Tuesday, March 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--143

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--143


 स्काइप पे इंटरव्यू





अब तक


दिया कमरे के दूसरे कोने में अपने भाई को मोबाइल पे दस मिनट से मना रही थी।

रंजी ने दिया के हाथ से फोन ले के फुसफुसाते हुए उसके भाई से कहा ,

" भैया मान जा यार , मैंने खुद चेक किया है। एकदम कसा माल है , ऊँगली तक नहीं जा पा रही थी। झिल्ली इंटैकट , पैकिंग दुरुस्त। आज कल ऐसी लड़की मिलना मुश्किल है। मैंने बोला था न ऐसा जुगाड़ लगाउंगी , खुद अपने पैरों पे चल के आएगी तुम्हारे पास। तो मैंने अपना वायदा पूरा किया। और तुम भी अपना वायदा पूरा करना। जब कमरे से निकले तो पूरे शहर को मालूम हो की क्सिके नीचे से हो के आ रही है। "

वो मान गया।

और रंजी ने वहीँ से खुशखबरी सुनाई।

जिया के चेहरे पे ख़ुशी नाच गयी और उसने बगल में बैठी गुड्डी को बाहों में बांध के चूम लिया।


लेकिन दिया ने शर्त भीअनाउंस कर दी।

पन्दरह मिनट बाद उसका भाई स्काइप पे आएगा। जिया के पास सात मिनट का टाइम होगा उसे मनाने का। अगर वो सात मिनट में नहीं माना या उसने कनेक्शनकाटा तो डील खलाश।


" हमारी सहेली हारने वाली नहीं " रंजी और गुड्डी एक साथ बोलीं और जिया को ट्रेन करने में लग गयीं।

साथ में उसका हॉट मेकअप और ड्रेस , रंजी अपनी शोल्डर लेस हालटर टॉप ला के उसे पहना दी और साथ में बस एक थांग।

पन्द्रह मिनट बाद रंजी के लैपटॉप पे स्काइप आन था , और दिया का भाई प्रकट हुआ।







आगे








खूब लम्बा , ६ फिट से दो चार इंच बड़ा ही होगा , आल मसल्स , सिक्स पैक्स खुल कर दिख रही थीं , परफेक्ट हंक ,

सिर्फ बनयान और बॉक्सर शॉर्ट्स में अपने बेड पे बैैठा , हाथ में व्हिस्की का ग्लास।

और जिया एक बार घबड़ा गयी , उसकी आवाज गुम हो गयी थी।

फिर हिम्मत कर के बोली।
" भैया मैं , जिया प्लीज मुझे माफ कर दो न "

" क्यों माफ कर दूँ तुझे साल्ली , इसी लिए बुलाया था मुझे रात को " वो गरजा।

जिया हुड़क गयी।

" नहीं भैया , मैं आप की गुलाम बनूँगी प्लीज आप का हुकुम मानूंगी। " जिया बोल रही थी।

" मुझे गुलाम नहीं चाहिए , क्या देगी तू मुझे गंवार , तेरा तो फेसबुक पेज तक नहीं है " वो बोला।

गुड्डी ने कोहनी मारी , जिया को , घुस जा मौका मिल गया।

" भैया अब मैं , …आज अभी बनाया है फेसबुक पेज मैंने " जिया हिम्मत कर के बोली।

" लिंक बोल " अबकी ठंडी आवाज में बोला वो।
जिया ने तुरंत लिंक बताया स्काइप में दिखा की वो अपना टैब खोल रहा है लेकिन फेसबुक पेज देख कर उसका मन बिगड़ गया और बोला

" साली क्या कंजडियो की तरह बहन जी टाइप पेज बना रखा है , एक आध टॉपलेस फोटो डाल अपनी। "

" डालती हुयी भैया अभी डालती हूँ " घबड़ा के जिया बोली।

रंजी अपने टैब पर जिया का फेस बुक पेज खोल के बैठी थी , और एक फोलडर में , आज तो जिया के टॉपलेस फोटो की कमी नहीं थी।

