Tuesday, March 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--138

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--138

फाँस दिया के दिल में तो गड़ी ही थी , इसलिए जब वो गुड्डी से मिली तो उसने सारी बातें कह दी , और गुड्डी बोली

" अब तुम दोनों ये काम मेरे ऊपर छोड़ दो , देखना आज रात में कैसे उसका धरम बदलती हूँ। वो शर्मीली बिल्ली , सबसे बड़ी कालेज की रंडी हो जायेगी देखना , मेरी दो शर्ते हैं , लेकिन दोनों उसके पटने पे बताउंगी। "

रंजी , दिया दोनों ने गुड्डी को बोला कि जिया कोल्ड ड्रिंक तक नहीं पीती , कैसे उसको शीशे में उतारोगी।

गुड्डी भी गुड्डी थी , बोली मेरे ऊपर छोड़ दो , बस तुम दोनों मेरा साथ देना , थोड़ा बहुत जबरदस्ती भी करना। सुबह तक देखना , सीधे बोतल से पियेगी। "

स्टोरी अब थोड़ी और फास्ट फारवर्ड करते हैं।

चारों रंजी के कमरे में ऊपर की मंजिल पे है और कमरा बंद है।

और कहानी शुरू हुयी कोल्ड ड्रिंक्स से और जिया के नखड़े से से।

जिसकी उम्मीद दिया, गुड्डी और रंजी को पूरी थी।

रंजी कोक के कैन्स खोल रही थी , तभी जिया ने मुंह बना के कहा ,

" हे मैं कोक नहीं लेती "
" चल तेरे लिए कोक नहीं कॉक का इंतजाम करवाते है। " दिया ने चिढ़ाया , और जिया और भड़क गयी।

( जिया को किसी ने समझाया था , की कोल्ड ड्रिंक्स में , कुछ लोग हार्ड ड्रिंक्स मिला देते हैं , इसलिए वो 'सेफ्टी ' के लिहाज से कोल्ड ड्रिंक्स से बचती थी )


लेकिन यहाँ तो गुड्डी थी , बनारस की सीखी सिखाई , उससे बचना आसान था क्या।

उसने तुरंत जिया की साइड ली , और जिया के कंधे पे हाथ रख के समझाते हुए बोला ,

" क्यों चिढ़ाती हो बिचारी को , अरे ये तुम दोनों की तरह नहीं है , एकदम सीधी साधी है " फिर जिया से कहा " घबड़ा मत यार , बोलने दो इन दोनों को , मुझे मालूम था , इसलिए तुम्हारे लिए ऑरेन्ज जूस का टेट्रापैक है और वो भी सीलबंद , " और गुड्डी ने एक जादूगर की तरह ऑरेन्ज जूस का टेट्रापैक पेश कर दिया , सीलबंद और साथ में पाइप।

" देखो है न सीलबंद , अब तुम अपने हाथ से सील खोलो " गुड्डी बोली।

" हे इस पैक की सील तो ये खेल दोगी , लेकिन इस खूबसूरत पैक की सील , तेरी इस सहेली की सील कौन खोलेगा। " रंजी ने चिढ़ाया।

" तुम क्यों जल रही हो , पहले अपनी सील तो खुलवाओ , तुझसे पहली मेरी इस नयी सहेली की सील खुल जायेगी , समझती क्या हो इसको। " गुड्डी ने फिर जिया का साथ दिया।


दिया मन ही मन मुस्कराई। एकदम प्लान के अनुसार ,
बिचारी जिया , वो समझ रही थी की गुड्डी उसका साथ दे रही है , लेकिन उसे क्या मालूम , आज उसका शिकार गुड्डी ही करने वाली थी। रंजी और दिया तो बस हाँके का काम कर रही थीं , हाँक कर शिकार को उसकी ओर ठेलने का।


