FUN-MAZA-MASTI
गुमराह पिता की हमराह बेटी--4
जयसिंह और मनिका जब अगली सुबह आ कर कैब में बैठे तो कैब ड्राईवर ने उनसे कहा कि वह उन्हें दिल्ली की लगभग सभी पॉप्युलर साइट्स दिखा चुका है सो आज वो उन्हें कोई खास सैर नहीं करा सकेगा (ड्राईवर उनसे थोड़ा घुल-मिल चुका था क्यूँकि रोज़ वही उनके लिए कार लेकर आता था और जयसिंह की जेनेरस टिप्स की वजह से वह उनकी इमदाद थोड़ी ज्यादा ही करने लगा था), इस पर मनिका का उत्साह ज़रा फीका पड़ गया,
'अब क्या करें पापा?' मनिका ने कुछ निराश आवाज़ में जयसिंह से पूछा.
'अरे भई पूरी दिल्ली घूम डाली है अब और क्या करना है? घर चलते हैं...' जयसिंह ने मजाक करते हुए कहा.
'नो पापा.' मनिका फटाक से बोली 'अभी तो हमारे पास आधे से ज्यादा वीक पड़ा है. डोंट जोक एंड बी सीरियस ना.'
जयसिंह मनिका के जवाब से बहुत खुश हुए, 'हाहाहा... ठीक है ठीक है. दिल्ली में करने के लिए कामों की कमी थोड़े ही है.'
'तो वही तो मैं पूछ रही हूँ ना सजेस्ट करो कुछ, ड्राईवर भैया ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं आज.' मनिका ने फ्रस्ट्रेट हो कर कहा.
उसकी बात सुन ड्राईवर ने कुछ खिसिया कर फिर कहा था कि उसे जितना पता था वो उन्हें घुमा चुका है.
'हाहाहा...अरे मनिका तुमने तो मूड ऑफ कर लिया.' जयसिंह हंस कर बोले 'चलो तुम्हारा मूड ठीक करें, अपन ऐसा करते हैं आज कोई मूवी चलते हैं और फिर तुम उस दिन कह रहीं थी न कि तुम्हे कुछ शॉपिंग करने का मन है?'
मनिका अगले ही पल फिर से चहकने लगी थी.
'ओह पापा यू आर सो वंडरफुल.' वह ख़ुशी से बोली 'आप को ना मेरा मूड ठीक करना बड़े अच्छे से आता है...और आपको याद थी? मेरी शॉपिंग वाली विश...हाऊ स्वीट. मुझे लगा भूल गए होंगे आप और मुझे फिर से याद कराना पड़ेगा.'
'कोई बात मिस की है तुम्हारी आज तक मैंने मनिका?' जयसिंह ने झूठे शिकायती लहजे में कहा.
'ऑ पापा. नहीं भई कभी नहीं की...' मनिका ने होंठों से पाऊट करते हुए कहा.
मनिका की इस अदा ने जयसिंह के मन में लगी आग में घी डालने का काम किया था 'देखो साली कैसा प्यार जता रही है. इन्हीं मोठे होंठों ने तो जान निकाल रखी है मेरी...चिनाल खुश तो हो गई चलो.' उन्होंने मन में सोचा और ड्राईवर से बोले,
'चलो ड्राईवर साहब पी.वी.आर. चलना है आज.'
जब ड्राईवर उन्हें लेकर चल पड़ा था तो कुछ देर बाद मनिका ने जयसिंह से कहा था,
'एक बार तो डरा दिया था आपने मुझे...'
'हैं? अब मैंने क्या किया?' जयसिंह हैरान हो बोले.
'आप बोल रहे थे ना कि घर चलो वापस.' मनिका मुस्काते हुए बोली थी.
'हाहाहा.' जयसिंह ने ठहाका लगाया और बोले 'क्यूँ घर नहीं जाना तुम्हें?'
'नहीं...' मनिका ने आँखें मटका कर कहा था. जयसिंह मुस्का दिए और उसके गले में अपना हाथ डाल उसे अपने साथ लगा कर बैठा लिया.
ड्राईवर उन्हें कनॉट-प्लेस में बने पी.वी.आर. प्लाजा ले गया था. मनिका पहली बार मल्टीप्लेक्स में फ़िल्म देखने आई थी. उसने वहाँ रखा मूवी टाइमिंगस् का कार्ड उठाया.
'पापा!' कार्ड देखते ही मनिका का उत्साह दोगुना हो गया था.
'क्या हुआ इतना एक्साईटमेंट?' जयसिंह ने भौंऐ उठा कर पूछा.
'पापा, जाने तू या जाने ना रिलीज़ हो गई! मैं तो भूल ही गई थी यहाँ आ कर कि ये इसी मंथ रिलीज़ होने वाली है. आई सो वांट टू वॉच इट.' मनिका की आँखों में ख़ुशी चमक रही थी.
'अच्छा तो चलो फिर यही देखेंगे हम भी...' जयसिंह ने मुस्कुरा कर कहा. उन्होंने जा कर टिकट्स ले लीं और मनिका के साथ हाथों में हाथ डाले थिएटर के अंदर चल दिए.
मनिका ने पहली बार इतना अच्छा मूवी-हॉल देखा था, उनके बाड़मेर में तो ले देकर एक-दो सिनेमा थे जिनमें सिर्फ बी-ग्रेड फ़िल्में लगा करतीं थी. एक दो बार अपनी मौसी के यहाँ जयपुर जाने पर जरूर उसने थिएटर में फ़िल्में देखीं थी पर इस जगह की तो बात ही कुछ और थी. वहाँ का क्राउड भी मॉडर्न और टॉप-क्लास था. वे अपनी सीट्स पर जा बैठे,
'कितना मजा आ रहा है ना पापा?' उत्साह भरी मनिका ने जयसिंह से जानना चाहा.
'अभी तो फ़िल्म शुरू ही नहीं हुई...खाली लाल पर्दा देख कर ही मजा आ रहा है तुम्हें?' जयसिंह ने आदतवश् मनिका को चिढ़ाया.
'ओह पापा क्या है...मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है यहाँ.' मनिका ख़ुशी-ख़ुशी इधर-उधर नज़रें दौड़ते हुए बोली.
कुछ देर बाद फ़िल्म शुरू हो गई. फ़िल्म चले थोड़ा ही वक़्त हुआ था कि पी.वी.आर. स्टाफ का एक बन्दा उनसे खाने-पीने के लिए स्नैक्स का ऑर्डर लेने आ गया. मनिका पर उनकी सर्विस का इम्प्रैशन और बढ़ गया था. उन्होंने पॉपकॉर्न, कोल्डड्रिंक और नाचोस् ऑर्डर किए. कुछ देर बाद खाने का सामान भी आ गया. मनिका को बहुत मजा आ रहा था और ऊपर से फ़िल्म भी अच्छी थी.
जयसिंह को पॉपकॉर्न और मसाले भरे नाचोस् खा लेने से प्यास लग आई थी, उन्होंने कोल्डड्रिंक भी नही मँगवाई थी. उन्होंने फ़िल्म देखने में डूबी मनिका को हौले से बताया कि वे पानी पीने जा रहें हैं जिस पर मनिका ने उन्हें अपनी कोल्डड्रिंक ऑफर कर दी. जयसिंह एक पल ठिठके और फिर मनिका के हाथ से ग्लास ले ली. मनिका की जूठी स्ट्रॉ (पाइप) पर मुहँ लगा कर उन्होंने कोल्डड्रिंक का सिप लिया. मनिका के होंठों से निकली स्ट्रॉ ने उनके लिए कोल्डड्रिंक की मिठास और बढ़ा दी थी.
इंटरवल हो जाने पर जयसिंह ने मनिका को यह कहकर एक कोल्डड्रिंक और ले दी थी कि उसकी पहली कोल्डड्रिंक तो आधी उन्होंने ही ख़त्म कर दी थी और बाद में जब मनिका ने एक बार फिर उन्हें कोल्डड्रिंक ऑफर की तो उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी हाथ बढ़ा दिया था.
