Tuesday, March 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--139


FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--139

गुड्डी ने दिया को जबरदस्त आँख मारी , रंजी से जबरदस्त हाई फाइव किया और बिचारी तड़पती सिसकती जिया को छोड़ दिया।

और जब गुड्डी ने जिया को छोड़ा तो टॉप बस ठीक किया और ब्रा वैसे ही रहने दी।

जिया कुछ देर तक वो मस्ती में चूर सिसकती रही और फिर आँखे खोल दी और खूब जोर से दिया से बोला , देखा हरा दिया ना तुमको।

दिया ने पहले तो मुंह बनाया , फिर मुस्करा के बोली ,

" अरे तुम्हे जोड़ी दार जो इतना गजब का मिला है ,बनारस के सारे घाटों का पानी पी के आई है। "

दिया मन ही मन सोच रही थी , कौन जीता कौन हार ये तो तुम्हे रानी जी तब पता चलेगा , जब वो टॉपलेस फोटुएं दिखाउंगी। जरा भी ची चा की तो कल कालेज के सारे लड़कों के पास तेरे कच्ची अमियों की तस्वीर होगी।

जिया ने मारे ख़ुशी के गुड्डी को भींच लिया और बोली , वो तो हैं , मेरी सहेली वास्तव में गजब की है। अब बाजी हार गयी हो तो देखना तुम लोगों से क्या क्या करवाती हूँ।

गुड्डी ने जिया को भींचते हुए , सीधे उसके लिप्स पे लिप्पी ले ली और बोली , " गजब की तो तुम हो , जो तूने इतना मेरा साथ दिया ,अब देखना इन छिनारों की हम दोनों मिल के ऐसी की तैसी करते हैं , लेकिन पहले थोड़ा सेलेब्रेट तो कर लें "

और चार कोला के ग्लास बनाये , और अपने हाथ से रंजी के होंठों में लगा दिया फिर बोली ,

" अरे चियर्स तो कर लो छिनारों "

चियर्स जिया के नाम गुड्डी बोली।

चारों ने ग्लास टकराये।

जिया के जोबन के नाम , दिया बोली चियर्स और एक बार फिर ग्लास टकराये।

हम चारों की दोस्ती के नाम , अबकी जिया बोली और एक बार फिर चियर्स के साथ आधी ग्लास एक साथ अंदर हो गयी।


जिया के अलावा सब को मालूम था की इस कोला के ग्लास में आधे से ज्यादा रम है।

बोल क्या करवाना है साल्लियों से , गुड्डी ने जिया से पूछा।

"कुछ तगड़ा सोच , ये दोनों स्कूल में बहुत स्मार्ट बनती थीं , मुझे बहन जी टाइप समझती थीं " जिया ने दूसरा घूँट गटकते हुए कहा।
" अरे साल्ली रंडियों की गांड में सारी स्मार्टनेस पेल दूँगी , बस तू अब तक जैसे साथ देते आई है न वैसे साथ देना ". गुड्डी बोली।

" अरे सालियों , मेरी सहेली तुम दोनों के भी कान काटेगी " रंजी से गुड्डी कहा।

" अरे जा जा , अभी जरा सा कोक में इसकी फटी जा रही थी , तो काक क्या लेगी , और क्या हम लोगों के कान काटेगी। " रंजी आँख नचा के रम मिली कोक की दूसरी बोतल खोलते कहा।

गुड्डी ने आँख के इशारे से जिया को चढाया और जिया बोली ,

" मैंने कब मना किया था , ले तो रहीं हूँ " अपने कोला के ग्लास की ओर इशारा करते जिया बोली।

रंजी ने फिर से उसके ग्लास को भर दिया।

" देखा मेरी सहेली चाहे कोक हो या काक दोनों में तुम दोनों के कान काटेगी " गुड्डी खिलखिलाते बोली।

एक बार फिर चारों ने चियर्स किया।

गुड्डी ने जिया के कान में कुछ फुसफुसाया , और जिया ने मुस्कराते हुए जोर जोर से हामी भरी।
,
" हे कोई फिल्म विल्म है क्या। " रंजी को जोर से आँख मारते हुए गुड्डी ने पुछा।