जिया ने ऑरेन्ज जूस की एक सिप ली , तो उसे थोड़ा अलग लगा। उसने डिब्बे को चारो और से देखा , लेकिन उसे कुछ भी सस्पिसस नहीं लगा।

गुड्डी समझ रही थी , उसने बोला , " अरे यार इम्पोर्टेड है , चल मैं भी चख के देखती हूँ। हो सकता है पाइप में कुछ हो , ग्लास में ढाल देती हूँ "

गुड्डी ने चेक किया , एकदम परफेक्ट। उस ऑरेन्ज जूस में आधे से ज्यादा , ऑरेन्ज वोदका मिली थी। एक ग्लास जिया के लिए काफी था। और वोडका , इंजेक्शन से पहले आधा ऑरेन्ज जूस निकाल कर , फिर इंजेक्शन से ही उसमें डाली गयी थी। जहाँ इंजेक्शन लगा था , वहां एक डाट के बराबर एक ट्रांसपरेंट टेप लगा था।

गुड्डी ने एक शीशे के गिलास में 'ऑरेन्ज जूस ' निकाल कर जिया को देदिया और रंजी , दिया को बोला , " देख , जिया तुम दोनों से पहले ग्लास खाली करेगी। '

बाकी ने कोला का गिलास उठाया और , जिया ने ऑरेन्ज जूस का।

जोश में आके जिया ने ग्लास उठाया और एक झटके में खाली।

कम से कम दो पेग ऑरेन्ज वोडका थी , उस ग्लास में मिली हुयी। और वो भी एक झटके में , किक तो जोर की लगनी ही थी।


गुड्डी ने जिया की पीठ सह्लायी , ऊपर से उसके ब्रा का स्ट्रैप छुआ और मन में सोचा , सुबह तक ये ब्रा मेरे हाथ में होगी और तुम्हे इसके बिना ही विदा करुँगी।

" लगता है कुछ , एक बार में , जरा ये गुलाब जामुन खाओ न बनारस का है ,अभी ठीक हो जाएगा। " गुड्डी बोली और जब तक जिया सम्हलती , उसके मुंह में एक बड़ा सा गुलाब जामुन अंदर।

गुलाब जामुन था तो बनारस का लेकिन एकदम पक्का बनारसी , गुड्डी की तरह।

उसमें भांग की गोली नहीं गोला पड़ा था।  

गुड्डी और ,… जिया ,



साथ में दिया



गुलाब जामुन था तो बनारस का लेकिन एकदम पक्का बनारसी , गुड्डी की तरह।

उसमें भांग की गोली नहीं गोला पड़ा था।

और फिर गुड्डी ने तबतक ऑरेन्ज जूस से ग्लास भर दिया।

जिया के लाख मना करने पर भी गुड्डी ने , उसे जूस पिला दिया। हाँ इस बार एक बार में नहीं आराम से , बात करते करते।


वोडका और भांग का कॉम्बिनेशन , दस पंद्रह मिनट में चूंची से लेकर चूत तक आग लग जानी थी।

आधी लड़ाई तो गुड्डी ने जीत ली थी लेकिन भरतपुर के किले पे फतह अभी बाकी थी और उसका मोबाइल के कैमरों में ढेर सारा सबूत भी मिलना था।

तब तक दिया ने प्रपोज किया , " चल एक गेम खेलते हैं , मैं और जिया एक साथ , तुम और रंजी एक साथ। "

जिया उछल गयी। उसे दिया की आदतें मालुम थीं , वो समझ रही थी , वो किस तरह का गेम खेलेगी।

" नहीं मैं तुम्हारी पार्टनर नहीं बनूँगी। " वो बोली।

गुड्डी ने भी जिया का ही साथ दिया , और फिर सजेस्ट किया , चल पुर्जी निकाल लेते हैं। मैं पुर्जी फेंकूंगी , जिया खोलेगी। बस जो पुर्जी निकलेगी , वो जिया की जोड़ी और बाकी दोनों की जोड़ी।

