वहां काम करता था , लेकिन दीपक पढाई पूरी करने के बाद उसी फैक्ट्री में तीन साल तक कंप्यूटर इंजीनियर था , और बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गया ! उस फैक्ट्री से कोई ऐसी गैस निकलती थी , जिसका असर सीधा मर्द को नामर्दी के तरफ ले जाते थे , वीर्य में बच्चा पैदा करने लायक दम नहीं रह जाता था और ऑर्गन भी कमज़ोर हो जाता था , जल्दी ही वीर्य निकल जाता था ! ज्यादातर लोग तो शादी के कई सालों तक अपनी पत्नी का कौमार्य नहीं भांग कर पाते हैं ! मुझे देर से पता लगा , तो मैंने कंपनी में शिकायत की और अब कंपनी ने इस खतरनाक गैस को बहुत कंट्रोल कर दिया है ! मैं तो कंपनी बंद करवाना चाहता था ,पर लोगों की रोज़ी का सवाल था ! हर एक काम करनेवालों का मैं इलाज़ कर रहा हूँ ! दीपक का इलाज़ बहुत सही चल रहा है , अब उसे खुद में कॉन्फिडेंस लाना पड़ेगा , तभी वह सही से सेक्स कर पायेगा ! समय आने पर मैं तुम्हें बता दूंगा , तुम उसके लिए क्या कर सकती हो ! तुम्हारे साथ जो कुछ भी मैं कर रहा हूँ , वो उसका इलाज़ ही समझो ! मेरी समझ में कुछ नहीं आया ! जेठ जी ने पूछा की क्या दीपक शराब पीता है ! मैंने कहा की पार्टी में पी लेते हैं ,लेकिन उनको पीने से ज्यादा जमा करने का शौक है !घर में बहुत सारी विदेशी शराब की बोतलें हैं ! भैया ने मुझसे पूछा की मैं लेती हूँ ! मैंने कहा एक दो बार दीपक ने जिद करके पिला दिया था , पर मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा , और एक पैग में ही मेरी हालत ख़राब हो गयी थी ! चलो आज हम अपने नए रिश्ते को सेलिब्रेट करतें है ! मैंने भी हाँ कर दी , कैसे टाल सकती थी , जेठ पति की बात ! मैंने चिकन की कुछ आइटम फ़ोन पर आर्डर कर दिया ! भैया ने जूस के पैकेट्स भी मंगवा लिए ! रात के नौ बज चुके थे , भैया ने दो पैग बनाये , मेरे वाले पैग को उन्होंने जूस में बनाया था , जिससे मुझे शराब के टेस्ट का पता ही न चला ! हम आराम से शराब पी रहे थे , और इधर उधर कि बातें भी कर रहे थे ! अब मुझ पर नशा छाने लगा , मैं क्या बोल रही थी , मुझ पर कंट्रोल नहीं रहा ! एक दो बार मुझे लगा कि मैंने गाली भी दी है ! भैया और मैं चुदाई जरूर करते थे पर अभी तक हम दोनों बहुत सभ्य भाषा का इस्तेमाल करते थे ! चूत, लण्ड, चुदाई जैसे शब्द मुंह से निकले नहीं थे !भैया भी एक दो बार मेरी बात सुन कर चौंके , पर समझ गए कि मैं पूरे नशे में हूँ ! हम दोनों बेड पर ही बैठे थे , साथ में टेबल पर चीज़ें सजी थी ! मैंने भैया से बोला , भैया पता है , मुझे आपकी चुदाई बहुत अच्छी लगती है , पर एक चीज़ मैं कभी नहीं कर सकती , मैं आपका लण्ड मुंह में नहीं ले सकती , मुझे घिन आती है ! भैया ने पूछा , तुमने कभी टेस्ट किया है ! मैंने कहा 'नहीं' ! फिर तुम कैसे कह सकती हो . बिना टेस्ट किये , दुनिया हर कि औरतें पागल हैं जो , मर्द का लण्ड चूसने को बेक़रार रहती है ! एक काम करो , तुम अभी चूस के बताओ कि कैसा लगा , अगर अच्छा नहीं लगा