Sunday, May 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--172

  FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--172




सेलेक्टेड : गिफ्ट ही गिफ्ट



मैंने सूना था की औरते अपनी भावनाए कई ढंग से व्यक्त करती है।

लेकिन ये कभी नहीं सोचा था की ये ढंग भी होगा।


जब गालियों की बौछार थोड़ी धीमी हुयी , तो गुड्डी ने रंजी से कहा ,

" अरे मेरी नानी , बाकी के पैकेट तो खोल "

" तू खोल , अच्छा चल एक मैं और एक तू " रंजी ने ब्लैक वेलेवट का बैग उसके हवाले कर दिया।


और उस ब्लैक वेलवेट बैग से , बबली निकली।

मेरे मुंह से चीख निकल गयी , डाम पेरिग्नान , 1969 विंटेज।

शैम्पेन की बॉटल तो अब गुड्डी भी पहचानती थी , बनारस में तान्या ने सर्व की थी।

और जब रंजी ने पैकेट खोला तो उसमें दो लेदर पाउच थे। एक में कार्ड पाउच था , जिसमें दो क्रेडिट कार्ड थे , एक स्टैण्डर्ड चार्टर्ड का टाइटेनियम कार्ड और एक एच डी ऍफ़ सी का लड़कियों के लिए स्पेशल सॉलिटेयर कार्ड। दोनों की लिमिट १०,लाख थी।


और दूसरे पाउच में एक डायमंड पिन थी , जिसमे मॉडलिंग एजेंसी के इन्शियल्स कार्व्ड थे। ये उसे अपने असाइनमेंट पर जाते समय लगानी थी।

साथ में एक बहुत छोटा सा वेलकम लेटर था जिसमे एक वेब पेज का एड्ड्रेस था जो रंजी के लिए कस्टमाइज्ड था और उसे खोलकर , वहां पोस्ट करना था की उसे पैकेट मिल गया है।

रंजी के लिए सभी इंस्ट्रक्शन उसी वेब पेज पे आनी थी।

सब कुछ छोड़कर रंजी ने वो पेज खोला। उस पर उस की पूरी प्रोफाइल पोस्ट थी और साथ में होली के पहले वाले दिन और आज जो फोटो शूट हुआ था उसकी फोटुएं। और फिर उसकी एक नयी मेल आईडी , और एक डायलॉग बॅाक्स जिसमें उसे मेसेज देना था।

तुरंत उसने थैंक्स लिखा और बताया की बॉक्स मिल गया है।

एक ड्राॅप डाउन मेनू खुला , जिसमे उसके डाइट , ट्रेनिंग , बाड़ी स्कल्पटिंग और भी पता नहीं क्या क्या लिखा था।

गुड्डी भी उसके साथ वो पेज पढ़ रही थी और सबसे पहले उस ने डाइट वाला पन्ना खोल दिया , सब कुछ मना था , पिज्जा , बर्गर कोई भी फास्ट फूड , डीप फ्राइड , ज्यादा मीठी चीजें।


और खाने की चीजों का नाम ही पढ़कर जैसा होता है मुझे भूख लग आई।

' हे खाना क्या बनेगा " मैंने नदीदों की तरह दोनों से पुछा।

' कुछ नहीं " दोनों एक साथ चिल्लाईं।

" है तो ये मस्त माल , आज इसे खा के काम चलाना " गुड्डी ने पीछे से जोर से रंजी के दोनों उभार दबा के बोला।

" उन्ह्ह , आज तेरा नंबर लगेगा वो भी आगे पीछे दोनों ओर। " हंस के रंजी बिना पेज से ध्यान हटाये बोली।


" लड़ो मत आज तुम दोनों की रगड़ाई होगी , वैसे भी आज आखिरी रात है कल से तो वापस गुड्डी की नगरिया। " मैं हंस के बोला।

" आज मैं कुछ मंगाती हूँ मेरी ओर से , वैसे भी खाना बनाने में बहुत टाइम वेस्ट होता है और तू ठीक कह रहे हो ,आज की रात आखिरी रात है यहाँ पे मौज मस्ती की। अभी ऑर्डर करती हूँ , आधे घंटे में आ जाएगा और बस पन्दरह बीस मिनट में झट पट हम लोग ऊपर और इस गुड्डी साल्ली की रगड़ाई चालू। "रंजी बोली।
" अरी कमीनी इत्ती खुजली मच रही है तुझे , लेकिन मंगाएगी कैसे , सब तो मना है तेरे लिए आज से " गुड्डी ने उसकी खिंचाई की।

रंजी एक मेल पढने में बिजी थी , उसके डायटीशियन का था।

और गुड्डी की ओर मुड़ के बोली , " पढ़ इसे , आज से नहीं कल से। आज का दिन फुल मस्ती नान स्टाप। "

मेल में उसके डायटीशिएन ने लिखा था रात में ९. ४५ पर वो जी टाक पर चैट के लिए आएगी और रंजी से डिस्कस करके उसका डाइट प्लान तय करेगी। कल से वो डाइट प्लान रंजी को फॉलो करना होगा।

" लास्ट पिज्जा आज " रंजी ने नारा लगाया और वो दोनों एक पिज्जा शाप को फोन करने में लग गयीं।
गुड्डी ने स्पीकर फोन आन कर दिया था और दोनों मिल के पिज्जा के दूकान पे जो रिशेप्शन पे था उसकी ले रही थीं ,बिना तेल लगाये। 
 
पिज्जा और पिज्जा ब्वॉय





गुड्डी ने स्पीकर फोन आन कर दिया था और दोनों मिल के पिज्जा के दूकान पे जो रिशेप्शन पे था उसकी ले रही थीं ,बिना तेल लगाये।

" कित्ता बड़ा है तुम्हारा , मेरा मतलब सबसे बड़ी साइज के पिज्जा से है " गुड्डी ने बैटिंग ओपन की।

" 9 इंच , " उधर से रिस्पांस आया।

" अरे इससे क्या होगा , यहां दो दो भूखी जवान लड़कियां बैठी है , ९ इंच तो सिर्फ मैं गपक लेती हूँ। आपकी साइट पर तो है १२ इंच का है आपके पास। नहीं है तो इश्तेहार क्यों निकालते हो। प्लीज भैया देखो न होगा १२ इन्च वाला "
रंजी ने स्पेशल हस्की आवाज में बोला , और अब दोहरे अर्थ वाला डायलॉग वो भी समझ रहा था।
" चलिए , अब आप कह रही हैं तो आप लोगों के लिए , ओके ,१२ इंच वाला फ्लेवर कौन सा , और टॉपिंग , " वो भी अब मूड में आ गया था।

" बाकी कुछ भी हो टॉपिंग बस , …कैसे कहूँ ,आप समझदार हो भैया , गाढ़ी सफेद थिक डबल चीज वाली , समझ गए न। " रंजी और उसे चढ़ाती बोली।

" आप का वो , मतलब पिज्जा डिलिवरी ब्वॉय आएगा न डिलीवर करने , आधे घंटे में आ जायेगा न , बहुत भूख लगी है। " गुड्डी एकदम सिसकियों के साथ , बोली।

" तू भी न , तो क्या कुरिएर वाला ले आएगा , और दिया इन के पिज्जा डिलिवरी ब्वॉय की कितनी तारीफ कर रही थी , स्मार्ट हैैंड्सम और एकदम हाट सर्विस करते हैं तभी तो इन्हे आर्डर दे रही हूँ। " रंजी समझाते बोली।

" एकदम मैडम , हमारे यहाँ सब काम सुपर फास्ट होता है , आधे घण्टे से पहले ही पिज्जा पहुँच जाएगा। " उधर से जवाब आया। लेकिन गुड्डी कहाँ छोड़ने वाली थी।

" १२ इंच वाला ही आएगा न " गुड्डी ने पुछा।

" एकदम मैडम , न हो तो आप नाप के देख लीजियेगा और एक बार चखने के बाद आप हमको ही मौका देंगी। " पिज्जा वाला भी इन दोनों के रंग में रंग गया था।

" मैं डिलिवरी वाले के बारे में पूछ रही थी " गुड्डी का सवाल रंजी के जवाब में दब गया ,

" आरी बुद्धू जिस साइज का पिज्जा , उसी साइज डिलिवरी ब्वॉय , ये भी कोई पूछने की बात है , बोल तो दिया है इन्होने नाप के देख लीजियेगा। "

" आप दोनों की , मेरा मतलब एड्ड्रेस , … " उधर से सवाल आया।

" बस अभी मेसेज किया है आप को मिल गया होगा। " रंजी बोली।

" हाँ मैडम , थैंक्स और आपका नंबर लड़के को भी दे दूंगा , निकलते ही आपको फोन करेगा " ये कह के उसने फोन रख दिया।


फोन रखते ही दोनों दुष्टों की हंसी में कमरा गूँज गया और साथ ही दोनों की एक साथ डांट भी पड़ गयी।

" लड़कियों की बात सुनते रहे हो शर्म नहीं आती " दोनों एक साथ बोलीं।

" तुझे एक काम दिया था पूरा हुआ ," गुड्डी ने सवाल दाग दिया।

" बस पांच मिनट का काम बाकी है " मैंने सर झुका के जवाब दिया और वापस कमरे में जाके कंप्यूटर पे लग गया।

असल में एडिटिंग तो हो गयी थी बस अब डीवीडी बर्न करनी बाकी रह गयी थी , वो मैंने लगा दी।


मुझे लगा की रंजी की सक्सेस सेलिब्रेट करने के लिए मुझे भी कुछ आर्डर करना चाहिए और मैंने भी एक बड़ा सा केक , और कुछ फिंगर चिप्स और डिशेज , शैम्पन के साथ।


पिज्जा पहले आया।
गुड्डी ने दरवाजा खोला और पीछे पीछे रंजी भी।

" १२ इंच का है न " गुड्डी पिज्जा का बॉक्स पकड़े थी लेकिन उसकी सीधे डिलिवरी ब्वॉय के बल्ज पे थी।

और वो लड़का भी , २१-२२ का मुश्किल से रहा होगा ,पूरा जवान पट्ठा , गोरा, जिम टोंड और टाइट यूनिफार्म में एक एक मसल्स दिख रही थी।

" चेक करके देख लीजिये न " वो भी उसी द्विअर्थी अंदाज में मुस्करा के बोला। जैसे गुड्डी की निगाहें उसके जींस के ज़िप पे फोकस थी , उसकी निगाह टॉप फाडू जोबन पे।

और तबतक रंजी भी मैदान में आ गयी।

" वाउ , एकदम चिकना है। चेक करने के लिए खोलना पड़ेगा समझ लो। " रंजी उसकी आँखों में आँखे डालके बात कर रही थी।

" तो खोल लीजिये न , मना किस ने किया है। " आँख नचा के उसने रंजी को चैलेन्ज किया।

" हे पहले बिल दे न उसे , बिचारा कित्ती देर से खड़ा है " गुड्डी डिलिवरी ब्वॉय की ओर से बोली।

" अरे बिचारे की बिचारी , बड़ा याराना लगता है , एकदम सब डिटेल मालूम है कितना देर खड़ा रह सकता है बिचारा " रंजी ने तोप का मुह गुड्डी की ओर कर दिया , फिर डिलिवरी ब्वॉय से बोली।

" क्यों ज्यादा देर नहीं खड़े रह सकते क्या ?" मुस्करा कर अदा से रंजी बोली।

" आप जित्ता देर चाहे उत्ती देर , कस्टमर को सैटिस्फाई करना हमारी पॉलिसी है , आप को एक बार अच्छा लगेगा आप दुबारा बुलाएंगी। लेकिन अभी मालिक का फोन आ गया है ,इसलिए ,आपका नंबर मैंने सेव कर लिया है अगली बार पक्का। "

रंजी ने जैसे ही पेमेंट किया गुड्डी फिर चढ़ गयी अरे टिप्स तो दे , दुबारा बुलाना है।

" टिप्स या टिट्स बोल क्या चाहिए तुझे " रंजी ने हंस के उस लड़के से पुछा और उस के जवाब के पहले दोनों , गुड्डी और रंजी दोनों उससे चिपक गयीं , और जब वह दस मिनट के बाद गया तो उसके दोनों गालों पर आधे आधे दर्जन लिपस्टिक के गाढ़े निशान थे जो जल्दी छूटने वाले नहीं थे।


दस मिनट बाद केक और बाकी डिशेज आयीं। बस गनीमत थी इस बार डिलिवरी लेने और पेमेंट करने मैं गया।
गुड्डी और रंजी ने झटपट पिज्जा खत्म किया।

एक सादे समारोह में रंजी ने केक काटा और अपने मॉडलिंग जीवन के शुरुआत का सेलिब्रेशन किया , मैंने केक खा तो लिया लेकिन उसके दोनों 'कपकेक ' को दबाकर मैंने बोला ,

"मुझे तो ये चाहिए "
 
 
रंजी के पहले गुड्डी ने हामी भरी और ये तय हुआ की ,शैम्पेन बेड रूम में पहुँच कर खोली जायेगी जहाँ कल रंजी का अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों खोला गया था।
शैम्पेन बाथ पहले रंजी और फिर गुड्डी की चुन्मुनिया को दिया गया , अच्छी तरह और फिर पूरी बोतल खाली हो गयी।

और उसका असर हम तीनो पर होना भी शुरू होगया। .

ये कहने की बात नहीं की की ऊपर बैडरूम में पहुंचते ही सबके कपडे उतर गए।
गुड्डी बाकी बनरसावलियों की तरह ,कपड़ों की एक नंबर की दुशमन , सबसे पहले उसने अपनी छुटकी ननदिया के कपडे उतार फेंके , फिर मेरा नंबर था।

और हम लोग उसे क्यों छोड़ते तो मैंने और रंजी ने मिलके ,उसे भी अपनी तरह बना दिया।

" हे आज पहले गुड्डी की लो , " रंजी बार बार इसरार कर रही थी।

" नहीं पहले रंजी की , आज उसने जंग जीती है " गुड्डी कौन बख्शने वाली थी।

" चल तुम दोनों की ले लूंगा एक साथ घबडाती क्यों है " मैंने समझाया , लेकिन तबतक रंजी और गुड्डी की निगाह उस ड्राअर पर पड़ी जिसमे खेल खिलौने रखे थे और जिसमें से बेन वा बाल्स सुबह गुड्डी ने निकाल के रंजी के ऊपर इस्तेमाल किया था।

अगले झटके में पूरा ड्राअर बिस्तर पर था।

मैं सेक्स ट्वॉयज से अपरिचित नहीं था , कम से कम इंटरनेट और फिल्मो के जरिये लेकिन यहाँ तो पूरा अलीबाबा का खजाना था।

एक से एक , और कितने तरह के डिल्डो ,हर साइज के।

एकदम रियलिस्टिक ,वाइब्रेटिंग , विद बाल्स , विदाउट बाल्स , और ह्यूज डिल्डो और सबके साथ स्ट्रैप आन बेल्ट। 
 
रियलस्टिक डिल्डो का टच एकदम स्किन की तरह था , एक एक वेन्स साफ दिख रही थीं और छूने में भी मसल्स का ही फील आता था। दो थे ऐसे , दोनों ही ब्लैक , एक ७ इंच का और दूसरा ९ इंच का। मोटाई दोनों की डेढ़ से दो इंच रही होगी ,लेकिन ९ इंच वाले का सुपाड़ा एकदम मेरी साइज का था करीब ढाई इंच।

वाइब्रेटिंग डिल्डो , डिल्डो और वाइब्रेटर के कॉम्बिनेशन थे और तीन स्पीड पे वाइब्रेट करते थे।

तब तक रंजी ने एक सेल्फी स्टिक ऐसी चीज उठायी और बोली ये क्या है।

उसे और गुड्डी की समझ में नहीं आ रहा था , दोनों उलट पलट के देख रही थीं।

समझ में तो मेरे भी नहीं आ रहा था लेकिन मैंने गूगल भैया को फोन लगाया और राज खुल गया।


बड़ा लम्बा नाम था , स्वाकॉम सीमे इंटीमेट सेक्स सेल्फ़ी स्टिक वाइब्रेटर कैमरा।

शार्ट में सेक्स सेल्फ़ी स्टिक , क्या होता है जब चुन्मुनिया के अंदर तूफान आता है , ज्वालामुखी फूटते हैं , उसकी हाल ये रिकार्ड करता है। और अंत में एक लाइट भी लगी है जिससे अँधेरी गुफा में भी ये हाई डिफिनिशन वीडियो रिकार्ड करता है। एक रिव्यूअर ने लिखा था एन्डोस्कोपी और वाइब्रेटर की हरामी संतान। और सबसे मजेदार बात ये की ये सब हाल फोन पे लाइव ट्रांस्मिट कर सकता है। इसकी लम्बाई ६ इंच की है और वाइब्रेशन की ६ सेटिंग्स है।



गुड्डी और रंजी ने जैसे ही मेरी ओर देखा , मैंने सब ज्ञान उन्हें सूना दिया और वो दोनों महा इम्प्रेस।

साथ में मैंने फरमान भी सुना दिया , हे खेल खिलौने बाद में पहले मेरा नंबर , इसे हटाओ और चुपचाप लेट जाओ ,दोनों। मुझे तुम लोगों की चुन्मुनिया की शैम्पेन चखनी है ,

बस अगले ही पल खिलौने सिमट के सारे बगल की मेज पे और गुड्डी रंजी बेड पे।

मेरे प्यासे होंठ , रंजी की चुन्मुनिया से चिपक गए। मैंने और गुड्डी दोनों ने उसे अच्छी तरह 'बबली बाथ ' दिया था।

रंजी की गुलाबी परी वैसे ही नशीली थी , लेकिन शैम्पेन ने आज उसका नशा १०० गुना कर दिया था।

मेरे होंठ जम कर उसकी गुलाबी पुत्तियों को चूस रहे थे।
और आज वो भी खुलके मजा ले रही थी।

पहली बार का मजा अलग होता है लेकिन लोग कहते हैं की असली मजा दूसरे दिन ही आता है।

पहली बार फड़वाने वाली भी डरी ,सहमी ,झिझकी रहती है। फटने का डर , पता नहीं कित्ता दर्द हो , घुसेगा की नहीं , और जब झिल्ली फटेगी तब मारे दर्द के जान निकल जायेगी ,

और उससे बेहतर हालत फाड़ने वाली की भी नहीं होती। वो भी उसी तरह संशय ग्रस्त ,उहापोह में डूबा रहता है। कच्ची , कसी कली है , बहोत मुश्किल से जाएगा , दर्द के मारे अगर ज्यादा चिल्लाई तो ,… सारा ध्यान और ताकत बस झिल्ली फाड़ने में लगी रहती है। और जब वो काम हो गया तो दर्द की चीख , खून खच्चर और फिर लड़की को पटाना , फिर से मूड में लाना ,…

और आज मेरा ,रंजी का दूसरा दिन था ,हम दोनों खुल के मस्ती के मूड में थे न कोई झिझक न डर।

और मैं मजे से चूस रहा था ,

वो मजे से चुसवा रही थी।

उसकी चूत शैम्पेन में डूबी हुयी थी और उसका एक अलग नशा ,एक अलग मजा था।

मेरी जीभ उन गुलाबी रसीली , नशीले निचले होंठों पे बार बार नीचे से ऊपर हो रही थी , चाट रही थी और फिर मुझसे नहीं रहा गया।

कचकचा के ,मैंने दोनों होंठों के बीच उसकी रसमलाई को दबोच लिया और पूरी ताकत से लगा चूसने।
मेरी जीभ क्यों मौका छेड़ देती , वो लंड की तरह चूत के भीतर घुस गयी और लगी गोल घूमने।
जीभ चुदाई का असर लंड चुदाई से किसी हालत में कम नहीं था।

रंजी वैसे ही परमानेंट चुदवासी लौंडिया की कैटगरी में थी और अब मंतर का असर , उसकी चूत में चींटिया नहीं बड़े बड़े चींटे काट रहे थे।

चूत में तूफान उठ रहा था ,और चूत में उठे इस तूफान में मेरे साथ उसकी सहेली कम होने वाली भौजाई का मुझसे ज्यादा हाथ था।


लेस्बियन कुश्ती में गुड्डी से कौन जीत सकता था।



और अभी तो मौका भी था दस्तूर भी था ,उसकी छुटकी ननदिया मेरे नीचे दबी थी।


गुड्डी के होंठ रंजी के मस्त खड़े ,कड़क निपल जीभ से फ्लिक कर रहे थे , चूस रहे थे , उसके हाथ जोर जोर से उसके किशोर उभार निचोड़ रहे थे। और कुछ ही देर में एक हाथ नीचे आ गया , रंजी की मखमली जांघो के बीच।
कुछ देर गुड्डी की उंगलिया वहां सरसराती रही , सरकती रही फिर उसने रंजी की क्लिट दबोच ली। कभी गुड्डी का अंगूठा उसकी उभरी जादू की बटन को दबाता उसकी लम्बी उँगलियों के नाख़ून उभरे तड़पते रस राज को , उसकी क्लिट को फ्लिक करते।


रस की दरिया में रंजी डूब उतरा रही थी। उसने अपने को हम दोनों के भरोसे छोड़ दिया था।

बस कभी सिसकती , कभी चूतड़ पटकती , दोनों हाथों से जोर से चददर को पकड़ लेती , और मै जवाब में जीभ से उसको चोदने की रफ्तार से तेज कर देता।

७-८ मिनट में इस दुहरे हमले का असर ये हुआ की रंजी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी ,लेकिन दुष्ट गुड्डी।


बाकी भौजाइयों की तरह वो भी अपनी ननद को तड़पाने में ज्यादा विश्वास करती थी , न की उसे पार कराने में।

और उसने मुंझे आँख के इशारे से मना कर दिया। मेरी क्या हिम्मत थी ,गुड्डी की बात टालने की।

बस हम दोनों ने स्पीड स्लो कर दी।

बिचारी रंजी ४-५ बार किनारे पर पहुंची लेकिन उसे गुड्डी ने झड़ने नहीं दिया।


और फिर वही हुआ जो होना था ,गुड्डी नीचे थी और रंजी ऊपर।
 
 

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator