FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..13
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अब आगे
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अजय : 'वाव भाभी......मज़ा आ गया....ये कब बनवाया...मैने तो देखा ही नही....'
अंजलि : 'लास्ट ईयर जब गोआ गये थे ,तब बनवाया था मैने ये...और वैसे भी,अभी ऐसा बहुत कुछ है जो तुमने देखा नही है...'
और नीचे फिर से एक स्माइली...
अजय बेचारा अपना लंड मसल कर रह गया...
और फिर उसने काँपते हुए हाथों से लिखा : 'सिर्फ़ यहीं बनवाया था या कहीं और भी है....'
अजनली : 'और भी है....देखना चाहोगे....'
जवाब ने अजय ने वेटिंग का स्माइली बना कर भेज दिया... और वहाँ से हँसी में लोटपोट स्माइली आ गया...
अजय का पूरा ध्यान प्राची की तरफ भी ....जो किचन मे खड़ी होकर उसके लिए चिकन निकाल रही थी...उसने अपना फोन साइलेंट पर कर दिया, ताकि अब कोई मैसेज आए भी तो उसकी टोन सुनाई ना दे...
प्राची आकर उसके पास ही बैठ गयी...अजय ने फोन जेब में रख लिया था....और दोनो बातें करने लगे...एक मिनट बाद ही अजय को अपनी जेब में वाइब्रेशन महसूस हुई...वो समझ गया की दूसरा मेसेज आ गया है...वो तुरंत उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, प्राची के सामने बैठकर तो वो फोन देख नही सकता था ना..
अंदर जाते ही उसने अपना लंड निकाला और खड़े हुए लंड से पेशाब की धार सीधा कमोड को छोड़कर सामने वाली दीवार से जा टकराई...खड़े हुए लंड से पेशाब करना बड़ा मुश्किल जो होता है...उसने दूसरे हाथ से अपना मोबाइल निकाला और लंड को मसलते हुए मैसेज खोला
एक और पिक...
और ये भी एक नये टैटू की थी....और इस बार ये था कमर के पिछली तरफ...नीचे के हिस्से में बना एक डिज़ाइन ...फूल पट्टियों वाला...जो काफ़ी सेक्सी लग रहा था...गोरी और मांसल कमर पर वो टैटू बड़ा सेक्सी लग रहा था...नीचे की तरफ अंजलि की पेंटी भी दिख रही थी...अजय ने मोबाइल को उपर किया और उस तस्वीर को चूम लिया...और बड़ी तेज़ी से अपने लंड को रगड़ने लगा....
एक मिनट के अंदर ही अंदर उसके लंड से सफेद माल की तेज पिचकारी सामने की दीवार से जा टकराई...और वो बंद आँखो से अंजलि के बारे में सोचता हुआ झड़ने लगा...
अब वो एक ऐसा हंटर (शिकारी) बन चुका था,जिसके सामने उसके सभी शिकार लाइन लगा कर खड़े थे,गन (लंड) उसके हाथ में थी, अपनी पूरी योजना बनाकर उसे अब एक-2 करके इन सभी का शिकार करना था..
प्राची के घर से शुरू हुई ठरक का सिलसिला यहाँ तक आ जाएगा, ये नही सोचा था उसने...
लेकिन सबसे पहला शिकार अब उसे अंजलि भाभी का ही करना पड़ेगा...क्योंकि अपनी तरफ से तो वही पूरी लाइन दे रही थी...और ऐसे मौके अगर ठर्कियों ने छोड़ने शुरू कर दिए तो उनकी जमात पर लानत होगी.
और अंजलि भाभी के बारे में सोचता हुआ वो वापिस अंदर आ गया...
पर वो कहते हैं ना जिसके बारे में ज़्यादा सोचा जाए वो मुश्किल से ही मिलती है,अजय के साथ भी यही होने वाला था..पर उसके बदले उसे किसी और की चूत जल्द मिलने वाली थी,जिसके बारे में उसने सोचा भी नही था..
अगले दिन ऑफीस जाते हुए अचानक प्राची को कुछ घबराहट सी होने लगी और उसने गाड़ी साइड मे रुकवाकर उल्टी कर दी...अब ये तो ऐसा संकेत होता है जिसे आजकल बच्चा -2 पहचानता है...पर अजय का दिमाग़ काम नही किया उस वक़्त...और वो प्राची को जल्दी से एक नर्सिंग होम में ले गया..वहां डॉक्टर ने जब जाँच की तो पता चला की वो प्रेगनेन्ट है..
अजय के लिए ये खुशी का मौका था...जिंदगी मे पहली बार बाप बनने की खुशी अलग ही होती है...उसने तुरंत अपनी सास को फोन किया और उन्हे वहीँ बुलवा लिया.
प्राची को अभी भी घबराहट हो रही थी..इसलिए 2-3 घंटे उसको वहीँ रखने के बाद वो वापिस घर आ गये..
