Tuesday, March 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--145

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--145


 सपने में : बनारसी ससुराल


"फाउल , चीटिंग ,चीटिंग ,झूठे , कौवा काटेगा बड़ी जोर से " और मेरी पतंग उड़ने से पहले काटने वाली और कौन हो सकती थी , … गुड्डी।

और जब मैंने उसकी और देखा तो मम्मी के बगल में बैठी , अपनी बड़ी बड़ी गोल गोल आँखों से घूर रही थी और मेरे देखते ही बोली ,

" झूठे , मिनी को कहाँ छुपा दिया , तुम हमें उल्लू नहीं बना सकते , पूरी लिस्ट है मेरे पास फेसबुक और व्हाट्सऐप नंबर के साथ। ''

बात तो उसकी सही थी।

बुआ, मम्मी , मेरी सालियां सब मेरी ओर देख रही थीं , घूर घूर कर।

मैं हिचकते हुए बोला।

" असल में मिनी है, है तो , लेकिन ,… लेकिन वो अभी बहुत छोटी है। "

" कितनी छोटी है , " बुआ ने घूरते हुए मुझसे पूछा।

मेरी हालत खराब थी , इत्ती मुश्किल से मम्मी मानी थी और मैं भी समझ गया था बुआ की बात टालने की हिम्मत किसी में नहीं है।

किसी तरह बोली निकली।

" असल में , बुआजी , असल में वो , … वो छुटकी से भी तीन चार महीने छोटी है , अभी इसलिए। "

" तुम क्या सोचते हो हमारी छुटकी अभी चुदवाने लायक नहीं है " कुछ हड़का के कुछ मुस्करा के बुआ जी बोलीं ,


" बुआ ,जीजा के चक्कर में मुझे क्यों घसीट रही हैं ' . छुटकी चीखी।

" अरी बुद्धू , तुम समझती नहीं। तेरे भाइयों का फायदा करवा रही थी ,एक मस्त कच्ची कली मिलती उन्हें , " बुआ जी ने छुटकी को समझाया।

और छुटकी झट से समझ गयी।

और उसने पाला बदल लिया।

(मुझे बाद में पता चला की गुड्डी के मायके में बुआ -भतीजी में उसी तरह खुल के मजाक होता है जिस तरह से ननद भौजाई में और सिर्फ बातों से नहीं बल्कि 'हर तरह ' से )
और मेरी नाक पकड़ के बोली ,

" जीजू , अभी से बेईमानी। लगता है उस माल पे आप का दिल आ गया है। अरे ये बात थी तो बोलते न हमलोगों से। मैं सच कह रही हूँ , आप कह रहे हो छोटी है , अभी बच्ची है और मैं कह रही हूँ वो एकदम आलरेडी चल रही होगी। लगी शर्त , आपके सामने , कोहबर में मैं खुद उसकी बिल में ऊँगली , एक बार में दो ठेल दूंगी और गचागच घोंटेगी वो। तब तो आपको विशवास होगा न की छुटकी बहिनिया पूरे मोहल्ले में बाँट रही है। "

बुआ जी मुस्कराई लेकिन सवाल जवाब उन्होंने जारी रखा। मुझसे पुछा ,

" बोलो चूंचियां उठान है , तो कितनी बड़ी चूंची है उस मिनी की। अब ई मत बोलो की उसकी चूंची भी नहीं देखे हो। "

मैं भी अब मूड में आ गया था खास तौर पर छुटकी जिस तरह से खुल के चिढ़ा रही थी और चिपक के बैठी थी।

मेरा हाथ उसके छोटे छोटे उभारो के पास ही था , साइड से। मैंने उसके हाथ के अंदर से अपना हाथ और अंदर घुसेडा और हलके से उसके कच्चे टिकोरों पे रख के दबा दिया और मुस्करा के बोला ,

" एकदम छुटकी की साइज के होंगे '
छुटकी ने जोर से मेरी जांघ पे चिकोटी काटी लेकिन बोली मंझली ,
" वाह जीजू वाह ,अपनी बहन के जोबन पे निगाह रखते हो और ,… " लेकिन छुटकी ने बात काट दी।

' अरे दी मेरे बिचारे जीजू को क्यों दोष देती हो। वो साल्ली छिनार , खुद अपनी छोटी छोटी चूंची उभार उभार के मेरे जीजू को ललचाती होगी। जीजू क्या करेंगे , मन ललच जाता होगा। अच्छा जीजू सच बताना , दबाया मसला भी होगा न , अपनी उस छुटकी बहिनिया का , तभी तो इतना सही अंदाज है। "