तो फिर कभी नहीं कहूँगा चूसने को , ये मेरा वादा है ! मुझे सच में घिन आती थी , मैंने सोचा , कि आज के बाद मुझे इससे छुटकारा मिल जायेगा ! भैया का लण्ड अब उठने लगा था ! भैने ने तौलिए उतार दिया , लण्ड सामने था ! मैंने पहले उसको सूंघा , फिर जीभ लगाया और मुंह मैं ले लिया ! कुछ भी बुरा नहीं था , खारा सा टेस्ट था , पर खुशबू बड़ी प्यारी थी ! मैंने लण्ड चूसना शुरू कर दिया , भैया ने मेरा नया गिलास बनाया , शराब थोड़ी ज्यादा डाल दी , और बूँद बूँद कर लण्ड पर गिराने लगे , मैं चाटने लगी ! अब मुझे लण्ड चाटने में मज़ा आ रहा था ! 15 मिनट के अंदर मैंने पैग खाली कर दिया ! अब मैं खड़ी होने लायक नहीं थी , लगा गिर जाउंगी ! भैया ने तकिये के सहारे मुझे लिटा दिया और मेरे मुंह में शराब डालकर ,अपना मुंह सटाकर चूमने के अंदाज़ में अपने मुंह में शराब डलवा लेते ! थोड़ी देर बाद मेरी चूची पर शराब गिराकर , उसको चूसकर और चाटकर साफ़ कर देते ! मेरे पूरे बदन में सिहरन हो रही थी ! बीस मिनट तक यही सब चलता रहा , बस भइया ने मेरे चूत में शराब नहीं डाली , बाकि सारे अंग चूस और चाट चुके थे ! अब भैया मेरी चूत चूसने लगे , सब कुछ वैसा ही था , बस फर्क ये था कि मैं नशे में भैया को कई बार चोदने को बोल चुकी थी ! जब मेरे बर्दाश्त के बाहर हुआ तो मैंने चिल्ला उठी , चोदते क्यों नहीं भैया , फाड़ डालो न मेरी चूत , आग लगी हुई है , जल्दी चोदो न भैया ! भैया का जोश अब उफान पर था ! लण्ड को मेरे चूत पर लगाया और एक झटके में आधी चूत पार कर दी ! मैं बस मुंह खोल पायी, आवाज़ जैसे निकला ही नहीं ! दर्द तो बहुत हुआ होगा पर पर मुझे मज़ा ही आ रहा था ! तीन चार बार हलके हलके धक्के देने के बाद , भैया ने जड़ ता ठूंस दिया लण्ड ! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि चीखना भी है , जब तक आगे का सोचती , भैया ने दुबारा धक्का लगाया ! अब तो भैया शुरू हो गए , स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी , मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था ! चूत भी झड़ती जा रही थी ! भइया को आज बहुत मजा आ रहा था , तीन दिन में कुंवारी चूत को सटा सट पेलने में सफल हो गए थे भैया ! मैं चीख रही थी , चिल्ला रही थी , बोलना था कि बस करो भैया , मेरी चूत फट गई ! लेकिन मुंह से निकल रहा था , और चोदो भैया , फाड़ दो अपने छोटे भाई कि कुंवारी बीवी कि चूत ! मेरे बार बार भैया कहने पर भैया को और जोश आ जाता था , और मैं हर बात पर भैया लगाना नहीं भूलती थी ! ऐसा मज़ा ज़िन्दगी में पहली बार आया था ! शराब के नशे कि चुदाई ऐसी होती है , आज ही पता चला ! अब भैया कि साँसे उखड रही थी , एक लम्बा शॉट लगाया , और भैया के लण्ड नें मेरी चूत में उलटी कर दी , मैं तो पहले ही खलास थी ! मेरी चूत का भोंसड़ा भैया के लण्ड से हो गया था ! मुझे याद नहीं कौन किसके ऊपर था , पर दोनों बेहोश थे ! 









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