FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--144
पड़ोस में , … एक लुहार की
पड़ोस के देश का समुद्र के किनारे का एक शहर , एक मशहूर शहर , जिसकी स्थिति वही थी , जो यहाँ मुम्बई की थी।
वही शहर जहाँ से बड़ौदा , बनारस और मुम्बई पे हमले का ताना बाना बुना गया था।
जहां से सारे भारत के स्लीपर एजेंट्स से सेटलाइट फोन से बातें होती थीं।
और जिन फोन कालों को ट्रेस कर के , कम्युनिकेशन सेंटर का रा ने पता लगाया था।
और उसी के पास का कमांड और कंट्रोल सेंटर , जिस में सेंध रा और सी आई एक दो आपरेटिव्स ने मिल के लगायी थी।
और वहां का डाटा हैक करके और उसे आनंद के हैकर दोस्तों की सहायता से डी क्रिप्ट करके , मुम्बई पे हमला नाकामयाब बनाने में बहुत सहायता मिली थी।
वो दोनों आपरेटिव आज फिर साथ थे।
हिन्दुस्तान के समय से ९ बजे , उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल गया।
उस कमांड और कंट्रोल सेंटर में उन्होंने पहले ही सेंध लगा रखी थी। वहां से निकलने वाले कम्युनिकेशन केबल को उन्होंने हैक कर रखा था।
और साथ में एक पाइप भी लगा रखी थी , जिससे उन्हें कुछ अगर ' अंदर भेजना ' हो तो आसानी से हो सके ,
और आज उस का मौका आ गया था।
बीस मिनट में उन्होंने प्लान पक्का कर लिया और अगले आधे घंटे में उनका काम हो गया था।
' आवश्यक सामग्री ; ' उन्होंने अंदर पहुंचा दी थी।
और पास बने कैफे में वो मौके का इन्तजार कर रहे थे और सवा घंटे में मौका उन्हें मिल भी गया।
,....
लेकिन तब तक उसी जुड़े कुछ लोग और , बहोत बेचैन हो रहे थे।
जो लगातार रेडियो टीवी से दो तीन दिन से जुड़े थे की पडोसी के यहाँ से कुछ बर्बादी की खबरें आये।
रात भर उन का पडोसी मुल्क से कनेक्शन भी कटा रहा , सिर्फ रेडियो , टीवी का सहारा था , उस पर भी कुछ नहीं पता चल रहा था।
इस बार कोई खबर न आना उनके उनके लिए अच्छी खबर नहीं थी , अपना सब कुछ लगा कर उन्होंने आखिरी दांव खेला था।
और पोर्ट पर हमले और बॉम्बे हाई की हाईजैकिंग का काम तो अल कायदा के साउथ एशिया की नयी बनी यूनिट द्वारा किया गया था , जिसके बारे में भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसीज को कोई खबर होने का सवाल नहीं था।
और सुबह आठ बजे तक जो खबरें छन छन कर बाहर आयीं , उन से ये पता चल गया की आपरेशन ना कामयाब रहा।
स्लीपर्स नेटवर्क भी रिस्पांड नहीं कर रहा था।
कितने पकड़े गए , कितने अंडर ग्राउंड हो गए इसका भी कुछ पता नहीं चल रहा था।
नौ बजे के कुछ देर पहले कुछ लोगों ने मुम्बई से ये भी सूचना दी , की बॉम्बे हाई के पास कुछ लोग पकडे गए हैं , जो घायल हैं।
ये कुछ नहीं पता चल पा रहा था की , उस फेल हमले में कौन जिन्दा पकड़ा गया , कौन मरा।
.
और तय हुआ की १०. ३० पर उस कंट्रोल कमांड सेंटर में लोग मिलें।
आने वालों में आई एस आई के रोग ग्रुप का नेता और उसके दो साथी , अल कायदा का एक कमांडर , दो तालिबानी गुटों के नेता जो उस आपरेशन से जुड़े थे , रावलपिंडी के कोर कमांडर्स में से एक , कुल १२-१४ लोग थे।
और उन सब के दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे थे , लेकिन सबसे बड़ा सवाल था ,
डैमेज असेसमेंट और डैमेज कन्टेन्मेंट का।
कितनी चीजें पता चल गयी , कौन कौन पकड़ा गया ,
और एक बार अगर ये मालूम हो जाए तो डैमेज कंटेनमेंट ,
उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी की अगर आपरेशन फेल हुआ , आपरेटिव पकड़े गए तो पडोसी देश की सरकार उसका गाना क्यों नहीं गा रहे थे।
हिन्दुस्तानी आपरेटिव दूर से नजर रखे था , लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी की उन लोगों ने जब उस कमांड कंट्रोल सेंटर में सेंध लगाई थी तो उनके सी सी टी वी कैमरे को भी कम्प्रोमाइज्ड कर दिया था और अब , वहां से सीधे उसके मोबाइल में फीड आ रही थी।
मीटिंग पौने ग्यारह बजे शुरू हुयी। सबसे आखिर में लाहौर के पास के एक जिहादी ग्रुप का मेन कमांडर , आया।
उस ऑपरेटिव ने तुरंत उसे पहचान लिया। कितने ही मामलों में वो सरगना था।
उसने अपने काउंटर पार्ट से बात किया और ४० मिनट बाद का टाइमर सेट कर दिया गया।
१० मिनट बाद एक रेलवे स्टेशन पर था और दूसरा एयरपोर्ट पर।
और उसके तीस मिनट बाद जोरदार धमाका हुआ।
…
मिलेट्री की स्पेशल यूनिट और आई एस आई के लोगों ने उस इलाके को घेर लिया। लोकल पुलिस को वहां फटकने की भी इजाजत नहीं थी।
पूरे शहर में बैरकेडिंग कर दी गयी।
,…
दोनो आपरेटिव शहर छोड़ चुके थे , एक ट्रेन पर , दूसरा प्लेन में।
कैबिनट सिक्योरिटी कमेटी की मीटिंग , चालू हो चुकी थी।
होम सेक्रेटरी और नेशनल अडवाइजर अपनी रिपोर्ट पेश कर चुके थे।