गुड्डी ने तीन कागजों पे छुपा के नाम लिखा , मोड़ा और जिया के सामने उछाल दिया।

जिया ने कुछ देर सोचा , और एक पुर्जी खोल दी , गुड्डी। बस नाम देखते ही वो खुश हो गयी।

उस बिचारी को क्या मालूम , तीनो पर गुड्डी का ही नाम लिखा था। ये तीनो तिकड़मियों की चाल थी की उसे गुड्डी की जोड़ीदार बनाएं। उसकेआगे शीशे में उतारने का काम गुड्डी का था। ऑरेन्ज वोडका और भांग वाला गुलाब जामुन खिला कर पहला पार्ट उसने पूरा कर ही दिया था।

रंजी और दिया पार्टनर हो गए थे , और गुड्डी और जिया।

दिया ने पहला गेम अनाउंस किया , अपने पार्टनर को किस करना है एक मिनट तक।

जो जोड़ी एक मिनट के पहले अलग हो जायेगी , उसे दूसरी जोड़ी की बात माननी होगी।

जिया थोड़ा घबड़ाई , लेकिन गुड्डी ने उसे समझाया कान में की वो बस उसके होंठों से होंठ टच कराएगी उससे ज्यादा कुछ नहीं।

पहला राउंड दिया और रंजी का था।

दिया खूब खेली खायी , अपने भैया के साथ रोक कब्बडी खेलती थी। और रंजी भी शोला थी।
दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भींच लिया , और तुरंत लिप लाक हो गया। डीप फ्रेंच किस , सकिंग , और साथ में दोनों के हाथ एक दूसरे की गोलाइयों को नाप रहे थे दबा रहे थे।

क्या औरत मर्द एक दूसरे को किस करेंगे।

गुड्डी , मोबाइल में टाइम देख रही थी और जिया की निगाह रंजी और दिया की चूमती चाटती जोड़ी पर लगी थी।

ऑरेन्ज वोडका और भांग ने उसकी झिझक , लाज बहुत कम कर दी थी और मन उसका भी कर रहा था की कोई उसको भी इसी तरह ,

एक मिनट हो गया गुड्डी ने एनाउंस किया और रंजी और दिया मुश्किल से अलग हुए।

गुड्डी ने जिया को पकड़ा , लेकिन बहुत हलके से , एक हाथ कंधे पे और दूसरा सर पे।

जिया थोड़ा घबड़ाई , झिझकी , लेकिन गुड्डी ने बस अपने लिप्स से उसके लिप्स टच कराये , न कोई प्रेशर , न कोई रगड़ा रगड़ी। थोड़ी देर में जिया ने रिस्पॉन्ड करना शुरू किया। लेकिन गुड्डी ने अपने को कंट्रोल में रखा।

रात लम्बी थी और पहले जिया का विशवास जीतना था।

रंजी ने अनाउंस किया , एक मिनट हो गया और दोनों अलग हो गए।

पहला राउंड ड्रॉ रहा।
लेकिन जिया खुश रही , की उन लोगों ने बराबर की टक्कर दी।

गुड्डी और जिया में कुछ खुसुरपुसुर हुयी और गुड्डी ने चैलेन्ज किया ,

" हे ऐसे तो फैसला ही नहीं हो पायेगा। जब तक दूसरा हार नहीं मानता तब तक चलेगा। " कुछ देर बहस हुयी , फिर तय ये हुआ की गुड्डी और दिया का मुकाबला होगा , नो होल्स बार्ड।


और रंजी और जिया टाइम काउंट करेंगी।

अगर गुड्डी जीतेगी , तो जीतनी देर में उसने दिया को हराया होगा , उससे एक मिनट ज्यादा देर तक उसे जिया को किस लेना होगा , और वो भी डीप किस। अगर जिया नहीं 'आउट ' हुयी तो जिया गुड्डी की टीम जीत जायेगी।

