FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..15
**********
अब आगे
**********
प्राची का इशारा अपनी माँ की उभरी हुई गांड की तरफ था...और उसके उपर उनकी लहलराती हुई कमर का कटाव भी बड़ा कातिल लग रहा था इस वक़्त...
आज से पहले प्राची हमेशा से अजय को इधर-उधर मुँह मारने से रोकती थी...और आज ना जाने क्यो खुद ही अपनी माँ के बदन की तारीफ करके उसके खड़े हुए लंड में और कड़कपन भर रही थी...
पर वो जो भी कर रही थी अपनी मस्ती के लिए ही....वरना उसे भी पता था की अपने पति को ऐसी छूट देकर उसका ही नुकसान होगा.
रजनी भी अपना दम साधे दूसरी तरफ मुँह करके अपनी बेटी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर हैरान थी....आज से पहले उसने कोई भी गंदी बात नही सुनी थी उसके मुँह से...पर आज वो बड़ी आसानी से लंड , चूत और चुदाई की बातें कर रही थी...और साथ ही साथ उसके बदन की तारीफ भी,अपने पति के सामने, ये बात रजनी को भी हजम नही हो रही थी.
प्राची के हाथ में अभी तक अजय का लंड था....उसने अजय के पायजामे को नीचे खिसका दिया और उसके नंगे लंड को पकड़ लिया.
वो अभी तक थोड़ा सा गीला था...रजनी कुछ देर पहले तक तो उसको चूस रही थी,उसकी वजह से..
प्राची को लगा की शायद अंदर रहने की वजह से उसे पसीना आ गया है...वो बड़े आराम से उसके लंड को मसलकर उसकी नमीं का एहसास लेती रही और फिर धीरे से नीचे की तरफ खिसक कर उसने अजय के लंड को मुँह मे भर लिया...5 मिनट पहले जिस लंड को अजय की सास चूस रही थी वही लंड अब उसकी बेटी यानी अजय की पत्नी चूस रही थी..
और दोनो के होंठों का दबाव लगभग एक समान ही था...उनकी नर्माहट और सकिंग करने की शक्ति भी लगभग एक जैसी ही थी...जैसी माँ ....वैसी बेटी.
अजय ने एक हाथ प्राची के चेहरे पर रख दिया और उसके लंबे बालों को सहलाने लगा...और दबाव डालकर अपने लंड को और अंदर घुसाने लगा उसके मुँह में .
ऐसा करते हुए वो जान बूझकर अपने मुँह से ऐसी आवाज़ें निकाल रहा था ताकि उसकी सास समझ जाए की उस बिस्तर पर क्या शुरू हो चुका है...अब रजनी भी इतनी बुद्धू नही थी जो ये ना समझ सकती...अजय की सिसकारियाँ बता रही थी की उसके लंड को प्राची इस वक़्त कितनी निर्दयता से चूस रही है...ऐसी आवाज़ें निकाल कर अजय अपनी सास को भी उत्तेजित कर देना चाहता था...ताकि अगला मौका मिलते ही वो अपनी चूत लेकर खुद उसके सामने पहुँच जाए...
और तभी अजय के दिमाग़ मे एक आइडिया आया....उसने प्राची के बालों को फेलाकर उसके चेहरे को पूरा ढक दिया ताकि उसे पीछे की तरफ का कुछ दिखाई ना दे...और फिर अगले ही पल उसने अपना दूसरा हाथ अपनी सास की तरफ बड़ा दिया और उसे आगे की तरफ लेजाकर उनकी मोटी ब्रेस्ट को दबाने लगा...
रजनी भी एकदम से अपने दामाद के हाथ को अपनी छातियाँ मसलते देखकर चोंक गयी...वो एकदम से पलटी और अपनी आश्चर्यचकित आँखो से अजय को देखा और फिर प्राची को जो किसी पालतू कुतिया की तरह अजय के लंड को चूस रही थी...
रजनी का चेहरा लाल हो उठा...ये पहली बार था जब वो किसी और का लाईव सेक्स शो इतनी करीब से देख रही थी...शर्म भी आ रही थी उसको क्योंकि वो उसकी खुद की ही बेटी थी जो अपने पति का लंड चूस रही थी इस वक़्त...और उत्तेजना के मारे वो मना भी नही कर रही थी अजय को, उसके हाथ को...बस उन दोनो को एकटक होकर निहारती रही ....बिना कुछ बोले...
दूसरी तरफ अपनी काली घटाओं की आढ़ में प्राची तो दीन-दुनिया से बेख़बर होकर अपने पति की सेवा कर रही थी..अपना पत्नी धर्म निभा रही थी...और साथ ही साथ अपनी चूत को अपने हाथ से मसल कर अपनी खुजली भी मिटा रही थी...
उसे तो पता भी नही था की उसका पति इस वक़्त डबल गेम खेल रहा है....एक तरफ अपना लंड उसके मुँह में देकर दूसरी तरफ उसकी माँ के मुम्मे दबा कर उसे भी मस्ती में सराबोर कर रहा है.
और ऐसा करते हुए अजय भी काफ़ी सावधान था...उसकी पेनी नज़र प्राची पर ही थी और उसके हाथ का दबाव उसके सिर पर ताकि एकदम से वो पलट ना जाए...ऐसा करते ही उसने अपनी सास के उपर से हाथ हटा लेना था...पर वो नही जानता था की उसके छाती मर्दन का क्या असर हो रहा है इस वक़्त रजनी पर...
रजनी कुछ देर तक तो बेड पर मचलती रही फिर उसने अपना उपर का बटन एक बार फिर से खोला और अजय के हाथ को पकड़कर अंदर धकेल दिया...अजय के मुँह से जो आवाज़ें लंड चुसाई की वजह से निकल रही थी उनमे और बढ़ोतरी हो गयी,अपनी सास के नंगे मुम्मो को महसूस करके...उसके सुलग रहे बुलेट जैसे निप्पल्स पर हाथ रखकर...उन्हे मसलकर...मन तो उसका कर रहा था की दूसरी तरफ झुके और उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चबा जाए...पर इस वक़्त ऐसा करना संभव नही था....पर जो भी इस वक़्त हो रहा था उससे उसे और उसकी सास को एक अलग ही तरह का रोमांच प्राप्त हो रहा था....जिसे बयान करना मुश्किल था.
अचानक प्राची ने अपने सिर को पीछे करना चाहा...अजय ने भी अपने हाथ का दबाव कम करने से पहले अपना हाथ अपनी सास की छातियों से वापिस खींच लिया...रजनी भी तेज़ी से वापिस दूसरी तरफ पलट कर सो गयी...पर जल्दबाज़ी मे अपने बटन बंद नही कर पाई....
अब वो दूसरी तरफ मुँह करके लेटी थी पर उसकी छातियाँ उसके नाइट सूट से बाहर निकल कर लटक रही थी.ऐसे में अगर प्राची घूमकर उनकी तरफ चली जाती तो सारा खेल बिगड़ जाना था.
खैर,प्राची ने ऐसा कुछ नही किया...अब तो वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अपने पति के लंड को स्टील रोड जैसा कर दिया था उसने चूसकर ...और अपनी चूत में आग सी लगा थी थी उसे मसलकर....अब तो उसे ये भी याद नही था की उसकी माँ भी उसी पलंग पर सो रही है जिसपर वो चुदने की तैयारी कर रही है...
वो झट से उछलकर बैठी और अपनी टी शर्ट को उसने उतार दिया...और अगले ही पल आनी ब्रा को भी...क्योंकि उसे अच्छी तरह से पता था की अजय को बूब्स चूसना कितना पसंद है...फिर वो उठी और अपने पयज़ामे को भी उतार दिया, और हमेशा की तरह उसने आज भी पेंटी नही पहनी हुई थी...
अब वो पूरी नंगी थी अजय के सामने....
और हल्की रोशनी मे उसका दूधिया बदन कमाल का लग रहा था.
अजय ने भी अपना पायजामा नीचे खिसका दिया...और प्राची उसकी गोद में दोनो तरफ लातें करके बैठ गयी...उसके पेट पर उसकी चूत वाला हिस्सा था...और वहां से मिल रही गर्मी से अजय के पेट पर हल्के फुल्के से जो बाल थे वो झुलस कर रह गये...गीले से हो गये वहां से निकल रहे गर्म पानी से...
अजय ने उसकी कमर मे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और उसकी उभरी हुई ब्रेस्ट को मुँह मे लेकर किसी अबोध बालक की तरह उसके चुचूक चूसने लगा..
