FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--59
अब आगे
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पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..
और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा...तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे...पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...
गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..
और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..
लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..
और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.
समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था...उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...
और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...
उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी...और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..
जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था...पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त...अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..
समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ , उसके होंठों का रस पीने लगा...
रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था...इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया...लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे -2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...
तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया , यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..
रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिलकर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुलकर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...
पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए , पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एकसाथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''
और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..
और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...
उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था...इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..
रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी....और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..
और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...
ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा..और वो भरभराकर झड़ गयी..
''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''
और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...
और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए....और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर लेजाकर लहरा दिया...
और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी..
और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा....और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...
और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..
और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..
और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये..अपना काम करने के लिए
और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर...ऐसे ही ....नंगी...
नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या..वो भी नंगी
दोनो ही अपने -2 मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी...
और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी...अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..पर चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..
समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया,इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी ,वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.
अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.
काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''
श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ ,तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''
काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''
श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो , वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''
नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी....अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी..वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवाकर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी...इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी..पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...
ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..
उसे तो होली के बारे में याद ही नही था...उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी,और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी..पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी..और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..
वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला
और ज़ोर से चिल्लाया " होली है............''
और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी...उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..
उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही " होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''
श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया...और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया..नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर
बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी...लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था...उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता,इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.
श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..
और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये..नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..
तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने..और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके..यानी सेक्स के मजे
श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी...पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी..
सभी ने वोडका के 3-3 पेग पी लिए और उसका असर जल्द ही दिखने लगा तीनों पर...श्वेता तो सीधा जाकर नितिन की गोद में बैठ गयी और उसे चूमने लगी...नितिन के हाथ उसकी ब्रेस्ट पर घूम रहे थे और वो उन्हे पंप करता हुआ अपनी बहन के होंठ चूस रहा था..
ऐसा कामुक दृश्य देखकर काव्या से रुका नही गया और उठकर उनके पास गयी और अपनी नर्म उंगलियों से नितिन के शरीर को सहलाती हुई वो उसकी दूसरी टाँग पर बैठ गयी और अपने चेहरे को भी उसने उन दोनो के बीच झोंक दिया..
अपने चेहरे पर लगे रंग को वो सॉफ कर ही चुके थे, इसलिए उन्हे चाटने मे कोई परहेज नही था उन्हे..काव्या के पास आते ही नितिन ने अपनी बहन को छोड़कर उसे चूमना शुरू कर दिया...आख़िर उसकी पहली पसंद तो वही थी ना..और साथ ही साथ वो उसकी गीली टी शर्ट के अंदर फँसे कबूतरों को भी मसलने में लगा रहा.
नितिन तो इस वक़्त राजा बना बैठा था कुर्सी पर, उसकी दोनो जांघों पर मस्त जवानियाँ सवार थी जो उसे चूमने में लगी थी, ऐसी किस्मत हर किसी की नही होती..
एक तो होली का मौका और उपर से वोड्का का नशा और उससे भी उपर जवानी का नशा, तीनो मिलकर धमाल मचा रहे थे..
काव्या के हाथ फिसलकर नितिन के लंड पर पहुँच गये,और उसने उसकी जीन्स की चैन खोल कर उसके लंड को आज़ाद करा दिया...कल जब उसने अपने प्यारे पापा का लंड चूसा था तब भी उसने उसे नितिन के लंड से कम्पेयर किया था,जवान लंड में कुछ तो खास होता ही है, वो उसे हाथ में लेते ही वो फिर से समझ चुकी थी..उसकी गर्माहट और उभरी हुई नसें काव्या की हथेलियों को झुलसा रही थी,वो तो पागल सी हो गयी और उसके लंड को ज़ोर-2 से मसलते हुए नितिन को और भी जोरों से स्मूच करने लगी...
''आआआहह काव्य्ाआआआआअ...... उम्म्म्ममममममममममम धीरे करो बेबी .....''
पर बेचारे नितिन को क्या पता था की आज उसके साथ क्या होने वाला है...काव्या का पूरा शरीर सुलग उठा था...उसकी चूत से गर्म पानी निकलकर बाहर आने लगा था और उसकी ब्रेस्ट में दर्द सा होने लगा,निप्पलों में भयंकर खुजली होने लगी, वो तो बस चाह रही थी की उसके निप्पल्स को कोई ज़ोर से चूस ले, निचोड़ दे,काट ले...
और उसने खुद ही अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी दाँयी ब्रेस्ट नितिन के मुँह मे ठूस दी और उसके बालों को पकड़ कर ज़ोर से अपनी छाती में दबा लिया..
