FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........30
तमाचा उधर आर.जे. का नम्बर डायल करने लगा... फोन लगते ही तमाचा नमस्कार कर निवेदन पूर्वक बातचीत करना शुरू किया... पर आर.जे. इतना बुद्धू तो था नहीं... आर.जे. नमस्कार का जवाब दे पूछा,"जी आप कौन..."
तमाचा,"जी मैं...मैं... वो यहीं का हूँ... दरअसल मुझे आपसे कुछ काम था..."
आर.जे.,"जी कहिए, कैसा विवाद है...?"
तमाचा,"विवाद....आपका मतलब झगड़ा... नहीं नहीं... मेरा किसी से झगड़ा नहीं हुआ है..."
आर.जे. थोड़ा रूका फिर आश्चर्य लब्जों से बोला,"तो जमीन-वमीन का मामला है क्या भाइयों में..."
तमाचा अफसोस सा हो बोला,"अरे नहीं सर, मैं अपने बाप एकलौता हूँ तो कैसे हो सकता है... दरअसल मुझे कुछ और काम था..."
आर.जे. ये सुनते ही सख्त लब्जों में बोला,"तो आप बेवजह वकील को क्यों परेशान कर रहे हैं जब कोई लफड़ा ही नहीं हुआ..."
तमाता वकील सुनते ही सन्न रह गया... शाला पेशे से वकील है... तमाचा आर.जे. के तीखे शब्द सुन गुस्सा से भर गया... वो अपने ऊपर कोई गुस्सा करे वो हद से बढ़ने नहीं देता था पर आज सुनने के बाद भी खून का घूंट पी कर रह गया...
तमाचा लंबी सांस छोड़ा और आँख मींचते हुए बोला,"मेरा काम ये है सर कि मुझे ना..."
आर.जे.,"क्या मुझे मुझे लगा रखे हैं...जल्दी बोलिए... मुझे कोर्ट में क्लाइंट इंतजार कर रहे हैं..."
तमाचा,"मुझे एक लड़की चाहिए आज..." तमाचा बोलते के साथ ही चुप हो गया और आर.जे. के जवाब का इंतजार करने लगा...
आर.जे.,"क्या....?"
तमाचा,"जी...मुझे लड़की चाहिए वो भी एकदम मस्त आइटम... पैसे चाहे जितना..."
तमाचा अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया कि आर.जे. बोला,"बदतमीज मुंह संभाल के बात कर...क्या समझ रखा है मुझे..."
तमाचा गाली सुन थोड़ा सकपका सा गया... एक ख्याल उसके जेहन में अब आया कि क्या ये सच आर.जे. है कि कोई और... वो थोड़ा रूकता हुआ बोला,"जी आप आर.जे. ही बोल रहे हैं ना..."
आर.जे.,"कौन आर.जे., काहे का आर.जे.... मैं वकील मो. रियाज खान बोल रहा हूँ...समझे... अब भी समझ में नहीं आया तो कोर्ट आजा और मिल ले... पता नहीं कितने बदतमीज लोग हो..."
और खट की आवाज तमाचे की कान में गूंज पड़ी...फोन कट चुकी थी... तमाचा के तन बदन में करंट लग गई थी... वो एकटक फोन को निहारे जा रहा था... उसका शरीर तो गुस्से से तमतमाने लगा...
उसने अपनी बाइक निकाली और घनघनाते हुए सड़क पर रेस लगा दिया...अब वो कहाँ जा रहा था ये उसे खुद भी मालूम नहीं..
उधर रूपा बार बार घड़ी देख रही थी... वो अपने रूम में थी पर मन डिम्पल भाभी पर टिकी थी... वो बेचैन सी हो बाहर निकली और बाहर बरामदे तक आ गई...वहीं कुर्सी पर बैठ डिम्पल भाभी का इंतजार करने लगी...
तभी अचानक से उनके कानों में जोर से कू की आवाज पड़ी... जिससे रूपा उछल पड़ी और पीछे मुड़ कर देखी कि कौन है... सामने कनक जोर से हँसी जा रही थी...
कनक हँसती हुई बोली,"क्यो महारानी, रोहन साहब की याद में इतनी डूब गई मैं आ के कब से बगल में खड़ी हूँ, मालूम है कुछ?"
रूपा लजाती मुस्काती नजरें झेंपी और आहें भर खुद को नॉर्मल करती हुई बोली,"ऐसी कोई बात नहीं है कनक... बैठो... अचानक से कैसे आ गई..."
कनक बैठती हुई बोली,"मत बता... मैं पापा के लिए लंच ले गई थी... आज सुबह सुबह मम्मी पापा में जबरदस्त फाइट हुई थी और पापा बिना खाए ऑफिस चले गए थे..."
कनक की बात सुन रूपा हँसती हुई बोली,"फाइट ...क्यों?"
कनक,"अरे बात कुछ नहीं थी... ये सब चलती रहती है...शाम में फिर सब ठीक ठाक ही रहेगी... अच्छा छोड़ उन बातों को... ये बता कुछ मालूम पड़ी कि वो क्लिप किसकी थी..."
रूपा,"नहीं यार... और तमाचा से बात हुई क्या?" रूपा मायूसी सी बोली...
