FUN-MAZA-MASTI
मेरी भाभी 28 साल की एक खूबसूरत औरत हैं, रंग गोरा है और फ़िगर का क्या कहना… बस इतना जान लीजिये कि उनके चूतड़ और बूब्स को देखकर कोई भी अपना लण्ड सहलाये बिना नहीं रह सकता। मेरी भाभी ग्रेजुएट हैं और भैया उनके जॉब के लिये कोशिश कर रहे थे क्योंकि भाभी घर पर अकेली बोर होती थी क्योंकि भैया सुबह ऑफ़िस चले जाते थे और मैं भी कॉलेज चला जाता था, माँ-पिताजी भी घर पर नहीं होते थे, वो अपना ज्यादातर समय अपने रिश्तेदारों के यहाँ घूमने फ़िरने में ही बिताते थे।
बात आज से 3 महीने पहले की है, एक रात को मुझे नीन्द नहीं आ रही थी तो मैं अपने कमरे से बाहर निकल कर हाल में पानी पीने आया तो मुझे भैया के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी, मैंने देखने के लिये की होल से झान्का तो मैंने देखा कि भैया पूरे नंगे हैं और भाभी को चोद रहे हैं, भाभी भी पूरी नंगी हैं और मजे से चुदवा रही हैं, कह रही थी- और अन्दर डालो…
और मुख से आ… ह्ह्ह ह्ह्ह… आआआ… ह्ह्ह्ह… कर रही थी।
यह देखकर तो मैं पागल हुए जा रहा था और अब मैं किसी भी कीमत पर भाभी को चोदना चहता था।
तभी मैंने देखा कि भाभी और भैया दोनों झड़ चुके हैं और नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
मैंने भी भाभी के नाम की मुठ मारी और सो गया।
तभी अगले दिन मुझे पता चला कि भाभी की जॉब की बात हो गई है और उन्हें अपने कुछ सर्टिफ़िकेट वेरिफिकेशन के लिये रायपुर जाना पड़ेगा लेकिन भैया को ऑफ़िस के एक जरूरी काम से मुम्बई जाना था जिस कारण वो भाभी के साथ रायपुर नहीं जा सकते थे तो भैया ने मुझसे कहा कि मैं भाभी के साथ रायपुर चला जाऊँ।
यह सुनकर मेरी तो तकदीर ही पलट गई मुझे ऐसा लगा कि इससे अच्छा मौका तो कभी नहीं मिलेगा और मैंने फ़ौरन हाँ कर दी, भाभी भी मान गई और तय यह हुआ कि हम रात को ट्रेन से जायेंगे और अगले दिन अपना काम करवा कर उसी दिन रात की गाड़ी से वापस आ जायेंगे।
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मन्जूर था, मैं आपको बताता हूँ कि क्या हुआ।
भैया उसी दिन मुम्बई के लिये निकल गये और अगले दिन हमें निकलना था। जगदलपुर से रायपुर करीब 500 किमी दूर है और एक ही ट्रेन है जो रात को 8 बजे यहाँ से निकलती है और अगले दिन सुबह 7 बजे रायपुर पहुँचती है।
जब मैं टिकट के लिये गया मुझे ए सी 2 टीयर में एक ही सीट मिल पाई, शायद किस्मत मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी।
अगले दिन हम रायपुर के लिये निकल गये। जब हम स्टेशन पहुँचे, ट्रेन लग चुकी थी हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गये, हमारी सीट के सामने वाली सीड़ पर एक बुजुर्ग और उसकी पत्नी बैठे थे, बातों से पता चला कि वो लोग तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं।
हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। मैं तो सिर्फ़ भाभी को ही देख रहा था, उन्होंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बहुत सेक्सी लग रही थी।
तभी उन्होंने कहा- रवि, पहले आप अन्दर की तरफ सो जाईये और फिर मैं इधर बगल में सो जाऊँगी।
मैंने कहा- जी भाभी!
क्योंकि मैं भी तो यही चहता था।
मैं अन्दर की तरफ सो गया और भाभी मेरे बगल में लेट गई, हमारे सामने के बुजुर्ग और उनकी पत्नी सो चुके थे और टीटी भी टिकेट चेक करके जा चुका था।
अब रात के करीब 12 बज रहे थे, ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में चल रही थी और मैं और भाभी एक थी सीट पर थे, भाभी और मैं ऐसी पोजिशन में सोये थे कि भाभी की गाण्ड मेरे लण्ड से सटी हुई थी।
तभी अचानक ट्रेन धीरे हुई जिससे भाभी आगे की तरफ गिरने लगी तो मैंने अपना हाथ भाभी के ऊपर से लेजा कर उनके पेट को पकड़ लिया और उन्हें अपनी तरफ खींचा जिससे वो मुझसे और भी ज्यादा चिपक गई, नीन्द से जाग भी गई, बोली- थैन्क्स, आपने पकड़ लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी आप सो जाईये, मैं अपना हाथ यहीं पर रखता हूँ जिससे आपके गिरने का खतरा नहीं रहेगा।
भाभी को मेरी बात ठीक लगी और उन्होंने कहा- ठीक है।
और वो सो गई।
अब मैं गरम हो रहा था क्योंकि भाभी बिल्कुल मेरे से सटी हुई थी और अब मैं अपने हाथ से उनके पेट को छूते हुए उनके बूब्स को छूने लगा।
ऐसा करते वक्त मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी बहुत आ रहा था, भाभी गहरी नीन्द में सो रही थी।
अब मैं धीरे से भाभी के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और मैंने धीरे धीरे ब्लाउज के 3 बटन खोल दिये और अपने हाथ को भाभी के ब्रा के अन्दर डाल कर बूब्स को सहलाने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तो, मुझे कितना मजा आ रहा था, यह तो वही जान सकता है जिसने अपनी सगी भाभी को चोदा है।
हाँ तो मैं बता रहा था कि मेरा हाथ भाभी के बूब्स सहला रहा था और मैंने अपने एक हाथ से भाभी की साड़ी को उनकी जांघों तक सरका दिया और जांघों को सहलाने लगा। भाभी का शरीर इतना गर्म था कि उनके शरीर में जैसे आग जल रही हो, अब मुझे अहसास हुआ कि भैया भाभी के साथ रोज जन्नत की सैर करते हैं।
ऐसा करते करते सुबह के 5 बज चुके थे और मेर लण्ड पूरा लोहा बन चुका था और भाभी की गाण्ड में घुसने के लिये बेकरार हो रहा था, मैं लौड़े को भाभी की गाण्ड से रगड़ रहा था कि लण्ड ने पिचकारी मार दी और मेरा पूरा अन्डर्वीयर गीला हो गया, मेरे लण्ड से इतना पानी निकला जितना पहले कभी नहीं निकला था और मुझे इतना मजा भी पहले कभी नहीं आया था।
सुबह के 6 बज चुके थे, मुझे लगा कि भाभी जागने वाली हैं, मैं डर गया और अपना हाथ भी नहीं हटाया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी भाभी उठी और उन्होंने मेरा हाथ अपने ब्लाउज से निकाला और दूसरे हाथ को जांघों से हटाया और मैं ठण्ड से काम्पने का नाटक करने लगा ताकि भाभी को लगे कि मैंने सोते हुये गलती से अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया था।
और ऐसा ही हुआ, वो उठी और अपना साड़ी और ब्लाउज ठीक की, मुझे भी जगाया और कहा- 7 बजने वाले हैं।
हम रायपुर पहुँच गये!
बाहर जाने लगे, तभी भैया का काल आया, उन्होंने कहा कि हम अपने एक दूर के रिश्तेदार जो रायपुर में रहते हैं, उनके यहाँ चले जाये और उन्होंने कहा कि अभी 3 दिन तक उनका मोबाइल बन्द रहेगा क्योंकि रोमिन्ग नेटवर्क के कारण चार्ज ज्यादा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है।
नजदीकियाँ--2
मेरी भाभी 28 साल की एक खूबसूरत औरत हैं, रंग गोरा है और फ़िगर का क्या कहना… बस इतना जान लीजिये कि उनके चूतड़ और बूब्स को देखकर कोई भी अपना लण्ड सहलाये बिना नहीं रह सकता। मेरी भाभी ग्रेजुएट हैं और भैया उनके जॉब के लिये कोशिश कर रहे थे क्योंकि भाभी घर पर अकेली बोर होती थी क्योंकि भैया सुबह ऑफ़िस चले जाते थे और मैं भी कॉलेज चला जाता था, माँ-पिताजी भी घर पर नहीं होते थे, वो अपना ज्यादातर समय अपने रिश्तेदारों के यहाँ घूमने फ़िरने में ही बिताते थे।
बात आज से 3 महीने पहले की है, एक रात को मुझे नीन्द नहीं आ रही थी तो मैं अपने कमरे से बाहर निकल कर हाल में पानी पीने आया तो मुझे भैया के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी, मैंने देखने के लिये की होल से झान्का तो मैंने देखा कि भैया पूरे नंगे हैं और भाभी को चोद रहे हैं, भाभी भी पूरी नंगी हैं और मजे से चुदवा रही हैं, कह रही थी- और अन्दर डालो…
और मुख से आ… ह्ह्ह ह्ह्ह… आआआ… ह्ह्ह्ह… कर रही थी।
यह देखकर तो मैं पागल हुए जा रहा था और अब मैं किसी भी कीमत पर भाभी को चोदना चहता था।
तभी मैंने देखा कि भाभी और भैया दोनों झड़ चुके हैं और नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
मैंने भी भाभी के नाम की मुठ मारी और सो गया।
तभी अगले दिन मुझे पता चला कि भाभी की जॉब की बात हो गई है और उन्हें अपने कुछ सर्टिफ़िकेट वेरिफिकेशन के लिये रायपुर जाना पड़ेगा लेकिन भैया को ऑफ़िस के एक जरूरी काम से मुम्बई जाना था जिस कारण वो भाभी के साथ रायपुर नहीं जा सकते थे तो भैया ने मुझसे कहा कि मैं भाभी के साथ रायपुर चला जाऊँ।
यह सुनकर मेरी तो तकदीर ही पलट गई मुझे ऐसा लगा कि इससे अच्छा मौका तो कभी नहीं मिलेगा और मैंने फ़ौरन हाँ कर दी, भाभी भी मान गई और तय यह हुआ कि हम रात को ट्रेन से जायेंगे और अगले दिन अपना काम करवा कर उसी दिन रात की गाड़ी से वापस आ जायेंगे।
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मन्जूर था, मैं आपको बताता हूँ कि क्या हुआ।
भैया उसी दिन मुम्बई के लिये निकल गये और अगले दिन हमें निकलना था। जगदलपुर से रायपुर करीब 500 किमी दूर है और एक ही ट्रेन है जो रात को 8 बजे यहाँ से निकलती है और अगले दिन सुबह 7 बजे रायपुर पहुँचती है।
जब मैं टिकट के लिये गया मुझे ए सी 2 टीयर में एक ही सीट मिल पाई, शायद किस्मत मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी।
अगले दिन हम रायपुर के लिये निकल गये। जब हम स्टेशन पहुँचे, ट्रेन लग चुकी थी हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गये, हमारी सीट के सामने वाली सीड़ पर एक बुजुर्ग और उसकी पत्नी बैठे थे, बातों से पता चला कि वो लोग तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं।
हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। मैं तो सिर्फ़ भाभी को ही देख रहा था, उन्होंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बहुत सेक्सी लग रही थी।
तभी उन्होंने कहा- रवि, पहले आप अन्दर की तरफ सो जाईये और फिर मैं इधर बगल में सो जाऊँगी।
मैंने कहा- जी भाभी!
क्योंकि मैं भी तो यही चहता था।
मैं अन्दर की तरफ सो गया और भाभी मेरे बगल में लेट गई, हमारे सामने के बुजुर्ग और उनकी पत्नी सो चुके थे और टीटी भी टिकेट चेक करके जा चुका था।
अब रात के करीब 12 बज रहे थे, ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में चल रही थी और मैं और भाभी एक थी सीट पर थे, भाभी और मैं ऐसी पोजिशन में सोये थे कि भाभी की गाण्ड मेरे लण्ड से सटी हुई थी।
तभी अचानक ट्रेन धीरे हुई जिससे भाभी आगे की तरफ गिरने लगी तो मैंने अपना हाथ भाभी के ऊपर से लेजा कर उनके पेट को पकड़ लिया और उन्हें अपनी तरफ खींचा जिससे वो मुझसे और भी ज्यादा चिपक गई, नीन्द से जाग भी गई, बोली- थैन्क्स, आपने पकड़ लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी आप सो जाईये, मैं अपना हाथ यहीं पर रखता हूँ जिससे आपके गिरने का खतरा नहीं रहेगा।
भाभी को मेरी बात ठीक लगी और उन्होंने कहा- ठीक है।
और वो सो गई।
अब मैं गरम हो रहा था क्योंकि भाभी बिल्कुल मेरे से सटी हुई थी और अब मैं अपने हाथ से उनके पेट को छूते हुए उनके बूब्स को छूने लगा।
ऐसा करते वक्त मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी बहुत आ रहा था, भाभी गहरी नीन्द में सो रही थी।
अब मैं धीरे से भाभी के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और मैंने धीरे धीरे ब्लाउज के 3 बटन खोल दिये और अपने हाथ को भाभी के ब्रा के अन्दर डाल कर बूब्स को सहलाने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तो, मुझे कितना मजा आ रहा था, यह तो वही जान सकता है जिसने अपनी सगी भाभी को चोदा है।
हाँ तो मैं बता रहा था कि मेरा हाथ भाभी के बूब्स सहला रहा था और मैंने अपने एक हाथ से भाभी की साड़ी को उनकी जांघों तक सरका दिया और जांघों को सहलाने लगा। भाभी का शरीर इतना गर्म था कि उनके शरीर में जैसे आग जल रही हो, अब मुझे अहसास हुआ कि भैया भाभी के साथ रोज जन्नत की सैर करते हैं।
ऐसा करते करते सुबह के 5 बज चुके थे और मेर लण्ड पूरा लोहा बन चुका था और भाभी की गाण्ड में घुसने के लिये बेकरार हो रहा था, मैं लौड़े को भाभी की गाण्ड से रगड़ रहा था कि लण्ड ने पिचकारी मार दी और मेरा पूरा अन्डर्वीयर गीला हो गया, मेरे लण्ड से इतना पानी निकला जितना पहले कभी नहीं निकला था और मुझे इतना मजा भी पहले कभी नहीं आया था।
सुबह के 6 बज चुके थे, मुझे लगा कि भाभी जागने वाली हैं, मैं डर गया और अपना हाथ भी नहीं हटाया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी भाभी उठी और उन्होंने मेरा हाथ अपने ब्लाउज से निकाला और दूसरे हाथ को जांघों से हटाया और मैं ठण्ड से काम्पने का नाटक करने लगा ताकि भाभी को लगे कि मैंने सोते हुये गलती से अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया था।
और ऐसा ही हुआ, वो उठी और अपना साड़ी और ब्लाउज ठीक की, मुझे भी जगाया और कहा- 7 बजने वाले हैं।
हम रायपुर पहुँच गये!
बाहर जाने लगे, तभी भैया का काल आया, उन्होंने कहा कि हम अपने एक दूर के रिश्तेदार जो रायपुर में रहते हैं, उनके यहाँ चले जाये और उन्होंने कहा कि अभी 3 दिन तक उनका मोबाइल बन्द रहेगा क्योंकि रोमिन्ग नेटवर्क के कारण चार्ज ज्यादा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है।
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