रंजी समझ गयी और उसने एक फ्लैश ड्राइव सामने दीवाल में लगे ४० इंच के टीवी पर लगा दिया और रिमोट गुड्डी को पकड़ा दिया।


देखो , आधे घंटे की सजा है न , तो बस सब कुछ जिया तय करेगी , मैं इसमें से एक फ़िल्म लगा दूंगी , रिमोट जिया के हाथ में होगा। जब वो बोलेगी शुरू तो तुम दोनों को शुरू होना होगा , और एक दम फ़िल्म सा करना होगा। गुड्डी बोली.
गुड्डी का हाथ साथ साथ रिमोट के बटन दबा रहा था और स्कूल गर्ल्स नाम पे आके रुक गया।

आँख मार के रंजी ने इशारा किया बस यही दबा दे।

लेकिन गुड्डी ने एक शर्त और जड़ दी ,

' सुन , तुम दोनों। पंद्रह मिनट तक तो तुम लोग फ़िल्म के ऐक्ट्रेस को कापी करोगी और हाँ डायलॉग हिंदी में बोलोगी , वो भी बनारसी -आजमगढ़ी हिंदी में। लेकिन उस के दस मिनट बाद तक जिया भी गेम में ज्वाइन करेगी।  


रंजी दिया जिया







सुन , तुम दोनों। पंद्रह मिनट तक तो तुम लोग फ़िल्म के ऐक्ट्रेस को कापी करोगी और हाँ डायलॉग हिंदी में बोलोगी , वो भी बनारसी -आजमगढ़ी हिंदी में। लेकिन उस के दस मिनट बाद तक जिया भी गेम में ज्वाइन करेगी।

जिया घबड़ा गयी , लेकिन गुड्डी ने उसे भरोसा दिलाते हुए कहा , "तुम दोनों के साथ जिया कुछ भी कर सकती है , तुम दोनों चूं भी नहीं करोगी। हाँ आखिरी १० मिनट फ्री फॉर आल होगा , उस में तुम दोनों भी ज्वाइन करोगी , लेकिन अगर जिया ने तीन बार मना किया , नहीं नहीं बोला , तो बस उसी की चलेगी। क्यों जिया ठीक है न। "

जिया ने ख़ुशी में सर हिलाया और गुड्डी ने फ़िल्म आन कर दी।

शुरू में दो स्कूल की लड़कियां स्कूल की यूनिफार्म में क्लास रूम में थी , जिया , दिया के उम्र की ही। टाइट यूनिफ़ॉर्म के ब्लाउज से उनके गदराये जोबन झाँक रहे थे।

तब तक उन का ध्यान एक नोटिस पे गया की आज क्लास नहीं है , बस मारे ख़ुशी के दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और लगी चूमने। एक ने कमरे का दरवाजा भी बंद कर दिया।
चूमना जल्द ही डीप किसिंग और लिकिंग में बदल गया। एक ने दूसरे के होंठों को दबा कर धीमे धीमे रस लेना शुरू कर दिया , तो दूसरी ने पहले की गोलाइयों को हलके हलके दबाना शुरू कर दिया। मस्ती बढ़ती जा रही थी। चूमते हुए होंठ कंधे तक पहुँच गए और ड्रेस सरका कर गोलाइयों के ऊपरी भाग को चूमने चाटने लगे। दूसरी जो स्कूल यूनिफार्म के टॉप के ऊपर से उभार दबा रही थी , उसने अब हाथ अंदर घुसेड़ दिया और जोबन का रस खुल कर लेने लगी।

चारों की साँस रुकी थी। जिया , गुड्डी , रंजी और दिया सब की आँखे टीवी स्क्रीन से चिपकी थीं। लग रहा था इस खेल में वो भी शामिल हैं। गुड्डी कनखियों से जिया को देख रही थी। जिया के पथराए उभार , तने कड़े निपल उसके उत्तेजित होने के संकेत दे रहे थे। सब कुछ भूल कर वो भी देह रस में डूबी थी।

