FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........31
रूपा काफी देर तक यूँ ही बैठी रही... फिर वो उठी और अपने में जा लेट गई...सो तो नहीं पाई पर जग भी नहीं रही थी...
"रूपाऽ...कितना सोएगी ये लड़की...." मम्मी बडबड़ाती हुई आई...रूपा ने सर घुमा कर मम्मी पर नजर डाली... मम्मी के पीछे कोई और भी थी जिसे रूपा देख नहीं पा रही थी...
रूपा अचरज सी उठती हुई बोली,"नहीं मम्मी, बस लेट रही थी... और तुम्हारे पीछे कौन है जो छुप रही है..."
मम्मी हँसती हुई बोली,"तुमसे मतलब कौन है... तू चुपचाप सोती रह ना... "
रूपा बेड से उठती हुई मम्मी को पकड़ साइड की तो उसकी आँखे खुली रह गई और होंठों को होल करती हुई बोली,"वॉव....सुनैना तुम.... थैंक्स यार..."
रूपा सुनेना की कलाई पकड़ खींचती सी बेड पर बिठा दी और बोलती गई,"कैसी है तू...कब आई... आई तो मुझे क्यों नहीं बुलाई ...मैं आ जाती स्टेशन रिसीव करने... " रूपा नॉनस्टॉप ना जाने बोलती रही और सुनती कुछ नहीं...
सुनैना जोर से हँसती हुई बोली,"स्टॉप रूपा, साँस तो ले लो फिर सब बातें बता रही हूँ...ही...ही..ही.."
"हाँ हाँ...बेचारी इतनी दूर से आई हैं तो बातों से ही पेट भर दो... आते ही तुम्हें ही खोजती आई है..." मम्मी बीच में बोल पड़ी...
रूपा,"टेंशन क्यों लेती हो मॉम, आज सुनैना के साथ मैं बाहर खाने जा रही हूँ...आप बस चाय पिला दो...प्लीज.."
मम्मी,"ओके..ओके... जो तेरी मर्जी कर..." कहती हुई मम्मी बाहर निकल गई...
मम्मी के बाहर निकलते ही सुनैना बोली,"ये सोने का समय है क्या जो तुम सो रही थी..."
रूपा,"नहीं, बस यूँ ही लेटी थी...और सुना, होने वाले से मिल ली..."
सुनैना,"नो...तुम्हारे बगैर कैसे मिल सकती..."
रूपा मुस्कुराती हुई बोली,"अच्छा, फिर तो मैडम रिस्क है इसमें..."
सुनैना हैरान सी हो बोली,"कैसी रिस्क..?"
रूपा,"वो क्या है ना कि मैं थोड़ी लोभी व्यक्तिव की हूँ... अगर मुझे पसंद आ गए तो तेरी तो वाट लग जाएगी...हीहीही..."
सुनैना,"अच्छा तो मुझे उल्लू समझ रही है क्या? मैं भी तेरे वाले को उड़ा सकती हूँ...समझी क्या?"
रूपा,"नो प्रॉब्लम, उड़ा लेना... ही..ही..ही..."
सुनैना भी हंस पड़ी साथ में...
तभी मम्मी चाय लेती हुई आ गई और चाय सुनैना को देती बोली,"आपके मामा जी चीनी वाली चाय नहीं पीते हैं क्या.."
सुनैना,"नहीं मम्मी जी, वो उन्हें सुगर प्रॉब्लम है..."
मम्मी सुनैना की बात सुन हामी भर दी... तभी रूपा बोली,"ऐसा क्यूँ..."
मम्मी,"क्या मतलब? प्रॉब्लम है तो कैसे पी सकते...डॉक्टर मना किए होंगे... वैसे भी बिना चीनी वाली चाय बना रही उनके लिए..."
मम्मी बोल कर वापस चल दी तो पीछे से रूपा बोली,"मम्मी, अंकल जी को सुगर से प्रॉब्लम है तो बिना शक्कर वाली कैसे पी सकते.."
मम्मी रूपा की बात सुन पलटती हुई सवाल की,"..तुम डॉक्टर हो क्या?"
रूपा,"हाँ... आप अपने होंठों वाली सुगर मिला देंगी तो कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी उन्हें...ही...बी...ही..."
"शैतान की नानी, रूक...बताती हूँ..."कहती हुई मम्मी रूपा की ओर थप्पड़ उठाती बढ़ी तो रूपा "सॉरी..सॉरी..मम्मी...ही..ही..."कहती हुई दूसरी तरफ भाग गई... सुनैना रूपा की बात सुन बेड पर ही लोट पोट सी हो गई....
एक दो राउण्ड चेयर टेबल के इर्द गिर्द घूमने के बाद जब रूपा पकड़ नहीं आई तो मम्मी तीखी आवाज में बोली,"कब तक भागोगी... जब पकड़ी जाएगी तो बताऊंगी..."
रूपा,"समधी साहब लगेंगे तो थोड़ी दे दी तो क्या हो जाएगा मॉम..."
"फिर बोली...रूक..."मम्मी एक बार फिर दौड़ी तो रूपा भागती सी बोली,"चाय उबल जाएगी मम्मी..."
"ओह...आती हूँ फिर पूछती हूँ.. "मम्मी रूक कर गेट से बाहर निकल सरपट किचन की तरफ निकल गई... मम्मी के बाहर जाते देख रूपा पीछे से बोली,"मम्मी, लिपस्टिक डीप रेड वाली यूज करना...ही..ही..ही..."
सुनैना की तो हँसते हँसते पेट फूल रही थी... वो कुछ कहना चाह रही थी पर हँसी रूकती तो ना कह पाती...