रंजी इशारा करती गयी वो , पोस्ट करती चली गयी।

एक में वो अपने उरोजों को सिर्फ हाथ से ढके थी।

एक में खुद अपने निपल्स फ्लिक कर रही थी।

" चल अब मुझे रिक्वेस्ट भेज " वोबोला।

और जिया ने तुरंत रिक्वेस्ट भेज दी और अगले पल कन्फर्मेशन आ गया।


चल पहले अपने पेज पर लिख फिर मेरे पेज पर पोस्ट कर , तू मेरी रंडी है।

जिया एक पल के लिए ठिठकी , लेकिन रंजी ने जोर से चिकोटी काटी और तुरंत जिया ने स्टेटस चेंज की।

गुड , चल अगले २ मिनट में मेरे पांच फ्रेंड्स के पास और अपनी सहेलियों के पास यही स्टेटस पोस्ट कर और अपनी टॉपलेस फोटो भी।


जिया ने बिना सोचे समझे उसकी फ्रेंड लिस्ट के पांच फ्रेंड के नाम लिए और वहां पोस्ट किया फिर अपनी सहेलियों के पास , और फोटो जो गुड्डी , रंजी बताती गयी वो सारी।


' तो अब मेरी रंडी क्या देगी अपने बालम को " पहली बार मुस्कराया वो।

"सब कुछ मेरे बालम " सेक्सी आवाज में जिया ने बोला और इसके लिए गुड्डी ने उसे अच्छी तरह ट्रेन किया था।
जिया ने एक आइटम गर्ल की तरह दोनों हाथों से अपने उभारों को सहलाना शुरू किया , फिर टॉप के ऊपर से अपने निपल पुल किये। उसके मटर के दाने के बराबर निपल साफ साफ दिख रहे थे।

और अब बहुत हौले हौले उसने अपने टॉप को ऊपर उठाना शुरू किया , छोटी छोटी कच्ची अमिया का उभार दिखना शुरू हो गया था।

जिया ने फिर से टॉप नीचे कर लिया और अबकी झुक के उसको क्लीवेज दिखाए।

दिया के भाई की निगाहें वहीँ चिपकी थीं और अबकी जब उसने टॉप उठाया तो फिर पूरा उठाया , तो भी उभार नहीं दिखे।

अब दोनों कबूतर जिया की मुट्ठी में बंद थे और जिया उन्हें सहला रही थी ,दबा रही थी।

" खोल साल्ली " वो चिल्लाया।

जिया और गुड्डी , रंजी भी समझ रही थी की तीर निशाने पर लगा।

बहुत धीमे धीमे , जिया ने अपना हाथ हटाया और उभार के अपनी कच्ची अमिया उसे दिखाई।

" भैया , ये तेरे लिए"

एक पल के लिए दिया के भाई की हालत खराब थी , फिर वो बोला

" साली इसकी सेल्फी खींच और पोस्ट कर मेरे पेज पर '

जिया ने तुरंत दो चार सेल्फी खींची , एक में निपल पल करते हुए भी और दिया के भाई के पेज पर पोस्ट कर दी।


" चल खजाना दिखा "

और जिया अगले पल खड़ी हो गयी वेब कैम उसके सुडौल जांघो को दिखा रहा था।

फिर उसने अपनी हथेली से थांग को रगड़ा और फिर एक ऊँगली थांग के अंदर ले जाके जैसे चूत में ऊँगली कर रही हो ,कुरेदा।

और फिर बाहर निकाल कर चाट लिया।

और उसके बाद थांग का हुक खोल दिया।

एकदम चिकनी चमेली , गुलाबी होंठ चिपके हुए। कसी अनचुदी कच्ची कली।


"मेरी रंडी बनने का मतलब समझती है तू " हलकी आवाज में वोबोला।

" हाँ भैया आप बताओ न ' जिया की हिम्मत अब थोड़ी बढ़ रही थी।

" तू सिर्फ मेरी रंडी नहीं रहेगी , मैं जिसकी कहूँगा उन सबकी रंडी बनेगी , और रंडी की तरह रहेगी , कालेज में बाहर। रंडी की तरह कपडे , रंडी की तरह बोलना। बोल मंजूर वरना मैं कनेक्शन काटता हूँ तू अपने रास्ते ,…'

उसकी बात पूरी होने के पहले ही जिया घबड़ा के बोल पड़ी , " भैया मंजूर है। मैं तुम्हारी रंडी हूँ , रहूंगी , तुम्हारी हर बात मानूंगी भैया आप जो करुँगी , जाइए कहोगे वैसा रहूंगी , आप जिसकी कहोगे उन सबकी रंडी बनूँगी भैया , मुझे मंजूर है प्लीज कनेक्शन मत काटो "

