FUN-MAZA-MASTI
मेरी और ऋतु की प्रेम कहानी
बात उस समय की है, जब मैं इन्ज्नीरिंग कर रहा था और हॉस्टल में करनाल में
रहता था। रोजाना जिम जाते समय एक लड़की मुझे देख कर मुस्कराती थी, वो दिखने
में थोड़ी सांवली थी इसलिए मैं उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता था, मैं
मार्केट में जूस पीने जाता तो वो भी अपनी सहेलियों के साथ वहीं आ जाती और
मुझे देखती रहती।
ऐसा एक सप्ताह तक चला, मैंने अपने रूम पार्टनर को बताया तो उसने मुझे कहा- वो
लड़की तुझसे चुदना चाहती है इसलिए तुझे लाइन देती है।
मैं एक कंप्यूटर सेण्टर में सायं 5 बजे से 8 बजे तक पढ़ाता भी था। वो लड़की
वहाँ कंप्यूटर सीखने आने लगी। उसने मुझे अपना नाम ऋतु बताया। मैं उस समय
सिर्फ खाने-पीने, जिम जाने में मस्त रहता था।
सर्दियों के दिन थे, एक दिन मुझे कोलेज से आने में देर हो गई और सारे छात्र
अपने घर चले गए, सिर्फ ऋतु अकेली वहाँ बैठी थी, उसे अकेला देख कर मैं घबरा सा
गया।
उसने मुझे कहा- गुड इवनिंग सर !
इस पर मैंने पूछ लिया- कैसी हो तुम ?
उसने मुझे जवाब दिया कि आप तो सब जानते हैं। मैं समझ गया कि आज फंस गया। उसने
उस दिन कुरता सलवार पहना हुआ था, मैंने उसे कहा- तुम घर जाओ, मैं सबकी क्लास
कल लूँगा !
मैं वहाँ से चलने लेगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- सर मैं आप से प्यार
करती हूँ और शादी करना चाहती हूँ !
वो मेरे गले से लग गई, गले लगते ही उसकी गरम-गरम छातियों ने मेरे अंदर आग लगा
दी, उसके स्तन बड़े बड़े थे। मैंने उसके होटों को चूमना शुरु कर दिया और उसके
स्तनों को दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी में हाथ दे दिया और उसकी बुर
में ऊँगली डाल दी।
उसके मुँह से आह आह … की आवाजें निकलने लगी। मैंने ऊँगली की रफ़्तार तेज कर
दी और वो जोर जोर से आह आह ….उई उई उई… उहं उहं उहं करने लगी।
मैं उसके कपड़े उतरने लगा तो उसने मना कर दिया और कहा- बाकी शादी के बाद
करेंगे !
यह सुनते ही मैंने उसकी चूत में जोर-जोर से ऊँगली करनी शुरु कर दी ! उसके
मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। वो अपने को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी
मगर मैंने उसको छुटने मौका ही नहीं दिया और कुछ समय बाद उसकी चूत से पानी
निकल गया।
उसके बाद मैं दोबारा से उसके होंट चूसने लगा और उरोज़ दबाने लगा, वो दोबारा से
गर्म हो गई लेकिन इस बार मैंने उसे गर्म करके छोड़ दिया और कहा- अगर मुझसे
सच्चा प्यार करती हो तो तुम्हें मेरे साथ सेक्स करना होगा, नहीं तो मैं जा
रहा हूँ !
यह सुनते ही उसने गर्दन हिला कर हामी भर दी।
फिर क्या था, मैं उस पर टूट पड़ा और उसके सलवार और पैंटी को उतार दिया। उसके
बाद उसकी बुर मेरे सामने थी। उसकी बुर पर छोटे-छोटे बाल थे। फिर मैंने अपनी
पैंट और अन्डरवीयर उतार दी। मेरा आठ इंच लम्बा और दो इंच मोटा लंड उसके सामने
था। उसे देख कर वो डर गई।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का दिया, चूत का साइज़
छोटा होने के कारण लंड फिसल गया। फिर ऋतु ने लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा
और मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा आधा लंड अंदर चला गया।
ऋतु की चीख निकल पड़ी, वो छटपटाने लगी। मैंने उसकी होंटों को अपने होंटों में
भर लिया और चूसने लगा। लंड थोड़ा थोड़ा अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद एक और
धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया। इस बार ऋतू रोने लग गई, उसकी
चूत से खून बहने लगा।
मैंने उसको गले से लगा लिया और कुछ देर बाद धीरे धीरे धक्के मारने शुरु कर
दिय, उसे मजा आने लगा। फिर वो भी साथ देने लगी और जोर जोर धक्के मारने लगी,
मुझसे जोर से लिपट गई और झड़ गई। मैं अब जोर जोर झटके मारने लगा, उसके मुँह से
आह आह …उहं उहं उहं की आवाज निकल रही थी। फिर मैंने झटके की रफ़्तार को और
बढ़ाया, उसकी चूत लाल हो गई और ऋतू को बहुत दर्द हो रहा था, ऋतु तीन बार झड़
चुकी थी, मैं भी झड़ना चाहता था मगर मेरा वीर्य नहीं निकल रहा था और ऋतू की
हालत ख़राब हो गई थी, घर्षण के कारण चूत में दर्द हो रहा था। चूत बहुत गरम हो
गई थी, मैं पसीने में नहा गया था। उस दिन लगभग एक घंटे के बाद मेरा वीर्य
निकला।
ऋतु ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई। कंप्यूटर सेण्टर के मालिक के आने का
समय हो गया था।
तीन दिन बाद मैंने ऋतु को अपने दोस्त के कमरे पर बुलाया जो की कंप्यूटर
सेण्टर के बिलकुल नजदीक था। ऋतू शाम के 5 बजे कमरे पर पहुँच गई। हम दोनों
अंदर चले गए और मेरे दोस्त ने बाहर से कमरे को ताला लगा दिया ताकि किसी को शक
नो हो।
मैंने ऋतु को अपनी बाँहों में भर लिया, और दोनों एक दूसरे के होंटों को चूसने
लग गए। मैं उसके वक्ष को दबाने लगा। ऋतू को गरम होते देर न लगी और वो चुदने
के लिए तैयार हो गई। मैंने एक कंडोम निकाला और लंड पर चढ़ा लिया और ऋतु की
चूत में डालने लगा, मगर चिकनाई कम होने के कारण अन्दर नहीं गया, फिर मैंने
तेल लगाया और एक झटका मारा और आधा अन्दर गया और फिर एक जोरदार झटका दिया तो
पूरा का पूरा अन्दर चला गया। ऋतु को हल्का हल्का दर्द हो रहा था। ऋतु अपनी
गांड को उठा कर साथ देने लगी और दोनों एक से बढ़कर एक झटके मार रहे थे कि ऋतु
का पानी छुट गया। मैं जोर जोर से झटके मार रहा था मगर पहले की तरह मेरा वीर्य
नहीं निकल रहा था। एक घंटे से ज्यादा समय हो गया था, ऋतू परेशान हो गई और उस
जोरो से दर्द होने लगा। उसने मुझे छोड़ने को कहा और मैंने उस छोड़ दिया और वो
कपड़े पहन कर चली गई !
उस दिन के बाद उसने मुझे कभी भी अपनी चूत के दर्शन नहीं कराये ! इस प्रकार
मेरी और ऋतु की प्रेम कहानी का अंत हो गया !
उसके बाद मैं डॉक्टर के पास से टेस्ट करवाया और पाया गया कि मैं जो सप्लीमेंट
बॉडी बनाने के लिए खाता था उसकी वजह से यह आज तक हो रहा है। इसलिये मैं सेक्स
नहीं करता और सोचता हूँ कि बाद में यह समस्या ठीक हो जाएगी।
मेरी और ऋतु की प्रेम कहानी
बात उस समय की है, जब मैं इन्ज्नीरिंग कर रहा था और हॉस्टल में करनाल में
रहता था। रोजाना जिम जाते समय एक लड़की मुझे देख कर मुस्कराती थी, वो दिखने
में थोड़ी सांवली थी इसलिए मैं उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता था, मैं
मार्केट में जूस पीने जाता तो वो भी अपनी सहेलियों के साथ वहीं आ जाती और
मुझे देखती रहती।
ऐसा एक सप्ताह तक चला, मैंने अपने रूम पार्टनर को बताया तो उसने मुझे कहा- वो
लड़की तुझसे चुदना चाहती है इसलिए तुझे लाइन देती है।
मैं एक कंप्यूटर सेण्टर में सायं 5 बजे से 8 बजे तक पढ़ाता भी था। वो लड़की
वहाँ कंप्यूटर सीखने आने लगी। उसने मुझे अपना नाम ऋतु बताया। मैं उस समय
सिर्फ खाने-पीने, जिम जाने में मस्त रहता था।
सर्दियों के दिन थे, एक दिन मुझे कोलेज से आने में देर हो गई और सारे छात्र
अपने घर चले गए, सिर्फ ऋतु अकेली वहाँ बैठी थी, उसे अकेला देख कर मैं घबरा सा
गया।
उसने मुझे कहा- गुड इवनिंग सर !
इस पर मैंने पूछ लिया- कैसी हो तुम ?
उसने मुझे जवाब दिया कि आप तो सब जानते हैं। मैं समझ गया कि आज फंस गया। उसने
उस दिन कुरता सलवार पहना हुआ था, मैंने उसे कहा- तुम घर जाओ, मैं सबकी क्लास
कल लूँगा !
मैं वहाँ से चलने लेगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- सर मैं आप से प्यार
करती हूँ और शादी करना चाहती हूँ !
वो मेरे गले से लग गई, गले लगते ही उसकी गरम-गरम छातियों ने मेरे अंदर आग लगा
दी, उसके स्तन बड़े बड़े थे। मैंने उसके होटों को चूमना शुरु कर दिया और उसके
स्तनों को दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी में हाथ दे दिया और उसकी बुर
में ऊँगली डाल दी।
उसके मुँह से आह आह … की आवाजें निकलने लगी। मैंने ऊँगली की रफ़्तार तेज कर
दी और वो जोर जोर से आह आह ….उई उई उई… उहं उहं उहं करने लगी।
मैं उसके कपड़े उतरने लगा तो उसने मना कर दिया और कहा- बाकी शादी के बाद
करेंगे !
यह सुनते ही मैंने उसकी चूत में जोर-जोर से ऊँगली करनी शुरु कर दी ! उसके
मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। वो अपने को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी
मगर मैंने उसको छुटने मौका ही नहीं दिया और कुछ समय बाद उसकी चूत से पानी
निकल गया।
उसके बाद मैं दोबारा से उसके होंट चूसने लगा और उरोज़ दबाने लगा, वो दोबारा से
गर्म हो गई लेकिन इस बार मैंने उसे गर्म करके छोड़ दिया और कहा- अगर मुझसे
सच्चा प्यार करती हो तो तुम्हें मेरे साथ सेक्स करना होगा, नहीं तो मैं जा
रहा हूँ !
यह सुनते ही उसने गर्दन हिला कर हामी भर दी।
फिर क्या था, मैं उस पर टूट पड़ा और उसके सलवार और पैंटी को उतार दिया। उसके
बाद उसकी बुर मेरे सामने थी। उसकी बुर पर छोटे-छोटे बाल थे। फिर मैंने अपनी
पैंट और अन्डरवीयर उतार दी। मेरा आठ इंच लम्बा और दो इंच मोटा लंड उसके सामने
था। उसे देख कर वो डर गई।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का दिया, चूत का साइज़
छोटा होने के कारण लंड फिसल गया। फिर ऋतु ने लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा
और मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा आधा लंड अंदर चला गया।
ऋतु की चीख निकल पड़ी, वो छटपटाने लगी। मैंने उसकी होंटों को अपने होंटों में
भर लिया और चूसने लगा। लंड थोड़ा थोड़ा अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद एक और
धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया। इस बार ऋतू रोने लग गई, उसकी
चूत से खून बहने लगा।
मैंने उसको गले से लगा लिया और कुछ देर बाद धीरे धीरे धक्के मारने शुरु कर
दिय, उसे मजा आने लगा। फिर वो भी साथ देने लगी और जोर जोर धक्के मारने लगी,
मुझसे जोर से लिपट गई और झड़ गई। मैं अब जोर जोर झटके मारने लगा, उसके मुँह से
आह आह …उहं उहं उहं की आवाज निकल रही थी। फिर मैंने झटके की रफ़्तार को और
बढ़ाया, उसकी चूत लाल हो गई और ऋतू को बहुत दर्द हो रहा था, ऋतु तीन बार झड़
चुकी थी, मैं भी झड़ना चाहता था मगर मेरा वीर्य नहीं निकल रहा था और ऋतू की
हालत ख़राब हो गई थी, घर्षण के कारण चूत में दर्द हो रहा था। चूत बहुत गरम हो
गई थी, मैं पसीने में नहा गया था। उस दिन लगभग एक घंटे के बाद मेरा वीर्य
निकला।
ऋतु ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई। कंप्यूटर सेण्टर के मालिक के आने का
समय हो गया था।
तीन दिन बाद मैंने ऋतु को अपने दोस्त के कमरे पर बुलाया जो की कंप्यूटर
सेण्टर के बिलकुल नजदीक था। ऋतू शाम के 5 बजे कमरे पर पहुँच गई। हम दोनों
अंदर चले गए और मेरे दोस्त ने बाहर से कमरे को ताला लगा दिया ताकि किसी को शक
नो हो।
मैंने ऋतु को अपनी बाँहों में भर लिया, और दोनों एक दूसरे के होंटों को चूसने
लग गए। मैं उसके वक्ष को दबाने लगा। ऋतू को गरम होते देर न लगी और वो चुदने
के लिए तैयार हो गई। मैंने एक कंडोम निकाला और लंड पर चढ़ा लिया और ऋतु की
चूत में डालने लगा, मगर चिकनाई कम होने के कारण अन्दर नहीं गया, फिर मैंने
तेल लगाया और एक झटका मारा और आधा अन्दर गया और फिर एक जोरदार झटका दिया तो
पूरा का पूरा अन्दर चला गया। ऋतु को हल्का हल्का दर्द हो रहा था। ऋतु अपनी
गांड को उठा कर साथ देने लगी और दोनों एक से बढ़कर एक झटके मार रहे थे कि ऋतु
का पानी छुट गया। मैं जोर जोर से झटके मार रहा था मगर पहले की तरह मेरा वीर्य
नहीं निकल रहा था। एक घंटे से ज्यादा समय हो गया था, ऋतू परेशान हो गई और उस
जोरो से दर्द होने लगा। उसने मुझे छोड़ने को कहा और मैंने उस छोड़ दिया और वो
कपड़े पहन कर चली गई !
उस दिन के बाद उसने मुझे कभी भी अपनी चूत के दर्शन नहीं कराये ! इस प्रकार
मेरी और ऋतु की प्रेम कहानी का अंत हो गया !
उसके बाद मैं डॉक्टर के पास से टेस्ट करवाया और पाया गया कि मैं जो सप्लीमेंट
बॉडी बनाने के लिए खाता था उसकी वजह से यह आज तक हो रहा है। इसलिये मैं सेक्स
नहीं करता और सोचता हूँ कि बाद में यह समस्या ठीक हो जाएगी।
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