FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..10
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अब आगे
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रात को पूजा जब अपने कमरे में पहुँची तो रिया पहले से ही उसके बेड पर आ चुकी थी...उसने सिल्क की स्ट्रेप वाली शमीज़ और उसी कपड़े की छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी...बिल्कुल बेबी डॉल लग रही थी वो उसमे...और बड़ी ही सेक्सी...
पूजा ने उसे देखकर सोचा 'ऐसे मे अगर जीजू ने इसको देख लिया तो अभी इसके साथ सुहागरात मना डालेंगे...'
और अपनी बात पर उसे खुद ही हँसी आ गयी...ये सोचकर भी की कैसे अब हर बात में वो जीजू के बारे में सोचने लगी है..
उसे ऐसे दरवाजे पर खड़ा हुआ मुस्कुराता हुआ देखकर रिया बोली : "अरे दीदी...क्या हुआ...आप वहां खड़े हुए क्या सोचकर मुस्कुरा रहे हो...आओ ना यहाँ पर जल्दी...''
उसे शायद अपनी ट्रैनिंग स्टार्ट करने की जल्दी थी.
पूजा ने वही शाम वाली टी शर्ट और जीन्स पहना हुआ था...अब उसके पास रिया जैसी कोई सेक्सी नाइट ड्रेस तो थी नही..पर फिर भी वो अपने आप को उससे कम नही दिखाना चाहती थी...इसलिए अंदर आते ही पूजा ने दरवाजा बंद किया और शीशे के सामने खड़े होकर कुछ देर तक अपना फिगर देखती रही और फिर एक ही झटके मे अपनी टी शर्ट उतार कर साइड में रख दी ..और अब वो सिर्फ़ एक ब्रा में खड़ी थी शीशे के सामने...
दूर बैठी रिया उसे ऐसे करता देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि पूजा तो खुद ही उसे ढंग से रहने के और कपड़े सही से पहनने के तरीके बताती थी...ऐसे में वो खुद ही उसके सामने सिर्फ ब्रा में खड़ी होकर शीशे में अपना फिगर देखकर इतरा रही थी,ये थोड़ा अजीब सा लगा उसे...पर वो उस झटके से उबर भी नही पाई थी की एक और झटका देते हुए पूजा ने अपनी जीन्स भी उतार दी...और अब वो मेचिंग पेंटी में खड़ी थी उसके सामने...पीछे बैठी हुई रिया तो उसकी भरी हुई गांड देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि ऐसी गांड तो वो खुद की ही चाहती थी...इतनी भरी हुई सी और गूदेदार ....
पूजा भी धड़कते दिल से शायद पहली बार ये सब कर रही थी...उसने आज तक ये काम अकेले में नही किए थे जो वो इतनी निडरता के साथ रिया के सामने कर रही थी...
फिर वो अपनी अलमारी की तरफ गयी और उसमे से झुककर कुछ ढूँढने लगी...और फिर काफ़ी देर बाद उसे वो मिल ही गया जो तलाश कर रही थी वो...वो एक रेपरोन था..जो बिल्कुल झीने कपड़े का बना हुआ था...उसने वो पहना और ऐसे ही चलती हुई बेड तक आ गयी...और सच में अब वो रिया से भी सेक्सी लग रही थी..
रिया : "दीदी ....ये क्या हो गया है आपको...मैने तो आज तक आपको ऐसे कपड़ो में नही देखा...और आपने अभी उपर भी कुछ नही पहना..यानी ...सिर्फ़ ब्रा ही तो है...''
पूजा : "देख गुड़िया....तुझे अब मेरे साथ रोज सोना है तो तू ये बात जान ले, मैं ऐसे ही सोती हू...बिना टॉप के....और कभी-2 तो टॉपलेस होकर भी....''
वो मुस्कुराती हुई बोली ...
रिया तो उसकी ये बात सुनकर वो इमेजिन ही करने लगी की पूजा नंगी सी होकर सो रही है इस बेड पर...
पूजा : "पर इसका मतलब ये नही है की मैं बाहर भी ऐसी हू...तू तो जानती है, मैं बाहर काफ़ी संभलकर रहती हू...और कपड़े भी ढंग के ही पहनती हू...ताकि कोई अपनी गंदी नज़रों से मुझे ना चोद सके...''
उसने ''चोद'' शब्द का इस्तेमाल बड़ी आसानी से रिया के सामने कर दिया..
रिया (मुंह गोल करते हुए) : "चोद सके ???? कोई भला नज़रों से कोई कैसे चोद सकता है दीदी ??''
पूजा : "तू सच में बड़ी भोली है मेरी प्यारी बहना...इसलिए तो मैने तुझे अपने साथ सुलाने का फ़ैसला किया है ...अब से तू हमेशा मेरे साथ रहा कर...और जैसा मैं समझाऊ ,वो समझकर ही चला कर...''
उसकी बात सुनकर थोड़ी देर तक तो वो कुछ सोचती रही और फिर एकदम से उसने भी अपनी वो सेक्सी सी शमीज़ उतार कर साइड में फेंक दी...और अंदर तो उसने जो ब्रा पहनी हुई थी वो और भी ज़्यादा सेक्सी थी...जिसमे फंसी हुई उसकी नर्म मुलायम छातियाँ बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..
पूजा : "अरे...ये क्या कर रही है पगली ???''
रिया : "अरे दीदी...आपने ही तो कहा ना अभी...जैसा आप कहेंगी ,वो समझा करू....तो आप जब बिना टॉप के हैं तो मैं भला क्यों ऐसे रहु....''
बेचारी पूजा अपनी ही बात में खुद फँस गयी थी..
खैर, पूजा ने नाइट बल्ब जलाया और बेड पर आ गयी...
और शाम को हुई जीजू के सामने वाली बात छेड़ दी...जिसमे वो ठरकी का मतलब जानने की कोशिश कर रही थी..
और अब पूजा ने उसे विस्तार से बताया की असल में ठरकी किसे कहते हैं
पूजा : "देख रिया...वैसे तो हर आदमी में ठरक होती है...इन्फेक्ट लड़कियों में भी, पर वो ज़्यादा दिखाती नही है...आदमी के सामने कोई भी जवान लड़की या औरत आती है तो वो उसे ऐसी नज़रों से देखता है जैसे वो वही उसका रेप कर देगा...वैसे तो उनका ऐसा देखना ग़लत होता है पर कई लड़किया इसे भी एंजाय करती है...और मैं नही चाहती की तू भी उनमे से हो...हम लड़कियों को थोड़ी अकड़ में रहना पड़ता है, ताकि ऐसे लड़के हमारे आगे पीछे घूमे,नही तो हमारी वैल्यू कुछ भी नही रहेगी...''
रिया तो उसकी बातें ऐसे सुन रही थी जैसे कोई प्रवचन चल रहा हो...वो सुनती रही और फिर लास्ट मे बोली : "पर दीदी...आपने जैसा कहा की ये ठरक हमारे अंदर भी होती है...तो हमेशा ऐसा क्यो होता है की लड़के ही वो सब मज़ा ले, हमे भी तो हक है अपने अंदर की भावनाओ को व्यक्त करने का...आई मीन जो काम वो कर सकते हैं वही काम हम करे तो इसमे भला क्या ग़लत है...''
धाक के तीन पात...इतनी देर से जो बात पूजा उसको समझाने की कोशिश कर रही थी,वो उससे उल्टा ही सोच रही थी अब तक....
फिर उसने रिया को उसके हिसाब से समझना : "देख रिया, कभी-2 तो चलता है पर हमेशा अपनी भावनाए व्यक्त नही करनी चाहिए...जैसा की अभी हम दोनो अपने कमरे में बिना टॉप के सो रही है, पर बाहर जाने के लिए तो हमे कुछ पहनना ही होगा ना, ऐसे ही आपस में तो हम भले ही कुछ भी कर ले या बोल ले, पर बाहर की दुनिया को हमे अपना दूसरा रूप ही दिखाना होता है...''
रिया कुछ नही बोली...वो उसकी भारी भरकम बातों के जाल से बचना चाहती थी...इसलिए उसने बात ही बदल दी, वो बोली : "चलो छोड़ो दीदी ये सब बातें....मैं बाहर तो रह लूँगी आपके हिसाब से, पर आप तो मुझे जीजू के सामने भी ऐसी बातें करने से रोक रही थी...वो तो अपने ही है ना...मेरा इतना ध्यान भी रखते हैं...उनसे भला क्या प्राब्लम.."
अब भला पूजा उसे सॉफ-2 कैसे कहती की वही तो दुनिया का सबसे बड़ा ठरकी है जिससे बचने के लिए वो ये सब भाषण दे रही है...पर वो बोल नही पाई...अपने ही जीजू को वो बदनाम भी नही करना चाहती थी..और वो भी रिया के सामने,जिसे इतनी भी समझ नही है की कोई बात सुनकर उसे अपने तक ही रख ले, क्या पता कल जाकर वो प्राची दीदी को ही ये सब बक दे की पूजा उनके पति के बारे में कैसी-2 पट्टियां पड़ा रही है उसे...
आज पहला दिन था वैसे भी, इसलिए उसे और समझाकर वो रिया पर भी ज़्यादा बोझ नही डालना चाहती थी...इसलिए बस मुस्कुरा कर रह गयी
और थोड़ी देर और इधर-2 की बातें करने के बाद वो सो गये...कल कुछ और सीखने की बात करके...
और रिया तो अगले दिन अपने जीजू के साथ बाहर जाने की बात पर बड़ी एक्ससाइटेड थी...और उसने सोच भी लिया था की अब अपनी किसी भी बेवकूफी से वो अपने प्यारे जीजू को नाराज़ नही करेगी..
दूसरी तरफ अजय अपने ख़ास दोस्त अनिल के घर पर बैठा हुआ दारू पी रहा था...उसकी बीबी अंजलि भी उनके साथ बैठकर वोड्का पी रही थी...और घर पर प्राची उसका वैट कर रही थी...काफ़ी देर हो चुकी थी..उसने फोन भी किया अजय को पर अपना गुस्सा दिखाने के लिए उसने फोन उठाया ही नही...
अनिल : "आज लगता है जबरदस्त लड़ाई हुई है दोनो में ...भाभी का फोन भी नही उठा रहा तू तो...''
अजय (ग्लास में सिप लेते हुए) : "अरे नही यार...ऐसा कुछ नही है...''
तभी फोन फिर बजने लगा तो अंजलि ने फोन ले लिया और बोली : "ये ग़लत बात है अजय, तुम्हे प्राची को बोल तो देना चाहिए की तुम हमारे यहाँ हो, रूको मैं ही बोल देती हू...''
पर वो जब तक फोन उठा पाती वो बजना ही बंद हो गया...
उधर प्राची समझ गयी की वो कुछ ज़्यादा ही गुस्सा है आज...पर वो भी इतनी आसानी से हार मानने वाली नही थी....उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया और वो तुरंत अपने बेडरूम में गयी और अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी...और फिर उसने अपना आई-लाइनर उठाया और अपने मुम्मों के बीच लिखा "अजय की प्राची''
और एक लकीर नीचे की तरफ खींचकर अपनी चूत के उपर एक तीर का निशान बनाया और चूत के ठीक उपर लिखा ''प्राची की चूत ,अजय के लिए...उसके इंतजार में ...''
और फिर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने फोन से उसने अपनी छातियों की और अपनी चूत वाले हिस्से की 3-4 पिक्स लेकर उसे उसने व्हाट्स-अप से अजय को भेज दिया..
अजय तो अनिल के साथ गप्पे मारने में लगा था, और उसका मोबाइल अभी तक अंजलि की गोद में ही पड़ा था..मेसेज की बेल बजते ही अंजलि ने उसे देखा और वट्स-अप खोल कर देखा..और जब उसे दिखा की क्या आया है तो उसके चेहरे पर शरारत दौड़ गयी....वो भी कई बार प्राची से मिल चुकी थी पर वो ये नही जानती थी की वो इतनी नॉटी भी हो सकती है...
अंजलि ने अजय को कई बार अपनी छातियों की तरफ घूरते हुए देखा था...इसलिए थोड़ा बहुत फ्लर्ट वो भी कर ही लेती थी उसके साथ...
और तभी अनिल उठकर बाथरूम में चला गया...अजय ने अंजलि की तरफ देखा जो उसके मोबाइल मे कुछ देखकर बड़े ही अजीब ढंग से मुस्कुरा रही थी...अजय को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर अंजलि बोली : "आज तो तुम्हारी खैर नही अजय...घर पर प्राची तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही है...''
इतना कहकर उसने मोबाइल को ऐसे ही अजय के हाथ में दे दिया...और उसमे आई पिक्स को देखकर अजय का नशा भी एकदम से उतर सा गया....उसने तो एक्सपेक्ट भी नही किया था की प्राची ऐसी हरकत कर सकती है...उसे बुरा तो नही लगा पर अंजलि ने वो सब देख लिया इसलिए एम्बेरेस ज़रूर फील कर रहा था वो..
अंजलि : "आई एम सॉरी अजय....मोबाइल मेरे हाथ में ही था,इसलिए देखे बिना रह नही सकी...''
और इतना कहकर वो फिर से मुस्कुरा दी...
और वो जिस तरह से मुस्कुरा रही थी,अजय को उसमे अपने लिए स्कोप बनता दिख रहा था...
वैसे तो उसे अंजलि शुरू से ही पसंद थी, ख़ासकर उसके मोटे मुममे, पर खुलकर वो उसे कभी बोल नही पाता था...आख़िर जिगरी दोस्त की बीबी जो थी..पर आज उसे थोड़ा बहुत फ्लर्ट करने में कोई दिक्कत आती हुई दिख नही रही थी,क्योंकि शुरुवात तो अंजलि ने ही की थी..
अजय : "अब तो सच में रुका नही जा रहा भाभी...जल्दी घर जाना पड़ेगा...''
और ऐसा कहने के साथ ही उसने जिस बेशर्मी से वो बात बोली थी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड को थोड़ा सा एडजस्ट किया...जिसे अंजलि ने सॉफ-2 देखा..
वो मुस्कुराती हुई बोली : "ह्म्*म्म्म...सही है...मज़े है तुम लोगो के...''
अजय : "क्यो, आपके मज़े नही है क्या...आजकल अनिल आपकी सेवा नही करता सही से...''
अंजलि ने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और धीरे से बोली : "हमारी शादी को 6 साल हो चुके है..और तुम्हारी अभी-2 हुई है...फ़र्क तो पड़ता है ना...''
अजय : "आप जैसी बीबी हो तो 20 साल बाद भी सेवा करने का मन करता रहे...''
अंजलि (मुस्कुराती हुई) : "ये बात तुम अपने दोस्त को समझाओ अजय....जिसे ऐसा लगता है की एक बच्चा होने के बाद मैं पहले जैसी कड़क नही रही...''
अजय : "मुझे तो आप अभी भी वैसी ही लगती हो...'' अजय ने उसकी मोटी-2 छातियों की तरफ घूरते हुए कहा..
अंजलि : "कैसी ???"
अजय : "कड़क !!!!!!!!.....''
अंजलि ये सुनकर मुस्कुरा दी...और तभी अनिल वापिस आ गया...अजय ने भी जल्दी से पेग ख़त्म किया और जाने की तैयारी करने लगा...
अनिल : "अरे यार, अभी तो मज़ा आने लगा था...और तू जा रहा है...लगता है प्राची का कोई मैसेज आया है...''
अंजलि (हंसते हुए) : "हाँ , और ऐसा मेसेज आया है की अब अजय से रुका ही नही जा रहा ....''
अजय धीरे से अंजलि के करीब आया और उसके कान के पास बोला : "ऐसा मैसेज आप भी भेजकर देखना...अनिल से भी रुका नही जाएगा....''
और उसके बाद जो अंजलि ने कहा उसे सुनकर तो अजय को अपने कानो पर विश्वास ही नही हुआ, वो भी उसी टोन में धीरे से बोली : "और अगर तुम्हे भेजू तो....''
अजय बेचारा कुछ बोल ही नही पाया वो सुनकर...बस अपनी गोल-२ आँखों से अंजलि के सेक्सी से चेहरे को देखता रह गया, जो ऐसा बोलकर बड़े ही जालिम तरीके से मुस्कुरा रही थी,
और जब कुछ देर बाद अजय बोलने ही वाला था कुछ तब तक अनिल बोल पड़ा था बीच में : "ये क्या ख़ुसर फुसर हो रही है तुम दोनो में ...?''
अंजलि : "ये हमारे देवर भाभी की बात है कुछ...आप क्यो जल रहे हो हमे देखकर...''
अनिल बेचारा खिसियानी हँसी हँसता हुआ कुछ ना बोल पाया...और अजय उसकी नशीली आँखो मे देखता हुआ दरवाजे की तरफ जाने लगा...ये सोचता हुआ की जो भी अंजलि भाभी ने कहा, क्या वो सच था...
पर अभी तो उसके दिमाग़ में सिर्फ़ और सिर्फ़ प्राची का वो नंगा शरीर घूम रहा था, जिसपर उसने अजय के नाम की मोहर लगाकर उसे भेजा था....अब वो जल्द से जल्द घर जाकर उसकी बुरी तरह से बजा देना चाहता था..