और फिर दिया रंजी को उनकी शर्ते १० मिनट तक माननी होंगी।

जिया ने बहुत जोश में हुर्रे किया।

कुछ वोदका , भांग का असर और कुछ माहौल का।
 


 जिया ने बहुत जोश में हुर्रे किया।

कुछ वोदका , भांग का असर और कुछ माहौल का।

दिया - गुड्डी की कुस्ती पूरी तरह नूरा कुश्ती थी

और क्या जबरदस्त कुश्ती थी। अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेस्लिंग्स मात थीं।

दो किशोरियां , नयी नयी आई जवानी के जोश में चूर , जोबन के मद में मदमाती।

शुरूआती बाकी दिया के हाथ रही। उसने चूमने के साथ सीधे गुड्डी के रसीले जोबन पे हाथ डाल दिया।

और वो भी टॉप केसीधे अंदर।

रंजी और चढ़ा रही थी , " हाँ दिया रगड़ दो मसल दो। इसे पता चले सिर्फ बनारस वाले ही नहीं चूंची मसलना जानते हैं। एक बार ये हार गयी न , तो ये और इसकी सहेली दोनों की ऐसी की तैसी होनी है। "

खुल्लमखुला , दिया गुड्डी के उभार मसल रही था , उसके निपल पिंच कर रही थी।

जिया की आँखे वहीँ चिपकी थीं , देख रही थी कितना मजा आ रहा है दोनों को।

गुड्डी ने लेकिन होंठों की बाजी जीत ली थी , और न सिर्फ वो दिया के रसीले होंठ चूस रही थी , काट रही थी ,चबा रही थी , बल्कि साथ साथ उसकी जीभ दिया के मुंह में ऐसे घुसी थी जैसे कोई लंड नयी बुर का मजा ले रहा हो।

और पैरों में फंसा के , उसने दिया को नीचे पलट दिया था , उसकी जाँघों केबीच अपने घुटने डाल कर उसकी जांघो को जबरन फैला दिया और एक हाथ सीधे जाँघों के बीच। ,

उस रगड़ाई मसलाई से दिया की पकड़ थोड़ी ढीली हुयी तो गुड्डी नेसीधे उसके टॉप को उठा दिया। सफेद टीन ब्रा में जोबन लहर मार रहा था।

और एक बाज की तरह गुड्डी के होंठों ने झपट्टा मारा , और ब्रा के बाहर झांकते कबूतर की चोंच , दिया के निपल सीधे उसके होंठों के बीच। और पहले बार में ही गुड्डी ने हलके से बाइट ले ली।


किसी रेफरी की तरह रंजी चिल्लाई , फाउल फाउल। ये नहीं चलेगा। किस की बात हुयी थी।

लेकिन थर्ड अंपायर की तरह फाइनल फैसला , जिया ने दिया। वो शर्मीली लजीली बिल्ली भी अब गरमा रही थी।

" फाउल कैसा , किस तो किस। ये किसने बोला था की सिर्फ होंठ पे ही किस होगा " और फिर अपनी सहेली को ललकारने लगी ,

" छोड़ना मत , और रगड़ो और रगड़ो , जब तक हार न मान जाय। "

गुड्डी ने एक पल सर उठाकर अपनी सहेली /जोड़ीदार की ओर देखा और , ब्रा जबरननीचे सरका के आधे उभार बाहर।

अब दबाना चूसना काटना सब साथ चल रहा था।

और जिया ने चीख चीख कर आसमान सर पर उठा रखा था।

' अरे अभी शुरुआत है , जीतेगी दिया ही , फिर देखना तुम्हारे कहाँ कहाँ किस करुँगी और कहाँ करवाउंगी " रंजी खीझ के बोली।

" करवालेना , लेकिन उसके लिए दिया का जीतना जरुरी है , और वो होगा नहीं। " जिया हँसते हुए बोली।