"ओड मैडम,चाय पी लो..ठंडी हो रही है.. मम्मी के साथ ये सब चलती रहती है..."रूपा अपनी चाय पकड़ती हुई बोली तो सुनैना भी रूक रूक चाय पीने लगी...
चाय खत्म होते ही बाथरूम फ्रेश होने "अभी आई.." कह घुस गई... सुनैना वहीं इधर उधर देखने लगी... अचानक से सुनैना को फोन की रिंग सुनाई देने लगी... जल्द ही फोन सुनैना के हाथों में थी...
सुनैना Unknown नम्बर देख रूपा को आवाज दी,"रूपा ,फोन है?"
रूपा,"किसका है.." अंदर से ही रूपा बोली... सुनैना,"पता नहीं, नया नम्बर है.." रूपा अंदर से ही बोली,"रहने दे ,आ रही हूँ..."
सुनैना रूपा के इस जवाब से चौंक सी गई और तरह तरह की शंका नाचने लगी उसके दिमाग में...वो अचानक से मुस्कुराई और फोन रिसीव कर कान में सटा ली...
"प्लीज रूपा,मेरी बात समझने की कोशिश करो...सिर्फ एक बार तुमसे मिलना चाहता हूँ... मेरी बात से तुम्हें तकलीफ जरूर हुई होगी पर जहाँ तक मेरा यकीं है कि वो यही चाहता है..."फोन रिसीव होते ही तमाचा बोलने लगा....
सुनैना की आँखे चमक उठी कि फोन गलत नहीं लगी पर ये है कौन... वो अगर कुछ बोलती तो आवाज सुन वो कहीं पूछ बैठता कि कौन हो या फिर फोन काट देता...सुनैना कुछ सोच बस "हम्म्म्म "कर रह गई...
तमाता इस आवाज से रूपा की हामी समझ खुशी से बोला,"थैंक्स रूपा...मैं बस तुम्हारी गली के बाहर कॉफी सेन्टर पर हूँ...प्लीज कम..."
सुनैना तेजी से "ओके.."बोली और फोन काट दी... सुनैना के अंदर ढ़ेरों सवाल पैदा हो रही थी... वो बस रूपा का वेट कर रही थी कि कब निकलेगी और उससे इन्क्वायरी की जाए...
कुछ ही देर में रूपा गुनगुनाती हुई बाहर निकली... सुनैना सवालिसा नजरों से एकटक बस उसे ही देखी जा रही थी... रूपा सुनैना को ऐसे देख पूछ ली,"क्या हुआ..?"
सुनैना हल्की मुस्कान लेती बोली,"कॉफी सेन्टर पर कोई इंतजार कर रहा है..."
रूपा शॉक सी हो गई और बोली,"क्या...? फोन रिसीव की थी तुम...?"
सुनैना,"करनी पड़ी... कई बार कट कर दी तो वो बार बार कर रहा था तो रिसीव की..."
रूपा सुनैना की बात सुन फोन चेक करने लगी... रूपा के चेहरे पर नम्बर देख गुस्से की रेखा साफ झलकने लगी...सुनैना रूपा को गुस्से में देख बोली,"तुम नहीं चाहती कि मैं आऊं तो मैं नहीं आऊंगी..."
रूपा सुनैना की बात सुन फोन रखती बोली,"मुझे इससे मिलने की कोई जरूरत नहीं...भांड़ में जाए..." सुनैना चौंक सी गई रूपा की बात से...
रूपा को गुस्से में देख सुनैना समझाने की कोशिश में बोली,"क्या रूपा, नाराजगी है तो एक बार मिल लो सब ठीक हो जाएगा...क्योंकि जितना परेशान था वो शायद मना ही लेगा....और प्यार में तो झगड़े होते रहते हैं..."
रूपा सुनते ही जबरदस्ती हँसी हँस बोली,"प्यार...और इससे... ही..ही...ही... शाला ये दुश्मन के भी काबिल नहीं है..."
सुनैना,"..तो फिर कौन था..."
रूपा,"कनक का फ्रेंड है...चल छोड़ इसे, जल्दी से फ्रेश हो जा... बाहर चलते हैं घूमने...आते वक्त खाना भी खा लेंगे..."
सुनैना कुछ बोलना चाह रही थी पर बोली नहीं... बोलती क्यों बाहर तो जा ही रही है... वो उठ के चुपचाप बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...
कुछ ही देर में दोनों स्कूटी से सड़क पर थी... तमाचा बाहर खड़ा बस बगुले की तरह नजर गड़ाए था... उसने रूपा को निकलते देखा पर रोक नहीं सका... वजह थी सुनैना... वो समझ नहीं पाया कि कौन है ये...
वो बस तेजी से बाइक तक गया और रूपा के पीछे हो लिया... कुछ ही पलों में रूपा को अहसास हो गई कि कोई ठीक उसके पीछे है...वो गुस्से से जल भुन गई...
तभी सुनैना चहकती सी बोली,"रूपा,गोलगप्पे.." रूपा नजर दौड़ाई तो उसकी भी मुस्कान निकल गई और स्कूटी गोलगप्पे वाले के ठीक समीप स्वत: रूक गई...
तड़तड़ सुनैना उतरी और गोलगप्पे वाले को बोली,"भैया झटपट से शुरू हो जाओ...रूपा जल्दी आ..."
रूपा स्कूटी खड़ी कर हँसती हुई बोली,"अरे भैया जी भाग नहीं रहे हैं जो इतनी उतावली हो रही है...क्यों भैया जी..."
बेचारा गोलगप्पे वाला क्या बोलता ,बस हाँ में मुंडी डुला दिया...और दोनों के हाथ प्लेट थमा दिया... पीछे से तमाचा भी तब तक आ पहुँचा और गोलगप्पे वाले को इशारा कर दिया कि मैं भी हूँ...