जयसिंह मनिका के साथ कनॉट-प्लेस एक कैफ़े में बैठे थे. मनिका ने फिल्म के दौरान स्नैक्स खा लेने के बाद लंच लेने में असमर्थता जाहिर की थी सो वे आज हल्का-फुल्का खाना खाने आए थे. मनिका को फिल्म बहुत पसंद आई थी और बाहर आने के बाद से वह जयसिंह से उसी के बारे में बातें कर रही थी.
'पापा मूवी कितनी अच्छी थी ना?' मनिका ने उनसे पूछा.
'हाँ बहुत अच्छी थी.' दो कोल्डड्रिंक उसके साथ पीने के बाद जयसिंह को तो फिल्म अच्छी लगनी ही थी.
'कितना अच्छा कॉन्सेप्ट था ना?' मनिका बोल रही थी 'सच अ स्वीट मूवी.'
'हम्म...आई एम ग्लैड के तुम्हें मूवी अच्छी लगी मनिका.' जयसिंह ने हामी भरी.
मनिका वह रोमेंटिक फिल्म देखने से जरा भावुक हो रही थी, जयसिंह की बात सुन कर उसके मन में एक सवाल आया जो एक-दो बार पहले भी उसके मन में उठ चुका था.
'पापा?'
'हम्म?'
'एक बात पूछूँ?' मनिका ने अपनी कॉफ़ी में चम्मच घुमाते हुए कहा.
'हाँ क्या बात है बोलो..?' जयसिंह ने कौतुहल से पूछा.
'आजकल आप मुझे मेरे नाम से ही क्यूँ बुलाते हो?' मनिका ने उनकी तरफ देखा.
'हैं? तो और किसके नाम से बुलाऊं तुम्हें..?' जयसिंह उसका आशय समझ गए थे पर उन्होंने जानबूझकर उसे बहलाने की कोशिश की थी.
'अरे मेरा मतलब है आप मुझे मनिका-मनिका कह कर बुलाते हो, पहले तो मेरे निकनेम लवली से बुलाया करते थे?' मनिका ने हल्की से मुस्कान के साथ सवाल किया था.
जयसिंह को इस तरह के सवाल की उम्मीद नहीं थी. वे एक पल के लिए थोड़ा घबरा गए थे पर उन्होंने उसे यह जाहिर नहीं होने दिया. 'उम्म्म...' उन्होंने जल्दी से अपने दीमाग के घोड़े दौड़ाए. सच बोलने में ही उनकी भलाई थी 'वैल...'
जब जयसिंह ने कुछ पल बाद भी सवाल का जवाब नहीं दिया था तो मनिका का भी कौतुहल जाग गया.
'बताओ ना पापा क्या रीज़न है?' वह अब उनकी आँखों में आँखें डाले हुए थी.
'वैल तुम्हारी बात तो सही है कि आजकल मैं तुम्हें मनिका कहने लगा हूँ...मे-बी इसलिए...' जयसिंह थोड़े रुक-रुक कर बोल रहे थे.
'क्या पापा? इतना क्या मिस्टीरियस रीज़न है?' मनिका अब पूरी तरह से इंटरेस्टेड थी उनका जवाब सुनने में.
'अह्...रीज़न शायद यही है कि यहाँ आने से पहले हम एक-दूसरे से इतना घुले-मिले नहीं थे, आई मीन ऑब्वियस्ली हम घर पर साथ ही रहते हैं लेकिन...आफ्टर कमिंग हेयर हम...' जयसिंह उसे बताने का स्ट्रगल कर रहे थे जब मनिका ने उनकी मुश्किल खुद ही हल कर दी,
'येस पापा आई क्नॉ आप क्या कहना चाह रहे हो. यहाँ आने के बाद से वी हैव बिकम लाइक फ्रेंड्स...है ना?'
'एग्सैक्टली.' डूबते हुए जयसिंह को बस एक तिनके का सहारा काफी था 'सो इसीलिए मैं तुम्हें मनिका बुलाने में थोड़ा ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करता हूँ क्यूँकि तुम्हें लवली कहने पर फिर मुझे भी तुम्हें, एक पैरेंट की तरह, रोकना-टोकना पड़ेगा ऐसा फील होता है.'
जयसिंह ने बहुत ही शानदार तरीके से अपने शब्दों को पिरोया था और साथ ही इस पूरे वार्तालाप के बीच उन्होंने न तो एक बार भी मनिका को सीधे-सीधे अपनी बेटी कहा और ना ही अपने आप को उसका पिता. उन्होंने देखा मनिका भी हाँ में सिर हिला रही थी,
'ओह पापा. यू आर सच अ कूल पर्सन यू क्नॉ...मैं भी कल यही सोच रही थी कि हाओ वेल यू हैव ट्रीटेड मी...आई मीन आपने हमेशा मेरा ख्याल रखा है पर यहाँ आने के बाद यू हैव बिकम अ फादर एंड अ फ्रेंड टू मी...' मनिका ने चेहरे के साथ-साथ हाथों से भी अपने भाव प्रकट करते हुए कहा.
'हाहाहा... नॉट अ फादर मनिका.' जयसिंह ने मनिका को आँख मारी ' नहीं तो चलो घर वापस लवली.' उन्होंने बात मजाक करने के अंदाज़ में कही थी पर उनका इरादा उसे दोबारा ऐसा कहने से रोकने का था.
'ओह नो पापा... यू प्लीज कॉल मी मनिका ओनली.' मनिका ने भी मजाक-मजाक में झूठी चिंता जता कर कहा.
'हाहा...' जयसिंह हँस दिए.
'पापा यू क्नॉ व्हॉट? मेरे माइंड में एक बात आई अभी...' मनिका मुस्कुराई, उसकी आँखों में चमक थी.
'अब क्या?' जयसिंह ने झूठ-मूठ का डर दिखाया.
'ओह पापा स्टॉप एक्टिंग ओके...मैं सोच रही थी की वी हैव बिकम फ्रेंड्स लाइक जय एंड अदिति इन द मूवी वी सॉ...और इट्स सो फनी कि आपका नाम भी जय है...हाहा...' मनिका ने हँसते हुए कहा.
'हाहा...एक तो तुम्हारा मूवी का भूत नहीं उतर रहा कबसे...' जयसिह मन ही मन खुश हो बोले.
'हेहे...आई क्नॉ पापा. मुझे बहुत अच्छी लगी मूवी बताया ना आपको.' उसने दोहराया.
बातें करते हुए उन्होंने अपनी डाइट खत्म कर ली थी. जयसिंह ने उठ कर मनिका की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और टोह लेते हुए कहा,
'चलो लवली, अभी तुम्हारी शॉपिंग तो बाकी ही पड़ी है.'
मनिका ने उनका हाथ थाम उठते हुए मुहँ बनाया और इस बार आग्रहपूर्वक कहा था, 'पापा प्लीज कॉल मी मनिका ना...' और उनके साथ कैफ़े से बाहर निकल चली.
जयसिंह ने कैब ड्राईवर से उन्हें किसी अच्छे शॉपिंग मॉल में ले चलने को कहा था पर ड्राईवर ने उन्हें दिल्ली का साउथ-एक्स मार्केट जाने की सलाह दी और उनके हाँ कहने पर उन्हें वहाँ ले जा छोड़ा था.
मनिका जैसे उस पॉश मार्केट को देख स्वप्न-लोक में पहुँच गई थी. चारों तरफ चका- चौंध भरे डिस्प्ले में तरह-तरह के फैशनेबल कपड़े, मेकअप का सामान और दुनिया जहान की चीज़ें थी वहाँ, 'वाओ पापा...' मनिका ने खुश होते हुए कहा था.
वे लोग अब एक-एक कर शोरूम्स में सामान देखने लगे. कुछ देर बाद घूमते-घूमते वे एक कपड़ों और असेसरीज (बेल्ट, पर्स, घड़ीयां इत्यादि) के मेगा-स्टोर लाईफ-स्टाइल में जा पहुँचे, जहाँ हर ब्रैंड के कपड़े मिलते थे. स्टोर में जब एक सेल्स-बॉय ने उनसे पूछा कि वे क्या लेना पसँद करेंगे तो जयसिंह ने मनिका की तरफ इशारा कर दिया था, कि वह उसके लिए कपड़े देखने आए हैं. उसने उन्हें विमेंस-सेक्शन की तरफ जाने को कहा था जो की स्टोर में पीछे की तरफ था.