उधर दोनों शोख एक दूसरे का रस ले रहीं थीं। गुड्डी , दूबे भाभी और चंदा भाभी के स्कूल की पढ़ी लिखी , बिंदास बनारसी बाला , जिसे लेटेस्ट लेसन , शीला भाभी ने सिखया था बालिका प्रेम का। और दियाभी उसके टिकोरे निकलने ही शुरू हुए थे की उसके भाई ने हाथ मार दिया , और फिर बिना नागा ,…

दोनों के गदराये उरोज बाहर निकल आये थे। और मसले रगड़े जा रहे थे।

तभी रंजी की ओर दिया ने कुछ इशारा किया , और रंजी ने दिया के हाथ में दो टैबलेट्स दे दीं।

दोनों दिया के मुंह में , और उसने फिर आँखों के इशारे से गुड्डी को दावत दी।

गुड्डी समझदार थी।

उसके होंठ दिया के होंठो के ऊपर थे , एकदम सील बंद।

और दिया ने एक टेबलेट गुड्डी के जीभ पर अपनी जीभ से सरका दिया।

दिया के मुंह में टैबलेट धीमे धीमे घुल रही थी और वो नशे में चूर हो रही थी।

उसने अपना हाथ ऊपर उठा दिया , सरेंडर का इशारा।

और एक्स्टसी की टेबलेट अब गुड्डी के मुंह में थी।


"पांच मिनट अठाईस सेकेण्ड और , बहुत खुश मत होना , " रंजी जिया से बोली, " अगर एक सेकेण्ड भी तुम दोनों की किस कम हुआ ना तो तुमदोनो हार जाओगी , और उसके बाद हम दोनों ये हाल करेंगे ना , '

" जा जा , हारने वाले कोई और होंगे , हम तो हराने वाले हैं ' जिया ने हंस के कहा और गुड्डी को बाँहों में भींच कर खुद किस कर लिया।


जिया और गुड्डी


" जा जा , हारने वाले कोई और होंगे , हम तो हराने वाले हैं ' जिया ने हंस के कहा और गुड्डी को बाँहों में भींच कर खुद किस कर लिया।

दोनों पलंग पे लेटी थीं।

" हे तू आँखे बंद कर ले , इन दोनों को हराने के लिए बेशर्मी थोड़ी करनी पड़ेगी। तू बुरा मत मानना , तुझे शर्म लगेगी इसलिए आँख बंद रखना ,बाकी मैं सम्हाल लुंगी। जैसा मैं करुँगी वैसा तू भी करना। " गुड्डी बोली , और जिया ने आँख बंद करते हुए हामी भरी।

दोनों के लिप्स लाक थे , गुड्डी की जीभ अंदर और साथ में वो टेबलेट जो अब जिया के मुंह में घुल रही थी , सफेद टैबलेट।

गुड्डी ने जोर से उसके लिप्स लाक लिए थे और तबतक नहीं छोड़ा , जब तक टैबलेट जिया के मुंह में घुल नहीं गयी।


मस्ती के मारे जिया की बुरी हाल थी , लेकिन वो जोर से आँखे भींचे थी।

दुहरा हमला हो रहा था , जिया पर।

मुंह में घुलती एक्स्टसी के टेबलेट का असर ,

और उस से भी ज्यादा , गुड्डी के खिलंदड़े होंठों का जादू।

जो किसी भी नशे से ज्यादा नशीले थे।

जिया की शर्म , झिझक , बचपन में सिखाया ये मत करो , वो मत करो , सब उस में घुल रहा था , गल रहा था और वो नयी नयी जवानी के मजे में पहली बार गोते लगा रही थी, डूब रही थी ,उतरा रही थी।

गुड्डी कभी जोर से जिया कच्चे कोपल ऐसे गुलाबी होंठ अपने होंठों के बीच लेकर जोर से दबा देती , कभी चूस लेती और कभी उसकी ढीठ जीभ जिया के मखमली मुंह के अंदर घुस कर मुख रस का मजा लेती।

