FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--141
कन्या कबड्डी
अब तक
जिया की निगाह टैब से हट नहीं रही थी।
और फिर रीतू भाभी की बुर अब अपनी ननद के खुले मुंह पर थी ,
और अब जो हुआ , वो दिया भी नहीं सोच सकती थी ,
घल घल ,… घल घल , पूरे एक मिनट तक ,
सुनहली शराब , रीतू भाभी से सीधे ननद के मुंह के अंदर , थोड़ी चेहरे पर भी।
जब फ़िल्म बंद हुयी तो भी सब लडकियां टैब पे देख रही थीं।
"यू ट्यूब पे तो इसे पोस्ट नहीं सकती थी , हाँ रेड ट्यूब , एक्स एक्स एक्स ट्यूब ऐसे पांच चैनेल पे इसे पोस्ट कर दिया है और हाँ अपनी छुटकी ननद के फेसबुक साइट पे इसका लिंक भी पोस्ट कर दिया है। बस और अब तक ७८ लाइक्स कर चुके हैं। " मुस्कारती हुयी टैब बंद करती गुड्डी बोली।
" देख देख साली , तू फालतू में शर्मा रही थी। कैसी हॉट हॉट फोटो गुड्डी की छुटकी ननदिया की साइट पर पोस्ट हैं। अरे साल्ले लड़के तो फेसबुक पे पहले यही देखते हैं , कौन माल कितना हाट है , फिर लाइन मारते हैं . " रंजी ने जिया के गाल पे चुटकी काट के कहा।
गुड्डी तो हमेशा से रंजी से एक हाथ आगे थी। उसने टॉप उठा के जिया के कच्चे टिकोरों को सहलाया और रंजी से बोली ,
" अरे तू क्या समझती है , ये भी मेरी छुटकी ननदिया ही है , और सुबह तक इसकी फेसबुक पेज पूरे शहर के लौंडियों में सबसे हाट होगी। जी जी आई सी ( गर्वमेंट गर्ल्स इंटर कालेज , जहाँ जिया , रंजी और दिया पढ़ती थी )से लेकर कालीन गंज तक लाइन लगी होगी लौंडो की। "
……………………….
आगे
रंजी ने घी डाला आग में.
"लेकिन मेरी प्यारी भौजी , होली में भले आप ननदों पे भारी पड़ गयी होंगी , लेकिन यहाँ जिस रिश्ते से तुम मुझे ननद बोल रही हो न , तो हम ननदे तीन है और भौजाई एक। तीन मिलकर बीन बजा देंगी। " जिया ने बड़ी शोख अदा से आँख नचा के बोला।
" एकदम। जबरदस्त रगड़ाई होगी तुम्हारी , ये मत सोचना की जिया अकेली है। बनारस का सब रस निकाल लेंगी हम तीनो " रंजी और दिया समवेत स्वर में बोली।
दिया ने रंजी को इशारा किया , और रंजी ने गुड्डी को पीछे से अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और अगले ही पल दिया ने धक्का देके गुड्डी को पलंग पर गिरा दिया।
" ऊपर का हिस्सा तेरा , नीचे का इलाका हम दोनों मिल के सम्हाल लेंगे , चल कर इसे टॉप लेस तुरंत। " दिया ने जिया को बोला।
जिया एक पल के लिए हिचकी लेकिन माहौल ऐसा था और ऊपर भांग के गोले , वोदका और एक्सटैसी।
"मैं समझ रही हूँ रानी , तू सोच रही की बटवारे में हम लोगों ने तुझे शहद का छत्ता नहीं दिया , चल पहले ऊपर का काम सम्हाल , फिर नीचे का रस भी मिलेगा। " दिया ने जिया को समझाया और गुड्डी को बॉटमलेस करने में जुट गयी।
जिया ने गुड्डी का टॉप उतार कर नीचे फ़ेंक दिया तो गुड्डी ने जिया का टॉप उतार दिया। अब दोनों टॉप लेस थीं , लेकिन रंजी ने गुड्डी का हाथ पकड़ लिया और जबरदस्त आँख मारी।
गुड्डी ने रेजिस्टसेंस थोड़ा कम कर दिया।
" दबा साल्ली की चूंची कस कस के , समझ जाए ये भी की सिर्फ हमारे भाई ही नहीं , हम भी चूंची मसलना रगड़ना जानते हैं। इतनी जोर से रगड़ की साल्ली की चीख निकाल जाए। "
दिया जोर जोर से जिया को उकसा रही थी और अपनी हथेली से अब गुड्डी की खुली चिकनी चमेली जोर जोर से रगड़ रही थी।
जिया भी पूरे जोश में थी और दोनों हाथों से गुड्डी के किशोर उभारों का रस ले रही थी।
गुड्डी समझ रही थी की जिया इस कन्या सम्भोग के खेल में नौसिखिया थी। लेकिन नौसिखिया के साथ खेलने, रस लेने का अलग मजा है। और गुड्डी उस नयी बछेड़ी के रस के सागर में डूब उतरा रही थी।
तब तक रंजी ने जिया के चेहरे को गुड्डी के गदराये जोबन पर जबरन झुका दिया और उसके होंठो को गुड्डी के निपल पर रगड़ती बोली,
" अरे छिनार , जरा अपनी भौजाई की चूंची चाटो , चूसो , कचकचा के काटो। ई नइहर की छिनार , अपने मायके की रंडी , बचपन से दालमंडी के भंडुओं से , गोदौलिया के गंडुओं से चूंची , चुसवा कटवा रही है इसको ऐसे मजा थोड़े आएगा। "
जिया मुस्कराई पहली बार उसने किसी के निपल अपने होंठों के बीच में लिया और चुहुक चुहुक कर चूसने लगी।
मस्ती में आके गुड्डी ने जिया का सर पकड़ कर अपनी ओर खीच लिया , और रंजी की बात का जवाब दिया ,