जयसिंह ने मनिका से कहा,
'जाओ भई देख लो और पसंद से लेलो जो लेना है...'
'आप नहीं आ रहे हो पापा?' मनिका ने सवालिया निगाहों से उन्हें देखा.
'मैं क्या करूँगा वहाँ, लड़कियों का सामान होगा सब.'
'तो क्या हुआ पापा सजेस्ट तो कर ही सकते हो ना मुझे, आओ ना आई नीड योर हेल्प.' मनिका ने जिद की, जयसिंह कैसे न जाते.
विमेंस-सेक्शन में रखा कलेक्शन देख मनिका की बांछें खिल उठीं थी, वहाँ सब नए और लेटेस्ट डिज़ाइनस के कपड़े थे, जो उनके शहर में हमेशा पुराने हो जाने के बाद ही पहुँचा करते थे. वह उत्साह से कभी इधर तो कभी उधर जा-जा कर कपड़े उलट-पलट कर देख रही थी.
'पापा इतना अच्छा कलेक्शन है यहाँ पर.' मनिका ने जयसिंह से आँखें मटका कर कहा. उसका आशय साफ़ था कि क्या वह शॉपिंग कर सकती है?
'हाँ तो कर लो न पसंद...' जयसिंह ने उसे फिर कहा.
'हाँ पापा...' मनिका बोली और फिर नज़रें नीची कर आगे बोली 'लेकिन यहाँ के रेट्स तो देखो...'
'मनिका...' जयसिंह बोले.
'हाँ पापा?' मनिका ने उनकी तरफ देखा, जयसिंह उसे देखते रहे पर कुछ बोले नहीं. एक-दो सेकंड ही बीते थे कि मनिका उनका इशारा समझ गई और हँसते हुए बोली 'हीही पापा मैं समझ गई...कि पैसों की चिंता नहीं करनी है.'
जयसिंह ने उसका गाल थपथपाया और बोले, 'वैरी गुड.' आधा घंटा बीतते-बीतते मनिका ने तीन जीन्स और चार-पाँच टॉप्स पसंद कर लिए थे और सेल्स-गर्ल से उन्हें एक तरफ रखने को बोल दिया था. जयसिंह साइड में खड़े शॉपिंग करती हुई मनिका को ऑब्सर्व कर रहे थे; मनिका अब वहाँ रैक पर रखीं शॉर्ट्स और स्कर्ट्स को उठा कर देख रही थी, कुछ देर बाद वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई पार्टी-वियर ड्रेसेस के पास पहुँची फिर आगे बढ़ते हुए उसने कुछ और टॉप्स उठा कर देखे थे और इस तरह घूमते हुए वह असेसरीज के सेक्शन में से होती हुई घूम कर वापस उनकी तरफ आ गई थी,
'क्या हुआ? देख लिया सब कुछ?' जयसिंह ने पूछा.
'कहाँ पापा. इतना कुछ है यहाँ कि पूरा दिन लग जाए मेरा तो.' मनिका ने मुस्का कर कहा.
'और कुछ पसंद आया तुम्हें?'
'पसंद तो पूरा स्टोर ही आ गया है पापा...पर क्या करूँ...आज के बाद कहीं आप फिर कभी मुझसे पैसों की चिंता ना करने को नहीं बोले तो...' मनिका ने शरारत भरी नज़र से उन्हें देखते हुए कहा.
'हाहाहा...अच्छा तो ये बात है. बड़ी सयानी हो तुम भी.' जयसिंह ने हँस कर कहा.
'वो तो मैं हूँ ही...' मनिका इठलाई.
'लेकिन अभी तो और चीज़ें ले सकती हो अगर तुम्हारा मन है तो. उधर क्या है, कुछ पसंद नहीं आया तुम्हें?' जयसिंह ने जिस तरफ से वो घूम कर आई थी उधर हाथ से इशारा करते हुए पूछा था.
'ओह उधर?' मनिका ने एक रहस्यमई मुस्कान बिखेरते हुए कहा 'वो आप देखोगे तो लेने से मना कर दोगे.'
'क्यूँ? ऐसा क्या है.' जयसिंह अनजान बनते हुए बोले.
'है तो कपड़े ही पापा...कपड़ो के स्टोर में टमाटर थोड़े ही होंगे...' मनिका ने होशियारी दिखाते हुए कहा था 'लेकिन आप को पसंद नहीं आएँगे. वो थोड़े छोटे-टाइप्स हैं...' उसने दोनों हाथों से हवा में छोटा होने का हाव बनाकर कहा.
'अरे ऐसा कुछ नहीं है, तुम को जो पसंद है वो चीज़ ले सकती हो तुम ओके?' जयसिंह ने थोड़ा गंभीर हो उससे कहा.
'हाँ पापा आई क्नॉ दैट.' मनिका ने उन्हें आश्वासन दिया.
'हाँ तो फिर बाय (खरीद लो) जो भी तुम्हें लेना हो, ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलेगा.' जयसिंह ने उसकी पीठ पर थपकी देकर कहा.
'हाहाहा...पापा अब आप इतना इंसिस्ट कर रहे हो तो ले ही लेती हूँ.' मनिका ने शरारत भरी स्माइल फिर से देकर कहा. उसके मन में लडडू फूट रहे थे.
मनिका ने दोबारा शॉर्ट्स और स्कर्ट्स वाले सेक्शन में जा सेल्स-गर्ल से बात की जिसके बाद सेल्स-गर्ल ने उसे काउंटर पर फिर से कपड़े दिखाने शुरू कर दिए. जयसिंह वहीँ लगे एक सोफे पर बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगे. काफी देर बाद मनिका वापस आई, जयसिंह ने उसे फिर से हर एक सेक्शन में जाते हुए देखा था 'आज पहली बार क्रेडिट-कार्ड का पूरा सही इस्तेमाल होगा.' जयसिंह ने बैठे हुए सोचा था और मुस्कुरा उठे थे.
'हेय पापा.' मनिका ने उनके पास आते हुए कहा.
'हाँ भई? हो गई शॉपिंग पूरी?' उन्होंने पूछा.
'हाँ पापा डन.' मनिका ख़ुशी-ख़ुशी बोली.
'ले लिया सब कुछ या अभी और कुछ बाकी है?' जयसिंह ने उठते हुए पूछा.
'हेहेहे पापा वो तो आपको बिल देख कर पता चल जाएगा.' मनिका ने मुस्कान बिखेरते हुए कहा 'वैसे आपको मम्मी के लिए कुछ लेना हो तो ले सकते हो. वहाँ आगे की तरफ ट्रेडिशनल क्लोथ्स का भी सेक्शन है.'
'उसे तो मैं लक्ष्मी क्लॉथ स्टोर से दिला दूंगा.' जयसिंह ने अपने शहर की सूट-साड़ियों की एक दूकान का नाम लेकर कहा.
'ईहहहहहाहा पापा!' उनकी बात सुन कर मनिका की जोर की हँसी छूट गई थी. वह कुछ देर तक वैसे ही खड़ी हुई हंसती रही. इधर-उधर खड़े लोगों का ध्यान भी उसकी तरफ आकर्षित हो गया था. कुछ लोग उन्हें देख कर मुस्कुरा भी रहे थे.
'अरे अब बस करो मनिका...लोग देख रहें हैं कि कहीं पागल तो नहीं है ये लड़की.' मनिका की रह-रह छूटती हँसी को देख कर जयसिंह ने कहा.
'ओह पापा यू आर सो सो फनी...रियली...' मनिका ने आखिर अपनी हँसी पर काबू पाते हुए कहा.
'अरे भई अगर संचिता को कपड़े दिलाने होते तो उसे न लेकर आता यहाँ, वैसे भी ज़िन्दगी भर दिलाता आया हूँ उसे तो...आज तुम्हारी बारी है.' जयसिंह ने भी शरारती लहजे में कहा.
'ऊऊओह्हह्हह रियली पापा...' मनिका ने अपनी हसीन अदा से पूछा.
'और नहीं तो क्या..?' जयसिंह उसे निहारते हुए बोले.