जिया के नौसिखिये होंठ कुछ देर तक तो बस लरज कर रह गए , फिर हलके हलके गुड्डी के होंठों की देखादेखी उन्होंने रिस्पांस करना शुरू कर दिया।

जब गुड्डी अपने गाल , जिया के होंठों पर रखती तो अब वो हलके से उसे चूम लेते , तो कभी चूस लेते।


जिया गुड्डी की बात पर अमल कर रही थी , उसने दोनों आँखे जोर से मूँद रखी थी ,कुछ शरम से कुछ मजे से।

लेकिन साथ साथ ही एक खेल तमाशा और चल रहा था जिसकी खबर जिया को नहीं थी।

रंजी और दिया एक के बाद एक क्लोज अप खींचे जा रही थी , जिया का लिप लाक , जिया होंठों में घुसी गुड्डी की जीभ , गुड्डी के गालों को किस करते करते , जिया के होंठ। और सारे फोटो के फ्रेम में सिर्फ जिया का पूरा चेहरा आ रहा था , गुड्डी ज्यादातर फ्रेम से बाहर थी। लेकिन बहुत ही इंटेंसिव लेस्ब किसिंग सीन्स।

लेकिन सिर्फ इतने से दिया का काम नहीं चलने वाला था , उसने गुड्डी को जिया के कच्चे टिकोरों की ओर इशारा किया , जिसके पीछे उसका भाई दीवाना था।

गुड्डी ने जिया के कान में कुछ फुसफुसाया , " यार , मुझे गियर थोड़ा चेंज करना पड़ेगा , वरना ये साल्लियाँ , जोर से फाउल फाउल चिलाएंगी। बस तुम आँख बंद किये रहना। एक बार वो हार गयीं न तो हम और तुम मिल के ,… "

जिया ने आँख बंद किये किये मुस्करा के हामी भर दी।

और गुड्डी चालू हो गयी , ड्रेस के ऊपर से ही टिकोरों का मजा लेने के लिए।

ये ट्रिक उसे दूबे भाभी ने सिखाई थी।

पहले हलके हलके नीचे से उसने कबूतरों को सहलाया , दुलराया , फिर हलके हलके दबाने लगी।

जिया सिसक उठी।

दिया और रंजी मुस्करा रही थीं। स्कूल में कोई चिढ़ाने के लिए भी ज़रा सा उसे छू ले वहां पर तो एकदम बिदक जाती थी , जिया और आज गुड्डी कैसे उन उभारों के रस सबके सामनेलूट रही थी।

और जब अंगुठें और तरजनी के बीच मटर के दाने के बराबर निपल को ले के वो रोल करने लगी और अचानक गुड्डी ने जोर से दबा दिया।

जिया जोर से सिसक उठी। उसके चेहरे पे मस्ती नाच रही थी , उभार पत्थर से कड़े हो रहे थे , निपल टॉप फाड़ रहा था।

दिया एक के बाद एक क्लोज अप ले रही थी।

और रंजी चिल्ला रही थी , फाउल फाउल , दिया का तुमने टॉप उठाया था , इसका भी टॉप हटाओ।

और गुड्डी ने टॉप हटा दिया।
गुड्डी की सीखी सिखाई उँगलियाँ अपने काम में लग गयीं , मदन रस छलकाने , काम अगन जगाने में।

ब्रा के बेस के नीचे से उसकी उंगलियों की टिप ने सहलाना , दबाना , रगड़ना शुरू किया।

लेकिन पागल गुड्डी की आँखे हो रही थी।


एक सीधी साधी सफेद टीन ब्रा के अंदर बंद , टिकोरों को देख कर।

छोटे छोटे जरूर थे , रंजी से भी हलके से छोटे २८-३० के बीच , लेकिन क्या जान मारू , कटीले कड़े कड़े।