" अरे मेरी बाँकी, लहुरी ननदिया , सही बोल रही हो। चलोगी न बनारस , उसी दालमंडी में तुम्हे रातभर सोनल के कोठे प न बैठाया तो कहना। सारी रात टांग उठाये रहोगी। ८-१० हजार की कमाई पक्की। " और साथ ही रंजी की पकड़ से एक हाथ छुड़ाकर , जिया की एक चूंची पकड़ ली और जोर जोर से दबाने लगी।
जिया भी क्यों पीछे रहती , अब वो फूल स्पीड से गुड्डी के गदराये किशोर उभार चूस रही थी , चाट रही थी। उसका दूसरा हाथ गुड्डी की चूंची दाबने में लगा था।
और साथ में कई कैमरे एक साथ चल रहे थे , लैप टॉप में लगे वेब कैम के साथ इधर उधर स्ट्रेटेजिक प्लेस कैमरे।
जिया की मस्ती और साथ में, ...फ़िल्म मेकिंग
और साथ में कई कैमरे एक साथ चल रहे थे , लैप टॉप में लगे वेब कैम के साथ इधर उधर स्ट्रेटेजिक प्लेस कैमरे।
जिया की पहले की फोटुओ में तो गुड्डी , दिया उसकी चूंची चूस रही थीं , ( हालंकि चेहरा सिर्फ जिया का दिख रहा था ) लेकिन यहाँ तो वो खुद सपड सपड़ , गुड्डी की चूंची चूसरहीथी। तो कैसे कहती की नहीं ये फोटो जबरन ली गयी है।
दिया ने अब गुड्डी की जांघे अच्छी तरह फैला रखी थी और उसकी काम कला में पारंगत ऊँगली , गुड्डी की रसभरी आम की फांको में आगे पीछे हो रही थी।
गुड्डी रस से गीली हो रही थी।
" अबहीं हमरे एक्के भाई का घोटी हो न ता मजे का ई हाल है। जब आओगी न यहां , परमानेंट ता शहर के कुल लड़कों का घोंटवाउंगी , तोहरी बिल में तब मजा आएगा असली , अबहीं तो ट्रेलर है। रोज नया नया मूसल। " दिया ने गुड्डी को चिढ़ाते हुए कहा और जोर से उसकी क्लिट पिंच कर दी।
गुड्डी मजे से पागल हो रही थी , जोर जोर से अपने चूतड़ बिस्तर पे रगड़ रही थी। लेकिन कमेंट का जवाब बिना कमेंट के वो भी अपनी ननद के , वो चुप रहने वाली नहीं थीं
" अरे हमरी छिनार ननदिया , उ तो वैसे हमार देवर लगेंगे। और देवर भाभी का तो बारहों महीने फागुन रहता है। जब चाहो तब डालो , डलवाओ आगे से पीछे से। और फिर हमारी ससुराल में तब सब पैदाइशी चुदवासी , छिनार होती हैं , भाईचोदी। ता उ सब हमारी ननदों को चोदने के रिश्ते से हमारे नंदोई लगेंगे , और नंदोई पे तो वैसे ही ननद के पहले सलहज का हिस्सा होता है। :
जव कोई बात में नहीं जीत पाता है तो दूसरा रास्ता लेता है , और दिया ने वही किया।
अपने रसीले होंठों के बीच उसने जोर जोर से गुड्डी की चूत दबाकर चूसनी शुरू कर दी।
बीच बीच में उसकी लपलपाती जीभ ,गुड्डी की चूत चोद भी रही थी।
पांच दस मिनट तक ये खेल तमाशा चलता रहा।
दिया ने एक पल के लिया सर उठाया तो देखा , जिया अपनी आँखे खोले , टुकुर टुकुर किसी नदीदी बच्ची की तरह देख रही है।
' चाहिए क्या , शहद का ये छत्ता " दिया ने मुस्करा के पूछा।
बिना बोले जिया ने हामी में सर हिला दिया।
" ले तू भी चख ले , बनारस का शहद , बहुत मीठा है " और दिया हट गयी , और उसकी जगह जिया ने ले ली .
बिचारी जिया , पहली बार योनि कूप पे होंठ लगा रही थी।
जैसे किसी नौसिखिया किशोर को , एक खूब खेली खायी प्रौढ़ा , अपने ऊपर ले रही हो और वो बिचारा देह शास्त्र से अनजान , छेद ढूंढता रह जाय , बस वही हालत उसकी हो रही थी।
गुड्डी मन ही मन मुस्करा रही थी , और उस प्रौढ़ा की तरह बिन बताये , गाइड भी कर रही थी , अपनी चिकनी जाँघों के बीच उसे दबोच कर , कभी हाथों से उसके सर को अड्जस्ट कर।
कुछ चीजों के लिए लड़कियों को सिखाना नहीं पड़ता, और जिया को भी ज्यादा सिखाना नहीं पड़ा।
कुछ ही देर में जिया ने भी सीख लिया और उस की लजीली , शर्मीली जुबान , अब लपलपाती गुड्डी की चूत चाटने लगी।
रंजी ने भी जिया के कान में गुर सिखाया ,
" सुन इसके दोनों चूत के पपोटों को मुंह में भर के जोर जोर चूस , और फिर जैसे आम की फांकों के बीच जीभ डाल के रस चूसते हैं न , बस उसी तरह चूस। बनारसी लंगड़े से ज्यादा मीठा कसैला रस इस बनारसी चूत में हैं। "
बस।
आराम से कभी वो थूक लगा के गुड्डी की गुलाबी कसी चूत के पपोटों को गीला करती , तो कभी फ्लिक कर देती। फिर अंगूठे और तरजनी से जिया ने गुड्डी की रसीली चूत की फांको को अलग किया और बीच में अपनी जुबान डाल के चाटने लगी।
साथ ही जिया की पतली नाजुक उंगलियां , गुड्डी के चूत के किनारे सहला रही थीं , तड़पा रही थीं। कुछ देर चूस चाट के जिया अपने होंठों को दूर कर लेती , और जिया के नाजुक हाथों की गदोरियां उसकी जगह ले लेती और वो जोर जोर से गुड्डी की चूत रगड़ती , मसलती।