जवाब मेरी उँगलियों ने दिया , छुटकी के मटर के दाने ऐसे निपल को पिंच कर के।

मुश्किल से उसने सिसकी और चीख दबाई , लेकिन बात बढ़ाई , लेकिन अबकी बार मम्मी से बोली ,

" मम्मी ऐसा है कोहबर में ही उसका निवान करवा दो न जीजू से , बिचारे जीजू का मन भी रह जाएगा और उस मिनी रानी का भी। "

लेकिन बुआ जी ने तुरंत वीटो कर दिया।

" एकदम नहीं , ई साल्ला झूठ बोल रहा था न , अब तो जो सबसे मोटा खूंटा होगा न कम से कम एक बित्ते का , और खूब मोटा , उसी से उस मिनी की फडवाउन्गी , वो भी एकदम सूखे सूखे। हचक हचक के चोदेगा जो रगड़ रगड़ के , फाड़ के रख दे। एक रात में छोटी से बड़ी हो जायेगी। ऐसा मस्त माल है तो हमारे लड़के मजा लेंगे ,। '

छुटकी भी , उसने ऐसा मुंह लटका लिया जैसे उसकी मर्जी की कोई बहुत बड़ी बात नहीं मानी गयी हो।


बीच बचाव किया मम्मी ने और बिना अपनी ननद की बात काटे ,

" बुआ की बात तेरी एकदम सही है। उस की तो ऐसा फाड़ने वाला हम इंतजाम करंगे , जो पहले धक्के में सीधे बच्चेदानी तक पेलेगा। " लेकिन फिर उन्होंने बुआ से रास्ता निकालने का आग्रह किया ,

" लेकिन अब छुटकी कह रही है त कुछ उसका भी , आखिर उसके जीजा भी तो अब हम ही लोगों की तरफ के हो गए है और फिर अपनी सारी बहनें उन्होंने गुड्डी के मायकेवालों के लिए खुली छूट ,"

मतलब समझ कर बुआ ने छुटकी को मनाते बोला ,

" हे चल मुंह मत लटका , जीजा की चमची। चल तेरे जीजा के लिए भी इंतजाम करती हूँ। अगवाड़ा तेरे भाइयों के लिए और पिछवाड़ा तेरे जीजू के लिए , अब होजा खुश। अपने हाथ से अपने जीजू का औजार पकड़ के उस ननद छिनार की गांड में खुद लगाना, कोहबर में हम सबके सामने। '

वास्तव में छुटकी के चेहरे पे ४४० वाट की मुस्कान चमक उठी और वो मुझसे बोली ,

" जीजू आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा की ऐसी दिलदार साली मिलेगी। देखा कैसे आपकी मस्त सेटिंग करा दी , अपनी कुँवारी ननद की आपसे , वो भी कोहबर में सबके सामने। बाद में साल्ल्ली मुकर भी नहीं पाउंगी , वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवाउंगी। "

" लेकिन उसने कुछ नखड़ा वखड़ा किया तो , " मंझली ने शक किया और जवाब बुआ ने दिया।

" सालीयो तुम सब किस मर्ज की दवा हो , मार मार के साल्ली छिनार का चूतड़ लाल कर देना चांटे से। हिम्मत उसकी तेरे जीजू को मना करे। अरे कुतिया की तरह निहराऊंगी , तुम दोनों पकड़े रखना और ये रंडी का ,… एक धक्के में पूरा पेल देगा छिनार की गांड में सीधे जड़ तक। ऐसा चिल्लाएगी सारे गाँव में सुनाई देगा। कैसे चूतड़ है उस के " बुआ जी ने अबकी मुझसे पुछा।

दोनों सालियां , गुड्डी , मम्मी मुझे देख रही थी।
" बुआ , छोटे छोटे हैं , लेकिन मस्त टाइट हैं " मैं तुरंत बोल पड़ा।

" एकदम लौंडो माफिक " बुआ ने कनफर्म किया।

" हाँ बुआ एकदम , बिलकुल वैसे। " मैंने ताईद की।

" तब तो खूब मस्त होगी गांड मारने में , क्यों भाभी। " बुआ ने मम्मी की ओर बात मोड़ दी और आगे का मोर्चा उन्होंने सम्हाल लिया।