कनक,"नहीं पर वो आज आर.जे. से बात जरूर करेगा और सारी बात हमें जरूर बताएगा... क्योंकि कुत्ते के पेट में कोई बात पचती नहीं है..."
रूपा हल्की मुस्कान बिखेरती हुई बोली,"हम्म्म्म..." रूपा हामी भरती हुई बोली... तभी रूपा की नजर सामने आ रही डिम्पल भाभी पर पड़ी... रूपा की नजर तुरंत गेट की तरफ गई पर वहाँ कोई नहीं था... वो फिर से डिम्पल भाभी की तरफ देखने लगी...
कनक की नजर भी रूपा की नजरों की दिशा में घूम गई और सामने डिम्पल को देख कनक जोर से बोले,"नमस्ते भाभी जी..." तेज स्वर से रूपा की तंद्रा भंग हुई और अचकचा सी गई...
डिम्पल भाभी तब तक पास पहुँच चुकी थी और नमस्ते करती बोली,"क्या बात है कनक... आज अचानक ऐसे..."
कनक,"हाँ भाभी बस मिलने की इच्छा हुई तो बस चली आई..."
"बिल्कुल सही... "डिम्पल भाभी कहती हुई रूपा की तरफ देखी तो रूपा अभी भी गेट की ओर ही नजर टिकाए थी कि भाभी बोली कोई आएगा पर अभी तक वो आया क्यों नहीं है...
डिम्पल रूपा की हालत समझ मुस्कुराती हुई बोली,"क्या हुआ रूपा? किसी का इंतजार कर रही हो..." रूपा भाभी की बात सुनते ही सकपकाती नजरें भाभी की तरफ कर ली...
और कनक भला ऐसे में चूकती कैसे..? कनक खिलखिला के बोल पड़ी,"हाँ रूपा, तुम तो कह रही थी कि दो बजे तक आएगा तो मिलवा दूँगी...अब अगले दिन दो बजे आएगा क्या..?"
रूपा मुश्किल में फंस लड़खड़ाती मुस्कुराती शब्दों से बोली,"कनक ,तू बाज नहीं आएगी शैतानी से क्या? भाभी , मैं तो बस ये सोच रही थी कि आप इस वक्त कहाँ जा सकती हो.."
रूपा के ऐसे सवाल सुनते ही डिन्पल भाभी चौक सी गई... वो उम्मीद नहीं की थी क्योंकि सुबह ही तो बताई थी कि कहाँ जाने वाली है और अब फिर पूछ रही है वो भी कनक के सामने...
डिम्पल भाभी थोड़ी हिचकिचाई और बोली,"अच्छा तो उल्टी वार मुझ पर ही...हें... शीला है ना वो...."
डिम्पल इतनी ही बात बोली थी कि रूपा बीच में रोकती बड़बड़ाने लगी,"समझ गई...समझ गई... वो शीला जिन्हें अगर एक सुई भी लेनी हो तो दस दुकान पर जरूर ट्राई करती हैं और जब आप उनके साथ शॉपिंग जा रही हैं तो अभी भी काफी देर हो चुकी है... प्लीज भाभी... जल्दी जाइए...नहीं तो...."
रूपा बात खत्म करते ही जोर से हँस पड़ी साथ में कनक और डिम्पल भी हँसे बिना ना रह सकी... डिम्पल भाभी हंसी रोकती बोली,"ठीक है रूपा, मैं निकलती हूँ... कनक तुम अभी रूकेगी ना..."
कनक,"नहीं भाभी, मम्मी जल्दी आने बोली थी और मैं यहाँ आकर बैठ गई हूँ... मैं भी निकल जाऊँगी..."
डिम्पल,"ओके...अगर चलेगी तो चलो कुछ देर तक साथ तो रहेंगे..." डिम्पल भाभी की बात सुन कनक उठी और रूपा की तरफ देख बोल पड़ी,"बाय रूपा,शाम में कॉल करती हूँ..."
रूपा डिम्पल भाभी को यूँ अकेली जाती देख मायूस सी हो गई थी... मन ही मन गाली भी दे रही थी कि वापस आओ पहले, फिर आपकी खबर लेती हूँ... रूपा एक बार फिर गेट की तरफ नजर करती मायूसी से कनक को बॉय बोली...
डिम्पल भाभी और कनक दोनों चल दी गेट की तरफ... रूपा कुर्सी से उठ देखी जा रही थी... अचानक से रूपा को एक जोर की बिजली चमक गई...
डिम्पल भाभी गेट से बाहर निकलने से पहले वापस रूपा की तरफ मुड़ी और कनक की तरफ इशारा करती अपनी एक आँख दबा दी... रूपा की तो होश उड़ गई... वो वापस धम्म से कुर्सी पर जा गिरी...
रूपा यकीन नहीं कर पा रही थी कनक भी इनमें शामिल है और वो उसके साथ नाटक कर रही थी अभी तक... रूपा सब समझ चुकी थी आखिर डिम्पल भाभी को सारी बातें मालूम कैसे पड़ती थी...
और सीमा भाभी भी एक ही झटके में चारों खाने चित्त क्यों हो गई थी... रूपा ये सब सोचते सोचते शून्य में चली गई थी... वो बिना हिले डुले अब तक गेट की तरफ ही निहारे जा रही थी...
उधर तमाचा अपनी बाइक से लहराता बस बढ़ा जा रहा था... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था... अगर मामला सीधे उससे होता तो कब तक निपटा चुका होता पर वो बेबस था...
अचानक उसकी बाइक की ब्रेक खुद ब खुद लग गई... बाइक रूकते ही तमाचा आश्चर्य से बाइक को निहारता हुआ बोला,"शाला, बिना लगाए ब्रेक कैसे लग गया..." फिर वो आसपास देखा तो वो फिर चौंक गया... वो ठीक कोर्ट परिसर के बाहर था...
तमाचा,"शाला जब ऊपर वाला यही चाहता है तो यही सही..." और उसने बाइक कोर्ट परिसर में दाखिल कर दिया... उसने बाइक पार्क की और कोर्ट की तरफ चल दिया...
तमाचा वहीं एक फाइल की बंडल ले जा रहे वकील के पाल पहुंचा और पूछा,"सर, यहाँ कोई मो0 रियाज खान वकील हैं.."
उस वकील ने बिना रूके तमाचे की ओर देखा और पूछा,"कैसा केस है..? मैं बड़े से बड़े केस हैंडल कर ...."
तमाचा उसकी वकीली भाषा सुनते ही उसे बीच में रोकते हुए बोला,"नहीं नहीं सर, दरअसल पापा उनसे एक फाइल लेने भेजे हैं और मैं उन्हें पहचानता ही नहीं हूँ इसलिए..."
उस वकील ने यमाचे की बात सुनते ही आँख गुरेरते हुए बोला,"मेन गेट के ठीक सामने दाएँ उसका ऑफिस है..." और वो तेजी से खुद से बड़बड़ाता तमाचे से दूर निकल गया...
तमाचा वहीं से पलटी मारी और धड़धड़ाता रियाज खान के ऑफिस जा पहुँचा... वहाँ मौजूद चपरासी से पूछा तो वो बोला,"सर अभी अभी किसी क्लाइंट से मिलने गए हैं...एक घंटे बाद आकर मिल लेना..."
तमाचा हैरान सा बोला,"पर अभी तो यहीं आने बोले थे फोन पर..."
इतना सुनते ही चपरासी खींझता बोला,"क्या सर, जब बोल रहा हूँ अभी अभी निकले हैं और कुछ देर पहले तक यहीं थे तो समझते क्यों नहीं...जाइए अब, मुझे काफी काम है..."
तमाचा उसकी बात समझ बाहर की तरफ निकलने लगा पर उसके अंदर अजीब सी खलबली मची थी...अंदर की शक्ति उसे बार बार मिलने के लिए आतुर हो रही थी...
तमाचा पुन: रूका और पूछा,"वे किधर निकले हैं...मैं उधर ही मिल लूँगा..."
चपरासी ये सुन गुस्से से बड़बड़ाता बाहर आया और बोला,"उधर गए हैं और उनका गाड़ी नम्बर #### है..जाओ मिल लेना..."
तमाचा बिना कुछ जवाब दिए तेजी से निकला और अपना बाइक निकाल उस दिशा में दौड़ा दिया... वो आगे जा रही हरेक गाड़ी की नम्बर प्लेट देखे जा रहा था...
कुछ ही देर में वो गाड़ी तमाचे को नजर आ गई... वो अपनी गति बढ़ा गाड़ी की ओर तेजी से बढ़ने लगा... कुछ ही देर में तमाचा कुछ फासले दूर ही था कि उसके अंदर मुस्कान तैर गई...
गाड़ी में तमाचे को दो लड़की नजर आई... तमाचा कुटील मुस्कान बिखेरता खुद से बोला,"चल बेटा वकील, तू सिर्फ वकील ही है या लड़कियों के दलाल भी..."
अब वो थोड़ा और पीछे हो लिया और इतनी दूरी पर था कि उसे बस गाड़ी सामने रहे हर वक्त...
कोई दस मिनट बाद शहर के छोर पर स्थित एक 5-स्टार होटल M के परिसर में घुस गई... होटल की पार्किंग काफी बड़ी थी... तमाचा भी अपनी बाइक अंदर कर लिया और झटपट पार्क कर साइड हो उस गाड़ी को पार्क होता देखने लगा...
गाड़ी रूकते ही वकील उतरा और साथ में दोनों लड़की भी... दूरी ज्यादा थी तो वो किसी को पहचान नहीं पा रहा था... तभी वो तीनों होटल के मेन गेट की तरफ बढ़ गए...
तमाचा भी मेन गेट के पास ही था... उसके दिमाग में तुरंत ये आइडिया आया कि क्यों ना पहले तीनों को पहचान लें... फिर बाद में लड़की से ही पूछ लेंगे कि वो आर.जे. ही है या कौन है?
वो उन तीनों का वेट करने लगा... वे जितने नजदीक आते तमाचे के चेहरे की रंग भी उसी अनुपात में उड़ने लग गई... और कुछ ही पल में तमाचा घुटने के बल सर पर हाथ रख नीचे बैठ गया...
तमाचा की बत्ती गुल हो गई थी... कनक इस आर.जे. के साथ ही धंधा करती है और मुझे उल्लू बना रही थी कि ये गलत है...वो गलत है... तमाचा वहीं पड़े पड़े ना जाने कितनी गालियाँ बोल डाला...
