FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-34
भाभी ने अपनी नज़रें मेरे लपलपते प्रीकम से भीगे लंड पर टिकाई और बोली, " और कहाँ दर्द है ? "
मैं कुछ नहीं बोल पाया....मेरी नज़रें भाभी की नज़रों से मिली हुयी थी.....
हमारी नज़रें आपसे में लॉक हो गयी थी.....
भाभी ने धीरे से अपने हाथ बढ़ाया और बाबुराव को दबोच लिया.
उत्तेजना और मस्ती से मेरी ऑंखें कुछ बंद हो गयी मगर मेरी नज़रें अभी भी भाभी से मिली हुयी थी.
भाभी ने बाबुराव को अपनी मुठी में ले लिया था....उन्होंने अपनी मुठ्ठी से बाबुराव को भींच दिया. मेरी एक एक नस सनसना रही थी. मेरा मुंह खुल गया और भाभी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गयी....
उन्होंने फिर से अपनी मुठी को दबाया और मैं मस्ती से दोहरा हो गया. भाभी धीरे धीरे मेरा लंड हिलाने लगी. वो अपने हाथ को पूरा निचे ले जाती जिस से मेरे लंड की चमड़ी पूरी निचे हो जाती और विकराल सुपाड़ा नंगा हो कर सामने आ जाता. प्रीकम से भीगे सुपाड़े पर रौशनी से चमक सी आ जाती.
भाभी फिर अपने हाथ को पूरा ऊपर तक लाती जिस से लंड में भरा प्रीकम बहार आ कर सुपाड़े पर फ़ैल जाता. अब मैं सिस्कारियां नहीं मार रहा था बल्कि आँहें भर रहा था.
भाभी के स्तन मेरे जांघों पर ठीके थे....न जाने उन्होंने कब अपने अंचल की पिन हटा ली थी....उनका अंचल कब से गिर चूका था....गहरे गले से झांकते मम्मे मुझे मानो चिड़ा रहे थे. मैं कचकचा कर आगे पड़ा की उन्हें दबोच लूँ....मगर भाभी ने मुझे धक्का दे कर फिर सोफे पर टिका दिया.
मैंने सवाल भरी नज़रों से उन्हें देखा.......
वो अब भी वही सीरियल की नेगेटिव शेड वाली हेरोइन की मुस्कान मार रही थी.
मैंने फिर से उनके मम्मो पर हाथ डालने की कोशिश की...उन्होंने फिर से मुझे पीछे कर दिया...
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहाँ...
"क्यों.....जी......उस दिन छत पर क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ......"
मेरी गांड फटी.......अब यह क्या है......?
"क....क.....कब......क्या.......म....म....मैं समझा नहीं......"
भाभी मुस्कुराते हुए बोली,
" हाँ जी......समझ तो गए हो.....क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ......फिर मेरी छत पर कूद आये थे.......बोलो.....?"
भेन्चोद यह कहाँ फंसा....
मेरा खड़ा बाबुराव इस कमीनी के हाथ में......और साली मुझे थर्ड डिग्री देकर मुझसे राज़ उगलवा रही है.
"क....क....कुछ भी नहीं......"
भाभी की अपनी आइब्रो टेडी की तो मैंने तुरंत बात संभाली.....
"अच्छा.......व्.....व्.....वो.......हाँ......म.....म.....मैं.....चाची को गुदगुदी कर रहा था........"
कोमल भाभी ने एक पल मुझे देखा और बाबुराव को अपनी मुठी में मसल दिया...
कसम असलम भाई की.....मेरी आवाज़ टेंटुए में ही रह गयी.....
कोमल भाभी बोली, " झूट मत बोलो.....मुझे पता है वह क्या हो रहा था......."
अब साला इधर शक्ति कपूर उधर गुलशन ग्रोवर....
बोलू तो फंसु न बोलू तो .....रामजाने ....का हो.
मैंने फिर बाद सँभालने की कोशिश की.,...
"न....न......न.....मैं......तो......मेरा...मतलब है की.....च...च...चाची की......आअह."
भाभी ने फिर से मेरे तोते की गर्दन दबा दी थी.
भाभी कड़क आवाज़ में बोली, " झूट पर झूट.......बेशरम कही के....बोलते क्यों नहीं की तुम नीलू चाची को चोद रहे थे"
क्या ......?
भाभी के मुंह से यह सुन कर मेरे तो तोते चिड़िया कबूतर बन्दर हिरन शेर सब उड़ गए.....
साला भाग भी नहीं सकता.....मेरा तो लंड भाभी के हाथ में.
मेरे मुंह से कुछ निकला ही नहीं.....
भाभी ने कातिल मुस्कान मारी और बोली, " बेशरम कहीं के.....अपनी चाची के साथ ही......बच्चा समझती थी तुम्हे मैं तो.......और तुम निकले .....एक नंबर के.......चोदु....."