'पर पापा आपने तो मुझे कुछ दिलाया ही नहीं...' मनिका ने भोला सा चेहरा बना कर कहा.
'हैं? तो फिर ये सब शॉपिंग जो तुमने की है इसका बिल क्या...' जयसिंह बोलते हुए रुक गए. वे कहने वाले थे कि बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा. लेकिन मनिका समझ गई थी,
'हिहाहा हाँ पापा...वही भरेगा.' उसने उन्हें छेड़ा.
'अब मुझे लग रहा है कि गलत ले आया मैं तुम्हें शॉपिंग कराने.' जयसिंह भी कहाँ पीछे रहने वाले थे.
'हेहे पापा. बट मेरा वो नहीं था मतलब. आई मीन के आप तो सिर्फ पे कर रहे हो इस सब के लिए. आपने अपनी पसंद से तो मुझे कुछ दिलाया ही नहीं...' मनिका ने उन्हें समझाते हुए कहा.
'ओह तो ऐसा क्या?' जयसिंह के मन में लडडू फूटा.
'हाँ ऐसा.' मनिका ने उनकी नक़ल करते हुए कहा था.
जयसिंह ने कुछ पल सोच कर कहा 'तो क्या दिलाऊं फिर मैं तुम्हें?'
'अगर मैं ही बताउंगी तो फिर सेम ही बात रहेगी ना पापा.' मनिका ने मजे लेते हुए कहा.
'ह्म्म्म...'
'सोचो-सोचो कुछ अच्छा सा.' मनिका उन्हें उकसा कर खुश हो रही थी.
'अच्छे बुरे से तुम्हें क्या मतलब, मेरी पसंद की चीज़ होनी चाहिए ना, न की तुम्हारी पसंद की.' जयसिंह ने मनिका का ही तीर वापस उस पर चलाते हुए कहा और आगे बोले, 'चीज़ तो मैंने सोच ली है बट उसे कहते क्या हैं ये मुझे नहीं पता...और हो सकता है तुम वो पहले ही खरीद चुकी हो.'
'मुझे डिसकराईब करके बताओ...आई विल हेल्प यू आउट.' मनिका ने उत्सुकता से कहा.
'अरे वही पेंट जो तुम घर से पहन कर निकली थी...' जयसिंह बोल ही रहे थे कि मनिका ने ठहाका लगा कर उनकी बात काट दी,
'हाहाहा नॉट पेंट पापा! आपको तो सच में कुछ नहीं पता.' मनिका बोली 'लेग्गिंग्स...दे आर कॉल्ड लेग्गिंग्स और मैंने वो नहीं ली है सो आप मुझे दिला सकते हो.' और फिर से खिलखिलाने लगी.
जब मनिका ने कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता तो जयसिंह के मन में विचार आया था 'पता तो मुझे तेरी कच्छी के रंग का भी है जानेमन.' पर उन्होंने मुस्का कर उसे कहा,
'तो आओ चलो मेरी पसंद की लेग्गिंग्स लेते हैं तुम्हारे लिए...' जयसिंह मनिका को लेकर फिर से सेल्स-गर्ल के पास पहुँचे और उसे लेग्गिंग्स दिखाने को कहा. सेल्स गर्ल ने मनिका की तरफ देख कर पूछा,
'फॉर यू मैम?'
'येस.' मनिका ने हाँ भरी.
'सेम साइज़ मैम? आई एम् सॉरी व्हाट वास इट अगैन? ' सेल्स-गर्ल ने पूछा. मनिका ने पहले उससे कपड़े लेते वक्त उसे साइज़ बताया था.
मनिका उसका सवाल सुन सकपका गई. जयसिंह पास खड़े सुन रहे थे कि वह क्या जवाब देती है. जब सेल्स-गर्ल उसे सवालिया नज़रों से देखती रही तो मनिका ने धीमे से सकुचा कर कहा,
'थर्टी-फोर...' मनिका ने यह बिलकुल नहीं सोचा था कि उसे अपने फिगर का माप बताना पड़ेगा, उसका उत्साह थोड़ा ठंडा पड़ गया था.
'आह चौंतीस...मुझे लग ही रहा था कुतिया की गांड है तो भरी-भरी...' जयसिंह के मन में मनिका का कहा सुनते ही हिलोरे उठे थे.
'बट मैम आई रेकेमेंड की आप ३० (तीस) या ३२ (बत्तीस) साइज़ में लेग्गिंग्स देख लें.' सेल्स-गर्ल बोली.
'क्यूँ? वो छोटी नहीं रहेंगी?' मनिका से तो कुछ कहते बना नहीं था पर जयसिंह ने सवाल उठा कर मनिका की तरफ देखा था, उसकी नज़रें काउंटर पर गड़ी थी.
'एक्चुअली सर लेग्गिंग्स आर मेड ऑफ़ वैरी स्ट्रेचेबल मटेरियल सो मैम के बिलकुल फिट आएँगी.' सेल्स-गर्ल ने उन्हें समझाया.
'हम्म ओके. आप ३० साइज़ में ही दिखा दीजिए फिर तो...' जयसिंह बोले. मनिका ने एक नज़र उनकी तरफ देखा था फिर वापिस नज़रें झुका खड़ी रही. जयसिंह द्वारा उसके कमर और अधोभाग के नाप के बारे में ऐसे बात करने ने उसे एम्बैरेस कर दिया था और वह अब सोच रही थी कि काश उसने अपना मुहँ बंद रखा होता और चुपचाप जयसिंह को बिल चुकाने जाने दिया होता, 'वैसे भी मैंने इतनी शॉपिंग तो कर ही ली है...' उसने अफ़सोस करते हुए सोचा. उसका उत्साह अब पूरी तरह ठंडा पड़ चुका था.
सेल्स-गर्ल लेग्गिंग्स दिखाने लगी. जयसिंह ने उनमें से सबसे झीने कपड़े वाली एक लेग्गिंग मनिका को दिखा कर पूछा था कि उसे वह कैसी लगी. वहाँ से जल्दी हटने के मारे मनिका ने बिना अच्छे से देखे ही कहा था कि आप दिला दो जो भी आपको पसंद है. जयसिंह ने मंद-मंद मुस्का कर मनिका को देखा और वह लेग्गिंग सेलेक्ट कर ली थी.
मनिका ने आखिर चैन की साँस ली थी और जयसिंह के साथ बिलिंग डेस्क पर जाने के लिए मुड़ी,
'मैम?' पीछे से सेल्स-गर्ल की आवाज आई.
'येस?' मनिका ने वापस मुड़ कर जानना चाहा कि वह क्या कहना चाहती है. जयसिंह भी रुक गए थे.
'वी हैव अ न्यू लॉनजुरे (सेक्सी ब्रा-पैंटी और नाइटी) कलेक्शन दैट जस्ट केम इन वुड यू लाइक टू हैव अ लुक.' सेल्स-गर्ल ने पूछा.
सेल्स-गर्ल्स को तो यही ट्रेनिंग दी जाती है कि जब कपल्स आएं तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा लुभा कर रोके रखने की कोशिश किया करें. मनिका को लेग्गिंग्स दिलाते जयसिंह को देख उस बेचारी सेल्स-गर्ल को क्या पता चलता की वे उसके पिता हैं. मनिका की तो काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो चुकी थी.
'व्हॉट..?' उसके मुहँ से निकला था.
'येस मैम, ब्रा एंड पैंटी कलेक्शन इन लेस एंड सिल्क.' सेल्स-गर्ल ने समझा था की वह पूछ रही है की क्लेक्शन में क्या-क्या है?
यह सुनते ही मनिका का मुहँ जयसिंह की तरफ घूमा, यह देखने को कि क्या उन्होंने सब सुन लिया था? ऑब्वियस्ली उन्होंने सुन लिया था, वे उसके बगल में ही तो खड़े थे. मनिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया,
'न..नो..' उसने सेल्स-गर्ल को जरा तल्खी से कहा था.
'ले लो मनिका अगर चाहिए तो...' जयसिंह थे.
मनिका को जैसे चार सौ वॉल्ट का झटका लगा, उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था की जयसिंह ने ऐसा कह दिया था 'उसके पिता उसे ब्रा-पैंटी लेने को कह रहे थे.'
गुमराह पिता की हमराह बेटी--4
जयसिंह और मनिका जब अगली सुबह आ कर कैब में बैठे तो कैब ड्राईवर ने उनसे कहा कि वह उन्हें दिल्ली की लगभग सभी पॉप्युलर साइट्स दिखा चुका है सो आज वो उन्हें कोई खास सैर नहीं करा सकेगा (ड्राईवर उनसे थोड़ा घुल-मिल चुका था क्यूँकि रोज़ वही उनके लिए कार लेकर आता था और जयसिंह की जेनेरस टिप्स की वजह से वह उनकी इमदाद थोड़ी ज्यादा ही करने लगा था), इस पर मनिका का उत्साह ज़रा फीका पड़ गया,
'अब क्या करें पापा?' मनिका ने कुछ निराश आवाज़ में जयसिंह से पूछा.
'अरे भई पूरी दिल्ली घूम डाली है अब और क्या करना है? घर चलते हैं...' जयसिंह ने मजाक करते हुए कहा.
'नो पापा.' मनिका फटाक से बोली 'अभी तो हमारे पास आधे से ज्यादा वीक पड़ा है. डोंट जोक एंड बी सीरियस ना.'
जयसिंह मनिका के जवाब से बहुत खुश हुए, 'हाहाहा... ठीक है ठीक है. दिल्ली में करने के लिए कामों की कमी थोड़े ही है.'
'तो वही तो मैं पूछ रही हूँ ना सजेस्ट करो कुछ, ड्राईवर भैया ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं आज.' मनिका ने फ्रस्ट्रेट हो कर कहा.
उसकी बात सुन ड्राईवर ने कुछ खिसिया कर फिर कहा था कि उसे जितना पता था वो उन्हें घुमा चुका है.
'हाहाहा...अरे मनिका तुमने तो मूड ऑफ कर लिया.' जयसिंह हंस कर बोले 'चलो तुम्हारा मूड ठीक करें, अपन ऐसा करते हैं आज कोई मूवी चलते हैं और फिर तुम उस दिन कह रहीं थी न कि तुम्हे कुछ शॉपिंग करने का मन है?'
मनिका अगले ही पल फिर से चहकने लगी थी.
'ओह पापा यू आर सो वंडरफुल.' वह ख़ुशी से बोली 'आप को ना मेरा मूड ठीक करना बड़े अच्छे से आता है...और आपको याद थी? मेरी शॉपिंग वाली विश...हाऊ स्वीट. मुझे लगा भूल गए होंगे आप और मुझे फिर से याद कराना पड़ेगा.'
'कोई बात मिस की है तुम्हारी आज तक मैंने मनिका?' जयसिंह ने झूठे शिकायती लहजे में कहा.
'ऑ पापा. नहीं भई कभी नहीं की...' मनिका ने होंठों से पाऊट करते हुए कहा.
मनिका की इस अदा ने जयसिंह के मन में लगी आग में घी डालने का काम किया था 'देखो साली कैसा प्यार जता रही है. इन्हीं मोठे होंठों ने तो जान निकाल रखी है मेरी...चिनाल खुश तो हो गई चलो.' उन्होंने मन में सोचा और ड्राईवर से बोले,
'चलो ड्राईवर साहब पी.वी.आर. चलना है आज.'
जब ड्राईवर उन्हें लेकर चल पड़ा था तो कुछ देर बाद मनिका ने जयसिंह से कहा था,
'एक बार तो डरा दिया था आपने मुझे...'
'हैं? अब मैंने क्या किया?' जयसिंह हैरान हो बोले.
'आप बोल रहे थे ना कि घर चलो वापस.' मनिका मुस्काते हुए बोली थी.
'हाहाहा.' जयसिंह ने ठहाका लगाया और बोले 'क्यूँ घर नहीं जाना तुम्हें?'
'नहीं...' मनिका ने आँखें मटका कर कहा था. जयसिंह मुस्का दिए और उसके गले में अपना हाथ डाल उसे अपने साथ लगा कर बैठा लिया.
ड्राईवर उन्हें कनॉट-प्लेस में बने पी.वी.आर. प्लाजा ले गया था. मनिका पहली बार मल्टीप्लेक्स में फ़िल्म देखने आई थी. उसने वहाँ रखा मूवी टाइमिंगस् का कार्ड उठाया.
'पापा!' कार्ड देखते ही मनिका का उत्साह दोगुना हो गया था.
'क्या हुआ इतना एक्साईटमेंट?' जयसिंह ने भौंऐ उठा कर पूछा.
'पापा, जाने तू या जाने ना रिलीज़ हो गई! मैं तो भूल ही गई थी यहाँ आ कर कि ये इसी मंथ रिलीज़ होने वाली है. आई सो वांट टू वॉच इट.' मनिका की आँखों में ख़ुशी चमक रही थी.
'अच्छा तो चलो फिर यही देखेंगे हम भी...' जयसिंह ने मुस्कुरा कर कहा. उन्होंने जा कर टिकट्स ले लीं और मनिका के साथ हाथों में हाथ डाले थिएटर के अंदर चल दिए.
मनिका ने पहली बार इतना अच्छा मूवी-हॉल देखा था, उनके बाड़मेर में तो ले देकर एक-दो सिनेमा थे जिनमें सिर्फ बी-ग्रेड फ़िल्में लगा करतीं थी. एक दो बार अपनी मौसी के यहाँ जयपुर जाने पर जरूर उसने थिएटर में फ़िल्में देखीं थी पर इस जगह की तो बात ही कुछ और थी. वहाँ का क्राउड भी मॉडर्न और टॉप-क्लास था. वे अपनी सीट्स पर जा बैठे,
'कितना मजा आ रहा है ना पापा?' उत्साह भरी मनिका ने जयसिंह से जानना चाहा.
'अभी तो फ़िल्म शुरू ही नहीं हुई...खाली लाल पर्दा देख कर ही मजा आ रहा है तुम्हें?' जयसिंह ने आदतवश् मनिका को चिढ़ाया.
'ओह पापा क्या है...मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है यहाँ.' मनिका ख़ुशी-ख़ुशी इधर-उधर नज़रें दौड़ते हुए बोली.
कुछ देर बाद फ़िल्म शुरू हो गई. फ़िल्म चले थोड़ा ही वक़्त हुआ था कि पी.वी.आर. स्टाफ का एक बन्दा उनसे खाने-पीने के लिए स्नैक्स का ऑर्डर लेने आ गया. मनिका पर उनकी सर्विस का इम्प्रैशन और बढ़ गया था. उन्होंने पॉपकॉर्न, कोल्डड्रिंक और नाचोस् ऑर्डर किए. कुछ देर बाद खाने का सामान भी आ गया. मनिका को बहुत मजा आ रहा था और ऊपर से फ़िल्म भी अच्छी थी.
जयसिंह को पॉपकॉर्न और मसाले भरे नाचोस् खा लेने से प्यास लग आई थी, उन्होंने कोल्डड्रिंक भी नही मँगवाई थी. उन्होंने फ़िल्म देखने में डूबी मनिका को हौले से बताया कि वे पानी पीने जा रहें हैं जिस पर मनिका ने उन्हें अपनी कोल्डड्रिंक ऑफर कर दी. जयसिंह एक पल ठिठके और फिर मनिका के हाथ से ग्लास ले ली. मनिका की जूठी स्ट्रॉ (पाइप) पर मुहँ लगा कर उन्होंने कोल्डड्रिंक का सिप लिया. मनिका के होंठों से निकली स्ट्रॉ ने उनके लिए कोल्डड्रिंक की मिठास और बढ़ा दी थी.
इंटरवल हो जाने पर जयसिंह ने मनिका को यह कहकर एक कोल्डड्रिंक और ले दी थी कि उसकी पहली कोल्डड्रिंक तो आधी उन्होंने ही ख़त्म कर दी थी और बाद में जब मनिका ने एक बार फिर उन्हें कोल्डड्रिंक ऑफर की तो उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी हाथ बढ़ा दिया था.
जयसिंह मनिका के साथ कनॉट-प्लेस एक कैफ़े में बैठे थे. मनिका ने फिल्म के दौरान स्नैक्स खा लेने के बाद लंच लेने में असमर्थता जाहिर की थी सो वे आज हल्का-फुल्का खाना खाने आए थे. मनिका को फिल्म बहुत पसंद आई थी और बाहर आने के बाद से वह जयसिंह से उसी के बारे में बातें कर रही थी.
'पापा मूवी कितनी अच्छी थी ना?' मनिका ने उनसे पूछा.
'हाँ बहुत अच्छी थी.' दो कोल्डड्रिंक उसके साथ पीने के बाद जयसिंह को तो फिल्म अच्छी लगनी ही थी.
'कितना अच्छा कॉन्सेप्ट था ना?' मनिका बोल रही थी 'सच अ स्वीट मूवी.'
'हम्म...आई एम ग्लैड के तुम्हें मूवी अच्छी लगी मनिका.' जयसिंह ने हामी भरी.
मनिका वह रोमेंटिक फिल्म देखने से जरा भावुक हो रही थी, जयसिंह की बात सुन कर उसके मन में एक सवाल आया जो एक-दो बार पहले भी उसके मन में उठ चुका था.
'पापा?'
'हम्म?'
'एक बात पूछूँ?' मनिका ने अपनी कॉफ़ी में चम्मच घुमाते हुए कहा.
'हाँ क्या बात है बोलो..?' जयसिंह ने कौतुहल से पूछा.
'आजकल आप मुझे मेरे नाम से ही क्यूँ बुलाते हो?' मनिका ने उनकी तरफ देखा.
'हैं? तो और किसके नाम से बुलाऊं तुम्हें..?' जयसिंह उसका आशय समझ गए थे पर उन्होंने जानबूझकर उसे बहलाने की कोशिश की थी.
'अरे मेरा मतलब है आप मुझे मनिका-मनिका कह कर बुलाते हो, पहले तो मेरे निकनेम लवली से बुलाया करते थे?' मनिका ने हल्की से मुस्कान के साथ सवाल किया था.
जयसिंह को इस तरह के सवाल की उम्मीद नहीं थी. वे एक पल के लिए थोड़ा घबरा गए थे पर उन्होंने उसे यह जाहिर नहीं होने दिया. 'उम्म्म...' उन्होंने जल्दी से अपने दीमाग के घोड़े दौड़ाए. सच बोलने में ही उनकी भलाई थी 'वैल...'
जब जयसिंह ने कुछ पल बाद भी सवाल का जवाब नहीं दिया था तो मनिका का भी कौतुहल जाग गया.
'बताओ ना पापा क्या रीज़न है?' वह अब उनकी आँखों में आँखें डाले हुए थी.
'वैल तुम्हारी बात तो सही है कि आजकल मैं तुम्हें मनिका कहने लगा हूँ...मे-बी इसलिए...' जयसिंह थोड़े रुक-रुक कर बोल रहे थे.
'क्या पापा? इतना क्या मिस्टीरियस रीज़न है?' मनिका अब पूरी तरह से इंटरेस्टेड थी उनका जवाब सुनने में.
'अह्...रीज़न शायद यही है कि यहाँ आने से पहले हम एक-दूसरे से इतना घुले-मिले नहीं थे, आई मीन ऑब्वियस्ली हम घर पर साथ ही रहते हैं लेकिन...आफ्टर कमिंग हेयर हम...' जयसिंह उसे बताने का स्ट्रगल कर रहे थे जब मनिका ने उनकी मुश्किल खुद ही हल कर दी,
'येस पापा आई क्नॉ आप क्या कहना चाह रहे हो. यहाँ आने के बाद से वी हैव बिकम लाइक फ्रेंड्स...है ना?'
'एग्सैक्टली.' डूबते हुए जयसिंह को बस एक तिनके का सहारा काफी था 'सो इसीलिए मैं तुम्हें मनिका बुलाने में थोड़ा ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करता हूँ क्यूँकि तुम्हें लवली कहने पर फिर मुझे भी तुम्हें, एक पैरेंट की तरह, रोकना-टोकना पड़ेगा ऐसा फील होता है.'
जयसिंह ने बहुत ही शानदार तरीके से अपने शब्दों को पिरोया था और साथ ही इस पूरे वार्तालाप के बीच उन्होंने न तो एक बार भी मनिका को सीधे-सीधे अपनी बेटी कहा और ना ही अपने आप को उसका पिता. उन्होंने देखा मनिका भी हाँ में सिर हिला रही थी,
'ओह पापा. यू आर सच अ कूल पर्सन यू क्नॉ...मैं भी कल यही सोच रही थी कि हाओ वेल यू हैव ट्रीटेड मी...आई मीन आपने हमेशा मेरा ख्याल रखा है पर यहाँ आने के बाद यू हैव बिकम अ फादर एंड अ फ्रेंड टू मी...' मनिका ने चेहरे के साथ-साथ हाथों से भी अपने भाव प्रकट करते हुए कहा.
'हाहाहा... नॉट अ फादर मनिका.' जयसिंह ने मनिका को आँख मारी ' नहीं तो चलो घर वापस लवली.' उन्होंने बात मजाक करने के अंदाज़ में कही थी पर उनका इरादा उसे दोबारा ऐसा कहने से रोकने का था.
'ओह नो पापा... यू प्लीज कॉल मी मनिका ओनली.' मनिका ने भी मजाक-मजाक में झूठी चिंता जता कर कहा.
'हाहा...' जयसिंह हँस दिए.
'पापा यू क्नॉ व्हॉट? मेरे माइंड में एक बात आई अभी...' मनिका मुस्कुराई, उसकी आँखों में चमक थी.
'अब क्या?' जयसिंह ने झूठ-मूठ का डर दिखाया.
'ओह पापा स्टॉप एक्टिंग ओके...मैं सोच रही थी की वी हैव बिकम फ्रेंड्स लाइक जय एंड अदिति इन द मूवी वी सॉ...और इट्स सो फनी कि आपका नाम भी जय है...हाहा...' मनिका ने हँसते हुए कहा.
'हाहा...एक तो तुम्हारा मूवी का भूत नहीं उतर रहा कबसे...' जयसिह मन ही मन खुश हो बोले.
'हेहे...आई क्नॉ पापा. मुझे बहुत अच्छी लगी मूवी बताया ना आपको.' उसने दोहराया.
बातें करते हुए उन्होंने अपनी डाइट खत्म कर ली थी. जयसिंह ने उठ कर मनिका की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और टोह लेते हुए कहा,
'चलो लवली, अभी तुम्हारी शॉपिंग तो बाकी ही पड़ी है.'
मनिका ने उनका हाथ थाम उठते हुए मुहँ बनाया और इस बार आग्रहपूर्वक कहा था, 'पापा प्लीज कॉल मी मनिका ना...' और उनके साथ कैफ़े से बाहर निकल चली.
***
जयसिंह ने कैब ड्राईवर से उन्हें किसी अच्छे शॉपिंग मॉल में ले चलने को कहा था पर ड्राईवर ने उन्हें दिल्ली का साउथ-एक्स मार्केट जाने की सलाह दी और उनके हाँ कहने पर उन्हें वहाँ ले जा छोड़ा था.
मनिका जैसे उस पॉश मार्केट को देख स्वप्न-लोक में पहुँच गई थी. चारों तरफ चका- चौंध भरे डिस्प्ले में तरह-तरह के फैशनेबल कपड़े, मेकअप का सामान और दुनिया जहान की चीज़ें थी वहाँ, 'वाओ पापा...' मनिका ने खुश होते हुए कहा था.
वे लोग अब एक-एक कर शोरूम्स में सामान देखने लगे. कुछ देर बाद घूमते-घूमते वे एक कपड़ों और असेसरीज (बेल्ट, पर्स, घड़ीयां इत्यादि) के मेगा-स्टोर लाईफ-स्टाइल में जा पहुँचे, जहाँ हर ब्रैंड के कपड़े मिलते थे. स्टोर में जब एक सेल्स-बॉय ने उनसे पूछा कि वे क्या लेना पसँद करेंगे तो जयसिंह ने मनिका की तरफ इशारा कर दिया था, कि वह उसके लिए कपड़े देखने आए हैं. उसने उन्हें विमेंस-सेक्शन की तरफ जाने को कहा था जो की स्टोर में पीछे की तरफ था.