" तेरी तो किस्मत खुल गयी बहन के भंडुए , बस एक बात लेकिन समझ लो , कोहबर में हम सबके सामने अपनी छुटकी बहनिया की गांड मारनी होगी , और वोभी खूब हचक हचक के , हर धक्के में पूरा औजार अंदर होना चाहिए। जब गांड मार के हथियार बाहर निकले तो साली की गांड रंडी के भोंसड़े से भी चौड़ी होनी चहिए ,"

जुगलबंदी में अब बुआ का नंबर था , वो चालू हो गयीं।

"अगर एक बार भी तुमने धक्का हल्का लगाया तो सोच ल बबुआ , तोहार लौंड़ा निकाल के हम आपन मुट्ठी पेल देब , उन्हों पूरे कुहनी तक। सोच लिहा। और एक बार मुट्ठी अंदर घुसड़ देब गांड में , त रउआ सोच ल , गांड के अंदर कमल खिलाय देब। सोच लिहा। '

" और हम दोनों ननद भौजाई मिलके चढ़ाई करेंगे सारी रात सोच लो , एक की मुट्ठी उस छुटकी की गांड से बाहर निकलेगी तो दूसरे की अंदर। हफ्ते भर तक गांड परपारयेगी जैसे कोई मूसल से डाल के उसके गांड में मिर्चा कूट दिया हो , सोच लो। उस की गांड में कुहनी तक पेलवाना है , हम दोनों से , या तुम उस की गांड मारोगे। " मम्मी ने च्वायस दी जो कोई च्वायस नहीं थी।

मंझली के मन में हमेशा सवाल गूंजता था। वो बोली ,

" हमारे जीजू का गोरा कोरा , उस के पिछवाड़े अंदर जाएगा तो , फिर, बाहर निकलेगा तो ,। "

उसकी बात पूरा होने पहले बूआ ने जवाब दे दिया और हड़काया भी ,

" तुँहुँ न , अरे साफ साफ काहें न बोलती की लंड में गांड क रस , मक्खन लग जाएगा। ता तोहार ननद पंचभतरि कौन मरज की दवा है। गांड मरहिएँ उ , अपने भैया के मोटे लौंड़े क मजा लेहियें उ , त साफ कौन करी। उहै छिनरो , रंडी मिनी , चाट चुट के चूस चूस के साफ करीहें। '

" लेकिन चूसे चाटे में जीजा का दुबारा टनटना गया तो ' मंझली के सवालों का अंत नहीं था।
' तुम भी न दी , जीजू दुबारा उस की मार लेंगे। कहीं डाकटर ने कहा है क्या की वो सिर्फ एक बार मरवाएगी। आखिर इन की सारी बहनो का काम ही यही है ".
छुटकी ज्यादा समझदार थी , उसने जवाब दिया।

लेकिन मम्मी के सवाल का जवाब नही मिला था और वो मेरे मुंह से सुनना चाहती थी तो उन्होंने फिर पुछा ,

" बोल तू मारेगा गांड उस छिनार की , की हम दोनों ननद भौजाई मिल के उसे मुट्ठी का ,…'

उन की बात खत्म होने के पहले ही मैं बोल पड़ा,

" नहीं मम्मी मैं मारूंगा मिनी की गांड , आप जैसे कह रही हैं वैसे हचक हचक कर , पूरा लंड पेलकर। उसे चुसाऊँगा भी चटवाऊंगा भी गांड से निकाल कर। '

और स्लिप पे छुटकी ने कैच कर लिया ,
" देखा बुआ , कैसे ये भी अपनी बहनो की तरह छिनरपना कर रहे थे छोटी है। अब खुदे कबूल रहे हैं की हम सबके सामने वोइनसे गांड मरवाएगी , हचक हचक कर। '


इसके साथ मिनी का किस्सा ख़तमहुआ और मैंने लिस्ट आगे बढ़ाई।लेकिन मेरी रगड़ाई कम नहीं हुयी।

बुआ और मम्मी के हमले थोड़े हलके पड़े , लेकिन उसकी जगह मेरी दोनों छोटी सालियों के तीरों ने ले लिए।

मंझली तो पूरी एकाउंटेंट , वो भी मुंशी टाइप बन गयी।

पहले तो नाम , फिर उम्र और रिश्ता , चचेरी , ममेरी मौसेरी या कुछ और , और उस के बाद उभार की साइज। सब कुछ अपने मोबाइल में भी रिकार्ड कर रही थी और एक कागज़ पर दर्ज भी कर रही थी।