ठीक है चल तो दिया से बोलना एक घंटे में , पांच बज रहा है , छ बजे तक वोतुझे ले के मेरे पास फार्म हाउस में आ जाय अगर पांच मिनट से ज्यादा देर हुयी तोसमझ लेना दरवाजे हरदम के लिए बंद। "

और उसके बाद स्काइप से वो उड़न छू हो गया। 


थोड़ी देर पहले जहाँ परेशानी छायी थी , वहां अब सब लड़कियां चहक़ रही थीं , चुहुल कर रही थीं।

पहले तो खूब हाई फाइव हुआ , सबसे पहले रंजी और जिया के बीच ( आखिर रंजी ने ही ये रास्ता निकाला था ) और फिर गुड्डी ने ( ट्रेंड तो उसी ने किया था ) और दिया ने भी आके जोर से जिया को हग करते हुए बोला

" यार तूने तो मेरे भाई को शीशे में उतार लिया "

"आखिर मेरा भी तो भाई लगेगा " हंस के जिया बोली।

आधे घंटे का समय हंसी ठिठोली में निकल गया , और इसी बीच रंजी गुड्डी ने मिल कर जिया को तैयार भी कर दिया , खूब चटक मेकअप, डार्क लिपस्टिक , आँखों में काजल , पतली सी छोटी चोली ऐसा टॉप , जिसमें उसके छोटे छोटे किशोर उभार खूब उभर कर सामने आ रहे थे। एक मिनी स्कर्ट और अंदर बस एक थांग , पैरों में पायल और कमर में पतली सी चांदी की करधनी , खूब हाई हील की सैंडल। और बीच बीच में गुड्डी पहले मिलन की टिप भी दे रही।

"बाॅलम से मिलन होगा शरमाने के दिन आ गए ," रंजी , गा गा कर जिया को छेड़ रही थी।

गुड्डी ने और चिढ़ाया , गलत गा रही है असली गाना इस मौके का ये है ,

" अरे बालम से मिलन होगा , चुदवाने के दिन आ गए ,

चोदेंगे , सैया बुरिया , अरे चुदवाने के दिन आगये "

" हे सैयां की भैया " रंजी ने चिढ़ाया।

"मैं तो भैया ही बोलूंगी " जिया ने हंस के कहा लेकिन तभी उसकी निगाह घडी पर पड़ गयी।

" हे सिर्फ २५ मिनट बचे है , दिया चल न लेट हो जाएंगे। " उतावली हो के जिया बोली।

" बड़ी खुज़ली मच रही है , जा भूखा शेर मिलेगा तुझे ' रंजी ने उसके टिकोरे पर जोर से पिंच करते हुए कहा।

" अरे यार अपने पास ओखली है तो मूसल से क्या डरना। " हंस के जिया बोली।


गुड्डी , रंजी दोनों नीचे जिया को छोड़ने गयीं। जिया खुद उछल कर दिया की स्कूटी के पीछे बैठ गयी और दोनों चल दी , दिया के भाई के पास।

आसमान ललछौआ हो रहा था , सड़क पर एक दो सुबह टहलने वाले दिख रहे थे और हवा में फागुनी जाड़े की सरसराहट अभी भी बाकी थी।

' हे चल अभी थोड़ी देर हम दोनों सो जाते हैं , घर पर सब लोग बारह बजे के बाद ही आएंगे "

ऊपर जा कर गुड्डी और रंजी लिपट चिपट कर सो गए।

नींद ठीक से लगी भी नहीं थी की गुड्डी के फोन पर एस एम एस आया , जिया का। ढेर सारे थैंक्स का। जिया ने लिखा था , वो दोनों थोड़ी देर में बस फार्म हाउस पहुँचने ही वाले हैं।

गुड्डी ने रंजी को मेसेज पढ़ कर सुनाया और फिर दोनों गहरी नींद में सो गयीं  

गुड्डी और रंजी रात भर की मस्ती के बाद चिपक के , थक कर सो रही थीं।


कुछ ही दूर , उसी शहर में , रात भर के तनाव, जंग और भोर में मंजू भाभी के साथ तनाव शैथिल्य के बाद आनंद बाबू , गहरी नींद में सो रहे थे।



