FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--137
जागो सोनेवालों ,
रीत डीप सीडेशन में अभी भी थी।
सुबह के छः बज चुके थे।
सिस्टर ने पर्दा खोला और हलकी गुलाबी धूप स्पेशल वार्ड में पसर गयी।
रीत का चेहरा उतना सफेद नहीं लग रहा था।
सारे ' वाइटल्स ' नार्मल थे।
रीत के देह में लगी ढेर सारी पाइपें उस ने एक के बाद एक निकाल दी। सिर्फ दो आई वी ड्रिप्स रहने दी।
सिडेशन की दवा भी उसने बंद कर दी।
पास के वास में उसने ताजे फूल लगा दिए और डाकटर को फोन किया।
चीफ फिजिशियन दो घंटे बाद आने वाले थे , तब मेडिसिन के बारे में फाइनल फैसला लिया जाना था। ब्लड के सभी तरह के कल्चर रिपोर्ट आ गए थे और नार्मल थे।
उम्मीद थी की दो बजे के आसपास उसके सिडेशन के १२ घंटे पूरे हो जाएंगे , तब उसे जगाया जाएगा।
सिस्टर उस वार्ड से निकल कर बगल के कमरे में गयी , जहाँ बाहर डोंट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा था।
करन गहरी नींद सो रहा था।
चार बजे तो सोया था। और उसे जो नींद की गोली दी गयी थी , उसका असर आठ घंटे तक तो रहना था।
उसके चेहरे की थकान कुछ कम हो रही थी।
सिस्टर दबे पाँव वहां से निकल गयी। १० बजे एक बार फिर आकर , फिर देख लेगी वो।
मंजू
वहां से १५०० किलोमीटर और बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर , आनंद , ( अपना हीरो ) सो रहा था।
मंजू , कुछ देर पहले दबे पाँव वहां से उठ कर गयी थी , घर का काम निपटाने। हाँ उसके पहले , उसने उसे शार्ट पहना दिया था। और झुक कर आधे सोये आधे जागे जंगबहादुर पर एक चुम्मी भी ले ली , चुपके से।
लेकिन बहुत से लोग जग रहे थे।
एंटी टेरर सेंटर में पूरी तरह लोग जगे थे।
सौ से ज्यादा लोग अब तक पकडे जा चुके थे। पचास से ज्यादा जगह रात में छापे पड़े। प्लान यही था की सारी गिरफ्तरियां रात में हो जाय। और ऑलमोस्ट हो भी गयी थीं।
कई जगहों से एक्सप्लोसिव्स , सेट फोन , सेंसिटिव एरिया के प्लान पकड़े गए थे। सारे स्लीपर्स आइसोलेटेड सेल्स में बंद थे और एक्सपर्ट इन्टेरोगेटर्स की टीम उनसे पूछताछ कर रही थी। बाकी जो लोग पकड़े गए थे उनसे प्रिलिमिनरी इन्वेस्टिगेशन बाकी लोग कर रहे थे।
एक टीम फिंगर प्रिंट्स , फोटो ले रही थी और दूसरी फेस आइडिण्टीफिकेशन के आधार पर , पासपोर्ट , पैन कार्ड बैंक अकाउंट्स का डाटा बेस खंगाल रही थी।
कुछ लोग उनके फेस आडिंटिफिकेशन के आधार पर सी सी टीवी क्लिप्स से वो किस से मिल रहे थे , ये तलाश रहे थे।
लेकिन ए टी एस चीफ और एन पी वहां नहीं थे।
वो दोनों लोग सेंट जार्ज हॉस्पिटल में थे , जहां अब ' बॉम्ब मेकर ' को शिफ्ट कर दिया गया था और अब वो सेफ था। डाक्टर से उससे आधे घंटे तक बात की इजाजत दी थी।
ए टी एस चीफ ने उससे कुछ बात की लेकिन वो ज्यादा उगल नहीं रहा था। ये तय हुआ की वो लोग १२ बजे के बाद ,जब उसकी तबियत थोड़ी और ठीक हो जायेगी , तब सोडियम पेंटाथाल का इस्तेमाल कर 'अपने तरीके ' से उगलवाएंगे।
लेकिन तभी नेवी के कमांडो एक आदमी को ले आये। उसका इलाज हो चूका था।
....
ये वही आदमी था। लम्बा , गोरा , तगड़ा। उसके चेहरे पे कई घाव के निशान थे।
जिसने रीत के हेलीकाप्टर पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड लांच किया था।
और रीत मौत के मुंह से वापस लौटी थी।
नेवी के हेलीकाप्टर ने उसके इन्फलेटेबल बोट पर काउंटर अटैक लांच किया था। और कुछ ही देर में उसकी बोट सिंक हो गयी। लेकिन नेवी स्क्यूबा डाइवर्स ने उसे समुद्र के अंदर से निकाला और वहां भी उसने जबरदस्त लड़ाई की। उसे डूबना मंजूर था , लेकिन पकड़ा जाना नहीं।
लेकिन नेवी के डाइवर कमांडो भी थे और वो घायल था , इसलिए बेहोशी की हालत में ही उसे उठा कर ले आये।
लेकिन जब उसके फिंगर प्रिंट्स और फोटोग्राफ शेयर किये गए तो पता चला की वो गोल्ड माइन निकला।
हाईजैकड शिप के कैप्टेन ने उसे पहले ही पहचान लिया था की वही ग्रुप लीडर था।
लेकिन फिंगर प्रिंट्स से कुछ बात पता चली।
उस के प्रिंट्स अमेरिका के मोस्ट वांटेड लिस्ट में नंबर ४ से मैच कर रहे थे।
एक्स थ्री।
अल कायदा का वो मिडल ईस्ट में नंबर दो चीफ आपरेटिव था।
उस के अफ्रीका में भी लिंक थे और सोमालियन पाइरेट्स से वही कांटेक्ट प्वाइंट था।
लेकिन सबसे बड़ी ये थी , की जिसकी अमेरिका को बहुत शिद्दत से तलाश थी , ये उसका ख़ास कूरियर था।
अमेरिका ने तुरंत रेंडिशन की बात की। दोनों देशो की सीक्रेट एजेंसीज में देर रात या अल सुबह बहुत निगोशिएशन हुआ।
तय ये हुआ की कुछ सीक्रेट मिशन में दोनों देश एक साथ काम करेंगे।
और सुबह इंटेरोगेशन के समय उनका एक आदमी वन वे ग्लास के जरिये उसे देख सकेगा।
इसकेसाथ क्वेश्चनिंग की लाइव फीड सीधे लैंग्ले , अमेरिका में री्ले की जायेगी।
अगर ये पूरी तरह कनफर्म हो गया की ये वही है , तो मिडल ईस्ट के एक्सपर्ट , लैंगले से दो विशेष इन्टेरोगेटर कल सुबह तक आ जाएंगे और वो इंटेरोगेशन में हिस्सा लेंगे।
थोड़ी देर में बी के सी में स्थित अमेरिकन कॉन्सुलेट से उनके सांस्कृतिक सचिव को आना था।
( सबको मालुम था की वो साउथ एशिया में सी आई ए चीफ थे )
और वो बगल के कमरे में बैठ गए जहाँ से वन वे ग्लास से वो उसे देख रहे थे।
बी के सी में स्थित अमेरिकन कॉन्सुलेट से उनके सांस्कृतिक सचिव को आना था।
( सबको मालुम था की वो साउथ एशिया में सी आई ए चीफ थे )
और वो बगल के कमरे में बैठ गए जहाँ से वन वे ग्लास से वो उसे देख रहे थे।
ए टी एस चीफ और रा के दो लोग उसे इंट्रोगेट कर रहे थे।
इंट्रोगेशन की वीडियो फीड सीधे लैंगले जा रही थी।
पन्दरह मिनट बाद ही हरी बत्ती जल गयी।
जो इस बात का संकेत था की लैंगले ने कन्फर्म कर दिया की ये वही है।
कुछ ही देर में लाल बत्ती भी जल गयी।
जिसका मतलब साफ था , अब इंट्रोगेशन बंद कर दिया जाय।
और अब कल अमेरिका से आये लोगों के साथ ही उसका इंट्रोगेशन होना था।
उसे सेफ कस्टडी में भेज दिया गया।
ए टी एस चीफ सेंटर में वापस आ गए।
वहां बहुत काम उनका वेट कर रहा था.
मुम्बई में सुबह हो चुकी थी।
बल्कि बहुत पहले हो चुकी थी।
बाकी जगहों पर सुबह कराने का काम , मुर्गों , सूरज इत्यादि के जिम्मे तय किया गया है।
मुम्बई में ये काम लोकल ट्रेने करती हैं।
साढ़े चार बजे की पहली लोकल के साथ , और कभी कुछ पहले ही , शहर अंगड़ाई लेता, रात की थकान उतार फेंकता , ऊंघता उठ खड़ा होता है।
पहली लोकल के पहले ही चर्च गेट स्टेशन की सीढ़ियों, प्लेटफार्म पर मछली वालियां , लगेज कमपार्टमेंट घेरने के लिए तैयार आ कर रोज की तरह बैठ गयी थीं।
उधर बांद्रा , खार स्टेशनों पर बेकरी वाले लोगों के लिए सुबह की ब्रेड लेकर लोकल ट्रेनों में चढ़ना शुरू कर चुके थे।
पांच बजने के साथ साथ मैरीन ड्राइव , वार्ली सी फेस पर कुछ टहलने वाले शुरू हो गए और सुबह की लाली के साथ , फिगर का ख्याल रखने वाले /वालियों की तादाद बढ़ने लगी।
छः बजते बजते , मांए बच्चो के लिए टिफिन तैयार करने अधनींदी किचेन में घुस पड़ती है।
और साढे छ , सात तक बच्चे स्कूल के लिए लोकल ट्रेनों में , बसो में निकल पड़े।
किसी को उनमें इमकान नहीं था की कल शाम चर्च गेट स्टेशन पर कत्ले आम होना था।
सैकड़ों लोग मारे गए होते। चर्च गेट स्टेशन ध्वंस कर दिया जाता।
सी एस टी एम के सब वे में गैस कितने लोगों की जान चुकी होती।
अँधेरी में एक भयानक ट्रेन ऐक्सिडेंट होता।
जेजे फ्लआईओवर सहित , और कितने ब्रिज गिराये जा चुके होते।
रात को चैन से सोएं उसके लिए रात भर कितने लोग जागते हैं। जे एन पोर्ट पर महीनो तक न बुझने वाली आग लगी होती।
बॉम्बे हाई आतंकियों के कब्जे में होता।
दिल्ली
दिल्ली में भी बहुत लोगो ने रात भर जागते हुए गुजारी और वो अब भी जग रहे थे।
स्पेशल सेक्रेटरी होम ( इंटरनल सिक्योरिटी ) के कमरे में उनके साथ रा , आई बी के आपरेशन चीफ के साथ और भी आपरेशन से जुड़े लोग बैठे थे।
सुबह वो लोग होम सेक्रेटरी के कमरे में शिफ्ट कर गए थे , जहाँ होम सेक्रेटरी के साथ रा , आई बी , नेवल इंटेलिजेंस के हेड बैठे थे। कुछ देर पहले उन्होंने होम मिनिस्टर को ब्रीफ किया था।
छ: राज्यों के डी जी पोलिस से बात हो चुकी थी। बाकी से बात हो रही थी। आई बी और रॉ ने बताया की एक मित्र देश की सहायता , से अब पड़ौसी देश में कार्यवाही का प्लान है। उसके हमले को रोक दिया गया , और अब जवाबी हमले की तैयारी है।
कुछ देर में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भी वहां आ आरहे थे।
साढ़े नौ बजे वो और कैबिनेट सेक्रेटरी प्राइम मिनिस्टर को ब्रीफ करते।
पौने बारह बजे कैबिनेट कमेटी आफ सिक्योरिटी की बैठक बुलाई गयी।
गुड्डी , रंजी , दिया और ,… जिया
रीत डीप सिडेशन में थी।
करन उसी हॉस्पिटल में सो रहा था।
अपने शहर में आनंद इस कहानी की शुरुआत जिससे हुयी सो रहा था।
और उसी शहर के एक दूसरे मोहल्ले में , गुड्डी और रंजी अभी थोड़ी देर पहले सोयी थीं।
पौ फटने के बाद।
सारी रात रतजगा करने के बाद। जिया और दिया के साथ।
दिया और जिया निकल चुकी थी , दिया अपने घर के लिए और जिया ,…
कुछ तो सस्पेंस बचा के रखना चाहिए न।
घबड़ाइये मत सब पता चलेगा क्या किया ,रंजी ,गुड्डी , दिया और जिया ने बल्कि जिया के साथ।
…………………………………………….
जब मैं दरवाजे से निकल रहा था , तभी जिया घुसी और मैं उससे आलमोस्ट टकरा गया। मैं रगड़ते हुए निकला और मैंने मुड के पीछे की और देखा।
जो चीज हर लड़का , एक लड़की में सबसे पहले नोटिस करता है वही मैंने नोटिस किया।
जवानी के फूल बस आ रहे थे।
बड़े बड़े टिकोरे , लेकिन थे बहुत दिलकश। जानमारु।
रंजी और गुड्डी से थोड़े ही छोटे , लेकिन लड़को की जान लेने को काफी।
खूब गोरी , चेहरे पे भोलापन था लेकिन एक नमक भी था।
,
जिस दिन उसकी मशीन चालू हो गयी दिया के भी कान काटेगी , ये पक्का था।
रंजी , ने मुझे उसके उभारो को देखते हुए देख लिया और मुस्कराई , फिर जिया से बोली। " मेरे भैया , पसंद आये क्या। कहो तो रोक लूँ , ये भी ज्वाइन कर लेंगे हमारे साथ। "
जिया मुझे देख के मुस्कराई , फिर बहुत जोर से ब्लश की , और रंजी के पीठ पे जोर से मुक्का मारते हुए बोली धत्त। और तीनों बिजलियां अंदर घुस गयीं।
दरवाजा बंद हो गया।.
Yahan
रंजी , दिया , गुड्डी और जिया
यहाँ तक तो सबको पता है , लेकिन बंद दरवाजे के पीछे क्या हुआ ?
कैसे गुजरी उन शोख किशोरियों की रात ?
पजामा पार्टी में किसके किसके पजामें उतरे ?
दिया और गुड्डी की तो फट ही चुकी थी , दिया के भैया के साथ और गुड्डी की गुड्डी के सैयां के साथ , होनेवाले ही सही।
रंजी के लिए तो मुहूर्त का इन्तजार हो रहा था , वरना उसकी प्यारी गुलाबी परी के लिए तो मोटा मूसल कब से तय हो चूका था।
रही बात जिया की तो वो कहानी में नयी नयी आई है , इसलिए उसका हालचाल बताना , कुछ उसके 'पिछवाड़े ' मेरा मतलब बैकग्राउंड के बारे में बताना जरूरी है।
जिया
रही बात जिया की तो वो कहानी में नयी नयी आई है , इसलिए उसका हालचाल बताना , कुछ उसके 'पिछवाड़े ' मेरा मतलब बैकग्राउंड के बारे में बताना जरूरी है।
जिया उसी क्लास में थी , उसी स्कूल में थी जिस में रंजी और दिया थीं , लेकिन थोड़ी बल्कि बहुत अलग।
दिया तो रंजी के चंडाल चौकड़ी की मुखिया ही थी , सबसे बिंदास , सबसे फराक और न सिर्फ अपने भाई से अपनी चक्की चलवाती थी , बल्कि अपनी सहेलियों की प्यासी रामपियारी के लिए अपने भाई को बांटने के लिए तैयार रहती थी।
भाई भी उसका बगल के कालेज में पढता था , और उसका एक जबरदस्त बाइकर ग्रूप था , उसकी पहली शर्त थी ६ और ८। यानी लम्बाई ६ फूट से ज्यादा और ' वो ' ८ इंच से ज्यादा , तभी उस गुट में एंट्री मिल सकती थी।
जो सबसे फास्ट बाइक होती थी वो उसके जांघो के नीचे होती थी और जो सबसे 'हाट' लड़की होती थी वो।
न ना सुनना उसे पसंद था , न कोई लड़की उसे ना करती थी , बल्कि सब खुद हाथ पे ले के टहलती रहती थीं, उसके पीछे। कई तो दिया के पीछे पड़ी रहती थीं , बस एक बार इंट्रो करवा दे किसी तरह। लेकिन दिया के भाई को सिर्फ कच्ची कलियाँ पसंद थी ,जिनकी सील वो खुद खोले।
कालेज में दिया और उसके भाई का जलवा था।
लेकिन तभी जिया आई उनके, स्कूल में , जैसे कोई तेज मेटल , हार्ड रॉक का शोर अचानक रुक जाए और मीठी सी बांसुरी बजने लगे , ढेर सारे चीखते चिल्लाते रंगो के बीच ,श्वेत श्याम आ जाए ,बस उसी तरह।
सीधी साधी , एकदम बहनजी मार्का , हॉल्टर टॉप और मिनी स्कर्ट्स , स्पैन्डेक्स और लो जींस के बीच , शलवार कुर्ते में एकदम जैसे किसी माल मे खद्दर भंडार की तरह , ऐसी ड्रेस जिसमे न कटाव का पता चले न उभार का।
जहाँ फेस बुक के बिना सुबह शाम नहीं होती और उसका अकाउंट होना , व्हाट्सऐप होना , कालेज के रोल नंबर से ज्यादा जरूरी था , कई के तो कई कई एकाउंट थे ( दिया के चार थे ), वहां उसे फेसबुक क्या है , इसका पता नहीं। और सबसे पहले खिल्ली उसकी इसी बात पर उडी। जहाँ लडकिया हार्डड्रिंक्स , और स्मोकस कराती थी वो भी स्पेशल वाली , वो नींबू पानी वाली।
लेकिन नमक उसमें जबरदस्त था। सुरु के पेड़ की तरह छरहरा बदन , गोरी गुलाबी , भरे भरे गाल , कान से बाते करती बड़ी बड़ी कजरारी आँखे , लम्बी गर्दन , नितम्ब से भी नीचे तक आते काले बाल। बिना मेकअप के भी उन शोख तितलियों से वो बीस पड़ती।
और सबसे ज्यादा लड़कियों कोइस बात का मलाल था की जिस दिन जिया के पर निकल आये , वो सब के पर काट देगी।
लेकिन जिया सिर्फ पढ़ाई और पढ़ाई , और दोस्ती उस की हुयी रंजी से। इसलिए की उसके आने के पहले रंजी हरदम क्लास में फर्स्ट आती थी ,उसके साथ डिबेट हो , क्विज हो सब में रंजी। लेकिन जिया के आने के बाद कभी जिया फर्स्ट आती तो कभी रंजी और क्विज में उनकी टीम , स्टेट में फर्स्ट आई ,बोर्नविटा कांटेस्ट में सेमीफायनल तक पहुंची।
और रंजी से दोस्ती हुयी तो दिया से भी।
और एक दिन गड़बड़ हो गया।
दिया के भाई ने जिया के कंधे पर हाथ रख दिया।
वो स्कूल में अकेले आ रही थी , की वो पीछे से बाइक से आया और , हाथ सीधे कंधे पे।
कोई दूसरी लड़की होती तो एक हाथ से अपनी फेसबुक की स्टेट्स आप डेट करती और दूसरे हाथ से उसे पकड़ कर बाइक के पीछे।
दिया के भाई का हाथ सरक कर जिया के टीकोरों तक पहुंचता , उसके पहले जिया ने हाथ उठा दिया।
गनीमत थी की, उसी समय पीछे से रंजी और दिया आ रही थीं।
रंजी ने जिया का हाथ पकड़ लिया।
और मौके को सम्हाल लिया। मन में तो उसे जिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था , जिस लड़के के खूंटे पे बैठने के लिए सारी लड़कियां मरी पड़ती थीं , उसने जरा सा कंधे पे हाथ रख दिया तो ,
" अरे जिया तुम न , उस ने समझा होगा की मैं हूँ। आज मैंने उसे बोला था की मैं उसड्रेस में आउंगी जिस में तू आती है रोज। और भैया से तो मेरी दोस्ती है , इसलिए मेरे कंधे पे तो हाथ रख के ही बात करते हैं। " रंजी ने जिया को समझाया।
लेकिन जिया तो आग का गोला हो रही थी। सुनने को तैयार नहीं , सीधे प्रॉक्टर के पास जाने को बोल रही थी।
रंजी के बहुत समझाने पर मानी।
,
और दूसरा काम और टेढ़ा था , दिया के भाई को मनाना।
दिया का भाई ज्वालामुखी बना बैठा था।
कैम्पस में उसकी बेइज्जती हो गयी।
एक लड़की ने उसके ऊपर हाथ उठा दिया , और कुछ नहीं कर पाया।
और रंजी को देखते ही वो बिफर पड़ा ,
" समझती है क्या साल्ली वो लौंडिया अपने को , स्कूल में से उठवा लूँ जब चाहूँ तब , सारे शहर के गुंडे चढ़ा दूंगा उसके ऊपर , रंडी बना के चोदेंगे। ज़रा सी जवानी क्या चढ़ी साली को , "
रंजी ने उसके गुस्से को ठंडा किया ,
" मैं कहाँ कहती हूँ , उसको सजा मत दो। सजा तो उसे मिलेगी ही। लेकिन कोई जरूरी है आज ही सब हो , दो महीने में यूनियन का इलेक्शन है और अबकी आप को प्रेसीडेंट होना है ,
और फिर वो प्रॉक्टर , जिससे वो शिकायत करती , अपोजिशन से मिला है। वो तो मौका ही देख रहा है। बस एक बार इलेक्शन हो जाने दीजिये , फिर अाराम से , वो कौन सा शहर छोड़ के जाने वाली है।
और सब आपकी बड़ाई ही करेंगे की कितना कंट्रोल है , और वैसे भी रिवेंज इज अ डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड। और आप भले भूल जाएँ ,मैं याद रखूंगी। और एक दिन खुद अपने पैरों पे चल के आएगी टांग फैलाने। "
रंजी की डिप्लोमैसी से दोनों पक्ष शांत हो गए। यहाँ तक की आमने सामने मिलने पर पोलाइट दुआ सलाम भी हो जाती थी।
चलिए कहानी को थोड़ा फास्ट फारवर्ड करते है।
फागुन के दिन चार--137
जागो सोनेवालों ,
रीत डीप सीडेशन में अभी भी थी।
सुबह के छः बज चुके थे।
सिस्टर ने पर्दा खोला और हलकी गुलाबी धूप स्पेशल वार्ड में पसर गयी।
रीत का चेहरा उतना सफेद नहीं लग रहा था।
सारे ' वाइटल्स ' नार्मल थे।
रीत के देह में लगी ढेर सारी पाइपें उस ने एक के बाद एक निकाल दी। सिर्फ दो आई वी ड्रिप्स रहने दी।
सिडेशन की दवा भी उसने बंद कर दी।
पास के वास में उसने ताजे फूल लगा दिए और डाकटर को फोन किया।
चीफ फिजिशियन दो घंटे बाद आने वाले थे , तब मेडिसिन के बारे में फाइनल फैसला लिया जाना था। ब्लड के सभी तरह के कल्चर रिपोर्ट आ गए थे और नार्मल थे।
उम्मीद थी की दो बजे के आसपास उसके सिडेशन के १२ घंटे पूरे हो जाएंगे , तब उसे जगाया जाएगा।
सिस्टर उस वार्ड से निकल कर बगल के कमरे में गयी , जहाँ बाहर डोंट डिस्टर्ब का बोर्ड लगा था।
करन गहरी नींद सो रहा था।
चार बजे तो सोया था। और उसे जो नींद की गोली दी गयी थी , उसका असर आठ घंटे तक तो रहना था।
उसके चेहरे की थकान कुछ कम हो रही थी।
सिस्टर दबे पाँव वहां से निकल गयी। १० बजे एक बार फिर आकर , फिर देख लेगी वो।
मंजू
वहां से १५०० किलोमीटर और बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर , आनंद , ( अपना हीरो ) सो रहा था।
मंजू , कुछ देर पहले दबे पाँव वहां से उठ कर गयी थी , घर का काम निपटाने। हाँ उसके पहले , उसने उसे शार्ट पहना दिया था। और झुक कर आधे सोये आधे जागे जंगबहादुर पर एक चुम्मी भी ले ली , चुपके से।
लेकिन बहुत से लोग जग रहे थे।
एंटी टेरर सेंटर में पूरी तरह लोग जगे थे।
सौ से ज्यादा लोग अब तक पकडे जा चुके थे। पचास से ज्यादा जगह रात में छापे पड़े। प्लान यही था की सारी गिरफ्तरियां रात में हो जाय। और ऑलमोस्ट हो भी गयी थीं।
कई जगहों से एक्सप्लोसिव्स , सेट फोन , सेंसिटिव एरिया के प्लान पकड़े गए थे। सारे स्लीपर्स आइसोलेटेड सेल्स में बंद थे और एक्सपर्ट इन्टेरोगेटर्स की टीम उनसे पूछताछ कर रही थी। बाकी जो लोग पकड़े गए थे उनसे प्रिलिमिनरी इन्वेस्टिगेशन बाकी लोग कर रहे थे।
एक टीम फिंगर प्रिंट्स , फोटो ले रही थी और दूसरी फेस आइडिण्टीफिकेशन के आधार पर , पासपोर्ट , पैन कार्ड बैंक अकाउंट्स का डाटा बेस खंगाल रही थी।
कुछ लोग उनके फेस आडिंटिफिकेशन के आधार पर सी सी टीवी क्लिप्स से वो किस से मिल रहे थे , ये तलाश रहे थे।
लेकिन ए टी एस चीफ और एन पी वहां नहीं थे।
वो दोनों लोग सेंट जार्ज हॉस्पिटल में थे , जहां अब ' बॉम्ब मेकर ' को शिफ्ट कर दिया गया था और अब वो सेफ था। डाक्टर से उससे आधे घंटे तक बात की इजाजत दी थी।
ए टी एस चीफ ने उससे कुछ बात की लेकिन वो ज्यादा उगल नहीं रहा था। ये तय हुआ की वो लोग १२ बजे के बाद ,जब उसकी तबियत थोड़ी और ठीक हो जायेगी , तब सोडियम पेंटाथाल का इस्तेमाल कर 'अपने तरीके ' से उगलवाएंगे।
लेकिन तभी नेवी के कमांडो एक आदमी को ले आये। उसका इलाज हो चूका था।
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ये वही आदमी था। लम्बा , गोरा , तगड़ा। उसके चेहरे पे कई घाव के निशान थे।
जिसने रीत के हेलीकाप्टर पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड लांच किया था।
और रीत मौत के मुंह से वापस लौटी थी।
नेवी के हेलीकाप्टर ने उसके इन्फलेटेबल बोट पर काउंटर अटैक लांच किया था। और कुछ ही देर में उसकी बोट सिंक हो गयी। लेकिन नेवी स्क्यूबा डाइवर्स ने उसे समुद्र के अंदर से निकाला और वहां भी उसने जबरदस्त लड़ाई की। उसे डूबना मंजूर था , लेकिन पकड़ा जाना नहीं।
लेकिन नेवी के डाइवर कमांडो भी थे और वो घायल था , इसलिए बेहोशी की हालत में ही उसे उठा कर ले आये।
लेकिन जब उसके फिंगर प्रिंट्स और फोटोग्राफ शेयर किये गए तो पता चला की वो गोल्ड माइन निकला।
हाईजैकड शिप के कैप्टेन ने उसे पहले ही पहचान लिया था की वही ग्रुप लीडर था।
लेकिन फिंगर प्रिंट्स से कुछ बात पता चली।
उस के प्रिंट्स अमेरिका के मोस्ट वांटेड लिस्ट में नंबर ४ से मैच कर रहे थे।
एक्स थ्री।
अल कायदा का वो मिडल ईस्ट में नंबर दो चीफ आपरेटिव था।
उस के अफ्रीका में भी लिंक थे और सोमालियन पाइरेट्स से वही कांटेक्ट प्वाइंट था।
लेकिन सबसे बड़ी ये थी , की जिसकी अमेरिका को बहुत शिद्दत से तलाश थी , ये उसका ख़ास कूरियर था।
अमेरिका ने तुरंत रेंडिशन की बात की। दोनों देशो की सीक्रेट एजेंसीज में देर रात या अल सुबह बहुत निगोशिएशन हुआ।
तय ये हुआ की कुछ सीक्रेट मिशन में दोनों देश एक साथ काम करेंगे।
और सुबह इंटेरोगेशन के समय उनका एक आदमी वन वे ग्लास के जरिये उसे देख सकेगा।
इसकेसाथ क्वेश्चनिंग की लाइव फीड सीधे लैंग्ले , अमेरिका में री्ले की जायेगी।
अगर ये पूरी तरह कनफर्म हो गया की ये वही है , तो मिडल ईस्ट के एक्सपर्ट , लैंगले से दो विशेष इन्टेरोगेटर कल सुबह तक आ जाएंगे और वो इंटेरोगेशन में हिस्सा लेंगे।
थोड़ी देर में बी के सी में स्थित अमेरिकन कॉन्सुलेट से उनके सांस्कृतिक सचिव को आना था।
( सबको मालुम था की वो साउथ एशिया में सी आई ए चीफ थे )
और वो बगल के कमरे में बैठ गए जहाँ से वन वे ग्लास से वो उसे देख रहे थे।
बी के सी में स्थित अमेरिकन कॉन्सुलेट से उनके सांस्कृतिक सचिव को आना था।
( सबको मालुम था की वो साउथ एशिया में सी आई ए चीफ थे )
और वो बगल के कमरे में बैठ गए जहाँ से वन वे ग्लास से वो उसे देख रहे थे।
ए टी एस चीफ और रा के दो लोग उसे इंट्रोगेट कर रहे थे।
इंट्रोगेशन की वीडियो फीड सीधे लैंगले जा रही थी।
पन्दरह मिनट बाद ही हरी बत्ती जल गयी।
जो इस बात का संकेत था की लैंगले ने कन्फर्म कर दिया की ये वही है।
कुछ ही देर में लाल बत्ती भी जल गयी।
जिसका मतलब साफ था , अब इंट्रोगेशन बंद कर दिया जाय।
और अब कल अमेरिका से आये लोगों के साथ ही उसका इंट्रोगेशन होना था।
उसे सेफ कस्टडी में भेज दिया गया।
ए टी एस चीफ सेंटर में वापस आ गए।
वहां बहुत काम उनका वेट कर रहा था.
मुम्बई में सुबह हो चुकी थी।
बल्कि बहुत पहले हो चुकी थी।
बाकी जगहों पर सुबह कराने का काम , मुर्गों , सूरज इत्यादि के जिम्मे तय किया गया है।
मुम्बई में ये काम लोकल ट्रेने करती हैं।
साढ़े चार बजे की पहली लोकल के साथ , और कभी कुछ पहले ही , शहर अंगड़ाई लेता, रात की थकान उतार फेंकता , ऊंघता उठ खड़ा होता है।
पहली लोकल के पहले ही चर्च गेट स्टेशन की सीढ़ियों, प्लेटफार्म पर मछली वालियां , लगेज कमपार्टमेंट घेरने के लिए तैयार आ कर रोज की तरह बैठ गयी थीं।
उधर बांद्रा , खार स्टेशनों पर बेकरी वाले लोगों के लिए सुबह की ब्रेड लेकर लोकल ट्रेनों में चढ़ना शुरू कर चुके थे।
पांच बजने के साथ साथ मैरीन ड्राइव , वार्ली सी फेस पर कुछ टहलने वाले शुरू हो गए और सुबह की लाली के साथ , फिगर का ख्याल रखने वाले /वालियों की तादाद बढ़ने लगी।
छः बजते बजते , मांए बच्चो के लिए टिफिन तैयार करने अधनींदी किचेन में घुस पड़ती है।
और साढे छ , सात तक बच्चे स्कूल के लिए लोकल ट्रेनों में , बसो में निकल पड़े।
किसी को उनमें इमकान नहीं था की कल शाम चर्च गेट स्टेशन पर कत्ले आम होना था।
सैकड़ों लोग मारे गए होते। चर्च गेट स्टेशन ध्वंस कर दिया जाता।
सी एस टी एम के सब वे में गैस कितने लोगों की जान चुकी होती।
अँधेरी में एक भयानक ट्रेन ऐक्सिडेंट होता।
जेजे फ्लआईओवर सहित , और कितने ब्रिज गिराये जा चुके होते।
रात को चैन से सोएं उसके लिए रात भर कितने लोग जागते हैं। जे एन पोर्ट पर महीनो तक न बुझने वाली आग लगी होती।
बॉम्बे हाई आतंकियों के कब्जे में होता।
दिल्ली
दिल्ली में भी बहुत लोगो ने रात भर जागते हुए गुजारी और वो अब भी जग रहे थे।
स्पेशल सेक्रेटरी होम ( इंटरनल सिक्योरिटी ) के कमरे में उनके साथ रा , आई बी के आपरेशन चीफ के साथ और भी आपरेशन से जुड़े लोग बैठे थे।
सुबह वो लोग होम सेक्रेटरी के कमरे में शिफ्ट कर गए थे , जहाँ होम सेक्रेटरी के साथ रा , आई बी , नेवल इंटेलिजेंस के हेड बैठे थे। कुछ देर पहले उन्होंने होम मिनिस्टर को ब्रीफ किया था।
छ: राज्यों के डी जी पोलिस से बात हो चुकी थी। बाकी से बात हो रही थी। आई बी और रॉ ने बताया की एक मित्र देश की सहायता , से अब पड़ौसी देश में कार्यवाही का प्लान है। उसके हमले को रोक दिया गया , और अब जवाबी हमले की तैयारी है।
कुछ देर में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर भी वहां आ आरहे थे।
साढ़े नौ बजे वो और कैबिनेट सेक्रेटरी प्राइम मिनिस्टर को ब्रीफ करते।
पौने बारह बजे कैबिनेट कमेटी आफ सिक्योरिटी की बैठक बुलाई गयी।
गुड्डी , रंजी , दिया और ,… जिया
रीत डीप सिडेशन में थी।
करन उसी हॉस्पिटल में सो रहा था।
अपने शहर में आनंद इस कहानी की शुरुआत जिससे हुयी सो रहा था।
और उसी शहर के एक दूसरे मोहल्ले में , गुड्डी और रंजी अभी थोड़ी देर पहले सोयी थीं।
पौ फटने के बाद।
सारी रात रतजगा करने के बाद। जिया और दिया के साथ।
दिया और जिया निकल चुकी थी , दिया अपने घर के लिए और जिया ,…
कुछ तो सस्पेंस बचा के रखना चाहिए न।
घबड़ाइये मत सब पता चलेगा क्या किया ,रंजी ,गुड्डी , दिया और जिया ने बल्कि जिया के साथ।
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जब मैं दरवाजे से निकल रहा था , तभी जिया घुसी और मैं उससे आलमोस्ट टकरा गया। मैं रगड़ते हुए निकला और मैंने मुड के पीछे की और देखा।
जो चीज हर लड़का , एक लड़की में सबसे पहले नोटिस करता है वही मैंने नोटिस किया।
जवानी के फूल बस आ रहे थे।
बड़े बड़े टिकोरे , लेकिन थे बहुत दिलकश। जानमारु।
रंजी और गुड्डी से थोड़े ही छोटे , लेकिन लड़को की जान लेने को काफी।
खूब गोरी , चेहरे पे भोलापन था लेकिन एक नमक भी था।
,
जिस दिन उसकी मशीन चालू हो गयी दिया के भी कान काटेगी , ये पक्का था।
रंजी , ने मुझे उसके उभारो को देखते हुए देख लिया और मुस्कराई , फिर जिया से बोली। " मेरे भैया , पसंद आये क्या। कहो तो रोक लूँ , ये भी ज्वाइन कर लेंगे हमारे साथ। "
जिया मुझे देख के मुस्कराई , फिर बहुत जोर से ब्लश की , और रंजी के पीठ पे जोर से मुक्का मारते हुए बोली धत्त। और तीनों बिजलियां अंदर घुस गयीं।
दरवाजा बंद हो गया।.
Yahan
रंजी , दिया , गुड्डी और जिया
यहाँ तक तो सबको पता है , लेकिन बंद दरवाजे के पीछे क्या हुआ ?
कैसे गुजरी उन शोख किशोरियों की रात ?
पजामा पार्टी में किसके किसके पजामें उतरे ?
दिया और गुड्डी की तो फट ही चुकी थी , दिया के भैया के साथ और गुड्डी की गुड्डी के सैयां के साथ , होनेवाले ही सही।
रंजी के लिए तो मुहूर्त का इन्तजार हो रहा था , वरना उसकी प्यारी गुलाबी परी के लिए तो मोटा मूसल कब से तय हो चूका था।
रही बात जिया की तो वो कहानी में नयी नयी आई है , इसलिए उसका हालचाल बताना , कुछ उसके 'पिछवाड़े ' मेरा मतलब बैकग्राउंड के बारे में बताना जरूरी है।
जिया
रही बात जिया की तो वो कहानी में नयी नयी आई है , इसलिए उसका हालचाल बताना , कुछ उसके 'पिछवाड़े ' मेरा मतलब बैकग्राउंड के बारे में बताना जरूरी है।
जिया उसी क्लास में थी , उसी स्कूल में थी जिस में रंजी और दिया थीं , लेकिन थोड़ी बल्कि बहुत अलग।
दिया तो रंजी के चंडाल चौकड़ी की मुखिया ही थी , सबसे बिंदास , सबसे फराक और न सिर्फ अपने भाई से अपनी चक्की चलवाती थी , बल्कि अपनी सहेलियों की प्यासी रामपियारी के लिए अपने भाई को बांटने के लिए तैयार रहती थी।
भाई भी उसका बगल के कालेज में पढता था , और उसका एक जबरदस्त बाइकर ग्रूप था , उसकी पहली शर्त थी ६ और ८। यानी लम्बाई ६ फूट से ज्यादा और ' वो ' ८ इंच से ज्यादा , तभी उस गुट में एंट्री मिल सकती थी।
जो सबसे फास्ट बाइक होती थी वो उसके जांघो के नीचे होती थी और जो सबसे 'हाट' लड़की होती थी वो।
न ना सुनना उसे पसंद था , न कोई लड़की उसे ना करती थी , बल्कि सब खुद हाथ पे ले के टहलती रहती थीं, उसके पीछे। कई तो दिया के पीछे पड़ी रहती थीं , बस एक बार इंट्रो करवा दे किसी तरह। लेकिन दिया के भाई को सिर्फ कच्ची कलियाँ पसंद थी ,जिनकी सील वो खुद खोले।
कालेज में दिया और उसके भाई का जलवा था।
लेकिन तभी जिया आई उनके, स्कूल में , जैसे कोई तेज मेटल , हार्ड रॉक का शोर अचानक रुक जाए और मीठी सी बांसुरी बजने लगे , ढेर सारे चीखते चिल्लाते रंगो के बीच ,श्वेत श्याम आ जाए ,बस उसी तरह।
सीधी साधी , एकदम बहनजी मार्का , हॉल्टर टॉप और मिनी स्कर्ट्स , स्पैन्डेक्स और लो जींस के बीच , शलवार कुर्ते में एकदम जैसे किसी माल मे खद्दर भंडार की तरह , ऐसी ड्रेस जिसमे न कटाव का पता चले न उभार का।
जहाँ फेस बुक के बिना सुबह शाम नहीं होती और उसका अकाउंट होना , व्हाट्सऐप होना , कालेज के रोल नंबर से ज्यादा जरूरी था , कई के तो कई कई एकाउंट थे ( दिया के चार थे ), वहां उसे फेसबुक क्या है , इसका पता नहीं। और सबसे पहले खिल्ली उसकी इसी बात पर उडी। जहाँ लडकिया हार्डड्रिंक्स , और स्मोकस कराती थी वो भी स्पेशल वाली , वो नींबू पानी वाली।
लेकिन नमक उसमें जबरदस्त था। सुरु के पेड़ की तरह छरहरा बदन , गोरी गुलाबी , भरे भरे गाल , कान से बाते करती बड़ी बड़ी कजरारी आँखे , लम्बी गर्दन , नितम्ब से भी नीचे तक आते काले बाल। बिना मेकअप के भी उन शोख तितलियों से वो बीस पड़ती।
और सबसे ज्यादा लड़कियों कोइस बात का मलाल था की जिस दिन जिया के पर निकल आये , वो सब के पर काट देगी।
लेकिन जिया सिर्फ पढ़ाई और पढ़ाई , और दोस्ती उस की हुयी रंजी से। इसलिए की उसके आने के पहले रंजी हरदम क्लास में फर्स्ट आती थी ,उसके साथ डिबेट हो , क्विज हो सब में रंजी। लेकिन जिया के आने के बाद कभी जिया फर्स्ट आती तो कभी रंजी और क्विज में उनकी टीम , स्टेट में फर्स्ट आई ,बोर्नविटा कांटेस्ट में सेमीफायनल तक पहुंची।
और रंजी से दोस्ती हुयी तो दिया से भी।
और एक दिन गड़बड़ हो गया।
दिया के भाई ने जिया के कंधे पर हाथ रख दिया।
वो स्कूल में अकेले आ रही थी , की वो पीछे से बाइक से आया और , हाथ सीधे कंधे पे।
कोई दूसरी लड़की होती तो एक हाथ से अपनी फेसबुक की स्टेट्स आप डेट करती और दूसरे हाथ से उसे पकड़ कर बाइक के पीछे।
दिया के भाई का हाथ सरक कर जिया के टीकोरों तक पहुंचता , उसके पहले जिया ने हाथ उठा दिया।
गनीमत थी की, उसी समय पीछे से रंजी और दिया आ रही थीं।
रंजी ने जिया का हाथ पकड़ लिया।
और मौके को सम्हाल लिया। मन में तो उसे जिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था , जिस लड़के के खूंटे पे बैठने के लिए सारी लड़कियां मरी पड़ती थीं , उसने जरा सा कंधे पे हाथ रख दिया तो ,
" अरे जिया तुम न , उस ने समझा होगा की मैं हूँ। आज मैंने उसे बोला था की मैं उसड्रेस में आउंगी जिस में तू आती है रोज। और भैया से तो मेरी दोस्ती है , इसलिए मेरे कंधे पे तो हाथ रख के ही बात करते हैं। " रंजी ने जिया को समझाया।
लेकिन जिया तो आग का गोला हो रही थी। सुनने को तैयार नहीं , सीधे प्रॉक्टर के पास जाने को बोल रही थी।
रंजी के बहुत समझाने पर मानी।
,
और दूसरा काम और टेढ़ा था , दिया के भाई को मनाना।
दिया का भाई ज्वालामुखी बना बैठा था।
कैम्पस में उसकी बेइज्जती हो गयी।
एक लड़की ने उसके ऊपर हाथ उठा दिया , और कुछ नहीं कर पाया।
और रंजी को देखते ही वो बिफर पड़ा ,
" समझती है क्या साल्ली वो लौंडिया अपने को , स्कूल में से उठवा लूँ जब चाहूँ तब , सारे शहर के गुंडे चढ़ा दूंगा उसके ऊपर , रंडी बना के चोदेंगे। ज़रा सी जवानी क्या चढ़ी साली को , "
रंजी ने उसके गुस्से को ठंडा किया ,
" मैं कहाँ कहती हूँ , उसको सजा मत दो। सजा तो उसे मिलेगी ही। लेकिन कोई जरूरी है आज ही सब हो , दो महीने में यूनियन का इलेक्शन है और अबकी आप को प्रेसीडेंट होना है ,
और फिर वो प्रॉक्टर , जिससे वो शिकायत करती , अपोजिशन से मिला है। वो तो मौका ही देख रहा है। बस एक बार इलेक्शन हो जाने दीजिये , फिर अाराम से , वो कौन सा शहर छोड़ के जाने वाली है।
और सब आपकी बड़ाई ही करेंगे की कितना कंट्रोल है , और वैसे भी रिवेंज इज अ डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड। और आप भले भूल जाएँ ,मैं याद रखूंगी। और एक दिन खुद अपने पैरों पे चल के आएगी टांग फैलाने। "
रंजी की डिप्लोमैसी से दोनों पक्ष शांत हो गए। यहाँ तक की आमने सामने मिलने पर पोलाइट दुआ सलाम भी हो जाती थी।
चलिए कहानी को थोड़ा फास्ट फारवर्ड करते है।
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