बनारस से आये डी बी ने पहले बताया की इस षड्यंत्र की शुरुआत कैसे बनारस से हुयी और किस तरह इसका पर्दाफाश हुआ , उन्होंने रीत और आनंद के बारे में भी बताया।
बॉम्बे में हुए अनेक साजिशों के बारे में ऐ टीस चीफ ने बताया और उससे भी ज्यादा स्लीपर नेटवर्क जो पकड़े गए हैं और उनसे कैसे और नेट वर्क का पता चला और सैकड़ों लोग पकड़े गए।
ये तय हुआ की जो साजिश के सबूत मिले हैं , उनकी कापी बनाकर महत्वपूर्ण विदेशी दूतावास के प्रतिनिधियों से किदेश सचिव और नेशनल सिक्योरिटी अडवाइजर बारी बारी से मिलंगे और ये सबूत शेयर करेंगे। ये भी कोशिश करेंगे की पडोसी देश की सिक्योरटी एजेंसी जिस के काफी लोग इस आपरेशन से जुड़े हैं , उस को रोग एजंसी डिक्लेयर किया जाय।
इस के साथ ही अन्य देशो की सिक्योरटी एजेंसीज से कॉऑर्डिनेट कर के जो इस साजिश के आधार हैं उन के खिलाफ सम्मिलित ऐक्शन प्लान बनाया जाय ,
और ठीक उसी समय रा के चीफ ने घोषणा की , कि आपरेशन अग्निदूत संपन्न हो गया।
बस लोगो ने ताली नहीं बजाई।
पहली बार किसी आतंकवादी हमले को इस तरह बड़े पैमाने पर विफल किया गया था।
लेकिन उस से भी बढ़कर दुश्मन की जमीन पर , पहली बार , २४ घण्टे के अंदर साजिश रचने वाले सभी लोगों का इस तरह खातमा कर दिया गया था।
इस से न सिर्फ दुश्मन के अंदरुनी ताकत का खातमा हो गया , बल्कि उसकी पूरी लीडरशिप खत्म हो गयी।
इसके पहले वो अपने पैदल सिपाही भेज कर , उन्हें मरवा कर वाहवाही लूटते थे।
अबकी उन्हें खुद जान गंवानी पड़ी।
मीटिंग उस के बाद भी आधे घंटे और चली।
यह तय हुआ की सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसीज के चीफ आज शाम फिर बैठक करेंगे.
मीटिंग खत्म होने के साथ साथ नेपाल की सीमा पर लगे चार स्थानो पर रैपिड ऐक्शन फोर्स ने छापा मार दिया। और ४५ मिनट के अंदर सफलता पार कर लौट आये।
बहराइच , नौतनवां , रक्सौल और फारबिसगंज के पास ये छापे मारे गए। दो जगहों पर आर डी एक्स और एक्सप्लोसिव्स का और दो जगहों पर फर्जी नोटों का बड़ा भंडार पकड़ा गया। मुठभेड़ में ६ लोग मारे गए और ५ लोगों को कैद कर फोर्स के लोग ले आये।
नेपाल के राजदूत को डेढ़ बजे साउथ ब्लाक में बुलाया गया और उन्हें इस गोपनीय आपरेशन की जानकारी दे गयी।
और उस के कुछ देर पहले बांग्ला देश की सीमा में भी काफी अंदर तक घुस कर भारतीय फोर्सेज ने कुछ को मारा , कुछ को पकड़ा।
वहां के भी उच्चायुक्त को भी बुलाकर इन परिस्थितियों की जानकारी दी गयी जिसके तहत मजबूरी में ये कार्यवाही करनी पड़ी।
सीमापार जहाँ कुछ देर पहले , एक शहर में बॉम्ब का जोरदार धमाका हुआ , वहीँ कुछ देर बाद ड्रोन के हमले हुए , और इस बार वो अफगानिस्तान के सीमा पर नहीं बल्कि काफी अंदर घुस कर हुए जहाँ तालिबान की ट्रेनिंग होती थी। इसके साथ ही वो चार पेरीफेरल सेंटर जो कंट्रोल और कमांड सेंटर से जुड़े थे उन पर भी ड्रोन ने जोरदार हमला किया। एक के बाद एक चार ड्रोन , धमाके पर धमाके , दिन दहाड़े।
देश के चारो ओर जहाँ से सेंध लगती थी , चूहे आते थे और देश को कुरेदने का काम करते थे , अपने तेज दाँतो से देश को लहूलुहान करते थे ,
आज उनके बिलों पे आग बरस रही थी।
उनके दिल पर पत्थर पड रहे थे।
देश के अंदर सैकड़ों लोग गिरफ़्तार होगये थे।
उनका मुख्यालय ध्वस्त हो गया था।
छोटे मोटे किले भी चूर हो गए थे।
अगल बगल के बिल भी बंद हो गए थे।
आज देश पे हमला करने के , नुक्सान पहुँचाने की दसो साल से लगातार कोशिश कर रहे थे , उनके सपने चकनाचूर हो गए थे।
अब वो सपने देखने की सोच भी नहीं सकते थे।
…
लेकिन दिल्ली से १५०० किलोमीटर दूर , बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर , पूर्वी उत्तरप्रदेश के एक शहर में , १२ बजने वाले थे , लेकिन आनंद बाबू सपने देख रहे थे , सपने ऐसे जो एकदम पूरे होने वाले थे।
चलिए ,उन के सपनो में घुस कर देखते हैं ,
ये ऐसे सपने हैं , जिनके पूरे होने के बारे में रत्ती भर का भी शक नहीं है , और न ही देर है।
" ये शादी नहीं हो सकती " , एकदम ६० के दशक के फ़िल्म की तरह ये आवाज गूंजी , और मैं सकते में आ गया।
आज ही मैं बनारस आया था ट्रेनिंग से दो दिन की छुट्टी लेकर।
आजमगढ़ से भाभी भी आई थीं।
कल गुड्डी की दोनों मौसी और मौसेरी बहने भी आने वाली थी।
रुकने को तो मैं पुलिस मेस में रुका था , और वैसे भी मई के दूसरे हफ्ते से मेरी फील्ड ट्रेनिंग भी यहीं होने वाली थी और उसके बाद पोस्टिंग भी।
लेकिन दो बार गुड्डी का फोन गया और मैं यहाँ आ गया। हाँ तय हुआ था की मैं आज रात वापस पोलिस मेस में जा सकता हूँ लेकिन कल से मेरा बोरिया बिस्तर यहीं गुड्डी के घर लगना था।
बात यह थी की कल मेरा इंगेजमेंट था १६ अप्रेल को।
और शादी तो २५ मई की बहुत पहले , तय हो गयी थी।
सारी तैयारियां बहुत धूम धाम से चल रही थीं।
और शाम से मेरी दोनोंसालियां मेरे पीछे पड़ी थीं , मझली और छुटकी। मंझली गुड्डी से सिर्फ एक साल छोटी थी , लेकिन छुटकी उससे दो ढाई साल , कच्चे टिकोरे वाली उम्र की लेकिन थी एकदम तीखी मिर्च।
अब उनके घर में रह कर इंगेजमेंट में आना तो ठीक नहीं लगता। इसलिए आज मुझे मेस में जाने की इजाजत मिली थी और कल से इन्गेगजमेन्ट के बाद ससुराल में ही और मम्मी ( गुड्डी की मम्मी , लेकिन मेरी हिम्मत नहीं थी , मम्मी के अलावा कुछ कहूँ उन्हें ) के कहने से मैंने छुट्टी भी एक दिन बढ़ा ली थी।
बात असल ये थी की इतने दिनों के बाद गुड्डी मिली थी , तन मन दोनों बेचैन था। एक महीने से ज्यादा हो गया था गुड्डी के साथ ' कुछ किये ' . और वो शोख और अदा दिखा रही थी , ललचा रही थी।
हम चारो ( मैं , गुड्डी और उसकी दोनों छोटी बहने) बैठ के चुहुल कर रहे थे , और सामने मम्मी बैठी थी , कल के प्रोग्राम की तैयारी में तभी गुड्डी की बुआ आयीं।
गुड्डी की मम्मी से २-३ साल बड़ी , ३७-३८ की रही होंगी। थोड़ा स्थूल बदन , दीर्घ नितम्बा , उरोज ३८ डी डी। रंग थोड़ा गेंहुआ
" ये शादी नहीं हो सकती। मादरचोद , हरामी , छिनार के जने , पता नहीं कहाँ कहाँ से चुदवा के तुमको पैदा किया , मुझको तो लगता है कुत्ते के पास गयी थी पहले ,
( और तभी गुड्डी ने टुकड़ा लगाया , अरे बुआ आपको ये छिपी बात कैसे पता चली। इनकी बर्थडे , कातिक के ठीक ९ महीने बाद पड़ती है। बुआ सिर्फ एक पल के लिए मुस्कराईं फिर चालू हो गयीं )
“पहले कुत्ता , फिर गदहा , घोडा। ऐसे को हम लोग अपनी लड़की क्यों दें। "
मुझे लगा बुआ मजाक कर रही हैं , लेकिन उनका चेहरा गुस्से में लग रहा था और फिर साथ ही गुड्डी की मम्मी भी , उन्होंने गुड्डी को हुकुम सुनाया ,
'चल तू आ मेरे पास बैठ "
और गुड्डी मेरा साथ छोड़ , मेमने की तरह उनके पास चली गयी।
और उन्होंने जैसे कोई छोटे बच्चे को बैठाये, गुड्डी को अपनीगोद में बैठा लिया और उसे दुलराने लगीं और बुआ फिर चालू हो गयीं,
" मादरचोद, साल्ले , तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारूं , सोचता है की हमारी इस सोनचिरैया को ऐसे मुफ्त में ले उड़ेगा , इसके बदले में ,… "
मुझे उम्मीद की एक खिड़की नजर आई और मैंने छलांग लगा दी।
" नहीं बुआ जी आप,… जी , आप जो कहिये , … "
बुआ जी हलके से मुस्कराईं लेकिन फिर चालू हो गयीं ,
" साले , इस के बदले में मैं क्या तेरी गांड लुंगी , भले ही तू कितना नमकीन लौंडा क्यों न हो बोल क्या देगा ,"
" आप जो बोलिए , बुआ जी " मैं आलमोस्ट गिड़गिड़ाने की हालत में था।
" और जो मैंने कुछ माँगा और मादरचोद , तेरी गांड फट गयी तो , … " बुआ जी गरजी।
मेरी सालियाँ भी अब मैदान में आगयीं और मझली बोली ,
" अरे बुआ जी क्या गारंटी की अब तक नहीं फटी है , वैसे आप कहिये तो मैं और छुटकी चेक कर लें। "
" अरे जाने दे यार , चेक करना हो तो इनकी बहनो की करेंगे न , और वैसे भी जीजू , फटने वाली चीज , कभी न कभी तो फटेगी। " छुटकी ने और मिर्च डाली।
तीन बार तिरबाचा भरवाया गया , कसमें दिलवाई गयी , की बुआ जो मांगेंगीं मैं हाँ करूंगी और वो भी बिना कुछ सोचे समझे , बिना एक पल भी रुके।
मुझे सब मंजूर था , लेकिन इतनी मुश्किल से तय हुयी शादी पे आंच आये ये कबूल नहीं था।
और अब बाल बुआ जी ने अपनी भाभी , यानी मम्मी के पाले में डाल दी थी।
और मम्मी ने शर्त साफ की लेकिन मेरी सालियों के जरिये।
" तू दोनों जीजा की चमची हो गयी है अभी से , ये साल्ला तेरी बहन ले जा रहा है , तो उसके बदले में कुछ तो उसे देना चाहिए। "
और जब तक वो दोनों कुछ बोलतीं , मम्मी ने ही बात साफ कर दी ,
" सीधी बात , बहन के बदले बहन , बोल मंजूर "
और जब तक वो दोनों कुछ बोलतीं , मम्मी ने ही बात साफ कर दी ,
" सीधी बात , बहन के बदले बहन , बोल मंजूर "
" एकदम सही मम्मी , जीजू जल्दी से हाँ बोल दो न , बहन के बदले बहन। " दोनों एक साथ बोलीं।
" तेरी सारी बहनों पे गुड्डी के सारे नजदीक के , दूर के , गाँव के , मोहल्ले के सब भाई चढ़ेंगे , मजा लूटेंगे , हचक हचक के कबड्डी खेलेंगे। और तेरी कोई सगी बहन तो है नहीं इसलिए जीतनी , चचेरी , ममेरी, मौसेरी , फुफेरी नजदीक की , दूर की बहन है , सब पर , हाँ बोलो जल्दी। बहुत काम है मुझे। " मम्मी ने शर्त साफ की।
मैं एक पल के लिए हिचका , और मम्मी फिर आग बबूला। मेरे ऊपर भी भी , सालियों के ऊपर भी।
" तुम सब न , गुड्डी की तरह इसके झांसे में फँस गयी। जरा सी बात नहीं मान सकता है, इसकी बहने पूरे मोहल्ले में बांटती फिरती है, ये बहन चोद खुद चोदता होगा और मैंने जरा सा कहा तो फट गयी इस गांडू की , फोन ले आ। कैटरिंग वालों का आर्डर कैंसल करती हूँ , और जरा अपनी मौसी को भी फोन लगा अभी उन की ट्रेन नहीं चली होगी। उन को बोल दूँ , इंगेजमेंट कैंसल। "मम्मी गरजीं।
" जीजू प्लीज जल्दी से हाँ बोल दे न , आप के साथ हम दोनों का भी घाटा हो जाएगा , हाँ बोल दीजिये न। " छुटकी मेरे कान में फुसफुसाई।
" हाँ मम्मी हाँ " हड़बड़ा के मैं बोला।
और अबकी बुआ का नंबर था , मेरी फाड़ने का।
" साल्ले , क्या मम्मी , हाँ मम्मी लगा रखा है , बोल खुल के क्या करवाना चाहता है अपनी छिनार बहनों का। "
"बुआ जो आप कहैं , मेरी बहनो के साथ गुड्डी के सब मायकेवालों का , … और आगे मैं खुल के नहीं बोल पा रहा था , हालांकि मुझे खुल के अंदाज लग गया था की बुआ और मम्मी मेरे मुंह से क्या कहलवाना चाहती हैं।
" तेरी बहनो के साथ , क्या , साफ साफ बोल। गुड्डी के मायकेवाले क्या, उनकी आरती करेंगे , जय जयकार करेंगे , क्या करेंगे। तू क्या चाहता है। " बुआ जी ने बोला।
और मैं एक पल हिचकिचाया तो बुआ जी चढ़ गयी ,
" साले , मादर चोद , तेरे मुंह में तेरे साल्लों का मोटा लंड घुसा क्या है जो बोल नहीं पा रहा है या अपनी बहन का भोंसड़ा चूस रहा है , बोल जल्दी। "
मम्मी ने अल्टीमेटम दे दिया , " क्यों बात नहीं भैया , तुम्हे अपनी बहने बचाकर रखनी है उनके मायकेवालों के लिए तो रखो , तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते। मैं तीन तक गिनती गिनती हूँ , उसके बाद गुड्डी की ओर नजर भी मत करना। "
उन्होंने तो नहीं लेकिन मेरी दोनों सालियों ने गिनती शुरू कर दी ,
१, .... २ ,…
मेरी फट गयी और मैंने सबा कुछ भूल के बोल पड़ा ,
" मेरी सारी बहने चुदवायेंगी , ममेरी , चचेरी , मौसेरी , फुफेरी , घर की , रिश्ते की सब। सब गुड्डी के भाइयों से , उस के मायकेवालों से आप जिससे कहेंगी उस से चुदवायेगी। मेरा पक्का वादा। एक बार , दो बार जितनी बार वो चाहें , मेरी ओर से फ्री। "
लेकिन मम्मी इतनी आसानी से कहाँ मानने वाली थी। गरजीं।
" साल्ले , बहन के भंडुए सिर्फ चुदवायेंगी , और गांड , वो किस के लिए बचा के रखी हैं तेरे लिए। तू तो साला खुद गंडुवा है , तेरे ससुराल में हचक हचक के तेरी मारी जायेगी , बोल"
“और लंड चूसने का काम कौन करेगा " बुआ ने जोड़ा
मम्मी का हाथ एक बार फिर मोबाइल पर टहलने लगा।
और छुटकी ने जोर से कुहनी मारी साथ में कान में फुसफुसाया , " जीजू , यार जल्दी बोलो वरना कहीं मम्मी ने फिर "
और मैंने हर चीज के लिए सकार दिया ,
" हाँ मम्मी , मेरी बहने न सिर्फ अपनी चूत चुदवायेंगी , गुड्डी के सब मायकेवालों , जिससे आप कहेंगी उससे , बल्कि गांड भी मरवाएंगी , लंड भी चूसेंगी। जो इस के मायकेवालों की मर्जी हो , जैसे वो लेना चाहें , आगे से पीछे से , ऊपर से नीचे से। हचक हचक कर चोदें वो , गांड मारें , अपने मोटे लंड से उनका मुंह चोदे ,सब मंजूर हैं मुझे , प्लीज "
और अब मम्मी मुस्कराईं और मझली से बोला , " भाई इतना गिड़गिड़ा रहा है , तो इस साल्ल्ले के बहनो का कुछ इंतजाम तो करना पड़ेगा। तूने रिकार्ड किया ना। '
" हाँ मम्मी , और लिख भी लिया है स्टाम्प पेपर पे " मुस्करा के मंझली बोली और अपने हाथ में छिपा हुआ मोबाइल दिखाया और उस की रिकार्डिंग आन कर दी ,
सिर्फ मेरी ही आवाज रिकार्ड हुयी थी और लगा यही रहा था की मैं रिक्वेस्ट कर रहा हूँ की ,… "
मंझली , छुटकी के साथ गुड्डी भी जोर से मुस्कराई और छुटकी बोली ,
" अरे जीजू आप को खुश होना चाहिए की आप थोक भाव में साल्ले बन गए , और आपकी बहनो को कहीं इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। कर्टसी मम्मी , पक्का इंतजाम हो जाएगा। सटासट सटासट , गपागप गपागप। "
लेकिन बुआ अभी भी संतुष्ट नहीं थी।
तुम दोनों न , जीजा के देख के फिसल जाती हो। अरे पहले इस साले के बहनो की लिस्ट बनवाओ , एक एक का नाम लिखो हुलिया लिखो ,उम्र लिखो कहीं एक दो को छुपा दे तो "
अब बहुत देर के बाद गुड्डी खिलखिलाई और बोली ,
" नहीं बुआ , वो ये नहीं कर सकते। कर्टसी फेसबुक पूरी लिस्ट मेरे पास है और लम्बाई , ऊंचाई , गहराई का हिसाब भी है। "
" सही भाभी होगी तो ,अब चल अपने भाइयों से उनकी चुदाई का भी हिसाब रखना। " बुआ बोलीं।
"जीजू चलो , अब फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट की तरह से अपनी सारी बहनो का नाम बताओ , सबसे कच्ची उम्र वाली सबसे पहले। सिर्फ एक मिनट में एंड योर टाइम स्टार्ट नाउ " मंझली बोली।
मैंने लिस्ट शुरू ही की थी की जोर से आवाज गूंजी ,
"फाउल , चीटिंग ,चीटिंग ,झूठे , कौवा काटेगा बड़ी जोर से " और मेरी पतंग उड़ने से पहले काटने वाली और कौन हो सकती थी , … गुड्डी।
फागुन के दिन चार--144
पड़ोस में , … एक लुहार की
पड़ोस के देश का समुद्र के किनारे का एक शहर , एक मशहूर शहर , जिसकी स्थिति वही थी , जो यहाँ मुम्बई की थी।
वही शहर जहाँ से बड़ौदा , बनारस और मुम्बई पे हमले का ताना बाना बुना गया था।
जहां से सारे भारत के स्लीपर एजेंट्स से सेटलाइट फोन से बातें होती थीं।
और जिन फोन कालों को ट्रेस कर के , कम्युनिकेशन सेंटर का रा ने पता लगाया था।
और उसी के पास का कमांड और कंट्रोल सेंटर , जिस में सेंध रा और सी आई एक दो आपरेटिव्स ने मिल के लगायी थी।
और वहां का डाटा हैक करके और उसे आनंद के हैकर दोस्तों की सहायता से डी क्रिप्ट करके , मुम्बई पे हमला नाकामयाब बनाने में बहुत सहायता मिली थी।
वो दोनों आपरेटिव आज फिर साथ थे।
हिन्दुस्तान के समय से ९ बजे , उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल गया।
उस कमांड और कंट्रोल सेंटर में उन्होंने पहले ही सेंध लगा रखी थी। वहां से निकलने वाले कम्युनिकेशन केबल को उन्होंने हैक कर रखा था।
और साथ में एक पाइप भी लगा रखी थी , जिससे उन्हें कुछ अगर ' अंदर भेजना ' हो तो आसानी से हो सके ,
और आज उस का मौका आ गया था।
बीस मिनट में उन्होंने प्लान पक्का कर लिया और अगले आधे घंटे में उनका काम हो गया था।
' आवश्यक सामग्री ; ' उन्होंने अंदर पहुंचा दी थी।
और पास बने कैफे में वो मौके का इन्तजार कर रहे थे और सवा घंटे में मौका उन्हें मिल भी गया।
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लेकिन तब तक उसी जुड़े कुछ लोग और , बहोत बेचैन हो रहे थे।
जो लगातार रेडियो टीवी से दो तीन दिन से जुड़े थे की पडोसी के यहाँ से कुछ बर्बादी की खबरें आये।
रात भर उन का पडोसी मुल्क से कनेक्शन भी कटा रहा , सिर्फ रेडियो , टीवी का सहारा था , उस पर भी कुछ नहीं पता चल रहा था।
इस बार कोई खबर न आना उनके उनके लिए अच्छी खबर नहीं थी , अपना सब कुछ लगा कर उन्होंने आखिरी दांव खेला था।
और पोर्ट पर हमले और बॉम्बे हाई की हाईजैकिंग का काम तो अल कायदा के साउथ एशिया की नयी बनी यूनिट द्वारा किया गया था , जिसके बारे में भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसीज को कोई खबर होने का सवाल नहीं था।
और सुबह आठ बजे तक जो खबरें छन छन कर बाहर आयीं , उन से ये पता चल गया की आपरेशन ना कामयाब रहा।
स्लीपर्स नेटवर्क भी रिस्पांड नहीं कर रहा था।
कितने पकड़े गए , कितने अंडर ग्राउंड हो गए इसका भी कुछ पता नहीं चल रहा था।
नौ बजे के कुछ देर पहले कुछ लोगों ने मुम्बई से ये भी सूचना दी , की बॉम्बे हाई के पास कुछ लोग पकडे गए हैं , जो घायल हैं।
ये कुछ नहीं पता चल पा रहा था की , उस फेल हमले में कौन जिन्दा पकड़ा गया , कौन मरा।
.
और तय हुआ की १०. ३० पर उस कंट्रोल कमांड सेंटर में लोग मिलें।
आने वालों में आई एस आई के रोग ग्रुप का नेता और उसके दो साथी , अल कायदा का एक कमांडर , दो तालिबानी गुटों के नेता जो उस आपरेशन से जुड़े थे , रावलपिंडी के कोर कमांडर्स में से एक , कुल १२-१४ लोग थे।
और उन सब के दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे थे , लेकिन सबसे बड़ा सवाल था ,
डैमेज असेसमेंट और डैमेज कन्टेन्मेंट का।
कितनी चीजें पता चल गयी , कौन कौन पकड़ा गया ,
और एक बार अगर ये मालूम हो जाए तो डैमेज कंटेनमेंट ,
उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी की अगर आपरेशन फेल हुआ , आपरेटिव पकड़े गए तो पडोसी देश की सरकार उसका गाना क्यों नहीं गा रहे थे।
हिन्दुस्तानी आपरेटिव दूर से नजर रखे था , लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी की उन लोगों ने जब उस कमांड कंट्रोल सेंटर में सेंध लगाई थी तो उनके सी सी टी वी कैमरे को भी कम्प्रोमाइज्ड कर दिया था और अब , वहां से सीधे उसके मोबाइल में फीड आ रही थी।
मीटिंग पौने ग्यारह बजे शुरू हुयी। सबसे आखिर में लाहौर के पास के एक जिहादी ग्रुप का मेन कमांडर , आया।
उस ऑपरेटिव ने तुरंत उसे पहचान लिया। कितने ही मामलों में वो सरगना था।
उसने अपने काउंटर पार्ट से बात किया और ४० मिनट बाद का टाइमर सेट कर दिया गया।
१० मिनट बाद एक रेलवे स्टेशन पर था और दूसरा एयरपोर्ट पर।
और उसके तीस मिनट बाद जोरदार धमाका हुआ।
…
मिलेट्री की स्पेशल यूनिट और आई एस आई के लोगों ने उस इलाके को घेर लिया। लोकल पुलिस को वहां फटकने की भी इजाजत नहीं थी।
पूरे शहर में बैरकेडिंग कर दी गयी।
,…
दोनो आपरेटिव शहर छोड़ चुके थे , एक ट्रेन पर , दूसरा प्लेन में।
कैबिनट सिक्योरिटी कमेटी की मीटिंग , चालू हो चुकी थी।
होम सेक्रेटरी और नेशनल अडवाइजर अपनी रिपोर्ट पेश कर चुके थे।
बनारस से आये डी बी ने पहले बताया की इस षड्यंत्र की शुरुआत कैसे बनारस से हुयी और किस तरह इसका पर्दाफाश हुआ , उन्होंने रीत और आनंद के बारे में भी बताया।
बॉम्बे में हुए अनेक साजिशों के बारे में ऐ टीस चीफ ने बताया और उससे भी ज्यादा स्लीपर नेटवर्क जो पकड़े गए हैं और उनसे कैसे और नेट वर्क का पता चला और सैकड़ों लोग पकड़े गए।
ये तय हुआ की जो साजिश के सबूत मिले हैं , उनकी कापी बनाकर महत्वपूर्ण विदेशी दूतावास के प्रतिनिधियों से किदेश सचिव और नेशनल सिक्योरिटी अडवाइजर बारी बारी से मिलंगे और ये सबूत शेयर करेंगे। ये भी कोशिश करेंगे की पडोसी देश की सिक्योरटी एजेंसी जिस के काफी लोग इस आपरेशन से जुड़े हैं , उस को रोग एजंसी डिक्लेयर किया जाय।
इस के साथ ही अन्य देशो की सिक्योरटी एजेंसीज से कॉऑर्डिनेट कर के जो इस साजिश के आधार हैं उन के खिलाफ सम्मिलित ऐक्शन प्लान बनाया जाय ,
और ठीक उसी समय रा के चीफ ने घोषणा की , कि आपरेशन अग्निदूत संपन्न हो गया।
बस लोगो ने ताली नहीं बजाई।
पहली बार किसी आतंकवादी हमले को इस तरह बड़े पैमाने पर विफल किया गया था।
लेकिन उस से भी बढ़कर दुश्मन की जमीन पर , पहली बार , २४ घण्टे के अंदर साजिश रचने वाले सभी लोगों का इस तरह खातमा कर दिया गया था।
इस से न सिर्फ दुश्मन के अंदरुनी ताकत का खातमा हो गया , बल्कि उसकी पूरी लीडरशिप खत्म हो गयी।
इसके पहले वो अपने पैदल सिपाही भेज कर , उन्हें मरवा कर वाहवाही लूटते थे।
अबकी उन्हें खुद जान गंवानी पड़ी।
मीटिंग उस के बाद भी आधे घंटे और चली।
यह तय हुआ की सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसीज के चीफ आज शाम फिर बैठक करेंगे.
मीटिंग खत्म होने के साथ साथ नेपाल की सीमा पर लगे चार स्थानो पर रैपिड ऐक्शन फोर्स ने छापा मार दिया। और ४५ मिनट के अंदर सफलता पार कर लौट आये।
बहराइच , नौतनवां , रक्सौल और फारबिसगंज के पास ये छापे मारे गए। दो जगहों पर आर डी एक्स और एक्सप्लोसिव्स का और दो जगहों पर फर्जी नोटों का बड़ा भंडार पकड़ा गया। मुठभेड़ में ६ लोग मारे गए और ५ लोगों को कैद कर फोर्स के लोग ले आये।
नेपाल के राजदूत को डेढ़ बजे साउथ ब्लाक में बुलाया गया और उन्हें इस गोपनीय आपरेशन की जानकारी दे गयी।
और उस के कुछ देर पहले बांग्ला देश की सीमा में भी काफी अंदर तक घुस कर भारतीय फोर्सेज ने कुछ को मारा , कुछ को पकड़ा।
वहां के भी उच्चायुक्त को भी बुलाकर इन परिस्थितियों की जानकारी दी गयी जिसके तहत मजबूरी में ये कार्यवाही करनी पड़ी।
सीमापार जहाँ कुछ देर पहले , एक शहर में बॉम्ब का जोरदार धमाका हुआ , वहीँ कुछ देर बाद ड्रोन के हमले हुए , और इस बार वो अफगानिस्तान के सीमा पर नहीं बल्कि काफी अंदर घुस कर हुए जहाँ तालिबान की ट्रेनिंग होती थी। इसके साथ ही वो चार पेरीफेरल सेंटर जो कंट्रोल और कमांड सेंटर से जुड़े थे उन पर भी ड्रोन ने जोरदार हमला किया। एक के बाद एक चार ड्रोन , धमाके पर धमाके , दिन दहाड़े।
देश के चारो ओर जहाँ से सेंध लगती थी , चूहे आते थे और देश को कुरेदने का काम करते थे , अपने तेज दाँतो से देश को लहूलुहान करते थे ,
आज उनके बिलों पे आग बरस रही थी।
उनके दिल पर पत्थर पड रहे थे।
देश के अंदर सैकड़ों लोग गिरफ़्तार होगये थे।
उनका मुख्यालय ध्वस्त हो गया था।
छोटे मोटे किले भी चूर हो गए थे।
अगल बगल के बिल भी बंद हो गए थे।
आज देश पे हमला करने के , नुक्सान पहुँचाने की दसो साल से लगातार कोशिश कर रहे थे , उनके सपने चकनाचूर हो गए थे।
अब वो सपने देखने की सोच भी नहीं सकते थे।
…
लेकिन दिल्ली से १५०० किलोमीटर दूर , बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर , पूर्वी उत्तरप्रदेश के एक शहर में , १२ बजने वाले थे , लेकिन आनंद बाबू सपने देख रहे थे , सपने ऐसे जो एकदम पूरे होने वाले थे।
चलिए ,उन के सपनो में घुस कर देखते हैं ,
ये ऐसे सपने हैं , जिनके पूरे होने के बारे में रत्ती भर का भी शक नहीं है , और न ही देर है।
" ये शादी नहीं हो सकती " , एकदम ६० के दशक के फ़िल्म की तरह ये आवाज गूंजी , और मैं सकते में आ गया।
आज ही मैं बनारस आया था ट्रेनिंग से दो दिन की छुट्टी लेकर।
आजमगढ़ से भाभी भी आई थीं।
कल गुड्डी की दोनों मौसी और मौसेरी बहने भी आने वाली थी।
रुकने को तो मैं पुलिस मेस में रुका था , और वैसे भी मई के दूसरे हफ्ते से मेरी फील्ड ट्रेनिंग भी यहीं होने वाली थी और उसके बाद पोस्टिंग भी।
लेकिन दो बार गुड्डी का फोन गया और मैं यहाँ आ गया। हाँ तय हुआ था की मैं आज रात वापस पोलिस मेस में जा सकता हूँ लेकिन कल से मेरा बोरिया बिस्तर यहीं गुड्डी के घर लगना था।
बात यह थी की कल मेरा इंगेजमेंट था १६ अप्रेल को।
और शादी तो २५ मई की बहुत पहले , तय हो गयी थी।