१५०० किमी दूर मुम्बई में , नेवी के हॉस्पिटल आई एन एस आश्विन में , रीत दुश्मनों से रात भर अरब सागर में लड़ने के बाद , दवाओं के असर से , डीप सीडेशन , में सो रही थी। उसकी सारी ट्यूब्स निकाल दीगयी थीं , और डाक्टर दो बार चेक कर चुके थे। अब वह लगभग नार्मल थी।


उसी हॉस्पिटल में , रीत का साथ देता हुआ , करन भी गहरी नींद में सो रहा था।


सुबह के ९ बज चुके थे। 


जग उठा देश



गुड्डी और रंजी रात भर की मस्ती के बाद चिपक के , थक कर सो रही थीं।


कुछ ही दूर , उसी शहर में , रात भर के तनाव, जंग और भोर में मंजू भाभी के साथ तनाव शैथिल्य के बाद आनंद बाबू , गहरी नींद में सो रहे थे।



१५०० किमी दूर मुम्बई में , नेवी के हॉस्पिटल आई एन एस आश्विन में , रीत दुश्मनों से रात भर अरब सागर में लड़ने के बाद , दवाओं के असर से , डीप सीडेशन , में सो रही थी। उसकी सारी ट्यूब्स निकाल दीगयी थीं , और डाक्टर दो बार चेक कर चुके थे। अब वह लगभग नार्मल थी।


उसी हॉस्पिटल में , रीत का साथ देता हुआ , करन भी गहरी नींद में सो रहा था।


सुबह के ९ बज चुके थे।


....


बहुत से लोगों के लिए रोजमर्रा की चक्की की तरह दिन चल रहा था।

मुम्बई में लोकल खचाखच भरी , लोगों को घरों से आफिस पहुंचा रही थीं

दिल्ली में ये काम मेट्रो और बसें कर रही थीं।



लेकिन कुछ ख़ास लोगों के लिए आज का दिन अलग था , एकदम अलग।

मुम्बई , दिल्ली , कुछ और शहर और यहाँ तक पड़ोस के देश में भी।



बनारस , बड़ौदा और मुम्बई पर हुए हमले नाकाम हो गए थे।

बल्कि हमले हो ही नहीं पाये थे।

आतंकियों को मिलने वाली सबसे बड़ी आक्सीजन , पब्लिसिटी मिल नहीं पायी।

चैनेल रोज रोज का गाना गा रहे थे , वही ढोल पीट रहे थे।

तीन पन्ने विज्ञापन के बाद फ्रंट पेज छापने वाले , उसी तरह की घिसी पिटी खबरे छाप रहे थे।


किसी को कानो कान खबर नहीं थी , क्या होते होते रह गया।



लेकिन जिनके हाथ में सत्ता के सूत्र थे , जो इस बड़े आप्रेशन के कर्णधार थे , उन्हें न सिर्फ सब कुछ मालूम था , बल्कि अब वो इसका रिस्पांस प्लान कर रहे थे।


इसके पहले दुश्मन का हमला शुरू होने के बाद कमांडो पहुँचते और लोगों के मारे जाने के बाद टेरर वाले मारे जाते।

टेरर फैलाने वालों का काम तो हो जाता।


लेकिन इस बार मुक्का लगने के पहले ही रुक गया।

बल्कि कलाई मरोड़ दी गयी , और मरोड़ने वाली बनारस की बिंदास बाला , रीत।


सिर्फ मुहरे ही नहीं उन मुहरों को चलाने वाले स्लीपर सेल के कई मुखिया पकड़े गए , देश के अनेक भागों से। और उनको ट्रेस करके उनके गुर्गे , फंड , हथियार , छुपने के अड्डे , बहुत कुछ

और उसी समय दिल्ली में आगे की प्लानिंग चल रही थी। 

दिल्ली

स्पेशल सेक्रेटरी इंटरनल सिक्योरिटी आफिस में बैठे थे ,उसी कुर्सी पर जहाँ कल की सारी रात गुजरी थी। और बेताबी से इन्तजार कर रहे थे , डायरेक्टर ( आपरेशन ) आई बी और रा के आपरेशन का।

साढ़े आठ बजे उन की मीटिंग एक महाशक्ति देश के दूतावास के सांस्कृतिक सचिव से होनी थी , आई टी सी मौर्या के काफी शॉप , पैवेलियन में। मीटिंग थोड़ा देर से शुरू हुयी। सांस्कृतिक सचिव , मुम्बई में काउंसलेट के एक वरिष्ठ अधिकारी की रिपोर्ट का इन्तजार कर रहे थे। और वह रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मुंबई में कल रात जिन लोगों का रीत और नेवल कमांडो ने सामना किया और जो उनका चीफ पकड़ा गया , वो एक अमेरिकन शिप पर भी हमले का दोषी था। दक्षिण एशिया में अल कायदा के नए कमान में वह नंबर दो था।

उसके इंट्रोगेशन में विदेशी एजेंसियों के भाग लेने की इजाजत दे दी गयी थी।

लैंग्ले (सी आई ए ) का हेडक्वार्टर के साउथ एशिया डेस्क , मिडल ईस्ट के टेरर एक्सपर्ट और एक इंट्रोगेटर की टीम दोपहर में वहां से चल देने वाली थी।


लेकिन ऐसे मामलों में कुछ एक हाथ दे दूसरे हाथ ले वाली बात भी छिपी रहती है।


भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अपने दांव ठीक खेले थे।

और काफी हाउस की मीटिंग उसी का नतीजा थी।


पडोसी देश जिसकी जमीं से ये हमले प्लान हुए थे , उसके कमांड और कंट्रोल सेंटर में सेंध भी रा और सी आई ऐ के साथ साथ काम का नतीजा थी।

पौने नौ बजे से बात शुरू हुयी और काफी खत्म होते होते , सारी कंडीशन तय हो गयी।

वही से ९ बजे दोनों एजेंसीज ने ज्वाइंट आपरेशन के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया।

आपरेशन की रूपरेखा पहले ही बन चुकी थी और अब उसे सिर्फ अंजाम देना था।


सवा नौ सुबह , जब वो दोनों लोग स्पेशल सेक्रेटरी इंटरनल सिक्योरिटी के पास पहुंचे , तो वहां नेशनल सिक्योरिटी अडवाइजर भी आनेवाले थे।

और साढ़े नौ बजे चारों लोगो ने एक बार फिर आपरेशन की रूपरेखा पर दौड़ाइ और पाया की सब ठीक ठाक है।

रा के अधिकारी रा के आफिस चले गए और आई बी के साथ स्पेशल सेक्रेटरी इंटरनल सिक्योरटी एक बार फिर सारे प्रभावित प्रदेशों के डी जी ( ला ऐंड आर्डर ) से बात कर रहे थे.

आधे घंटे में उन्हें सारी रिपोर्ट समेटनी थी और आई बी के डायरेक्टर के साथ , होम सेक्रेटरी से १०. १५ पर बैठक थी। उस के बाद साऊथ ब्लाक में ११ बजे पी एम ओ , कैबिनेट सेक्रेटेरिएट और एक्सटर्नल अफेयर्स के सेक्रेटरी साउथ एशिया के साथ भी बैठक होनी थी।

इन बैठको में सारी मिली सूचनाओ की समीक्षा होनी थी और ये भी तय होना था की इन का उपयोग रणनीतिक दृष्टि से किस प्रकार करें।


सभी इंटेलिजेंस एजेंसीज की संयुक्त बैठक , ११. ४५ पर थी , और साढ़े बारह बजे कैबिनट कमिटी आफ इंटरनल सिक्योरटी की बैठक ७ रेसकोर्स में होनी थी। इस बैठक में आई बी और रा के उच्चाधिकरियों के साथ विशेष रूप से बनारस से डीबी ( धुरंधर भाटवडेकर ) और मुम्बई ए टी एस चीफ को भी ख़ास तौर से बुलाया गया था।
लेकिन जब यहाँ मीटिंग का दौर चल रहा था ,

पड़ोस के देश का समुद्र के किनारे का एक शहर , एक मशहूर शहर , जिसकी स्थिति वही थी , जो यहाँ मुम्बई की थी।

वही शहर जहाँ से बड़ौदा , बनारस और मुम्बई पे हमले का ताना बाना बुना गया था।
 
 
 






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