FUN-MAZA-MASTI
तुम मुझे कार चलाना सिखा दो
दोस्तों यह बात तब की है जब में 12th क्लास में था और मेरी भाभी का नाम मनीषा है.. उनकी उम्र करीब 32 साल है। वो दिखने में बहुत सेक्सी है और ख़ासकर उनके कुल्हे बहुत बड़े बड़े और मौटे है और उनके बूब्स भी बहुत बड़े और भारी है। वो एक टिपिकल इंडियन औरत लगती है.. हील वाली सेंडल पहनने के कारण मनीषा भाभी की गांड बहुत मोटी और पीछे से ऊपर की तरफ उठी हुई है। फिर एक दिन में कॉलेज से घर आया।
में : मनीषा भाभी कैसी हो?
भाभी : में बिल्कुल ठीक हूँ.. आप बैठो में कॉफी अभी लाती हूँ।
फिर मनीषा भाभी कॉफी ले आई और बोली कि यह लो धवल कॉफी। तो मैंने कहा कि धन्यवाद
भाभी : बिस्कट भी तो लो।
में : नहीं भाभी इसकी ज़रूरत क्या है?
भाभी : कॉफी तो पियो ठंडी हो रही है.. मार्केट से कुछ भी लाना हो तो में नहीं ला सकती।
में : क्यों मनीषा भाभी?
भाभी : क्योंकि तुम्हारे भाई अक्सर बाहर रहते है और मार्केट यहाँ से बहुत दूर है रिक्शे से जाने में बहुत टाईम लगता है और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।
में : भाभी इसमें प्राब्लम क्या है? आपको जब कुछ चाहिए हो तो आप मुझे कह दीजिएगा।
भाभी : नहीं ऐसी कोई बात नहीं है और सब ठीक है.. धवल तुम्हे कार चलानी आती है तो फिर मुझे भी सिखा दो। क्या तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो? और तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे भाई तो सारा दिन कामो में व्यस्त रहते हैं और आज कल तो हमारी कार खाली ही पड़ी है.. तुम्हारे भाई को तो ऑफिस की कार मिल गई हैं।
में : हाँ भाभी यह तो बहुत अच्छी बात है और में आपको बहुत ही जल्द कार चलाना सिखा दूँगा।
भाभी : लेकिन फिर भी कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?
में : करीब एक हफ़्ता तो लगेगा ही।
भाभी : तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।
में : ठीक है भाभी
भाभी : थोड़ी दूरी पर ही शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राउंड है जो हमेशा खाली रहता है।
में : ठीक है तो वहीं चलेंगे कल से दोपहर में।
भाभी : लेकिन दोपहर में तो बहुत गर्मी होती है।
में : दोपहर में इसलिए की उस वक़्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो वैसे भी एयरकंडीशंड है।
में : में क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखेगें तो मुझे बहुत शरम आती है।
भाभी : तुम्हे तो कोई प्राब्लम नहीं है ना।
में : जी बिल्कुल नहीं।
भाभी : तो फिर ठीक है धवल कल से पक्का।
में : हाँ भाभी जैसा आप कहो।
फिर में अगले दिन ठीक 10 बजे घर पर पहुंच गया और मनीषा भाभी ने उस दिन हरे कलर का सूट पहना हुआ था। मनीषा भाभी थोड़ी मोटी और काली है.. लेकिन मुझे तो भाभी बहुत सेक्सी लगती है। तो हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राउंड में गये और आस पास कोई भी नहीं था क्योंकि वो दोपहर का वक़्त था। तो मैंने ग्राउंड में पहुँच कर भाभी को कार सिखानी शुरू की।
में : भाभी.. पहले तो में आपको गियर डालना सिखाता हूँ।
फिर में कुछ देर तक मनीषा भाभी को गियर, एक्सीलेटर, क्लच, ब्रेक आदि के बारे में बताता रहा।
में : चलिए भाभी अब आप चलाईए।
भाभी : मुझे बहुत डर लग रहा है।
में : कैसा डर भाभी?
भाभी : कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो क्या होगा?
में : उसके लिए में साथ में हूँ ना।
फिर मनीषा भाभी ड्राईवर सीट पर बैठ गयी और में ड्राईवर के साथ वाली सीट पर आ गया।
फिर मनीषा भाभी ने कार चलानी शुरू की.. लेकिन भाभी ने एकदम से ही रेस दे दी तो एकदम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी और मनीषा भाभी बहुत घबरा गयी तो मैंने कहा कि..
में : भाभी एक्सीलेटर से पैर हटाइए।
फिर मनीषा भाभी ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में की।
भाभी : मैंने पहले ही कहा था कि मुझसे नहीं चलेगी।
में : कोई बात नहीं भाभी.. पहली बार ऐसा ही होता है।
भाभी : नहीं में कार सीख ही नहीं सकती और मुझसे नहीं चलेगी।
में : चलेगी.. चलिए अब स्टार्ट कीजिए और फिर ट्राई करिए.. लेकिन इस बार एक्सीलेटर आराम से छोड़ना।
भाभी : नहीं मुझसे नहीं होगा।
में : भाभी शुरू शुरू में सभी से ग़लतियाँ होती हैं कोई बात नहीं।
भाभी : नहीं मुझे डर लगता है।
में : अच्छा तो एक काम करते हैं में भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ फिर आपको डर नहीं लगेगा।
भाभी : लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?