प्राची ने उसके सिर के बालों को ज़ोर से पकड़कर और ज़ोर से उसे अपने अंदर घुसा लिया और चिल्लाई : "सक्क मी बैबी....पी ले मम्मा का सारा दूधु...''
अजय ऐसी बातें सुनकर ज़्यादा उत्तेजित हो जाया करता था जिसमे प्राची कोई रोल प्ले करती थी...इस वक़्त वो प्राची का बेटा बनकर उसका दूध पी रहा था..
प्राची : "उम्म्म्म......बस कुछ महीने के बाद इस दूध का असली हक़दार आ जाएगा....''
अजय ने अपना मुँह बाहर निकाला और बड़े प्यार से बोला : "एक तरफ से उसे पिलाना,और दूसरी तरफ से मुझे....मैं नही मानने वाला बिना पिए....''
प्राची उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी...
और बगल मे अपनी आँखे मूंद कर लेटी हुई रजनी के निप्पल्स में भी तरंगे सी उठने लगी....काश इस वक़्त अजय उसका दूध भी पी सकता....और उन तरंगो को चबाकर ख़त्म कर सकता...
अजय ने बड़ी चालाकी से प्राची को अपनी तरफ पूरा चिपका लिया...और एक बार फिर से अपने दूसरे हाथ को अपनी सास की तरफ ले गया...और सीधा लेजाकर उनकी ब्रेस्ट को फिर से मसलने लगा...
रजनी मन ही मन बुदबुदाई 'शुक्र है, मेरी याद तो आई इसको...'
और फिर वैसी ही सीधी हो गयी और अपनी उभरी हुई छातियों को अपने दामाद के हवाले कर के उसी मर्दन का आनंद उठाने लगी जो कुछ देर पहले तक अजय उसे दे रहा था.
अजय का मुँह तो अपनी बीबी की ब्रेस्ट पर चल रहा था पर असली मज़ा उसे अपने हाथों के थ्रू ही मिल रहा था जिनमे उसकी सास की ब्रेस्ट थी इस वक़्त....उसे वो कहावत याद आ गयी, 'पाँचो उंगलियाँ घी में और मुँह कड़ाई मे'..कुछ ऐसा ही हाल था इस वक़्त अजय का भी...
प्राची की चूत की खुजली बढ़ने लगी और वो धीरे-2 खिसक कर अजय के लंड की तरफ जाने लगी...अजय को भी जब ये एहसास हुआ तो उसने उसे रोक दिया...और बड़े ही प्यार से बोला : "बैबी....डॉक्टर ने अभी कुछ हफ्तों के लिए बिल्कुल मना किया है....प्लीज़...कुछ दिन रुक जाओ बस...अभी तुमने ही कहा था ना की दूसरे भी तरीके है...''
प्राची को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...पर शायद उसपर चुदासी चढ़ गयी थी इसलिए वो उसमे बहकति चली गयी ...पर अजय के समझाने पर वो मान भी गयी....वो नीचे झुकी और उसने अजय को चूम लिया...अजय का हाथ तब तक रजनी की छातियों से वापिस आ चुका था...और वो एक बार फिर से दूसरी तरफ चेहरा करके लेट चुकी थी....
अजय ने प्राची को नीचे लिटाया और खुद उसके साइड में घुटनो के बल खड़ा हो गया...
उसका लंबा लॅंड अब प्राची के चेहरे के सामने लहरा रहा था...पहले तो उसने सोचा की 69 करके दोनो एक साथ मज़े ले लेते हैं, पर फिर कुछ सोचकर उसने वो करना भी ठीक नही समझा..और अपना लंड नीचे करके प्राची के मुँह में डाल दिया...उसने भी बड़ी व्याकुलता से उसे पकड़ कर निगल लिया....और अजय ने अपने लंबे हाथों का इस्तेमाल करते हुए अपने हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर दाखिल कर दी....वहां से निकल रहा गरमा गरम पानी अजय को ऐसा लगा जैसे उबलता हुआ लावा हो...उसकी उंगलियाँ गरमा सी गयी...पर फिर भी उसने अपनी बीच की तीन उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी और फिर अपना अंगूठा भी अंदर डालकर उसकी क्लिट को पकड़ा और उसे सहलाने लगा...
ऐसा करते ही प्राची का बदन अकड़ने सा लगा....उसने कमान की तरह अपनी कमर हवा मे उठा ली और अजय के लंड को और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
अजय भी अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत में दिखाने लगा...तेज़ी से अंदर बाहर करता हुआ वो अपनी सास को ही देखे जा रहा था....जो बड़ी तेज़ी से साँस लेती हुई अपने आप को नियंत्रित करके लेटी हुई थी.
अचानक प्राची का बदन पूरा अकड़ गया और फिर अगले ही पल वो भरभराती हुई झड़ने लगी....
अजय का लंड था उसके मुँह में इसलिए सिर्फ़ गु-गु की आवाज़ें निकल कर रह गयी....
और धीरे-2 उसकी गांड ने बेड पर लेंड कर दिया.
अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखकते हुए अपना लंड बाहर निकाला...और अपने हाथों से हिलाने लगा....
और अगले ही पल वो अपने लंड से सफेद पानी उसके चेहरे पर स्प्रे करने लगा....
और जान बूझकर उसने एक -2 मोटी पिचकारियाँ अपनी सास की तरफ भी छोड़ दी....जो सीधा उनके गालों पर जाकर गिरी...
प्राची तो अजय के माल को अपने चेहरे और छाती पर महसूस करके पगला सी गयी...और उसकी बूँद-2 को अपनी उंगलियों से समेटकर निगल गयी...
पर अजय की नज़रें तो उसकी सास की तरफ थी...जो कुछ देर तक तो बिना हीले लेटी रही पर फिर धीरे से अपना हाथ अपने गालों तक लेजाकर वहाँ पड़ी मलाई को अपनी उंगलियों से समेटा और अपने मुँह में लेजाकर निगल गयी..
आआआआआहह कितना मजेदार स्वाद था अजय के माल का....काश वो पूरा का पूरा निगल पाती ..और इस वक़्त रजनी को अपनी बेटी से किसी सौतन जैसी ईर्ष्या हो रही थी....
अजय भी अपनी सास के द्वारा अपने माल को निगलता देखकर यही सोच रहा था की अब जल्द ही ऐसा दिन आएगा जब इस माल को पूरा उसकी सास निगलेगी...
और ये वक़्त जल्द ही आने वाला था
क्योंकि अब आग दोनो तरफ बराबर ही लगी हुई थी..
ठरकी की लाइफ में ..15
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अब आगे
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प्राची का इशारा अपनी माँ की उभरी हुई गांड की तरफ था...और उसके उपर उनकी लहलराती हुई कमर का कटाव भी बड़ा कातिल लग रहा था इस वक़्त...
आज से पहले प्राची हमेशा से अजय को इधर-उधर मुँह मारने से रोकती थी...और आज ना जाने क्यो खुद ही अपनी माँ के बदन की तारीफ करके उसके खड़े हुए लंड में और कड़कपन भर रही थी...
पर वो जो भी कर रही थी अपनी मस्ती के लिए ही....वरना उसे भी पता था की अपने पति को ऐसी छूट देकर उसका ही नुकसान होगा.
रजनी भी अपना दम साधे दूसरी तरफ मुँह करके अपनी बेटी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर हैरान थी....आज से पहले उसने कोई भी गंदी बात नही सुनी थी उसके मुँह से...पर आज वो बड़ी आसानी से लंड , चूत और चुदाई की बातें कर रही थी...और साथ ही साथ उसके बदन की तारीफ भी,अपने पति के सामने, ये बात रजनी को भी हजम नही हो रही थी.
प्राची के हाथ में अभी तक अजय का लंड था....उसने अजय के पायजामे को नीचे खिसका दिया और उसके नंगे लंड को पकड़ लिया.
वो अभी तक थोड़ा सा गीला था...रजनी कुछ देर पहले तक तो उसको चूस रही थी,उसकी वजह से..
प्राची को लगा की शायद अंदर रहने की वजह से उसे पसीना आ गया है...वो बड़े आराम से उसके लंड को मसलकर उसकी नमीं का एहसास लेती रही और फिर धीरे से नीचे की तरफ खिसक कर उसने अजय के लंड को मुँह मे भर लिया...5 मिनट पहले जिस लंड को अजय की सास चूस रही थी वही लंड अब उसकी बेटी यानी अजय की पत्नी चूस रही थी..
और दोनो के होंठों का दबाव लगभग एक समान ही था...उनकी नर्माहट और सकिंग करने की शक्ति भी लगभग एक जैसी ही थी...जैसी माँ ....वैसी बेटी.
अजय ने एक हाथ प्राची के चेहरे पर रख दिया और उसके लंबे बालों को सहलाने लगा...और दबाव डालकर अपने लंड को और अंदर घुसाने लगा उसके मुँह में .
ऐसा करते हुए वो जान बूझकर अपने मुँह से ऐसी आवाज़ें निकाल रहा था ताकि उसकी सास समझ जाए की उस बिस्तर पर क्या शुरू हो चुका है...अब रजनी भी इतनी बुद्धू नही थी जो ये ना समझ सकती...अजय की सिसकारियाँ बता रही थी की उसके लंड को प्राची इस वक़्त कितनी निर्दयता से चूस रही है...ऐसी आवाज़ें निकाल कर अजय अपनी सास को भी उत्तेजित कर देना चाहता था...ताकि अगला मौका मिलते ही वो अपनी चूत लेकर खुद उसके सामने पहुँच जाए...
और तभी अजय के दिमाग़ मे एक आइडिया आया....उसने प्राची के बालों को फेलाकर उसके चेहरे को पूरा ढक दिया ताकि उसे पीछे की तरफ का कुछ दिखाई ना दे...और फिर अगले ही पल उसने अपना दूसरा हाथ अपनी सास की तरफ बड़ा दिया और उसे आगे की तरफ लेजाकर उनकी मोटी ब्रेस्ट को दबाने लगा...
रजनी भी एकदम से अपने दामाद के हाथ को अपनी छातियाँ मसलते देखकर चोंक गयी...वो एकदम से पलटी और अपनी आश्चर्यचकित आँखो से अजय को देखा और फिर प्राची को जो किसी पालतू कुतिया की तरह अजय के लंड को चूस रही थी...
रजनी का चेहरा लाल हो उठा...ये पहली बार था जब वो किसी और का लाईव सेक्स शो इतनी करीब से देख रही थी...शर्म भी आ रही थी उसको क्योंकि वो उसकी खुद की ही बेटी थी जो अपने पति का लंड चूस रही थी इस वक़्त...और उत्तेजना के मारे वो मना भी नही कर रही थी अजय को, उसके हाथ को...बस उन दोनो को एकटक होकर निहारती रही ....बिना कुछ बोले...
दूसरी तरफ अपनी काली घटाओं की आढ़ में प्राची तो दीन-दुनिया से बेख़बर होकर अपने पति की सेवा कर रही थी..अपना पत्नी धर्म निभा रही थी...और साथ ही साथ अपनी चूत को अपने हाथ से मसल कर अपनी खुजली भी मिटा रही थी...
उसे तो पता भी नही था की उसका पति इस वक़्त डबल गेम खेल रहा है....एक तरफ अपना लंड उसके मुँह में देकर दूसरी तरफ उसकी माँ के मुम्मे दबा कर उसे भी मस्ती में सराबोर कर रहा है.
और ऐसा करते हुए अजय भी काफ़ी सावधान था...उसकी पेनी नज़र प्राची पर ही थी और उसके हाथ का दबाव उसके सिर पर ताकि एकदम से वो पलट ना जाए...ऐसा करते ही उसने अपनी सास के उपर से हाथ हटा लेना था...पर वो नही जानता था की उसके छाती मर्दन का क्या असर हो रहा है इस वक़्त रजनी पर...
रजनी कुछ देर तक तो बेड पर मचलती रही फिर उसने अपना उपर का बटन एक बार फिर से खोला और अजय के हाथ को पकड़कर अंदर धकेल दिया...अजय के मुँह से जो आवाज़ें लंड चुसाई की वजह से निकल रही थी उनमे और बढ़ोतरी हो गयी,अपनी सास के नंगे मुम्मो को महसूस करके...उसके सुलग रहे बुलेट जैसे निप्पल्स पर हाथ रखकर...उन्हे मसलकर...मन तो उसका कर रहा था की दूसरी तरफ झुके और उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चबा जाए...पर इस वक़्त ऐसा करना संभव नही था....पर जो भी इस वक़्त हो रहा था उससे उसे और उसकी सास को एक अलग ही तरह का रोमांच प्राप्त हो रहा था....जिसे बयान करना मुश्किल था.
अचानक प्राची ने अपने सिर को पीछे करना चाहा...अजय ने भी अपने हाथ का दबाव कम करने से पहले अपना हाथ अपनी सास की छातियों से वापिस खींच लिया...रजनी भी तेज़ी से वापिस दूसरी तरफ पलट कर सो गयी...पर जल्दबाज़ी मे अपने बटन बंद नही कर पाई....
अब वो दूसरी तरफ मुँह करके लेटी थी पर उसकी छातियाँ उसके नाइट सूट से बाहर निकल कर लटक रही थी.ऐसे में अगर प्राची घूमकर उनकी तरफ चली जाती तो सारा खेल बिगड़ जाना था.
खैर,प्राची ने ऐसा कुछ नही किया...अब तो वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अपने पति के लंड को स्टील रोड जैसा कर दिया था उसने चूसकर ...और अपनी चूत में आग सी लगा थी थी उसे मसलकर....अब तो उसे ये भी याद नही था की उसकी माँ भी उसी पलंग पर सो रही है जिसपर वो चुदने की तैयारी कर रही है...
वो झट से उछलकर बैठी और अपनी टी शर्ट को उसने उतार दिया...और अगले ही पल आनी ब्रा को भी...क्योंकि उसे अच्छी तरह से पता था की अजय को बूब्स चूसना कितना पसंद है...फिर वो उठी और अपने पयज़ामे को भी उतार दिया, और हमेशा की तरह उसने आज भी पेंटी नही पहनी हुई थी...
अब वो पूरी नंगी थी अजय के सामने....
और हल्की रोशनी मे उसका दूधिया बदन कमाल का लग रहा था.
अजय ने भी अपना पायजामा नीचे खिसका दिया...और प्राची उसकी गोद में दोनो तरफ लातें करके बैठ गयी...उसके पेट पर उसकी चूत वाला हिस्सा था...और वहां से मिल रही गर्मी से अजय के पेट पर हल्के फुल्के से जो बाल थे वो झुलस कर रह गये...गीले से हो गये वहां से निकल रहे गर्म पानी से...
अजय ने उसकी कमर मे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और उसकी उभरी हुई ब्रेस्ट को मुँह मे लेकर किसी अबोध बालक की तरह उसके चुचूक चूसने लगा..
प्राची ने उसके सिर के बालों को ज़ोर से पकड़कर और ज़ोर से उसे अपने अंदर घुसा लिया और चिल्लाई : "सक्क मी बैबी....पी ले मम्मा का सारा दूधु...''
अजय ऐसी बातें सुनकर ज़्यादा उत्तेजित हो जाया करता था जिसमे प्राची कोई रोल प्ले करती थी...इस वक़्त वो प्राची का बेटा बनकर उसका दूध पी रहा था..
प्राची : "उम्म्म्म......बस कुछ महीने के बाद इस दूध का असली हक़दार आ जाएगा....''
अजय ने अपना मुँह बाहर निकाला और बड़े प्यार से बोला : "एक तरफ से उसे पिलाना,और दूसरी तरफ से मुझे....मैं नही मानने वाला बिना पिए....''
प्राची उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी...
और बगल मे अपनी आँखे मूंद कर लेटी हुई रजनी के निप्पल्स में भी तरंगे सी उठने लगी....काश इस वक़्त अजय उसका दूध भी पी सकता....और उन तरंगो को चबाकर ख़त्म कर सकता...
अजय ने बड़ी चालाकी से प्राची को अपनी तरफ पूरा चिपका लिया...और एक बार फिर से अपने दूसरे हाथ को अपनी सास की तरफ ले गया...और सीधा लेजाकर उनकी ब्रेस्ट को फिर से मसलने लगा...
रजनी मन ही मन बुदबुदाई 'शुक्र है, मेरी याद तो आई इसको...'
और फिर वैसी ही सीधी हो गयी और अपनी उभरी हुई छातियों को अपने दामाद के हवाले कर के उसी मर्दन का आनंद उठाने लगी जो कुछ देर पहले तक अजय उसे दे रहा था.
अजय का मुँह तो अपनी बीबी की ब्रेस्ट पर चल रहा था पर असली मज़ा उसे अपने हाथों के थ्रू ही मिल रहा था जिनमे उसकी सास की ब्रेस्ट थी इस वक़्त....उसे वो कहावत याद आ गयी, 'पाँचो उंगलियाँ घी में और मुँह कड़ाई मे'..कुछ ऐसा ही हाल था इस वक़्त अजय का भी...
प्राची की चूत की खुजली बढ़ने लगी और वो धीरे-2 खिसक कर अजय के लंड की तरफ जाने लगी...अजय को भी जब ये एहसास हुआ तो उसने उसे रोक दिया...और बड़े ही प्यार से बोला : "बैबी....डॉक्टर ने अभी कुछ हफ्तों के लिए बिल्कुल मना किया है....प्लीज़...कुछ दिन रुक जाओ बस...अभी तुमने ही कहा था ना की दूसरे भी तरीके है...''
प्राची को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...पर शायद उसपर चुदासी चढ़ गयी थी इसलिए वो उसमे बहकति चली गयी ...पर अजय के समझाने पर वो मान भी गयी....वो नीचे झुकी और उसने अजय को चूम लिया...अजय का हाथ तब तक रजनी की छातियों से वापिस आ चुका था...और वो एक बार फिर से दूसरी तरफ चेहरा करके लेट चुकी थी....
अजय ने प्राची को नीचे लिटाया और खुद उसके साइड में घुटनो के बल खड़ा हो गया...
उसका लंबा लॅंड अब प्राची के चेहरे के सामने लहरा रहा था...पहले तो उसने सोचा की 69 करके दोनो एक साथ मज़े ले लेते हैं, पर फिर कुछ सोचकर उसने वो करना भी ठीक नही समझा..और अपना लंड नीचे करके प्राची के मुँह में डाल दिया...उसने भी बड़ी व्याकुलता से उसे पकड़ कर निगल लिया....और अजय ने अपने लंबे हाथों का इस्तेमाल करते हुए अपने हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर दाखिल कर दी....वहां से निकल रहा गरमा गरम पानी अजय को ऐसा लगा जैसे उबलता हुआ लावा हो...उसकी उंगलियाँ गरमा सी गयी...पर फिर भी उसने अपनी बीच की तीन उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर उतार दी और फिर अपना अंगूठा भी अंदर डालकर उसकी क्लिट को पकड़ा और उसे सहलाने लगा...
ऐसा करते ही प्राची का बदन अकड़ने सा लगा....उसने कमान की तरह अपनी कमर हवा मे उठा ली और अजय के लंड को और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
अजय भी अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत में दिखाने लगा...तेज़ी से अंदर बाहर करता हुआ वो अपनी सास को ही देखे जा रहा था....जो बड़ी तेज़ी से साँस लेती हुई अपने आप को नियंत्रित करके लेटी हुई थी.
अचानक प्राची का बदन पूरा अकड़ गया और फिर अगले ही पल वो भरभराती हुई झड़ने लगी....
अजय का लंड था उसके मुँह में इसलिए सिर्फ़ गु-गु की आवाज़ें निकल कर रह गयी....
और धीरे-2 उसकी गांड ने बेड पर लेंड कर दिया.
अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखकते हुए अपना लंड बाहर निकाला...और अपने हाथों से हिलाने लगा....
और अगले ही पल वो अपने लंड से सफेद पानी उसके चेहरे पर स्प्रे करने लगा....
और जान बूझकर उसने एक -2 मोटी पिचकारियाँ अपनी सास की तरफ भी छोड़ दी....जो सीधा उनके गालों पर जाकर गिरी...
प्राची तो अजय के माल को अपने चेहरे और छाती पर महसूस करके पगला सी गयी...और उसकी बूँद-2 को अपनी उंगलियों से समेटकर निगल गयी...
पर अजय की नज़रें तो उसकी सास की तरफ थी...जो कुछ देर तक तो बिना हीले लेटी रही पर फिर धीरे से अपना हाथ अपने गालों तक लेजाकर वहाँ पड़ी मलाई को अपनी उंगलियों से समेटा और अपने मुँह में लेजाकर निगल गयी..
आआआआआहह कितना मजेदार स्वाद था अजय के माल का....काश वो पूरा का पूरा निगल पाती ..और इस वक़्त रजनी को अपनी बेटी से किसी सौतन जैसी ईर्ष्या हो रही थी....
अजय भी अपनी सास के द्वारा अपने माल को निगलता देखकर यही सोच रहा था की अब जल्द ही ऐसा दिन आएगा जब इस माल को पूरा उसकी सास निगलेगी...
और ये वक़्त जल्द ही आने वाला था
क्योंकि अब आग दोनो तरफ बराबर ही लगी हुई थी..
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