Thursday, April 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--60

 FUN-MAZA-MASTI
 सौतेला बाप--60

अब आगे
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 ''नितिन.......................प्लीज़ .........पहले मुझे चोदो ...........''

काव्या के मुँह से ये शब्द सुनकर दोनो भाई-बहन चोंक गये....नितिन का लंड तो खुशी के मारे रो पड़ा...और श्वेता भी रहस्यमयी मुस्कान से उसे देखने लगी....और फिर धीरे से उससे बोली : "तो इसका मतलब तुम्हारा टारगेट पूरा हो गया....यानी तुमने कल अपने पापा से...''

नितिन वो सब नही सुन पा रहा था, पर श्वेता की बात सुनकर काव्या ने मंद-2 मुस्काते हुए हन मे सिर हिला दिया..और बोली : "हाँ , यही बात तो तुझे बतानी थी पागल ''

श्वेता : "ऊऊऊऊओ माय बिच .....तो तुमने कर दिखाया.........आई एम सो हैप्पी फॉर यू .....''

और फिर से दोनो सहेलियाँ एक गहरी स्मूच में डूब गयी..

और इसी बीच नितिन भी अपना पाला बदलकर काव्या की टाँगों के बीच आ पहुँचा...और अपने लंड को उसकी गर्म चूत के मुँह पर लगाकर धीरे से धक्का दिया और उसके लंड का टोपा अंदर घुस गया..

एक तो इतना मोटा लंड और उपर से सिर्फ़ एक दिन पहले चुदी हुई चूत , दर्द तो होना स्वाभाविक ही था...

श्वेता के मुँह मे अपने होंठ फँसे होने के बावजूद वो चिल्ला उठी ..

''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफ्फ़....... धीरे करो नितिन.....प्लीज़...........अहह''

पर नितिन को तो जैसे खजाना मिल गतहा, कच्ची चूत के अंदर लंड डालने के एहसास ने उसके जानवर को पूरी तरह से जिंदा कर दिया था और काव्या की याचना को नरंदाज करते हुए उसने अपने लंड का एक जोरदार झटका फिर से मारा और अगले ही पल वो पूरा का पूरा उसकी चूत के अंदर घुसता चला गया...


''आआआआआआआयययययययीीईईईईईईईईईईईईईई..........ओह मॅरररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् गयी ......''

काव्या को एक बार फिर कल वाली चुदाई का दर्द महसूस होने लगा..पर कल से तो कम ही था ये...और साथ ही साथ एक मसती भरी तरंग भी महसूस हो रही थी उसे..

और अपनी सहेली के दर्द को देखते हुए श्वेता ने अपने होंठों के मरहम को उसके चेहरे पर लगाना शुरू कर दिया...उसे चूमते-2 वो उसकी ब्रेस्ट तक पहुँच गयी...उन्हे बुरी तरह से चूस और फिर तोड़ा और नीचे खिसककर वो लंड और चूत के मिलन स्थल तक भी पहुँच गयी ताकि वहाँ चल रहे कार्यकरम का आँखो देखा हाल जान सके ..

और इतने करीब से अपने भाई के लंड को अपनी प्यारी सहेली की चूत में जाता हुआ देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी और भाव विभोर होकर उसने उन दोनों के मिलन स्थल को चूम लिया, जिसमे एक ही बार में नितिन को अपने लंड और काव्या को अपनी चूत पर श्वेता के गीले होंठ महसूस हुए.

और तभी नितिन ने धीरे से अपना लंड बाहर खींचा , जो काव्या की अंदरुनी दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ और श्वेता की जीभ को किस्स करता हुआ बाहर आया...और दोनो घोड़ियां उसकी थिरकन को महसूस करके हिनहीना उठी..

और फिर तो नितिन रुका ही नही, दे दना दन उसने जोरों के धक्के मारकर अपने लंड को काव्या की चूत के हर कोने तक पहुँचा दिया...और वो भी अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई उसके लंड को अपने अंदर जाता हुआ देखकर चिल्ला रही थी...

''अहह ऊओह येसस्स नितिन ................. उम्म्म्ममममममममममम सच में .............तुम काफ़ी जानदार हो .....ऐसे ही चोदो मुझे ............जोरों से.................... और ज़ोर से.................... अहह........ओफsssssssssss नितिन .....फककक मी हार्डर......''


 नितिन तो पहले से ही अपनी पूरी ताक़त से उसे चोद रहा था, ऐसा फरमान मिलते ही उसने अपनी रही सही ताक़त भी लगा दी....झटके इतने तेज आ रहे थे की श्वेता ने अपना चेहरा वहाँ से दूर कर लिया, की कहीं वो ना पीस जाए उनकी चक्की के बीच..

अचानक एक लंबा झटका मारने के बाद नितिन का लंड फिसलकर बाहर आ गया, श्वेता तो जैसे इसी मौके के इंतजार में थी, उसने झट से उसे पकड़ कर अपनी टाँगों की तरफ खींच लिया और खुद की चूत के अंदर घुसा लिया...

काव्या को भी साँस लेने का मौका मिल गया, कुछ देर बाद जब वो सामान्य हुई तो जो हाल नितिन ने उसका किया हुआ था वो अब अपनी बहन का कर रहा था..जानवर की तरह चुदाई कर रहा था वो बड़े ही रफ़ तरीके से..

श्वेता : "आआआआआहह ओह नितिन .......ये क्या हो गया है तुझे आज्ज......आआआआहह ....इतने वाइल्ड तरीके से .....अहह तो पहले कभी नही किया................अहह ....पर जो भी है ......मज़ा बहुत आ रहा है .....मेरे भाई ....................उ म्*म्म्ममममममममम ऐसे ही .....करता रह .........आहह...ज़ोर से ..........येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... और ज़ोर से .....''

काव्या भी तब तक पूरे होश में आ गयी थी और वो श्वेता के चेहरे पर सवार हो गयी और उसने अपना चेहरा नितिन की तरफ रखा , ताकि उसे भी चूम सके...और जैसे ही दोनो के होंठ आपस मे मिले, नितिन के झटको की स्पीड भी कम हो गयी, अब वो बड़े ही आराम -2 से, अपना पूरा लंड बाहर निकालता,फिर अंदर डालता, ऐसा करने में श्वेता को भी एक अलग एहसास मिल रहा था, जिसे वो काव्या की चूत को चूस्कर बाँट रही थी....


और ऐसे ही धीरे-2 झटके लेकर श्वेता की चूत से गर्म पानी बाहर निकलने लगा और वो बुरी तरह से झड़ती हुई चिल्ला पड़ी..

''आआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममम येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आई एम कमिंग....''

नितिन ने अपना लंड फ़ौरन बाहर निकाल लिया, और काव्या ने भी अपना प्यासा मुँह नीचे की तरफ करते हुए उसकी चूत पर लगाया और अंदर से आ रही सारी चाशनी चाट गयी...दोनो सहेलियाँ इस वक़्त 69 की मुद्रा में थी...और एक दूसरे की चूतें चाट रही थी.

नितिन खड़ा हुआ और घूमकर दूसरी तरफ चला गया, जहाँ उसकी बहन का सिर था और काव्या की चूत , जिसे श्वेता बड़े ही दिल लगा कर चूस रही थी..नितिन ने अपनी बहन के होंठों की परवाह ना करते हुए अपना भी लंड बीच में घुसा दिया और एक झटका देकर उसे काव्या की चूत में भी उतार दिया...झटका एकदम से लगा था,इसलिए श्वेता को अपने होंठ बाहर निकालने का मौका भी नही मिल पाया, बेचारी का ऊपर वाला होंठ अंदर ही फँसा रह गया, दोनो भाई बहन ने एक दूसरे को देखा और दोनो की हँसी निकल गयी...नितिन ने अपना पूरा लंड अंदर तक डाला और फिर जब वापिस खींचा तो श्वेता का वो होंठ उसकी गिरफ़्त से आज़ाद हुआ...


 और फिर नितिन ने अपने लंड के धक्के काव्या की चूत पर जोरों से दे मारे...और नीचे की तरफ़ लेटी हुई श्वेता उसकी चूत का बाहरी हिस्सा अपनी जीभ से चाट रही थी.....

काव्या भी झुकी हुई , श्वेता की चूत चुस्ती हुई , अपने मज़े को महसूस करती हुई , नितिन के लंड से चुदवा रही थी..

और फिर नितिन के लंड ने भी जवाब दे दिया, और उसने अपने लंड को जैसे ही बाहर खींचना चाहा, काव्या ने रोक दिया और बोली ''अंदर ही निकालो नितिन...अंदर ही निकालो.....मैने टेबलेट ली हुई है.....''

नितिन को और क्या चाहिए था, उसके तो मज़े हो गये , उसने उसके गोल मटोल कुल्हों पर हाथ रखकर जोरों से झटके मारे और अपनी मेहनत की एक-2 बूँद काव्या की नायाब चूत की गुल्लक में डाल दी...

और उसकी गुल्लक में भी वो मेहनत टिक नही पाई और बूँद-2 बनकर वो बाहर निकलने लगी, जिसे नीचे की तरफ लेटी हुई श्वेता ने अपनी जीभ पर ग्रहण कर लिया और फिर चूत के अंदर उंगलियाँ दे - देकर बाकी की बची हुई मलाई भी खुरच खाई...

और फिर नितिन भी वहीं गहरी साँसें लेता हुआ लेट गया...

तीनों के शरीर रंगे पड़े थे....इसलिए उसे भी सॉफ करना ज़रूरी था, और होली के बाद अगर एक दूसरे के शरीर को रगड़कर सॉफ किया जाए, तभी उसका असली मज़ा आता है, और यहाँ तो 2 नही बल्कि 3 जिस्म थे, ऐसे में मिलने वाला मज़ा भी ज़्यादा होने वाला था..

तीनो बाथरूम में गये और सभी ने मिलकर एक दूसरे के नंगे बदन को साबुन से रगड़ -2 कर धोया..

और धोते हुए जो किस्सेस और गुत्थम गुत्था चल रही थी वो भी देखते ही बनती थी..



 और उसके बाद फिर से एक और राउंड चला चुदाई का...इस बार बाथरूंम में ही....शावर के नीचे, टांगे उठा-2 कर...कभी श्वेता की चूत और कभी काव्या की...पर लंड एक ही था जो उनकी चूत की सेवा कर रहा था...नितिन का.

और वो सिलसिला बाथरूम से होता हुआ,बेडरूम तक गया और बेड पर भी भयंकर चुदाई हुई...



और अंत में फिर से एक बार तीनो झड़ने के बाद वहीं ढेर हो गये...

सिर्फ़ 2 घंटे मे उन्होने 2 बार चुदाई कर ली थी...और अभी भी पूरा दिन पड़ा था...

आज की होली को वो अच्छी तरह से सेलेब्रेट करना चाहते थे..

रंगो की होली तो हर कोई खेलता है

चूत और लंड से खेली गयी होली ही असली मज़ा देती है..

और आज होली के दिन ये तीनो इसी मज़े को लेते हुए पूरा दिन चुदाई करते रहे..



शाम होते-2 काव्या के बदन का पोर-2 दुख रहा था...कल और आज में ही उसने किसी मशीन की तरह चुदाई करके शायद अपने पिछले सभी दिनों की कमी पूरी करने का प्रण सा कर लिया था...लेकिन हर बार जब भी उसकी चूत के अंदर लंड जाता तो वो एहसास उसे किसी और ही दुनिया में ले जाता...अब वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी की क्यों चुदाई को दुनिया में सबसे अच्छे एहसास का दर्जा दिया गया है...

उसका तो मन कर रहा था की वो बस दिन रात ऐसे ही चुदाई कराती रहे..पर शाम हो चुकी थी और श्वेता के मम्मी - पापा भी आने वाले थे...नितिन का लंड भी थक चुका था पर काव्या की तरह उसका मन अभी तक नही भरा था..आख़िरकार ना चाहते हुए भी 6 बजे के आस पास उसने अपने कपड़े पहने और वापिस चल दी..

रास्ते भर वो बस आज की चुदाई के बारे में सोचकर मुस्कुराती रही ....आज घर जाकर वो अपने समीर पापा से कैसे चुदाई करवाएगी,बस यही सोचे जा रही थी..

वो ये सोचती हुई गाड़ी चलाती हुई जा ही रही थी की अचानक उसकी कार के सामने एक आदमी आ गया और उसने अपनी पूरी ताक़त से ब्रेक मार दी..और गनीमत ये रही की वो आदमी उसकी कार से टकराया नही..

होली की वजह से सड़क पर कोई नही था..वो झट से बाहर निकली , ये देखने के लिए की कहीं उसे कोई चोट तो नही आई..

वो आदमी होली के रंगो से रंगा हुआ था और गाड़ी के अचानक सामने आने के कारण वो अपना बेलेंस नही संभाल पाया और नीचे गिर गया..और वहीं लेट गया..जब काव्या उसके पास पहुँची तो उसे पता चला की वो तो शराब के नशे मे धुत्त था..

उसकी उम्र करीब 35 के आस पास थी..और टी शर्ट और पेंट पहनी हुई थी उसने..ज़्यादा शराब पीने की वजा से वो बड़बदाए जेया रहा था...पर उसकी बात काव्या को समझ नही आ रही थी..

काव्या ने उसे उठाकर किनारे की तरफ ले जाना चाहा पर वो धुत्त होकर सड़क पर पड़ा हुआ था...उसने आस पास नज़र दौड़ाई ,पर दूर-2 तक उसे कोई दिखाई ही नही दिया जिसे वो मदद के लिए बुला सके..अब ऐसे बीच सड़क पर उसे छोड़कर भी नही जा सकती थी वो,नही तो कोई और गाड़ी आकर उसे कुचल देती...उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे बिठाया और फिर उसके पीछे जाकर कंधों के नीचे हाथ डालकर उसे उपर उठाने की कोशिश करने लगी...और ऐसा करते हुए उसके बूब्स उसके कंधों से बुरी तरह से रगड़ खा रहे थे...अगर वो इस वक़्त होश में होता तो उसे पता चलता की वो किस एहसास को मिस कर रहा है...क्योंकि नशे की हालत में उसे ये पता भी नही चल रहा था की काव्या जैसी जवान और हॉट लड़की उसे इस वक़्त उठाने की कोशिश कर रही है..और ऐसा करते हुए उसके नर्म बूब्स उसकी मसाज कर रहे है...

और तभी आगे की तरफ झुकी हुई काव्या की नज़र उसकी पेंट के उभार पर पड़ी,उसकी पेंट की जीप खुली हुई थी जिसमें से उसका काला लंड साफ़ दिखाई दे रहा था..बेशक इस वक़्त वो सोया हुआ था पर उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता था.

और लंड देखते ही उसकी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गयी...उसने ग़ोर से उस आदमी को देखा जो अभी तक नशे की हालत में बड़बड़ा रहा था..पर उठने मे बिल्कुल नाकाम था..अब बीच सड़क पर वो ऐसी मुसीबत में फँस जाएगी, ये उसने सोचा नही था...उपर से उसके लंड की झलक मिलने के बाद से उसके दिमाग़ में पता नही क्या-2 ख़याल आ रहे थे...उसका तो मन कर रहा था की यही के यहीं उसकी पेंट खोले और नंगी होकर उसके लंड को निगल जाए चूत के थ्रू ...

पर वहां ऐसा करना पोस्सिबल नही था..और वैसे भी वो नशे में धुत्त सा होकर पड़ा हुआ था..

उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ नीचे किया और उसके लंड वाले हिस्से पर लगा कर ज़ोर से दबोच लिया...उसे ऐसा लगा की कोई सोया हुआ साँप हाथ में ले लिया है उसने..उसके हाथ लगते ही थोड़ी बहुत हलचल ज़रूर हुई उसके लंड पर लेकिन उसका असर उस आदमी पर बिल्कुल नही पड़ा, वो अभी तक अपनी आँखे खोल नही पा रहा था..

और तभी दूर से आती हुई एक कार दिखाई दी उसे...और अगले ही पल उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, वो भागकर बीच सड़क पर आई और उस कार को रुकने का इशारा करने लगी..

कार उसके करीब आकर रुकी, उसमे 2 आदमी और 2 औरतें बैठी हुई थी, जो शायद कहीं से होली खेलकर वापिस जा रहे थे, उनके शरीर भी बुरी तरह से रंगे हुए थे.

काव्या ने उन्हे बताया की एक आदमी सड़क पर पड़ा है और उसे देखकर उसने कार रोकी थी,और उसे हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी है,क्योंकि उसकी हालत ठीक नही लग रही ..और काव्या ने उन लोगो से कहा की अगर वो उसे उठाकर उसकी कार में बिठा दे तो वो उसे हॉस्पिटल ले जाएगी..

एक लड़की को ऐसे अंजान इंसान की मदद करते देखकर वो लोग भी काफ़ी खुश हुए, और उन्होने खुशी-2 उस आदमी को उठाकर काव्या की कार की पिछली सीट पर डाल दिया..और वो चले गये...काव्या ने भी कार स्टार्ट की और आगे चल दी.

अब उसका दिमाग़ बड़ी तेज़ी से काम कर रहा था...जो वो करने जा रही थी उसमे रिस्क तो काफ़ी था पर उसमे मिलने वाले मज़े को सोचकर उसकी चूत अभी से कुलबुला रही थी..

अंधेरा होना शुरू हो गया था...वो कार को लेकर अपने पुराने स्कूल की तरफ चल दी,जिसके पीछे का हिस्सा काफ़ी सुनसान सा था,और वो अच्छी तरह से जानती थी की शाम के बाद उस तरफ कोई नही जाता,और आज तो वैसे भी होली का दिन था..आधे से ज़्यादा शहर इस वक़्त होली की थकान उतार रहा होगा..या टल्ली होकर घरों में पड़ा होगा..

वहाँ पहुँचकर उसने कार रोक दी..और बाहर निकल आई.

ठंडी-2 हवा चल रही थी..

उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...एक अंजान आदमी को लेकर वो ऐसे सुनसान सी जगह पर आ तो गयी थी पर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी...उसके अंदर से आवाज आ रही थी 'एक अच्छे घराने की लड़की भला ऐसी हरकत करती है क्या..और उसके पास लण्डों कमी है जो वो इस तरह से सड़क पर चल रहे नशे में धुत्त इंसान को उठाकर यहाँ ले आई,उससे मज़े लेने के लिए..'


पर दिमाग़ मे चल रही इन दलीलों के उपर उस आदमी के सोए हुए लंड की तस्वीरें हावी हो रही थी..उसके दिमाग़ के कोने में बैठी शरारती लड़की बोल पड़ी 'देखा जाएगा जो होगा,ऐसे एडवेंचर का भी लुत्फ़ उठना चाहिए कभी-2...'

और उसने आगे बढ़कर पीछे का दरवाजा खोल दिया..वो आदमी नशे की हालत में होने की वजह से सीट पर लुडक गया था..काव्या ने उसके पैर खींचकर सीट के उपर फेलाए और उसे पिछली सीट पर लंबा करके लिटा दिया...और अब उसकी टांगे काव्या की तरफ थी...और काव्या की नज़रें उसके लंड वाले हिस्से पर..

काव्या अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसकी टाँगो के बीच में आई और धीरे-2 अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया..और पिछली बार की तरह इस बार भी उसके लंड ने हिल कर उसे अपना एहसास करवाया..

उसकी चैन तो खुली हुई थी,काव्या ने अपना दाँया हाथ उसके अंदर डाल दिया और अपने हाथों में उसके नंगे लंड को पकड़ लिया...वो एकदम गर्म था..और काफ़ी मोटा भी..

काव्या ने उसे धीरे से खींच कर बाहर निकाल लिया...और उसे सहलाने लगी...नरम सा होने की वजह से वो इधर-उधर गिर रहा था पर धीरे-2 उसमे कसाव आने लगा ....और एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से खड़ा भी हो गया...

और उसके विकराल रूप को देखते ही काव्या से रहा नही गया और वो हुंकारती हुई सी नीचे झुकी और अपनी गहरी साँसे उसके करीब आकर छोड़ने लगी...वो गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसके लंड पर झुकी हुई थी, ऐसे में अगर कोई पीछे से आकर उसकी चूत में अपना लंड डाले दे तो बिल्कुल पर्फेक्ट पोज़िशन में चुद जाती, और चुदासी तो उसपर ऐसी चढ़ी हुई थी की पीछे मुड़कर भी ना देखती की कौन पैल रहा है उसे

उस आदमी के लंड वाले हिस्से से अजीब सी गंध आ रही थी...शायद पसीने और पेशाब की मिली जुली. पर इस वक़्त वो गंध भी काव्या को उकसा रही थी...और उसने अपना मुँह खोलकर अपनी थरथराती हुई जीभ उसके लंड से लगाई और उसे किसी कुल्फी की तरह चाटना शुरू कर दिया..

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