जयसिंह ने मनिका से कहा,
'जाओ भई देख लो और पसंद से लेलो जो लेना है...'
'आप नहीं आ रहे हो पापा?' मनिका ने सवालिया निगाहों से उन्हें देखा.
'मैं क्या करूँगा वहाँ, लड़कियों का सामान होगा सब.'
'तो क्या हुआ पापा सजेस्ट तो कर ही सकते हो ना मुझे, आओ ना आई नीड योर हेल्प.' मनिका ने जिद की, जयसिंह कैसे न जाते.
विमेंस-सेक्शन में रखा कलेक्शन देख मनिका की बांछें खिल उठीं थी, वहाँ सब नए और लेटेस्ट डिज़ाइनस के कपड़े थे, जो उनके शहर में हमेशा पुराने हो जाने के बाद ही पहुँचा करते थे. वह उत्साह से कभी इधर तो कभी उधर जा-जा कर कपड़े उलट-पलट कर देख रही थी.
'पापा इतना अच्छा कलेक्शन है यहाँ पर.' मनिका ने जयसिंह से आँखें मटका कर कहा. उसका आशय साफ़ था कि क्या वह शॉपिंग कर सकती है?
'हाँ तो कर लो न पसंद...' जयसिंह ने उसे फिर कहा.
'हाँ पापा...' मनिका बोली और फिर नज़रें नीची कर आगे बोली 'लेकिन यहाँ के रेट्स तो देखो...'
'मनिका...' जयसिंह बोले.
'हाँ पापा?' मनिका ने उनकी तरफ देखा, जयसिंह उसे देखते रहे पर कुछ बोले नहीं. एक-दो सेकंड ही बीते थे कि मनिका उनका इशारा समझ गई और हँसते हुए बोली 'हीही पापा मैं समझ गई...कि पैसों की चिंता नहीं करनी है.'
जयसिंह ने उसका गाल थपथपाया और बोले, 'वैरी गुड.' आधा घंटा बीतते-बीतते मनिका ने तीन जीन्स और चार-पाँच टॉप्स पसंद कर लिए थे और सेल्स-गर्ल से उन्हें एक तरफ रखने को बोल दिया था. जयसिंह साइड में खड़े शॉपिंग करती हुई मनिका को ऑब्सर्व कर रहे थे; मनिका अब वहाँ रैक पर रखीं शॉर्ट्स और स्कर्ट्स को उठा कर देख रही थी, कुछ देर बाद वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई पार्टी-वियर ड्रेसेस के पास पहुँची फिर आगे बढ़ते हुए उसने कुछ और टॉप्स उठा कर देखे थे और इस तरह घूमते हुए वह असेसरीज के सेक्शन में से होती हुई घूम कर वापस उनकी तरफ आ गई थी,
'क्या हुआ? देख लिया सब कुछ?' जयसिंह ने पूछा.
'कहाँ पापा. इतना कुछ है यहाँ कि पूरा दिन लग जाए मेरा तो.' मनिका ने मुस्का कर कहा.
'और कुछ पसंद आया तुम्हें?'
'पसंद तो पूरा स्टोर ही आ गया है पापा...पर क्या करूँ...आज के बाद कहीं आप फिर कभी मुझसे पैसों की चिंता ना करने को नहीं बोले तो...' मनिका ने शरारत भरी नज़र से उन्हें देखते हुए कहा.
'हाहाहा...अच्छा तो ये बात है. बड़ी सयानी हो तुम भी.' जयसिंह ने हँस कर कहा.
'वो तो मैं हूँ ही...' मनिका इठलाई.
'लेकिन अभी तो और चीज़ें ले सकती हो अगर तुम्हारा मन है तो. उधर क्या है, कुछ पसंद नहीं आया तुम्हें?' जयसिंह ने जिस तरफ से वो घूम कर आई थी उधर हाथ से इशारा करते हुए पूछा था.
'ओह उधर?' मनिका ने एक रहस्यमई मुस्कान बिखेरते हुए कहा 'वो आप देखोगे तो लेने से मना कर दोगे.'
'क्यूँ? ऐसा क्या है.' जयसिंह अनजान बनते हुए बोले.
'है तो कपड़े ही पापा...कपड़ो के स्टोर में टमाटर थोड़े ही होंगे...' मनिका ने होशियारी दिखाते हुए कहा था 'लेकिन आप को पसंद नहीं आएँगे. वो थोड़े छोटे-टाइप्स हैं...' उसने दोनों हाथों से हवा में छोटा होने का हाव बनाकर कहा.
'अरे ऐसा कुछ नहीं है, तुम को जो पसंद है वो चीज़ ले सकती हो तुम ओके?' जयसिंह ने थोड़ा गंभीर हो उससे कहा.
'हाँ पापा आई क्नॉ दैट.' मनिका ने उन्हें आश्वासन दिया.
'हाँ तो फिर बाय (खरीद लो) जो भी तुम्हें लेना हो, ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलेगा.' जयसिंह ने उसकी पीठ पर थपकी देकर कहा.
'हाहाहा...पापा अब आप इतना इंसिस्ट कर रहे हो तो ले ही लेती हूँ.' मनिका ने शरारत भरी स्माइल फिर से देकर कहा. उसके मन में लडडू फूट रहे थे.
मनिका ने दोबारा शॉर्ट्स और स्कर्ट्स वाले सेक्शन में जा सेल्स-गर्ल से बात की जिसके बाद सेल्स-गर्ल ने उसे काउंटर पर फिर से कपड़े दिखाने शुरू कर दिए. जयसिंह वहीँ लगे एक सोफे पर बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगे. काफी देर बाद मनिका वापस आई, जयसिंह ने उसे फिर से हर एक सेक्शन में जाते हुए देखा था 'आज पहली बार क्रेडिट-कार्ड का पूरा सही इस्तेमाल होगा.' जयसिंह ने बैठे हुए सोचा था और मुस्कुरा उठे थे.
'हेय पापा.' मनिका ने उनके पास आते हुए कहा.
'हाँ भई? हो गई शॉपिंग पूरी?' उन्होंने पूछा.
'हाँ पापा डन.' मनिका ख़ुशी-ख़ुशी बोली.
'ले लिया सब कुछ या अभी और कुछ बाकी है?' जयसिंह ने उठते हुए पूछा.
'हेहेहे पापा वो तो आपको बिल देख कर पता चल जाएगा.' मनिका ने मुस्कान बिखेरते हुए कहा 'वैसे आपको मम्मी के लिए कुछ लेना हो तो ले सकते हो. वहाँ आगे की तरफ ट्रेडिशनल क्लोथ्स का भी सेक्शन है.'
'उसे तो मैं लक्ष्मी क्लॉथ स्टोर से दिला दूंगा.' जयसिंह ने अपने शहर की सूट-साड़ियों की एक दूकान का नाम लेकर कहा.
'ईहहहहहाहा पापा!' उनकी बात सुन कर मनिका की जोर की हँसी छूट गई थी. वह कुछ देर तक वैसे ही खड़ी हुई हंसती रही. इधर-उधर खड़े लोगों का ध्यान भी उसकी तरफ आकर्षित हो गया था. कुछ लोग उन्हें देख कर मुस्कुरा भी रहे थे.
'अरे अब बस करो मनिका...लोग देख रहें हैं कि कहीं पागल तो नहीं है ये लड़की.' मनिका की रह-रह छूटती हँसी को देख कर जयसिंह ने कहा.
'ओह पापा यू आर सो सो फनी...रियली...' मनिका ने आखिर अपनी हँसी पर काबू पाते हुए कहा.
'अरे भई अगर संचिता को कपड़े दिलाने होते तो उसे न लेकर आता यहाँ, वैसे भी ज़िन्दगी भर दिलाता आया हूँ उसे तो...आज तुम्हारी बारी है.' जयसिंह ने भी शरारती लहजे में कहा.
'ऊऊओह्हह्हह रियली पापा...' मनिका ने अपनी हसीन अदा से पूछा.
'और नहीं तो क्या..?' जयसिंह उसे निहारते हुए बोले.
'पर पापा आपने तो मुझे कुछ दिलाया ही नहीं...' मनिका ने भोला सा चेहरा बना कर कहा.
'हैं? तो फिर ये सब शॉपिंग जो तुमने की है इसका बिल क्या...' जयसिंह बोलते हुए रुक गए. वे कहने वाले थे कि बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा. लेकिन मनिका समझ गई थी,
'हिहाहा हाँ पापा...वही भरेगा.' उसने उन्हें छेड़ा.
'अब मुझे लग रहा है कि गलत ले आया मैं तुम्हें शॉपिंग कराने.' जयसिंह भी कहाँ पीछे रहने वाले थे.
'हेहे पापा. बट मेरा वो नहीं था मतलब. आई मीन के आप तो सिर्फ पे कर रहे हो इस सब के लिए. आपने अपनी पसंद से तो मुझे कुछ दिलाया ही नहीं...' मनिका ने उन्हें समझाते हुए कहा.
'ओह तो ऐसा क्या?' जयसिंह के मन में लडडू फूटा.
'हाँ ऐसा.' मनिका ने उनकी नक़ल करते हुए कहा था.
जयसिंह ने कुछ पल सोच कर कहा 'तो क्या दिलाऊं फिर मैं तुम्हें?'
'अगर मैं ही बताउंगी तो फिर सेम ही बात रहेगी ना पापा.' मनिका ने मजे लेते हुए कहा.
'ह्म्म्म...'
'सोचो-सोचो कुछ अच्छा सा.' मनिका उन्हें उकसा कर खुश हो रही थी.
'अच्छे बुरे से तुम्हें क्या मतलब, मेरी पसंद की चीज़ होनी चाहिए ना, न की तुम्हारी पसंद की.' जयसिंह ने मनिका का ही तीर वापस उस पर चलाते हुए कहा और आगे बोले, 'चीज़ तो मैंने सोच ली है बट उसे कहते क्या हैं ये मुझे नहीं पता...और हो सकता है तुम वो पहले ही खरीद चुकी हो.'
'मुझे डिसकराईब करके बताओ...आई विल हेल्प यू आउट.' मनिका ने उत्सुकता से कहा.
'अरे वही पेंट जो तुम घर से पहन कर निकली थी...' जयसिंह बोल ही रहे थे कि मनिका ने ठहाका लगा कर उनकी बात काट दी,
'हाहाहा नॉट पेंट पापा! आपको तो सच में कुछ नहीं पता.' मनिका बोली 'लेग्गिंग्स...दे आर कॉल्ड लेग्गिंग्स और मैंने वो नहीं ली है सो आप मुझे दिला सकते हो.' और फिर से खिलखिलाने लगी.
जब मनिका ने कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता तो जयसिंह के मन में विचार आया था 'पता तो मुझे तेरी कच्छी के रंग का भी है जानेमन.' पर उन्होंने मुस्का कर उसे कहा,
'तो आओ चलो मेरी पसंद की लेग्गिंग्स लेते हैं तुम्हारे लिए...' जयसिंह मनिका को लेकर फिर से सेल्स-गर्ल के पास पहुँचे और उसे लेग्गिंग्स दिखाने को कहा. सेल्स गर्ल ने मनिका की तरफ देख कर पूछा,
'फॉर यू मैम?'
'येस.' मनिका ने हाँ भरी.
'सेम साइज़ मैम? आई एम् सॉरी व्हाट वास इट अगैन? ' सेल्स-गर्ल ने पूछा. मनिका ने पहले उससे कपड़े लेते वक्त उसे साइज़ बताया था.
मनिका उसका सवाल सुन सकपका गई. जयसिंह पास खड़े सुन रहे थे कि वह क्या जवाब देती है. जब सेल्स-गर्ल उसे सवालिया नज़रों से देखती रही तो मनिका ने धीमे से सकुचा कर कहा,
'थर्टी-फोर...' मनिका ने यह बिलकुल नहीं सोचा था कि उसे अपने फिगर का माप बताना पड़ेगा, उसका उत्साह थोड़ा ठंडा पड़ गया था.
'आह चौंतीस...मुझे लग ही रहा था कुतिया की गांड है तो भरी-भरी...' जयसिंह के मन में मनिका का कहा सुनते ही हिलोरे उठे थे.
'बट मैम आई रेकेमेंड की आप ३० (तीस) या ३२ (बत्तीस) साइज़ में लेग्गिंग्स देख लें.' सेल्स-गर्ल बोली.
'क्यूँ? वो छोटी नहीं रहेंगी?' मनिका से तो कुछ कहते बना नहीं था पर जयसिंह ने सवाल उठा कर मनिका की तरफ देखा था, उसकी नज़रें काउंटर पर गड़ी थी.
'एक्चुअली सर लेग्गिंग्स आर मेड ऑफ़ वैरी स्ट्रेचेबल मटेरियल सो मैम के बिलकुल फिट आएँगी.' सेल्स-गर्ल ने उन्हें समझाया.
'हम्म ओके. आप ३० साइज़ में ही दिखा दीजिए फिर तो...' जयसिंह बोले. मनिका ने एक नज़र उनकी तरफ देखा था फिर वापिस नज़रें झुका खड़ी रही. जयसिंह द्वारा उसके कमर और अधोभाग के नाप के बारे में ऐसे बात करने ने उसे एम्बैरेस कर दिया था और वह अब सोच रही थी कि काश उसने अपना मुहँ बंद रखा होता और चुपचाप जयसिंह को बिल चुकाने जाने दिया होता, 'वैसे भी मैंने इतनी शॉपिंग तो कर ही ली है...' उसने अफ़सोस करते हुए सोचा. उसका उत्साह अब पूरी तरह ठंडा पड़ चुका था.
सेल्स-गर्ल लेग्गिंग्स दिखाने लगी. जयसिंह ने उनमें से सबसे झीने कपड़े वाली एक लेग्गिंग मनिका को दिखा कर पूछा था कि उसे वह कैसी लगी. वहाँ से जल्दी हटने के मारे मनिका ने बिना अच्छे से देखे ही कहा था कि आप दिला दो जो भी आपको पसंद है. जयसिंह ने मंद-मंद मुस्का कर मनिका को देखा और वह लेग्गिंग सेलेक्ट कर ली थी.
मनिका ने आखिर चैन की साँस ली थी और जयसिंह के साथ बिलिंग डेस्क पर जाने के लिए मुड़ी,
'मैम?' पीछे से सेल्स-गर्ल की आवाज आई.
'येस?' मनिका ने वापस मुड़ कर जानना चाहा कि वह क्या कहना चाहती है. जयसिंह भी रुक गए थे.
'वी हैव अ न्यू लॉनजुरे (सेक्सी ब्रा-पैंटी और नाइटी) कलेक्शन दैट जस्ट केम इन वुड यू लाइक टू हैव अ लुक.' सेल्स-गर्ल ने पूछा.
सेल्स-गर्ल्स को तो यही ट्रेनिंग दी जाती है कि जब कपल्स आएं तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा लुभा कर रोके रखने की कोशिश किया करें. मनिका को लेग्गिंग्स दिलाते जयसिंह को देख उस बेचारी सेल्स-गर्ल को क्या पता चलता की वे उसके पिता हैं. मनिका की तो काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो चुकी थी.
'व्हॉट..?' उसके मुहँ से निकला था.
'येस मैम, ब्रा एंड पैंटी कलेक्शन इन लेस एंड सिल्क.' सेल्स-गर्ल ने समझा था की वह पूछ रही है की क्लेक्शन में क्या-क्या है?
यह सुनते ही मनिका का मुहँ जयसिंह की तरफ घूमा, यह देखने को कि क्या उन्होंने सब सुन लिया था? ऑब्वियस्ली उन्होंने सुन लिया था, वे उसके बगल में ही तो खड़े थे. मनिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया,
'न..नो..' उसने सेल्स-गर्ल को जरा तल्खी से कहा था.
'ले लो मनिका अगर चाहिए तो...' जयसिंह थे.
मनिका को जैसे चार सौ वॉल्ट का झटका लगा, उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था की जयसिंह ने ऐसा कह दिया था 'उसके पिता उसे ब्रा-पैंटी लेने को कह रहे थे.'
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