और जब गुड्डी की चूत एकदम पनिया जाती , तो बस उंगलिया और होंठ दोनों दूर कर लेती और बस उसकी जीभ बाहर निकल कर हलके से चूत चाट लेती। चूत की चाशनी का एकतार चूत से जिया के होंठों तक बस चला आता।
मस्ती के मारे गुड्डी की आँखे बंद हो गयी थी , वो खुद नीचे से जोर जोर से चूतड़ हिला , उचका रही थी।
और जिया भी अब जोर जोर से चूस रही थी।
आसानी से वो कभी भी द्रुत से मंद और मंद से द्रुत पर चली जा रही थी।
गुड्डी ने समझ लिया था , ये है पक्की चूत चटोरी। और नेचर में भी सब मिसिव होगी , लेकिन बस थोड़ी जोर जबरदस्ती करनी होगी , फिर तो वो ये मजा देगी की , और दिया गुड्डी का प्लान ही था जोर जबरदस्ती का।
दिया चढ़ गयी गुड्डी पर
गुड्डी ने समझ लिया था , ये है पक्की चूत चटोरी। और नेचर में भी सब मिसिव होगी , लेकिन बस थोड़ी जोर जबरदस्ती करनी होगी , फिर तो वो ये मजा देगी की , और दिया गुड्डी का प्लान ही था जोर जबरदस्ती का।
रंजी अंदर चली गयी थी ,शायद बाथरूम।
दिया , जिया के इस चूत चटोरेपन का वीडियो और स्टिल सबूत इकठ्ठा कर रही थी।
दिया ने जिया को एक लेवल और आगे बढ़ाया।
चल तू गुड्डी की चाट रही है , मैं तुझे दिखाती हूँ की हम ननदें ,भौजाइयों को कैसी अपनी चूत चटाते हैं और दिया सीधे गुड्डी के मुंह पे ,
जब तक गुड्डी कुछ समझे दिया की चूत गुड्डी के होंठो पे रगड़ घिस कर रही थी।
अब गुड्डी को लग रहा था की दिया , उम्र में कम भले हो , लेकिन रगड़ाई करने में उसकी बनारसी भौजाइयों से कम नहीं।
अपनी दोनों जाँघों से उसने कस के गुड्डी के सर को भींच लिया था और अपनी चूत जोर जोर से उसके होंठ पे रगड़ रही थी। दोनों हाथों से भी दिया ने गुड्डी के सर को पकड़ कर अपनी चूत की ओर भींच रखा था।
और गुड्डी ने भी अब अपने होंठ खोल लिए और दिया की चूत चूसने लगी।
लेकिन दिया , जैसे कोई मरद किसी किसी नयी नवेली का मुंह अपने मोटे तगड़े लंड से चोदे , उस तरह ,गुड्डी का मुंह अपने चूत से चोद रही थी , और साथ में गालियों की बरसात भी , क्या कोई मर्द ऐसी गालियां देगा ,
' बहुत लंड लिया हैं न साल्ली , छिनार। लंड चूसने में बड़ी बनारस की एक्सपर्ट हैं न , दिखा अपने होंठों का कमाल , भाईचोद "
गुड्डी ने किसी तरह अपने होंठ एक पल के लिए अलग किये और हाथ से रंजी की ओर इशारा किया ,
" नहीं ,बहुत नहीं सिर्फ इसके भाई का लिया है। '
रंजी , दिया और जिया तीनो मुस्कराने लगी।
रंजी बोली , " अरे मेरे भैया का अकेले १० के बराबर है "
दिया ने टुकड़ा लगाया , " घबड़ा मत , अभी तो शुरुआत है , रंजी के भाई के साथ , अभी मेरा भाई और बहुत से भाई मिलंगे , चूसना मन भर के , लेकिन पहले मेरी चूत चूस , छिनार। "
और एक बार फिर जोर जोर से अपनी चूत गुड्डी के मुंह पे रगड़ने लगी।
जिया भी सर उठाकर तारीफ की निगाह से दिया को देख रहीथी।
और दिया हचक हचक कर , अपनी खेली खायी बुर से गुड्डी के मुंह को जोर जोर से चोद रही थी , और साथ में गन्दी से गन्दी गालियों की बारिश ,
" साल्ली , छिनार अब असली ननद से पाला पड़ा है। मजा आ रहा है ननद से चुदवाने में , अबहीं तो तुमको शहर भर के लौंडे चोदेंगे , और इस छिनार बनारसी चूत का पेट न भरे न , तो ऐलवल के गदहे , बोल साल्ली चाहिए तो बुकिंग करवा दूँ अबही से "
और साथ में रंजी जिया के कान में चूत चूसने की ट्रिक सीखा रही थी , कैसे जीभ की नोक से क्लिट को छेड़ा जाय , कैसे होंठो के बीच क्लिट ले के जोर जोर से चूस चूस के गुड्डी को पागल बनाया जाय।
जिया क्विक लर्नर थी , जैसे मछली को तैराकी नहीं सिखानी पड़ती बस उसी तरह ,
वह जोर जोर से गुड्डी की चूत चाट रही थी , साथ में कभी ऊँगली से क्लिट फ्लिक कर देती , कभी अंगूठे से दबा देती तो कभी हलके से बाइट कर के उसे पागल बना देती।
वास्तव में गुड्डी का पहली बार पाला ऐसी ननदों से पड़ा था। होली में तो मिश्रायिन भाभी , रीतू भाभी सब उसके साथ थी , पर यहाँ पर तीन एक साथ।
अकेले तो वैसे भी किसी से भी निपट लेती वो , रंजी , जिया को भी अपने जांघ के नीचे एक साथ
दबोच लेती , लेकिन दिया वास्तव में गुड्डी की टक्कर की थी।
और तभी दिया ने जिया को लाइफ टाइम ऑफर दिया ,
" जिया चल जरा तू भी बता दे , इस छिनार को की यहाँ की ननदें कैसी होतीं है। बहुत चूत चाट लिया साली की अब चटा इसे। "
जिया की हिम्मत बढ़ गयी थी। और उसने देखा था की दिया अभी कैसे रगड़ रगड़ कर गुड्डी कोचोद रही थी और फिर रंजी और दिया है न उसका साथ देने वाली।
दिया हट गयी थी , गुड्डी ने भी कुछ ना नुकुर नहीं की जब जिया उसके ऊपर चढ़ी बल्कि खुद अपने होंठ खोल दिए। और नौसिखिया , जिया चूत गुड्डी के होंठों पे रगड़ने लगी। पहले धीमे , फिर जोर से।
"अरे धक्के मार , धक्के मार जैसे हमारे भैया इसकी चूत में मारते हैं। " दिया ने लललकारा , जिया को।
" भैया का लंड बहुत चूसा है छिनार भौजी , अरे जरा आज नयकी ननदी के चूत का धक्का खा " रंजी ने टुकड़ा लगाया और फिर जोड़ा , गाली भी दे न साल्ली को।
जिया की हिम्मत और जोश दोनों दुगना होगया और उसने जो दिया के मुंह से सूना था उन सब गालियों की झड़ी लगा दी।
लेकिन वही उससे चूक हो गयी। गालियों में वो मा तक पहुँच गयी , और गुड्डी गुस्से से अलफ ,,
पल भर में नाव गाड़ी पे थी , गुड्डी जिया के ऊपर और उसके दोनों हाथ उसने बाँध रखे थे।
जिया ने तुरंत आर्तनाद किया , मदद की गुहार लगाई।
लेकिन रंजी दूर खड़ी लैपटॉप में कुछ कतरब्योंत कर रही थी।
हाँ , दिया जरूर खड़ी थी। लेकिन वो मुस्कराती रही , आँखों ही आँखों में इशारे करती रही गुड्डी को।
बिचारी जिया , उसे क्या मालूम था किन दो चुड़ैलों के बीच वो फँस गयी है।
उसने फिर गुहार लगायी।
और अबकी दिया मदद को आगे बढ़ी।
" प्लीज दिया , हाथ पकड़ ले दोनों , फिर बताती हूँ। " और उसने गुड्डी की ओर इशारा किया ,
लेकिन दिया ने जिया के ही हाथ दबोच लिए और वो भी अपनी सँडसी ऐसी मजबूत पकड़ से , जिससे उसकी सारी सहेलियां डरती थीं। और फिर दोनों कलाइयों को मरोड़ कर अपने दायें हाथ मेंजकड़ लिया , बस। अब जिया हिल डुल भी नहीं सकती थी।
और
उधर गुड्डी दिया के ऊपर ऐसी लेटी थी , जैसे मिशनरी पोजीशन में कोई मर्द , लड़की के ऊपर लेटा हो। उसकी दोनों जाँघों के बीच पैर डाल कर जबरन , उसके पैर गुड्डी ने पूरी तरह खुलवा दिए और अपने दोनों घुटने बीच में घुसेड़ दिए। अब वो अधलेटी सी हो गयी।
गुड्डी ने जिया के सर को दोनों हाथों से पकड़ कर भींच रखा था और अब खूब गीले गीले चुम्बन से जिया के होंठों को भर दिया।
बिचारी जिया कातर हिरनी की तरह , कभी गुड्डी कोदेखती तो कभी दिया को।
दिया ने ऊपर से और कटे में नमक छिड़का , तूने बोला तो मैंने हाथ पकड़ लिया।
,
जिया अब बोल भी नहीं सकती थी जैसे गौरेया को कोई बाज दबोचे वैसे , गुड्डी के होंठों ने जिया के होंठो को दबोच रखा था और अब अपने दोनों हाथों से जिया के गालों पे स्लैप कर रही थी , पहले हलके हलके फिर जोर जोर से ,
" साली गाली देती है , वो भी माँ को , बोल बोल , तेरी माँ रंडी है। तू रंडी की जनी पैदायशी रंडी है बोल "
जिया के गुलाबी गालों पे अब लाल फूल खिल रहे थे।
" खोल मुंह , भंडुवे की औलाद खोल जल्दी , " गुड्डी बोल रही थी।
"अरे मैं खुलवाती हूँ मुंह इसका ऐसी पैदायशी छिनरोंका मुंह खुलवाना मुझे आता है " दिया बोली और जिया के नथुनो को पकड़ कर भींच दिया।
थोड़ी देर में जिया का चेहरा लाल भभूका हो गया , सांस फूलने लगी और ,…उसने मुंह खोल दिया।
चिरैया की चोंच की तरह ,
और अब गुड्डी की जीभ अंदर घुस गयी थी , उसके मुंह के रस का मजा लेने लगी।
और जब बाहर निकली तो भी जिया का मुंह बंद नहीं हो पाया।
दिया पूरे जोर से उसके गालों को दबोचे हुए थी।
मुंह पूरी तरह खुला था।
और गुड्डी एक पल के लिए रुकी और स्पिट का एक बड़ा सा गोला बनाया उसने , जैसे बबल गम का गोला बनाते हैं और सारा स्पिट सीधे जिया के मुंह में।
अगला गोला और बड़ा था और अबकी थूक सिर्फ जिया के मुंह में नहीं बल्कि उसके चेहरे पर भी फैल गया।
बिचारी जिया वो कुछ कर भी नहीं सकती थी। हाथ दिया के कब्जे में , मुंह दिया ने जबरदस्त दबा के खोल रखा था। वो हिल डुल भी नहीं सकती थी।
" साली , इसी मुंह से गाली दिया था न , देख अभी क्या क्या जाता है। देखा न मेरी छुटकी ननदिया के मुंह में रीतू भाभी ने कैसे अपना बीयर पिलाया , उसकी उमरिया तो तुमसे भी बाली थी। "
और फिर दो थप्पड़ , और अबकी स्पिट गोल बना कर नहीं बल्कि एक धागे की तरह ,
और अब दिया हुंकार रही थी।
चाट साल्ल्ली , घोंट इसे पूरा , जो बाहर गिरा है तेरी ठुड्डी पे।
कुछ देर सहमी जिया लेकिन गुड्डी के हाथ ने उसका इरादा बदल दिया , और बाहर जीभ निकाल कर उसने चाट लिया।
गुड्डी ये सीन देख कर मजे से सिहर गयी.
एक बात एकदम साफ हो गयी , जिया चाहे जितना नखड़ा करे, रोना धोना करे , उसे ये सब अच्छा लगता है। और उसका बस एक इलाज है , उसे खूब जबरदस्ती के साथ , हचक के रगड़ा जाय ,उसके साथ जितना जलील करे , उसे उतना ही अच्छा लगेगा। जिस तरह उसने जीभ बाहर निकाल के चाटा था , उसका थूक , उससे उसका ऐटिट्यूड एकदम साफ झलक रहा था। वो एकदम पक्की 'सबमिसिव ' है।
जिस तरह से दिया ललचाई नजर से जिया के चेहरे की तरफ देख़ रही थी , गुड्डी उसका इरादा भांप गयी और उसने जिया को दिया हवाले सौंप दिया।
फागुन के दिन चार--141
कन्या कबड्डी
अब तक
जिया की निगाह टैब से हट नहीं रही थी।
और फिर रीतू भाभी की बुर अब अपनी ननद के खुले मुंह पर थी ,
और अब जो हुआ , वो दिया भी नहीं सोच सकती थी ,
घल घल ,… घल घल , पूरे एक मिनट तक ,
सुनहली शराब , रीतू भाभी से सीधे ननद के मुंह के अंदर , थोड़ी चेहरे पर भी।
जब फ़िल्म बंद हुयी तो भी सब लडकियां टैब पे देख रही थीं।
"यू ट्यूब पे तो इसे पोस्ट नहीं सकती थी , हाँ रेड ट्यूब , एक्स एक्स एक्स ट्यूब ऐसे पांच चैनेल पे इसे पोस्ट कर दिया है और हाँ अपनी छुटकी ननद के फेसबुक साइट पे इसका लिंक भी पोस्ट कर दिया है। बस और अब तक ७८ लाइक्स कर चुके हैं। " मुस्कारती हुयी टैब बंद करती गुड्डी बोली।
" देख देख साली , तू फालतू में शर्मा रही थी। कैसी हॉट हॉट फोटो गुड्डी की छुटकी ननदिया की साइट पर पोस्ट हैं। अरे साल्ले लड़के तो फेसबुक पे पहले यही देखते हैं , कौन माल कितना हाट है , फिर लाइन मारते हैं . " रंजी ने जिया के गाल पे चुटकी काट के कहा।
गुड्डी तो हमेशा से रंजी से एक हाथ आगे थी। उसने टॉप उठा के जिया के कच्चे टिकोरों को सहलाया और रंजी से बोली ,
" अरे तू क्या समझती है , ये भी मेरी छुटकी ननदिया ही है , और सुबह तक इसकी फेसबुक पेज पूरे शहर के लौंडियों में सबसे हाट होगी। जी जी आई सी ( गर्वमेंट गर्ल्स इंटर कालेज , जहाँ जिया , रंजी और दिया पढ़ती थी )से लेकर कालीन गंज तक लाइन लगी होगी लौंडो की। "
……………………….
आगे
रंजी ने घी डाला आग में.
"लेकिन मेरी प्यारी भौजी , होली में भले आप ननदों पे भारी पड़ गयी होंगी , लेकिन यहाँ जिस रिश्ते से तुम मुझे ननद बोल रही हो न , तो हम ननदे तीन है और भौजाई एक। तीन मिलकर बीन बजा देंगी। " जिया ने बड़ी शोख अदा से आँख नचा के बोला।
" एकदम। जबरदस्त रगड़ाई होगी तुम्हारी , ये मत सोचना की जिया अकेली है। बनारस का सब रस निकाल लेंगी हम तीनो " रंजी और दिया समवेत स्वर में बोली।
दिया ने रंजी को इशारा किया , और रंजी ने गुड्डी को पीछे से अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और अगले ही पल दिया ने धक्का देके गुड्डी को पलंग पर गिरा दिया।
" ऊपर का हिस्सा तेरा , नीचे का इलाका हम दोनों मिल के सम्हाल लेंगे , चल कर इसे टॉप लेस तुरंत। " दिया ने जिया को बोला।
जिया एक पल के लिए हिचकी लेकिन माहौल ऐसा था और ऊपर भांग के गोले , वोदका और एक्सटैसी।
"मैं समझ रही हूँ रानी , तू सोच रही की बटवारे में हम लोगों ने तुझे शहद का छत्ता नहीं दिया , चल पहले ऊपर का काम सम्हाल , फिर नीचे का रस भी मिलेगा। " दिया ने जिया को समझाया और गुड्डी को बॉटमलेस करने में जुट गयी।
जिया ने गुड्डी का टॉप उतार कर नीचे फ़ेंक दिया तो गुड्डी ने जिया का टॉप उतार दिया। अब दोनों टॉप लेस थीं , लेकिन रंजी ने गुड्डी का हाथ पकड़ लिया और जबरदस्त आँख मारी।
गुड्डी ने रेजिस्टसेंस थोड़ा कम कर दिया।
" दबा साल्ली की चूंची कस कस के , समझ जाए ये भी की सिर्फ हमारे भाई ही नहीं , हम भी चूंची मसलना रगड़ना जानते हैं। इतनी जोर से रगड़ की साल्ली की चीख निकाल जाए। "
दिया जोर जोर से जिया को उकसा रही थी और अपनी हथेली से अब गुड्डी की खुली चिकनी चमेली जोर जोर से रगड़ रही थी।
जिया भी पूरे जोश में थी और दोनों हाथों से गुड्डी के किशोर उभारों का रस ले रही थी।
गुड्डी समझ रही थी की जिया इस कन्या सम्भोग के खेल में नौसिखिया थी। लेकिन नौसिखिया के साथ खेलने, रस लेने का अलग मजा है। और गुड्डी उस नयी बछेड़ी के रस के सागर में डूब उतरा रही थी।
तब तक रंजी ने जिया के चेहरे को गुड्डी के गदराये जोबन पर जबरन झुका दिया और उसके होंठो को गुड्डी के निपल पर रगड़ती बोली,
" अरे छिनार , जरा अपनी भौजाई की चूंची चाटो , चूसो , कचकचा के काटो। ई नइहर की छिनार , अपने मायके की रंडी , बचपन से दालमंडी के भंडुओं से , गोदौलिया के गंडुओं से चूंची , चुसवा कटवा रही है इसको ऐसे मजा थोड़े आएगा। "
जिया मुस्कराई पहली बार उसने किसी के निपल अपने होंठों के बीच में लिया और चुहुक चुहुक कर चूसने लगी।