और प्राची भी बड़ी बेसब्री से अजय का वेट कर रही थी...क्योंकि वो जानती थी की उसकी ये पिक देखकर उससे रुका नही जाएगा..वो अपने फ्लैट के दरवाजे के बाहर सीडियो में बैठी हुई थी
और उसने बड़ा ही सेक्सी सा रेड कलर का गाउन पहना हुआ था,जिसके गले से उसकी भरी हुई छातियाँ बड़ी सेक्सी लग रही थी, उसने तो नीचे ब्रा-पेंटी भी नहीं पहनी हुई थी, ये सोचकर की अजय के घर पहुँचते ही उसपर टूट ही पड़ेगी ,इसलिए ऐसे सेक्सी कपड़ो में वो घर के बाहर बैठी हुई उसका वेट कर रही थी
आज तो अजय की खैर नहीं
रात के 11 बज चुके थे, और प्राची बड़ी ही बेसब्री से अजय का वेट कर रही थी
तभी उसे सीडियो पर किसी के उपर आने की आवाज़ सुनाई दी...वो समझ गयी की अजय आ गया है...वो धड़कते दिल से उसके उपर आने का वेट करने लगी..अब कपड़े ही उसने इतने सेक्सी पहने हुए थे की उसे खुद ही शर्म आ रही थी...आज से पहले उसने ये ड्रेस बिना ब्रा के पहनी ही नही थी..क्योंकि इस गाउन मे आधी से ज़्यादा ब्रा भी बाहर निकली हुई दिखाई देती थी..और ब्रा के ना पहनने की वजह से अब उसके भरे हुए बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर दिख रहे थे...गाउन का कपड़ा भी जाली वाला था, जिसमे से उसके ब्राउन कलर के निप्पल वाली जगह ऐसी लग रही थी मानो 1 रुपय के सिक्के चिपका रखे हो...
वो धड़कते दिल से अजय के उपर आने का वेट करने लगी...और उसने आँखे बंद कर ली क्योंकि वो ऐसी हालत में अजय से आँखे मिलाना नही चाहती थी.
और कुछ ही देर मे वो कदम उसके करीब आकर रुके और उसे आवाज़ सुनाई दी : "अरे....दीदी....आप बाहर क्यो बैठी है ऐसे....और ये क्या पहना हुआ है आपने ??''
ये आवाज़ सुनते ही प्राची ने झट से आँखे खोल दी...और वो भोचक्की रह गयी रिया को अपने सामने खड़ा देखकर.
प्राची : "रिया ???????? तू....और इस वक़्त.....!!!!!!!!!!!!!!!''
पर तभी उसे अपनी हालत का ख़याल आया और वो झट से उठ खड़ी हुई ताकि वो उसकी गहरी घाटी के उभार ना देख सके...
रिया अभी तक अपनी आँखे फाड़े उसके बदन को निहार रही थी..
प्राची ने अपने आप को संभाला और दरवाजा खोलकर अंदर आ गयी ...उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था रिया पर की वो इस वक़्त यहाँ करने क्या आई है..पर कुछ बोल नही पाई बेचारी..
वो रिया की तरफ पलटी और अपने गुस्से को दबाते हुए बोली : "क्या हुआ रिया, सब ठीक तो है ना...इस वक़्त तू क्या करने आई है...''
रिया को भी थोड़ा अजीब सा लगा प्राची का ये व्यवहार...वो तो यही समझ रही थी की उसके लिए दोनो घर एक जैसे ही है,जहाँ वो कभी भी आ-जा सकती है...
रिया : "वो...वो... दीदी....नींद नही आ रही थी...पूजा भी सो चुकी है...मैं तो बस बालकनी में आई तो देखा जीजू की गाड़ी अभी तक नही आई है...और उपर आपके फ्लोर की लाइट भी जल रही थी...तो मैने सोचा की आपके पास आकर बैठ जाऊ ..कहीं आपको डर ना लग रहा हो...''
उसकी बात सुनकर प्राची का दिल पसीज गया....रिया बेचारी तो अपनी नादानी के आवेश में आकर उसके घर तक आ गयी...और वो बिना कुछ सोचे समझे ही उसपर गुस्सा उतार रही थी..
वो मुस्कुराइ और उसके करीब आई..और बड़े प्यार से उसके चेहरे पर हाथ फेरती हुई बोली : "ओहो....थॅंक्स फॉर युवर क्न्सर्न रिया...मैने तुझे बेकार में ही डांट दिया...दरअसल शाम से ही मेरा मूड खराब था..शायद इसलिए...''
रिया : "मैं जानती हू दीदी, मेरी वजह से ही आपका मूड खराब हुआ है...जीजू आए थे शाम को ,वो बता रहे थे पूजा दीदी को...''
उसकी बात सुनकर प्राची की आँखे फैल गयी वो बोली : "अच्छा , क्या बोल रहे थे तेरे जीजू....''
रिया भी बड़े ही भोलेपन से शाम की बातों को अपनी दीदी के आगे दोहराने लगी...जिसे सुनकर प्राची को तो विश्वास ही नही हुआ की अजय ने वो सब पूजा और रिया के सामने बोला होगा...क्योंकि ऐसी बातें किसी और के सामने बोलने का मतलब ही नही बनता...रिया तो भोली है पर पूजा तो समझदार है ना, वो तो समझ गयी होगी की उनके घर में क्या चल रहा है...उसे सच मे अपने आप पर बड़ा गुस्सा आ रहा था इस वक़्त...और अजय पर भी,जिसने वो सब अपनी सालियों के सामने जाकर बोल दिया था.
पर इससे एक बात तो सॉफ हो चुकी थी, अजय काफ़ी गुस्से में था इसलिए शायद उसने गुस्से में आकर उसकी ये बात पूजा और रिया के सामने बोल दी...प्राची अपने शाम वाले व्यवहार पर अब पछता रही थी...
वो ये सोचने में लगी थी और रिया उसके संगमरमरी बदन को निहारने में ...
ठरकी की लाइफ में ..10
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रात को पूजा जब अपने कमरे में पहुँची तो रिया पहले से ही उसके बेड पर आ चुकी थी...उसने सिल्क की स्ट्रेप वाली शमीज़ और उसी कपड़े की छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी...बिल्कुल बेबी डॉल लग रही थी वो उसमे...और बड़ी ही सेक्सी...
पूजा ने उसे देखकर सोचा 'ऐसे मे अगर जीजू ने इसको देख लिया तो अभी इसके साथ सुहागरात मना डालेंगे...'
और अपनी बात पर उसे खुद ही हँसी आ गयी...ये सोचकर भी की कैसे अब हर बात में वो जीजू के बारे में सोचने लगी है..
उसे ऐसे दरवाजे पर खड़ा हुआ मुस्कुराता हुआ देखकर रिया बोली : "अरे दीदी...क्या हुआ...आप वहां खड़े हुए क्या सोचकर मुस्कुरा रहे हो...आओ ना यहाँ पर जल्दी...''
उसे शायद अपनी ट्रैनिंग स्टार्ट करने की जल्दी थी.
पूजा ने वही शाम वाली टी शर्ट और जीन्स पहना हुआ था...अब उसके पास रिया जैसी कोई सेक्सी नाइट ड्रेस तो थी नही..पर फिर भी वो अपने आप को उससे कम नही दिखाना चाहती थी...इसलिए अंदर आते ही पूजा ने दरवाजा बंद किया और शीशे के सामने खड़े होकर कुछ देर तक अपना फिगर देखती रही और फिर एक ही झटके मे अपनी टी शर्ट उतार कर साइड में रख दी ..और अब वो सिर्फ़ एक ब्रा में खड़ी थी शीशे के सामने...
दूर बैठी रिया उसे ऐसे करता देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि पूजा तो खुद ही उसे ढंग से रहने के और कपड़े सही से पहनने के तरीके बताती थी...ऐसे में वो खुद ही उसके सामने सिर्फ ब्रा में खड़ी होकर शीशे में अपना फिगर देखकर इतरा रही थी,ये थोड़ा अजीब सा लगा उसे...पर वो उस झटके से उबर भी नही पाई थी की एक और झटका देते हुए पूजा ने अपनी जीन्स भी उतार दी...और अब वो मेचिंग पेंटी में खड़ी थी उसके सामने...पीछे बैठी हुई रिया तो उसकी भरी हुई गांड देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि ऐसी गांड तो वो खुद की ही चाहती थी...इतनी भरी हुई सी और गूदेदार ....
पूजा भी धड़कते दिल से शायद पहली बार ये सब कर रही थी...उसने आज तक ये काम अकेले में नही किए थे जो वो इतनी निडरता के साथ रिया के सामने कर रही थी...
फिर वो अपनी अलमारी की तरफ गयी और उसमे से झुककर कुछ ढूँढने लगी...और फिर काफ़ी देर बाद उसे वो मिल ही गया जो तलाश कर रही थी वो...वो एक रेपरोन था..जो बिल्कुल झीने कपड़े का बना हुआ था...उसने वो पहना और ऐसे ही चलती हुई बेड तक आ गयी...और सच में अब वो रिया से भी सेक्सी लग रही थी..
रिया : "दीदी ....ये क्या हो गया है आपको...मैने तो आज तक आपको ऐसे कपड़ो में नही देखा...और आपने अभी उपर भी कुछ नही पहना..यानी ...सिर्फ़ ब्रा ही तो है...''
पूजा : "देख गुड़िया....तुझे अब मेरे साथ रोज सोना है तो तू ये बात जान ले, मैं ऐसे ही सोती हू...बिना टॉप के....और कभी-2 तो टॉपलेस होकर भी....''
वो मुस्कुराती हुई बोली ...
रिया तो उसकी ये बात सुनकर वो इमेजिन ही करने लगी की पूजा नंगी सी होकर सो रही है इस बेड पर...
पूजा : "पर इसका मतलब ये नही है की मैं बाहर भी ऐसी हू...तू तो जानती है, मैं बाहर काफ़ी संभलकर रहती हू...और कपड़े भी ढंग के ही पहनती हू...ताकि कोई अपनी गंदी नज़रों से मुझे ना चोद सके...''
उसने ''चोद'' शब्द का इस्तेमाल बड़ी आसानी से रिया के सामने कर दिया..
रिया (मुंह गोल करते हुए) : "चोद सके ???? कोई भला नज़रों से कोई कैसे चोद सकता है दीदी ??''
पूजा : "तू सच में बड़ी भोली है मेरी प्यारी बहना...इसलिए तो मैने तुझे अपने साथ सुलाने का फ़ैसला किया है ...अब से तू हमेशा मेरे साथ रहा कर...और जैसा मैं समझाऊ ,वो समझकर ही चला कर...''
उसकी बात सुनकर थोड़ी देर तक तो वो कुछ सोचती रही और फिर एकदम से उसने भी अपनी वो सेक्सी सी शमीज़ उतार कर साइड में फेंक दी...और अंदर तो उसने जो ब्रा पहनी हुई थी वो और भी ज़्यादा सेक्सी थी...जिसमे फंसी हुई उसकी नर्म मुलायम छातियाँ बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..
पूजा : "अरे...ये क्या कर रही है पगली ???''
रिया : "अरे दीदी...आपने ही तो कहा ना अभी...जैसा आप कहेंगी ,वो समझा करू....तो आप जब बिना टॉप के हैं तो मैं भला क्यों ऐसे रहु....''
बेचारी पूजा अपनी ही बात में खुद फँस गयी थी..
खैर, पूजा ने नाइट बल्ब जलाया और बेड पर आ गयी...
और शाम को हुई जीजू के सामने वाली बात छेड़ दी...जिसमे वो ठरकी का मतलब जानने की कोशिश कर रही थी..
और अब पूजा ने उसे विस्तार से बताया की असल में ठरकी किसे कहते हैं
पूजा : "देख रिया...वैसे तो हर आदमी में ठरक होती है...इन्फेक्ट लड़कियों में भी, पर वो ज़्यादा दिखाती नही है...आदमी के सामने कोई भी जवान लड़की या औरत आती है तो वो उसे ऐसी नज़रों से देखता है जैसे वो वही उसका रेप कर देगा...वैसे तो उनका ऐसा देखना ग़लत होता है पर कई लड़किया इसे भी एंजाय करती है...और मैं नही चाहती की तू भी उनमे से हो...हम लड़कियों को थोड़ी अकड़ में रहना पड़ता है, ताकि ऐसे लड़के हमारे आगे पीछे घूमे,नही तो हमारी वैल्यू कुछ भी नही रहेगी...''
रिया तो उसकी बातें ऐसे सुन रही थी जैसे कोई प्रवचन चल रहा हो...वो सुनती रही और फिर लास्ट मे बोली : "पर दीदी...आपने जैसा कहा की ये ठरक हमारे अंदर भी होती है...तो हमेशा ऐसा क्यो होता है की लड़के ही वो सब मज़ा ले, हमे भी तो हक है अपने अंदर की भावनाओ को व्यक्त करने का...आई मीन जो काम वो कर सकते हैं वही काम हम करे तो इसमे भला क्या ग़लत है...''
धाक के तीन पात...इतनी देर से जो बात पूजा उसको समझाने की कोशिश कर रही थी,वो उससे उल्टा ही सोच रही थी अब तक....
फिर उसने रिया को उसके हिसाब से समझना : "देख रिया, कभी-2 तो चलता है पर हमेशा अपनी भावनाए व्यक्त नही करनी चाहिए...जैसा की अभी हम दोनो अपने कमरे में बिना टॉप के सो रही है, पर बाहर जाने के लिए तो हमे कुछ पहनना ही होगा ना, ऐसे ही आपस में तो हम भले ही कुछ भी कर ले या बोल ले, पर बाहर की दुनिया को हमे अपना दूसरा रूप ही दिखाना होता है...''
रिया कुछ नही बोली...वो उसकी भारी भरकम बातों के जाल से बचना चाहती थी...इसलिए उसने बात ही बदल दी, वो बोली : "चलो छोड़ो दीदी ये सब बातें....मैं बाहर तो रह लूँगी आपके हिसाब से, पर आप तो मुझे जीजू के सामने भी ऐसी बातें करने से रोक रही थी...वो तो अपने ही है ना...मेरा इतना ध्यान भी रखते हैं...उनसे भला क्या प्राब्लम.."
अब भला पूजा उसे सॉफ-2 कैसे कहती की वही तो दुनिया का सबसे बड़ा ठरकी है जिससे बचने के लिए वो ये सब भाषण दे रही है...पर वो बोल नही पाई...अपने ही जीजू को वो बदनाम भी नही करना चाहती थी..और वो भी रिया के सामने,जिसे इतनी भी समझ नही है की कोई बात सुनकर उसे अपने तक ही रख ले, क्या पता कल जाकर वो प्राची दीदी को ही ये सब बक दे की पूजा उनके पति के बारे में कैसी-2 पट्टियां पड़ा रही है उसे...
आज पहला दिन था वैसे भी, इसलिए उसे और समझाकर वो रिया पर भी ज़्यादा बोझ नही डालना चाहती थी...इसलिए बस मुस्कुरा कर रह गयी
और थोड़ी देर और इधर-2 की बातें करने के बाद वो सो गये...कल कुछ और सीखने की बात करके...
और रिया तो अगले दिन अपने जीजू के साथ बाहर जाने की बात पर बड़ी एक्ससाइटेड थी...और उसने सोच भी लिया था की अब अपनी किसी भी बेवकूफी से वो अपने प्यारे जीजू को नाराज़ नही करेगी..
दूसरी तरफ अजय अपने ख़ास दोस्त अनिल के घर पर बैठा हुआ दारू पी रहा था...उसकी बीबी अंजलि भी उनके साथ बैठकर वोड्का पी रही थी...और घर पर प्राची उसका वैट कर रही थी...काफ़ी देर हो चुकी थी..उसने फोन भी किया अजय को पर अपना गुस्सा दिखाने के लिए उसने फोन उठाया ही नही...
अनिल : "आज लगता है जबरदस्त लड़ाई हुई है दोनो में ...भाभी का फोन भी नही उठा रहा तू तो...''
अजय (ग्लास में सिप लेते हुए) : "अरे नही यार...ऐसा कुछ नही है...''
तभी फोन फिर बजने लगा तो अंजलि ने फोन ले लिया और बोली : "ये ग़लत बात है अजय, तुम्हे प्राची को बोल तो देना चाहिए की तुम हमारे यहाँ हो, रूको मैं ही बोल देती हू...''
पर वो जब तक फोन उठा पाती वो बजना ही बंद हो गया...
उधर प्राची समझ गयी की वो कुछ ज़्यादा ही गुस्सा है आज...पर वो भी इतनी आसानी से हार मानने वाली नही थी....उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया और वो तुरंत अपने बेडरूम में गयी और अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी...और फिर उसने अपना आई-लाइनर उठाया और अपने मुम्मों के बीच लिखा "अजय की प्राची''
और एक लकीर नीचे की तरफ खींचकर अपनी चूत के उपर एक तीर का निशान बनाया और चूत के ठीक उपर लिखा ''प्राची की चूत ,अजय के लिए...उसके इंतजार में ...''
और फिर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने फोन से उसने अपनी छातियों की और अपनी चूत वाले हिस्से की 3-4 पिक्स लेकर उसे उसने व्हाट्स-अप से अजय को भेज दिया..
अजय तो अनिल के साथ गप्पे मारने में लगा था, और उसका मोबाइल अभी तक अंजलि की गोद में ही पड़ा था..मेसेज की बेल बजते ही अंजलि ने उसे देखा और वट्स-अप खोल कर देखा..और जब उसे दिखा की क्या आया है तो उसके चेहरे पर शरारत दौड़ गयी....वो भी कई बार प्राची से मिल चुकी थी पर वो ये नही जानती थी की वो इतनी नॉटी भी हो सकती है...
अंजलि ने अजय को कई बार अपनी छातियों की तरफ घूरते हुए देखा था...इसलिए थोड़ा बहुत फ्लर्ट वो भी कर ही लेती थी उसके साथ...
और तभी अनिल उठकर बाथरूम में चला गया...अजय ने अंजलि की तरफ देखा जो उसके मोबाइल मे कुछ देखकर बड़े ही अजीब ढंग से मुस्कुरा रही थी...अजय को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर अंजलि बोली : "आज तो तुम्हारी खैर नही अजय...घर पर प्राची तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही है...''
इतना कहकर उसने मोबाइल को ऐसे ही अजय के हाथ में दे दिया...और उसमे आई पिक्स को देखकर अजय का नशा भी एकदम से उतर सा गया....उसने तो एक्सपेक्ट भी नही किया था की प्राची ऐसी हरकत कर सकती है...उसे बुरा तो नही लगा पर अंजलि ने वो सब देख लिया इसलिए एम्बेरेस ज़रूर फील कर रहा था वो..
अंजलि : "आई एम सॉरी अजय....मोबाइल मेरे हाथ में ही था,इसलिए देखे बिना रह नही सकी...''
और इतना कहकर वो फिर से मुस्कुरा दी...
और वो जिस तरह से मुस्कुरा रही थी,अजय को उसमे अपने लिए स्कोप बनता दिख रहा था...
वैसे तो उसे अंजलि शुरू से ही पसंद थी, ख़ासकर उसके मोटे मुममे, पर खुलकर वो उसे कभी बोल नही पाता था...आख़िर जिगरी दोस्त की बीबी जो थी..पर आज उसे थोड़ा बहुत फ्लर्ट करने में कोई दिक्कत आती हुई दिख नही रही थी,क्योंकि शुरुवात तो अंजलि ने ही की थी..
अजय : "अब तो सच में रुका नही जा रहा भाभी...जल्दी घर जाना पड़ेगा...''
और ऐसा कहने के साथ ही उसने जिस बेशर्मी से वो बात बोली थी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड को थोड़ा सा एडजस्ट किया...जिसे अंजलि ने सॉफ-2 देखा..
वो मुस्कुराती हुई बोली : "ह्म्*म्म्म...सही है...मज़े है तुम लोगो के...''
अजय : "क्यो, आपके मज़े नही है क्या...आजकल अनिल आपकी सेवा नही करता सही से...''
अंजलि ने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और धीरे से बोली : "हमारी शादी को 6 साल हो चुके है..और तुम्हारी अभी-2 हुई है...फ़र्क तो पड़ता है ना...''
अजय : "आप जैसी बीबी हो तो 20 साल बाद भी सेवा करने का मन करता रहे...''
अंजलि (मुस्कुराती हुई) : "ये बात तुम अपने दोस्त को समझाओ अजय....जिसे ऐसा लगता है की एक बच्चा होने के बाद मैं पहले जैसी कड़क नही रही...''
अजय : "मुझे तो आप अभी भी वैसी ही लगती हो...'' अजय ने उसकी मोटी-2 छातियों की तरफ घूरते हुए कहा..
अंजलि : "कैसी ???"
अजय : "कड़क !!!!!!!!.....''
अंजलि ये सुनकर मुस्कुरा दी...और तभी अनिल वापिस आ गया...अजय ने भी जल्दी से पेग ख़त्म किया और जाने की तैयारी करने लगा...
अनिल : "अरे यार, अभी तो मज़ा आने लगा था...और तू जा रहा है...लगता है प्राची का कोई मैसेज आया है...''
अंजलि (हंसते हुए) : "हाँ , और ऐसा मेसेज आया है की अब अजय से रुका ही नही जा रहा ....''
अजय धीरे से अंजलि के करीब आया और उसके कान के पास बोला : "ऐसा मैसेज आप भी भेजकर देखना...अनिल से भी रुका नही जाएगा....''
और उसके बाद जो अंजलि ने कहा उसे सुनकर तो अजय को अपने कानो पर विश्वास ही नही हुआ, वो भी उसी टोन में धीरे से बोली : "और अगर तुम्हे भेजू तो....''
अजय बेचारा कुछ बोल ही नही पाया वो सुनकर...बस अपनी गोल-२ आँखों से अंजलि के सेक्सी से चेहरे को देखता रह गया, जो ऐसा बोलकर बड़े ही जालिम तरीके से मुस्कुरा रही थी,
और जब कुछ देर बाद अजय बोलने ही वाला था कुछ तब तक अनिल बोल पड़ा था बीच में : "ये क्या ख़ुसर फुसर हो रही है तुम दोनो में ...?''
अंजलि : "ये हमारे देवर भाभी की बात है कुछ...आप क्यो जल रहे हो हमे देखकर...''
अनिल बेचारा खिसियानी हँसी हँसता हुआ कुछ ना बोल पाया...और अजय उसकी नशीली आँखो मे देखता हुआ दरवाजे की तरफ जाने लगा...ये सोचता हुआ की जो भी अंजलि भाभी ने कहा, क्या वो सच था...
पर अभी तो उसके दिमाग़ में सिर्फ़ और सिर्फ़ प्राची का वो नंगा शरीर घूम रहा था, जिसपर उसने अजय के नाम की मोहर लगाकर उसे भेजा था....अब वो जल्द से जल्द घर जाकर उसकी बुरी तरह से बजा देना चाहता था..
और प्राची भी बड़ी बेसब्री से अजय का वेट कर रही थी...क्योंकि वो जानती थी की उसकी ये पिक देखकर उससे रुका नही जाएगा..वो अपने फ्लैट के दरवाजे के बाहर सीडियो में बैठी हुई थी
और उसने बड़ा ही सेक्सी सा रेड कलर का गाउन पहना हुआ था,जिसके गले से उसकी भरी हुई छातियाँ बड़ी सेक्सी लग रही थी, उसने तो नीचे ब्रा-पेंटी भी नहीं पहनी हुई थी, ये सोचकर की अजय के घर पहुँचते ही उसपर टूट ही पड़ेगी ,इसलिए ऐसे सेक्सी कपड़ो में वो घर के बाहर बैठी हुई उसका वेट कर रही थी
आज तो अजय की खैर नहीं
रात के 11 बज चुके थे, और प्राची बड़ी ही बेसब्री से अजय का वेट कर रही थी
तभी उसे सीडियो पर किसी के उपर आने की आवाज़ सुनाई दी...वो समझ गयी की अजय आ गया है...वो धड़कते दिल से उसके उपर आने का वेट करने लगी..अब कपड़े ही उसने इतने सेक्सी पहने हुए थे की उसे खुद ही शर्म आ रही थी...आज से पहले उसने ये ड्रेस बिना ब्रा के पहनी ही नही थी..क्योंकि इस गाउन मे आधी से ज़्यादा ब्रा भी बाहर निकली हुई दिखाई देती थी..और ब्रा के ना पहनने की वजह से अब उसके भरे हुए बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर दिख रहे थे...गाउन का कपड़ा भी जाली वाला था, जिसमे से उसके ब्राउन कलर के निप्पल वाली जगह ऐसी लग रही थी मानो 1 रुपय के सिक्के चिपका रखे हो...
वो धड़कते दिल से अजय के उपर आने का वेट करने लगी...और उसने आँखे बंद कर ली क्योंकि वो ऐसी हालत में अजय से आँखे मिलाना नही चाहती थी.
और कुछ ही देर मे वो कदम उसके करीब आकर रुके और उसे आवाज़ सुनाई दी : "अरे....दीदी....आप बाहर क्यो बैठी है ऐसे....और ये क्या पहना हुआ है आपने ??''
ये आवाज़ सुनते ही प्राची ने झट से आँखे खोल दी...और वो भोचक्की रह गयी रिया को अपने सामने खड़ा देखकर.
प्राची : "रिया ???????? तू....और इस वक़्त.....!!!!!!!!!!!!!!!''
पर तभी उसे अपनी हालत का ख़याल आया और वो झट से उठ खड़ी हुई ताकि वो उसकी गहरी घाटी के उभार ना देख सके...
रिया अभी तक अपनी आँखे फाड़े उसके बदन को निहार रही थी..
प्राची ने अपने आप को संभाला और दरवाजा खोलकर अंदर आ गयी ...उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था रिया पर की वो इस वक़्त यहाँ करने क्या आई है..पर कुछ बोल नही पाई बेचारी..
वो रिया की तरफ पलटी और अपने गुस्से को दबाते हुए बोली : "क्या हुआ रिया, सब ठीक तो है ना...इस वक़्त तू क्या करने आई है...''
रिया को भी थोड़ा अजीब सा लगा प्राची का ये व्यवहार...वो तो यही समझ रही थी की उसके लिए दोनो घर एक जैसे ही है,जहाँ वो कभी भी आ-जा सकती है...
रिया : "वो...वो... दीदी....नींद नही आ रही थी...पूजा भी सो चुकी है...मैं तो बस बालकनी में आई तो देखा जीजू की गाड़ी अभी तक नही आई है...और उपर आपके फ्लोर की लाइट भी जल रही थी...तो मैने सोचा की आपके पास आकर बैठ जाऊ ..कहीं आपको डर ना लग रहा हो...''
उसकी बात सुनकर प्राची का दिल पसीज गया....रिया बेचारी तो अपनी नादानी के आवेश में आकर उसके घर तक आ गयी...और वो बिना कुछ सोचे समझे ही उसपर गुस्सा उतार रही थी..
वो मुस्कुराइ और उसके करीब आई..और बड़े प्यार से उसके चेहरे पर हाथ फेरती हुई बोली : "ओहो....थॅंक्स फॉर युवर क्न्सर्न रिया...मैने तुझे बेकार में ही डांट दिया...दरअसल शाम से ही मेरा मूड खराब था..शायद इसलिए...''
रिया : "मैं जानती हू दीदी, मेरी वजह से ही आपका मूड खराब हुआ है...जीजू आए थे शाम को ,वो बता रहे थे पूजा दीदी को...''
उसकी बात सुनकर प्राची की आँखे फैल गयी वो बोली : "अच्छा , क्या बोल रहे थे तेरे जीजू....''
रिया भी बड़े ही भोलेपन से शाम की बातों को अपनी दीदी के आगे दोहराने लगी...जिसे सुनकर प्राची को तो विश्वास ही नही हुआ की अजय ने वो सब पूजा और रिया के सामने बोला होगा...क्योंकि ऐसी बातें किसी और के सामने बोलने का मतलब ही नही बनता...रिया तो भोली है पर पूजा तो समझदार है ना, वो तो समझ गयी होगी की उनके घर में क्या चल रहा है...उसे सच मे अपने आप पर बड़ा गुस्सा आ रहा था इस वक़्त...और अजय पर भी,जिसने वो सब अपनी सालियों के सामने जाकर बोल दिया था.
पर इससे एक बात तो सॉफ हो चुकी थी, अजय काफ़ी गुस्से में था इसलिए शायद उसने गुस्से में आकर उसकी ये बात पूजा और रिया के सामने बोल दी...प्राची अपने शाम वाले व्यवहार पर अब पछता रही थी...
वो ये सोचने में लगी थी और रिया उसके संगमरमरी बदन को निहारने में ...
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