उधर सीन बदल गया था।

पहली लड़की ने दूूसरी के टॉप को उतार के फ़ेंक दिया और अब ३४ सी साइज के ब्रा फाड़ते बूब्स साफ साफ दिख रहे थे। लेकिन दूसरी भी हार मानने वाली नहीं थी। उसने पहली के सर को दबोच लिया और अपनी जुबान उसके रसीले किशोर होंठों के बीच ठेल दी।


फ़िल्म में अब आग लग गयी थी। छोटी छोटी टीन ब्रा और स्कूल की स्कर्ट में ,दो स्कूल जानेवाली लड़कियां , एक दूसरे को बाँहों में भींचे मसल रही थीं , रगड़ रही थीं , चूम रही थीं। दोनों के गदराये जोबन , एक दूसरे को कुचल रहे थे , मसल रहे थे ,पीस रहे थे। उनके चेहरे वासना में डूबे थे।

और वासना में इस लेस्ब ब्ल्यू फ़िल्म को देख रही हाईस्कूल पार कर रही , कसमसाती चार किशोरियों , कच्ची कलियों के भी चेहरे डूबे थे , जो एकटक फ़िल्म को देखे जा रही थीं। शर्मीली , सीधी साधी जिया , गुड्डी से चिपकी हुयी थी। गुड्डी का एक हाथ उसके कंधे पे था , जहाँ से उसकी उंगलिया नीचे उत्तर कर जवानी के फूलों को सहला रही थीं और बीच बीच में , उसके टॉप फाड़ते मटर के दाने से निपल्स को कभी रोल देतीं या कभी पिंच कर देती। जिया सिसक उठती। दिया और रंजी भी एक दूसरे से सटी चिपकी बैठी थीं , बिंदास बेलौस। एक दूसरे को चूमती , चिढ़ाती और खुलके नए आये जोबन के मजे लूटती।

सब भूल गए थे , की फ़िल्म लगी क्यों थी। और जब फ़िल्म में दोनों किशोरियों ने एक दूसरे के टॉप खींच कर फ़ेंक दिए और पूरी तरह टॉपलेस हो गयीं तो गुड्डी ने कोहनी के इशारे से जिया को शर्त की याद दिलाई।

रिमोट तो जिया के ही पास था।

उसने पहले तो पिक्चर पाज की , फिर रंजी और दिया से कहा , " स्टार्ट , योर टाइम्स स्टार्ट नाउ " और फिर पिक्चर स्टार्ट कर दी।


कमरे में पिक्चर से भी ज्यादा आग लग गयी।

एक झटके में दोनों ने एक दूसरे के टॉप , ब्रा सब निकाल दिए और ब्ल्यू फ़िल्म की किशोरियों की तरह , टॉपलेस हो गयीं।

दिया ने रंजी का मस्त जोबन पकड़ लिए और लगी दबाने मसलने। क्या कोई लड़का इतने जोर से रगडेगा , मसलेगा।

लेकिन रंजी ने भले ही अभी लंड के धक्के न खाए हों , वो भी कम शैतान नहीं थीं। उसने दिया को ढकेल दिया और चढ़ गयी उसके ऊपर।
रंजी ने एक हाथ से दिया के हाथ दबोच लिए और दूसरे हाथ से उसकी खेली खायी , चूंचियों को रगड़ने मसलने लगी।

' क्यों जानम तेरे भैया ऐसे ही दबाते मसलते हैं न " गुड्डी ने उसके कान में फुसफुसा कर पूछा।
" दबवा कर देख ले न , तेरे जोबन का तो दीवाना है वो ' दिया ने खिलखिलाते हुए कान में हलके से बोला।
" पहले तो इन कच्चे टिकोरों का मजा ले ले वो , " जिया की ओर इशारा करते हुए गुड्डी बोली।
" इस बिचारी की तो ऐसी की तैसी करेगा वो। " दिया फुसफुसाई और साथ ही गुड्डी के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए उसे नीचे पटक दिया। और फिर वो रगड़ाई शुरू की उसने रंजी की , कभी कचकचा के उसके गाल काटती तो कभी उभरती चूंचियों पर नाखून गड़ा देती.
गुड्डी देख रही थी ,दिया कितनी मस्त रसीली खिलाड़ी थी , काम क्रीड़ा की।

जोर जोर से वो रंजी के कड़े किशोर उभार , मसल रगड़ रही थी। उसकी तरजनी रंजी के मटर के दाने के बराबर निपल को कभी फ्लिक करते , तो कभी जैसे कोई शरारती बच्चे के कान उमेठे , वो रंजी के निपल उमेठ रही थी। साथ में दिया के होंठ , गीले गीले चुम्बन अब रंजी के कंधे पर बरसा रहे थे और कुछ देर में वो रंजी के गोलाइयों पर थे ,चूमते , चूसते , काटते। पूरी तरह रंजी की चूंची अब दिया के थूक से गीली हो रही थी।

और ये देखते हुए , जिया भी गीली हो रही थी। जिया चूंचियां भी एकदम कड़ी हो गयीं थीं और उस की आँखों में वासना के डोरे फैले हुए थे।

गुड्डी मन ही मन मुस्करा रही थी , उसने जिया के कान में कुछ फुसफुसाया और जिया चहक उठी।

" अरे सालियों , सामने फ़िल्म में वो सब कुछ बोल भी रही हैं ,तुम दोनों के मुंह में कुछ भरा है क्या। " जिया ने ललकारा।

" दिया तेरे मुंह में तेरे भैया का लंड भरा है क्या , जो बोल नहीं पा रही है। " रंजी ने चिढ़ाया।


" अरे मेरे भैया के लंड की याद आ रही है क्या , तूने तो देखा भी है , पकड़ा भी , मसला भी है , पूरे एक बित्ते का है। ले ले ना अपनी चूत में भी गांड में भी।"

दिया कौन कम थी , उसने चूंची कचकचा के काटते हुए , जवाब दिया।

" अरे वाह , मेरे भैया का कौन कम है। तेरे भैया से भी २० है , और मोटा भी जबरदस्त , क्या खूंटा है। " रंजी के पैरों ने दिया के जाँघों को फैला दिया था , और उसके बीच में हाथ डाल के रगड़ते वो बोली।

" अच्छा चल पहले अपने भैया से चुदवा , फिर मेरे भैया से चुदवाना। " रंजी की गुलाबी परी दबोचते दिया बोली।

गालियों की सरिता अब बह निकली थी।

" निचोड़ के रख दूँगी , भैया का लंड " कचकचा के दिया के निपल काटती , रंजी बोली।

" जाजा , जो एक बार मेरे भैया का घोंट लेता है न बस उसी का दीवाना हो जाता है , सारी रात चूत परपरायेगी छिनार तेरी " दिया ने भी जवाब दिया।


जिया के आँख उनकी देह लीला को देख रहे थे और कान रसीली बातों से चिपके थे।

तन और मन दोनों गीला हो रहा था उसका।

गुड्डी ने तभी जिया का ध्यान , टीवी पर चल रही फ़िल्म की और दिलाया , जिस की कापी रंजी और दिया को करनी थी।

वहां फ़िल्म काफी आगे बढ़ चुकी थी।

दोनों किशोरियों कब की वस्त्रहीन हो चुकी थी , और एक की फैली जांघो के बीच दूसरी सर लगाए , योनि का रसपान कर रही थी। और पहली जोर जोर से उसका सर अपनी चूत पे दबाये हुए जोर जोर से सिसकी भर रही थी

जिया मुस्कराई और जोर से रंजी और दिया को हड़काया ,

" सालियों , छिनारों , जरा टीवी तो देखो , अभी तक तुम्हारे स्कर्ट नहीं उतरे हैं। "


कन्या कबड्डी


जिया मुस्कराई और जोर से रंजी और दिया को हड़काया ,

" सालियों , छिनारों , जरा टीवी तो देखो , अभी तक तुम्हारे स्कर्ट नहीं उतरे हैं। "

दिया और रंजी एकदूसरे को देख के मुस्कराईं। जो बोली , जिया सुन नहीं सकती वो अब बोल रही थी।और अभी आधी रात बाकी थी।


अगले ही पल दोनों पैंटी कमरे के चारों कोने में बिखरी पड़ी थी , और रंजी और दिया 69 की पोज में थे।

दिया ऊपर रंजी नीचे।
और क्या मस्त चोद रही थी , दिया रंजी को।

क्या कोई लड़का चोदेगा , किसी लौंडिया को।

और क्या चुद रही थी , रंजी , अपने बड़े बड़े , भारी भारी चूतड़ उठाकर।


दिया ने एक हाथ से रंजी के दोनों हाथों को दबोच लिया था और उसका दूसरा हाथ जोर जोर से रंजी की कड़ी कड़ी चूंचियां मसल रहा था। दिया के होंठ कभी रंजी के होंठ चूस लेते , तो कभी उसके खड़े निपल काट लेते। जबरदस्ती दिया की टांगों ने रंजी की किशोर जाँघों को फैला दिया और सीधे दिया की खेली खायी चूत रंजी की अनचुदी , मखमली , गुलाबी कच्ची चूत पे घिस्से पे घिस्सा दे रही थी।

कुछ ही देर में रंजी की मस्ती में आँखे बंद होगईं , सिसकियाँ लेने लगी और पहले हलके हलके , फिर जोर जोर से वो अपने चूतड़ उछाल रही थी।
.
" हाँ दिया हाँ , चोद साली ,चोद। अपने भाई से चुद चुद कर सीखा है तूने , ओह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ' रंजी बोले जा रही थी।

जवाब में दिया ने रंजी की क्लिट मसलनी शुरू कर दी , और रंजी की सिसकियाँ और तेज हो गयीं।

" ऐसे चोदेगा मेरा भाई तुझे , " दोनों हाथों से उसस्की चूंची पकड़ कर अब दिया ने टाँगे अपने कंधे पे ले ली और जोर जोर से रगड़ने लगी अपनी चूत उसकी चूत से।

देख कर जिया गीली हो रही थी। उसकी चड्ढी पर गीलापन साफ दिख रहा था। चूंचियां एक दम खड़ी थी।

" मेरा तो मन कर रह है , मैं भी ज्वाइन कर लूँ उन दोनों को , क्या मस्त चुदवा रही है साल्ली तेरी सहेली। " गुड्डी ने जिया को उकसाया।

जिया कुछ नहीं बोली , लेकिन उसके उत्तेजित चेहरे से उसका इरादा साफ दिख रहा था।
समय पिघल रहा था।

दिया और रंजी दोनों झड़ने के कगार पे थीं।


गुड्डी ने जिया को घडी दिखाई , १० मिनट बचे थे ,शर्त का टाइम खत्म होने में और और अब जिया भीउन्हे ज्वाइन कर सकती थी। सेफ्टी ये थी की वो दनो जिया जबरन कुछ नहीं कर सकती थीं।

गुड्डी धीरे से बोली जिया से , " जा ना "

उधर से रंजी भी बोली , " जिया मेरी प्यारी बहना , थोड़ी हेल्प कर न। जरा दिया के दोनों हाथ कस के पकड़ तो हमदोनो मिल के इस्सकी भी , …'


ऐसा मौका जिया क्यों छोड़ देती। उसने दिया के दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और अब रंजी ऊपर थी।

कुछ देर चूत से चूत पे घिस्सा देने के बाद , उसने अपना दूसरा हथियार इस्तेमाल किया , अपने होंठों का।



जिया ने लेटी हुयी दिया के दोनोंहाथ पकड़ रखे थे , दिया की जाँघों के बीच मुंह लगा के रंजी चुसुक चसक कर उसकी गीली चूत चाट रही थी चूस रही थी।