गोलगप्पे वाला मुस्कुरा पड़ा... उसके साथ तो ये नियम था कि कोई लड़की आए तो उसके पीछे दो चार तो यूँ ही आ जाते हैं...वो एक और प्लेट तमाचे को थमा दिया और लगा पानी भरने गोलगप्पे में...
तमाचा की नजर रूपा के चेहरे पर ही टिकी थी... रूपा ना चाहते भी एक दो बार तमाचे से नजर टकरा ही ली...वो बस गुस्से को पीने की कोशिश कर रही थी...पर कब तक..?
आखिर रूपा बरस ही पड़ी... रूपा भड़कती सी बोली,"ऐ मिस्टर, मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती...चुपचाप खिसक लो नहीं तो..."
रूपा की तीखी आवाज सुनते ही सब के सब अचंभित... सुनैना तुरंत समझ गई कि ये वही फोन वाला है...जबकि गोलगप्पे वाला की तो फटने सी लग गई...
तमाचा आँख मींचते हुए अपने पर काबू किया और बोला,"बस पाँच मिनट रूपा... उसके बाद मैं चला जाउंगा और आगे तेरी मर्जी..."
रूपा कुछ बोलती बीच में सुनैना बोल पड़ी,"दे दे पाँच मिनट...करना वही जो तुम्हें ठीक लगे..." रूपा सुनैना की बात सुन सोचती हुई हामी भर दी और बोली,"ओके... तुम गोलगप्पे खाओ... मैं आ रही हूँ..." सुनैना हामी भर दी...
रूपा टिमटिमाती पैर पटकती सुनैना से कुछ कदम हट खड़ी हो गई... तमाचा भी पीछे पीछे रूपा के निकट पहुँचा तो रूपा बोली,"भौंकना शुरू कर..." तमाचे की तो जल गई...
तमाचा,"शाली मुझसे प्रॉब्लम क्या है तुझे...कल तक तो ठीक थी और अचानक से क्या हो गया..?"
रूपा,"शाले मुँह संभाल के बात कर...और सिर्फ पाँच मिनट...याद रख.."
तमाचा पाँच मिनट सुन मुंह बंद कर लिया और रूपा की तरफ देख बोला,"होटल M जानती हो ?" रूपा ये प्रश्न सुन आँख तरेरनी लगी कि यहाँ कौन नहीं जानता होटल M...
तमाता आहे बोला,"जानती ही होगी...ओके... आज वहाँ मैंने कनक और तुम्हारी डिम्पल भाभी को देखा था... वो भी आर.जे. के साथ... और..."
रूपा बीच में तुनकती हुई बोली,"शाले मैं शक्ल से उल्लू लगती हूँ क्या..?"
तमाचा अचरज में पड़ गया...फिर हल्के से बोला,"..मतलब?"
रूपा,"नौटंकी किसी और को दिखाना...शाले तुम सब मिले हुए हो... तुम क्या हो मैं अच्छी तरह जानती हूँ और ये इमोशनली ब्लैकमेल कर मुझे पाने की भूल सपने में भी मत करना..."
तमाचा ये सुनते ही आग बबूला सा होता बोला,"स्टॉप रूपा... किसी भी चीज की एक लिमीट होती है... और तुम हो कि..."
रूपा,"ओह...तो मैं लिमीट पार कर गई... और तुम सब मिल कर क्या कर रहे हो मेरे साथ... इतना ही शौक है तो अपनी मां बहन के साथ खेलो ना गेम... खूब मजे देगी.."
रूपा की बात सुन तमाता का दिमाग सुन्न रह गया और वो एक तड़के से झन्नाटेदार थप्पड़ रूपा के गालों की तरफ दौड़ा दिया... रूपा की चीख थप्पड़ पड़ने से पहले ही निकल गई और चीख सुन तमाचे के हाथ गालों के ठीक पहले रूक गई...
रूपा सुबकने लगी थी डर से... तमाचा हाथ झटक के खींचा और बालों को सहलाता अंदर उबल रही गुस्से को शांत करने लगा... दोनों खामोश थे... बस खुद पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे...
कुछ पलों के बाद खामोशी टूटी... तमाचा,"सॉरी रूपा...तुम हमसे इतनी नाराज क्यों हो सब समझ में आ गया... शायद कनक के बारे में तुम भी जान गई हो और तुम समझ रही हो कि ये सब मुझे भी मालूम है और शायद मैं भी शामिल हूँ..."
रूपा सिसकना छोड़ तमाचे की बात सुनने लगी... तमाचा आगे बोला,"तो तुम गलत हो रूपा... रूपा मैं लड़कियों के पीछे जरूर रहता पर सिर्फ उसी के जिसकी रजामंदी हो... जो ना चाहती उसे तो मैं देखता भी नहीं और कॉलेज में तुम देखती भी हो... पर ये सब... मर जाऊंगा पर ऐसा घिनौना खेल कभी नहीं खेल सकता..."
तमाचा,"कई लड़कियाँ तो ऐसी भी है जिसे मैं जो कहूँगा वो हंसती हुई कर लेगी पर नहीं... पर इससे हमें क्या मिलेगा? आज कुछ पैसे मिल जाएंगे और बाद में जिंदगी भर बददुआ जिसकी लाइफ बर्बाद हो जाएगी उससे..."
तमाचा की बात रूपा अब एकटक सुने जा रही थी चुपचाप... तमाचा,"अब भी विश्वास नहीं है तो कोई बात नहीं...मैं जा रहा हूँ... तुम बस किसी तरह इन सब के झांसे में मत आना... और मेरा विश्वास है कि तुम इसे हैंडल कर लोगी...फिर भी अगर मेरी जरूरत पड़ी तो बेझिझक याद कर लेना...चलता हूँ...बॉय.."
तमाचा हारा सा मुड़ा और सीधा अपने बाइक की तरफ चल दिया... रूपा ठिठकी सी खड़ी देखती रही... कुछ ही पलों में तमाचा की बाइक दूर निकल चुकी थी... तभी सुनैना रूपा को झकझोर कर होश में लाई...
रूपा,"अ..ह...हाँ... खा ली तुम..."
सुनैना,"हाँ, चलो अब तुम भी खा लो..." सुनैना रूपा को परेशान देख कुछ पूछी नहीं... वो बस रूपा को नॉर्मल करने की सोच रही थी... रूपा वापस गोलगप्पे की तरफ आई और दो चार खाई और बस कर दी...
रूपा के दिमाग में बस तमाचे की बात घूम रही थी...वो पैसे निकाली और गोलगप्पे वाले को दी... अचानक से रूपा एक बार फिर चिल्ला पड़ी...
रूपा,"ओए, खाई इतनी सी और पैसे लिए ढ़ेर सारी..."
"मैडम, दस का वो आपका दोस्त था ना वो खा के चला गया..."गोलगप्पे वाले इत्मीनान से समझा दिया...
रूपा दांत पीसती हुई बोली,"खाया वो और पैसे भरूँगी मैं... रूक.. अभी बताती हूँ..." रूपा के तेवर देख सुनैना बीच में आ गई और बोली,"छोड़ ना रूपा, जाने दे..."
"ऐसे कैसे जाने दूँ.. अभी शाले को दो चार सुनाती हूँ फिर देखना..."रूपा रूक तो गईपर तुरंत फोन निकाल तमाचे को फोन घुमा दी...
रूपा,"ओ भिखारी, जब खाने का इतना ही शौक है तो जेब में पैसे ले कर चला कर...समझा ना..."रूपा फोन रिसीव होते ही बरस पड़ी...
तमाचा,"ओ शिट... सॉरी यार... मैं अभी आया...प्लीज... गलती से चला आया..."
रूपा,"रहने दे, मैं दे दी..."
तमाचा,"थैंक्स यार..."
रूपा,"थैंक्स...? शाले चुपचाप मेरे पैसे पहुँचाओ रेस्टोरेंट में... मैं वहीं डिनर करने जा रही हूँ..." और फोन कट... रूपा फोन रखी और सुनैना के साथ रेस्टोरेंट पहुँच गई...
तब तक तमाचा भी आ गया था... वो रूपा के पास पहुँच बोला,"वो सॉरी रूपा, गलती से मैं निकल गया था...कितने देने हैं?"
रूपा हल्की मुस्काई और बोली,"कितने तो नहीं पूछी...एक काम करो... तुम खा के निकले तो हम पे की और अब हम दोनों खाएंगे तो तुम पे कर देना...हिसाब बराबर.."
तमाचा ये सुनते रही हँसे बिना ना रह सका...वो अंदर चलने का इशारा कर बोला,"श्योर,ऐसे मौके रोज थोड़े ही आएंगे..." साथ ही इस बात की भी खुशी थी कि आखिर रूपा समझ तो गई कि मैं उनमें शामिल नहीं हूँ...
रूपा और सुनैना ये सुन हंसती हुई टेबल तक पहुँच गई और आर्डर करती हुई तमाचे से बोली,"तुम भी खाओगे..?"
"ना, तुम्हारी क्यूट शक्ल देख अपना पेट भर लूँगा...बात करती है..." तमाचा चिढ़ता सा बोला और हँस पड़ा... आर्डर के बाद तमाचे के अंदर काफी देर से फूल रही एक बात फट ही गई...
तमाचा,"ये कौन हैं? पहले कभी देखा नहीं..."
रूपा तमाचे की बात सुन सुनैना की तरफ देख हंसी और आहिस्ते से अगल बगल देखती बोली,"तेरी भाषा में सुपर टंच रसदार मालऽ"
रूपा की ये बात सुनते ही तमाचे के साथ सुनैना भी शॉक रह गई... तमाचा तुरंत ही संभला और सुनैना की तरफ देख रूपा से बोला,"ओर तुम्हारी भाषा में..?"
रूपा,"शाली.." ये सुनते ही तमाचा चौंक पड़ा,"..क्या?"
रूपा,"क्या यार, बड़े भैया की शाली हैं तो मेरी भी शाली हुई ना..." तमाचे समझ "ओ.." कर हामी भरा तब तक सुनैना अपना हाथ आगे तमाचे की ओर बढ़ाती बोली,"सुनैना... "
तमाचे तुरंत हाथ मिलाता बोला,"मस्त शाली हो..." तमाचे की बात सुन रूपा खड़ी हुई और तमाचे से बोली,"उठो..."
तमाचा सन्न...अब क्या हो गया इसे... वो समझने की कोशिश करता उठा तो रूपा बाहर निकलने के लिए इशारा कर दी... सुनैना भी कुछ समझ नहीं पाई कि क्या हो गया इसे... हाथ ही तो मिलाई हूँ...
रूपा भी तब तक बाहर निकली और तमाचे के पास आ बोली,"मजे लेने वाली चीज है तो जा कर बगल में बैठो और मजे लो... ही..ही..ही..."
तमाचा माथा पीट लिया और सुनैना मुंह छिपा कर हंसने लगी "अजीब नौटंकी है ये रूपा..." सोच कर... तब तक तमाचा जम्प लगाता सुनैना के बगल में सट के "हाय.."करता बैठ गया और रूपा सामने...
खाना भी तब तक आ गया और तीनों मस्ती में डिनर करने लगे...
पापा प्लीज........31
रूपा काफी देर तक यूँ ही बैठी रही... फिर वो उठी और अपने में जा लेट गई...सो तो नहीं पाई पर जग भी नहीं रही थी...
"रूपाऽ...कितना सोएगी ये लड़की...." मम्मी बडबड़ाती हुई आई...रूपा ने सर घुमा कर मम्मी पर नजर डाली... मम्मी के पीछे कोई और भी थी जिसे रूपा देख नहीं पा रही थी...
रूपा अचरज सी उठती हुई बोली,"नहीं मम्मी, बस लेट रही थी... और तुम्हारे पीछे कौन है जो छुप रही है..."
मम्मी हँसती हुई बोली,"तुमसे मतलब कौन है... तू चुपचाप सोती रह ना... "
रूपा बेड से उठती हुई मम्मी को पकड़ साइड की तो उसकी आँखे खुली रह गई और होंठों को होल करती हुई बोली,"वॉव....सुनैना तुम.... थैंक्स यार..."
रूपा सुनेना की कलाई पकड़ खींचती सी बेड पर बिठा दी और बोलती गई,"कैसी है तू...कब आई... आई तो मुझे क्यों नहीं बुलाई ...मैं आ जाती स्टेशन रिसीव करने... " रूपा नॉनस्टॉप ना जाने बोलती रही और सुनती कुछ नहीं...
सुनैना जोर से हँसती हुई बोली,"स्टॉप रूपा, साँस तो ले लो फिर सब बातें बता रही हूँ...ही...ही..ही.."
"हाँ हाँ...बेचारी इतनी दूर से आई हैं तो बातों से ही पेट भर दो... आते ही तुम्हें ही खोजती आई है..." मम्मी बीच में बोल पड़ी...
रूपा,"टेंशन क्यों लेती हो मॉम, आज सुनैना के साथ मैं बाहर खाने जा रही हूँ...आप बस चाय पिला दो...प्लीज.."
मम्मी,"ओके..ओके... जो तेरी मर्जी कर..." कहती हुई मम्मी बाहर निकल गई...
मम्मी के बाहर निकलते ही सुनैना बोली,"ये सोने का समय है क्या जो तुम सो रही थी..."
रूपा,"नहीं, बस यूँ ही लेटी थी...और सुना, होने वाले से मिल ली..."
सुनैना,"नो...तुम्हारे बगैर कैसे मिल सकती..."
रूपा मुस्कुराती हुई बोली,"अच्छा, फिर तो मैडम रिस्क है इसमें..."
सुनैना हैरान सी हो बोली,"कैसी रिस्क..?"
रूपा,"वो क्या है ना कि मैं थोड़ी लोभी व्यक्तिव की हूँ... अगर मुझे पसंद आ गए तो तेरी तो वाट लग जाएगी...हीहीही..."
सुनैना,"अच्छा तो मुझे उल्लू समझ रही है क्या? मैं भी तेरे वाले को उड़ा सकती हूँ...समझी क्या?"
रूपा,"नो प्रॉब्लम, उड़ा लेना... ही..ही..ही..."
सुनैना भी हंस पड़ी साथ में...
तभी मम्मी चाय लेती हुई आ गई और चाय सुनैना को देती बोली,"आपके मामा जी चीनी वाली चाय नहीं पीते हैं क्या.."
सुनैना,"नहीं मम्मी जी, वो उन्हें सुगर प्रॉब्लम है..."
मम्मी सुनैना की बात सुन हामी भर दी... तभी रूपा बोली,"ऐसा क्यूँ..."
मम्मी,"क्या मतलब? प्रॉब्लम है तो कैसे पी सकते...डॉक्टर मना किए होंगे... वैसे भी बिना चीनी वाली चाय बना रही उनके लिए..."
मम्मी बोल कर वापस चल दी तो पीछे से रूपा बोली,"मम्मी, अंकल जी को सुगर से प्रॉब्लम है तो बिना शक्कर वाली कैसे पी सकते.."
मम्मी रूपा की बात सुन पलटती हुई सवाल की,"..तुम डॉक्टर हो क्या?"
रूपा,"हाँ... आप अपने होंठों वाली सुगर मिला देंगी तो कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी उन्हें...ही...बी...ही..."
"शैतान की नानी, रूक...बताती हूँ..."कहती हुई मम्मी रूपा की ओर थप्पड़ उठाती बढ़ी तो रूपा "सॉरी..सॉरी..मम्मी...ही..ही..."कहती हुई दूसरी तरफ भाग गई... सुनैना रूपा की बात सुन बेड पर ही लोट पोट सी हो गई....
एक दो राउण्ड चेयर टेबल के इर्द गिर्द घूमने के बाद जब रूपा पकड़ नहीं आई तो मम्मी तीखी आवाज में बोली,"कब तक भागोगी... जब पकड़ी जाएगी तो बताऊंगी..."
रूपा,"समधी साहब लगेंगे तो थोड़ी दे दी तो क्या हो जाएगा मॉम..."
"फिर बोली...रूक..."मम्मी एक बार फिर दौड़ी तो रूपा भागती सी बोली,"चाय उबल जाएगी मम्मी..."
"ओह...आती हूँ फिर पूछती हूँ.. "मम्मी रूक कर गेट से बाहर निकल सरपट किचन की तरफ निकल गई... मम्मी के बाहर जाते देख रूपा पीछे से बोली,"मम्मी, लिपस्टिक डीप रेड वाली यूज करना...ही..ही..ही..."
सुनैना की तो हँसते हँसते पेट फूल रही थी... वो कुछ कहना चाह रही थी पर हँसी रूकती तो ना कह पाती...
"ओड मैडम,चाय पी लो..ठंडी हो रही है.. मम्मी के साथ ये सब चलती रहती है..."रूपा अपनी चाय पकड़ती हुई बोली तो सुनैना भी रूक रूक चाय पीने लगी...
चाय खत्म होते ही बाथरूम फ्रेश होने "अभी आई.." कह घुस गई... सुनैना वहीं इधर उधर देखने लगी... अचानक से सुनैना को फोन की रिंग सुनाई देने लगी... जल्द ही फोन सुनैना के हाथों में थी...
सुनैना Unknown नम्बर देख रूपा को आवाज दी,"रूपा ,फोन है?"
रूपा,"किसका है.." अंदर से ही रूपा बोली... सुनैना,"पता नहीं, नया नम्बर है.." रूपा अंदर से ही बोली,"रहने दे ,आ रही हूँ..."
सुनैना रूपा के इस जवाब से चौंक सी गई और तरह तरह की शंका नाचने लगी उसके दिमाग में...वो अचानक से मुस्कुराई और फोन रिसीव कर कान में सटा ली...
"प्लीज रूपा,मेरी बात समझने की कोशिश करो...सिर्फ एक बार तुमसे मिलना चाहता हूँ... मेरी बात से तुम्हें तकलीफ जरूर हुई होगी पर जहाँ तक मेरा यकीं है कि वो यही चाहता है..."फोन रिसीव होते ही तमाचा बोलने लगा....
सुनैना की आँखे चमक उठी कि फोन गलत नहीं लगी पर ये है कौन... वो अगर कुछ बोलती तो आवाज सुन वो कहीं पूछ बैठता कि कौन हो या फिर फोन काट देता...सुनैना कुछ सोच बस "हम्म्म्म "कर रह गई...
तमाता इस आवाज से रूपा की हामी समझ खुशी से बोला,"थैंक्स रूपा...मैं बस तुम्हारी गली के बाहर कॉफी सेन्टर पर हूँ...प्लीज कम..."
सुनैना तेजी से "ओके.."बोली और फोन काट दी... सुनैना के अंदर ढ़ेरों सवाल पैदा हो रही थी... वो बस रूपा का वेट कर रही थी कि कब निकलेगी और उससे इन्क्वायरी की जाए...
कुछ ही देर में रूपा गुनगुनाती हुई बाहर निकली... सुनैना सवालिसा नजरों से एकटक बस उसे ही देखी जा रही थी... रूपा सुनैना को ऐसे देख पूछ ली,"क्या हुआ..?"
सुनैना हल्की मुस्कान लेती बोली,"कॉफी सेन्टर पर कोई इंतजार कर रहा है..."
रूपा शॉक सी हो गई और बोली,"क्या...? फोन रिसीव की थी तुम...?"
सुनैना,"करनी पड़ी... कई बार कट कर दी तो वो बार बार कर रहा था तो रिसीव की..."
रूपा सुनैना की बात सुन फोन चेक करने लगी... रूपा के चेहरे पर नम्बर देख गुस्से की रेखा साफ झलकने लगी...सुनैना रूपा को गुस्से में देख बोली,"तुम नहीं चाहती कि मैं आऊं तो मैं नहीं आऊंगी..."
रूपा सुनैना की बात सुन फोन रखती बोली,"मुझे इससे मिलने की कोई जरूरत नहीं...भांड़ में जाए..." सुनैना चौंक सी गई रूपा की बात से...
रूपा को गुस्से में देख सुनैना समझाने की कोशिश में बोली,"क्या रूपा, नाराजगी है तो एक बार मिल लो सब ठीक हो जाएगा...क्योंकि जितना परेशान था वो शायद मना ही लेगा....और प्यार में तो झगड़े होते रहते हैं..."
रूपा सुनते ही जबरदस्ती हँसी हँस बोली,"प्यार...और इससे... ही..ही...ही... शाला ये दुश्मन के भी काबिल नहीं है..."
सुनैना,"..तो फिर कौन था..."
रूपा,"कनक का फ्रेंड है...चल छोड़ इसे, जल्दी से फ्रेश हो जा... बाहर चलते हैं घूमने...आते वक्त खाना भी खा लेंगे..."
सुनैना कुछ बोलना चाह रही थी पर बोली नहीं... बोलती क्यों बाहर तो जा ही रही है... वो उठ के चुपचाप बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...
कुछ ही देर में दोनों स्कूटी से सड़क पर थी... तमाचा बाहर खड़ा बस बगुले की तरह नजर गड़ाए था... उसने रूपा को निकलते देखा पर रोक नहीं सका... वजह थी सुनैना... वो समझ नहीं पाया कि कौन है ये...
वो बस तेजी से बाइक तक गया और रूपा के पीछे हो लिया... कुछ ही पलों में रूपा को अहसास हो गई कि कोई ठीक उसके पीछे है...वो गुस्से से जल भुन गई...
तभी सुनैना चहकती सी बोली,"रूपा,गोलगप्पे.." रूपा नजर दौड़ाई तो उसकी भी मुस्कान निकल गई और स्कूटी गोलगप्पे वाले के ठीक समीप स्वत: रूक गई...
तड़तड़ सुनैना उतरी और गोलगप्पे वाले को बोली,"भैया झटपट से शुरू हो जाओ...रूपा जल्दी आ..."
रूपा स्कूटी खड़ी कर हँसती हुई बोली,"अरे भैया जी भाग नहीं रहे हैं जो इतनी उतावली हो रही है...क्यों भैया जी..."
बेचारा गोलगप्पे वाला क्या बोलता ,बस हाँ में मुंडी डुला दिया...और दोनों के हाथ प्लेट थमा दिया... पीछे से तमाचा भी तब तक आ पहुँचा और गोलगप्पे वाले को इशारा कर दिया कि मैं भी हूँ...
गोलगप्पे वाला मुस्कुरा पड़ा... उसके साथ तो ये नियम था कि कोई लड़की आए तो उसके पीछे दो चार तो यूँ ही आ जाते हैं...वो एक और प्लेट तमाचे को थमा दिया और लगा पानी भरने गोलगप्पे में...
तमाचा की नजर रूपा के चेहरे पर ही टिकी थी... रूपा ना चाहते भी एक दो बार तमाचे से नजर टकरा ही ली...वो बस गुस्से को पीने की कोशिश कर रही थी...पर कब तक..?
आखिर रूपा बरस ही पड़ी... रूपा भड़कती सी बोली,"ऐ मिस्टर, मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती...चुपचाप खिसक लो नहीं तो..."
रूपा की तीखी आवाज सुनते ही सब के सब अचंभित... सुनैना तुरंत समझ गई कि ये वही फोन वाला है...जबकि गोलगप्पे वाला की तो फटने सी लग गई...
तमाचा आँख मींचते हुए अपने पर काबू किया और बोला,"बस पाँच मिनट रूपा... उसके बाद मैं चला जाउंगा और आगे तेरी मर्जी..."
रूपा कुछ बोलती बीच में सुनैना बोल पड़ी,"दे दे पाँच मिनट...करना वही जो तुम्हें ठीक लगे..." रूपा सुनैना की बात सुन सोचती हुई हामी भर दी और बोली,"ओके... तुम गोलगप्पे खाओ... मैं आ रही हूँ..." सुनैना हामी भर दी...
रूपा टिमटिमाती पैर पटकती सुनैना से कुछ कदम हट खड़ी हो गई... तमाचा भी पीछे पीछे रूपा के निकट पहुँचा तो रूपा बोली,"भौंकना शुरू कर..." तमाचे की तो जल गई...
तमाचा,"शाली मुझसे प्रॉब्लम क्या है तुझे...कल तक तो ठीक थी और अचानक से क्या हो गया..?"
रूपा,"शाले मुँह संभाल के बात कर...और सिर्फ पाँच मिनट...याद रख.."
तमाचा पाँच मिनट सुन मुंह बंद कर लिया और रूपा की तरफ देख बोला,"होटल M जानती हो ?" रूपा ये प्रश्न सुन आँख तरेरनी लगी कि यहाँ कौन नहीं जानता होटल M...
तमाता आहे बोला,"जानती ही होगी...ओके... आज वहाँ मैंने कनक और तुम्हारी डिम्पल भाभी को देखा था... वो भी आर.जे. के साथ... और..."
रूपा बीच में तुनकती हुई बोली,"शाले मैं शक्ल से उल्लू लगती हूँ क्या..?"
तमाचा अचरज में पड़ गया...फिर हल्के से बोला,"..मतलब?"
रूपा,"नौटंकी किसी और को दिखाना...शाले तुम सब मिले हुए हो... तुम क्या हो मैं अच्छी तरह जानती हूँ और ये इमोशनली ब्लैकमेल कर मुझे पाने की भूल सपने में भी मत करना..."
तमाचा ये सुनते ही आग बबूला सा होता बोला,"स्टॉप रूपा... किसी भी चीज की एक लिमीट होती है... और तुम हो कि..."
रूपा,"ओह...तो मैं लिमीट पार कर गई... और तुम सब मिल कर क्या कर रहे हो मेरे साथ... इतना ही शौक है तो अपनी मां बहन के साथ खेलो ना गेम... खूब मजे देगी.."
रूपा की बात सुन तमाता का दिमाग सुन्न रह गया और वो एक तड़के से झन्नाटेदार थप्पड़ रूपा के गालों की तरफ दौड़ा दिया... रूपा की चीख थप्पड़ पड़ने से पहले ही निकल गई और चीख सुन तमाचे के हाथ गालों के ठीक पहले रूक गई...
रूपा सुबकने लगी थी डर से... तमाचा हाथ झटक के खींचा और बालों को सहलाता अंदर उबल रही गुस्से को शांत करने लगा... दोनों खामोश थे... बस खुद पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे...
कुछ पलों के बाद खामोशी टूटी... तमाचा,"सॉरी रूपा...तुम हमसे इतनी नाराज क्यों हो सब समझ में आ गया... शायद कनक के बारे में तुम भी जान गई हो और तुम समझ रही हो कि ये सब मुझे भी मालूम है और शायद मैं भी शामिल हूँ..."
रूपा सिसकना छोड़ तमाचे की बात सुनने लगी... तमाचा आगे बोला,"तो तुम गलत हो रूपा... रूपा मैं लड़कियों के पीछे जरूर रहता पर सिर्फ उसी के जिसकी रजामंदी हो... जो ना चाहती उसे तो मैं देखता भी नहीं और कॉलेज में तुम देखती भी हो... पर ये सब... मर जाऊंगा पर ऐसा घिनौना खेल कभी नहीं खेल सकता..."
तमाचा,"कई लड़कियाँ तो ऐसी भी है जिसे मैं जो कहूँगा वो हंसती हुई कर लेगी पर नहीं... पर इससे हमें क्या मिलेगा? आज कुछ पैसे मिल जाएंगे और बाद में जिंदगी भर बददुआ जिसकी लाइफ बर्बाद हो जाएगी उससे..."
तमाचा की बात रूपा अब एकटक सुने जा रही थी चुपचाप... तमाचा,"अब भी विश्वास नहीं है तो कोई बात नहीं...मैं जा रहा हूँ... तुम बस किसी तरह इन सब के झांसे में मत आना... और मेरा विश्वास है कि तुम इसे हैंडल कर लोगी...फिर भी अगर मेरी जरूरत पड़ी तो बेझिझक याद कर लेना...चलता हूँ...बॉय.."
तमाचा हारा सा मुड़ा और सीधा अपने बाइक की तरफ चल दिया... रूपा ठिठकी सी खड़ी देखती रही... कुछ ही पलों में तमाचा की बाइक दूर निकल चुकी थी... तभी सुनैना रूपा को झकझोर कर होश में लाई...
रूपा,"अ..ह...हाँ... खा ली तुम..."
सुनैना,"हाँ, चलो अब तुम भी खा लो..." सुनैना रूपा को परेशान देख कुछ पूछी नहीं... वो बस रूपा को नॉर्मल करने की सोच रही थी... रूपा वापस गोलगप्पे की तरफ आई और दो चार खाई और बस कर दी...
रूपा के दिमाग में बस तमाचे की बात घूम रही थी...वो पैसे निकाली और गोलगप्पे वाले को दी... अचानक से रूपा एक बार फिर चिल्ला पड़ी...
रूपा,"ओए, खाई इतनी सी और पैसे लिए ढ़ेर सारी..."
"मैडम, दस का वो आपका दोस्त था ना वो खा के चला गया..."गोलगप्पे वाले इत्मीनान से समझा दिया...
रूपा दांत पीसती हुई बोली,"खाया वो और पैसे भरूँगी मैं... रूक.. अभी बताती हूँ..." रूपा के तेवर देख सुनैना बीच में आ गई और बोली,"छोड़ ना रूपा, जाने दे..."
"ऐसे कैसे जाने दूँ.. अभी शाले को दो चार सुनाती हूँ फिर देखना..."रूपा रूक तो गईपर तुरंत फोन निकाल तमाचे को फोन घुमा दी...
रूपा,"ओ भिखारी, जब खाने का इतना ही शौक है तो जेब में पैसे ले कर चला कर...समझा ना..."रूपा फोन रिसीव होते ही बरस पड़ी...
तमाचा,"ओ शिट... सॉरी यार... मैं अभी आया...प्लीज... गलती से चला आया..."
रूपा,"रहने दे, मैं दे दी..."
तमाचा,"थैंक्स यार..."
रूपा,"थैंक्स...? शाले चुपचाप मेरे पैसे पहुँचाओ रेस्टोरेंट में... मैं वहीं डिनर करने जा रही हूँ..." और फोन कट... रूपा फोन रखी और सुनैना के साथ रेस्टोरेंट पहुँच गई...
तब तक तमाचा भी आ गया था... वो रूपा के पास पहुँच बोला,"वो सॉरी रूपा, गलती से मैं निकल गया था...कितने देने हैं?"
रूपा हल्की मुस्काई और बोली,"कितने तो नहीं पूछी...एक काम करो... तुम खा के निकले तो हम पे की और अब हम दोनों खाएंगे तो तुम पे कर देना...हिसाब बराबर.."
तमाचा ये सुनते रही हँसे बिना ना रह सका...वो अंदर चलने का इशारा कर बोला,"श्योर,ऐसे मौके रोज थोड़े ही आएंगे..." साथ ही इस बात की भी खुशी थी कि आखिर रूपा समझ तो गई कि मैं उनमें शामिल नहीं हूँ...
रूपा और सुनैना ये सुन हंसती हुई टेबल तक पहुँच गई और आर्डर करती हुई तमाचे से बोली,"तुम भी खाओगे..?"
"ना, तुम्हारी क्यूट शक्ल देख अपना पेट भर लूँगा...बात करती है..." तमाचा चिढ़ता सा बोला और हँस पड़ा... आर्डर के बाद तमाचे के अंदर काफी देर से फूल रही एक बात फट ही गई...
तमाचा,"ये कौन हैं? पहले कभी देखा नहीं..."
रूपा तमाचे की बात सुन सुनैना की तरफ देख हंसी और आहिस्ते से अगल बगल देखती बोली,"तेरी भाषा में सुपर टंच रसदार मालऽ"
रूपा की ये बात सुनते ही तमाचे के साथ सुनैना भी शॉक रह गई... तमाचा तुरंत ही संभला और सुनैना की तरफ देख रूपा से बोला,"ओर तुम्हारी भाषा में..?"
रूपा,"शाली.." ये सुनते ही तमाचा चौंक पड़ा,"..क्या?"
रूपा,"क्या यार, बड़े भैया की शाली हैं तो मेरी भी शाली हुई ना..." तमाचे समझ "ओ.." कर हामी भरा तब तक सुनैना अपना हाथ आगे तमाचे की ओर बढ़ाती बोली,"सुनैना... "
तमाचे तुरंत हाथ मिलाता बोला,"मस्त शाली हो..." तमाचे की बात सुन रूपा खड़ी हुई और तमाचे से बोली,"उठो..."
तमाचा सन्न...अब क्या हो गया इसे... वो समझने की कोशिश करता उठा तो रूपा बाहर निकलने के लिए इशारा कर दी... सुनैना भी कुछ समझ नहीं पाई कि क्या हो गया इसे... हाथ ही तो मिलाई हूँ...
रूपा भी तब तक बाहर निकली और तमाचे के पास आ बोली,"मजे लेने वाली चीज है तो जा कर बगल में बैठो और मजे लो... ही..ही..ही..."
तमाचा माथा पीट लिया और सुनैना मुंह छिपा कर हंसने लगी "अजीब नौटंकी है ये रूपा..." सोच कर... तब तक तमाचा जम्प लगाता सुनैना के बगल में सट के "हाय.."करता बैठ गया और रूपा सामने...
खाना भी तब तक आ गया और तीनों मस्ती में डिनर करने लगे...
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