अब तो प्राची को किसी राजकुमारी जैसा ट्रीटमेंट दिया जा रहा था..अजय ने ऑफीस से छुट्टी कर ली और प्राची के ऑफीस में भी मेसेज दे दिया की वो 1 हफ्ते बाद ही आएगी.
उसकी सास भी अपने घर का सारा काम छोड़कर प्राची के साथ ही रही पूरा दिन.
शाम को पूजा और रिया भी आ गये और सभी वो खबर सुनकर काफ़ी खुश हुए..सबने मिलकर खाना खाया और उसके बाद रिया और पूजा वापिस चले गये...पर उसकी सास रजनी को प्राची ने अपने पास ही रोक लिया...
अब अजय की सास तो अपनी बेटी के साथ सोने की तैयारी कर रही थी,इसलिए वो अपना लॅपटॉप लेकर दूसरे रूम में आ गया..और उसे खोलकर अपनी मेल्स चेक करने लगा..फिर फेसबुक देखा..और अंत में वो पॉर्न साइट्स पर जा पहुँचा..
वैसे तो रोज ही उसका मन करता था अपनी बीबी की मारने का , पर आज कुछ ज़्यादा ही अकड़ रहा था उसका छोटा सिपाही ....
इसलिए चुदाई का पहला सीन आते ही उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और रगड़ने लगा बुरी तरह से.... तभी बाहर से किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी और उसने तुरंत अपना लैपटॉप अपने लंड के उपर रखकर उसे ढक लिया.
और आशा के अनुरूप उसकी सास ही थी वो..सुबह से उनके साथ ही थी,अपने घर तो गयी नही थी...इसलिए उसने इस वक़्त प्राची का ही नाइट सूट पहना हुआ था. साटन का पायज़ामा और शर्ट थी..भले ही उसकी सास थोड़ी मोटी थी पर वो कपड़े पहन ही लिए थे किसी तरह से. और जगह-2 से उफान मार रहे शरीर को देखकर अजय का लॅपटॉप उपर नीचे होने लगा.
एक तो पहले से ही उसका खड़ा हुआ लंड गर्म था, उपर से लॅपटॉप की हीट उसके लंड की चमड़ी को सुलगा रही थी..
रजनी : "अजय...तुम सोए नही अभी तक...सुबह से आराम नही किया तुमने..कल ऑफीस भी तो जाना है ना..''
अजय : "नही..अभी मैं 2-3 दिन ऑफीस की छुट्टी लूँगा...प्राची को गायनॉलोजीस्ट को दिखाना है कल...आगे के लिए सारी दवाइयाँ और प्रीकोरशन भी पता करने है..''
रजनी (मुस्कुराते हुए) : "अरे ,इसमे घबराने वाली कोई बात नही है...हमारे टाइम में तो सब कुछ घर में ही कर लिया करते थे...ये 8-9 महीने की दवाइयाँ, कॅल्षियम वगेरह तो अब शुरू हुए हैं...और रही बात परहेज की तो वो सिर्फ़ एक ही होता है..''
अजय : "क्या ??''
रजनी : "जितना हो सके, रात को अपनी बीबी से दूर रहना...समझे...''
अजय को उसकी बात का मतलब समझते देर नही लगी...वो समझ गया की यही मौका है अपनी सास से मज़े लेने का.
अजय : "प्राची से दूर रहने की तो मैं सोच भी नही सकता...''
रजनी : "पता है मुझे....शादी के शुरुवाती दिनों में हर कोई ऐसा ही होता है...पर तुम शायद कुछ ज़्यादा ही हो...''
ये सुनकर लेपटोप एक बार फिर से थोड़ा उपर उठ गया..और इस बार रजनी समझ गयी की उसके गुरुत्वाकर्षण को कौन भंग कर रहा है...वो भी आज अपने दामाद से मज़े लेने के मूड में थी...इसलिए उपर से ही सही,वो उसके खड़े हुए लंड को देखना चाहती थी..जो उसके हिसाब से इस वक़्त खड़ा हुआ था...लेपटोप के नीचे.
वो एकदम से आगे आई और बोली : "पर जो भी है, तुम्हे अभी तो आराम की ज़रूरत है...चलो बंद करो ये ...''
और इतना कहते-2 उसने एक पल के अंदर ही अजय के लेपटोप को अपने हाथों में उठा लिया..
एक साथ दो झटके लगे रजनी को...पहला झटका तो अजय के नंगे लंड को देखकर लगा, जबकि उसने सोचा हुआ था की वो पायज़ामे के अंदर खड़ा हुआ है,पर वो तो पायज़ामे को नीचे खिसका कर नंगा लंड लिए बैठा था...
और दूसरा झटका लगा उसे लॅपटॉप की स्क्रीन देखकर, जिसमे एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को घोड़ी बना कर चोद रहा था और वो भी अपनी गांड मटका-2 कर पीछे से मिल रहे धक्को का मज़ा ले रही थी.
अजय भी अपनी सास की तेज़ी देखकर दंग रह गया...उसे तो कुछ सोचने - समझने का मौका ही नही मिला...बस अपने हाथों से लंड को ढककर वो इधर-2 देखने लगा...और फिर धीरे से उसने अपना पयज़ामा उपर कर लिया.
रजनी के तो पूरे शरीर में पसीने निकल आए....अब शायद वो सोच रही थी की उसने ऐसा किया ही क्यो...चाहे जो भी हो, है तो वो उसका दामाद ही ना...पर उसके जवान और लंबे लंड को देखकर ये क्या हो रहा है उसको...पसीना-2 क्यो हुआ जा रहा है उसका शरीर...और ..और ये पसीना चूत से क्यो निकल रहा है...चूत से पसीना...वहां से तो सिर्फ़ रसीला रस निकलता है...तो इसका मतलब....वो गर्म हो रही है...अपने ही दामाद के लंड को देखकर...उफफफफ्फ़.....ये क्या हो रहा है उसको...अपनी ही बेटी के सुहाग पर डाका...
पर ऐसा काम तो वो पहले भी कर चुकी थी...अपनी बहन के साथ...उसके पति से अपनी चूत और गांड मरवाकर... अपने जीजा से उसने जितने मज़े लिए थे, शायद ही अपने किसी और आशिक़ से लिए होंगे, पति के अलावा...
पर अजय जैसा जवान उनमे से कोई भी नही था...और ऐसे जवान लोंडो के कड़क लंड की प्यास तो उस जैसी गर्म औरत की चूत को हमेशा से रहती है..
भले ही वो पहले मज़ाक में अपने दामाद के बारे में ग़लत सोच रही थी..पर अब उसके लंड को देखने के बाद वो मज़ाक अब मज़ाक नही रह गया था...
अजय भी कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद खिसियानी सी हँसी हंसता हुआ अपनी सास को देखने लगा.
उसके उभरे हुए निपल देखकर वो ये तो समझ ही चुका था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी है..और चेहरे पर उड़ रही हवाइयां देखकर ये भी समझ गया की अंजाने में ही सही उसने अपनी सास को उत्तेजित कर दिया है.
ये वही बिस्तर था जिसपर उसकी सास ने अपने जीजू से गांड मरवाई थी...
रजनी : "तुम्हे देखकर तो लगता है की एक दिन काटना भी मुश्किल होगा तुम्हारा प्राची के बिना...अभी तो आगे चलकर बहुत बर्दाश्त करना पड़ेगा...''
उसकी बातों में एक उल्हास सा था..
और अजय ये बात अच्छी तरह से जानता था की उस जैसे ठरकी को जिस दिन मारने के लिए अपनी बीबी की चूत नही मिलेगी तो उसका क्या हाल होगा...देखा जाए तो उसके चारों तरफ ढेर सा लगा हुआ था..पर अभी तक कहीं भी शुरूवात तो नही हुई थी ना...और ऐसे एकदम से किसी को भी चूत देने के लिए बोलेगा तो वो तैयार भी नही होगी...उसके ठरकी दिमाग़ ने तो काम ही करना बंद कर दिया इस विचार के आते ही..
और फिर अचानक उसने कुछ डिसाइड सा किया अपने मन में और अपनी सास से बोला : "अब मैं रोज तो ऐसे काम चलाने वाला नही हू...आपको ही मेरी मदद करनी होगी.''
अजय ने बड़ी ही बेबाकी से बड़े ही सपष्ट शब्दों में अपनी सास को ये बात बोल दी, जिसे सुनकर रजनी को भी अपने कानों पर विश्वास नही हुआ...भले ही अंदर ही अंदर वो भी अजय की तरफ आकर्षित हो चुकी थी, पर उसके दिल में एक द्वंद भी चल रहा था की वो अपनी बेटी के सुहाग पर डाका डाले या नही...जीजू के साथ करने में और दामाद के साथ ऐसे संबंध बनाने में काफ़ी फ़र्क होता है..
और ऐसे में अजय सामने से खुद उसके साथ ऐसी बाते कर रहा था जिसे अगर वो सीधी तरह से मान लेती है तो उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी अपने दामाद के सामने..
ये सोचते ही वो एक झटके से उठ खड़ी हुई और बोली : "ये क्या बोल रहे हो अजय...मज़ाक अपनी जगह है..ऐसी बातें तुम्हे शोभा नही देती...समझे..सो जाओ अब..''
और इतना कहकर वो मूडी और बाहर जाने लगी...ऐसा करके वो अजय को अपना गुस्सा दिखा रही थी और उसे ये जता रही थी की उसे अजय की बात बिल्कुल भी अच्छी नही लगी..
पर तभी अजय ने कुछ ऐसा बोला की वो जाते-2 एकदम से रुक सी गयी..
''नही जीजू....पिच्छू से नही....पिच्छू से नही...''