"ओ हैल्लो, यहाँ क्या कर रहे हो... ये बैठने की जगह है क्या..?" एक तेज आवाज तमाचे के कान में पड़ी तो वो आवाज की तरफ मुड़ा...सामने सिक्योरिटी उसे ही कह रहा था...
तमाचा झट से उठा और बोला,"नहीं, फीता बाँध रहा था... " और वो मेन गेट की ओर नजर किए बाइक की तरफ बढ़ने लगा... होटल के अंदर क्या है ये बाहर से कैसे मालूम पड़ती... और वो ऐसे अंदर जाना नहीं चाहता था... कहीं गलती से भी कनक की नजर...
वो बाइक निकाला और होटल के ठीक सामने एक कॉफी हाउस में जा बैठा... उसकी नजर होटल के गेट पर ही थी...तमाचा कुछ सोच नहीं पा रहा था कि क्या करे... कभी कभी तो वो सोचता कि जो होगा देखा जाएगा...जाते हैं कनक के सामने ही...
कुछ ही देर में वो वकील तमाचा को नजर आया... वो चौंकता हुआ उठ के देखने लगा... उसके साथ दो और लोग थे जो उससे बात कर रहा था... तमाचा समझ गया कि यही दोनों उन दोनों की बजाएगा...
और फिर वकील उन दोनों से विदा ले निकल गया और वो दोनों वापस होटल में... तमाचा परेशान जरूर था पर होटल के अंदर होने वाले दृश्य को याद कर उत्तेजित भी हो गया... वकील अपनी कार से वापस चला गया...
तमाचा अचानक से फोन निकाला और रूपा के नम्बर पर फोन करने लगा... कई रिंग हो चुकी पर रूपा फोन रिसीव नहीं कर रही थी... कैसे रिसीव होती रूपा भी तो जख्मी ही थी तो फोन बज रही है या नहीं उसे क्या पता?
आखिर फोन रिसीव हुई और रूपा की हैलो तमाचे के कान में पड़ी... तमाचा तेजी से बोला,"रूपा, कॉफी पिएगी..?"
रूपा मायूस बुझी सी आवाजों में बोली,"सॉरी यार, मेरी मूड ठीक नहीं है...बाद में बात करना..."
तमाचा,"ऐ रूपा, मेरी बात तो सुनो... कुछ जरूरी काम है इसलिए बुला रहा हूँ..."
रूपा जरूरी काम सुन कुछ सोचने सी लग गई...रूपा के दिमाग में ढ़ेरो सवाल जवाब उभरने लगे... कहीं तमाचा भी कनक की तरह ही मुझसे छिपा रहा है और मौका मिलते ही कोई फायदा ना उठा ले...
रूपा की चुप्पा पर तमाचा हैरान सा बोला,"प्लीज रूपा, मैं सीरीयस कह रहा हूँ... अभी मैं जो कुछ देखा हूँ वो मैं सोच भी नहीं सकता..."
रूपा तमाचे की बात सुन थोड़ी सोच में पड़ गई...क्या देख सकता है..? कहीं भाभी और कनक पुलिस के... नहीं ...नहीं... तो फिर... रूपा सोची जा रही थी...भाभी कह रही थी कि वे सब तो पुलिस को यूँ रखते हैं जेब में...
अचानक रूपा सर को झटकी और साँस लेती हुई बोली,"देखो, तुम क्या देखे,नहीं देखे...उससे मुझे कोई मतलब नहीं है और ना मतलब रखना चाहती... अब फोन रखो और अपना टेंशन खुद सुलझाओ...गुड बॉय..."
फोन रूपा काटने के लिए हटा भी नहीं सकी कि तमाचा बोल पड़ा,"रूपा, वो सब तुम्हें ब्लैकमेल करना चाहते हैं...प्लीज मेरी बात समझो..."
रूपा तमाचे की बात सुन थम सी गई... उसे अपने कानों पर यकीं नहीं हो रही थी... रूपा कुछ बोल नहीं पा रही थी... तमाचा रूपा की इस चुप्पी पर अफसोस सा बोला,"रूपा..."
पर रूपा कोई जवाब दिए बिना फोन काट दी... तमाचा आँख मींचता सा टेबल पर जोर से हाथ दे मारा... वहाँ मौजूद सब उसे ही देखने लगे... तमाचा स्थिति को देख तुरंत सॉरी बोल वहाँ से निकल गया...
रूपा फोन रखते ही फूट फूट कर रोने लगी... ये सब क्या हो रहा है...? वो सोच सोच के पागल सी हुई जा रही थी... जितनी देर हो सकी रोती रही फिर वो अपने कमरे में घुस तकिए में मुंह छिपा सुबकती हुई सो गई...
तमाचा वहाँ से निकल सीधा एक पार्क में जा पहुँचा... एकांत जगह देख वो लेट गया और सारा वाक्या याद करने लगा... तमाचा आगे की वाक्या पर जब नजर डाला तो सिहर सा गया... रूपा जैसी लड़की के साथ अगर ये घिनौना खेल खेलने में ये सब सफल हो गए तो भारी गड़बड़ हो जाएगी...