सारी तैयारियां बहुत धूम धाम से चल रही थीं।
और शाम से मेरी दोनोंसालियां मेरे पीछे पड़ी थीं , मझली और छुटकी। मंझली गुड्डी से सिर्फ एक साल छोटी थी , लेकिन छुटकी उससे दो ढाई साल , कच्चे टिकोरे वाली उम्र की लेकिन थी एकदम तीखी मिर्च।
अब उनके घर में रह कर इंगेजमेंट में आना तो ठीक नहीं लगता। इसलिए आज मुझे मेस में जाने की इजाजत मिली थी और कल से इन्गेगजमेन्ट के बाद ससुराल में ही और मम्मी ( गुड्डी की मम्मी , लेकिन मेरी हिम्मत नहीं थी , मम्मी के अलावा कुछ कहूँ उन्हें ) के कहने से मैंने छुट्टी भी एक दिन बढ़ा ली थी।
बात असल ये थी की इतने दिनों के बाद गुड्डी मिली थी , तन मन दोनों बेचैन था। एक महीने से ज्यादा हो गया था गुड्डी के साथ ' कुछ किये ' . और वो शोख और अदा दिखा रही थी , ललचा रही थी।
हम चारो ( मैं , गुड्डी और उसकी दोनों छोटी बहने) बैठ के चुहुल कर रहे थे , और सामने मम्मी बैठी थी , कल के प्रोग्राम की तैयारी में तभी गुड्डी की बुआ आयीं।
गुड्डी की मम्मी से २-३ साल बड़ी , ३७-३८ की रही होंगी। थोड़ा स्थूल बदन , दीर्घ नितम्बा , उरोज ३८ डी डी। रंग थोड़ा गेंहुआ
" ये शादी नहीं हो सकती। मादरचोद , हरामी , छिनार के जने , पता नहीं कहाँ कहाँ से चुदवा के तुमको पैदा किया , मुझको तो लगता है कुत्ते के पास गयी थी पहले ,
( और तभी गुड्डी ने टुकड़ा लगाया , अरे बुआ आपको ये छिपी बात कैसे पता चली। इनकी बर्थडे , कातिक के ठीक ९ महीने बाद पड़ती है। बुआ सिर्फ एक पल के लिए मुस्कराईं फिर चालू हो गयीं )
“पहले कुत्ता , फिर गदहा , घोडा। ऐसे को हम लोग अपनी लड़की क्यों दें। "
मुझे लगा बुआ मजाक कर रही हैं , लेकिन उनका चेहरा गुस्से में लग रहा था और फिर साथ ही गुड्डी की मम्मी भी , उन्होंने गुड्डी को हुकुम सुनाया ,
'चल तू आ मेरे पास बैठ "
और गुड्डी मेरा साथ छोड़ , मेमने की तरह उनके पास चली गयी।
और उन्होंने जैसे कोई छोटे बच्चे को बैठाये, गुड्डी को अपनीगोद में बैठा लिया और उसे दुलराने लगीं और बुआ फिर चालू हो गयीं,
" मादरचोद, साल्ले , तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारूं , सोचता है की हमारी इस सोनचिरैया को ऐसे मुफ्त में ले उड़ेगा , इसके बदले में ,… "
मुझे उम्मीद की एक खिड़की नजर आई और मैंने छलांग लगा दी।
" नहीं बुआ जी आप,… जी , आप जो कहिये , … "
बुआ जी हलके से मुस्कराईं लेकिन फिर चालू हो गयीं ,
" साले , इस के बदले में मैं क्या तेरी गांड लुंगी , भले ही तू कितना नमकीन लौंडा क्यों न हो बोल क्या देगा ,"
" आप जो बोलिए , बुआ जी " मैं आलमोस्ट गिड़गिड़ाने की हालत में था।
" और जो मैंने कुछ माँगा और मादरचोद , तेरी गांड फट गयी तो , … " बुआ जी गरजी।
मेरी सालियाँ भी अब मैदान में आगयीं और मझली बोली ,
" अरे बुआ जी क्या गारंटी की अब तक नहीं फटी है , वैसे आप कहिये तो मैं और छुटकी चेक कर लें। "
" अरे जाने दे यार , चेक करना हो तो इनकी बहनो की करेंगे न , और वैसे भी जीजू , फटने वाली चीज , कभी न कभी तो फटेगी। " छुटकी ने और मिर्च डाली।
तीन बार तिरबाचा भरवाया गया , कसमें दिलवाई गयी , की बुआ जो मांगेंगीं मैं हाँ करूंगी और वो भी बिना कुछ सोचे समझे , बिना एक पल भी रुके।
मुझे सब मंजूर था , लेकिन इतनी मुश्किल से तय हुयी शादी पे आंच आये ये कबूल नहीं था।
और अब बाल बुआ जी ने अपनी भाभी , यानी मम्मी के पाले में डाल दी थी।
और मम्मी ने शर्त साफ की लेकिन मेरी सालियों के जरिये।
" तू दोनों जीजा की चमची हो गयी है अभी से , ये साल्ला तेरी बहन ले जा रहा है , तो उसके बदले में कुछ तो उसे देना चाहिए। "
और जब तक वो दोनों कुछ बोलतीं , मम्मी ने ही बात साफ कर दी ,
" सीधी बात , बहन के बदले बहन , बोल मंजूर "
और जब तक वो दोनों कुछ बोलतीं , मम्मी ने ही बात साफ कर दी ,
" सीधी बात , बहन के बदले बहन , बोल मंजूर "
" एकदम सही मम्मी , जीजू जल्दी से हाँ बोल दो न , बहन के बदले बहन। " दोनों एक साथ बोलीं।
" तेरी सारी बहनों पे गुड्डी के सारे नजदीक के , दूर के , गाँव के , मोहल्ले के सब भाई चढ़ेंगे , मजा लूटेंगे , हचक हचक के कबड्डी खेलेंगे। और तेरी कोई सगी बहन तो है नहीं इसलिए जीतनी , चचेरी , ममेरी, मौसेरी , फुफेरी नजदीक की , दूर की बहन है , सब पर , हाँ बोलो जल्दी। बहुत काम है मुझे। " मम्मी ने शर्त साफ की।
मैं एक पल के लिए हिचका , और मम्मी फिर आग बबूला। मेरे ऊपर भी भी , सालियों के ऊपर भी।
" तुम सब न , गुड्डी की तरह इसके झांसे में फँस गयी। जरा सी बात नहीं मान सकता है, इसकी बहने पूरे मोहल्ले में बांटती फिरती है, ये बहन चोद खुद चोदता होगा और मैंने जरा सा कहा तो फट गयी इस गांडू की , फोन ले आ। कैटरिंग वालों का आर्डर कैंसल करती हूँ , और जरा अपनी मौसी को भी फोन लगा अभी उन की ट्रेन नहीं चली होगी। उन को बोल दूँ , इंगेजमेंट कैंसल। "मम्मी गरजीं।
" जीजू प्लीज जल्दी से हाँ बोल दे न , आप के साथ हम दोनों का भी घाटा हो जाएगा , हाँ बोल दीजिये न। " छुटकी मेरे कान में फुसफुसाई।
" हाँ मम्मी हाँ " हड़बड़ा के मैं बोला।
और अबकी बुआ का नंबर था , मेरी फाड़ने का।
" साल्ले , क्या मम्मी , हाँ मम्मी लगा रखा है , बोल खुल के क्या करवाना चाहता है अपनी छिनार बहनों का। "
"बुआ जो आप कहैं , मेरी बहनो के साथ गुड्डी के सब मायकेवालों का , … और आगे मैं खुल के नहीं बोल पा रहा था , हालांकि मुझे खुल के अंदाज लग गया था की बुआ और मम्मी मेरे मुंह से क्या कहलवाना चाहती हैं।
" तेरी बहनो के साथ , क्या , साफ साफ बोल। गुड्डी के मायकेवाले क्या, उनकी आरती करेंगे , जय जयकार करेंगे , क्या करेंगे। तू क्या चाहता है। " बुआ जी ने बोला।
और मैं एक पल हिचकिचाया तो बुआ जी चढ़ गयी ,
" साले , मादर चोद , तेरे मुंह में तेरे साल्लों का मोटा लंड घुसा क्या है जो बोल नहीं पा रहा है या अपनी बहन का भोंसड़ा चूस रहा है , बोल जल्दी। "
मम्मी ने अल्टीमेटम दे दिया , " क्यों बात नहीं भैया , तुम्हे अपनी बहने बचाकर रखनी है उनके मायकेवालों के लिए तो रखो , तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते। मैं तीन तक गिनती गिनती हूँ , उसके बाद गुड्डी की ओर नजर भी मत करना। "
उन्होंने तो नहीं लेकिन मेरी दोनों सालियों ने गिनती शुरू कर दी ,
१, .... २ ,…
मेरी फट गयी और मैंने सबा कुछ भूल के बोल पड़ा ,
" मेरी सारी बहने चुदवायेंगी , ममेरी , चचेरी , मौसेरी , फुफेरी , घर की , रिश्ते की सब। सब गुड्डी के भाइयों से , उस के मायकेवालों से आप जिससे कहेंगी उस से चुदवायेगी। मेरा पक्का वादा। एक बार , दो बार जितनी बार वो चाहें , मेरी ओर से फ्री। "
लेकिन मम्मी इतनी आसानी से कहाँ मानने वाली थी। गरजीं।
" साल्ले , बहन के भंडुए सिर्फ चुदवायेंगी , और गांड , वो किस के लिए बचा के रखी हैं तेरे लिए। तू तो साला खुद गंडुवा है , तेरे ससुराल में हचक हचक के तेरी मारी जायेगी , बोल"
“और लंड चूसने का काम कौन करेगा " बुआ ने जोड़ा
मम्मी का हाथ एक बार फिर मोबाइल पर टहलने लगा।
और छुटकी ने जोर से कुहनी मारी साथ में कान में फुसफुसाया , " जीजू , यार जल्दी बोलो वरना कहीं मम्मी ने फिर "
और मैंने हर चीज के लिए सकार दिया ,
" हाँ मम्मी , मेरी बहने न सिर्फ अपनी चूत चुदवायेंगी , गुड्डी के सब मायकेवालों , जिससे आप कहेंगी उससे , बल्कि गांड भी मरवाएंगी , लंड भी चूसेंगी। जो इस के मायकेवालों की मर्जी हो , जैसे वो लेना चाहें , आगे से पीछे से , ऊपर से नीचे से। हचक हचक कर चोदें वो , गांड मारें , अपने मोटे लंड से उनका मुंह चोदे ,सब मंजूर हैं मुझे , प्लीज "
और अब मम्मी मुस्कराईं और मझली से बोला , " भाई इतना गिड़गिड़ा रहा है , तो इस साल्ल्ले के बहनो का कुछ इंतजाम तो करना पड़ेगा। तूने रिकार्ड किया ना। '
" हाँ मम्मी , और लिख भी लिया है स्टाम्प पेपर पे " मुस्करा के मंझली बोली और अपने हाथ में छिपा हुआ मोबाइल दिखाया और उस की रिकार्डिंग आन कर दी ,
सिर्फ मेरी ही आवाज रिकार्ड हुयी थी और लगा यही रहा था की मैं रिक्वेस्ट कर रहा हूँ की ,… "
मंझली , छुटकी के साथ गुड्डी भी जोर से मुस्कराई और छुटकी बोली ,
" अरे जीजू आप को खुश होना चाहिए की आप थोक भाव में साल्ले बन गए , और आपकी बहनो को कहीं इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। कर्टसी मम्मी , पक्का इंतजाम हो जाएगा। सटासट सटासट , गपागप गपागप। "
लेकिन बुआ अभी भी संतुष्ट नहीं थी।
तुम दोनों न , जीजा के देख के फिसल जाती हो। अरे पहले इस साले के बहनो की लिस्ट बनवाओ , एक एक का नाम लिखो हुलिया लिखो ,उम्र लिखो कहीं एक दो को छुपा दे तो "
अब बहुत देर के बाद गुड्डी खिलखिलाई और बोली ,
" नहीं बुआ , वो ये नहीं कर सकते। कर्टसी फेसबुक पूरी लिस्ट मेरे पास है और लम्बाई , ऊंचाई , गहराई का हिसाब भी है। "
" सही भाभी होगी तो ,अब चल अपने भाइयों से उनकी चुदाई का भी हिसाब रखना। " बुआ बोलीं।
"जीजू चलो , अब फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट की तरह से अपनी सारी बहनो का नाम बताओ , सबसे कच्ची उम्र वाली सबसे पहले। सिर्फ एक मिनट में एंड योर टाइम स्टार्ट नाउ " मंझली बोली।
मैंने लिस्ट शुरू ही की थी की जोर से आवाज गूंजी ,
"फाउल , चीटिंग ,चीटिंग ,झूठे , कौवा काटेगा बड़ी जोर से " और मेरी पतंग उड़ने से पहले काटने वाली और कौन हो सकती थी , … गुड्डी।
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