ये शब्द सुनते ही रजनी के माथे पर पसीना आ गया...उसके चेहरे की रंगत उड़ सी गयी...ये तो उसने अपने जीजू को बोला था, इसी कमरे में ..जब उन्होने उसकी गांड मारने की ज़िद की थी...पर ये बात अजय को कैसे पता चली...क्या उसने इस कमरे में कोई कैमरा छुपाया हुआ है...या फिर शायद उस रात वो छुपकर उनकी चुदाई देख रहा था...
और ये ख़याल आते ही उसका शरीर काँप उठा...और वो थरथराती हुई सी पलटी और अजय से बोली : "ये ...ये क्या बोल रहे हो...अजय....तुम...''
उसके चेहरे की घबराहट देखकर अजय समझ गया की उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है..
वो बोला : "अब आप इतनी भी नादान नही है सासू माँ की ये भी ना समझे की मैं क्या बोल रहा हू...ये वही लाइन है ना जो आपने अपने प्यारे जीजू यानी मुंबई वाले मौसा जी से कही थी...इसी कमरे में ...इसी बिस्तर पर....जब वो और आप बिल्कुल नंगे''
वो इतना ही बोल पाया था की रजनी एकदम से आगे आई और उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे चुप करा दिया....
रजनी : "मत बोलो प्लीज़.....चुप रहो ....प्राची ने सुन लिया तो बहुत बुरा होगा...''
अपनी सेक्सी सास को एकदम से अपने इतने करीब पाकर अजय का ईमान डोल गया...और उपर से उनकी नर्म उंगलियों को अपने दहक रहे होंठों पर महसूस करते ही उसका धैर्य भी जवाब दे गया और उसने अपना मुँह खोलकर उनकी नर्म उंगलियों को निगल लिया और चाट लिया.
रजनी ने एकदम से अपना हाथ खींचा और बोली : "अजय...होश में आओ...ये क्या बदतमीज़ी है....''
और इतना कहकर वो जैसे ही पीछे जाने लगी, अजय ने उनकी कमर मे हाथ डालकर उन्हे जकड़ लिया और बोला : ''ये बदतमीज़ी नही,प्यार है...जो अब आप मुझे देगी...जैसा आपने अपनी जीजू को दिया था...अब मुझे दो..''
अजय की ऐसी डिमांड सुनकर अंदर ही अंदर रजनी का शरीर जल सा उठा...अपनी मर्ज़ी से भले ही उसने आज तक कई जिस्मानी संबंध कायम किए थे, पर ऐसे ज़बरदस्ती किसी ने नही की थी उसके साथ...वो कसमसाने सी लगी..पर अजय की पकड़ से छूट ही नही पाई वो..
रजनी भी समझ गयी की वो बुरी तरह से फँस चुकी है..पर अपनी तरफ से अभी भी वो अजय का पूरा विरोध कर रही थी...
अजय ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और उसके चेहरे को बिल्कुल अपने करीब ले आया...और जैसे ही वो और ज़ोर लगाकर उनके नर्म होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा, बाहर से प्राची की आवाज़ आई : "मम्मी....मम्मी कहाँ हो आप....''
ये साली प्राची की नींद भी अभी खुलनी थी...अजय झल्ला सा गया ..और उसने ना चाहते हुए भी अपनी सास को छोड़ दिया.
और उसके छोड़ते ही प्राची अंदर आ गयी...और सास-दामाद को ऐसे एक दूसरे के सामने खड़ा देखकर बोली : "मम्मी...आप यहाँ है...मैं कब से आवाज़ें लगा रही थी...''
उसकी आँखो मे कुछ प्रश्न भी थे, जैसे पूछना चाहती हो की आप दोनो इतनी रात को ऐसे खड़े हुए क्या कर रहे है..
रजनी : "अरे..मैं बस अभी आई थी....अजय काफ़ी देर से जाग रहा था...अपना लेपटोप खोलकर काम कर रहा था...मैने यही बोला की अब सो जाए...सुबह से परेशन सा है बेचारा...''
तब तक अजय ने लेपटोप उठा कर बंद कर दिया था, वरना प्राची भी देख लेती की वो क्या ज़रूरी काम कर रहा था.
प्राची : "ओहो...मम्मी, ये तो इनकी आदत है...'' और फिर वो अजय की तरफ देखकर बोली : "चलो अजय...अब सो जाओ...काफ़ी रात हो चुकी है...''
और इतना कहकर दोनो माँ बेटियाँ उस कमरे से बाहर निकल गयी और बेडरूम में जाकर सो गयी..
पर अजय भी बड़ा हरामी था...उसका लंड अभी तक रोड की तरह अकड़ा हुआ खड़ा था...उसने भी अपने ठरकीपन की कसम खाई की आज जो भी हो जाए वो अपनी सास के साथ मज़े लेकर ही रहेगा.
बस फिर क्या था, वो इंतजार करने लगा...एक बार फिर से प्राची के सो जाने का..