और साथ में दोनों के व्यंग्यबाण,
छुटकी बोलती ,
" दी , वाह एक से एक माल। जीजू ने तो पूरा हरम सजा रखा है। "

और जवाब मे मंझली , नोट करते बोलती ,

" नहीं री छुटकी , हरम नहीं , रंडीखाना है हमारे जीजू का। "

" अरे तो क्या जीजू से भी पैसा लेती हैं? " मुंह पर हाथ रख चकित होने का नाटक करती , छुटकी पूछती।

" अरे न जीजू से लेंगी , न हमारे भाइयों , गाँववालो से बाकी से तो पैसा जीजू ही लेते हैं , आन लाइन बुकिंग , क्रेडिट कार्ड ऐक्सेप्टेड , इंटरनेट वाले भंडुए है अपने बहनो के , क्यों जीजू। " मंझली जवाब देती।
"जीजू तो मालामाल हो गए होंगे "

" अरे पगली , इतने माल हैं तो मालामाल तो हो ही जाएंगे। "

बीच में मैंने एक बुआ की लड़की की उम्र बताई १९ साल और फिगर ३४ सी , तो एक बार फिर मम्मी मैदान में आ गयी।

" क्यों तुम ने भी दबाया है उसका क्या , जो इस उम्र में इतनी मस्त साइज होगयी। "
" नहीं मम्मी , मैंने नहीं दबाया। बस ऐसे ही है। "
" झूठे , इस उम्र में और ये साइज , पूरे कालेज मोहल्ले में दबवाती मिजवाती होगी , छिनार। लेकिन भैया , मैं अगर तुम्हारी बात मान लेती हूँ की तुमने उसके जोबन का रस नहीं लूटा न , तो इसका मतलब तुम एकदम बुद्धू हो। घर में गंगा बह रही है और तुमने एक डुबकी तक नहीं लगायी। चूतड़ कैसे छिनार के " मम्मी फुल फार्म में आ गयीं

" भारी , भारी है मम्मी। खूब गदराये कम से कम ३५ साइज के होंगे " मैंने बोला।

" अरे तो उसे कुतिया बना के चोदना चाहिए था न " बुआ बोलीं।

"मम्मी , मैं आपसे कह रही थी न की ये थोड़े ज्यादा ही सीधे है " इतनी देर से चुप गुड्डी भी बोलने लगी।

" अरे सीधे हैं की बुद्धू है , बहने इतनी चुदवासी , चुदक्क्ड़ और ये बिचारा , भूखा प्यासा। चल कोई बात नहीं , एकदम ट्रेनिंग दे दूंगी , तेरी सारी बहनो पर तुझे चढ़ाऊँगी। " मम्मी चहक कर बोलीं।

" सिर्फ बहनो पर ? " बुआ ने अपनी भौजाई से मुस्करा के , आँख मार के पुछा।

मम्मी का जवाब छुटकी की बात में दब गया।

" जीजू देखा आपने , मम्मी कित्ती अच्छी है। सिर्फ मेरे भाइयों का नहीं मेरे जीजू का भी इतना ख्याल रखती हैं। "
" और जीजू , एक बात सोचिये न , अब हमारे गाँव के सारे लड़के अब आपके जीजू हो जायंगे " मंझली चुप रहने वाली थोड़े ही थी।

मैं जो कर सकता था मैंने वही किया।

लिस्ट आगे बढ़ाई।

और जब शादी शुदा बहनो का नाम आया तो बुआ फिर चालू हो गयीं।

शादी की तारीख , पहला बच्चा कब हुआ , सब कुछ और पहली में ही मैं पकड़ा गया।

" अरे साढ़े सात महीने में ही पहला बच्चा , गाभिन कर के भेजा था क्या। सही किया , लेकिन बच्चा तुमको मामा बोलता है की पापा? शकल तो जरूर तुमसे मिलती होगी " बुआ ने छेड़ा।

" आप भी न इसके पीछे पड जाती हैं , सही तो किया पराये घर में इसकी बहन के मर्द , देवर ननदोई सब तो चढ़ते होंगे , तो उस ने भी पहले ही पेट फुला कर भेज दिया। " मम्मी बोलीं।

मंझली क्यों चुप रहती , " जीजू की बहनो की एक्सप्रेस डिलिवरी होती है मम्मी और कोई बात नहीं " उसने जोड़ा।



लिस्ट पूरी हुयी , कुल १४ जिसमें चार शादीशुदा थीं।
मंझली ने एक बार फिर से जैसे किसी ने इलेक्शन में री काउंटिंग मांगी हो , उसी तरह फिर से गिना उंगली रख के , और एक एक के नाम बोल के।

गुड्डी ने सर हिला के समर्थन किया , मैंने कोई बेईमानी नहीं की है , इतनी ही हैं।

और मंझली ने फाइनल स्कोर अनाउंस किया , १४।

फिर एक साथ बुआ और मम्मी की गालियों की बौछार चालू हो गयी ,

" गांडू साले , भँड़वे , बहनचोद , तेरे सारे मायकेवालियो की फुद्दी मारूं , इतनी चाची , मौसी , बुआ और वो भी रंडी को मात करने वाली घर घर घूम के चुदवाने वाली , और सिर्फ १४ लड़कियां पैदा की। छिनार क्या कंडोम लगा के चुदवाती थीं अपने यारों से , की कम्पाउण्डर यार से मिल के पेट गिरवाती थीं। मैं तो सोच रही थी कम से कम तीन चार दर्जन होंगी , हमारा गाँव गुलजार हो जाएगा , लेकिन सिर्फ १४। "


फिर एक साथ बुआ और मम्मी की गालियों की बौछार चालू हो गयी ,

" गांडू साले , भँड़वे , बहनचोद , तेरे सारे मायकेवालियो की फुद्दी मारूं , इतनी चाची , मौसी , बुआ और वो भी रंडी को मात करने वाली घर घर घूम के चुदवाने वाली , और सिर्फ १४ लड़कियां पैदा की। छिनार क्या कंडोम लगा के चुदवाती थीं अपने यारों से , की कम्पाउण्डर यार से मिल के पेट गिरवाती थीं। मैं तो सोच रही थी कम से कम तीन चार दर्जन होंगी , हमारा गाँव गुलजार हो जाएगा , लेकिन सिर्फ १४। "

मैं इसका जवाब क्या देता , लेकिन नाराजगी का कारण जाहिर हुआ , मम्मी की अगली बात से।

" साले , गंडुवे , तेरी इन छिनार लौंड़े की भूखी बहनो के लिए मैंने भरौटी , चमरौटी , ग्वालापुरा यहाँ तक की पठान टोला से भी चुन के ३३ लड़कों को इकठ्ठा किया था , सब एक से एक गबरू जवान , पहले धक्के में ही बच्चेदानी तक पेलते, और ४ राउंड से कम कोई नहीं चोदने वाला। हचक हचक के और मलाई भी सीधे बच्चेदानी में , कोई कंडोम का खर्च नहीं। लेकिन १४ में कैसे , .... ?

अभी से सब सांडे का तेल लगा के मुठिया रहे हैं अपना बित्ते भर का लंड। माना , तेरी बहनों की चूत में आग लगी रहती है , तो एक साथ दो दो चढ़वाऊंगी सब पे. और दो से कम में छिनरो की चुदवास भी कम नहीं होगी "

लेकिन बात काट के अबकी संशय जाहिर किया , छुटकी ने।

" मम्मी , दो दो एक साथ कैसे चढ़ेंगे ".

जवाब दिया बूआ जी ने।

" अरी मेरी प्यारी बिन्नो , तू क्या समझती है तेरे जीजू साले ही गंडुवे है। इसकी बहने भी गांड मराने की उतनी ही शौक़ीन है। मोटे से मोटा लंड गपागप गांड में लिलेंगी। एक चूत में दूसरा गांड में खूब रगड़ता ,दरेरता गांड फाड़ता घुसेगा न उन छिनारन क गांड में तब असली मजा आएगा उन सबको।

टांग फैलाये घुमेगीं , पूरी दुनिया को मालूम हो जाएगा हचक के गांड मारी गयी है उन साल्लियों की ".