में : आप मेरी गोद में बैठ जाना में स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गियर कंट्रोल करना।
भाभी : लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?
में : भाभी इस वक़्त यहाँ पर कोई नहीं आएगा और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर ब्लेक फिल्म लगी है इससे अंदर का कुछ दिखाई नहीं देता।
भाभी : चलो फिर ठीक है।
फिर में ड्राईवर सीट पर बैठा और मनीषा भाभी मेरी गोद में और जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरे बदन से करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था और फिर मैंने कार स्टार्ट की।
में : भाभी क्या आप तैयार हो?
भाभी : हाँ में तैयार हूँ.. लेकिन मुझे सिर्फ़ गियर ही संभालने हैं ना।
में : हाँ भाभी आज के दिन आप सिर्फ़ गियर ही सीखो।
फिर कार चलनी शुरू हुई क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और भाभी मेरी गोद में.. इसलिए मेरी बाहें भाभी की छाती के साईड से छू रही थी और मनीषा भाभी के बूब्स थे भी बहुत बड़े.. भाभी थोड़ा असुविधा महसूस कर रही थी.. इसलिए वो मेरी जांघों पर ना बैठकर मेरे लंड के पास बैठी थी। में जैसे ही कार को घुमाता तो भाभी के पूरे बूब्स मेरी बाहों को छू जाते थे.. भाभी गियर सही बदल रही थी।
भाभी : क्यों धवल में ठीक कर रहीं हूँ ना?
में : हाँ भाभी आप बिल्कुल सही कर रही हो.. अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजीए।
भाभी : ठीक है।
क्योंकि भाभी मेरी गोद में बहुत आगे होकर बैठी थी इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्राब्लम हो रही थी।
में : भाभी आप थोड़ी पीछे हो जाईए.. तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पाएगा।
अब भाभी मेरी जांघों पर बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिए।
में : भाभी थोड़ा और पीछे हो जाईए।
भाभी : और कितना पीछे होना पड़ेगा?
में : आप जितना हो सकती हो।
भाभी : ठीक है।
अब भाभी पूरी तरह से मेरे लंड पर बैठी थी। मैंने अपने हाथ भाभी के हाथों पर रख दिए और स्टियरिंग कंट्रोल सिखाने लगा। फिर जब भी कार घुमानी होती तो भाभी के कुल्हे मेरे लंड में घुस जाते और भाभी के बूब्स इतने बड़े थे कि वो मेरे हाथों को छू रहे थे और में जानबूझ कर उनके बूब्स को छू रहा।
में : भाभी अब एक्सीलेटर भी आप संभालिए।
भाभी : कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल ना हो जाए।
में : भाभी अब तो में बैठा हूँ ना।
तो मनीषा भाभी ने फिर से पूरा एक्सीलेटर दबा दिया तो कार ने एकदम स्पीड पकड़ ली.. इस पर मैंने एकदम से ब्रेक लगा दी तो कार एकदम से रुक गयी और भाभी को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। मैंने इस पर भाभी के बूब्स को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर भाभी को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया और कार वहीं पर रुक गयी थी और भाभी के बूब्स मेरे हाथों में थे। तो भाभी बोली कि मैंने कहा था कि में फिर कुछ ग़लती करूँगी।
( अभी भी मनीषा भाभी के बूब्स मेरे हाथ में ही थे। )
में : कोई बात नहीं कम से कम गियर तो बदलना सीख लिया।
भाभी : शायद मुझे स्टियरिंग सम्भालना कभी नहीं आएगा?
में : एक बार और ट्राई कर लेते हैं।
भाभी : ठीक है।
अभी भी मनीषा भाभी के बूब्स मेरे हाथ में थे और उन्होंने मुझे अहसास दिलाने के लिए कि मेरे हाथ उनके बूब्स पर हैं भाभी ने बूब्स को हल्का सा झटका दिया। तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिए। तो मैंने कार फिर से स्टार्ट की और भाभी ने अपने दोनों हाथ स्टियरिंग पर रख लिए और मैंने अपने हाथ भाभी के हाथों पर रख दिए।
में : एक्सीलेटर में ही संभालूँगा आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालो।
भाभी : यही में कहने वाली थी।
फिर कुछ देर तक भाभी को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैंने बोला कि भाभी अब में स्टियरिंग से हाथ हटा रहा हूँ.. अब आप अकेले ही संभालो।
भाभी : हाँ अब मुझे थोड़ा विश्वास आ रहा है.. लेकिन तुम अपने हाथ तैयार रखना कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल हो जाए।
में : भाभी मेरे हाथ हमेशा तैयार रहतें हैं।
तो मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठाकर भाभी के बूब्स पर रख दिए। में तो भाभी से बहुत कुछ उम्मीद कर रहा था.. लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा।
भाभी : धवल मुझे कसकर पकड़ना.. कहीं ब्रेक मारने पर में स्टियरिंग में ना घुस जाऊं।
में : ठीक है भाभी में कसकर पकड़ता हूँ और फिर मैंने भाभी के बूब्स दबा दिए तो मनीषा भाभी के मुहं से आह आ निकल गयी।
भाभी : धवल मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही बहुत है.. चलो अब घर चलते हैं।
में : ठीक है भाभी।
तो भाभी मेरी गोद से उठकर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम घर चल दिए।
में : ठीक है भाभी में चलता हूँ।
भाभी : खाना खाकर चले जाना।
में : नहीं मुझे खाना नहीं खाना।
भाभी : तो ठीक है कल 10 बजे घर जरुर आ जाना।
फिर में अपने घर पर चला गया और फिर दूसरे दिन हम फिर से कार सीखने उसी ग्राउंड में आ गये।
भाभी : तो धवल आज कहाँ से शुरू करेंगे?
में : भाभी मेरे ख्याल से आप पहले स्टियरिंग में थोड़ा बहुत सीख जाईये उसके बाद और कुछ करेंगे ठीक है.. कल जैसे ही बैठना है।
भाभी : ठीक है।
आज भाभी ने सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी। भाभी आज सीधे आकर मेरे लंड पर बैठ गयी और आज भाभी की सलवार थोड़ी टाईट थी और पूरी भाभी के कूल्हों से चिपकी हुई थी। फिर हमने कार चलानी शुरू की और भभी ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए और मैंने अपने हाथ मनीषा भाभी के हाथों पर रख लिए आज भाभी के कुल्हे मेरे लंड पर बार बार हिल रहे थे.. तो कुछ देर बाद मैंने कहा कि..
में : भाभी अब में अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ।
भाभी : हाँ तुम अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो।
तो मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठाकर भाभी की बूब्स पर रख दिए और वाह मज़ा आ गया भाभी ने ब्रा पहनी थी इससलिए आज भाभी के बूब्स बहुत मुलायम और बड़े लग रहे थे और मैंने मनीषा भाभी के बूब्स को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। भाभी की सिल्क की कमीज़ में उनके बूब्स को दबाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर भाभी ने अपने पैर घुमा लिए और अब उनकी चूत मेरे लंड पर थी.. मैंने अपना एक हाथ भाभी की कमीज़ में डाला और भाभी के बूब्स को दबाने लगा।
में : भाभी मज़ा आ रहा है ना?
भाभी : आहह आहह किसमे कार चलाने में?
में : हाँ कार चलाने में।
भाभी : हाँ मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।
में : भाभी अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया।
तो मैंने अपना दूसरा हाथ भी मनीषा भाभी की कमीज़ में डाल दिया और उसको भी दबाने लगा।
भाभी : आहह धवल तुम आहह यह क्या कर रहे हो?
में : भाभी आपको कार सिखा रहा हूँ।
भाभी : तो धवल तुम्हारे हाथ कार के स्टियरिंग पर होने चाहिए।
में : हाँ भाभी लेकिन.. मुझे आपके स्टियरिंग संभालने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है।
भाभी : तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए.. मुझमें तुम्हे क्या अच्छा लगेगा?
में : भाभी आपकी हर एक चीज़ बहुत अच्छी है।
भाभी : धवल में थोड़ा थक गयी हूँ.. पहले तुम कार रोक लो आगे जाकर थोड़ी झाड़ियाँ हैं तुम कार वहाँ पर ले चलो।
में : ठीक है भाभी।
तो मैंने कार झाड़ियों में ले जाकर रोक ली बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं।
भाभी : हाँ तो धवल तुम्हे मुझ में क्या अच्छा लगता है?
में : एक बात बोलूं?
भाभी : हाँ बोलो मुझे आपके संतरे बहुत अच्छे हैं।
भाभी : क्या संतरे? में क्या कोई पेड़ हूँ जो मुझ में संतरे आते है?
में : यह वाले संतरे मैंने भाभी के बूब्स को दबाते हुए कहा आहह आहह और भाभी आपके खरबूज़े भी बहुत अच्छे हैं।
भाभी : क्या खरबूज़े? मुझमें खरबूज़े कहाँ हैं?
में : भाभी मेरा मतलब आपके कुल्हे।
भाभी : नहीं.. तुम झूठे बोलते हो।
फिर यह कहकर भाभी खड़ी हो गयी और अपनी सलवार नीचे कर दी.. भाभी ने काली कलर की पेंटी पहनी हुई थी।
भाभी : देखो ना कितने बड़े हैं मेरे कुल्हे।
फिर में तो देखता ही रह गया और भाभी के कुल्हे मेरे मुहं के पास थे और में भाभी के कूल्हों पर हाथ घुमाने लगा और कहने लगा कि भाभी मुझे तो ऐसे ही कुल्हे बहुत अच्छे लगते हैं बड़े और मुलायम भाभी आपके कुल्हे की खुश्बू बहुत अच्छी है.. यह कहकर में मनीषा भाभी के कूल्हों पर किस करने लगा और में भाभी की गांड में जीभ डालने लगा।
भाभी : ओऊओ धवल यह क्या कर रहे हो?
में : भाभी मुझे खरबूज़े बहुत अच्छे लगते हैं।
भाभी : शईई और तुम्हे क्या क्या अच्छा लगता है?
में : आपकी चूत
और में उनके जवाब में भाभी की चूत दबाने लगा।
भाभी : ऊहहआह आह धवल चूत को दबाते नहीं हैं।
में : भाभी इस पोजिशन से में चूत को चाट नहीं सकता।
भाभी : धवल कार की पिछली सीट पर चूत चाटी जा सकती है।
फिर हम दोनों पिछली सीट पर आ गये और भाभी ने अपने दोनों पैर खोल दिए और अपनी चूत पर हाथ रखकर धवल यह रही तुम्हारी चूत। तो में भाभी की चूत चाटने लगा और मनीषा भाभी सीट पर लेटी हुई थी.. मेरी जीभ भाभी की चूत पर और मेरे हाथ भाभी के बूब्स को दबा रहे थे.. में करीब 10 मिनट तक भाभी की चूत में जीभ घुसाता रहा।
भाभी : धवल.. क्या तुम्हारी पेन्सिल तीखी है?
में : क्या मतलब?
भाभी : बुद्धू मेरे पास शॉपनर है और पेन्सिल तुम्हारे पास है।
में : हाँ भाभी मेरी पेन्सिल को तीखा कर दीजिए।
भाभी : लेकिन पहले तुम अपनी पेन्सिल दिखाओ।
तो मैंने अपनी जीन्स उतार दी और मैंने अंडरवियर नहीं पहना था। तो भाभी बोली कि यह तो बड़ा मस्त है। फिर में अपना लंड भाभी के मुहं के पास ले गया तो भाभी ने जल्दी से उसे अपने मुहं में ले लिया और कुछ देर तक भाभी मेरे लंड को चूसती रही और फिर बोली।
भाभी : धवल तुम्हारा लंड बहुत अच्छी क्वालिटी का है
में : भाभी क्या आपकी चूत भी अच्छी क्वालिटी की है?
भाभी : यह तो लंड के अंदर जाने पर ही पता चलेगा।
में : तो क्या भाभी में डाल दूँ अंदर अपना लंड?
भाभी : हाँ डाल दो और चोदो मुझे जोर जोर से प्लीज जल्दी से डालो और चोदो मुझे।
फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया और जोर जोर से धक्के देने लगा।
भाभी : धवल डार्लिंग तुम्हारे लंड से मेरी अच्छे से चुदाई करो.. लेकिन धवल मेरे संतरों को ना भूलो इन्हे तुम्हारे हाथों की सख़्त ज़रूरत है।
में : भाभी आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है।
भाभी : हाँ धवल.. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है.. लेकिन बच्चे अपनी भाभी के संतरों से मिल्कशेक तो पियो।
फिर में धक्के देने के साथ साथ भाभी के निप्पल को मुहं में लेकर चूसता रहा।
भाभी : ओह्ह्ह धवल और तेज़ तेज़ तेज़ धक्का मारो आज अच्छी तरह ले लो मेरी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर और दिए करीब 15 मिनट बाद..
भाभी : अह्ह्ह धवल तेज़ और तेज में झड़ने वाली हूँ।
फिर में और भाभी एक साथ ही झड़ गये
भाभी : आएयायाहा उफ्फ्फ धवल में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ आज मुझे पहली बाद चुदाई का मज़ा आ गया।
में : हाँ भाभी आपकी चूत ग़ज़ब की है।
भाभी : तुम्हारा लंड भी कमाल का है भाभी में अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।
भाभी : क्या गांड? मैंने तेरे भाई से कभी गांड नहीं मरवाई।
में : लेकिन मुझे तो मारने दोगी ना?
भाभी : हाँ पक्का.. लेकिन बाकी का काम घर चलकर करेंगे और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे।
फिर हम घर पर चले गये.. मनीषा भाभी किचन में गई तो मैंने मनीषा भाभी को पीछे से पकड़ लिया और फिर वो किचन पट्टी पर घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से कपड़े उतार कर भाभी की पेंटी निकाल दी और भाभी को घोड़ी बनाकर उसकी विशाल मोटी गांड के छेद में मेरा लंड टिकाया। फिर दोनों हाथ आगे ले जाकर बड़े बड़े बूब्स को पकड़कर ज़ोर से पीछे से धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड मनीषा भाभी की गांड में चला गया। तो भाभी बहुत जोर से चिल्लाईईईई ऊऊऊऊऊहह माँ मरी धवल और जोर से चोदो और मैंने आख़िर वीर्य की पिचकारी भाभी की गांड में छोड़ दी। दोस्तों यह थी मेरी भाभी की चुदाई उसके बाद से मैंने भाभी को कार सिखाते सिखाते कई बार गांड, चूत मारी और उसके अलावा मैंने उनको घर पर भी बहुत सी बार चोदा। मैंने कार के साथ साथ उनको चुदना भी सिखा दिया ।।
तुम मुझे कार चलाना सिखा दो
दोस्तों यह बात तब की है जब में 12th क्लास में था और मेरी भाभी का नाम मनीषा है.. उनकी उम्र करीब 32 साल है। वो दिखने में बहुत सेक्सी है और ख़ासकर उनके कुल्हे बहुत बड़े बड़े और मौटे है और उनके बूब्स भी बहुत बड़े और भारी है। वो एक टिपिकल इंडियन औरत लगती है.. हील वाली सेंडल पहनने के कारण मनीषा भाभी की गांड बहुत मोटी और पीछे से ऊपर की तरफ उठी हुई है। फिर एक दिन में कॉलेज से घर आया।
में : मनीषा भाभी कैसी हो?
भाभी : में बिल्कुल ठीक हूँ.. आप बैठो में कॉफी अभी लाती हूँ।
फिर मनीषा भाभी कॉफी ले आई और बोली कि यह लो धवल कॉफी। तो मैंने कहा कि धन्यवाद
भाभी : बिस्कट भी तो लो।
में : नहीं भाभी इसकी ज़रूरत क्या है?
भाभी : कॉफी तो पियो ठंडी हो रही है.. मार्केट से कुछ भी लाना हो तो में नहीं ला सकती।
में : क्यों मनीषा भाभी?
भाभी : क्योंकि तुम्हारे भाई अक्सर बाहर रहते है और मार्केट यहाँ से बहुत दूर है रिक्शे से जाने में बहुत टाईम लगता है और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।
में : भाभी इसमें प्राब्लम क्या है? आपको जब कुछ चाहिए हो तो आप मुझे कह दीजिएगा।
भाभी : नहीं ऐसी कोई बात नहीं है और सब ठीक है.. धवल तुम्हे कार चलानी आती है तो फिर मुझे भी सिखा दो। क्या तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो? और तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे भाई तो सारा दिन कामो में व्यस्त रहते हैं और आज कल तो हमारी कार खाली ही पड़ी है.. तुम्हारे भाई को तो ऑफिस की कार मिल गई हैं।
में : हाँ भाभी यह तो बहुत अच्छी बात है और में आपको बहुत ही जल्द कार चलाना सिखा दूँगा।
भाभी : लेकिन फिर भी कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?
में : करीब एक हफ़्ता तो लगेगा ही।
भाभी : तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।
में : ठीक है भाभी
भाभी : थोड़ी दूरी पर ही शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राउंड है जो हमेशा खाली रहता है।
में : ठीक है तो वहीं चलेंगे कल से दोपहर में।
भाभी : लेकिन दोपहर में तो बहुत गर्मी होती है।
में : दोपहर में इसलिए की उस वक़्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो वैसे भी एयरकंडीशंड है।
में : में क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखेगें तो मुझे बहुत शरम आती है।
भाभी : तुम्हे तो कोई प्राब्लम नहीं है ना।
में : जी बिल्कुल नहीं।
भाभी : तो फिर ठीक है धवल कल से पक्का।
में : हाँ भाभी जैसा आप कहो।
फिर में अगले दिन ठीक 10 बजे घर पर पहुंच गया और मनीषा भाभी ने उस दिन हरे कलर का सूट पहना हुआ था। मनीषा भाभी थोड़ी मोटी और काली है.. लेकिन मुझे तो भाभी बहुत सेक्सी लगती है। तो हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राउंड में गये और आस पास कोई भी नहीं था क्योंकि वो दोपहर का वक़्त था। तो मैंने ग्राउंड में पहुँच कर भाभी को कार सिखानी शुरू की।
में : भाभी.. पहले तो में आपको गियर डालना सिखाता हूँ।
फिर में कुछ देर तक मनीषा भाभी को गियर, एक्सीलेटर, क्लच, ब्रेक आदि के बारे में बताता रहा।
में : चलिए भाभी अब आप चलाईए।
भाभी : मुझे बहुत डर लग रहा है।
में : कैसा डर भाभी?
भाभी : कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो क्या होगा?
में : उसके लिए में साथ में हूँ ना।
फिर मनीषा भाभी ड्राईवर सीट पर बैठ गयी और में ड्राईवर के साथ वाली सीट पर आ गया।
फिर मनीषा भाभी ने कार चलानी शुरू की.. लेकिन भाभी ने एकदम से ही रेस दे दी तो एकदम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी और मनीषा भाभी बहुत घबरा गयी तो मैंने कहा कि..
में : भाभी एक्सीलेटर से पैर हटाइए।
फिर मनीषा भाभी ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में की।
भाभी : मैंने पहले ही कहा था कि मुझसे नहीं चलेगी।
में : कोई बात नहीं भाभी.. पहली बार ऐसा ही होता है।
भाभी : नहीं में कार सीख ही नहीं सकती और मुझसे नहीं चलेगी।
में : चलेगी.. चलिए अब स्टार्ट कीजिए और फिर ट्राई करिए.. लेकिन इस बार एक्सीलेटर आराम से छोड़ना।
भाभी : नहीं मुझसे नहीं होगा।
में : भाभी शुरू शुरू में सभी से ग़लतियाँ होती हैं कोई बात नहीं।
भाभी : नहीं मुझे डर लगता है।
में : अच्छा तो एक काम करते हैं में भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ फिर आपको डर नहीं लगेगा।
भाभी : लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?
में : आप मेरी गोद में बैठ जाना में स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गियर कंट्रोल करना।
भाभी : लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?
में : भाभी इस वक़्त यहाँ पर कोई नहीं आएगा और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर ब्लेक फिल्म लगी है इससे अंदर का कुछ दिखाई नहीं देता।
भाभी : चलो फिर ठीक है।
फिर में ड्राईवर सीट पर बैठा और मनीषा भाभी मेरी गोद में और जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरे बदन से करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था और फिर मैंने कार स्टार्ट की।
में : भाभी क्या आप तैयार हो?
भाभी : हाँ में तैयार हूँ.. लेकिन मुझे सिर्फ़ गियर ही संभालने हैं ना।
में : हाँ भाभी आज के दिन आप सिर्फ़ गियर ही सीखो।
फिर कार चलनी शुरू हुई क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और भाभी मेरी गोद में.. इसलिए मेरी बाहें भाभी की छाती के साईड से छू रही थी और मनीषा भाभी के बूब्स थे भी बहुत बड़े.. भाभी थोड़ा असुविधा महसूस कर रही थी.. इसलिए वो मेरी जांघों पर ना बैठकर मेरे लंड के पास बैठी थी। में जैसे ही कार को घुमाता तो भाभी के पूरे बूब्स मेरी बाहों को छू जाते थे.. भाभी गियर सही बदल रही थी।
भाभी : क्यों धवल में ठीक कर रहीं हूँ ना?
में : हाँ भाभी आप बिल्कुल सही कर रही हो.. अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजीए।
भाभी : ठीक है।
क्योंकि भाभी मेरी गोद में बहुत आगे होकर बैठी थी इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्राब्लम हो रही थी।
में : भाभी आप थोड़ी पीछे हो जाईए.. तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पाएगा।
अब भाभी मेरी जांघों पर बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिए।
में : भाभी थोड़ा और पीछे हो जाईए।
भाभी : और कितना पीछे होना पड़ेगा?
में : आप जितना हो सकती हो।
भाभी : ठीक है।
अब भाभी पूरी तरह से मेरे लंड पर बैठी थी। मैंने अपने हाथ भाभी के हाथों पर रख दिए और स्टियरिंग कंट्रोल सिखाने लगा। फिर जब भी कार घुमानी होती तो भाभी के कुल्हे मेरे लंड में घुस जाते और भाभी के बूब्स इतने बड़े थे कि वो मेरे हाथों को छू रहे थे और में जानबूझ कर उनके बूब्स को छू रहा।
में : भाभी अब एक्सीलेटर भी आप संभालिए।
भाभी : कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल ना हो जाए।
में : भाभी अब तो में बैठा हूँ ना।
तो मनीषा भाभी ने फिर से पूरा एक्सीलेटर दबा दिया तो कार ने एकदम स्पीड पकड़ ली.. इस पर मैंने एकदम से ब्रेक लगा दी तो कार एकदम से रुक गयी और भाभी को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। मैंने इस पर भाभी के बूब्स को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर भाभी को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया और कार वहीं पर रुक गयी थी और भाभी के बूब्स मेरे हाथों में थे। तो भाभी बोली कि मैंने कहा था कि में फिर कुछ ग़लती करूँगी।
( अभी भी मनीषा भाभी के बूब्स मेरे हाथ में ही थे। )
में : कोई बात नहीं कम से कम गियर तो बदलना सीख लिया।
भाभी : शायद मुझे स्टियरिंग सम्भालना कभी नहीं आएगा?
में : एक बार और ट्राई कर लेते हैं।
भाभी : ठीक है।
अभी भी मनीषा भाभी के बूब्स मेरे हाथ में थे और उन्होंने मुझे अहसास दिलाने के लिए कि मेरे हाथ उनके बूब्स पर हैं भाभी ने बूब्स को हल्का सा झटका दिया। तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिए। तो मैंने कार फिर से स्टार्ट की और भाभी ने अपने दोनों हाथ स्टियरिंग पर रख लिए और मैंने अपने हाथ भाभी के हाथों पर रख दिए।
में : एक्सीलेटर में ही संभालूँगा आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालो।
भाभी : यही में कहने वाली थी।
फिर कुछ देर तक भाभी को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैंने बोला कि भाभी अब में स्टियरिंग से हाथ हटा रहा हूँ.. अब आप अकेले ही संभालो।
भाभी : हाँ अब मुझे थोड़ा विश्वास आ रहा है.. लेकिन तुम अपने हाथ तैयार रखना कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल हो जाए।
में : भाभी मेरे हाथ हमेशा तैयार रहतें हैं।
तो मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठाकर भाभी के बूब्स पर रख दिए। में तो भाभी से बहुत कुछ उम्मीद कर रहा था.. लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा।
भाभी : धवल मुझे कसकर पकड़ना.. कहीं ब्रेक मारने पर में स्टियरिंग में ना घुस जाऊं।
में : ठीक है भाभी में कसकर पकड़ता हूँ और फिर मैंने भाभी के बूब्स दबा दिए तो मनीषा भाभी के मुहं से आह आ निकल गयी।
भाभी : धवल मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही बहुत है.. चलो अब घर चलते हैं।
में : ठीक है भाभी।
तो भाभी मेरी गोद से उठकर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम घर चल दिए।
में : ठीक है भाभी में चलता हूँ।
भाभी : खाना खाकर चले जाना।
में : नहीं मुझे खाना नहीं खाना।
भाभी : तो ठीक है कल 10 बजे घर जरुर आ जाना।
फिर में अपने घर पर चला गया और फिर दूसरे दिन हम फिर से कार सीखने उसी ग्राउंड में आ गये।
भाभी : तो धवल आज कहाँ से शुरू करेंगे?
में : भाभी मेरे ख्याल से आप पहले स्टियरिंग में थोड़ा बहुत सीख जाईये उसके बाद और कुछ करेंगे ठीक है.. कल जैसे ही बैठना है।
भाभी : ठीक है।
आज भाभी ने सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी। भाभी आज सीधे आकर मेरे लंड पर बैठ गयी और आज भाभी की सलवार थोड़ी टाईट थी और पूरी भाभी के कूल्हों से चिपकी हुई थी। फिर हमने कार चलानी शुरू की और भभी ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए और मैंने अपने हाथ मनीषा भाभी के हाथों पर रख लिए आज भाभी के कुल्हे मेरे लंड पर बार बार हिल रहे थे.. तो कुछ देर बाद मैंने कहा कि..
में : भाभी अब में अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ।
भाभी : हाँ तुम अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो।
तो मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठाकर भाभी की बूब्स पर रख दिए और वाह मज़ा आ गया भाभी ने ब्रा पहनी थी इससलिए आज भाभी के बूब्स बहुत मुलायम और बड़े लग रहे थे और मैंने मनीषा भाभी के बूब्स को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। भाभी की सिल्क की कमीज़ में उनके बूब्स को दबाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर भाभी ने अपने पैर घुमा लिए और अब उनकी चूत मेरे लंड पर थी.. मैंने अपना एक हाथ भाभी की कमीज़ में डाला और भाभी के बूब्स को दबाने लगा।
में : भाभी मज़ा आ रहा है ना?
भाभी : आहह आहह किसमे कार चलाने में?
में : हाँ कार चलाने में।
भाभी : हाँ मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।
में : भाभी अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया।
तो मैंने अपना दूसरा हाथ भी मनीषा भाभी की कमीज़ में डाल दिया और उसको भी दबाने लगा।
भाभी : आहह धवल तुम आहह यह क्या कर रहे हो?
में : भाभी आपको कार सिखा रहा हूँ।
भाभी : तो धवल तुम्हारे हाथ कार के स्टियरिंग पर होने चाहिए।
में : हाँ भाभी लेकिन.. मुझे आपके स्टियरिंग संभालने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है।
भाभी : तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए.. मुझमें तुम्हे क्या अच्छा लगेगा?
में : भाभी आपकी हर एक चीज़ बहुत अच्छी है।
भाभी : धवल में थोड़ा थक गयी हूँ.. पहले तुम कार रोक लो आगे जाकर थोड़ी झाड़ियाँ हैं तुम कार वहाँ पर ले चलो।
में : ठीक है भाभी।
तो मैंने कार झाड़ियों में ले जाकर रोक ली बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं।
भाभी : हाँ तो धवल तुम्हे मुझ में क्या अच्छा लगता है?
में : एक बात बोलूं?
भाभी : हाँ बोलो मुझे आपके संतरे बहुत अच्छे हैं।
भाभी : क्या संतरे? में क्या कोई पेड़ हूँ जो मुझ में संतरे आते है?
में : यह वाले संतरे मैंने भाभी के बूब्स को दबाते हुए कहा आहह आहह और भाभी आपके खरबूज़े भी बहुत अच्छे हैं।
भाभी : क्या खरबूज़े? मुझमें खरबूज़े कहाँ हैं?
में : भाभी मेरा मतलब आपके कुल्हे।
भाभी : नहीं.. तुम झूठे बोलते हो।
फिर यह कहकर भाभी खड़ी हो गयी और अपनी सलवार नीचे कर दी.. भाभी ने काली कलर की पेंटी पहनी हुई थी।
भाभी : देखो ना कितने बड़े हैं मेरे कुल्हे।
फिर में तो देखता ही रह गया और भाभी के कुल्हे मेरे मुहं के पास थे और में भाभी के कूल्हों पर हाथ घुमाने लगा और कहने लगा कि भाभी मुझे तो ऐसे ही कुल्हे बहुत अच्छे लगते हैं बड़े और मुलायम भाभी आपके कुल्हे की खुश्बू बहुत अच्छी है.. यह कहकर में मनीषा भाभी के कूल्हों पर किस करने लगा और में भाभी की गांड में जीभ डालने लगा।
भाभी : ओऊओ धवल यह क्या कर रहे हो?
में : भाभी मुझे खरबूज़े बहुत अच्छे लगते हैं।
भाभी : शईई और तुम्हे क्या क्या अच्छा लगता है?
में : आपकी चूत
और में उनके जवाब में भाभी की चूत दबाने लगा।
भाभी : ऊहहआह आह धवल चूत को दबाते नहीं हैं।
में : भाभी इस पोजिशन से में चूत को चाट नहीं सकता।
भाभी : धवल कार की पिछली सीट पर चूत चाटी जा सकती है।
फिर हम दोनों पिछली सीट पर आ गये और भाभी ने अपने दोनों पैर खोल दिए और अपनी चूत पर हाथ रखकर धवल यह रही तुम्हारी चूत। तो में भाभी की चूत चाटने लगा और मनीषा भाभी सीट पर लेटी हुई थी.. मेरी जीभ भाभी की चूत पर और मेरे हाथ भाभी के बूब्स को दबा रहे थे.. में करीब 10 मिनट तक भाभी की चूत में जीभ घुसाता रहा।
भाभी : धवल.. क्या तुम्हारी पेन्सिल तीखी है?
में : क्या मतलब?
भाभी : बुद्धू मेरे पास शॉपनर है और पेन्सिल तुम्हारे पास है।
में : हाँ भाभी मेरी पेन्सिल को तीखा कर दीजिए।
भाभी : लेकिन पहले तुम अपनी पेन्सिल दिखाओ।
तो मैंने अपनी जीन्स उतार दी और मैंने अंडरवियर नहीं पहना था। तो भाभी बोली कि यह तो बड़ा मस्त है। फिर में अपना लंड भाभी के मुहं के पास ले गया तो भाभी ने जल्दी से उसे अपने मुहं में ले लिया और कुछ देर तक भाभी मेरे लंड को चूसती रही और फिर बोली।
भाभी : धवल तुम्हारा लंड बहुत अच्छी क्वालिटी का है
में : भाभी क्या आपकी चूत भी अच्छी क्वालिटी की है?
भाभी : यह तो लंड के अंदर जाने पर ही पता चलेगा।
में : तो क्या भाभी में डाल दूँ अंदर अपना लंड?
भाभी : हाँ डाल दो और चोदो मुझे जोर जोर से प्लीज जल्दी से डालो और चोदो मुझे।
फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया और जोर जोर से धक्के देने लगा।
भाभी : धवल डार्लिंग तुम्हारे लंड से मेरी अच्छे से चुदाई करो.. लेकिन धवल मेरे संतरों को ना भूलो इन्हे तुम्हारे हाथों की सख़्त ज़रूरत है।
में : भाभी आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है।
भाभी : हाँ धवल.. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है.. लेकिन बच्चे अपनी भाभी के संतरों से मिल्कशेक तो पियो।
फिर में धक्के देने के साथ साथ भाभी के निप्पल को मुहं में लेकर चूसता रहा।
भाभी : ओह्ह्ह धवल और तेज़ तेज़ तेज़ धक्का मारो आज अच्छी तरह ले लो मेरी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर और दिए करीब 15 मिनट बाद..
भाभी : अह्ह्ह धवल तेज़ और तेज में झड़ने वाली हूँ।
फिर में और भाभी एक साथ ही झड़ गये
भाभी : आएयायाहा उफ्फ्फ धवल में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ आज मुझे पहली बाद चुदाई का मज़ा आ गया।
में : हाँ भाभी आपकी चूत ग़ज़ब की है।
भाभी : तुम्हारा लंड भी कमाल का है भाभी में अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।
भाभी : क्या गांड? मैंने तेरे भाई से कभी गांड नहीं मरवाई।
में : लेकिन मुझे तो मारने दोगी ना?
भाभी : हाँ पक्का.. लेकिन बाकी का काम घर चलकर करेंगे और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे।
फिर हम घर पर चले गये.. मनीषा भाभी किचन में गई तो मैंने मनीषा भाभी को पीछे से पकड़ लिया और फिर वो किचन पट्टी पर घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से कपड़े उतार कर भाभी की पेंटी निकाल दी और भाभी को घोड़ी बनाकर उसकी विशाल मोटी गांड के छेद में मेरा लंड टिकाया। फिर दोनों हाथ आगे ले जाकर बड़े बड़े बूब्स को पकड़कर ज़ोर से पीछे से धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड मनीषा भाभी की गांड में चला गया। तो भाभी बहुत जोर से चिल्लाईईईई ऊऊऊऊऊहह माँ मरी धवल और जोर से चोदो और मैंने आख़िर वीर्य की पिचकारी भाभी की गांड में छोड़ दी। दोस्तों यह थी मेरी भाभी की चुदाई उसके बाद से मैंने भाभी को कार सिखाते सिखाते कई बार गांड, चूत मारी और उसके अलावा मैंने उनको घर पर भी बहुत सी बार चोदा। मैंने कार के साथ साथ उनको चुदना भी सिखा दिया ।।
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