ठरकी की लाइफ में ..13
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अब आगे
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अजय : 'वाव भाभी......मज़ा आ गया....ये कब बनवाया...मैने तो देखा ही नही....'
अंजलि : 'लास्ट ईयर जब गोआ गये थे ,तब बनवाया था मैने ये...और वैसे भी,अभी ऐसा बहुत कुछ है जो तुमने देखा नही है...'
और नीचे फिर से एक स्माइली...
अजय बेचारा अपना लंड मसल कर रह गया...
और फिर उसने काँपते हुए हाथों से लिखा : 'सिर्फ़ यहीं बनवाया था या कहीं और भी है....'
अजनली : 'और भी है....देखना चाहोगे....'
जवाब ने अजय ने वेटिंग का स्माइली बना कर भेज दिया... और वहाँ से हँसी में लोटपोट स्माइली आ गया...
अजय का पूरा ध्यान प्राची की तरफ भी ....जो किचन मे खड़ी होकर उसके लिए चिकन निकाल रही थी...उसने अपना फोन साइलेंट पर कर दिया, ताकि अब कोई मैसेज आए भी तो उसकी टोन सुनाई ना दे...
प्राची आकर उसके पास ही बैठ गयी...अजय ने फोन जेब में रख लिया था....और दोनो बातें करने लगे...एक मिनट बाद ही अजय को अपनी जेब में वाइब्रेशन महसूस हुई...वो समझ गया की दूसरा मेसेज आ गया है...वो तुरंत उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, प्राची के सामने बैठकर तो वो फोन देख नही सकता था ना..
अंदर जाते ही उसने अपना लंड निकाला और खड़े हुए लंड से पेशाब की धार सीधा कमोड को छोड़कर सामने वाली दीवार से जा टकराई...खड़े हुए लंड से पेशाब करना बड़ा मुश्किल जो होता है...उसने दूसरे हाथ से अपना मोबाइल निकाला और लंड को मसलते हुए मैसेज खोला
एक और पिक...
और ये भी एक नये टैटू की थी....और इस बार ये था कमर के पिछली तरफ...नीचे के हिस्से में बना एक डिज़ाइन ...फूल पट्टियों वाला...जो काफ़ी सेक्सी लग रहा था...गोरी और मांसल कमर पर वो टैटू बड़ा सेक्सी लग रहा था...नीचे की तरफ अंजलि की पेंटी भी दिख रही थी...अजय ने मोबाइल को उपर किया और उस तस्वीर को चूम लिया...और बड़ी तेज़ी से अपने लंड को रगड़ने लगा....
एक मिनट के अंदर ही अंदर उसके लंड से सफेद माल की तेज पिचकारी सामने की दीवार से जा टकराई...और वो बंद आँखो से अंजलि के बारे में सोचता हुआ झड़ने लगा...
अब वो एक ऐसा हंटर (शिकारी) बन चुका था,जिसके सामने उसके सभी शिकार लाइन लगा कर खड़े थे,गन (लंड) उसके हाथ में थी, अपनी पूरी योजना बनाकर उसे अब एक-2 करके इन सभी का शिकार करना था..
प्राची के घर से शुरू हुई ठरक का सिलसिला यहाँ तक आ जाएगा, ये नही सोचा था उसने...
लेकिन सबसे पहला शिकार अब उसे अंजलि भाभी का ही करना पड़ेगा...क्योंकि अपनी तरफ से तो वही पूरी लाइन दे रही थी...और ऐसे मौके अगर ठर्कियों ने छोड़ने शुरू कर दिए तो उनकी जमात पर लानत होगी.
और अंजलि भाभी के बारे में सोचता हुआ वो वापिस अंदर आ गया...
पर वो कहते हैं ना जिसके बारे में ज़्यादा सोचा जाए वो मुश्किल से ही मिलती है,अजय के साथ भी यही होने वाला था..पर उसके बदले उसे किसी और की चूत जल्द मिलने वाली थी,जिसके बारे में उसने सोचा भी नही था..
अगले दिन ऑफीस जाते हुए अचानक प्राची को कुछ घबराहट सी होने लगी और उसने गाड़ी साइड मे रुकवाकर उल्टी कर दी...अब ये तो ऐसा संकेत होता है जिसे आजकल बच्चा -2 पहचानता है...पर अजय का दिमाग़ काम नही किया उस वक़्त...और वो प्राची को जल्दी से एक नर्सिंग होम में ले गया..वहां डॉक्टर ने जब जाँच की तो पता चला की वो प्रेगनेन्ट है..
अजय के लिए ये खुशी का मौका था...जिंदगी मे पहली बार बाप बनने की खुशी अलग ही होती है...उसने तुरंत अपनी सास को फोन किया और उन्हे वहीँ बुलवा लिया.
प्राची को अभी भी घबराहट हो रही थी..इसलिए 2-3 घंटे उसको वहीँ रखने के बाद वो वापिस घर आ गये..
अब तो प्राची को किसी राजकुमारी जैसा ट्रीटमेंट दिया जा रहा था..अजय ने ऑफीस से छुट्टी कर ली और प्राची के ऑफीस में भी मेसेज दे दिया की वो 1 हफ्ते बाद ही आएगी.
उसकी सास भी अपने घर का सारा काम छोड़कर प्राची के साथ ही रही पूरा दिन.
शाम को पूजा और रिया भी आ गये और सभी वो खबर सुनकर काफ़ी खुश हुए..सबने मिलकर खाना खाया और उसके बाद रिया और पूजा वापिस चले गये...पर उसकी सास रजनी को प्राची ने अपने पास ही रोक लिया...
अब अजय की सास तो अपनी बेटी के साथ सोने की तैयारी कर रही थी,इसलिए वो अपना लॅपटॉप लेकर दूसरे रूम में आ गया..और उसे खोलकर अपनी मेल्स चेक करने लगा..फिर फेसबुक देखा..और अंत में वो पॉर्न साइट्स पर जा पहुँचा..
वैसे तो रोज ही उसका मन करता था अपनी बीबी की मारने का , पर आज कुछ ज़्यादा ही अकड़ रहा था उसका छोटा सिपाही ....
इसलिए चुदाई का पहला सीन आते ही उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और रगड़ने लगा बुरी तरह से.... तभी बाहर से किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी और उसने तुरंत अपना लैपटॉप अपने लंड के उपर रखकर उसे ढक लिया.
और आशा के अनुरूप उसकी सास ही थी वो..सुबह से उनके साथ ही थी,अपने घर तो गयी नही थी...इसलिए उसने इस वक़्त प्राची का ही नाइट सूट पहना हुआ था. साटन का पायज़ामा और शर्ट थी..भले ही उसकी सास थोड़ी मोटी थी पर वो कपड़े पहन ही लिए थे किसी तरह से. और जगह-2 से उफान मार रहे शरीर को देखकर अजय का लॅपटॉप उपर नीचे होने लगा.
एक तो पहले से ही उसका खड़ा हुआ लंड गर्म था, उपर से लॅपटॉप की हीट उसके लंड की चमड़ी को सुलगा रही थी..
रजनी : "अजय...तुम सोए नही अभी तक...सुबह से आराम नही किया तुमने..कल ऑफीस भी तो जाना है ना..''
अजय : "नही..अभी मैं 2-3 दिन ऑफीस की छुट्टी लूँगा...प्राची को गायनॉलोजीस्ट को दिखाना है कल...आगे के लिए सारी दवाइयाँ और प्रीकोरशन भी पता करने है..''
रजनी (मुस्कुराते हुए) : "अरे ,इसमे घबराने वाली कोई बात नही है...हमारे टाइम में तो सब कुछ घर में ही कर लिया करते थे...ये 8-9 महीने की दवाइयाँ, कॅल्षियम वगेरह तो अब शुरू हुए हैं...और रही बात परहेज की तो वो सिर्फ़ एक ही होता है..''
अजय : "क्या ??''
रजनी : "जितना हो सके, रात को अपनी बीबी से दूर रहना...समझे...''
अजय को उसकी बात का मतलब समझते देर नही लगी...वो समझ गया की यही मौका है अपनी सास से मज़े लेने का.
अजय : "प्राची से दूर रहने की तो मैं सोच भी नही सकता...''
रजनी : "पता है मुझे....शादी के शुरुवाती दिनों में हर कोई ऐसा ही होता है...पर तुम शायद कुछ ज़्यादा ही हो...''
ये सुनकर लेपटोप एक बार फिर से थोड़ा उपर उठ गया..और इस बार रजनी समझ गयी की उसके गुरुत्वाकर्षण को कौन भंग कर रहा है...वो भी आज अपने दामाद से मज़े लेने के मूड में थी...इसलिए उपर से ही सही,वो उसके खड़े हुए लंड को देखना चाहती थी..जो उसके हिसाब से इस वक़्त खड़ा हुआ था...लेपटोप के नीचे.
वो एकदम से आगे आई और बोली : "पर जो भी है, तुम्हे अभी तो आराम की ज़रूरत है...चलो बंद करो ये ...''
और इतना कहते-2 उसने एक पल के अंदर ही अजय के लेपटोप को अपने हाथों में उठा लिया..
एक साथ दो झटके लगे रजनी को...पहला झटका तो अजय के नंगे लंड को देखकर लगा, जबकि उसने सोचा हुआ था की वो पायज़ामे के अंदर खड़ा हुआ है,पर वो तो पायज़ामे को नीचे खिसका कर नंगा लंड लिए बैठा था...
और दूसरा झटका लगा उसे लॅपटॉप की स्क्रीन देखकर, जिसमे एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को घोड़ी बना कर चोद रहा था और वो भी अपनी गांड मटका-2 कर पीछे से मिल रहे धक्को का मज़ा ले रही थी.
अजय भी अपनी सास की तेज़ी देखकर दंग रह गया...उसे तो कुछ सोचने - समझने का मौका ही नही मिला...बस अपने हाथों से लंड को ढककर वो इधर-2 देखने लगा...और फिर धीरे से उसने अपना पयज़ामा उपर कर लिया.
रजनी के तो पूरे शरीर में पसीने निकल आए....अब शायद वो सोच रही थी की उसने ऐसा किया ही क्यो...चाहे जो भी हो, है तो वो उसका दामाद ही ना...पर उसके जवान और लंबे लंड को देखकर ये क्या हो रहा है उसको...पसीना-2 क्यो हुआ जा रहा है उसका शरीर...और ..और ये पसीना चूत से क्यो निकल रहा है...चूत से पसीना...वहां से तो सिर्फ़ रसीला रस निकलता है...तो इसका मतलब....वो गर्म हो रही है...अपने ही दामाद के लंड को देखकर...उफफफफ्फ़.....ये क्या हो रहा है उसको...अपनी ही बेटी के सुहाग पर डाका...
पर ऐसा काम तो वो पहले भी कर चुकी थी...अपनी बहन के साथ...उसके पति से अपनी चूत और गांड मरवाकर... अपने जीजा से उसने जितने मज़े लिए थे, शायद ही अपने किसी और आशिक़ से लिए होंगे, पति के अलावा...
पर अजय जैसा जवान उनमे से कोई भी नही था...और ऐसे जवान लोंडो के कड़क लंड की प्यास तो उस जैसी गर्म औरत की चूत को हमेशा से रहती है..
भले ही वो पहले मज़ाक में अपने दामाद के बारे में ग़लत सोच रही थी..पर अब उसके लंड को देखने के बाद वो मज़ाक अब मज़ाक नही रह गया था...
अजय भी कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद खिसियानी सी हँसी हंसता हुआ अपनी सास को देखने लगा.
उसके उभरे हुए निपल देखकर वो ये तो समझ ही चुका था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी है..और चेहरे पर उड़ रही हवाइयां देखकर ये भी समझ गया की अंजाने में ही सही उसने अपनी सास को उत्तेजित कर दिया है.
ये वही बिस्तर था जिसपर उसकी सास ने अपने जीजू से गांड मरवाई थी...
रजनी : "तुम्हे देखकर तो लगता है की एक दिन काटना भी मुश्किल होगा तुम्हारा प्राची के बिना...अभी तो आगे चलकर बहुत बर्दाश्त करना पड़ेगा...''
उसकी बातों में एक उल्हास सा था..
और अजय ये बात अच्छी तरह से जानता था की उस जैसे ठरकी को जिस दिन मारने के लिए अपनी बीबी की चूत नही मिलेगी तो उसका क्या हाल होगा...देखा जाए तो उसके चारों तरफ ढेर सा लगा हुआ था..पर अभी तक कहीं भी शुरूवात तो नही हुई थी ना...और ऐसे एकदम से किसी को भी चूत देने के लिए बोलेगा तो वो तैयार भी नही होगी...उसके ठरकी दिमाग़ ने तो काम ही करना बंद कर दिया इस विचार के आते ही..
और फिर अचानक उसने कुछ डिसाइड सा किया अपने मन में और अपनी सास से बोला : "अब मैं रोज तो ऐसे काम चलाने वाला नही हू...आपको ही मेरी मदद करनी होगी.''
अजय ने बड़ी ही बेबाकी से बड़े ही सपष्ट शब्दों में अपनी सास को ये बात बोल दी, जिसे सुनकर रजनी को भी अपने कानों पर विश्वास नही हुआ...भले ही अंदर ही अंदर वो भी अजय की तरफ आकर्षित हो चुकी थी, पर उसके दिल में एक द्वंद भी चल रहा था की वो अपनी बेटी के सुहाग पर डाका डाले या नही...जीजू के साथ करने में और दामाद के साथ ऐसे संबंध बनाने में काफ़ी फ़र्क होता है..
और ऐसे में अजय सामने से खुद उसके साथ ऐसी बाते कर रहा था जिसे अगर वो सीधी तरह से मान लेती है तो उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी अपने दामाद के सामने..
ये सोचते ही वो एक झटके से उठ खड़ी हुई और बोली : "ये क्या बोल रहे हो अजय...मज़ाक अपनी जगह है..ऐसी बातें तुम्हे शोभा नही देती...समझे..सो जाओ अब..''
और इतना कहकर वो मूडी और बाहर जाने लगी...ऐसा करके वो अजय को अपना गुस्सा दिखा रही थी और उसे ये जता रही थी की उसे अजय की बात बिल्कुल भी अच्छी नही लगी..
पर तभी अजय ने कुछ ऐसा बोला की वो जाते-2 एकदम से रुक सी गयी..
''नही जीजू....पिच्छू से नही....पिच्छू से नही...''
ये शब्द सुनते ही रजनी के माथे पर पसीना आ गया...उसके चेहरे की रंगत उड़ सी गयी...ये तो उसने अपने जीजू को बोला था, इसी कमरे में ..जब उन्होने उसकी गांड मारने की ज़िद की थी...पर ये बात अजय को कैसे पता चली...क्या उसने इस कमरे में कोई कैमरा छुपाया हुआ है...या फिर शायद उस रात वो छुपकर उनकी चुदाई देख रहा था...
और ये ख़याल आते ही उसका शरीर काँप उठा...और वो थरथराती हुई सी पलटी और अजय से बोली : "ये ...ये क्या बोल रहे हो...अजय....तुम...''
उसके चेहरे की घबराहट देखकर अजय समझ गया की उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है..
वो बोला : "अब आप इतनी भी नादान नही है सासू माँ की ये भी ना समझे की मैं क्या बोल रहा हू...ये वही लाइन है ना जो आपने अपने प्यारे जीजू यानी मुंबई वाले मौसा जी से कही थी...इसी कमरे में ...इसी बिस्तर पर....जब वो और आप बिल्कुल नंगे''
वो इतना ही बोल पाया था की रजनी एकदम से आगे आई और उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे चुप करा दिया....
रजनी : "मत बोलो प्लीज़.....चुप रहो ....प्राची ने सुन लिया तो बहुत बुरा होगा...''
अपनी सेक्सी सास को एकदम से अपने इतने करीब पाकर अजय का ईमान डोल गया...और उपर से उनकी नर्म उंगलियों को अपने दहक रहे होंठों पर महसूस करते ही उसका धैर्य भी जवाब दे गया और उसने अपना मुँह खोलकर उनकी नर्म उंगलियों को निगल लिया और चाट लिया.
रजनी ने एकदम से अपना हाथ खींचा और बोली : "अजय...होश में आओ...ये क्या बदतमीज़ी है....''
और इतना कहकर वो जैसे ही पीछे जाने लगी, अजय ने उनकी कमर मे हाथ डालकर उन्हे जकड़ लिया और बोला : ''ये बदतमीज़ी नही,प्यार है...जो अब आप मुझे देगी...जैसा आपने अपनी जीजू को दिया था...अब मुझे दो..''
अजय की ऐसी डिमांड सुनकर अंदर ही अंदर रजनी का शरीर जल सा उठा...अपनी मर्ज़ी से भले ही उसने आज तक कई जिस्मानी संबंध कायम किए थे, पर ऐसे ज़बरदस्ती किसी ने नही की थी उसके साथ...वो कसमसाने सी लगी..पर अजय की पकड़ से छूट ही नही पाई वो..
रजनी भी समझ गयी की वो बुरी तरह से फँस चुकी है..पर अपनी तरफ से अभी भी वो अजय का पूरा विरोध कर रही थी...
अजय ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और उसके चेहरे को बिल्कुल अपने करीब ले आया...और जैसे ही वो और ज़ोर लगाकर उनके नर्म होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा, बाहर से प्राची की आवाज़ आई : "मम्मी....मम्मी कहाँ हो आप....''
ये साली प्राची की नींद भी अभी खुलनी थी...अजय झल्ला सा गया ..और उसने ना चाहते हुए भी अपनी सास को छोड़ दिया.
और उसके छोड़ते ही प्राची अंदर आ गयी...और सास-दामाद को ऐसे एक दूसरे के सामने खड़ा देखकर बोली : "मम्मी...आप यहाँ है...मैं कब से आवाज़ें लगा रही थी...''
उसकी आँखो मे कुछ प्रश्न भी थे, जैसे पूछना चाहती हो की आप दोनो इतनी रात को ऐसे खड़े हुए क्या कर रहे है..
रजनी : "अरे..मैं बस अभी आई थी....अजय काफ़ी देर से जाग रहा था...अपना लेपटोप खोलकर काम कर रहा था...मैने यही बोला की अब सो जाए...सुबह से परेशन सा है बेचारा...''
तब तक अजय ने लेपटोप उठा कर बंद कर दिया था, वरना प्राची भी देख लेती की वो क्या ज़रूरी काम कर रहा था.
प्राची : "ओहो...मम्मी, ये तो इनकी आदत है...'' और फिर वो अजय की तरफ देखकर बोली : "चलो अजय...अब सो जाओ...काफ़ी रात हो चुकी है...''
और इतना कहकर दोनो माँ बेटियाँ उस कमरे से बाहर निकल गयी और बेडरूम में जाकर सो गयी..
पर अजय भी बड़ा हरामी था...उसका लंड अभी तक रोड की तरह अकड़ा हुआ खड़ा था...उसने भी अपने ठरकीपन की कसम खाई की आज जो भी हो जाए वो अपनी सास के साथ मज़े लेकर ही रहेगा.
बस फिर क्या था, वो इंतजार करने लगा...एक बार फिर से प्राची के सो जाने का..
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