अबे लंड.....कहाँ फंस गया रे......क्या बोलू क्या करू....
और भाभी इधर मस्त मेरी मुठ मरे जा रही थी.....मैंने भी सोचा अब जो होगा सो होगा.....
मैंने फिर से भाभी के गदराये मम्मो को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और भाभी ने उतनी ही तेज़ी से मेरा हाथ झटक दिया.....मैं कुछ समझता तबतक उन्होंने मेरे गोटों पर एक चिकोटी काट दी.
हाय.....अब यह क्या था ??
भाभी गुर्राई, "चुपचाप पड़ा रह......ख़बरदार जो इधर उधर हाथ भी डाला...."
अरे मादर चोद.....अब ये कोनसी फिलम है.
मैंने फिर से हाथ बढ़ाने का सोचा तो भाभी ने फिर से बाबुराव की गर्दन मोड़ दी. मैंने हाथ पीछे कर लिए.
माँ चुदाये....मुझे क्या.....भाभी मस्त मुठ मार ही रही है......चलने दो.
अचानक भाभी उठी उन्होंने अपनी साड़ी के अंदर दोनों हाथ डाले.... एक ही पल में उनकी पैंटी निचे.
भाभी ने अपनी पैंटी मेरे ऊपर फैंक दी और साड़ी को थोड़ा ऊपर किये मेरे ऊपर आकर बैठ गयी.
उन्होंने निचे हाथ डाल कर मेरे मुस्तैद खड़े सिपाही को पकड़ा और सीधे अपनी मुनिया के मुंह पर लगा दिया. मैं कुछ समझ पता तब तक उन्होंने अपने पूरा वजन मेरे लंड पर डाला और अपना पप्पू तुरंत सरसराता हुआ भाभी की मुनिया में घुस गया.
भाभी ने अपना सर पीछे की और फैंक कर एक मदमस्त आह भरी जो धीरे धीरे गले से आती गुर्राहट में बदल गयी.
मैं हक्काबक्का चूतिये जैसा अभी तक समझ ही नहीं पा रहा था की यह हुआ क्या...
भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखे तो अपने गांड को गोल गोल घूमना शुरू कर दिया.
एक पल तो मुझे समझ नहीं आया फिर तो मेरे लंड से मस्ती का करंट सा बहने लगा.
भाभी अपनी गांड को पूरी तेज़ी से घुमा रही थी मैं तो सिर्फ अपना बाबुराव को उनकी मुनिया में डाले पड़ा था.
भाभी ही मुझे चोद रही थी.
मैंने अपने हाथ फिर से भाभी की कमर की और बढ़ाये...भाभी ने मेरे हाथों को फिर झटक दिया. और मैंने हाथों को दबा कर मुझ पर झुक गयी.....
इस सब क्रिया कलाप में मैं सोफे से थोड़ा निचे सरक आया था.....मेरी गांड हवा में झूल रही थी मेरी कमर ही सोफे पर टिकी थी.....मैंने अपनी कमर को निचे लेकर अपनी गांड को हिलाना शुरुर कर दिया..
भाभी ने फिर गले से मस्ती भरी गुर्राहट निकली और मेरे हाथों को और कस कर पकड़ लिया.....
अब तो मैंने फुल स्पीड खोल दी.....गाड़ी पांचवे गेयर में लेकर पूरा एक्सीलेटर दे दिया....
साड़ी में ढंके होने के बावजूद जब मेरी जांघें भाभी की जांघों से टकराती तो फ़ट फ़ट की आवाज़ से कमरा गूँज जाता.....भाभी अभी भी मेरे हाथों को सोफे पर पकडे चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी
और मैं तो भेन्चोद पागल सांड बन गया था.....मेरी गांड इतनी तेज़ी से हिल रही थी की आप फोटो लेते तो पिक्चर पक्का ब्लर ( धुंधली ) आती.
भाभी ने मेरे बाल पकडे और अपनी गांड को हिलाना भी शुरू कर दिया.....साली चुदक्कड़ ने मेरी चुदाई की स्पीड से अपनी गांड की स्पीड मैच कर ली थी.
मैं इधर धक्का मरता और वो उधर से.....हम दोनों की जांघें इतनी ज़ोर से टकराती की पूरा बदन काँप जाता.
भाभी ने मेरे हाथ खुले छोड दिए थे....मैंने मौका देख कर हाथ उनकी साड़ी में सरकाए और उनके मस्त गोल गुन्दाज़ चूतड़ अपने हाथ में दबोच लिए....भाभी तो फुल मस्ती में अपनी गांड हिलाये जा रही थी....
मैंने भाभी की गांड को निचोड़ ही दिया......भाभी ने अपनी ऑंखें खोली और मेरी आँखों में देखा.
उनका मुंह मारे ठरक के खुला हुआ था......वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी गांड को गपागप मेरे लंड पर मारे जा रही थी. मैंने उनकी गांड को फिर से मसल दिया.....भाभी ने मेरे हाथों को फिर से खिंच कर अलग कर दिया.....और मेरे गलों पर एक थप्पड़ जड़ दिया.
इसकी माँ की चूत.
मैंने भाभी के पैरों के निचे हाथ डाला और उनको गोदी में लेकर सीधा खड़ा हो गया. मेरे हाथों पर उनकी टाँगें टिकी थी और उनका पूरा बदन हवा में.
लंड मेरा उनकी रिसती हुयी चूत में अंदर तक गड़ा हुआ.
मैंने भाभी की पीठ को देवर पर टिकाया और खड़े खड़े हो जो धक्के मारना शुरू किये की भाभी की आहें चीख में बदल गयी.....मस्ती भरी चीख.
कोमल भाभी ने अपने हाथ मेरी गर्दन पर लपेट रखे थे और वो एकटक मेरी आँखों में देख कर अपनी चूत कर भुर्ता बनवाए जा रही थी.
मैं तो उनका थप्पड़ खाने के बाद जैसे हब्शी लंड हो गया था. मैं इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था मानो आज उनको चूत ही फाड़ दूंगा. भाभी मेरे होटों को चूसने के लिए आगे झुकी.
अब नखरे चोदने की बरी मेरी थी.
मैंने अपने मुंह पीछे कर लिया.....भाभी नहीं मानी
उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा सर आगे करते हुए मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया.
मैं कुछ समझता इसके पहले मेरी जीभ और उनकी जीभ आपस में लड़ रही थी.
मैंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए.....और भाभी का निचला होंट अपने दांतों में पकड़ा.
भाभी अचानक अपने गले से हलकी गुर्राहट वाली आवाज़ निकलने लगी और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.......और अचानक ही उनका बदन मेरे आगोश में ही थरथराने लगा......मैंने कुछ समझता इसके पहले वो एकदम लुल्ल पड़ गयी..उनका पूरा बदन एक दम से पसीने में भीग गया.
उन्होंने अपनी बाँहों को मेरे कन्धों पर लपेट लिया और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर आँहें भरने लगी...
मैं रुक गया था......जाने इस ठरकी कुतिया को क्या हो गया ?
भाभी ने अपने सर पीछे किया और मुस्कुराते हुए कहाँ....
"थ.....थे......थैंक......यु...."
मैं कुछ समझ पता इस के पहले ही उनके हाव भाव फिर से बदल गए और उन्होंने अपनी गांड को फिर से ऊपर निचे करने शुरू कर दिया.....मैंने यह सिग्नल तो पकड़ लिया......अपने हाथों को उनकी गांड के गोलों पर जमाया और गाड़ी फोर लेन पर दौड़ा दी.
भाभी मेरे हर धक्के का पूरा जवाब दे रही थी....और हुज़ूर अपनी तो हालत ही ख़राब थी...
ऐसा मज़ा पुरे बदन में सनसना रहा था की क्या बताऊ....
भाभी का पसीने से भीगा बदन एक अलग ही महक दे रहा था. उनकी नशीली आँखें मुझ पर ही टिकी थी. अब मेरे लंड से भी कुछ इमरजेंसी सिग्नल आ रहे थे.....मेरे हाव भाव देख कर वो समझ गयी की अब मेरा प्लेन क्रैश करेगा...
उसने तुरंत हाथ नीच लेजाकर मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ना शुरू कर दिया, वो सनसनाहट जो मेरे गोटों से उठ रही थी वो धीरे धीरे मेरे पूरा बदन पर च गयी...
अब मेरी स्पीड के साथ ही मेरी आहें भी बढ़ गयी थी....
भाभी ने अपने हाथ से मेरे गोटों पर एक चिकोटी काटी और मेरी आँहें गुर्राहट में बदल गयी.
मैं भाभी को हवा में लिए लिए ही पलटा और उनके बदन को सोफे पर पटक दिया....लंड मेरा अभी भी उनकी मुनिये की जकड में ही था.
मैंने लंड पूरा बहार निकाल निकाल कर उनकी चुदाई शुरू कर दी.
भाभी का मुंह खुला का खुला ही रह गया....और मैं तो भेन्चोद पागल दरिंदा बन गया था. इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था की आवाज़े पुरे कमरे में गूँज रही थी.
भाभी का बदन फिर से कड़क होने लगा.......उन्होंने गुर्राती हुयी आवाज़ में कहाँ...
"हाँ.....हाँ......हाँ......ज़ोर.....से......आ.अ......ह......हाँ......यस......अभी......निकालोओओ ओ ओ ओ ओ"
मेरा पूरा बदन कड़क हो गया भाभी ने अपना हाथ बड़ा कर फिर से मेरे गोटों को पकड़ लिया और पूरा निचोड़ दिया.....मेरे अंदर भरा तूफ़ान मेरे लंड से पिचकारी जैसा निकल पड़ा...
जाने कितनी देर तक और कितना.....मगर मुझे तो लंड परवाह नहीं थी...
मैंने कोमल भाभी को जो चोद लिया था.
फटफटी के इंजन का आयल पानी हो गया था
अचानक बारिश होने लगी......मेरे मुंह पर पानी की ठंडी ठंडी बूंदें गिर रही थी.....
पर.....भेन्चोद मैं तो कोमल भाभी के घर पर था....अंदर पानी कहाँ से.....
तभी कोमल भाभी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी...
"अरे लल्ला भैया.....हाय राम......अरे उठो............"
कोमल भाभी ने मुझे ज़ोर से हिलाया.
मैंने ऑंखें खोल दी....मैं सोफे पर पड़ा था. भाभी मेरे सामने झुकी हुयी मेरे ऊपर पानी छिड़क रही थी. मैंने उनको देखा और उन्होंने मेरी आँखों में ही पानी छिड़क दिया...
"आउ.....च......", मैं कराहा
कोमल भाभी बोली, " ऊओह.....थैंक गॉड.....तुमको होश आ गया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी....
अरे....जब बिजली का काम नहीं आता तो हाँ क्यों कहा ??? कुछ हो जाता तो.....? बेहोश हो गए थे.....पता है........सच्ची कितना डर गयी थी मैं.....चलो उठो......अब कैसा लग रहा है .....?
इसकी माँ का भोसड़ा........यह क्या चुतियाई है यार..
अरे अभी तो मैंने भाभी की पुंगी बजाई थी और.......
shit ये सपना था....??
भाभी बोली, " चलो जी.....अब तो ठीक लग रहे हो.....उठो.....मुझे खाना बनाना है.....यह टूर से आने वाले है.....इतनो दिनों के बाद ..."
मैं उठा.....इधर उधर देखा.....और जल्दी आउट हुए रोहित शर्मा के जैसे मुंह लटका कर अपने घर आ गया.
घर पहुंचा तो पापा से सामने हो गया...
"आओ राजकुमार......कहाँ से आ रहे हो......? तुमसे कहा था की बी.कॉम एक ही शर्त पर करने दूंगा की दुकान पर आकर बैठोगे......एक दिन भी दुकान आये हो साल भर में.......भगवन जाने बल्लू को गाँव से नहीं बुलाता तो दुकान का क्या होता......अरे तेरा चाचा दिन भर लगा रहता है दुकान में......और तू कहाँ लगा रहता है.....?? "
चाची में.......
मैं हड़बड़ाया, " जी.....म....म.....मैं ......तो.....क.....क.....कॉलेज......."
पापा तो भड़क गए, " अरे चुप रह बद्तमीज़.......जबान चलाता है.....ये ही सिखाया हमने...."
जैसा की हमेशा होता है....माताजी का आगमन हो गया....
"अरे क्या हुआ.......लल्ला.....बाबू........आ गया.......चल खाना खा ले.....फिर मुझे मंदिर जाना है....क्या जी आप भी......पता है लल्ला आजकल सरदार प्रताप सिंह की बेटी को पढ़ाता है......"
पापा के माथे पर साल आये, " कौन प्रताप सिंह....? अरे....वो....ठेकेदार......"
माँ गर्व से बोली, " हाँ नहीं तो.......मेरा बेटा उनके घर जा कर पढ़ाता है उनकी बेटी को......"
मेरा बाप ठहरा पक्का बनिया.....तुरंत पलटी मार ली
"हाँ....हाँ.....ये तो अच्छी बात है......देख भाई लल्ला......सरदार साहब से भी दोस्ती कर लियो...समझा....बड़े लोग है...इनसे दोस्ती और सम्बन्ध बहुत काम आते है......"
मैं सोचा......सम्बन्ध ही तो बनाना चाह रह हूँ बापू....मगर....
पिया......फ़ोन पर हुए काण्ड के बाद अब तो क्या लण्ड कुछ होगा.....कही उसने अपने सांड भाई को बोल दिया तो वो तो मेरी गांड में बेसबॉल का बैट ही घुसा देगा....अब तो जाने क्या हो.....पिया तो शायद मुझसे कभी बात न करे......
तभी फ़ोन की घंटी बजी...मैं सवा सात फुट उछल गया..
पिया का फ़ोन था.
शुभारम्भ-34
भाभी ने अपनी नज़रें मेरे लपलपते प्रीकम से भीगे लंड पर टिकाई और बोली, " और कहाँ दर्द है ? "
मैं कुछ नहीं बोल पाया....मेरी नज़रें भाभी की नज़रों से मिली हुयी थी.....
हमारी नज़रें आपसे में लॉक हो गयी थी.....
भाभी ने धीरे से अपने हाथ बढ़ाया और बाबुराव को दबोच लिया.
उत्तेजना और मस्ती से मेरी ऑंखें कुछ बंद हो गयी मगर मेरी नज़रें अभी भी भाभी से मिली हुयी थी.
भाभी ने बाबुराव को अपनी मुठी में ले लिया था....उन्होंने अपनी मुठ्ठी से बाबुराव को भींच दिया. मेरी एक एक नस सनसना रही थी. मेरा मुंह खुल गया और भाभी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गयी....
उन्होंने फिर से अपनी मुठी को दबाया और मैं मस्ती से दोहरा हो गया. भाभी धीरे धीरे मेरा लंड हिलाने लगी. वो अपने हाथ को पूरा निचे ले जाती जिस से मेरे लंड की चमड़ी पूरी निचे हो जाती और विकराल सुपाड़ा नंगा हो कर सामने आ जाता. प्रीकम से भीगे सुपाड़े पर रौशनी से चमक सी आ जाती.
भाभी फिर अपने हाथ को पूरा ऊपर तक लाती जिस से लंड में भरा प्रीकम बहार आ कर सुपाड़े पर फ़ैल जाता. अब मैं सिस्कारियां नहीं मार रहा था बल्कि आँहें भर रहा था.
भाभी के स्तन मेरे जांघों पर ठीके थे....न जाने उन्होंने कब अपने अंचल की पिन हटा ली थी....उनका अंचल कब से गिर चूका था....गहरे गले से झांकते मम्मे मुझे मानो चिड़ा रहे थे. मैं कचकचा कर आगे पड़ा की उन्हें दबोच लूँ....मगर भाभी ने मुझे धक्का दे कर फिर सोफे पर टिका दिया.
मैंने सवाल भरी नज़रों से उन्हें देखा.......
वो अब भी वही सीरियल की नेगेटिव शेड वाली हेरोइन की मुस्कान मार रही थी.
मैंने फिर से उनके मम्मो पर हाथ डालने की कोशिश की...उन्होंने फिर से मुझे पीछे कर दिया...
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहाँ...
"क्यों.....जी......उस दिन छत पर क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ......"
मेरी गांड फटी.......अब यह क्या है......?
"क....क.....कब......क्या.......म....म....मैं समझा नहीं......"
भाभी मुस्कुराते हुए बोली,
" हाँ जी......समझ तो गए हो.....क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ......फिर मेरी छत पर कूद आये थे.......बोलो.....?"
भेन्चोद यह कहाँ फंसा....
मेरा खड़ा बाबुराव इस कमीनी के हाथ में......और साली मुझे थर्ड डिग्री देकर मुझसे राज़ उगलवा रही है.
"क....क....कुछ भी नहीं......"
भाभी की अपनी आइब्रो टेडी की तो मैंने तुरंत बात संभाली.....
"अच्छा.......व्.....व्.....वो.......हाँ......म.....म.....मैं.....चाची को गुदगुदी कर रहा था........"
कोमल भाभी ने एक पल मुझे देखा और बाबुराव को अपनी मुठी में मसल दिया...
कसम असलम भाई की.....मेरी आवाज़ टेंटुए में ही रह गयी.....
कोमल भाभी बोली, " झूट मत बोलो.....मुझे पता है वह क्या हो रहा था......."
अब साला इधर शक्ति कपूर उधर गुलशन ग्रोवर....
बोलू तो फंसु न बोलू तो .....रामजाने ....का हो.
मैंने फिर बाद सँभालने की कोशिश की.,...
"न....न......न.....मैं......तो......मेरा...मतलब है की.....च...च...चाची की......आअह."
भाभी ने फिर से मेरे तोते की गर्दन दबा दी थी.
भाभी कड़क आवाज़ में बोली, " झूट पर झूट.......बेशरम कही के....बोलते क्यों नहीं की तुम नीलू चाची को चोद रहे थे"
क्या ......?
भाभी के मुंह से यह सुन कर मेरे तो तोते चिड़िया कबूतर बन्दर हिरन शेर सब उड़ गए.....
साला भाग भी नहीं सकता.....मेरा तो लंड भाभी के हाथ में.
मेरे मुंह से कुछ निकला ही नहीं.....
भाभी ने कातिल मुस्कान मारी और बोली, " बेशरम कहीं के.....अपनी चाची के साथ ही......बच्चा समझती थी तुम्हे मैं तो.......और तुम निकले .....एक नंबर के.......चोदु....."
अबे लंड.....कहाँ फंस गया रे......क्या बोलू क्या करू....
और भाभी इधर मस्त मेरी मुठ मरे जा रही थी.....मैंने भी सोचा अब जो होगा सो होगा.....
मैंने फिर से भाभी के गदराये मम्मो को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और भाभी ने उतनी ही तेज़ी से मेरा हाथ झटक दिया.....मैं कुछ समझता तबतक उन्होंने मेरे गोटों पर एक चिकोटी काट दी.
हाय.....अब यह क्या था ??
भाभी गुर्राई, "चुपचाप पड़ा रह......ख़बरदार जो इधर उधर हाथ भी डाला...."
अरे मादर चोद.....अब ये कोनसी फिलम है.
मैंने फिर से हाथ बढ़ाने का सोचा तो भाभी ने फिर से बाबुराव की गर्दन मोड़ दी. मैंने हाथ पीछे कर लिए.
माँ चुदाये....मुझे क्या.....भाभी मस्त मुठ मार ही रही है......चलने दो.
अचानक भाभी उठी उन्होंने अपनी साड़ी के अंदर दोनों हाथ डाले.... एक ही पल में उनकी पैंटी निचे.
भाभी ने अपनी पैंटी मेरे ऊपर फैंक दी और साड़ी को थोड़ा ऊपर किये मेरे ऊपर आकर बैठ गयी.
उन्होंने निचे हाथ डाल कर मेरे मुस्तैद खड़े सिपाही को पकड़ा और सीधे अपनी मुनिया के मुंह पर लगा दिया. मैं कुछ समझ पता तब तक उन्होंने अपने पूरा वजन मेरे लंड पर डाला और अपना पप्पू तुरंत सरसराता हुआ भाभी की मुनिया में घुस गया.
भाभी ने अपना सर पीछे की और फैंक कर एक मदमस्त आह भरी जो धीरे धीरे गले से आती गुर्राहट में बदल गयी.
मैं हक्काबक्का चूतिये जैसा अभी तक समझ ही नहीं पा रहा था की यह हुआ क्या...
भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखे तो अपने गांड को गोल गोल घूमना शुरू कर दिया.
एक पल तो मुझे समझ नहीं आया फिर तो मेरे लंड से मस्ती का करंट सा बहने लगा.
भाभी अपनी गांड को पूरी तेज़ी से घुमा रही थी मैं तो सिर्फ अपना बाबुराव को उनकी मुनिया में डाले पड़ा था.
भाभी ही मुझे चोद रही थी.
मैंने अपने हाथ फिर से भाभी की कमर की और बढ़ाये...भाभी ने मेरे हाथों को फिर झटक दिया. और मैंने हाथों को दबा कर मुझ पर झुक गयी.....
इस सब क्रिया कलाप में मैं सोफे से थोड़ा निचे सरक आया था.....मेरी गांड हवा में झूल रही थी मेरी कमर ही सोफे पर टिकी थी.....मैंने अपनी कमर को निचे लेकर अपनी गांड को हिलाना शुरुर कर दिया..
भाभी ने फिर गले से मस्ती भरी गुर्राहट निकली और मेरे हाथों को और कस कर पकड़ लिया.....
अब तो मैंने फुल स्पीड खोल दी.....गाड़ी पांचवे गेयर में लेकर पूरा एक्सीलेटर दे दिया....
साड़ी में ढंके होने के बावजूद जब मेरी जांघें भाभी की जांघों से टकराती तो फ़ट फ़ट की आवाज़ से कमरा गूँज जाता.....भाभी अभी भी मेरे हाथों को सोफे पर पकडे चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी
और मैं तो भेन्चोद पागल सांड बन गया था.....मेरी गांड इतनी तेज़ी से हिल रही थी की आप फोटो लेते तो पिक्चर पक्का ब्लर ( धुंधली ) आती.
भाभी ने मेरे बाल पकडे और अपनी गांड को हिलाना भी शुरू कर दिया.....साली चुदक्कड़ ने मेरी चुदाई की स्पीड से अपनी गांड की स्पीड मैच कर ली थी.
मैं इधर धक्का मरता और वो उधर से.....हम दोनों की जांघें इतनी ज़ोर से टकराती की पूरा बदन काँप जाता.
भाभी ने मेरे हाथ खुले छोड दिए थे....मैंने मौका देख कर हाथ उनकी साड़ी में सरकाए और उनके मस्त गोल गुन्दाज़ चूतड़ अपने हाथ में दबोच लिए....भाभी तो फुल मस्ती में अपनी गांड हिलाये जा रही थी....
मैंने भाभी की गांड को निचोड़ ही दिया......भाभी ने अपनी ऑंखें खोली और मेरी आँखों में देखा.
उनका मुंह मारे ठरक के खुला हुआ था......वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी गांड को गपागप मेरे लंड पर मारे जा रही थी. मैंने उनकी गांड को फिर से मसल दिया.....भाभी ने मेरे हाथों को फिर से खिंच कर अलग कर दिया.....और मेरे गलों पर एक थप्पड़ जड़ दिया.
इसकी माँ की चूत.
मैंने भाभी के पैरों के निचे हाथ डाला और उनको गोदी में लेकर सीधा खड़ा हो गया. मेरे हाथों पर उनकी टाँगें टिकी थी और उनका पूरा बदन हवा में.
लंड मेरा उनकी रिसती हुयी चूत में अंदर तक गड़ा हुआ.
मैंने भाभी की पीठ को देवर पर टिकाया और खड़े खड़े हो जो धक्के मारना शुरू किये की भाभी की आहें चीख में बदल गयी.....मस्ती भरी चीख.
कोमल भाभी ने अपने हाथ मेरी गर्दन पर लपेट रखे थे और वो एकटक मेरी आँखों में देख कर अपनी चूत कर भुर्ता बनवाए जा रही थी.
मैं तो उनका थप्पड़ खाने के बाद जैसे हब्शी लंड हो गया था. मैं इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था मानो आज उनको चूत ही फाड़ दूंगा. भाभी मेरे होटों को चूसने के लिए आगे झुकी.
अब नखरे चोदने की बरी मेरी थी.
मैंने अपने मुंह पीछे कर लिया.....भाभी नहीं मानी
उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा सर आगे करते हुए मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया.
मैं कुछ समझता इसके पहले मेरी जीभ और उनकी जीभ आपस में लड़ रही थी.
मैंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए.....और भाभी का निचला होंट अपने दांतों में पकड़ा.
भाभी अचानक अपने गले से हलकी गुर्राहट वाली आवाज़ निकलने लगी और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.......और अचानक ही उनका बदन मेरे आगोश में ही थरथराने लगा......मैंने कुछ समझता इसके पहले वो एकदम लुल्ल पड़ गयी..उनका पूरा बदन एक दम से पसीने में भीग गया.
उन्होंने अपनी बाँहों को मेरे कन्धों पर लपेट लिया और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर आँहें भरने लगी...
मैं रुक गया था......जाने इस ठरकी कुतिया को क्या हो गया ?
भाभी ने अपने सर पीछे किया और मुस्कुराते हुए कहाँ....
"थ.....थे......थैंक......यु...."
मैं कुछ समझ पता इस के पहले ही उनके हाव भाव फिर से बदल गए और उन्होंने अपनी गांड को फिर से ऊपर निचे करने शुरू कर दिया.....मैंने यह सिग्नल तो पकड़ लिया......अपने हाथों को उनकी गांड के गोलों पर जमाया और गाड़ी फोर लेन पर दौड़ा दी.
भाभी मेरे हर धक्के का पूरा जवाब दे रही थी....और हुज़ूर अपनी तो हालत ही ख़राब थी...
ऐसा मज़ा पुरे बदन में सनसना रहा था की क्या बताऊ....
भाभी का पसीने से भीगा बदन एक अलग ही महक दे रहा था. उनकी नशीली आँखें मुझ पर ही टिकी थी. अब मेरे लंड से भी कुछ इमरजेंसी सिग्नल आ रहे थे.....मेरे हाव भाव देख कर वो समझ गयी की अब मेरा प्लेन क्रैश करेगा...
उसने तुरंत हाथ नीच लेजाकर मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ना शुरू कर दिया, वो सनसनाहट जो मेरे गोटों से उठ रही थी वो धीरे धीरे मेरे पूरा बदन पर च गयी...
अब मेरी स्पीड के साथ ही मेरी आहें भी बढ़ गयी थी....
भाभी ने अपने हाथ से मेरे गोटों पर एक चिकोटी काटी और मेरी आँहें गुर्राहट में बदल गयी.
मैं भाभी को हवा में लिए लिए ही पलटा और उनके बदन को सोफे पर पटक दिया....लंड मेरा अभी भी उनकी मुनिये की जकड में ही था.
मैंने लंड पूरा बहार निकाल निकाल कर उनकी चुदाई शुरू कर दी.
भाभी का मुंह खुला का खुला ही रह गया....और मैं तो भेन्चोद पागल दरिंदा बन गया था. इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था की आवाज़े पुरे कमरे में गूँज रही थी.
भाभी का बदन फिर से कड़क होने लगा.......उन्होंने गुर्राती हुयी आवाज़ में कहाँ...
"हाँ.....हाँ......हाँ......ज़ोर.....से......आ.अ......ह......हाँ......यस......अभी......निकालोओओ ओ ओ ओ ओ"
मेरा पूरा बदन कड़क हो गया भाभी ने अपना हाथ बड़ा कर फिर से मेरे गोटों को पकड़ लिया और पूरा निचोड़ दिया.....मेरे अंदर भरा तूफ़ान मेरे लंड से पिचकारी जैसा निकल पड़ा...
जाने कितनी देर तक और कितना.....मगर मुझे तो लंड परवाह नहीं थी...
मैंने कोमल भाभी को जो चोद लिया था.
फटफटी के इंजन का आयल पानी हो गया था
अचानक बारिश होने लगी......मेरे मुंह पर पानी की ठंडी ठंडी बूंदें गिर रही थी.....
पर.....भेन्चोद मैं तो कोमल भाभी के घर पर था....अंदर पानी कहाँ से.....
तभी कोमल भाभी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी...
"अरे लल्ला भैया.....हाय राम......अरे उठो............"
कोमल भाभी ने मुझे ज़ोर से हिलाया.
मैंने ऑंखें खोल दी....मैं सोफे पर पड़ा था. भाभी मेरे सामने झुकी हुयी मेरे ऊपर पानी छिड़क रही थी. मैंने उनको देखा और उन्होंने मेरी आँखों में ही पानी छिड़क दिया...
"आउ.....च......", मैं कराहा
कोमल भाभी बोली, " ऊओह.....थैंक गॉड.....तुमको होश आ गया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी....
अरे....जब बिजली का काम नहीं आता तो हाँ क्यों कहा ??? कुछ हो जाता तो.....? बेहोश हो गए थे.....पता है........सच्ची कितना डर गयी थी मैं.....चलो उठो......अब कैसा लग रहा है .....?
इसकी माँ का भोसड़ा........यह क्या चुतियाई है यार..
अरे अभी तो मैंने भाभी की पुंगी बजाई थी और.......
shit ये सपना था....??
भाभी बोली, " चलो जी.....अब तो ठीक लग रहे हो.....उठो.....मुझे खाना बनाना है.....यह टूर से आने वाले है.....इतनो दिनों के बाद ..."
मैं उठा.....इधर उधर देखा.....और जल्दी आउट हुए रोहित शर्मा के जैसे मुंह लटका कर अपने घर आ गया.
घर पहुंचा तो पापा से सामने हो गया...
"आओ राजकुमार......कहाँ से आ रहे हो......? तुमसे कहा था की बी.कॉम एक ही शर्त पर करने दूंगा की दुकान पर आकर बैठोगे......एक दिन भी दुकान आये हो साल भर में.......भगवन जाने बल्लू को गाँव से नहीं बुलाता तो दुकान का क्या होता......अरे तेरा चाचा दिन भर लगा रहता है दुकान में......और तू कहाँ लगा रहता है.....?? "
चाची में.......
मैं हड़बड़ाया, " जी.....म....म.....मैं ......तो.....क.....क.....कॉलेज......."
पापा तो भड़क गए, " अरे चुप रह बद्तमीज़.......जबान चलाता है.....ये ही सिखाया हमने...."
जैसा की हमेशा होता है....माताजी का आगमन हो गया....
"अरे क्या हुआ.......लल्ला.....बाबू........आ गया.......चल खाना खा ले.....फिर मुझे मंदिर जाना है....क्या जी आप भी......पता है लल्ला आजकल सरदार प्रताप सिंह की बेटी को पढ़ाता है......"
पापा के माथे पर साल आये, " कौन प्रताप सिंह....? अरे....वो....ठेकेदार......"
माँ गर्व से बोली, " हाँ नहीं तो.......मेरा बेटा उनके घर जा कर पढ़ाता है उनकी बेटी को......"
मेरा बाप ठहरा पक्का बनिया.....तुरंत पलटी मार ली
"हाँ....हाँ.....ये तो अच्छी बात है......देख भाई लल्ला......सरदार साहब से भी दोस्ती कर लियो...समझा....बड़े लोग है...इनसे दोस्ती और सम्बन्ध बहुत काम आते है......"
मैं सोचा......सम्बन्ध ही तो बनाना चाह रह हूँ बापू....मगर....
पिया......फ़ोन पर हुए काण्ड के बाद अब तो क्या लण्ड कुछ होगा.....कही उसने अपने सांड भाई को बोल दिया तो वो तो मेरी गांड में बेसबॉल का बैट ही घुसा देगा....अब तो जाने क्या हो.....पिया तो शायद मुझसे कभी बात न करे......
तभी फ़ोन की घंटी बजी...मैं सवा सात फुट उछल गया..
पिया का फ़ोन था.
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