FUN-MAZA-MASTI
नई जिन्दगी--20
सरला ने भी सुनिल को बाँहों मे मजबूती से भर लिया । सरला की चुचिया इतनी दब गई के निप्पल दुध रीसने
लगा और सुनिल की छाती पे चिपक रहा था । मदहोश सरला तो सब भुलकर कभी सुनिल के होंठ चूमती और
कभी गाल, कभी प्यार से सुनिल के बाल चूम लेती और कभी सुनिल का कान मुँह मे लेकर हल्के हल्के काटने
लगती ।
सुनिल- आय हाय ई बनारसी लाल पान जैसे तेरे होट चुसने के लिए तो दीनभर तडपता रहता हूं गोरी ला मेरे
होटों पे टीकादे ईन्हे
सुनिल सरला के लाल रस टपकाते होंठ चूमता हुआ एक मस्ती से आगे पीछे अंदर बाहर लौडा ठुसे सरला को
चोद रहा था । धीरे धीरे सुनिलने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई ।
सरला अब कराहाने लगी । गद्दे पर हाथ पटक रही थी । चुडीयां खनकने लगी कुछ तुड कर बिस्तर पर बिखरने
लगी । पायल तो ताल मिलाती झनकने लगी ।
सरला- आय आय उई मां उमममममम उ सुनिल, बहुत अच्छा लग रहा है बेटा , और ज़ोर से झटके लगा ।
मुझे हमारे प्यार की निशानी दे दे, मेरी सुनी कोख भर दे
सरला पागलों की तरह पलके बंद कीये बडबडाती गांड उठाये हुई नीचे से धक्के मार रही थी । ताकी लंड पुरा जड
तक घुस कर अंदर बाहर हो ।
सुनिल वासना मे चिंखती बडबडाती सरला के बिखरे बाल सवारने लगा उसके माथ पर चुमने लगा । उसके चेहरे
पर एक मुस्कान छलकी ।
सुनिल- उममम हां मेरी जान मै तेरी सुनि कोख खुशियों से भर दुंगा, हमारे प्यार की निशानी जल्द ही तेरी गोद
मे होगी । तेरी छाती मे भरा हुआ मीठा-मीठा दुध चुसेगी । हमारे ईस छोटे से आशियाने मे एक नन्ही कीलकारी
फीर दस्तक देगी । तू उस पर तेरी ममता लूटा देना, हम बडे ही लाड-प्यार से उसे संभालेंगे ।
सुनिल ने बडे प्यार से मेहंदी रची सरला की हथेली हाथ मे ले कर चुम ली । सरला ने आंखे खोल दी सुनिल
सरला का हाथ निचे ले गया, सरला का हाथ चुत मे अंदर बाहर घुसते हुए लंड को छुने लगा ।
सुनिल- देख मेरी रानी कैसे तेरी गरम मुलायम रसिली चुत मे मेरा काला गन्ना अंदर-बाहर हो रहा है । महसूस
कर ईसे ये उस मां की चुत है जिसमे उसका आशिक बेटा तना हुआ लंड ठूस रहा है । मां तू करोडों मे एक है ।
सरला ने शरम से होट काट लिए ।
सरला- उमममह हू छोड ना बेटा मेरा हाथ बडा अजिब सा लग रहा है
सुनिल- हाय रे मेरी शरमिली गुडीया, तेरी ये कातिल अदाए मुझे पागल कर देति है ।
सरला के गोरे गाल टमाटर से लाल हो जाते है । वो सुनिल की पहाडी छाती पे गुलाबी होट से चुमती है ।
सरला की इन कामुक अदोओं के सुनिल रोमांचित हो उठता है । झुक कर सुनिल सरला की झटको से हीचकोले
खा रही नरम चुचि मुँह मे भर लेता है ।
और सरला बडे प्यार से सुनिल के बाल चूम रही थी । सरला सिसकारियाँ भरने लगी
सरला- उममम उई मां काट मत बेटा दुखता है । मेरा लाडला बच्चा देखो तो कीतनी भुक लगी है, उमममम
आहहहह तू तो एकदम भूखे बच्चे जैसे पी रहे है ।
सुनिल ने थोडा चुसते ही गाढा मलाई से भरा दूध सुनिल के मुह मे भर गया जो उसे की जोश भरने वाले ड्रींक
जैसा उसमे ताकद भर रहा था सुनिल तो गटकता जा रहा था बारी-बारी सरला की चुचिया दबा दबा कर पूरा दूध