''आआआआहह उम्म्म्मममममममममममम..... ओह नितिन ..............प्लीज़ सकक्क मी .......खा जाओ मुझे .......काटो इन्हे ज़ोर से.......उम्म्म्मममममममममम और ज़ोर से................ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....अहह ....''
और एक एक करते हुए उसने बारी -2 से अपनी दोनो छातियाँ उसके पैने दाँतों से कटवाई, उसके गर्म होंठों से चुस्वाई...तब जाकर उसे कुछ आराम आया...
और उसकी देखा देखी श्वेता ने भी अपना टॉप उतार दिया , उसने तो ब्रा भी नही पहनी हुई थी...और उसकी गोल मटोल ब्रेस्ट देखकर काव्या के मुँह में पानी आ गया और उसने अपना मुँह उसकी छाती पर लगा कर वहाँ का दूध पीने लगी...
अब वो श्वेता की ब्रेस्ट चूस रही थी और नितिन उसकी...साथ ही साथ दोनो के हाथ नितिन के लंड को भी सहला रहे थे...नितिन अपने दोनो हाथों से उन दोनो की मोटी गांड को मसल रहा था...
काव्या और श्वेता की चूत से निकल रही गर्मी से नितिन की जांघे जल रही थी..नितिन को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी दोनो टाँगों पर जलते हुए कोयले रख दिए हो ...उसने दोनो को उठाया और अपने सामने खड़ा कर दिया, दोनों एक दूसरे को चूमती रही और नितिन उनकी जीन्स को उतारता रहा, और 2 मिनट के अंदर ही दोनो पूरी नंगी खड़ी थी उसके सामने...होली के रंग उन दोनो के अंदर तक जा चुके थे, दोनो के बदन गुलबीपन लिए हुए थे इस वक़्त, पर उन्हे साफ़ करने का टाइम नही था अभी...वो भी उपर उठा और उन दोनो की ब्रेस्ट चाटता हुआ अपनी पेंट उतारने लगा..और फिर वो भी नंगा हो गया उन दोनो की तरह.
अब माहोल ये था की नशे में झूमते हुए उन दोनो के नशीले जिस्म नितिन की गिरफ़्त में थे, जिन्हे वो अपनी बाहों में भरकर बुरी तरह से चूम रहा था, उसका ज़्यादा ध्यान काव्या की तरफ ही था,क्योंकि अपनी बहन श्वेता को तो वो पिछले 10 दिनों से लगातार चोद ही रहा था..
काव्या और श्वेता भी पूरे रंग में आ चुकी थी...वो दोनो नितिन के सामने बैठ गयी और उसके लंड से खेलने लगी..काव्या ने उसके लंड को मुँह में ले लिया तो श्वेता ने उसकी बाल्स को अंदर लेकर चुभलाना शुरू कर दिया..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...काव्या ................सक्क मी ....... य्ाआआआअ...... ऑश माय सिस्टर.....श्वेता....सक माय बॉल्स .................उम्म्म्मममम य्ाआआआआअ...''
दोनो भूखी लोमड़ियों की तरह उसके माँस के टुकड़े को नोच रही थी...कभी उसकी गोटियों तो कभी उसके हथियार पर उन दोनो के तेज नाख़ून और दाँतों का हमला हो रहा था और वो उसे एंजाय भी कर रहा था..ऐसा वाइल्ड तरीके का सेक्स बड़ा मज़ा दे रहा था उसे..उसके अंदर के जानवर को जगा रहा था...उस जानवर को जो आज इन दोनो चूतों के चिथड़े उड़ा देने वाला था..
उत्तेजना के चरम पर पहुँचकर नितिन ने उन दोनो को वहीं घांस पर धक्का देकर लिटा दिया और दोनो के नंगे जिस्म ज़मीन पर नागिन की तरह लहरा रहे थे...नितिन ने दोनो की टाँगों का इंडिया गेट बनाया और एक-2 करके उन दोनों की रसीली चूतों का मीठा अमृत पीने लगा...दोनो के अंदर ऐसी आग लग चुकी थी की जब भी नितिन का मुँह उनकी चूत पर आता तो बड़ी मुश्किल से वो उसे दूसरी तरफ जाने देती..आख़िर मज़ा ही इतना अधिक आ रहा था दोनो को...दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और अपनी-2 चूटें नितिन से चुस्वा रही थी...
आख़िर नितिन से सब्र नही हुआ और उसके लंड ने चूत की डिमांड करनी शुरू कर दी...
नितिन जानता था की काव्या नही चुदवायेगी ,इसलिए मन मारकर वो अपनी बहन श्वेता की टाँगों के बीच पहुँचा और जैसे ही उसकी चूत के अंदर लंड डालने लगा तो काव्या की सिसकारी भरी याचना उसे सुनाई दी..
सौतेला बाप--59
अब आगे
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पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..
और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा...तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे...पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...
गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..
और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..
लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..
और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.
समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था...उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...
और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...
उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी...और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..
जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था...पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त...अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..
समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ , उसके होंठों का रस पीने लगा...
रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था...इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया...लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे -2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...
तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया , यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..
रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिलकर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुलकर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...
पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए , पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एकसाथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''
और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..
और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...
उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था...इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..
रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी....और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..
और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...
ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा..और वो भरभराकर झड़ गयी..
''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''
और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...
और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए....और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर लेजाकर लहरा दिया...
और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी..
और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा....और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...
और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..
और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..
और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये..अपना काम करने के लिए
और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर...ऐसे ही ....नंगी...
नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या..वो भी नंगी
दोनो ही अपने -2 मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी...
और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी...अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..पर चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..
समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया,इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी ,वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.
अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.
काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''
श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ ,तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''
काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''
श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो , वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''
नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी....अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी..वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवाकर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी...इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी..पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...
ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..
उसे तो होली के बारे में याद ही नही था...उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी,और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी..पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी..और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..
वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला
और ज़ोर से चिल्लाया " होली है............''
और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी...उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..
उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही " होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''
श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया...और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया..नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर
बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी...लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था...उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता,इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.
श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..
और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये..नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..
तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने..और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके..यानी सेक्स के मजे
श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी...पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी..
सभी ने वोडका के 3-3 पेग पी लिए और उसका असर जल्द ही दिखने लगा तीनों पर...श्वेता तो सीधा जाकर नितिन की गोद में बैठ गयी और उसे चूमने लगी...नितिन के हाथ उसकी ब्रेस्ट पर घूम रहे थे और वो उन्हे पंप करता हुआ अपनी बहन के होंठ चूस रहा था..
ऐसा कामुक दृश्य देखकर काव्या से रुका नही गया और उठकर उनके पास गयी और अपनी नर्म उंगलियों से नितिन के शरीर को सहलाती हुई वो उसकी दूसरी टाँग पर बैठ गयी और अपने चेहरे को भी उसने उन दोनो के बीच झोंक दिया..
अपने चेहरे पर लगे रंग को वो सॉफ कर ही चुके थे, इसलिए उन्हे चाटने मे कोई परहेज नही था उन्हे..काव्या के पास आते ही नितिन ने अपनी बहन को छोड़कर उसे चूमना शुरू कर दिया...आख़िर उसकी पहली पसंद तो वही थी ना..और साथ ही साथ वो उसकी गीली टी शर्ट के अंदर फँसे कबूतरों को भी मसलने में लगा रहा.
नितिन तो इस वक़्त राजा बना बैठा था कुर्सी पर, उसकी दोनो जांघों पर मस्त जवानियाँ सवार थी जो उसे चूमने में लगी थी, ऐसी किस्मत हर किसी की नही होती..
एक तो होली का मौका और उपर से वोड्का का नशा और उससे भी उपर जवानी का नशा, तीनो मिलकर धमाल मचा रहे थे..
काव्या के हाथ फिसलकर नितिन के लंड पर पहुँच गये,और उसने उसकी जीन्स की चैन खोल कर उसके लंड को आज़ाद करा दिया...कल जब उसने अपने प्यारे पापा का लंड चूसा था तब भी उसने उसे नितिन के लंड से कम्पेयर किया था,जवान लंड में कुछ तो खास होता ही है, वो उसे हाथ में लेते ही वो फिर से समझ चुकी थी..उसकी गर्माहट और उभरी हुई नसें काव्या की हथेलियों को झुलसा रही थी,वो तो पागल सी हो गयी और उसके लंड को ज़ोर-2 से मसलते हुए नितिन को और भी जोरों से स्मूच करने लगी...
''आआआहह काव्य्ाआआआआअ...... उम्म्म्ममममममममममम धीरे करो बेबी .....''
पर बेचारे नितिन को क्या पता था की आज उसके साथ क्या होने वाला है...काव्या का पूरा शरीर सुलग उठा था...उसकी चूत से गर्म पानी निकलकर बाहर आने लगा था और उसकी ब्रेस्ट में दर्द सा होने लगा,निप्पलों में भयंकर खुजली होने लगी, वो तो बस चाह रही थी की उसके निप्पल्स को कोई ज़ोर से चूस ले, निचोड़ दे,काट ले...
और उसने खुद ही अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी दाँयी ब्रेस्ट नितिन के मुँह मे ठूस दी और उसके बालों को पकड़ कर ज़ोर से अपनी छाती में दबा लिया..
''आआआआहह उम्म्म्मममममममममममम..... ओह नितिन ..............प्लीज़ सकक्क मी .......खा जाओ मुझे .......काटो इन्हे ज़ोर से.......उम्म्म्मममममममममम और ज़ोर से................ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....अहह ....''
और एक एक करते हुए उसने बारी -2 से अपनी दोनो छातियाँ उसके पैने दाँतों से कटवाई, उसके गर्म होंठों से चुस्वाई...तब जाकर उसे कुछ आराम आया...
और उसकी देखा देखी श्वेता ने भी अपना टॉप उतार दिया , उसने तो ब्रा भी नही पहनी हुई थी...और उसकी गोल मटोल ब्रेस्ट देखकर काव्या के मुँह में पानी आ गया और उसने अपना मुँह उसकी छाती पर लगा कर वहाँ का दूध पीने लगी...
अब वो श्वेता की ब्रेस्ट चूस रही थी और नितिन उसकी...साथ ही साथ दोनो के हाथ नितिन के लंड को भी सहला रहे थे...नितिन अपने दोनो हाथों से उन दोनो की मोटी गांड को मसल रहा था...
काव्या और श्वेता की चूत से निकल रही गर्मी से नितिन की जांघे जल रही थी..नितिन को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी दोनो टाँगों पर जलते हुए कोयले रख दिए हो ...उसने दोनो को उठाया और अपने सामने खड़ा कर दिया, दोनों एक दूसरे को चूमती रही और नितिन उनकी जीन्स को उतारता रहा, और 2 मिनट के अंदर ही दोनो पूरी नंगी खड़ी थी उसके सामने...होली के रंग उन दोनो के अंदर तक जा चुके थे, दोनो के बदन गुलबीपन लिए हुए थे इस वक़्त, पर उन्हे साफ़ करने का टाइम नही था अभी...वो भी उपर उठा और उन दोनो की ब्रेस्ट चाटता हुआ अपनी पेंट उतारने लगा..और फिर वो भी नंगा हो गया उन दोनो की तरह.
अब माहोल ये था की नशे में झूमते हुए उन दोनो के नशीले जिस्म नितिन की गिरफ़्त में थे, जिन्हे वो अपनी बाहों में भरकर बुरी तरह से चूम रहा था, उसका ज़्यादा ध्यान काव्या की तरफ ही था,क्योंकि अपनी बहन श्वेता को तो वो पिछले 10 दिनों से लगातार चोद ही रहा था..
काव्या और श्वेता भी पूरे रंग में आ चुकी थी...वो दोनो नितिन के सामने बैठ गयी और उसके लंड से खेलने लगी..काव्या ने उसके लंड को मुँह में ले लिया तो श्वेता ने उसकी बाल्स को अंदर लेकर चुभलाना शुरू कर दिया..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...काव्या ................सक्क मी ....... य्ाआआआअ...... ऑश माय सिस्टर.....श्वेता....सक माय बॉल्स .................उम्म्म्मममम य्ाआआआआअ...''
दोनो भूखी लोमड़ियों की तरह उसके माँस के टुकड़े को नोच रही थी...कभी उसकी गोटियों तो कभी उसके हथियार पर उन दोनो के तेज नाख़ून और दाँतों का हमला हो रहा था और वो उसे एंजाय भी कर रहा था..ऐसा वाइल्ड तरीके का सेक्स बड़ा मज़ा दे रहा था उसे..उसके अंदर के जानवर को जगा रहा था...उस जानवर को जो आज इन दोनो चूतों के चिथड़े उड़ा देने वाला था..
उत्तेजना के चरम पर पहुँचकर नितिन ने उन दोनो को वहीं घांस पर धक्का देकर लिटा दिया और दोनो के नंगे जिस्म ज़मीन पर नागिन की तरह लहरा रहे थे...नितिन ने दोनो की टाँगों का इंडिया गेट बनाया और एक-2 करके उन दोनों की रसीली चूतों का मीठा अमृत पीने लगा...दोनो के अंदर ऐसी आग लग चुकी थी की जब भी नितिन का मुँह उनकी चूत पर आता तो बड़ी मुश्किल से वो उसे दूसरी तरफ जाने देती..आख़िर मज़ा ही इतना अधिक आ रहा था दोनो को...दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और अपनी-2 चूटें नितिन से चुस्वा रही थी...
आख़िर नितिन से सब्र नही हुआ और उसके लंड ने चूत की डिमांड करनी शुरू कर दी...
नितिन जानता था की काव्या नही चुदवायेगी ,इसलिए मन मारकर वो अपनी बहन श्वेता की टाँगों के बीच पहुँचा और जैसे ही उसकी चूत के अंदर लंड डालने लगा तो काव्या की सिसकारी भरी याचना उसे सुनाई दी..
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