मस्ती में आके गुड्डी ने जिया का सर पकड़ कर अपनी ओर खीच लिया , और रंजी की बात का जवाब दिया ,
" अरे मेरी बाँकी, लहुरी ननदिया , सही बोल रही हो। चलोगी न बनारस , उसी दालमंडी में तुम्हे रातभर सोनल के कोठे प न बैठाया तो कहना। सारी रात टांग उठाये रहोगी। ८-१० हजार की कमाई पक्की। " और साथ ही रंजी की पकड़ से एक हाथ छुड़ाकर , जिया की एक चूंची पकड़ ली और जोर जोर से दबाने लगी।
जिया भी क्यों पीछे रहती , अब वो फूल स्पीड से गुड्डी के गदराये किशोर उभार चूस रही थी , चाट रही थी। उसका दूसरा हाथ गुड्डी की चूंची दाबने में लगा था।
और साथ में कई कैमरे एक साथ चल रहे थे , लैप टॉप में लगे वेब कैम के साथ इधर उधर स्ट्रेटेजिक प्लेस कैमरे।
जिया की मस्ती और साथ में, ...फ़िल्म मेकिंग
और साथ में कई कैमरे एक साथ चल रहे थे , लैप टॉप में लगे वेब कैम के साथ इधर उधर स्ट्रेटेजिक प्लेस कैमरे।
जिया की पहले की फोटुओ में तो गुड्डी , दिया उसकी चूंची चूस रही थीं , ( हालंकि चेहरा सिर्फ जिया का दिख रहा था ) लेकिन यहाँ तो वो खुद सपड सपड़ , गुड्डी की चूंची चूसरहीथी। तो कैसे कहती की नहीं ये फोटो जबरन ली गयी है।
दिया ने अब गुड्डी की जांघे अच्छी तरह फैला रखी थी और उसकी काम कला में पारंगत ऊँगली , गुड्डी की रसभरी आम की फांको में आगे पीछे हो रही थी।
गुड्डी रस से गीली हो रही थी।
" अबहीं हमरे एक्के भाई का घोटी हो न ता मजे का ई हाल है। जब आओगी न यहां , परमानेंट ता शहर के कुल लड़कों का घोंटवाउंगी , तोहरी बिल में तब मजा आएगा असली , अबहीं तो ट्रेलर है। रोज नया नया मूसल। " दिया ने गुड्डी को चिढ़ाते हुए कहा और जोर से उसकी क्लिट पिंच कर दी।
गुड्डी मजे से पागल हो रही थी , जोर जोर से अपने चूतड़ बिस्तर पे रगड़ रही थी। लेकिन कमेंट का जवाब बिना कमेंट के वो भी अपनी ननद के , वो चुप रहने वाली नहीं थीं
" अरे हमरी छिनार ननदिया , उ तो वैसे हमार देवर लगेंगे। और देवर भाभी का तो बारहों महीने फागुन रहता है। जब चाहो तब डालो , डलवाओ आगे से पीछे से। और फिर हमारी ससुराल में तब सब पैदाइशी चुदवासी , छिनार होती हैं , भाईचोदी। ता उ सब हमारी ननदों को चोदने के रिश्ते से हमारे नंदोई लगेंगे , और नंदोई पे तो वैसे ही ननद के पहले सलहज का हिस्सा होता है। :
जव कोई बात में नहीं जीत पाता है तो दूसरा रास्ता लेता है , और दिया ने वही किया।
अपने रसीले होंठों के बीच उसने जोर जोर से गुड्डी की चूत दबाकर चूसनी शुरू कर दी।
बीच बीच में उसकी लपलपाती जीभ ,गुड्डी की चूत चोद भी रही थी।
पांच दस मिनट तक ये खेल तमाशा चलता रहा।
दिया ने एक पल के लिया सर उठाया तो देखा , जिया अपनी आँखे खोले , टुकुर टुकुर किसी नदीदी बच्ची की तरह देख रही है।
' चाहिए क्या , शहद का ये छत्ता " दिया ने मुस्करा के पूछा।
बिना बोले जिया ने हामी में सर हिला दिया।
" ले तू भी चख ले , बनारस का शहद , बहुत मीठा है " और दिया हट गयी , और उसकी जगह जिया ने ले ली .
बिचारी जिया , पहली बार योनि कूप पे होंठ लगा रही थी।
जैसे किसी नौसिखिया किशोर को , एक खूब खेली खायी प्रौढ़ा , अपने ऊपर ले रही हो और वो बिचारा देह शास्त्र से अनजान , छेद ढूंढता रह जाय , बस वही हालत उसकी हो रही थी।
गुड्डी मन ही मन मुस्करा रही थी , और उस प्रौढ़ा की तरह बिन बताये , गाइड भी कर रही थी , अपनी चिकनी जाँघों के बीच उसे दबोच कर , कभी हाथों से उसके सर को अड्जस्ट कर।
कुछ चीजों के लिए लड़कियों को सिखाना नहीं पड़ता, और जिया को भी ज्यादा सिखाना नहीं पड़ा।
कुछ ही देर में जिया ने भी सीख लिया और उस की लजीली , शर्मीली जुबान , अब लपलपाती गुड्डी की चूत चाटने लगी।
रंजी ने भी जिया के कान में गुर सिखाया ,
" सुन इसके दोनों चूत के पपोटों को मुंह में भर के जोर जोर चूस , और फिर जैसे आम की फांकों के बीच जीभ डाल के रस चूसते हैं न , बस उसी तरह चूस। बनारसी लंगड़े से ज्यादा मीठा कसैला रस इस बनारसी चूत में हैं। "
बस।
आराम से कभी वो थूक लगा के गुड्डी की गुलाबी कसी चूत के पपोटों को गीला करती , तो कभी फ्लिक कर देती। फिर अंगूठे और तरजनी से जिया ने गुड्डी की रसीली चूत की फांको को अलग किया और बीच में अपनी जुबान डाल के चाटने लगी।
साथ ही जिया की पतली नाजुक उंगलियां , गुड्डी के चूत के किनारे सहला रही थीं , तड़पा रही थीं। कुछ देर चूस चाट के जिया अपने होंठों को दूर कर लेती , और जिया के नाजुक हाथों की गदोरियां उसकी जगह ले लेती और वो जोर जोर से गुड्डी की चूत रगड़ती , मसलती।
और जब गुड्डी की चूत एकदम पनिया जाती , तो बस उंगलिया और होंठ दोनों दूर कर लेती और बस उसकी जीभ बाहर निकल कर हलके से चूत चाट लेती। चूत की चाशनी का एकतार चूत से जिया के होंठों तक बस चला आता।
मस्ती के मारे गुड्डी की आँखे बंद हो गयी थी , वो खुद नीचे से जोर जोर से चूतड़ हिला , उचका रही थी।
और जिया भी अब जोर जोर से चूस रही थी।
आसानी से वो कभी भी द्रुत से मंद और मंद से द्रुत पर चली जा रही थी।
गुड्डी ने समझ लिया था , ये है पक्की चूत चटोरी। और नेचर में भी सब मिसिव होगी , लेकिन बस थोड़ी जोर जबरदस्ती करनी होगी , फिर तो वो ये मजा देगी की , और दिया गुड्डी का प्लान ही था जोर जबरदस्ती का।
दिया चढ़ गयी गुड्डी पर
गुड्डी ने समझ लिया था , ये है पक्की चूत चटोरी। और नेचर में भी सब मिसिव होगी , लेकिन बस थोड़ी जोर जबरदस्ती करनी होगी , फिर तो वो ये मजा देगी की , और दिया गुड्डी का प्लान ही था जोर जबरदस्ती का।
रंजी अंदर चली गयी थी ,शायद बाथरूम।
दिया , जिया के इस चूत चटोरेपन का वीडियो और स्टिल सबूत इकठ्ठा कर रही थी।
दिया ने जिया को एक लेवल और आगे बढ़ाया।
चल तू गुड्डी की चाट रही है , मैं तुझे दिखाती हूँ की हम ननदें ,भौजाइयों को कैसी अपनी चूत चटाते हैं और दिया सीधे गुड्डी के मुंह पे ,
जब तक गुड्डी कुछ समझे दिया की चूत गुड्डी के होंठो पे रगड़ घिस कर रही थी।
अब गुड्डी को लग रहा था की दिया , उम्र में कम भले हो , लेकिन रगड़ाई करने में उसकी बनारसी भौजाइयों से कम नहीं।
अपनी दोनों जाँघों से उसने कस के गुड्डी के सर को भींच लिया था और अपनी चूत जोर जोर से उसके होंठ पे रगड़ रही थी। दोनों हाथों से भी दिया ने गुड्डी के सर को पकड़ कर अपनी चूत की ओर भींच रखा था।
और गुड्डी ने भी अब अपने होंठ खोल लिए और दिया की चूत चूसने लगी।
लेकिन दिया , जैसे कोई मरद किसी किसी नयी नवेली का मुंह अपने मोटे तगड़े लंड से चोदे , उस तरह ,गुड्डी का मुंह अपने चूत से चोद रही थी , और साथ में गालियों की बरसात भी , क्या कोई मर्द ऐसी गालियां देगा ,
' बहुत लंड लिया हैं न साल्ली , छिनार। लंड चूसने में बड़ी बनारस की एक्सपर्ट हैं न , दिखा अपने होंठों का कमाल , भाईचोद "
गुड्डी ने किसी तरह अपने होंठ एक पल के लिए अलग किये और हाथ से रंजी की ओर इशारा किया ,
" नहीं ,बहुत नहीं सिर्फ इसके भाई का लिया है। '
रंजी , दिया और जिया तीनो मुस्कराने लगी।
रंजी बोली , " अरे मेरे भैया का अकेले १० के बराबर है "
दिया ने टुकड़ा लगाया , " घबड़ा मत , अभी तो शुरुआत है , रंजी के भाई के साथ , अभी मेरा भाई और बहुत से भाई मिलंगे , चूसना मन भर के , लेकिन पहले मेरी चूत चूस , छिनार। "
और एक बार फिर जोर जोर से अपनी चूत गुड्डी के मुंह पे रगड़ने लगी।
जिया भी सर उठाकर तारीफ की निगाह से दिया को देख रहीथी।
और दिया हचक हचक कर , अपनी खेली खायी बुर से गुड्डी के मुंह को जोर जोर से चोद रही थी , और साथ में गन्दी से गन्दी गालियों की बारिश ,
" साल्ली , छिनार अब असली ननद से पाला पड़ा है। मजा आ रहा है ननद से चुदवाने में , अबहीं तो तुमको शहर भर के लौंडे चोदेंगे , और इस छिनार बनारसी चूत का पेट न भरे न , तो ऐलवल के गदहे , बोल साल्ली चाहिए तो बुकिंग करवा दूँ अबही से "
और साथ में रंजी जिया के कान में चूत चूसने की ट्रिक सीखा रही थी , कैसे जीभ की नोक से क्लिट को छेड़ा जाय , कैसे होंठो के बीच क्लिट ले के जोर जोर से चूस चूस के गुड्डी को पागल बनाया जाय।
जिया क्विक लर्नर थी , जैसे मछली को तैराकी नहीं सिखानी पड़ती बस उसी तरह ,
वह जोर जोर से गुड्डी की चूत चाट रही थी , साथ में कभी ऊँगली से क्लिट फ्लिक कर देती , कभी अंगूठे से दबा देती तो कभी हलके से बाइट कर के उसे पागल बना देती।
वास्तव में गुड्डी का पहली बार पाला ऐसी ननदों से पड़ा था। होली में तो मिश्रायिन भाभी , रीतू भाभी सब उसके साथ थी , पर यहाँ पर तीन एक साथ।
अकेले तो वैसे भी किसी से भी निपट लेती वो , रंजी , जिया को भी अपने जांघ के नीचे एक साथ
दबोच लेती , लेकिन दिया वास्तव में गुड्डी की टक्कर की थी।
और तभी दिया ने जिया को लाइफ टाइम ऑफर दिया ,
" जिया चल जरा तू भी बता दे , इस छिनार को की यहाँ की ननदें कैसी होतीं है। बहुत चूत चाट लिया साली की अब चटा इसे। "
जिया की हिम्मत बढ़ गयी थी। और उसने देखा था की दिया अभी कैसे रगड़ रगड़ कर गुड्डी कोचोद रही थी और फिर रंजी और दिया है न उसका साथ देने वाली।
दिया हट गयी थी , गुड्डी ने भी कुछ ना नुकुर नहीं की जब जिया उसके ऊपर चढ़ी बल्कि खुद अपने होंठ खोल दिए। और नौसिखिया , जिया चूत गुड्डी के होंठों पे रगड़ने लगी। पहले धीमे , फिर जोर से।