एकदम नदीदी प्यासी चूत चटोरी की तरह ,

दिया की रसीली चूत की दोनों फांके फैलाके वो सपड़ सपड़ चाट रही थी। जैसे कोई आम की फांके फैलाके चाटे।
और फिर अचानक जोर से रंजी ने दिया की चूत फैलाई और उसमें अपनी जुबान ठेल दी , जैसे कोई लड़का लंड पेल दे,और गोल गोल घुमाने लगी।


दिया पागल होरही थी। अपने बड़े बड़े चूतड़ पटक रही थी , उठने की कोशिश कर रही थी , लेकिन उसके दोनों हाथ जिया ने जकड रखे थे।

और अब दिया की सारी गालियाँ जिया पे पड रही थीं , एक से एक खतरनाक गालियाँ।

" साली ,छिनार , चूतमरानो। बहुत तेरी चूत चींटे काट रहे हैं न , देख तेरी इस छोटी सी बुलबुल को अपने भइया से चुदवा चुदवा के भोंसड़ा न बनवा दिया तो कहना , जिस गुड्डी और रंजी के जोर पे उछल रही है न वो कोई बचाने नहीं आएँगी जब मोटे मोटे लौंडे तेरी चूत और गांड में घुसेंगे। एक बार हाथ छोड़ रंडी , फिरदेख ,"

गुड्डी ने और आग में घी डाला ,

" जिया , जोर से पकडे रहना , छोड़ना मत। अरे इस उम्र में मोटे मोटे लौंडे मिले उससे अच्छी बात क्या होगी। मैं और रंजी क्यों आएंगे बीच में ,"

जिया ने पकड़ और तेज कर दी। आज मौका मिला था , जिया को दिया की रगड़ाई करवाने का।

उधर रंजी अब दिया की क्लिट चूस रही थी और बार बार उसे झड़ने के कगार पर ले जा के छोड़ रही थी।

दिया की चूत फवारे की तरह पानी छोड़ रही थी , और ये सब देख देख के जिया और गीली हो रही थी।



तभी रंजी ने पलटा खाया और अब सीधे दिया के ऊपर , और रंजी की चूत अब दिया की चूत पे रगड़ घिस्स कर रही थी , और नीचे से दिया भी धक्के का जवाब धक्के से देरही थी।


लेकिन इसका एक और साइड इफेक्ट हुआ। जिया की पकड़ से दिया छूट गयी और अब दिया ने जिया को दबोच लिया।

जैसे किसी बाज की पकड़ में गौरेया आ गयी हो।

पहले तो उसने जिया का सर झुका कर अपने ऊपर कर लिया और जिया के कुंवारे गुलाबी होंठ अगले पल दिया के होंठ के बीच में थे और वो जोर से उसे चूम रही थी चूस रही।

एक हाथ दिया का , जिया के टॉप पर गया और उसे , उसने उठा दिया। ( ब्रा का कवच तो समझदार गुड्डी ने पहले ही हटा दिया था ).

जिया के मस्त कच्चे टिकोरे , जिनका पूरा कालेज दीवाना था अब दिया के हाथ में थे और वो उन्हें जोर जोर से रगड़ रही थी , मसल रही थी।


बिचारी जिया , दिया के पकड़ से आज तक कोई छूट पाया था जो वो छूटती।

और फिर रंजी और दिया ने मिल के जिया को बाँट लिया।

एक चूंची एक के हाथ में दूसरी , दुसरे के हाथ में।


और अब गुड्डी बाकायदा फैशन फोटोग्राफर का काम कर रही थी , क्लिक , क्लिक ,क्लिक।


रंजी और दिया साथ साथ झड़ने लगी और देर तक झड़ती रहीं।
लेकिन उसी के साथ , दिया ने अपने मुंह से , एक इ टैब , जिया के मुंह में पास कर दी। और उस का नशा फिर से जिया के तन मन में घुलने लगा।



दिया और रंजी झड़ कर एक दूसरे से अलग पड़ी रहीं और जिया भी आलमोस्ट झड़ने के कगार पर थी। पूरी तरह टॉपलेस।

सामने टीवी पर चल रही लेस्ब ब्ल्यू फ़िल्म खत्म हो चुकी थी।
 
 











No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator