FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-36
मेरी गांड भी फट रही थी और बाबुराओ उकसा भी रहा था की नज़ारे का आनंद पूरा ले लूँ….
पम्मी आंटी ने अपना दुपट्टा फिर से अपने कंधे पर डाल लिया मगर इस तरह से की उनके विशाल मम्मो के बीच की खाई अभी भी दर्शन के लिए उपलब्ध थी….
उन्होने दुपट्टा ठीक करके इस अदा से मेरी और देखा मानो पूछ रही की शो पसंद आया की नही….
मेरी गांड की फटफटी तो यूँही गियर मे रहती ही है….मैने तुरंत हड़बड़ते हुए रिमोट उठा लिया और आंटी के सीरियल लगाने लगा…..तो और क्या करता भी….बाबूराव खड़ा हो गया था….किधर चुपाता….
टीवी भले ही बड़ा था मगर कुछ गड़बड़ थी लाख कोशिश के बाद भी नही सेट हो पा रहा था…
मैं उठा, “लगता है कोई तार निकल गया है…..मैं देखता हूँ….”
पम्मी आंटी भी तेज़ी से उठी और मेरे साथ टीवी के सामने आकेर खड़ी हो गयी…
पम्मी आंटी ठीक मेरे पीछे खड़ी थी और मैं झुक कर टीवी की गांड मे लगे 1760 तरह के वायर देखने लगा. आंटी भी मेरे पीछे खड़ी खड़ी झुक गयी
तभी मेरी नाक पर एक मदमस्त करने वाली खुश्बू टकराई….
दोस्तों, कहते है महक का मूड से बड़ा रिश्ता है….
खाने का मज़ा उसकी खुश्बू से बढ़ जाता है वैसे ही मेरे भूखे प्यासे बाबूराव पर पम्मी आंटी के बदन से आती परफ्यूम और पसीने के मिलीजुली महक ने जादू सा कर दिया….भाई ऐसा भभक के खड़ा हुआ की क्या बताऊ ..........
आंटी ने कुछ कहा….मेरा लंड सुने….यहाँ इतनी सारी चुतियाइ चल रही थी…
मैने पूछा “ज…ज….जी… क्या ..?”
पम्मी आंटी थोड़ा और झुकी और उनके विशाल माममे मेरी पीठ से जा लगे….
यहाँ पहली ही मामला बिगड़ा हुआ था….अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी….
मैं पलटा तो उनके चेहरे को अपने से कुछ इंच के फ़ासले पर पाया….
वो बड़ी बड़ी आँखे किए मुझे ही देख रही थी….
“जे……क…क…क्या…?”
पम्मी आंटी बोली, “ अरे…..कुछ दिखा क्या……”
अब क्या बताता आंटी को की क्या क्या दिख रहा था….
मैने ना मे सर हिलाया तो आंटी बोली, “ परे हट…..मेनू वेख लें दे……वो नवजोत करता है यहाँ कुछ….
नवजोत का नाम सुनते ही मेरा खड़ा बाबूराव स्टॅंड्बाइ मोड मे आ गया…
मैं तुरंत हटा और आंटी मेरी जगह आ कर खड़ी हो गयी…
टीवी रूम के कोने मे था……उसके पीछे उंगली करने की जगह बहुत ही कम थी पम्मी आंटी को झुकना पड़ा
और गुरु…..
झुकते ही उनकी मस्त गांड मेरे सामने पूरी शान के साथ आ गयी…
औरत की चौड़ी गांड हमेशा से मर्द को आकर्षित करती है…..यहाँ तो चौड़ी नही विशाल महाकाय गांड थी…ऐसा लग रहा था मानो 1500 स्क्वेर फीट का पूरा प्लॉट है…..
पम्मी आंटी बिल्कुल झुक चुकी थी…….
अगर मैं उनकी ठुकाई घोड़ी बनाकर करता तो उनकी यही पोज़िशन होती…
बाबूराव ने सारे बंधन तोड़ दिए थे और उस कुत्ते की तरह मचल रहा था जिसे गरमी मे आई कुतिया की चूत की खुश्बू मिल गयी हो..
मैं पम्मी आंटी के पीछे खड़ा खड़ा इस नज़ारे का आनंद ही ले रहा था की आंटी झुके झुके ही चिल्लाई …
“ओये….शील….कहाँ मर गया….ओये…..एथ्थे आ….”
मैं जैसे नींद से जगा, “ह…ह….हांजी…..”
“ओ इधर देख तो ज़रा यह क्या है….”
मैं थोड़ा सा झुका…..लॅंड कुछ नही दिख रहा था…..
“ओये जल्दी देख…..ए…की….है….”
मैं थोड़ा आगे बड़ा ….भेन्चोद दिक्कत ये थी की अगर थोड़ा और आगे बढ़ता तो अपने खड़ा बाबूराव सीधा पम्मी आंटी की गदराई गांड से टकरा जाता और आंटी समझ जाती की अपनी बोफोर्स तोप तैयार है…
मैं थोड़ी सी गर्दन आगे की और फिर देखा….घंटा कुछ नही दिख रहा था…
“ओये…देख ….यह कोनसी तार है……”, पम्मी आंटी चिल्लाई …
मैं थोड़ा और आगे बड़ा तभी अचानक पम्मी आंटी पीछे सरक गयी और बाबूराव उनकी गांड से जा चिपका…
“ओये मैं बोल रही थी की...…………….हाय…..”
पम्मी आंटी तो अपनी गांड पर आ सटे इस नागराज का एहसास हो गया था.
मैं घबरा कर थोड़ा पीछे हुआ तो पम्मी आंटी ने भी अपनी गांड पीछे लेकर फिर से खड़े मूसल पर चिपका दी…
कसम उड़ान छल्ले की….अगर हम दोनो के बदन पर कपड़े नही होते तो……..
पम्मी आंटी के सुर थोड़े बदल गये थे….
“अरे….तू खड़ा क्या है….कुछ करता क्यू नही…….?”
क्या ?? क्या करू…??
अरे मादरचोद ….गांड भी फट रही और मज़ा भी आ रहा…
“ओये….यह देख…….”
देख ही तो रहा हूँ….
पम्मी आंटी ने धीरे से अपनी गांड को मेरे बाबूराव पर दबाया………मेरी तो गांड फट रही थी मैने कुछ भी नही किया……
आंटी ने फिर से अपनी गांड से मेरे बाबूराव पर हल्का दबाव बनाया.
जैसा की आप सब खिलाड़ी जानते है की ऐसे मौके पर दिमाग़ का सारा खून आपके लौड़े मे भर जाता है इसीलिए आप के दिमाग़ की सोचने समझने की शक्ति ख़तम हो जाती है….इसी लिए मैने भी अपनी बार गांड की फटफती बंद करके….अपना लंड तुरंत पम्मी आंटी की गांड पर दबा दिया..
आंटी ने धीरे से एक झटका और दिया…..मैने भी बदले मे झटका दे दिया…
दोनो तरफ की लाइट ग्रीन थी….
पम्मी आंटी धीरे धीरे अपनी गांड आगे पीछे करने लगी…..और अब तो अपुन भी शेर…
मैं चुदाई की तरह ही अपनी कमर धीरे धीरे हिलाकर उनकी गांड पर अपना लंड घिसने लगा….
अब मैने सारी परवाह छोड़ दी थी…..
मा चुदाये सरदार जी…..मा चुदाये नवजोत……अरे पर उसकी मा ही चोद रहा था मैं…..
तभी डोर बेल बजी... …
साला मुझे लगता है की मैने पूरे हिन्दुस्तान की KLPD का ठेका लिया हुआ है.
जब भी टॉवर मे सिग्नल आने लगते हैं किस्मत की बॅटरी डिसचार्ज हो जाती है.
पम्मी आंटी मुझसे छिटक कर दूर हो गयी और अपने दुपट्टे को संभालते हुए दरवाजे की और बड़ी. मेरी भूखी नज़रे अभी भी पम्मी आंटी की गदराई गांद से ही चिपकी थी पर अब ललचाए होत क्या.
आंटी ने दरवाजा खोला और गरजती हुई आवाज़ आई,
“ ओये कर्मा वालिए, बड़ी देर लगा दी…..”
सरदार प्रताप सिंग जी का आगमन हो चुका था.
सरदार जी घर मे दाखिल हुए, भेन चोद आदमी था की पहाड़. कम से कम 6 फीट की हाईट, और रोबीला चेहरा, मोटा इतना की उपर से लेकर नीचे एक जैसा दिख रहा था. मगर इतना मोटा होने के बाद भी उसकी चल मे एक छपलता थी, फुर्ती सी….
सरदार जी ने घर मे घुसते ही मुझे ताड़ लिया और तिरछी नज़र से मुझे देखते हुए अपनी बीवी से पूछा…
” ओ कोण हे ये……?”
पम्मी आंटी ने बेपरवाही से कहा,
“अजी ये पिया नू पढ़ाने दे वास्ते आंदा है…..टीचर हे जी उसका”
सरदार ही गुर्राए, “ हु….क्या करेगी पढ़ लिख कर…..करना तो उसने चूल्हा चौका ही है….”
पम्मी आंटी के चेहरे पर तो कोई चेंज नही आया मगर उनके नाक की कोने थोड़े से फूल गये….सरदारनी को गुस्सा आ गया था.
“अजी तुस्सी फेर ओ ही गल करने लगे..”
सरदार जी ने कंधे उचकाय और कहा, “मेनू की…..करो अपने मन दी…..”
मैं मन ही मन हंसा…..सरदार जी जैसे डॉन की भी अपनी बीवी से फटती है….सरदार ही खाने की मेज़ पर जा बैठे और बोले, “ला भाई……खाना लगा दे….”
आंटी बोली, “ अभी लाई……” और किचन मे चली गयी..
यह सरदार जी तो नॉर्मल इंसान निकला, लोग बिना बात ही इतना डरते है इनसे….
तभी सरदार जी ने मुँह बनाया और अपनी गांड टेडी की, मानो उनको कुछ चुभ रहा हो, उन्होने अपने शर्ट को उपर किया और अंदर हाथ डाल कर………..
पिस्टल निकाल ली…
ओ भेनचोद ….गांड का बुलडोज़र ही हो गया…भक भक भक.
सरदार जी ने बड़े आराम से गन डाइनिंग टेबल पर रख दी….
मा की चूत........ बहुते ही ख़तरनाक आदमी है ये तो.
पम्मी आंटी खाना ले आई और सरदार जी के सामने रख दिया, तभी सरदार जी ने मुझे देखा और कहा,
“ओ पुत्तर….आजा भाई….खाना शाना खा ले…..”
फटती गांड मे मुँह से आवाज़ नही निकला करती…
मैं गूंगे जैसा चुप चाप खड़ा खड़ा देख रहा था.
वो फिर बोले, “ आजा भाई आजा….बैठ …..”
मैने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, “ज….ज….ज……जी ..म….म….मैं चलता हूँ…..”
सरदार जी माथे पर सल आ गये, “ क्यू भई …..?”
मैं फिर बोला, “न…न…नही जी…..बस…..मुझे जाना है…”
सरदार जी बिल्कुल सर्द आवाज़ मे बोले,
“ बैठ जाओ बेटे जी……बैठ जाओ”
लो भाई…..लग गये काम ….और रगड़ो अपने लोड्*ा आंटी की गांड पर…मेरी तो लाश भी नही मिलनी अब मेरे परिवार को.
एक किलोमीटर लंबी डाइनिंग टेबल थी…..एक कोने पर सरदार जी बैठे थे….दूसरे पर मैं अपनी फटफती गांड को लेकर टिक गया.
“पम्मी…..इसका खाना लगा…”
आंटी ने मेरे सामने प्लेट रख दी….मैं खाना तो खाकर आया था मगर मेरी गांड मे ज़ोर नही था की मैं मना कर सकु…मैने चम्मच उठाया और चावल खाने लगा.
सरदार जी ने पूछा, “नाम क्या है तेरा पुत्तर…….”
“जी….शील….” मैं टर्राया
“हैं….शील…..ओये ये क्या नाम हुआ…..”, सरदार जी ने पूछा.
“जी……?”,
मेरी गांड ऐसी फट रही थी की क्या बताऊ. मेरी नज़रे बार बार सामने पड़ी गन पर जाती और फटफती फिर से चल पढ़ती.
मैं चुपचाप सर झुका कर राजमा चावल खाने लगा….
तभी सरदार जी पूछा, “तू गुप्ता जी का बेटा है ना……? बड़े बज़ार मे जिनकी किराने की दुकान है ?”
मेरे हाथ से चम्मच छूट गया. इस गंडमरे को तो मेरी पूरी हिस्टरी पता है.
मैं चम्मच उठाने के लिए उठने लगा तो पम्मी आंटी बोली,
“कोई बात नही दूसरा चम्मच ले ले”
मैने दूसरा चम्मच लिया और सरदार जी से कहा, “ज…ज….ज….जी…..”
सरदार जी बोले,
” बहुत बड़िया आदमी है यार गुप्ता जी……तुम्हारी एक दुकान मैने किराए से ली थी कुछ साल पहले, इतने सज्जन है गुप्ता जी आजकल किराया ही लेने नही आए…..”
ये बोल कर सरदार जी हँसने लगे…..मैने सोचा भेन्चोद मेरे बाप की तो क्या पूरे शहर में किसी की गांड मे इतना ज़ोर नही है की वो सरदार जी से किराया माँग ले.
पम्मी आंटी मेरे पास आके खड़ी हो गयी और बोली, “ कहाँ गिरा वो चम्मच…..ला भाई उठा लूँ…नौकर तो जा मरा है गाँव मे….”
आंटी घुटनो के बल झुक कर चम्मच ढूँढने लगी और लाख कंट्रोल करने के बाद भी मेरी नज़ारे जाकर आंटी की उभरी हुई गांड पर जा चिपकी….
कसम उड़ान छल्ले की….आंटी की तो लेनी ही पड़ेगी….
आंटी डाइनिंग के नीचे ही घुसी इधर उधर देख रही थी….
तभी सरदार जी बोले, “ तो बेटे जी आप बिट्टो को पढ़ाते है…..?”
मैने जवाब देने के लिए मुँह खोला ही था की टेबल के नीचे घुसी पम्मी आंटी ने मेरी जाँघ पर चिकोटी काट दी….
और मेरे मुँह से निकला…” जी….ओ....आह…..”
मा की चूत ….भईये गया मैं तो .
सरदार जी ने आँखें सिकोडी और बोले, “ क्या हुआ ओये…..?”
मैने बड़ी मुश्किल से स्थिति नियंत्रण मे की और कहा,
“जी….व.... .व.....वो…….बोलते बोलते जीभ कट गयी….”
मैं चेहरे पर चुतिया एक्सप्रेशन लिए सरदार जी को देख रहा था और वो अज़ीब से एक्सप्रेशन लिए मुझे देख रहे थे…..
तभी पम्मी आंटी ने एक चिकोटी और काट दी…..जहाँ पहले काटी थी उस से उपर की और…
आंटी की मंज़िल बाबूराव था और मेरी गांड की फटफती की मंज़िल....बहुत दूर ….
अगर मैं यहाँ से नही निकला तो आंटी तो यहीं पर मेरा पोस्टमॉर्टम कर देगी…..मैं सोच ही रहा था इतने मे आंटी ने टेबल के नीचे घुसे घुसे ही बाबूराव पर ही हाथ फेर दिया.
बस यार…..अब अति हो गयी….फटफती फुल स्पीड मे आ गयी और मैं तुरंत खड़ा हुआ और टर्राया….
“अंकल जी मैं चलता हूँ…….म….म….मुझे घर जाना है…..”
तभी पम्मी आंटी भी तुरंत टेबल के नीचे से निकल आई और बोली, “हाय हाय….अरे तू बड़ी जल्दी मे है……पिया को पढ़ाना नही है क्या….?”
“ज….ज….कल….कल….दिन मे…..आकर पढ़ा दूँगा……”
“ठीक है……2 बजे आइयो…….”, पम्मी आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा.
यार…..पिया तो 2 बजे घर पहुँच ही नही पाएगी तो फिर…..
और अपुन को सीन क्लियर हो गया….आंटी जान बूझकर जल्दी बुला रही है…..ताकि….
शुभारम्भ-36
मेरी गांड भी फट रही थी और बाबुराओ उकसा भी रहा था की नज़ारे का आनंद पूरा ले लूँ….
पम्मी आंटी ने अपना दुपट्टा फिर से अपने कंधे पर डाल लिया मगर इस तरह से की उनके विशाल मम्मो के बीच की खाई अभी भी दर्शन के लिए उपलब्ध थी….
उन्होने दुपट्टा ठीक करके इस अदा से मेरी और देखा मानो पूछ रही की शो पसंद आया की नही….
मेरी गांड की फटफटी तो यूँही गियर मे रहती ही है….मैने तुरंत हड़बड़ते हुए रिमोट उठा लिया और आंटी के सीरियल लगाने लगा…..तो और क्या करता भी….बाबूराव खड़ा हो गया था….किधर चुपाता….
टीवी भले ही बड़ा था मगर कुछ गड़बड़ थी लाख कोशिश के बाद भी नही सेट हो पा रहा था…
मैं उठा, “लगता है कोई तार निकल गया है…..मैं देखता हूँ….”
पम्मी आंटी भी तेज़ी से उठी और मेरे साथ टीवी के सामने आकेर खड़ी हो गयी…
पम्मी आंटी ठीक मेरे पीछे खड़ी थी और मैं झुक कर टीवी की गांड मे लगे 1760 तरह के वायर देखने लगा. आंटी भी मेरे पीछे खड़ी खड़ी झुक गयी
तभी मेरी नाक पर एक मदमस्त करने वाली खुश्बू टकराई….
दोस्तों, कहते है महक का मूड से बड़ा रिश्ता है….
खाने का मज़ा उसकी खुश्बू से बढ़ जाता है वैसे ही मेरे भूखे प्यासे बाबूराव पर पम्मी आंटी के बदन से आती परफ्यूम और पसीने के मिलीजुली महक ने जादू सा कर दिया….भाई ऐसा भभक के खड़ा हुआ की क्या बताऊ ..........
आंटी ने कुछ कहा….मेरा लंड सुने….यहाँ इतनी सारी चुतियाइ चल रही थी…
मैने पूछा “ज…ज….जी… क्या ..?”
पम्मी आंटी थोड़ा और झुकी और उनके विशाल माममे मेरी पीठ से जा लगे….
यहाँ पहली ही मामला बिगड़ा हुआ था….अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी….
मैं पलटा तो उनके चेहरे को अपने से कुछ इंच के फ़ासले पर पाया….
वो बड़ी बड़ी आँखे किए मुझे ही देख रही थी….
“जे……क…क…क्या…?”
पम्मी आंटी बोली, “ अरे…..कुछ दिखा क्या……”
अब क्या बताता आंटी को की क्या क्या दिख रहा था….
मैने ना मे सर हिलाया तो आंटी बोली, “ परे हट…..मेनू वेख लें दे……वो नवजोत करता है यहाँ कुछ….
नवजोत का नाम सुनते ही मेरा खड़ा बाबूराव स्टॅंड्बाइ मोड मे आ गया…
मैं तुरंत हटा और आंटी मेरी जगह आ कर खड़ी हो गयी…
टीवी रूम के कोने मे था……उसके पीछे उंगली करने की जगह बहुत ही कम थी पम्मी आंटी को झुकना पड़ा
और गुरु…..
झुकते ही उनकी मस्त गांड मेरे सामने पूरी शान के साथ आ गयी…
औरत की चौड़ी गांड हमेशा से मर्द को आकर्षित करती है…..यहाँ तो चौड़ी नही विशाल महाकाय गांड थी…ऐसा लग रहा था मानो 1500 स्क्वेर फीट का पूरा प्लॉट है…..
पम्मी आंटी बिल्कुल झुक चुकी थी…….
अगर मैं उनकी ठुकाई घोड़ी बनाकर करता तो उनकी यही पोज़िशन होती…
बाबूराव ने सारे बंधन तोड़ दिए थे और उस कुत्ते की तरह मचल रहा था जिसे गरमी मे आई कुतिया की चूत की खुश्बू मिल गयी हो..
मैं पम्मी आंटी के पीछे खड़ा खड़ा इस नज़ारे का आनंद ही ले रहा था की आंटी झुके झुके ही चिल्लाई …
“ओये….शील….कहाँ मर गया….ओये…..एथ्थे आ….”
मैं जैसे नींद से जगा, “ह…ह….हांजी…..”
“ओ इधर देख तो ज़रा यह क्या है….”
मैं थोड़ा सा झुका…..लॅंड कुछ नही दिख रहा था…..
“ओये जल्दी देख…..ए…की….है….”
मैं थोड़ा आगे बड़ा ….भेन्चोद दिक्कत ये थी की अगर थोड़ा और आगे बढ़ता तो अपने खड़ा बाबूराव सीधा पम्मी आंटी की गदराई गांड से टकरा जाता और आंटी समझ जाती की अपनी बोफोर्स तोप तैयार है…
मैं थोड़ी सी गर्दन आगे की और फिर देखा….घंटा कुछ नही दिख रहा था…
“ओये…देख ….यह कोनसी तार है……”, पम्मी आंटी चिल्लाई …
मैं थोड़ा और आगे बड़ा तभी अचानक पम्मी आंटी पीछे सरक गयी और बाबूराव उनकी गांड से जा चिपका…
“ओये मैं बोल रही थी की...…………….हाय…..”
पम्मी आंटी तो अपनी गांड पर आ सटे इस नागराज का एहसास हो गया था.
मैं घबरा कर थोड़ा पीछे हुआ तो पम्मी आंटी ने भी अपनी गांड पीछे लेकर फिर से खड़े मूसल पर चिपका दी…
कसम उड़ान छल्ले की….अगर हम दोनो के बदन पर कपड़े नही होते तो……..
पम्मी आंटी के सुर थोड़े बदल गये थे….
“अरे….तू खड़ा क्या है….कुछ करता क्यू नही…….?”
क्या ?? क्या करू…??
अरे मादरचोद ….गांड भी फट रही और मज़ा भी आ रहा…
“ओये….यह देख…….”
देख ही तो रहा हूँ….
पम्मी आंटी ने धीरे से अपनी गांड को मेरे बाबूराव पर दबाया………मेरी तो गांड फट रही थी मैने कुछ भी नही किया……
आंटी ने फिर से अपनी गांड से मेरे बाबूराव पर हल्का दबाव बनाया.
जैसा की आप सब खिलाड़ी जानते है की ऐसे मौके पर दिमाग़ का सारा खून आपके लौड़े मे भर जाता है इसीलिए आप के दिमाग़ की सोचने समझने की शक्ति ख़तम हो जाती है….इसी लिए मैने भी अपनी बार गांड की फटफती बंद करके….अपना लंड तुरंत पम्मी आंटी की गांड पर दबा दिया..
आंटी ने धीरे से एक झटका और दिया…..मैने भी बदले मे झटका दे दिया…
दोनो तरफ की लाइट ग्रीन थी….
पम्मी आंटी धीरे धीरे अपनी गांड आगे पीछे करने लगी…..और अब तो अपुन भी शेर…
मैं चुदाई की तरह ही अपनी कमर धीरे धीरे हिलाकर उनकी गांड पर अपना लंड घिसने लगा….
अब मैने सारी परवाह छोड़ दी थी…..
मा चुदाये सरदार जी…..मा चुदाये नवजोत……अरे पर उसकी मा ही चोद रहा था मैं…..
तभी डोर बेल बजी... …
साला मुझे लगता है की मैने पूरे हिन्दुस्तान की KLPD का ठेका लिया हुआ है.
जब भी टॉवर मे सिग्नल आने लगते हैं किस्मत की बॅटरी डिसचार्ज हो जाती है.
पम्मी आंटी मुझसे छिटक कर दूर हो गयी और अपने दुपट्टे को संभालते हुए दरवाजे की और बड़ी. मेरी भूखी नज़रे अभी भी पम्मी आंटी की गदराई गांद से ही चिपकी थी पर अब ललचाए होत क्या.
आंटी ने दरवाजा खोला और गरजती हुई आवाज़ आई,
“ ओये कर्मा वालिए, बड़ी देर लगा दी…..”
सरदार प्रताप सिंग जी का आगमन हो चुका था.
सरदार जी घर मे दाखिल हुए, भेन चोद आदमी था की पहाड़. कम से कम 6 फीट की हाईट, और रोबीला चेहरा, मोटा इतना की उपर से लेकर नीचे एक जैसा दिख रहा था. मगर इतना मोटा होने के बाद भी उसकी चल मे एक छपलता थी, फुर्ती सी….
सरदार जी ने घर मे घुसते ही मुझे ताड़ लिया और तिरछी नज़र से मुझे देखते हुए अपनी बीवी से पूछा…
” ओ कोण हे ये……?”
पम्मी आंटी ने बेपरवाही से कहा,
“अजी ये पिया नू पढ़ाने दे वास्ते आंदा है…..टीचर हे जी उसका”
सरदार ही गुर्राए, “ हु….क्या करेगी पढ़ लिख कर…..करना तो उसने चूल्हा चौका ही है….”
पम्मी आंटी के चेहरे पर तो कोई चेंज नही आया मगर उनके नाक की कोने थोड़े से फूल गये….सरदारनी को गुस्सा आ गया था.
“अजी तुस्सी फेर ओ ही गल करने लगे..”
सरदार जी ने कंधे उचकाय और कहा, “मेनू की…..करो अपने मन दी…..”
मैं मन ही मन हंसा…..सरदार जी जैसे डॉन की भी अपनी बीवी से फटती है….सरदार ही खाने की मेज़ पर जा बैठे और बोले, “ला भाई……खाना लगा दे….”
आंटी बोली, “ अभी लाई……” और किचन मे चली गयी..
यह सरदार जी तो नॉर्मल इंसान निकला, लोग बिना बात ही इतना डरते है इनसे….
तभी सरदार जी ने मुँह बनाया और अपनी गांड टेडी की, मानो उनको कुछ चुभ रहा हो, उन्होने अपने शर्ट को उपर किया और अंदर हाथ डाल कर………..
पिस्टल निकाल ली…
ओ भेनचोद ….गांड का बुलडोज़र ही हो गया…भक भक भक.
सरदार जी ने बड़े आराम से गन डाइनिंग टेबल पर रख दी….
मा की चूत........ बहुते ही ख़तरनाक आदमी है ये तो.
पम्मी आंटी खाना ले आई और सरदार जी के सामने रख दिया, तभी सरदार जी ने मुझे देखा और कहा,
“ओ पुत्तर….आजा भाई….खाना शाना खा ले…..”
फटती गांड मे मुँह से आवाज़ नही निकला करती…
मैं गूंगे जैसा चुप चाप खड़ा खड़ा देख रहा था.
वो फिर बोले, “ आजा भाई आजा….बैठ …..”
मैने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, “ज….ज….ज……जी ..म….म….मैं चलता हूँ…..”
सरदार जी माथे पर सल आ गये, “ क्यू भई …..?”
मैं फिर बोला, “न…न…नही जी…..बस…..मुझे जाना है…”
सरदार जी बिल्कुल सर्द आवाज़ मे बोले,
“ बैठ जाओ बेटे जी……बैठ जाओ”
लो भाई…..लग गये काम ….और रगड़ो अपने लोड्*ा आंटी की गांड पर…मेरी तो लाश भी नही मिलनी अब मेरे परिवार को.
एक किलोमीटर लंबी डाइनिंग टेबल थी…..एक कोने पर सरदार जी बैठे थे….दूसरे पर मैं अपनी फटफती गांड को लेकर टिक गया.
“पम्मी…..इसका खाना लगा…”
आंटी ने मेरे सामने प्लेट रख दी….मैं खाना तो खाकर आया था मगर मेरी गांड मे ज़ोर नही था की मैं मना कर सकु…मैने चम्मच उठाया और चावल खाने लगा.
सरदार जी ने पूछा, “नाम क्या है तेरा पुत्तर…….”
“जी….शील….” मैं टर्राया
“हैं….शील…..ओये ये क्या नाम हुआ…..”, सरदार जी ने पूछा.
“जी……?”,
मेरी गांड ऐसी फट रही थी की क्या बताऊ. मेरी नज़रे बार बार सामने पड़ी गन पर जाती और फटफती फिर से चल पढ़ती.
मैं चुपचाप सर झुका कर राजमा चावल खाने लगा….
तभी सरदार जी पूछा, “तू गुप्ता जी का बेटा है ना……? बड़े बज़ार मे जिनकी किराने की दुकान है ?”
मेरे हाथ से चम्मच छूट गया. इस गंडमरे को तो मेरी पूरी हिस्टरी पता है.
मैं चम्मच उठाने के लिए उठने लगा तो पम्मी आंटी बोली,
“कोई बात नही दूसरा चम्मच ले ले”
मैने दूसरा चम्मच लिया और सरदार जी से कहा, “ज…ज….ज….जी…..”
सरदार जी बोले,
” बहुत बड़िया आदमी है यार गुप्ता जी……तुम्हारी एक दुकान मैने किराए से ली थी कुछ साल पहले, इतने सज्जन है गुप्ता जी आजकल किराया ही लेने नही आए…..”
ये बोल कर सरदार जी हँसने लगे…..मैने सोचा भेन्चोद मेरे बाप की तो क्या पूरे शहर में किसी की गांड मे इतना ज़ोर नही है की वो सरदार जी से किराया माँग ले.
पम्मी आंटी मेरे पास आके खड़ी हो गयी और बोली, “ कहाँ गिरा वो चम्मच…..ला भाई उठा लूँ…नौकर तो जा मरा है गाँव मे….”
आंटी घुटनो के बल झुक कर चम्मच ढूँढने लगी और लाख कंट्रोल करने के बाद भी मेरी नज़ारे जाकर आंटी की उभरी हुई गांड पर जा चिपकी….
कसम उड़ान छल्ले की….आंटी की तो लेनी ही पड़ेगी….
आंटी डाइनिंग के नीचे ही घुसी इधर उधर देख रही थी….
तभी सरदार जी बोले, “ तो बेटे जी आप बिट्टो को पढ़ाते है…..?”
मैने जवाब देने के लिए मुँह खोला ही था की टेबल के नीचे घुसी पम्मी आंटी ने मेरी जाँघ पर चिकोटी काट दी….
और मेरे मुँह से निकला…” जी….ओ....आह…..”
मा की चूत ….भईये गया मैं तो .
सरदार जी ने आँखें सिकोडी और बोले, “ क्या हुआ ओये…..?”
मैने बड़ी मुश्किल से स्थिति नियंत्रण मे की और कहा,
“जी….व.... .व.....वो…….बोलते बोलते जीभ कट गयी….”
मैं चेहरे पर चुतिया एक्सप्रेशन लिए सरदार जी को देख रहा था और वो अज़ीब से एक्सप्रेशन लिए मुझे देख रहे थे…..
तभी पम्मी आंटी ने एक चिकोटी और काट दी…..जहाँ पहले काटी थी उस से उपर की और…
आंटी की मंज़िल बाबूराव था और मेरी गांड की फटफती की मंज़िल....बहुत दूर ….
अगर मैं यहाँ से नही निकला तो आंटी तो यहीं पर मेरा पोस्टमॉर्टम कर देगी…..मैं सोच ही रहा था इतने मे आंटी ने टेबल के नीचे घुसे घुसे ही बाबूराव पर ही हाथ फेर दिया.
बस यार…..अब अति हो गयी….फटफती फुल स्पीड मे आ गयी और मैं तुरंत खड़ा हुआ और टर्राया….
“अंकल जी मैं चलता हूँ…….म….म….मुझे घर जाना है…..”
तभी पम्मी आंटी भी तुरंत टेबल के नीचे से निकल आई और बोली, “हाय हाय….अरे तू बड़ी जल्दी मे है……पिया को पढ़ाना नही है क्या….?”
“ज….ज….कल….कल….दिन मे…..आकर पढ़ा दूँगा……”
“ठीक है……2 बजे आइयो…….”, पम्मी आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा.
यार…..पिया तो 2 बजे घर पहुँच ही नही पाएगी तो फिर…..
और अपुन को सीन क्लियर हो गया….आंटी जान बूझकर जल्दी बुला रही है…..ताकि….
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