अब वो समझी , दिया का भाई क्यों पागल था जिया के लिए।

ऐसी मस्त कच्ची अमिया , कोई भी लड़का बवाल कर देता , दबाने के लिए , कचकचा कर काटने के लिए , दांत लगाने के लिए।

और लड़का क्यों लड़कियां भी ,

और गुड्डी की हथेली ने अब हलके हलके ब्रा के ऊपर से ही उसे दबाना चालू कर दिया।

गुड्डी का हाथ पड़े और बूब्स मचल न उठे ,

जिया के भी बूब पथरा रहे थे , ब्रा के बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे , मटर ऐसे निपल साफ साफ दिख रहे थे।


क्लिक क्लिक किलिक,.... कच्चे टिकोरे







जिया के भी बूब पथरा रहे थे , ब्रा के बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे , मटर ऐसे निपल साफ साफ दिख रहे थे।


दिया ने गुड्डी को एक पल के लिए हटने को कहा ,

और ब्रा में जिया के फोटो , हाई रिजोल्यूशन , रस में डूबा चेहरा ,मस्त जोबन , कड़े निपल , और फिर चार पांच क्लोज अप शॉट्स में सिर्फ बूब्स के , और वो एक हाइ एंड डिजिटल कैमरा इस्तेमाल कर रही थी।


फिर उसने इशारे से गुड्डी को , जिया की ब्रा सरकाने को कहा।

आलमोस्ट टॉपलेस.
ब्रा का ढक्कन खुलते तो और मस्त दूध के कटोरे छलक के बाहर आ गए।

खूब गोरे गोरे , जवानी में मचलते उभार।

गुड्डी तो थोड़ी देर अपलक देखती रही , फिर हल्के हलके ऊँगली की टिप से उसने सहलाना शुरू किया ,


और मदन तरंगे जोर जोर से जिया के मन तन में हिलोरे लेने लगी।

बिचारी जिया , और कोई दिन होता तो किसी की हिम्मत नहीं होती यहाँ तक पहुंचने की ,

लेकिन कुछ ऑरेन्ज वोदका , भांग और एक्स्टसी का असर

और उससे बढ़ कर गुड्डी की उँगलियों का असर ,


लेकिन सबसे बढ़कर , बस ये इच्छा , की आज दिया को कैसे उसी के खेल में पटखनी दी जाय।

आँखे बंद किये वो समय जोड़ रही थी , बस दो तीन मिनट बचा था , और उस के बाद वो और गुड्डी मिलकर ,…

( बिचारी को क्या मालुम था की दिया गुड्डी मिल के न सिर्फ उस की ढकी छिपी बुलबुल को आज हवा खिलाने वाले है , बल्कि इत्ते सालों से बची उसकी लाल परी को फाड़ के रख देंगी )

गुड्डी की उँगलियों की टिप , जिया के मटर के दाने के बराबर कड़ी , तन्नाई निपल को बस सहला रही थीं , और कभी हलके से फ्लिक कर देती


जिया तड़प के रह जाती।

गुड्डी ने अब जोर और शरारतें और बढ़ा दीं , वो खुल के उसके निपल रोल करती , और जब जिया सिसकी भरती तो कभी नाख़ून से उसे स्क्रैच करती तो कभी पिंच करदेती।

जिया और जोर से सिसक उठती।

और
रंजी ने उसे एक मिनट के लिए हटने को कहा।

अब टॉप लेस जिया के उभारों के , उसकी मस्त नयी नयी आई चूंचियों की और जबरदस्त फोटो खींची जा रही थी।

उसके कड़े कड़े निपल फोटो में साफ नजर आ रहे थे। और साथ में दिया विडयो भी खीच रही थी , चेहरे से लेकर नीचे तक।

रंजी उलटी गिनती गिन रही थी , ९, ८ , ७ ,… ३,२,१, और गुड्डी जिया के ऊपर छा गयी , उसके एक हाथ छोटे छोटे जोबन दबा , सहला रहे थे और दूसरे हाथ जिया के किशोर गोरे गुलाबी गालों पर थे। उसने जिया के कानों में फुसफुसाया ,

