FUN-MAZA-MASTI
दोस्त की बहन के साथ
हेलो मेरा नाम राज है. मेरी उम्र ३० साल है. उस समय मेरी उम्र २०
साल होगी और दोस्त की बहन जिसका नाम प्रीत था, उसकी उम्र १८ साल थी. उस समय
मेरे मन में उसके लिए कभी ऐसा ख्याल नहीं आया था. मैंने उसे अपनी बहन की
तरह ही मानता था. हमारा घर अगल-बगल में होने की वजह से छत से सब साफ़ दीखता
है. एक दिन, मैं छत पर किसी काम से गया. थोड़ी देर बाद, मेरी नज़र प्रीत के
घर पीछे बने आंगन पर पड़ी. मैं एकदम से हैरान रह गया.. वहां प्रीत पूरी नंगी
हो कर नहा रही थी. शायद उसके घर में कोई नहीं था. मैं काफी देर तक, मैं
उसे नहाते हुए देखता रहा. पर उसकी नज़र उस पर पड़ गयी.
मैं तो उस समय डर ही गया था, कि कहीं उसने घर पर किसी को बता दिया, तो क्या होगा और जल्दी से मैं छत से नीचे आ गया. मेरे दिमाग से, वो पल जा ही नहीं रहा था. कि मैंने उसे नंगी नहाते हुए देखा था. उसके छोटे – छोटे निम्बू जैसे बूब्स और बिना बालो वाली चूत और उसका गोरा और चिकना मस्त बदन को याद करके मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैं बाथरूम में गया और बहुत देर तक मुठ मारी. बहुत बार मुठ मारने के बाद भी मैं, उस पल को नहीं भूल पाया. एकदिन, जब उसके घर में कोई नहीं था. तब मैं वहां गया और इधर – उधर की बातें करने लगा. शायद वो कम उम्र होने की वजह से वो बात भूल चुकी थी. पर मुझ पर तो हवस का नशा चड़ा हुआ था. मैंने बाते करते – करते अपना लंड बाहर निकाल लिया और ऐसे ही बैठे हुए बात करने लगा. वो थोड़ी घबरा गयी और दुसरे कमरे में जाने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला – प्रीत थोड़ी देर यहीं बैठे रहो. मैं कुछ नहीं करूँगा. तुमको हाथ भी नहीं लगाऊंगा. बस मेरे पास बैठ जाओ. वो घबराती हुई, मेरे पास बैठ गयी. उस समय भी मेरा लंड बाहर ही था. और बातें करते – करते, मैंने अपनी पेंट उतार दी. और उसके बगल में बैठ कर मुठ मारता रहा. मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था. उसके लिए ये सब नया था. पर शायद उसे भी अच्छा लग रहा था. बस थोड़ा घबरा रही थी. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली और लंड को जोर से पकड़ लिया. धीरे – धीरे वो उसको सहलाने लगी. क्या बताऊ यारो.. क्या मस्त अहसास था वो, जब वो अपने कोमल हाथो से मेरे लंड के साथ खेल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. उसने मेरे लंड अपने दोनों हाथो से पकड़ा हुआ था और मेरे लंड को मसल रही थी.
हम दोनों एक दुसरे को किस करने लगे और किस करते हुए, वो मेरा लंड सहला रही थी और मैं उसकी टीशर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसके दूध दबा रहा था. हम दोनों बस शांत हो के, एक दुसरे के शरीर से खेल रहे थे. फिर मैंने उसकी फरोक के अन्दर हाथ डाला और एक ऊँगली डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा. धीरे से पेंटी नीचे की और उसको बोला, मुझे चूत चाटनी है. वो शरमा गयी. मैंने उसकी टाँगे फैलाई और चूत को चाटने लगा, वो तड़प रही थी. फिर हम अलग हुए और अपने कपड़े पहने और एक – दुसरे से चिपक के बैठ गये और वो रोने लगी. फिर मैंने उसे शांत करवाया और भरोसे में लिया. कि किसी को कुछ नहीं बताना. उसके बाद, मैं घर चला आया. बड़ा अच्छा – अच्छा सा महसूस हो रहा था. उसको भी मेरा अहसास अच्छा लगा था.
फिर हमे जब भी मौका मिलता, ये सब करते और एक दुसरे को खुश रखते. हमे तो बस मौका चाहिए था मज़े करने का. ऐसे दी काफी टाइम निकल गया. हमें जितना मौका मिलता, हम मज़े करते थे. लेकिन, कभी पूरा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाया. एकबार दिल्ली में, उसे कोई एन्तेरेंस एग्जाम देने जाना था. उसकी मम्मी ने मुझे उसके साथ दिल्ली जाने के लिए बोला. क्योंकि उसका भाई बाहर जब करता था. मैंने भी सोचा, आखिर चोदने का मौका मिल ही गया और मैंने भी हाँ कर दी. हम दोनों ने रेजिर्वेशन करवा लिया. पर साथ में उसके साथ की लडकिया भी अपने भाइयो के साथ उसी ट्रेन में जा रही थी.
ट्रेन में तो कुछ करना इम्पॉसिबल था. मैं और वो दोनों ही बहुत बैचेन थे और हर मौके का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के मूड में थे. फिर रात होने पर जब सब सो गए. मैंने उसको कहा – टॉयलेट में जाना चुपके से. मौका देख कर उसके टॉयलेट जाने के बाद, मैं भी चला गया. गेट बंद था, टॉयलेट का अन्दर से. मैंने पूछा, कौन है? उसने कहा – मैं हु प्रीत. उसने गेट खोला और मैं अन्दर घुस गया. हम एक दुसरे पर टूट पड़ा. वो कहने लगी, इतने सालो का इंतज़ार कल पूरा हो जाएगा. कल मेरी सुहागरात है ना. मैंने कहा – हाँ. कल तुम्हारी सुहागरात है.
और तेरी चुदाई तेरा ये भैया करेगा. वो तो हॉर्नी हो चुकी थी. उसने जल्दी से मेरी पेंट उतारी और लंड तुरंत मुह में ले लिया. पूरा का पूरा लंड उसके गले तक पहुच चूका था. १० मिनट बाद, लंड में मलाई निकाली और सारा माल उसके मुह के अन्दर ही निकल गया. उसके होठो से मेरा जूस निकल रहा था. इस हालत में, वो ब्लूफिल्म की हेरोइन लग रही थी. फिर उसने अपना मुह साफ़ किया, हमने कपड़े ठीक किये और फिर हम बर्थ पर आकर सो गये.
सुबह दिल्ली पहुचे और एक होटल में किराये पर रूम लिया. रूम का गेट बंद करते ही, हम एक दुसरे से चिपक गये और एक दुसरे को किस करने लगे. मैंने उसे बोला – प्रीत, आज पहली बार, हम एक दुसरे के सामने पुरे नंगे होने वाले है. क्योंकि हमेशा उसके घर पर किसी ना किसी के आने का डर लगा रहता था. इसलिए ऐसा मौका कभी मिल नहीं पाया. वो कहने लगी, भैया मैं तो नंगी होने के लिए कब से तड़प रही हु. हमने जल्दी की और एक दुसरे को नंगा कर दिया.
आज पहला मौका था, जब हम बिलकुल नंगे हो के एक दुसरे से चिपके हुए थे. हम किस कर रहे थे. वो मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी और मैं उसके दूध पकडे हुए था. मैं उसके दूध को पकड़ कर दबा रहा था और उसको चूस रहा था. फिर उसको बिस्तर पे लिटा कर, मैंने उसके शरीर के हर हिस्से को चाटा और यू ही सो गये. शायद थकान ज्यादा थी, हमने चुदाई का प्लान रेस्ट के बाद बनाया था. हमारे पास टाइम बहुत था. फिर शाम को नहा कर हम थोड़ा घुमने को निकले और मैंने उसको बहुत सारी शौपिंग भी करवाई. फिर हम होटल वापस आ गये.
होटल आते ही उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. जैसे कपड़ो से उसे एलर्जी हो. वो कहने लगी, भैया घर में तो हमेशा कपड़ो में रहती हु. यहाँ आपके साथ नंगी ही रहने का मन है. मैंने कहा – जैसे तुम्हारी मर्ज़ी. मैं भी नंगा हो गया और फिर चालू हुई हमारी सुहागरात. हम ६९ में हो गये और वो लंड चूस रही थी. और मैं उसकी चूत को चाट रहा था. कभी आप भी ऐसा करके देखना, बड़ा मज़ा आता है. मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया और सारा जूस उसके होठो से बाहर बहने लगा. पर उसने साफ़ नहीं किया और फिर से लंड चूसने लगी.
अब मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को कुरेदना चालू कर दिया. वो पहली बाद लंड को अपनी चूत में लेने वाली थी. पर इतने सालो में उसकी चूत को कुरेद – कुरेद कर थोड़ा खोल चूका था. पहली बाद, उसकी चूत पर अपना लंड टिकाया और उसे थोड़ा उंगलियों से फैला कर धीरे – धीरे अन्दर डालना चालू किया. उसे दर्द हो रहा था. पर वो चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी. थोड़ी ही देर में, लंड पूरा उसकी चूत में समां गया और मैं झटके मारने तेज – तेज चालू कर दिए.
मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर – बाहर बहुत ही तेजी से हो रहा था और उसके मुह से अहहाह अहहाह अहहाह अहहः करते हुए, मस्ती भरी सिस्कारिया निकल रही थी. उसकी सिसकारी सुनकर मुझे भी जोश आ रहा था और मैं उसको और भी तेजी से चोदने में लगा हुआ था. मैंने फिर से उसकी चूत को मस्ती में पूरी रात चाटा और बार – बार चोदा. वो पूरी रात मेरी बाहों में लिपटी रही और मस्ती में मेरे से चिपकी रही. उसे सारी रात चोदने के बाद, सुबह उसे पेपर दिलवाया. आते टाइम हम दोनों ने बियर पी और वापस लौट आये.
मेरा एक दोस्त था रमेश. मैंने अपनी और प्रीत की सुहागरात के बारे में उसे बताया, तो वो भी उसे चोदने की जिद करने लगा. फिर मैंने उसके लिए प्रीत से बात की. तो पहले उसने बिलकुल मना कर दिया और फिर मेरे जिद करने पर थोड़ा सोचने के बाद हाथ कर दी. फिर, एकदिन उसने पेपर के बहाने सिटी से बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया. हम तीनो ने एक होटल में रूम लिया और पुरे दिन और पूरी रात उसकी मस्त चुदाई की. वो कहानी कभी और फिर कभी…
मैं तो उस समय डर ही गया था, कि कहीं उसने घर पर किसी को बता दिया, तो क्या होगा और जल्दी से मैं छत से नीचे आ गया. मेरे दिमाग से, वो पल जा ही नहीं रहा था. कि मैंने उसे नंगी नहाते हुए देखा था. उसके छोटे – छोटे निम्बू जैसे बूब्स और बिना बालो वाली चूत और उसका गोरा और चिकना मस्त बदन को याद करके मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैं बाथरूम में गया और बहुत देर तक मुठ मारी. बहुत बार मुठ मारने के बाद भी मैं, उस पल को नहीं भूल पाया. एकदिन, जब उसके घर में कोई नहीं था. तब मैं वहां गया और इधर – उधर की बातें करने लगा. शायद वो कम उम्र होने की वजह से वो बात भूल चुकी थी. पर मुझ पर तो हवस का नशा चड़ा हुआ था. मैंने बाते करते – करते अपना लंड बाहर निकाल लिया और ऐसे ही बैठे हुए बात करने लगा. वो थोड़ी घबरा गयी और दुसरे कमरे में जाने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला – प्रीत थोड़ी देर यहीं बैठे रहो. मैं कुछ नहीं करूँगा. तुमको हाथ भी नहीं लगाऊंगा. बस मेरे पास बैठ जाओ. वो घबराती हुई, मेरे पास बैठ गयी. उस समय भी मेरा लंड बाहर ही था. और बातें करते – करते, मैंने अपनी पेंट उतार दी. और उसके बगल में बैठ कर मुठ मारता रहा. मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था. उसके लिए ये सब नया था. पर शायद उसे भी अच्छा लग रहा था. बस थोड़ा घबरा रही थी. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली और लंड को जोर से पकड़ लिया. धीरे – धीरे वो उसको सहलाने लगी. क्या बताऊ यारो.. क्या मस्त अहसास था वो, जब वो अपने कोमल हाथो से मेरे लंड के साथ खेल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. उसने मेरे लंड अपने दोनों हाथो से पकड़ा हुआ था और मेरे लंड को मसल रही थी.
हम दोनों एक दुसरे को किस करने लगे और किस करते हुए, वो मेरा लंड सहला रही थी और मैं उसकी टीशर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसके दूध दबा रहा था. हम दोनों बस शांत हो के, एक दुसरे के शरीर से खेल रहे थे. फिर मैंने उसकी फरोक के अन्दर हाथ डाला और एक ऊँगली डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा. धीरे से पेंटी नीचे की और उसको बोला, मुझे चूत चाटनी है. वो शरमा गयी. मैंने उसकी टाँगे फैलाई और चूत को चाटने लगा, वो तड़प रही थी. फिर हम अलग हुए और अपने कपड़े पहने और एक – दुसरे से चिपक के बैठ गये और वो रोने लगी. फिर मैंने उसे शांत करवाया और भरोसे में लिया. कि किसी को कुछ नहीं बताना. उसके बाद, मैं घर चला आया. बड़ा अच्छा – अच्छा सा महसूस हो रहा था. उसको भी मेरा अहसास अच्छा लगा था.
फिर हमे जब भी मौका मिलता, ये सब करते और एक दुसरे को खुश रखते. हमे तो बस मौका चाहिए था मज़े करने का. ऐसे दी काफी टाइम निकल गया. हमें जितना मौका मिलता, हम मज़े करते थे. लेकिन, कभी पूरा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाया. एकबार दिल्ली में, उसे कोई एन्तेरेंस एग्जाम देने जाना था. उसकी मम्मी ने मुझे उसके साथ दिल्ली जाने के लिए बोला. क्योंकि उसका भाई बाहर जब करता था. मैंने भी सोचा, आखिर चोदने का मौका मिल ही गया और मैंने भी हाँ कर दी. हम दोनों ने रेजिर्वेशन करवा लिया. पर साथ में उसके साथ की लडकिया भी अपने भाइयो के साथ उसी ट्रेन में जा रही थी.
ट्रेन में तो कुछ करना इम्पॉसिबल था. मैं और वो दोनों ही बहुत बैचेन थे और हर मौके का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के मूड में थे. फिर रात होने पर जब सब सो गए. मैंने उसको कहा – टॉयलेट में जाना चुपके से. मौका देख कर उसके टॉयलेट जाने के बाद, मैं भी चला गया. गेट बंद था, टॉयलेट का अन्दर से. मैंने पूछा, कौन है? उसने कहा – मैं हु प्रीत. उसने गेट खोला और मैं अन्दर घुस गया. हम एक दुसरे पर टूट पड़ा. वो कहने लगी, इतने सालो का इंतज़ार कल पूरा हो जाएगा. कल मेरी सुहागरात है ना. मैंने कहा – हाँ. कल तुम्हारी सुहागरात है.
और तेरी चुदाई तेरा ये भैया करेगा. वो तो हॉर्नी हो चुकी थी. उसने जल्दी से मेरी पेंट उतारी और लंड तुरंत मुह में ले लिया. पूरा का पूरा लंड उसके गले तक पहुच चूका था. १० मिनट बाद, लंड में मलाई निकाली और सारा माल उसके मुह के अन्दर ही निकल गया. उसके होठो से मेरा जूस निकल रहा था. इस हालत में, वो ब्लूफिल्म की हेरोइन लग रही थी. फिर उसने अपना मुह साफ़ किया, हमने कपड़े ठीक किये और फिर हम बर्थ पर आकर सो गये.
सुबह दिल्ली पहुचे और एक होटल में किराये पर रूम लिया. रूम का गेट बंद करते ही, हम एक दुसरे से चिपक गये और एक दुसरे को किस करने लगे. मैंने उसे बोला – प्रीत, आज पहली बार, हम एक दुसरे के सामने पुरे नंगे होने वाले है. क्योंकि हमेशा उसके घर पर किसी ना किसी के आने का डर लगा रहता था. इसलिए ऐसा मौका कभी मिल नहीं पाया. वो कहने लगी, भैया मैं तो नंगी होने के लिए कब से तड़प रही हु. हमने जल्दी की और एक दुसरे को नंगा कर दिया.
आज पहला मौका था, जब हम बिलकुल नंगे हो के एक दुसरे से चिपके हुए थे. हम किस कर रहे थे. वो मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी और मैं उसके दूध पकडे हुए था. मैं उसके दूध को पकड़ कर दबा रहा था और उसको चूस रहा था. फिर उसको बिस्तर पे लिटा कर, मैंने उसके शरीर के हर हिस्से को चाटा और यू ही सो गये. शायद थकान ज्यादा थी, हमने चुदाई का प्लान रेस्ट के बाद बनाया था. हमारे पास टाइम बहुत था. फिर शाम को नहा कर हम थोड़ा घुमने को निकले और मैंने उसको बहुत सारी शौपिंग भी करवाई. फिर हम होटल वापस आ गये.
होटल आते ही उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. जैसे कपड़ो से उसे एलर्जी हो. वो कहने लगी, भैया घर में तो हमेशा कपड़ो में रहती हु. यहाँ आपके साथ नंगी ही रहने का मन है. मैंने कहा – जैसे तुम्हारी मर्ज़ी. मैं भी नंगा हो गया और फिर चालू हुई हमारी सुहागरात. हम ६९ में हो गये और वो लंड चूस रही थी. और मैं उसकी चूत को चाट रहा था. कभी आप भी ऐसा करके देखना, बड़ा मज़ा आता है. मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया और सारा जूस उसके होठो से बाहर बहने लगा. पर उसने साफ़ नहीं किया और फिर से लंड चूसने लगी.
अब मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को कुरेदना चालू कर दिया. वो पहली बाद लंड को अपनी चूत में लेने वाली थी. पर इतने सालो में उसकी चूत को कुरेद – कुरेद कर थोड़ा खोल चूका था. पहली बाद, उसकी चूत पर अपना लंड टिकाया और उसे थोड़ा उंगलियों से फैला कर धीरे – धीरे अन्दर डालना चालू किया. उसे दर्द हो रहा था. पर वो चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी. थोड़ी ही देर में, लंड पूरा उसकी चूत में समां गया और मैं झटके मारने तेज – तेज चालू कर दिए.
मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर – बाहर बहुत ही तेजी से हो रहा था और उसके मुह से अहहाह अहहाह अहहाह अहहः करते हुए, मस्ती भरी सिस्कारिया निकल रही थी. उसकी सिसकारी सुनकर मुझे भी जोश आ रहा था और मैं उसको और भी तेजी से चोदने में लगा हुआ था. मैंने फिर से उसकी चूत को मस्ती में पूरी रात चाटा और बार – बार चोदा. वो पूरी रात मेरी बाहों में लिपटी रही और मस्ती में मेरे से चिपकी रही. उसे सारी रात चोदने के बाद, सुबह उसे पेपर दिलवाया. आते टाइम हम दोनों ने बियर पी और वापस लौट आये.
मेरा एक दोस्त था रमेश. मैंने अपनी और प्रीत की सुहागरात के बारे में उसे बताया, तो वो भी उसे चोदने की जिद करने लगा. फिर मैंने उसके लिए प्रीत से बात की. तो पहले उसने बिलकुल मना कर दिया और फिर मेरे जिद करने पर थोड़ा सोचने के बाद हाथ कर दी. फिर, एकदिन उसने पेपर के बहाने सिटी से बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया. हम तीनो ने एक होटल में रूम लिया और पुरे दिन और पूरी रात उसकी मस्त चुदाई की. वो कहानी कभी और फिर कभी…
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