"अरे धक्के मार , धक्के मार जैसे हमारे भैया इसकी चूत में मारते हैं। " दिया ने लललकारा , जिया को।
" भैया का लंड बहुत चूसा है छिनार भौजी , अरे जरा आज नयकी ननदी के चूत का धक्का खा " रंजी ने टुकड़ा लगाया और फिर जोड़ा , गाली भी दे न साल्ली को।
जिया की हिम्मत और जोश दोनों दुगना होगया और उसने जो दिया के मुंह से सूना था उन सब गालियों की झड़ी लगा दी।
लेकिन वही उससे चूक हो गयी। गालियों में वो मा तक पहुँच गयी , और गुड्डी गुस्से से अलफ ,,
पल भर में नाव गाड़ी पे थी , गुड्डी जिया के ऊपर और उसके दोनों हाथ उसने बाँध रखे थे।
जिया ने तुरंत आर्तनाद किया , मदद की गुहार लगाई।
लेकिन रंजी दूर खड़ी लैपटॉप में कुछ कतरब्योंत कर रही थी।
हाँ , दिया जरूर खड़ी थी। लेकिन वो मुस्कराती रही , आँखों ही आँखों में इशारे करती रही गुड्डी को।
बिचारी जिया , उसे क्या मालूम था किन दो चुड़ैलों के बीच वो फँस गयी है।
उसने फिर गुहार लगायी।
और अबकी दिया मदद को आगे बढ़ी।
" प्लीज दिया , हाथ पकड़ ले दोनों , फिर बताती हूँ। " और उसने गुड्डी की ओर इशारा किया ,
लेकिन दिया ने जिया के ही हाथ दबोच लिए और वो भी अपनी सँडसी ऐसी मजबूत पकड़ से , जिससे उसकी सारी सहेलियां डरती थीं। और फिर दोनों कलाइयों को मरोड़ कर अपने दायें हाथ मेंजकड़ लिया , बस। अब जिया हिल डुल भी नहीं सकती थी।
और
उधर गुड्डी दिया के ऊपर ऐसी लेटी थी , जैसे मिशनरी पोजीशन में कोई मर्द , लड़की के ऊपर लेटा हो। उसकी दोनों जाँघों के बीच पैर डाल कर जबरन , उसके पैर गुड्डी ने पूरी तरह खुलवा दिए और अपने दोनों घुटने बीच में घुसेड़ दिए। अब वो अधलेटी सी हो गयी।
गुड्डी ने जिया के सर को दोनों हाथों से पकड़ कर भींच रखा था और अब खूब गीले गीले चुम्बन से जिया के होंठों को भर दिया।
बिचारी जिया कातर हिरनी की तरह , कभी गुड्डी कोदेखती तो कभी दिया को।
दिया ने ऊपर से और कटे में नमक छिड़का , तूने बोला तो मैंने हाथ पकड़ लिया।
,
जिया अब बोल भी नहीं सकती थी जैसे गौरेया को कोई बाज दबोचे वैसे , गुड्डी के होंठों ने जिया के होंठो को दबोच रखा था और अब अपने दोनों हाथों से जिया के गालों पे स्लैप कर रही थी , पहले हलके हलके फिर जोर जोर से ,
" साली गाली देती है , वो भी माँ को , बोल बोल , तेरी माँ रंडी है। तू रंडी की जनी पैदायशी रंडी है बोल "
जिया के गुलाबी गालों पे अब लाल फूल खिल रहे थे।
" खोल मुंह , भंडुवे की औलाद खोल जल्दी , " गुड्डी बोल रही थी।
"अरे मैं खुलवाती हूँ मुंह इसका ऐसी पैदायशी छिनरोंका मुंह खुलवाना मुझे आता है " दिया बोली और जिया के नथुनो को पकड़ कर भींच दिया।
थोड़ी देर में जिया का चेहरा लाल भभूका हो गया , सांस फूलने लगी और ,…उसने मुंह खोल दिया।
चिरैया की चोंच की तरह ,
और अब गुड्डी की जीभ अंदर घुस गयी थी , उसके मुंह के रस का मजा लेने लगी।
और जब बाहर निकली तो भी जिया का मुंह बंद नहीं हो पाया।
दिया पूरे जोर से उसके गालों को दबोचे हुए थी।
मुंह पूरी तरह खुला था।
और गुड्डी एक पल के लिए रुकी और स्पिट का एक बड़ा सा गोला बनाया उसने , जैसे बबल गम का गोला बनाते हैं और सारा स्पिट सीधे जिया के मुंह में।
अगला गोला और बड़ा था और अबकी थूक सिर्फ जिया के मुंह में नहीं बल्कि उसके चेहरे पर भी फैल गया।
बिचारी जिया वो कुछ कर भी नहीं सकती थी। हाथ दिया के कब्जे में , मुंह दिया ने जबरदस्त दबा के खोल रखा था। वो हिल डुल भी नहीं सकती थी।
" साली , इसी मुंह से गाली दिया था न , देख अभी क्या क्या जाता है। देखा न मेरी छुटकी ननदिया के मुंह में रीतू भाभी ने कैसे अपना बीयर पिलाया , उसकी उमरिया तो तुमसे भी बाली थी। "
और फिर दो थप्पड़ , और अबकी स्पिट गोल बना कर नहीं बल्कि एक धागे की तरह ,
और अब दिया हुंकार रही थी।
चाट साल्ल्ली , घोंट इसे पूरा , जो बाहर गिरा है तेरी ठुड्डी पे।
कुछ देर सहमी जिया लेकिन गुड्डी के हाथ ने उसका इरादा बदल दिया , और बाहर जीभ निकाल कर उसने चाट लिया।
गुड्डी ये सीन देख कर मजे से सिहर गयी.
एक बात एकदम साफ हो गयी , जिया चाहे जितना नखड़ा करे, रोना धोना करे , उसे ये सब अच्छा लगता है। और उसका बस एक इलाज है , उसे खूब जबरदस्ती के साथ , हचक के रगड़ा जाय ,उसके साथ जितना जलील करे , उसे उतना ही अच्छा लगेगा। जिस तरह उसने जीभ बाहर निकाल के चाटा था , उसका थूक , उससे उसका ऐटिट्यूड एकदम साफ झलक रहा था। वो एकदम पक्की 'सबमिसिव ' है।
जिस तरह से दिया ललचाई नजर से जिया के चेहरे की तरफ देख़ रही थी , गुड्डी उसका इरादा भांप गयी और उसने जिया को दिया हवाले सौंप दिया।
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