" हम लोग जीत गए ,लेकिन बस एक मिनट और , जिससे उन सबकी हार पक्की हो जाय , बस तुम थोड़ी देर और आँख बंद किये रखना। "

जिया ने सहमति में सर हिलाया।


और उसके बाद तो किसी ट्रिपल एक्स लेस्ब मूवी के रिकार्ड तोड़ दिए।

गुड्डी ने क्या नहीं किया , जोर जोर से उसके निपल चूसे , बाइट की , कचकचा के चूंचियां दबाई और सब कैमरे में कैद।

और सबमें सिर्फ जिया का ही चेहरा साफ साफ आ रहा था , गुड्डी फ्रेम से बाहर थी।
क्या मस्त रसीली चूंचियां थीं , कच्ची खटमीठी अमिया।

देखने में जान मारू , छूने में ,दबाने, में मस्त। जिसको मिलेंगे ये , वो सहलाएगा , मसलेगा भी और कचकचा के काटेगा भी जैसे कोई कच्चे टिकोरे काटता है दांत से। और ये सोचते हुए गुड्डी ने दांत लगा ही दिया , जिया के उठते उभार के ऊपरी हिस्से पे।

जिया चीख उठी।

लेकिन ये चीख तो मजा और दूना कर देती है.

गुड्डी ने जोर से दूसरी चूंची का निपल उमेठ दिया।

और रंजी ने चार क्लोज अप और खींच लिए।

" ये साली छिनार , बनारस में होती इतना मस्त जोबन लेकर चूतड़ मटकाती चलती तो अब तक कब के दो चार चढ़ चुके होते और खुल के जोबन लुटवाती , लेकिन ऐसे छिपा के रखी है , जैसे लाकर में रखना हो.चल आज आखिरी रात है इस के कुंवारेपन की , उसकी और दिया की प्लानिंग कामयाब हुयी तो कल से खुद टाँगे फैलाएगी , सब के सामने। "

गुड्डी ने सोचा और साथ साथ उस के रेशमी जाँघों के बीच कुँवारी परी को अपनी हथेली से जोर से मसल दिया। बनारस का सीखा उस का ज्ञान काम आ रहा था। जो तिहरा हमला उस दूबे भाभी से सीखा और झेला था उस के आगे कई ब्रह्मचर्य बचाने वाली कुँवारी कन्याएं हथियार डाल चुकी थीं और जिया के ऊपर तो अब तक वोदका , भांग और एक्स्टसी का तिहरा नशा भी पूरा चढ़ चुका था।

गुड्डी की एक हथेली , जिया की कच्ची चूत रगड़ रही थी , दूसरी उसके टिकोरों पे थी। जिया के मटर जैसे निपल , उसकी जुबान फ्लिक कर रही थी।


क्लिक , क्लिक , क्लिक ,… दिया रंजी , जिया की मस्ती सबूत इकठ्ठा करने में जुटी थीं।

दिया ने दो चार क्लोज अप तो अपनी सहेलियों को व्हाट्सअप भी कर दिए थे।


जिया कभी कराह उठती , कभी सिसक उठती , कभी मस्ती में अपने लौंडा मार्का चूतड़ , पलंग पे रगड़ती।

गुड्डी को मालूम था की वो अब कभी भी झड़ सकती है , और शायद जिंदगी में पहली बार झड़ने वाली हो ,

लेकिन जब उसे लग गया की जिया अब तूफान के पत्ते की तरह काँप रही है , और उसने रंजी को इशारा किया।

रंजी ने हूटर बजा दिया।

टाइम ओवर ,चलो तुमदोनो दो मिनट सतरह सेकेण्ड से मुकाबला जीत गयी , चलो अब अलग हटो।


जिया बिचारी , खुल के बोल भी नहीं सकती थी , मुझे झड़ जाने दो न।
 










No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator