Thursday, April 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--62

 FUN-MAZA-MASTI
 सौतेला बाप--62

अब आगे
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 और वो सरप्राइज कुछ ऐसा था

काव्या के घर से निकलने के बाद समीर भी ऑफीस के लिए निकल गया...आज उसने अपने सारे स्टाफ के लिए होली की पार्टी रखी थी..और सभी के लिए लंच भी था वहाँ..

रश्मि को होली का ज़्यादा शोंक नही था,इसलिए घर के सारे काम निपटा कर वो टीवी देखने बैठ गयी..पर उसका मन उसमे लग ही नही रहा था...वो तो बस किसी से भी चुदवाने के बारे में सोचे जा रही थी..पर कोई था भी तो नही ना...और ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला..

करीब 2 घंटे बाद उसके घर की बेल बजी...और जब उसने दरवाजा खोला तो सामने विक्की खड़ा था..

और उसे देखते ही उसके अंदर की भूखी औरत फिर से जाग गयी...

विक्की : "नमस्ते आंटी....एंड हैप्पी होली ...''

उसके चेहरे पर पूरा रंग लगा हुआ था...और उसने थोड़ा सा रंग आगे लेजाकर रश्मि के चेहरे पर भी लगा दिया...भले ही रश्मि को होली पसंद नही थी पर उसके मर्दाना हाथों से रंग लगवाने में उसके शरीर में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी...

और विक्की भी साला बड़ा हरामी था...ऐसा नही था की वो पहली बार रश्मि को हाथ लगा रहा था पर होली के मौके पर ऐसे गदराये माल को रगड़ने का जो मज़ा है वो तो वही जान सकता है जो रगड़ता है...और यही विक्की के साथ भी हो रहा था इस वक़्त...उसके हाथ रंग लगाने का बहाने रश्मि के शरीर के हर हिस्से को मसल रहे थे...

चेहरे से शुरू हुआ सिलसिला धीरे-2 नीचे जाने लगा...गर्दन और फिर सीधा उसके विशालकाए मुम्मों पर...और उनपर हाथ लगते ही रश्मि का छटपटाना एकदम से बंद हो गया...और वो लगभग विक्की के उपर गिरती चली गयी...जैसे बोल रही हो 'ले हरामखोर ...लगा ले ..जितना रंग लगाना है मुझपर..'

और विक्की भी अपने रंगीन हाथों को उसके मुम्मों पर मसलता हुआ बड़ा उत्तेजित फील कर रहा था..उसके सूट के नीचे से उसने अपने दोनो हाथ अंदर घुसेड दिए और उसके नर्म मुलायम पेट पर रंग लगाने लगा..

ये सब ड्रॉयिंग रूम में चल रहा था...और दरवाजा तो विक्की को अंदर लेने के बाद ही बंद कर दिया था रश्मि ने...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी..

जैसे ही विक्की के हाथ फिर से सरक कर उपर की तरफ आए,रश्मि ने अपने दोनो हाथ उपर कर दिए ताकि विक्की उसके सूट को उतार दे...

जो विक्की ने नही सोचा था वो रश्मि करने को तैयार थी...

विक्की : "आज लगता है जैसे मेरा ही इंतजार हो रहा था....आपका पति कहाँ है ...''

वो उसके सूट को उतारता हुआ बोला..


 रश्मि : "पति भी नही है और तेरी काव्या भी....अभी के लिए सिर्फ़ तू और मैं है घर पर...''

विक्की के हाथ उसकी ब्रा मे क़ैद मुम्मे मसलने में लगे थे...सफेद रंग की ब्रा को गुलाबी होने में एक मिनट ही लगा बस...

काव्या के घर पर ना होने की बात सुनकर वो थोड़ा मायूस हो गया पर रश्मि की बात सुनकर फिर से उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई, वो बोली : "काव्या बस एक घंटे तक आ जाएगी...तब तक मेरे साथ ही होली खेल ले...जैसी तुझे पसंद हो ...वैसी खेल ले...''

विक्की के लिए ये ऑफर भी बुरा नही था....जब तक काव्या वापिस आएगी,तब तक के लिए उसकी माँ उसके लंड को तैयार कर सकती है...ये सोचते-2 उसने रश्मि की ब्रा भी खोलकर नीचे फेंक दी...और अब वो टॉपलेस थी..और उसके वाइट मुम्मे देखकर विक्की के मुँह में पानी भर गया...और उसने वो पानी उसके मोटे-2 निप्पलों पर उड़ेलना शुरू कर दिया..उन्हे चूस-चूस्कर ...

''आआआआआआहह..... ओह विक्की............चूसो इन्हे...........''

और पलक झपकते ही रश्मि के बाकी बचे कपड़े भी नीचे फर्श पर पड़े थे...और वो खड़ी थी पूरी नंगी होकर विक्की के सामने...

विक्की भी उसके मांसल बदन को देखकर दंग रह गया...रिसोर्ट में भी उसने रश्मि को नंगा देखा था और उसके साथ सिर्फ़ चुदाई को छोड़कर सब कुछ किया था...पर उस दिन वो ऐसी कयामत जैसी नही लग रही थी...शायद इसलिए की उस वक़्त काव्या भी वहां थी और अपनी कड़क बेटी के सामने तो वो थोड़ी कम ही है...पर अकेले में उसका कोई मुकाबला नही...

ये सब सोचते-2 विक्की के लंड में उबाल आना शुरू हो गया और कुछ ही देर में वो वहीं खड़ा हुआ अपनी पेंट के उपर से ही अपना लंड मसलने लगा..

रश्मि : "रूको...मेरे होते हुए तुम ये जहमत क्यो उठा रहे हो...ये काम मेरा है और मुझे ही करने दो....''

सेक्स मे रूचि रखने वाली औरतों में सबसे अच्छी यही बात होती है की वो हर काम आगे बढ़कर खुद करने में विश्वास रखती है...और उन्हे ऐसा करते देखकर उनके पार्ट्नर को जो खुशी होती है वो तो बस वही जान सकते है..

विक्की भी अपने आप को उसके हवाले छोड़कर खड़ा हो गया और रश्मि आराम से उसके कदमो में बैठकर उसकी पेंट उतारने लगी...जीप खोलकर उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और फिर उसके अंडरवीयर को भी...और अगले ही पल उसका अकड़ ख़ाता हुआ लंड किसी स्प्रिंग की तरह उछलकर सामने आ गया...


और उसे देखकर रश्मि ने अपने होंठों को दांतो तले दबा कर खुद ही अपना रस निचोड़कर पी गयी..

और फिर बड़े ही प्यार से उसे हाथों में लेकर अपने होंठों से लगाया और फिर आँखे बंद करते हुए एक-2 इंच करती हुई उसकी गर्म रोड को निगलने लगी....ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला उसके मुँह में जा रहा है...


पर उस आग के गोले में उतनी आग नही थी जितनी रश्मि के मुँह से निकल रही थी इस वक़्त...दोनो तरफ की आग की तपिश एक दूसरे को झुलसाने लगी..और दोनो के मुँह से ही मादकता से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी...


 ''आआआआआआआआअहह ऊऊऊऊऊहह आंटी..............आपका मुँह तो मुझे जला कर रख देगा......''

और रश्मि उस आग के गोले की आग को अपनी लार से बुझाने में लगी हुई थी...चपड़ -2 की आवाज़ें गूंजने लगी पूरे ड्रॉयिंग रूम मे...और लार की लकीर बनकर उसके मुम्मों पर गिरने लगी...जिसे वो बड़े ही उत्तेजक तरीके से अपने ही हाथों से पूरी छातियों पर मल रही थी...

विक्की ने रश्मि के सिर को पकड़ा और उसे पकड़ कर धक्के मारने शुरू कर दिए...जैसे चूत मारते हुए करते हैं...वो उसके मुँह की चुदाई कर रहा था...और धक्के भी बड़े जबरदस्त वाले थे....पर रश्मि जैसी कलाकार सामने थी इसलिए उन धक्को को वो बड़े ही आराम से सहन करती हुई उसके लंड को चूसती भी जा रही थी..

विक्की ने अपनी टी शर्ट भी उतार दी...और अब वो भी नंगा होकर खड़ा था उसके सामने...अपने कठोर हाथों से उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे अपना लंड चुसवाता हुआ सिसकारियाँ मार रहा था..

रश्मि की चूत में तो चींटियाँ रेंग रही थी जिन्हे वो अपनी उंगलियों से मसल कर मारती जा रही थी....विक्की के लंड को चूसते हुए उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी और अपनी 3-3 उंगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करने लगी....अपने पंजो के बल बैठी हुई रश्मि के नीचे गाड़े पानी की बूंदे टपक कर मीठे पानी का तालाब बना रही थी...

रश्मि के मुँह के आगे विक्की का लंड हार ही गया...और उसने जोरदार चीखे मारते हुए अपने गन्ने का रस उसके मुँह में निकालना शुरू कर दिया...

''आआआआआआआआआअहह हह उम्म्म्मममममम..... ऑश मई तो गया......... आआआअहह''



कुछ देर तक ऐसे ही खड़ा हुआ वो कांपता रहा...उसके शरीर से ऐसे झटके निकल रहे थे जैसे तोप के गोले छोड़ने के बाद तोप हिलती रहती है कुछ देर तक....और जब वो शांत हुआ तो अपनी प्यासी आँखो से रश्मि उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी...

विक्की समझ गया की वो क्या चाहती है....



उसने रश्मि की बगल मे हाथ डालकर उसे उठाया और टेबल पर लेजाकर बिठा दिया...और उसकी चूत के उपर झुककर उसने अपनी लंबी सी जीभ निकाली और उसकी सेवा करनी शुरू कर दी..



अपनी गर्म चूत पर उसके नर्म होंठ लगते ही वो मुस्कुरा उठी और अपनी गांड हिला कर आगे पीछे करते हुए खुद ही उसके मुँह मे अपनी चूत चुसवाने लगी...

विक्की भी उसकी चूत के निकले हुए माँस के हिस्से को अच्छी तरह से अपने मुँह में लेकर चुभला रहा था...ऐसा करते हुए वो उसके अंदर से निकलने वाला जूस भी पीता जा रहा था...लग रहा था जैसे कोई संतरे की फाँक है जो उसके मुँह में आती है और अपना रस छोड़कर फिर चली जाती है...ऐसा मीठा रस था उसका की वो लगातार चूस रहा था पर वो ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा था..

रश्मि भी उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी चूत का शाही पकवान उसे खिला रही थी..

विक्की ने तो अपनी तजुर्बेकार जीभ से उसकी चूत चाट-चाटकर चमका डाली...

अपने ही रस में डूबकर और विक्की के मुंह के गीलेपन से वो बुरी तरह से पनिया गयी थी



और फिर उसने धीरे से अपनी एक उंगली भी जीभ के साथ-2 अंदर डाल दी...जीभ की पहुँच उतनी नही थी जितना अंदर उंगली जा पा रही थी..इसलिए उसे अपनी क्लिट पर आघात करते पाकर रश्मि ने अपनी गांड हवा में लहरा दी...और खुद ही उसकी उंगली को अपने अंदर घुस्वाने लगी.

''ओह विक्की...............काश इस उंगली के बदले तेरा लंड होता ......उम्म्म्मममममममममम ......''

विक्की भी उसके चेहरे को देखकर मुस्कुराया...वो जानता था की इस वक़्त कितनी खुजली मची हुई है रश्मि के अंदर उसका लंड लेने की...पर वो तो अपनी बात पर अभी तक अड़ा हुआ था...वो बोला : "मैने पहले भी कहा था ना...जिस दिन काव्या की मिल जाएगी मुझे...उसके बाद आपकी चूत मारने में मुझे कोई प्राब्लम नही होगी...''

रश्मि : "और वो काम अगर मैं आज ही करवा दू तो ???....''

उसकी ये बात सुनते ही विक्की ने एक साथ अपनी 3 उंगलियाँ उसकी चूत में उतार दी और अपनी स्पीड भी बड़ा दी....


 विक्की : "अगर आज आपने मेरा ये काम करवा दिया ना...तो कसम से आज ही अपने इस मूसल से आपकी चूत की भरपूर सेवा करूँगा...''

रश्मि : "तो बस समझ ले की तेरा काम हो गया ....आज काव्या के आने के बाद तो पहले उसके साथ और फिर मेरे साथ वही सब करेगा जिसके लिए उपर वाले ने तुझे ये लंड दिया है....''

रश्मि ने उसके लंड को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया....

और विक्की भी उत्तेजना मे भरकर उसकी चूत को और तेज़ी से अपनी उंगलियों से चोदने लगा...और रश्मि ज़ोर से चिल्लाती हुई अपने बूब्स को अपने ही हाथों से दबाने लगी..



''आआआआआआआआआहह ओह विक्की ...................... ......ज़ोर से................येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... ऐसे ही ................................... अहहssssssssssssssssssssssssssssssssss.......''

और फिर तो रश्मि की आँखे ही फिर गयी...उसे पता ही नही चला की उसके साथ क्या हो रहा है...वो पीछे की तरफ लुढ़क गयी और एक के बाद एक झटको ने उसके अंदर की सारी उर्जा गाड़े पानी के रूप में बाहर निकाल दी...ऐसा लगा की जैसे उसके शरीर का सारा प्रोटीन विक्की की उंगलियों ने बाहर खींच लिया है...काश वो इस वक़्त उसकी चूत मार सकता तो जो प्रोटीन की कमी उसे महसूस हो रही है वो उसके रस को अंदर लेकर पूरी कर लेती..

पर ऐसा अभी तो हो नही सकता था...उसे काव्या का वेट करना पड़ेगा उसके लिए...

अपनी ऑर्गॅज़म से बाहर निकलने के बाद वो अपनी बोझिल आँखो से विक्की को देखते हुए बोली : "तेरी उंगलियों ने मुझे इतने मज़े दिए हैं, पता नही तेरा लंड जब अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा...''

विक्की (मुस्कुराते हुए) : "आपका हाल तो बेहाल होगा....और वही हाल काव्या का भी होगा हा हा...''

रश्मि भी उसके लटके हुए खीरे को देखकर मुस्कुरा उठी..

अब तो सच मे उसकी चूत को उसके लंड की कमी महसूस हो रही थी.

उसने जल्दी से फोन उठाया और काव्या को मिलाया ताकि वो जान सके की वो कब तक आएगी और विक्की के लंड से चुदकर वो उसकी चुदाई का रास्ता खोलेगी.

पर काव्या तो वहाँ किसी और के लंड का मज़ा ले रही थी...कार मे बैठी हुई वो रोहित के लंड को अंदर बाहर कर रही थी..

रश्मि ने कई बार फोन किया पर उसने उठाया ही नही...उठाती भी कैसे वो...फोन को साइलेंट मोड पर करके वो अपनी चुदाई चीख-2 कर जो करवा रही थी.

रश्मि : "लगता है वो ड्राइव कर रही है....आ ही जाएगी अभी...''

उसका ध्यान अभी तक विक्की के लंबे लंड के उपर था..जो अब धीरे-2 फिर से अपने असली आकार में आने लगा था..

रश्मि की मोटी छातियों की तरफ देखता हुआ विक्की बोला : "अब तो वो आने ही वाली है...तो इसको तैयार करना अब आपकी ज़िम्मेदारी है...''

रश्मि को तो मौका चाहिए था फिर से उसके लंड को पकड़ने का..उसने विक्की को पकड़कर अपनी जगह पर बिठाया और खुद उसके सामने आकर खड़ी हो गयी....और उसके लंड को लेकर धीरे-2 मसलने लगी..

और ऐसा करते हुए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देख रही थी.

और एक ही मिनट के अंदर विक्की का लंबा लौड़ा फिर से अपने 8 इंची आकार में आ गया.

और रश्मि उसे अपनी दोनो छातियों के बीच में लेकर धीरे-2 उसे बूब मसाज भी दे रही थी.



एक तो उसके मोटे-2 मुम्मे और उपर से उसका सेक्सी लुक, विक्की के लंड का पारा जल्द ही फिर से बढ़ने लगा...और उसने झटक कर अपने लंड को उसकी गिरफ़्त से छुड़वाया.


 ''आप तो मुझे एक मिनट मे फिर से झाड़ कर रख देंगी....कुछ तो काव्या के लिए रहने दो...''

वो भी मुस्कुरा उठी.

और तभी रश्मि के फोन की घंटी बज उठी,काव्या का फोन आया था...वो रोहित के साथ चुदाई करवाकर फ्री हो चुकी थी अब तक.

उसने फोन उठा कर उसे जल्द घर आने को कहा..

और फोन रखने के बाद वो विक्की के लंड को पकड़कर उसे अपने बेडरूम के अंदर बने बाथरूम की तरफ ले गयी...ताकि काव्या के आने तक वो फ्रेश हो जाए..

काव्या के आने की बात सुनकर उसके लंड में जल तरंग सी बजने लगी...और वो रश्मि के पीछे-2 चलता हुआ बाथरूम में पहुँच गया.

रश्मि ने उसको शावर के नीचे लेजाकर खड़ा कर दिया और फिर दोनो ने एक दूसरे को साबुन लगाकर नहलाया.

साथ ही साथ,बीच-2 में वो दोनो एक दूसरे को चूम भी रहे थे...और एक दूसरे के अंगो को सहला भी रहे थे.


ऐसा करीब 10 मिनट तक चलता रहा.

और तभी बाहर के गेट की बेल बजी,काव्या आ गयी थी.

रश्मि और विक्की जल्दी से बाहर निकले....रश्मि ने जल्द से एक चादर ओढ़ ली और भागकर बाहर की तरफ चल दी...और विक्की वहीं बेड पर नंगा होकर बैठ गया...काव्या का इंतजार करने के लिए..

रश्मि ने दरवाजा खोला तो उसके चेहरे पर आई रंगत सॉफ बता रही थी की वो अंदर क्या कर रही थी....उसने एक चादर पहनी हुई थी बस...और पूरा चेहरा लाल सुर्ख हुआ पड़ा था,और होंठ गीले...

अब वैसे भी उन माँ बेटी के बीच कोई परदा तो रहा नही था..काव्य समझ गयी की वो चुदाई के काम में लगी थी इसलिए वो शायद ऐसे ही बीच मे से उठकर आ गयी थी...

पर तभी काव्या को ध्यान आया की आज पापा तो घर पर है ही नही,उनके ऑफीस मे होली की पार्टी थी और वो सुबह से ही वहां गये हुए हैं, तो इस वक़्त माँ किसके साथ मज़े ले रही है..

काव्या के चेहरे पर शरारत दौड़ गयी और बोली : "माँ ...ये क्या चल रहा है सब...''

रश्मि का चेहरा और भी लाल हो उठा और वो बोली : "तू खुद देख ले अंदर आकर...मेरे बेडरूम में ..चल..''

काव्या के दिल में तो गुदगुदी सी होने लगी तभी से...वो भागती हुई सी अपनी माँ के बेडरूम में गयी...उसके दिल मे बस लोकेश अंकल की तस्वीर चल रही थी...क्योंकि उसके पापा के अलावा सिर्फ़ लोकेश अंकल ही उसकी माँ की मार सकते थे...पर अंदर पहुँचकर वो अश्चर्यचकित रह गयी...और लगभग चिल्लाते हुए बोली

''विक्की !!!!!!!!!!!!!!!!!!! तुम .......''

वहाँ विक्की बैठा था...पूरा नंगा....अपने हाथ मे वही जादूगरी लॅंड लिए जिसको दिखाकर उसने काव्या को कितना तरसाया था अभी तक...

पर वो कर क्या रहा था आज उसके घर...वो पूछने ही वाली थी की विक्की बोल पड़ा

''आओ डार्लिंग...तुम तो आई नही ,मैने सोचा की मैं खुद ही आ जाऊ तुम्हारे साथ होली खेलने...''

तब तक रश्मि भी अंदर आ चुकी थी...और अंदर आते ही उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने उपर ओढ़ी हुई चादर फिर से उतार फेंकी और पूरी नंगी होकर अपनी गांड मटकाती हुई काव्या के करीब आई और बोली

''विक्की बस अभी आया था,एक घंटा पहले..मैने सोचा की जब तक तुम आओ,मैं ही थोड़ा बहुत...''

और इतना कहकर वो शरमा सी गयी...भले ही वो खुल चुकी थी अपनी बेटी के सामने...पर किसी दूसरे के सामने भला कैसे बोलती की सेक्स के मज़े ले रही थी..

काव्या अच्छी तरह से जानती थी की विक्की ने जो कसम ले रखी है की पहले वो उसकी चुदाई करेगा और उसके बाद उसकी माँ की,उसपर वो अभी तक अडिग ही होगा...रश्मि सिर्फ़ उसके लंड को चूस्कर उसे मज़ा दे रही थी...और शायद अपनी चूत को चुसवाकर खुद भी मज़े ले रही थी...

पर अब तो काव्या आ चुकी थी...भले ही वो पहले नितिन से और बाद में राह चलते एक अंजान शख्स से चुदवा कर आई थी पर चुदाई की जो खुराक उसे चढ़ चुकी थी वो एक बार फिर से उसके लंड को देखकर होने लगी..

और धीरे-2 उसका जिस्म फिर से गर्म होने लगा...और चूत भी.

 

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