पापा प्लीज........30
तमाचा उधर आर.जे. का नम्बर डायल करने लगा... फोन लगते ही तमाचा नमस्कार कर निवेदन पूर्वक बातचीत करना शुरू किया... पर आर.जे. इतना बुद्धू तो था नहीं... आर.जे. नमस्कार का जवाब दे पूछा,"जी आप कौन..."
तमाचा,"जी मैं...मैं... वो यहीं का हूँ... दरअसल मुझे आपसे कुछ काम था..."
आर.जे.,"जी कहिए, कैसा विवाद है...?"
तमाचा,"विवाद....आपका मतलब झगड़ा... नहीं नहीं... मेरा किसी से झगड़ा नहीं हुआ है..."
आर.जे. थोड़ा रूका फिर आश्चर्य लब्जों से बोला,"तो जमीन-वमीन का मामला है क्या भाइयों में..."
तमाचा अफसोस सा हो बोला,"अरे नहीं सर, मैं अपने बाप एकलौता हूँ तो कैसे हो सकता है... दरअसल मुझे कुछ और काम था..."
आर.जे. ये सुनते ही सख्त लब्जों में बोला,"तो आप बेवजह वकील को क्यों परेशान कर रहे हैं जब कोई लफड़ा ही नहीं हुआ..."
तमाता वकील सुनते ही सन्न रह गया... शाला पेशे से वकील है... तमाचा आर.जे. के तीखे शब्द सुन गुस्सा से भर गया... वो अपने ऊपर कोई गुस्सा करे वो हद से बढ़ने नहीं देता था पर आज सुनने के बाद भी खून का घूंट पी कर रह गया...
तमाचा लंबी सांस छोड़ा और आँख मींचते हुए बोला,"मेरा काम ये है सर कि मुझे ना..."
आर.जे.,"क्या मुझे मुझे लगा रखे हैं...जल्दी बोलिए... मुझे कोर्ट में क्लाइंट इंतजार कर रहे हैं..."
तमाचा,"मुझे एक लड़की चाहिए आज..." तमाचा बोलते के साथ ही चुप हो गया और आर.जे. के जवाब का इंतजार करने लगा...
आर.जे.,"क्या....?"
तमाचा,"जी...मुझे लड़की चाहिए वो भी एकदम मस्त आइटम... पैसे चाहे जितना..."
तमाचा अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया कि आर.जे. बोला,"बदतमीज मुंह संभाल के बात कर...क्या समझ रखा है मुझे..."
तमाचा गाली सुन थोड़ा सकपका सा गया... एक ख्याल उसके जेहन में अब आया कि क्या ये सच आर.जे. है कि कोई और... वो थोड़ा रूकता हुआ बोला,"जी आप आर.जे. ही बोल रहे हैं ना..."
आर.जे.,"कौन आर.जे., काहे का आर.जे.... मैं वकील मो. रियाज खान बोल रहा हूँ...समझे... अब भी समझ में नहीं आया तो कोर्ट आजा और मिल ले... पता नहीं कितने बदतमीज लोग हो..."
और खट की आवाज तमाचे की कान में गूंज पड़ी...फोन कट चुकी थी... तमाचा के तन बदन में करंट लग गई थी... वो एकटक फोन को निहारे जा रहा था... उसका शरीर तो गुस्से से तमतमाने लगा...
उसने अपनी बाइक निकाली और घनघनाते हुए सड़क पर रेस लगा दिया...अब वो कहाँ जा रहा था ये उसे खुद भी मालूम नहीं..
उधर रूपा बार बार घड़ी देख रही थी... वो अपने रूम में थी पर मन डिम्पल भाभी पर टिकी थी... वो बेचैन सी हो बाहर निकली और बाहर बरामदे तक आ गई...वहीं कुर्सी पर बैठ डिम्पल भाभी का इंतजार करने लगी...
तभी अचानक से उनके कानों में जोर से कू की आवाज पड़ी... जिससे रूपा उछल पड़ी और पीछे मुड़ कर देखी कि कौन है... सामने कनक जोर से हँसी जा रही थी...
कनक हँसती हुई बोली,"क्यो महारानी, रोहन साहब की याद में इतनी डूब गई मैं आ के कब से बगल में खड़ी हूँ, मालूम है कुछ?"
रूपा लजाती मुस्काती नजरें झेंपी और आहें भर खुद को नॉर्मल करती हुई बोली,"ऐसी कोई बात नहीं है कनक... बैठो... अचानक से कैसे आ गई..."
कनक बैठती हुई बोली,"मत बता... मैं पापा के लिए लंच ले गई थी... आज सुबह सुबह मम्मी पापा में जबरदस्त फाइट हुई थी और पापा बिना खाए ऑफिस चले गए थे..."
कनक की बात सुन रूपा हँसती हुई बोली,"फाइट ...क्यों?"
कनक,"अरे बात कुछ नहीं थी... ये सब चलती रहती है...शाम में फिर सब ठीक ठाक ही रहेगी... अच्छा छोड़ उन बातों को... ये बता कुछ मालूम पड़ी कि वो क्लिप किसकी थी..."
रूपा,"नहीं यार... और तमाचा से बात हुई क्या?" रूपा मायूसी सी बोली...
कनक,"नहीं पर वो आज आर.जे. से बात जरूर करेगा और सारी बात हमें जरूर बताएगा... क्योंकि कुत्ते के पेट में कोई बात पचती नहीं है..."
रूपा हल्की मुस्कान बिखेरती हुई बोली,"हम्म्म्म..." रूपा हामी भरती हुई बोली... तभी रूपा की नजर सामने आ रही डिम्पल भाभी पर पड़ी... रूपा की नजर तुरंत गेट की तरफ गई पर वहाँ कोई नहीं था... वो फिर से डिम्पल भाभी की तरफ देखने लगी...
कनक की नजर भी रूपा की नजरों की दिशा में घूम गई और सामने डिम्पल को देख कनक जोर से बोले,"नमस्ते भाभी जी..." तेज स्वर से रूपा की तंद्रा भंग हुई और अचकचा सी गई...
डिम्पल भाभी तब तक पास पहुँच चुकी थी और नमस्ते करती बोली,"क्या बात है कनक... आज अचानक ऐसे..."
कनक,"हाँ भाभी बस मिलने की इच्छा हुई तो बस चली आई..."
"बिल्कुल सही... "डिम्पल भाभी कहती हुई रूपा की तरफ देखी तो रूपा अभी भी गेट की ओर ही नजर टिकाए थी कि भाभी बोली कोई आएगा पर अभी तक वो आया क्यों नहीं है...
डिम्पल रूपा की हालत समझ मुस्कुराती हुई बोली,"क्या हुआ रूपा? किसी का इंतजार कर रही हो..." रूपा भाभी की बात सुनते ही सकपकाती नजरें भाभी की तरफ कर ली...
और कनक भला ऐसे में चूकती कैसे..? कनक खिलखिला के बोल पड़ी,"हाँ रूपा, तुम तो कह रही थी कि दो बजे तक आएगा तो मिलवा दूँगी...अब अगले दिन दो बजे आएगा क्या..?"
रूपा मुश्किल में फंस लड़खड़ाती मुस्कुराती शब्दों से बोली,"कनक ,तू बाज नहीं आएगी शैतानी से क्या? भाभी , मैं तो बस ये सोच रही थी कि आप इस वक्त कहाँ जा सकती हो.."
रूपा के ऐसे सवाल सुनते ही डिन्पल भाभी चौक सी गई... वो उम्मीद नहीं की थी क्योंकि सुबह ही तो बताई थी कि कहाँ जाने वाली है और अब फिर पूछ रही है वो भी कनक के सामने...
डिम्पल भाभी थोड़ी हिचकिचाई और बोली,"अच्छा तो उल्टी वार मुझ पर ही...हें... शीला है ना वो...."
डिम्पल इतनी ही बात बोली थी कि रूपा बीच में रोकती बड़बड़ाने लगी,"समझ गई...समझ गई... वो शीला जिन्हें अगर एक सुई भी लेनी हो तो दस दुकान पर जरूर ट्राई करती हैं और जब आप उनके साथ शॉपिंग जा रही हैं तो अभी भी काफी देर हो चुकी है... प्लीज भाभी... जल्दी जाइए...नहीं तो...."
रूपा बात खत्म करते ही जोर से हँस पड़ी साथ में कनक और डिम्पल भी हँसे बिना ना रह सकी... डिम्पल भाभी हंसी रोकती बोली,"ठीक है रूपा, मैं निकलती हूँ... कनक तुम अभी रूकेगी ना..."
कनक,"नहीं भाभी, मम्मी जल्दी आने बोली थी और मैं यहाँ आकर बैठ गई हूँ... मैं भी निकल जाऊँगी..."
डिम्पल,"ओके...अगर चलेगी तो चलो कुछ देर तक साथ तो रहेंगे..." डिम्पल भाभी की बात सुन कनक उठी और रूपा की तरफ देख बोल पड़ी,"बाय रूपा,शाम में कॉल करती हूँ..."
रूपा डिम्पल भाभी को यूँ अकेली जाती देख मायूस सी हो गई थी... मन ही मन गाली भी दे रही थी कि वापस आओ पहले, फिर आपकी खबर लेती हूँ... रूपा एक बार फिर गेट की तरफ नजर करती मायूसी से कनक को बॉय बोली...
डिम्पल भाभी और कनक दोनों चल दी गेट की तरफ... रूपा कुर्सी से उठ देखी जा रही थी... अचानक से रूपा को एक जोर की बिजली चमक गई...
डिम्पल भाभी गेट से बाहर निकलने से पहले वापस रूपा की तरफ मुड़ी और कनक की तरफ इशारा करती अपनी एक आँख दबा दी... रूपा की तो होश उड़ गई... वो वापस धम्म से कुर्सी पर जा गिरी...
रूपा यकीन नहीं कर पा रही थी कनक भी इनमें शामिल है और वो उसके साथ नाटक कर रही थी अभी तक... रूपा सब समझ चुकी थी आखिर डिम्पल भाभी को सारी बातें मालूम कैसे पड़ती थी...
और सीमा भाभी भी एक ही झटके में चारों खाने चित्त क्यों हो गई थी... रूपा ये सब सोचते सोचते शून्य में चली गई थी... वो बिना हिले डुले अब तक गेट की तरफ ही निहारे जा रही थी...
उधर तमाचा अपनी बाइक से लहराता बस बढ़ा जा रहा था... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था... अगर मामला सीधे उससे होता तो कब तक निपटा चुका होता पर वो बेबस था...
अचानक उसकी बाइक की ब्रेक खुद ब खुद लग गई... बाइक रूकते ही तमाचा आश्चर्य से बाइक को निहारता हुआ बोला,"शाला, बिना लगाए ब्रेक कैसे लग गया..." फिर वो आसपास देखा तो वो फिर चौंक गया... वो ठीक कोर्ट परिसर के बाहर था...
तमाचा,"शाला जब ऊपर वाला यही चाहता है तो यही सही..." और उसने बाइक कोर्ट परिसर में दाखिल कर दिया... उसने बाइक पार्क की और कोर्ट की तरफ चल दिया...
तमाचा वहीं एक फाइल की बंडल ले जा रहे वकील के पाल पहुंचा और पूछा,"सर, यहाँ कोई मो0 रियाज खान वकील हैं.."
उस वकील ने बिना रूके तमाचे की ओर देखा और पूछा,"कैसा केस है..? मैं बड़े से बड़े केस हैंडल कर ...."
तमाचा उसकी वकीली भाषा सुनते ही उसे बीच में रोकते हुए बोला,"नहीं नहीं सर, दरअसल पापा उनसे एक फाइल लेने भेजे हैं और मैं उन्हें पहचानता ही नहीं हूँ इसलिए..."
उस वकील ने यमाचे की बात सुनते ही आँख गुरेरते हुए बोला,"मेन गेट के ठीक सामने दाएँ उसका ऑफिस है..." और वो तेजी से खुद से बड़बड़ाता तमाचे से दूर निकल गया...
तमाचा वहीं से पलटी मारी और धड़धड़ाता रियाज खान के ऑफिस जा पहुँचा... वहाँ मौजूद चपरासी से पूछा तो वो बोला,"सर अभी अभी किसी क्लाइंट से मिलने गए हैं...एक घंटे बाद आकर मिल लेना..."
तमाचा हैरान सा बोला,"पर अभी तो यहीं आने बोले थे फोन पर..."
इतना सुनते ही चपरासी खींझता बोला,"क्या सर, जब बोल रहा हूँ अभी अभी निकले हैं और कुछ देर पहले तक यहीं थे तो समझते क्यों नहीं...जाइए अब, मुझे काफी काम है..."
तमाचा उसकी बात समझ बाहर की तरफ निकलने लगा पर उसके अंदर अजीब सी खलबली मची थी...अंदर की शक्ति उसे बार बार मिलने के लिए आतुर हो रही थी...
तमाचा पुन: रूका और पूछा,"वे किधर निकले हैं...मैं उधर ही मिल लूँगा..."
चपरासी ये सुन गुस्से से बड़बड़ाता बाहर आया और बोला,"उधर गए हैं और उनका गाड़ी नम्बर #### है..जाओ मिल लेना..."
तमाचा बिना कुछ जवाब दिए तेजी से निकला और अपना बाइक निकाल उस दिशा में दौड़ा दिया... वो आगे जा रही हरेक गाड़ी की नम्बर प्लेट देखे जा रहा था...
कुछ ही देर में वो गाड़ी तमाचे को नजर आ गई... वो अपनी गति बढ़ा गाड़ी की ओर तेजी से बढ़ने लगा... कुछ ही देर में तमाचा कुछ फासले दूर ही था कि उसके अंदर मुस्कान तैर गई...
गाड़ी में तमाचे को दो लड़की नजर आई... तमाचा कुटील मुस्कान बिखेरता खुद से बोला,"चल बेटा वकील, तू सिर्फ वकील ही है या लड़कियों के दलाल भी..."
अब वो थोड़ा और पीछे हो लिया और इतनी दूरी पर था कि उसे बस गाड़ी सामने रहे हर वक्त...
कोई दस मिनट बाद शहर के छोर पर स्थित एक 5-स्टार होटल M के परिसर में घुस गई... होटल की पार्किंग काफी बड़ी थी... तमाचा भी अपनी बाइक अंदर कर लिया और झटपट पार्क कर साइड हो उस गाड़ी को पार्क होता देखने लगा...
गाड़ी रूकते ही वकील उतरा और साथ में दोनों लड़की भी... दूरी ज्यादा थी तो वो किसी को पहचान नहीं पा रहा था... तभी वो तीनों होटल के मेन गेट की तरफ बढ़ गए...
तमाचा भी मेन गेट के पास ही था... उसके दिमाग में तुरंत ये आइडिया आया कि क्यों ना पहले तीनों को पहचान लें... फिर बाद में लड़की से ही पूछ लेंगे कि वो आर.जे. ही है या कौन है?
वो उन तीनों का वेट करने लगा... वे जितने नजदीक आते तमाचे के चेहरे की रंग भी उसी अनुपात में उड़ने लग गई... और कुछ ही पल में तमाचा घुटने के बल सर पर हाथ रख नीचे बैठ गया...
तमाचा की बत्ती गुल हो गई थी... कनक इस आर.जे. के साथ ही धंधा करती है और मुझे उल्लू बना रही थी कि ये गलत है...वो गलत है... तमाचा वहीं पड़े पड़े ना जाने कितनी गालियाँ बोल डाला...
"ओ हैल्लो, यहाँ क्या कर रहे हो... ये बैठने की जगह है क्या..?" एक तेज आवाज तमाचे के कान में पड़ी तो वो आवाज की तरफ मुड़ा...सामने सिक्योरिटी उसे ही कह रहा था...
तमाचा झट से उठा और बोला,"नहीं, फीता बाँध रहा था... " और वो मेन गेट की ओर नजर किए बाइक की तरफ बढ़ने लगा... होटल के अंदर क्या है ये बाहर से कैसे मालूम पड़ती... और वो ऐसे अंदर जाना नहीं चाहता था... कहीं गलती से भी कनक की नजर...
वो बाइक निकाला और होटल के ठीक सामने एक कॉफी हाउस में जा बैठा... उसकी नजर होटल के गेट पर ही थी...तमाचा कुछ सोच नहीं पा रहा था कि क्या करे... कभी कभी तो वो सोचता कि जो होगा देखा जाएगा...जाते हैं कनक के सामने ही...
कुछ ही देर में वो वकील तमाचा को नजर आया... वो चौंकता हुआ उठ के देखने लगा... उसके साथ दो और लोग थे जो उससे बात कर रहा था... तमाचा समझ गया कि यही दोनों उन दोनों की बजाएगा...
और फिर वकील उन दोनों से विदा ले निकल गया और वो दोनों वापस होटल में... तमाचा परेशान जरूर था पर होटल के अंदर होने वाले दृश्य को याद कर उत्तेजित भी हो गया... वकील अपनी कार से वापस चला गया...
तमाचा अचानक से फोन निकाला और रूपा के नम्बर पर फोन करने लगा... कई रिंग हो चुकी पर रूपा फोन रिसीव नहीं कर रही थी... कैसे रिसीव होती रूपा भी तो जख्मी ही थी तो फोन बज रही है या नहीं उसे क्या पता?
आखिर फोन रिसीव हुई और रूपा की हैलो तमाचे के कान में पड़ी... तमाचा तेजी से बोला,"रूपा, कॉफी पिएगी..?"
रूपा मायूस बुझी सी आवाजों में बोली,"सॉरी यार, मेरी मूड ठीक नहीं है...बाद में बात करना..."
तमाचा,"ऐ रूपा, मेरी बात तो सुनो... कुछ जरूरी काम है इसलिए बुला रहा हूँ..."
रूपा जरूरी काम सुन कुछ सोचने सी लग गई...रूपा के दिमाग में ढ़ेरो सवाल जवाब उभरने लगे... कहीं तमाचा भी कनक की तरह ही मुझसे छिपा रहा है और मौका मिलते ही कोई फायदा ना उठा ले...
रूपा की चुप्पा पर तमाचा हैरान सा बोला,"प्लीज रूपा, मैं सीरीयस कह रहा हूँ... अभी मैं जो कुछ देखा हूँ वो मैं सोच भी नहीं सकता..."
रूपा तमाचे की बात सुन थोड़ी सोच में पड़ गई...क्या देख सकता है..? कहीं भाभी और कनक पुलिस के... नहीं ...नहीं... तो फिर... रूपा सोची जा रही थी...भाभी कह रही थी कि वे सब तो पुलिस को यूँ रखते हैं जेब में...
अचानक रूपा सर को झटकी और साँस लेती हुई बोली,"देखो, तुम क्या देखे,नहीं देखे...उससे मुझे कोई मतलब नहीं है और ना मतलब रखना चाहती... अब फोन रखो और अपना टेंशन खुद सुलझाओ...गुड बॉय..."
फोन रूपा काटने के लिए हटा भी नहीं सकी कि तमाचा बोल पड़ा,"रूपा, वो सब तुम्हें ब्लैकमेल करना चाहते हैं...प्लीज मेरी बात समझो..."
रूपा तमाचे की बात सुन थम सी गई... उसे अपने कानों पर यकीं नहीं हो रही थी... रूपा कुछ बोल नहीं पा रही थी... तमाचा रूपा की इस चुप्पी पर अफसोस सा बोला,"रूपा..."
पर रूपा कोई जवाब दिए बिना फोन काट दी... तमाचा आँख मींचता सा टेबल पर जोर से हाथ दे मारा... वहाँ मौजूद सब उसे ही देखने लगे... तमाचा स्थिति को देख तुरंत सॉरी बोल वहाँ से निकल गया...
रूपा फोन रखते ही फूट फूट कर रोने लगी... ये सब क्या हो रहा है...? वो सोच सोच के पागल सी हुई जा रही थी... जितनी देर हो सकी रोती रही फिर वो अपने कमरे में घुस तकिए में मुंह छिपा सुबकती हुई सो गई...
तमाचा वहाँ से निकल सीधा एक पार्क में जा पहुँचा... एकांत जगह देख वो लेट गया और सारा वाक्या याद करने लगा... तमाचा आगे की वाक्या पर जब नजर डाला तो सिहर सा गया... रूपा जैसी लड़की के साथ अगर ये घिनौना खेल खेलने में ये सब सफल हो गए तो भारी गड़बड़ हो जाएगी...
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INTRESTING STORY
AAGE KE PART TO POST KARO
JALDI SE
8409785801
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