बुआ जब तक ये समझा रही थीं , मंझली कुछ अपने मोबाइल पे जोड़ भाग कर रही थी। चहक़ कर वो बोली,

" मम्मी सिंपल। एक पे दो दो चढ़ेंगे न , जीजू की बहनो पे तो चौदह के लिए २८ का इंतजाम हो गया। अब बचे पांच , तो उन पर एक साथ साथ तीन तीन। और हाँ वो पांच लकी कौन होगी , या तो ड्रा निकाल लेंगे या फिर जीजू बता देंगे। "

" ड्रॉ वा कुछ नहीं इहे तय करेंगे और यहाँ से लौटने के पहले नाम बता के जाएंगे " मम्मी मेरी और इशारा कर के बोली। फिर उन्होंने और मिर्च डाली ,

" और उ जो तोहार सबसे कच्ची कली है , जो तू कह रहे थे छुटकी से भी छोट है , ता कहाँ गांव के लौंडन क मन इतना जल्दी भरी। उसको यहीं छोड़ देना , और चौथी की रसम अबकी ६ दिन के बाद निकली है , ता चौथी में तोहार साली भी लौट जाएंगी उनहीन के साथ।

तब तक गाँव क मजा ले लेगी ,गन्ना क खेत , अरहर क खेत , तू कह रहे थे न एकदम छोट है , त देखना जब लौटेगी ता तोहार लड़कौर बहिन हैं न उंहु क नंबर डकाय देयी। " मम्मी बोलीं।

( हमारे इलाके में चौथी की रस्म में , बिदाई के चार दिन बाद , दुल्हन के घर से उनके परिवार के लड़के लड़कियां चौथी ले के आते हैं और दुल्हन की मायके वालों हो जाती है )

" हाँ मम्मी हाँ , एकदम सही आइडिया " मेरी दोनों सालियां समवेत स्वर में बोलीं।

मेरे पास कोई च्वायस थी क्या ,मैंने भी हामी भर दी।

मुझे लगा की अब कल के इंगेजमेंट पर कोई खतरा नहीं लेकिन मम्मी ने दूसरा पत्ता फ़ेंक दिया , और वो भी अपनी बेटियों पे।

मेरी सालियों से वो बोलीं ,

" अरे सालियों , तुम सब को खाली अपनी ननदों के मजे की पड़ी है , उनके लिए दो दो ,तीन तीन का इंतजाम कर दिया और मेरी समधनों का क्या होगा , उनकी भी तो लिस्ट बनाओ इस साले से कबूलवाओ की ,… "

" मम्मी ननदे हमारी , भाई हमारे इसलिए उन का इंतजाम हमने कर दिया। अब समधन आपकी , देवर ,नंदोई आपके ,उन का इंतजाम आप करिये। और जहां तक जीजा से कबुलवाने का सवाल है , अप समझती क्या हैं इनको , जब बहनो के लिए कबूल कर लिया तो इनके लिए भी कबूल कर लेंगे। और लिस्ट हम बना देंगे। "

मेरी दोनों सालियां एकसाथ खिलखिलाते बोलीं।

और मम्मी फिर चालु हो गयीं अपनी समधन के लिए।


गालियों की मात्रा और उनका तीखापन एकदम से बढ़ गया , क्योंकि अब बुआ और मम्मी मैदान में थी और टारगेट पर उनकी समधन थी।

और एक पल के लिए अल्पविराम हुआ तो मम्मी ने वो सवाल कर दिया जिसका जवाब मैं सपने में भी ना में नहीं दे सकता था ,

बोल मेरी बेटी को प्यार करता है , गुड्डी के गाल पे प्यार से हाथ फेरते उन्होंने पूछा।

" हाँ , मम्मी , अपनी जान से भी ज्यादा , किसी भी चीज से ज्यादा। "

" मेरी बात मानते हो ," अगले सवाल का जवाब भी हाँ में ही होना था।


" हाँ मम्मी , सपने में भी मैं आपकी बात को मना नहीं कर सकता " मैंने हुंकारी भरी।

और मम्मी तुरंत अपने लेवल पर आ गयी।

" मादरचोद , छिनार के , तेरी माँ का भोंसड़ा ,… बोल जो मैं बोलती हूँ। बिना रुके , बिना सोचे , बोल "

" जी , मम्मी। "

" बोल , मैं मादरचोद हूँ। " मम्मी ने तुरंत बोला।

" मैं , मादरचोद हूँ। " मेरे पास बोलने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था।

पांच बार उन्होंने यही मुझसे कहलवाया।

मंझली अपना रिकार्डर ले के तैयार थी और मेरी सब बातें उसके मोबाइल में रिकार्ड हो गयीं।

लेकिन सबसे तीखी मिर्ची छुटकी थी और उसकी अपनी बुआ से कुछ ज्यादा ही लगी बुझी थी।

" बुआ जीजू कितने अच्छे हैं , एकदम श्रीमान सत्यवादी। जाने कितने होते होंगे , लेकिन सबके सामने उन्होंने पांच बार कबूल किया की , … "

लेकिन उसकी बात पूरी होने के पहले ही बुआ ने काट दी।

" चुप , जीजा की चमची। अरे अगर मादर चोद होने में शरम नहीं , चोदने में शरम नहीं , सटासट उनके भोंसड़े में पेलने में शरम नहीं , तो मादरचोद कहलाने में कौन सरम। "

मम्मी और गुड्डी दोनों मुस्करा रही थीं।
और मम्मी ने बुआ की बात की ताईद की ,गुड्डी से।


" सही तो कह रही हैं तेरी बुआ , तेरी सारी ससुरालवालिया कितनी अच्छी हैं , चाहे ननदें हो चाहे सास , किसी को मना नहीं करती। तो मेरे इस ६ फिट के दामाद को क्यों मना करेंगी। "

और गुड्डी भी इस आल राउंड पेस अटैक में चालु हो गयी।

" मम्मी सही कह रही हो , मैं तो होली में जो गयी थी मैंने खुद देखा। इनके यहाँ खर्चा बहुत कम है , चाहे दूध वाला हो , धोबी हो यहाँ तक की मोची भी ,

बस महीने में जिसका जितना हुआ उसके हिसाब से , ले जाता है। "

" बिल के बदले में बिल " मझली चहकी।

लेकिन जहाँ तक मम्मी का सवाल था , जब तक मामला' खुल्लमखुल्ला ' न हो हो तब तक क्या बात।

मेरी आँखे बस उन्हें ही निहार रही थी , होंगी ३५ -३६ की लेकिन लगती गुड्डी की बड़ी बहन या भाभी की तरह ही , खूब गोरी दीर्घ नितम्बा , पूरी तरह + साइज वाली , ब्लाउज ३६ डी डी साइज को छुपाने में एकदम असमर्थ , बल्कि और उभार रहा था। कूल्हे से बंधी साडी से सिर्फ गोरा चिकना पेट ही नहीं दिख रहा था , बल्कि खूब गहरी नाभि भी और जिस तरह से वो बैठीं थी उनकी गोरी मांसल पिंडलियाँ पूरी तरह खुली थी , आलमोस्ट घुटनों तक।

लेकिन सबसे बड़ी बात उनकी जो एक डॉमिनेटिंग स्टाइल थी की बस , उनकी बात चुपचाप मान कर सरेंडर करने का अपना मजा था और उसके साथ ही एक जबरदस्त नमक भी था और एक शैतानी भरी नटखट मुस्कान उनकी आँखों में भी और होंठों में भी।

और वो ये भी देख रही थी की मैं किस निगाह से उन्हें देख रहा हूँ , और वो फिर चालु हो गयीं।

" अच्छा गुड्डी की हर बात में हाँ करेगा न , " उन्होंने तीर फेंका।

"एकदम मम्मी " और मैंने हाथ खड़े कर दिए , लेकिन वहां एक ट्रैप था।
" जोरू के गुलाम, सिर्फ जोरू की हर बात में हाँ करेगा और मेरी " और उसी के साथ वो झुकीं , पल्लू गिरा और मेरी निगाह ' वहीँ ' अटक गयी। मुझे शीला भाभी की बात याद आ गयी ' असली मजा तो भोंसड़ी वालियों में है " . लेकिन सम्हल कर तुरंत जवाब दे दिया।


" लेकिन सिर्फ गुड्डी क्यों , आप की भी गुलामी करूँगा। " मुस्करा कर मैंने बात सम्हाली।

लेकिन यहाँ तो हर ओर से तीर बरस रहे थे।

पीछे से मंझली और छुटकी एक साथ बोली , " और जीजू हमारी , … "

" एकदम , किस की हिम्मत है जो साली की बात पे ना करे। " पीछे मुड़ कर मैं बोला , लेकिन तब तक मेरी निगाह बुआ की और पड़ी और मैंने तुरंत कोर्स करेक्शन किया।

" सारे ससुराल वालियों की गुलामी " हंस के मैं बोला।

लेकिन गुड्डी ने कैच कर लिया।

" मम्मी एकदम इनका टेस्ट करके देख लीजिये , वरना वहां के लोगों को कोई भरोसा नहीं " वो शोख मुस्करा के बोली।

'एकदम सुन मादरचोद , मैं जो कहूँगी मेरी हर बात पे हाँ बोलना , और वो भी सिर्फ हाँ नहीं , पूरी बात खुल के। और बच्चू एक बात और कान और गांड दोनों खोल के समझ लो , मैं जबरदस्ती नहीं करती , लेकिन जिस चीज के लिए तुम एक बार हाँ बोल दोगे न , फिर मुकर नहीं सकते , मजाक नहीं है। फिर तो मैं जबरन अपने सामने करवाउंगी तुमसे वो , बनारस वाली हूँ। "

" हाँ मम्मी ,हाँ , टेस्ट करके देख लीजिये न। " मन में कांपते हुए और ऊपर से मुस्कराते हुए मैंने हामी भरी।


" बोल चोदेगा मेरी समधन को ,… "
" हाँ , मम्मी चोदूंगा। "

" बोल चोदेगा , अपनी , ...."

" बोल मारेगा गांड , हचक हचक के, अपनी, ...."


किस किस बात की हामी मम्मी ने नहीं भरवाई , और एक से एक बढ़कर गन्दी , किंकी और मुझसे पूरे डिस्क्रिप्शन के साथ कहलवाई।

१० क्या , गिन कौन रहा था , २०-२५ तो कम से कम रही होंगी।

हाँ फिर मम्मी के चेहरे पे जो ख़ुशी चमकी , उसने मेरा सारा टेंशन खत्म कर दिया।

मेरे पास आके प्यार से मेरा उन्होंने गाल सहलाया और जोर से पिंच कर के बोली ,

" मान गयी मैं , तुम मेरे परफेक्ट दामाद हो , न सिर्फ जोरू के बल्कि सासु के भी गुलाम , लेकिन याद रखना अगर एक चीज भी इसमें से मुकरे तो शादी कछ जबरदस्ती ,… "

"नहीं मम्मी नहीं , आपकी बात टालने की मैं सोच भी नहीं सकता " उनकी बात बीच में काटता बोला मैं। माहौल कौन ख़राब कर सकता था। इत्ती मुश्किल से तो वो खुश हुयी थीं।

तब तक बुआ ने अपने पति के फायदे की कोई बात उन्हें दिलायी ,

" अरे गुड्डी क माँ , कुल मजा अपने दमादै के दे दोगी क्या , गुड्डी के फूफा , तोहरे नंदोई , गुड्डी के चाचा , मौसा , …मामा ,
"

" अरे ई कौन मना करेगा , एहमें तो इसके चाची, मौसी , बुआ सबका फायदा है। फिर उन्होंने बात का रुख मेरी ओर मोड़ा और बोली ,
" सुनो जैसे तुमने अपने सालों का मन रखा , अपनी सब बहने उन के नाम लिखदी , वैसे ही गुड्डी के फूफा है , गुड्डी के चाचा है जब से तुम्हारी बात चली है तब से सब का तन्नाया है , और फिर गाँव के जितने मर्द ही सब रिश्ते से कोई गुड्डी क चचा कोई फूफा लगेगा। तुम तो पहले ही बोल चुके हो हाँ , तब क्या पूछना , मैंने तो सब को बोल भी दिया है की मेरा दामाद बहुत अच्छा है , कभी मना नहीं करेगा। मंझली चल लिस्ट बना। "

और फिर मुझे एक एक का नाम , उम्र , रिश्ता फिगर सब कुछ उसी तरह लिखवानी पड़ी , जैसे मैंने कुछ देर अपनी कजिन्स का लिखवाया था।

और साथ में छेड़खानी , गालियां।

मंझली , दुष्ट उस ने न सिर्फ मुझ से लिस्ट पढ़वाई , बल्कि दोनों लिस्ट के नीचे साइन करवाया।

गुड्डी मुझे देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थी , जैसे कह रही हो क्यों आया मजा ससुराल का।

बुआ को जाना था इसलिए मैं बच गया , वरना अभी क्या क्या नहीं होता।

जाते समय मैंने जब बुआ का पैर छूया तो उन्होंने एकदम मना नहीं किया बल्कि जबरदस्त आशीर्वाद दिया ,

" तोहार महतारी बहन , चाची ,बुआ सब क हचक चुदाई होय तोहरे ससुराल में "

" बुआ खाली ससुराल वाले , " गुड्डी ने आँख नचा के कहा।

" अरे समझ गयी मैं अपने दुलहा का फायदा करवाना चाह रही हो , इस बहनचोद मादरचोद का नंबर तो जरूर लगेगा।


और बुआ के जाते ही सबकी निगाह एक साथ घडी पे पड़ी और सब एक साथ चिल्लाये , ' अरे नौ बजने वाले हैं खाना। "
 



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