निचोड़ कर पी रहा था ।
अब सुनिल ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा । सरला की गीली बुर से गाढा प्रेमरस बिस्तर पर टपकने लगा । अब
पचक पक पचक पकक पक की आवाज़ खोली मे गुंज रही थी । सरला आवाजे सुन कर बडी बावली हुई जा रही
थी , सरला सुनिल की पीठ सहलाने लगी । सरलाने उसकी मुलायम जांघे भी सुनिल की कमर के इर्द गिर्द
जकड ली । जैसे सरला सुनिल को कह रही हो..... बेटा डाल दे तेरा गाढा गरम पाणी मेरी धधकती चुत मे मीटा
दे मेरी बरसो की “अगन”....। सरला अपनी गांड उछाल कर सुनिल का पूरा लंड अपनी बुर मे जड तक लेते हुए
मन लगाकर चुदवा रही थी । बीच बीच मे सुनिल सरला की नरम मुलायम पपिते सी मोटी गांड को पकड़ लेता
और बेरहमी से मसल देता । तो सरला सीहर उठती ।
अब सुनिल का जोश भी जवाब देने लगा । सुपडे से तेजी से गाढी सफेद मलाई की पिचकारी सरला की चुत की
जड में बच्चेदानी को प्रेमरस से भीगोने लगी । सरला की बच्चेदानी भी सुनिल के गरम प्रेमरस को चुमने लगी ।
अचानक सरला का शरीर कड़ा हो गया और सरला गहरी साँसे भरने लगी उसकी धडकन तेज हो गई सरला ने
सुनिल को ज़ोर से जकड़ लिया ।
सरला सुनिल को बेतहा चुमने लगी हांफने लगी । सुनिल का लंड भी गीला हो गया उसके लंड पे चुत मे प्रेमरस
की
बरसात हो रही थी , सरला की बुर ने ढेर सा पानी छोड़ दिया था ।
सुनिल- लललले जान हो गया हमारे प्रेमरस का मिलन
सरला के थके चेहरे पर मुस्कान थी एक तृप्ती की मुस्कान सरलाने सुनिल का होट मुह मे भर के काट लिया ।
दोनो की हवस मिट गई थी । दोनो हांफते थक भी गया थे । कुछ देर बाद सुनिल सरला के बदन पर से अलग
होकर पास लुढ़क गया । सुनिल सरला को बाँहों मे लेकर लेट गया । दोनो बहुत खुश थे ।
दोनो नंगे बदन जमाने की फीकर से दूर बिस्तर पर गहरी नींद की आघोश मे सो गये ।
इतनी गाढ़ी और मीठी नींद लेने के बाद सुबहा सुनिल की नींद देर से खुली ।
प्यार, ईश्क मोहब्बत जो कहीये एक गुलाबी धुंध छाई हुई थी । सुनिल के घर मे मानो रोज सुनिल सरला को
प्यार की नई कला सिखाता था ।
दो महीने बित गये समय के साथ दोनो का प्यार गहराता चला गया सरला पेट से थी सुनिल तो अब सरला का
कुछ
ज्यादा ही खयाल रखने लगा था । हमेशा उसे अपनी गोदी मे बिठाये रखता ।
जिन्दगी का नया पैहलू बाहे फैलाए सुनिल का इंतजार कर रहा था । सुनिल और सरला की जिन्दगी अब नया मोड
लेने वाली थी । उस दीन दोपहर सरला सुनिल की गोद मे बैठी थी
सुनिल एक हाथ से सरला को फल खिला रहा था और चुम रहा था । सुनिल अंगूर खुद के मुह मे डालकर होट से
होट भिडाये सरला के मुह मे छोड रहा था ।
सरला- उममम बसससस ना बहोत खा लिया अब बादमे
सुनिल- एसे कैसे फीर तेरे पेट मे जो मेरा लाडला बच्चा पल रहा है उसे ताकद कैसे मिलेगी ।
सरला- पररर बादमे खालूंगी ना
सुनिल अंगूर मुह मे डालते कहता है ।
सुनिल- एक एक और उमममम उममममहहह
सुनिल एक उंगली सरला की गहरी मुलायम नाभी मे अंदर घुसा रहा था ।
सरला- अ ह हहह मत कर बेटा गुदगुदी होती है ।
सुनिल- अ हा गुदगुदी होती है, निचे करूंगा तो और गुदगुदी होगी करू करू....
दोनो पागल प्रेमी एक दुसरे मे मस्ती मे ईस कदर डुबे थे की १० मिनट से बजा जा रहे फोन की घंटी तक सुनाई
नही पडी । फीर सुनिल को फोन की रींग सुनाई दी ।
सरला रवी को गोदी मे लिए दुध पिलाने लगी ।
सुनिल- अरे ५ मिस्ड कॉल्स
सुनिल ने नंबर देखा तो जैसे वो जम गया ।
वो नंबर सुनिल के बचपन के दोस्त रमेश का था । गांव छोडने से पहले वही आखरी शक्स था, जिसे सुनिल ने
गांव
छोड कर कीस शहर वो अपना गुजारा करने वाला है । कहां रहने वाला था इस के बारें मे बताया था । पर तब के
हालात अलग थे और आज के कोई सोच भी ना सकता है ईतने अलग । वो अपने आप को मन ही मन कोसने लगा
काश ईसे शहर के बारे मे फोन नंबर के बारे मे कुछ ना बताता । सुनिल के मन मे अचानक सवालों का जैसे
अंबार
लग गया मन ही मन वो सोचने लगा.... आज दो साल बाद रमेश का फोन.... क्या काम होगा ? क्यू फोन कीया
होगा ? कही ये शहर तो नही आने वाला ? क्या करू अब ?
और तभी फोन की रींग फीर बजी सुनिल सोच मे पड गया फोन उठाऊ या नही ।
सरला- अरे कब से फोन बज रहा है देखो तो कीसका फोन है
सुनिल- अ ह हा
सुनिल फोन कान को लगाता है और थरथराते होटो से बोल पडता है ।
सुनिल- ह ह हलो
रमेश- हलो सुनिल ना मै रमेश बात कर रहा हूं गांव से
सुनिल- ह हा
रमेश- अरे सून मेरी बात बडा लफडा हो गया है बे, तेरी बीवी सरीता उसका मजनू उसे छोड भाग गया है बे,
और वो
भी ६ महीने का बच्चा है पेट मे उसके । उनको पता चला की गांव मे तेरे बारे मे बस मुझे ही पता है तू शहर मे
कहां रहने गया है । तेरी बीवी बडी गीडगीडा रही थी रो रही थी । बेचारी के घरवाले भी रो रहे थे । सरीता कह रही
थी वो उसका आशिक शराबी निकला रोज उसे मारता पिटता था । बेचारी को बडा पछतावा हो रहा है । कह रही थी
कैसे भी करके उसे तेरे साथ रहना है । तो जो कहेगा वो मानेगी दासी की तरह रहेगी बस तू उसे अपना ले । देख
दोस्त छोड दे बीती बातें सून तो ले वो क्या कह रही है । वो लोग शहर आ रहे है एक हफ्ते बाद, मैने तेरा पता दे
दीया है उन्हे । सून रहा है मेरी बात । हलो हलो हलो सुनिल.... लगता है नेटवर्क नही मिल रहा है । हलो
हललललो सुनिललल....
सुनिल मे अचानक बीजली दौड गई
रमेश- हलो सुनिल आवाज आ रही है ।
सुनिल- हलो कौन चाहीये भाईसाब आपको
रमेश- ये सुनिल का ही नंबर है ना ।
सुनिल- सुनिल कौन सुनिल मै महेश बात कर रहा हूं कानपूर से रोंग नंबर
रमेश- सच मे एसे कैसे भाईसाब, शायद उसने नंबर बदल दीया होगा सॉरी सॉरी भाईसाब माफ कर देना ।
सुनिल ने तुरंत फोन काट दीया और स्विचऑफ कर दीया ।
सरला हडबडाए सुनिल के चेहरे की ओर देखती है और रवी को गोद से निचे रख कर सुनिल के पास बैठती है ।
सरला- क्या बात है सुनिल तुने झुट क्यू बोला रांग नंबर है । तू इतना परेशान क्यू है ।
सुनिल की एक आख से बुंद छलक उठती है ।
सुनिल- मेरा अतित मेरा पीछा ही नही छोड रहां मां
सरला- मतलब
सुनिल- वो कुतिया वापस आ गई मां उसे उसके कीये की सजा मिल गई मां
सुनिल बडा ही भावूकता से गहरी आवाज से सरला को बताने लगा । सरला समझ गई सुनिल सरीता के बारे मे
बात कर रहा है ।
सरला- क्या हुआ उसका
सुनिल- उस चिनाल का मजनू उस बेरहमी से पिटता था, और वो शराबी था मां, चिनाल रंडी के पेट मे उसका ६
महीने का पाप भी है मां वो कुतिया अब चाहती है की मै उसे अपनालू बीती बाते भूलकर उसे फीर घर ले आउ ।
अगले हफ्ते वो और उसके घरवाले शहर आ रहे है ।
अपने बेटे को अपनी जान से भी बढकर चाहने वाली सरला आज खामोश थी । आज पूरानी सरला होती तो झट से
सुनिल को सरीता को घर लाने को मना लेती , पर आज सरला का दील मन ही मन अजिब सी कशमकश मे
उलझ
रहा था । सरला दीलों जान से सुनिल को चाहती थी । वो नही चाहती थी की वो कीसी और औरत का हो ।
आखिर
सरला औरत जो ठहरी औरत का मन था अपने मर्द को दुसरी औरत के साथ सोच कर उसे जलन तो होगी ही ।
उसका बदन तो सुनिल का गुलाम हो चुका था । सरला आज सरीता को उसकी पुरानी बहू नही डायन की नजर से देख रही थी ।
सरला के थरथराए होटों से लब्ज निकले
सरला- त त तो तू क्या चाहता है ।
सुनिल- बस तू ही मेरा आज है । और तू ही मेरा कल ।
सरला- सच, ईतना चाहता है मुझे, प पर वो लोग शहर आयेंगे तब दुनिया को जब हमारी असलियत पता
चलेगी तो लोग हमे मार डालेंगे बेटा ।
सुनिल- तू उसकी चिंता मत कर कीसी दुसरे शहर कही दुर, एक नये आशियाने मे हम दोनो हमारी नई जिन्दगी
की फीर शुरूवात करेंगे । हमारा अतित हम हमेशा के लिए मिटा देंगे, हमारी नई पहचान बनाएंगे ।
सरला- पररर क्या एसा हो सकता है ।
सुनिल- बिल्कूल हो सकता है,क्यू तुझे डर लग रहा है
सरला- अगर तू साथ हो तो मै कीसी भी तूफान से डर नही सकती
सुनिल- ईतना भरोसा है मुझ पर।
सरला- खुदसे भी ज्यादा
सरला के वो आखरी लब्ज कहते होंट सुनिल अपने होटों मे कैद कर लेता है । उसके साथ ही सरला के लब्ज भी
मानो कैद हो जाते है । दोनो बेतहा एक दुसरे को चुमते है । दोनो सारी हदे तोड कर रातभर एक दुसरे से प्यार
करते है । मानो जनम जनम के साथी हो, जनम जनम की प्यास हो ।
एक नई जिन्दगी सरला और सुनिल की जिन्दगी दस्तक देने वाली थी । अतित के पन्ने जलाकर काली राख से
नई
जिन्दगी की शुरूवात करने वो दोनो घर से निकले । जिन्दगी इस मोड पे आज वो फीर निकल पडे थे अपनी
जिन्दगी
जीने, हर पल कह रहा था...जी ले जरा... दोनो को ना कीसी का डर था, ना कीसी से शिकायत, फीर एक नया
सफर , फीर एक नया शहर , फीर नये रीश्ते ,
यह थी उन दोनो की एक प्यार, ममता, त्याग की कहाणी । आज मेरी आखें नम थी । पर चेहरे पर एक मुस्कान भी
। सुनिल और सरला की अबतक की जिन्दगी का आखरी पन्ना आज में बयान कर रहा था ।
पर चेहरे की मुस्कान मेरे मन के आईने को बयान कर रही थी । क्यूंकी ईस कहाणी का कोई अंत ही नही था । और
शायद ना कभी होगा । कौन जाने कीसी नये शहर मे नई पहचान बनाये दोनो फीर एक नई जिन्दगी जी रहे होंगे ।
एक नई सुबह , एक नई पहचान
एक नई शुरूवात , एक नई जिन्दगी.....
-----------------------------------------------------समाप्त-----------------------------------------------------------------------
-------------------------------- अंत-हीन सफर का अंत(endless travels end)-
नई जिन्दगी--20
सरला ने भी सुनिल को बाँहों मे मजबूती से भर लिया । सरला की चुचिया इतनी दब गई के निप्पल दुध रीसने
लगा और सुनिल की छाती पे चिपक रहा था । मदहोश सरला तो सब भुलकर कभी सुनिल के होंठ चूमती और
कभी गाल, कभी प्यार से सुनिल के बाल चूम लेती और कभी सुनिल का कान मुँह मे लेकर हल्के हल्के काटने
लगती ।
सुनिल- आय हाय ई बनारसी लाल पान जैसे तेरे होट चुसने के लिए तो दीनभर तडपता रहता हूं गोरी ला मेरे
होटों पे टीकादे ईन्हे
सुनिल सरला के लाल रस टपकाते होंठ चूमता हुआ एक मस्ती से आगे पीछे अंदर बाहर लौडा ठुसे सरला को
चोद रहा था । धीरे धीरे सुनिलने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई ।
सरला अब कराहाने लगी । गद्दे पर हाथ पटक रही थी । चुडीयां खनकने लगी कुछ तुड कर बिस्तर पर बिखरने
लगी । पायल तो ताल मिलाती झनकने लगी ।
सरला- आय आय उई मां उमममममम उ सुनिल, बहुत अच्छा लग रहा है बेटा , और ज़ोर से झटके लगा ।
मुझे हमारे प्यार की निशानी दे दे, मेरी सुनी कोख भर दे
सरला पागलों की तरह पलके बंद कीये बडबडाती गांड उठाये हुई नीचे से धक्के मार रही थी । ताकी लंड पुरा जड
तक घुस कर अंदर बाहर हो ।
सुनिल वासना मे चिंखती बडबडाती सरला के बिखरे बाल सवारने लगा उसके माथ पर चुमने लगा । उसके चेहरे
पर एक मुस्कान छलकी ।
सुनिल- उममम हां मेरी जान मै तेरी सुनि कोख खुशियों से भर दुंगा, हमारे प्यार की निशानी जल्द ही तेरी गोद
मे होगी । तेरी छाती मे भरा हुआ मीठा-मीठा दुध चुसेगी । हमारे ईस छोटे से आशियाने मे एक नन्ही कीलकारी
फीर दस्तक देगी । तू उस पर तेरी ममता लूटा देना, हम बडे ही लाड-प्यार से उसे संभालेंगे ।
सुनिल ने बडे प्यार से मेहंदी रची सरला की हथेली हाथ मे ले कर चुम ली । सरला ने आंखे खोल दी सुनिल
सरला का हाथ निचे ले गया, सरला का हाथ चुत मे अंदर बाहर घुसते हुए लंड को छुने लगा ।
सुनिल- देख मेरी रानी कैसे तेरी गरम मुलायम रसिली चुत मे मेरा काला गन्ना अंदर-बाहर हो रहा है । महसूस
कर ईसे ये उस मां की चुत है जिसमे उसका आशिक बेटा तना हुआ लंड ठूस रहा है । मां तू करोडों मे एक है ।
सरला ने शरम से होट काट लिए ।
सरला- उमममह हू छोड ना बेटा मेरा हाथ बडा अजिब सा लग रहा है
सुनिल- हाय रे मेरी शरमिली गुडीया, तेरी ये कातिल अदाए मुझे पागल कर देति है ।
सरला के गोरे गाल टमाटर से लाल हो जाते है । वो सुनिल की पहाडी छाती पे गुलाबी होट से चुमती है ।
सरला की इन कामुक अदोओं के सुनिल रोमांचित हो उठता है । झुक कर सुनिल सरला की झटको से हीचकोले
खा रही नरम चुचि मुँह मे भर लेता है ।
और सरला बडे प्यार से सुनिल के बाल चूम रही थी । सरला सिसकारियाँ भरने लगी
सरला- उममम उई मां काट मत बेटा दुखता है । मेरा लाडला बच्चा देखो तो कीतनी भुक लगी है, उमममम
आहहहह तू तो एकदम भूखे बच्चे जैसे पी रहे है ।
सुनिल ने थोडा चुसते ही गाढा मलाई से भरा दूध सुनिल के मुह मे भर गया जो उसे की जोश भरने वाले ड्रींक
जैसा उसमे ताकद भर रहा था सुनिल तो गटकता जा रहा था बारी-बारी सरला की चुचिया दबा दबा कर पूरा दूध
निचोड़ कर पी रहा था ।
अब सुनिल ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा । सरला की गीली बुर से गाढा प्रेमरस बिस्तर पर टपकने लगा । अब
पचक पक पचक पकक पक की आवाज़ खोली मे गुंज रही थी । सरला आवाजे सुन कर बडी बावली हुई जा रही
थी , सरला सुनिल की पीठ सहलाने लगी । सरलाने उसकी मुलायम जांघे भी सुनिल की कमर के इर्द गिर्द
जकड ली । जैसे सरला सुनिल को कह रही हो..... बेटा डाल दे तेरा गाढा गरम पाणी मेरी धधकती चुत मे मीटा
दे मेरी बरसो की “अगन”....। सरला अपनी गांड उछाल कर सुनिल का पूरा लंड अपनी बुर मे जड तक लेते हुए
मन लगाकर चुदवा रही थी । बीच बीच मे सुनिल सरला की नरम मुलायम पपिते सी मोटी गांड को पकड़ लेता
और बेरहमी से मसल देता । तो सरला सीहर उठती ।
अब सुनिल का जोश भी जवाब देने लगा । सुपडे से तेजी से गाढी सफेद मलाई की पिचकारी सरला की चुत की
जड में बच्चेदानी को प्रेमरस से भीगोने लगी । सरला की बच्चेदानी भी सुनिल के गरम प्रेमरस को चुमने लगी ।
अचानक सरला का शरीर कड़ा हो गया और सरला गहरी साँसे भरने लगी उसकी धडकन तेज हो गई सरला ने
सुनिल को ज़ोर से जकड़ लिया ।
सरला सुनिल को बेतहा चुमने लगी हांफने लगी । सुनिल का लंड भी गीला हो गया उसके लंड पे चुत मे प्रेमरस
की
बरसात हो रही थी , सरला की बुर ने ढेर सा पानी छोड़ दिया था ।
सुनिल- लललले जान हो गया हमारे प्रेमरस का मिलन
सरला के थके चेहरे पर मुस्कान थी एक तृप्ती की मुस्कान सरलाने सुनिल का होट मुह मे भर के काट लिया ।
दोनो की हवस मिट गई थी । दोनो हांफते थक भी गया थे । कुछ देर बाद सुनिल सरला के बदन पर से अलग
होकर पास लुढ़क गया । सुनिल सरला को बाँहों मे लेकर लेट गया । दोनो बहुत खुश थे ।
दोनो नंगे बदन जमाने की फीकर से दूर बिस्तर पर गहरी नींद की आघोश मे सो गये ।
इतनी गाढ़ी और मीठी नींद लेने के बाद सुबहा सुनिल की नींद देर से खुली ।
प्यार, ईश्क मोहब्बत जो कहीये एक गुलाबी धुंध छाई हुई थी । सुनिल के घर मे मानो रोज सुनिल सरला को
प्यार की नई कला सिखाता था ।
दो महीने बित गये समय के साथ दोनो का प्यार गहराता चला गया सरला पेट से थी सुनिल तो अब सरला का
कुछ
ज्यादा ही खयाल रखने लगा था । हमेशा उसे अपनी गोदी मे बिठाये रखता ।
जिन्दगी का नया पैहलू बाहे फैलाए सुनिल का इंतजार कर रहा था । सुनिल और सरला की जिन्दगी अब नया मोड
लेने वाली थी । उस दीन दोपहर सरला सुनिल की गोद मे बैठी थी
सुनिल एक हाथ से सरला को फल खिला रहा था और चुम रहा था । सुनिल अंगूर खुद के मुह मे डालकर होट से
होट भिडाये सरला के मुह मे छोड रहा था ।
सरला- उममम बसससस ना बहोत खा लिया अब बादमे
सुनिल- एसे कैसे फीर तेरे पेट मे जो मेरा लाडला बच्चा पल रहा है उसे ताकद कैसे मिलेगी ।
सरला- पररर बादमे खालूंगी ना
सुनिल अंगूर मुह मे डालते कहता है ।
सुनिल- एक एक और उमममम उममममहहह
सुनिल एक उंगली सरला की गहरी मुलायम नाभी मे अंदर घुसा रहा था ।
सरला- अ ह हहह मत कर बेटा गुदगुदी होती है ।
सुनिल- अ हा गुदगुदी होती है, निचे करूंगा तो और गुदगुदी होगी करू करू....
दोनो पागल प्रेमी एक दुसरे मे मस्ती मे ईस कदर डुबे थे की १० मिनट से बजा जा रहे फोन की घंटी तक सुनाई
नही पडी । फीर सुनिल को फोन की रींग सुनाई दी ।
सरला रवी को गोदी मे लिए दुध पिलाने लगी ।
सुनिल- अरे ५ मिस्ड कॉल्स
सुनिल ने नंबर देखा तो जैसे वो जम गया ।
वो नंबर सुनिल के बचपन के दोस्त रमेश का था । गांव छोडने से पहले वही आखरी शक्स था, जिसे सुनिल ने
गांव
छोड कर कीस शहर वो अपना गुजारा करने वाला है । कहां रहने वाला था इस के बारें मे बताया था । पर तब के
हालात अलग थे और आज के कोई सोच भी ना सकता है ईतने अलग । वो अपने आप को मन ही मन कोसने लगा
काश ईसे शहर के बारे मे फोन नंबर के बारे मे कुछ ना बताता । सुनिल के मन मे अचानक सवालों का जैसे
अंबार
लग गया मन ही मन वो सोचने लगा.... आज दो साल बाद रमेश का फोन.... क्या काम होगा ? क्यू फोन कीया
होगा ? कही ये शहर तो नही आने वाला ? क्या करू अब ?
और तभी फोन की रींग फीर बजी सुनिल सोच मे पड गया फोन उठाऊ या नही ।
सरला- अरे कब से फोन बज रहा है देखो तो कीसका फोन है
सुनिल- अ ह हा
सुनिल फोन कान को लगाता है और थरथराते होटो से बोल पडता है ।
सुनिल- ह ह हलो
रमेश- हलो सुनिल ना मै रमेश बात कर रहा हूं गांव से
सुनिल- ह हा
रमेश- अरे सून मेरी बात बडा लफडा हो गया है बे, तेरी बीवी सरीता उसका मजनू उसे छोड भाग गया है बे,
और वो
भी ६ महीने का बच्चा है पेट मे उसके । उनको पता चला की गांव मे तेरे बारे मे बस मुझे ही पता है तू शहर मे
कहां रहने गया है । तेरी बीवी बडी गीडगीडा रही थी रो रही थी । बेचारी के घरवाले भी रो रहे थे । सरीता कह रही
थी वो उसका आशिक शराबी निकला रोज उसे मारता पिटता था । बेचारी को बडा पछतावा हो रहा है । कह रही थी
कैसे भी करके उसे तेरे साथ रहना है । तो जो कहेगा वो मानेगी दासी की तरह रहेगी बस तू उसे अपना ले । देख
दोस्त छोड दे बीती बातें सून तो ले वो क्या कह रही है । वो लोग शहर आ रहे है एक हफ्ते बाद, मैने तेरा पता दे
दीया है उन्हे । सून रहा है मेरी बात । हलो हलो हलो सुनिल.... लगता है नेटवर्क नही मिल रहा है । हलो
हललललो सुनिललल....
सुनिल मे अचानक बीजली दौड गई
रमेश- हलो सुनिल आवाज आ रही है ।
सुनिल- हलो कौन चाहीये भाईसाब आपको
रमेश- ये सुनिल का ही नंबर है ना ।
सुनिल- सुनिल कौन सुनिल मै महेश बात कर रहा हूं कानपूर से रोंग नंबर
रमेश- सच मे एसे कैसे भाईसाब, शायद उसने नंबर बदल दीया होगा सॉरी सॉरी भाईसाब माफ कर देना ।
सुनिल ने तुरंत फोन काट दीया और स्विचऑफ कर दीया ।
सरला हडबडाए सुनिल के चेहरे की ओर देखती है और रवी को गोद से निचे रख कर सुनिल के पास बैठती है ।
सरला- क्या बात है सुनिल तुने झुट क्यू बोला रांग नंबर है । तू इतना परेशान क्यू है ।
सुनिल की एक आख से बुंद छलक उठती है ।
सुनिल- मेरा अतित मेरा पीछा ही नही छोड रहां मां
सरला- मतलब
सुनिल- वो कुतिया वापस आ गई मां उसे उसके कीये की सजा मिल गई मां
सुनिल बडा ही भावूकता से गहरी आवाज से सरला को बताने लगा । सरला समझ गई सुनिल सरीता के बारे मे
बात कर रहा है ।
सरला- क्या हुआ उसका
सुनिल- उस चिनाल का मजनू उस बेरहमी से पिटता था, और वो शराबी था मां, चिनाल रंडी के पेट मे उसका ६
महीने का पाप भी है मां वो कुतिया अब चाहती है की मै उसे अपनालू बीती बाते भूलकर उसे फीर घर ले आउ ।
अगले हफ्ते वो और उसके घरवाले शहर आ रहे है ।
अपने बेटे को अपनी जान से भी बढकर चाहने वाली सरला आज खामोश थी । आज पूरानी सरला होती तो झट से
सुनिल को सरीता को घर लाने को मना लेती , पर आज सरला का दील मन ही मन अजिब सी कशमकश मे
उलझ
रहा था । सरला दीलों जान से सुनिल को चाहती थी । वो नही चाहती थी की वो कीसी और औरत का हो ।
आखिर
सरला औरत जो ठहरी औरत का मन था अपने मर्द को दुसरी औरत के साथ सोच कर उसे जलन तो होगी ही ।
उसका बदन तो सुनिल का गुलाम हो चुका था । सरला आज सरीता को उसकी पुरानी बहू नही डायन की नजर से देख रही थी ।
सरला के थरथराए होटों से लब्ज निकले
सरला- त त तो तू क्या चाहता है ।
सुनिल- बस तू ही मेरा आज है । और तू ही मेरा कल ।
सरला- सच, ईतना चाहता है मुझे, प पर वो लोग शहर आयेंगे तब दुनिया को जब हमारी असलियत पता
चलेगी तो लोग हमे मार डालेंगे बेटा ।
सुनिल- तू उसकी चिंता मत कर कीसी दुसरे शहर कही दुर, एक नये आशियाने मे हम दोनो हमारी नई जिन्दगी
की फीर शुरूवात करेंगे । हमारा अतित हम हमेशा के लिए मिटा देंगे, हमारी नई पहचान बनाएंगे ।
सरला- पररर क्या एसा हो सकता है ।
सुनिल- बिल्कूल हो सकता है,क्यू तुझे डर लग रहा है
सरला- अगर तू साथ हो तो मै कीसी भी तूफान से डर नही सकती
सुनिल- ईतना भरोसा है मुझ पर।
सरला- खुदसे भी ज्यादा
सरला के वो आखरी लब्ज कहते होंट सुनिल अपने होटों मे कैद कर लेता है । उसके साथ ही सरला के लब्ज भी
मानो कैद हो जाते है । दोनो बेतहा एक दुसरे को चुमते है । दोनो सारी हदे तोड कर रातभर एक दुसरे से प्यार
करते है । मानो जनम जनम के साथी हो, जनम जनम की प्यास हो ।
एक नई जिन्दगी सरला और सुनिल की जिन्दगी दस्तक देने वाली थी । अतित के पन्ने जलाकर काली राख से
नई
जिन्दगी की शुरूवात करने वो दोनो घर से निकले । जिन्दगी इस मोड पे आज वो फीर निकल पडे थे अपनी
जिन्दगी
जीने, हर पल कह रहा था...जी ले जरा... दोनो को ना कीसी का डर था, ना कीसी से शिकायत, फीर एक नया
सफर , फीर एक नया शहर , फीर नये रीश्ते ,
यह थी उन दोनो की एक प्यार, ममता, त्याग की कहाणी । आज मेरी आखें नम थी । पर चेहरे पर एक मुस्कान भी
। सुनिल और सरला की अबतक की जिन्दगी का आखरी पन्ना आज में बयान कर रहा था ।
पर चेहरे की मुस्कान मेरे मन के आईने को बयान कर रही थी । क्यूंकी ईस कहाणी का कोई अंत ही नही था । और
शायद ना कभी होगा । कौन जाने कीसी नये शहर मे नई पहचान बनाये दोनो फीर एक नई जिन्दगी जी रहे होंगे ।
एक नई सुबह , एक नई पहचान
एक नई शुरूवात , एक नई जिन्दगी.....
-----------------------------------------------------समाप्त-----------------------------------------------------------------------
-------------------------------- अंत-हीन सफर का अंत(endless travels end)-
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