FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--163
बदला पुर
सूप के साथ चर्चा फिर शुरू हुयी।
और जुनैद ने अपनी एनलिसिस शुरू की , चार्ट ग्राफ , सब कुछ वो अपने टैब पे दिखा रहा था , और जो कन्क्ल्यूजन उसने ड्रॉ किये थे , वो एकदम वही थे ,
इस बार का काउण्टर टेरर आपरेशन एकदम अलग थे। नार्मल सिक्योरिटी एजेंसीज इस तरह से रियेक्ट नहीं करती, किसी ने हैकिंग आपरेशन भी किया था , और ये काम किसी आदमी का हो सकता है , जिसके हैकर्स की दुनिया में कांटैक्ट हों।
" लेकिन मुम्बई में तो ए टी स ने ही सारे आपरेशन होने के पहले ही , इसका मतलब पुलिस ,… " मेजर ने बात काटी।
" एक्जैटली , " सूप खत्म करते जुनैद ने जोड़ा ,
'इसका मतलब पुलिस को पहले से ही ये पता था की इन जगहों पर हमले होने वाले हैं , तारीख और भी चीजे , इसलिए वो इस्तकबाल के लिए तैयार थे। इसलिए मुद्दा ये है की , कौन था वो जिसने सारे प्लान को पता किया और जब तक वो न्यूट्रलाइज नहीं होता कोई भी प्लान बनाना बेकार होगा। '
" और इसके लिए हमें बनारस जाना होगा ,अरिमर्दन सिंह से बात हुयी , वो बॉम्ब ब्लास्ट जो प्लांड बॉम्ब ब्लास्ट के पहले हुआ , वहां से क्ल्यु मिलेगा। "
जुनैद ने प्रश्नवाचक चिन्ह की तरह गर्दन हिलायी और मेजर ने हाल खुलासा बयान किया।
" बनारस में हमारा दस साल पुराना स्लीपर था ,बनारसी साड़ियों का बड़ा कारोबारी। उसी के जिम्मे प्लान था की होलिका में जगह जगह बॉम्ब लगाए जायँ , और वो बॉम्ब होलिका की सामग्री में कैमोफ्लाज कर के इस्तेमाल होते। जब होलिका जलती तो शहर में जगह जगह होली की जगह खून की होली होती और फिर उसके साथ दंगे। दंगों में पुलिस कुछ ज्यादा सख्ती करती तो फर्दर टेरर के लिए ग्राउंड मिलता।
तो उस स्लीपर ने एक मुहरे को लगा के वो बॉम्ब टेस्ट के लिए लगाया था।
वो मुहर वैसे रिलायबल था , भिवंडी में रिक्रूट हुआ था और वैसे भी उसकी उस स्लीपर से मुलाक़ात भी नहीं थी , एक कट आउट के जरिये सब कुछ था। लेकिन उस का कुछ पुराना चक्कर था , किसी लड़की से और वो वही बॉम्ब लेकर उन को धमकाने गया। कुछ लड़कियों को उसने होस्टेज बना लिया , बनारस पुलिस को लगा की कोई टेरर ऐक्ट है उन्होंने पूरा तमाशा जमा लिया।
लेकिन वहां जो सी ओ था , एक हमारे बन्दे के पे रोल पे था , उस को हमने यूज किया। अरिमर्दन सिंह , वही था सी ओ। वो वहां की खबर भी दे रहा था और अंदर उस मुहरे के कांटेक्ट में भी था। प्लानिंग ये थी की स्पेशल टास्क फोर्स के पहले वो लोकल पुलिस से अटैक करवा देगा , वैसे भी स्पेशल टास्क फोर्स के लोग भी ट्रिगर हैप्पी होते हैं और वो भी उसे मार ही देते , लेकिन पता नहीं कैसे , बॉम्ब एक्सप्लोड हुआ , और वो जिन्दा पकड़ा गया।
लेकिन अच्छी बात ये थी की न तो उसे आपरेशन के बारे में कुछ पता था और न ही बॉम्ब पूरी तरह लोडेड थे। डिटोनेटर आखिरी मिनट पर लगने वाले थे। इस लिए उसके पकड़े जाने से आपरेशन की कोई बात लीक होने के चांसेज नहीं थे। "
मेजर ने बात खत्म कर रेशमी कबाब की ओर ध्यान लगाया।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने एक लुकमा तोडा और मेजर को बोला , उस लड़के के बारे में बताओ।
तीन साल बाद मैं डी बी से मिल रहा था ....५ फिट ११ इंच...गेंहुआ रंग...हलकी मूंछे ...छोटे छोटे कृ कट बाल...हाफ शर्ट...कुछ भी नहीं बदला था...वही कांफिडेंस वही मुस्कान ..तपाक से उसने हाथ मिलाया और पुछा हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं..
' बस अभी आये..." मैंने कहा और तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी...और वो झटके से उठ के खड़ा हो गया. तुरंत उसने नमस्ते किया..उसकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए.
हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गूंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं...मैं ने कुछ पूछना चाहा तो उसने हाथ के इशारे से मना कर दिया...और किसी से बोला ..." जरा एम् को बुलाओ.."
एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आ के खड़ा हो गया.यूनिफार्म में...तीन स्टार लगे थे
डी बी ने इंट्रोड्यूस कराया..."ये हैं...ए म..अरिमर्दन सिंह... यहाँ के सी ओ ...सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं...यही सब सम्हाल रहे हैं...और ये हैं..."
मुझे इंट्रोड्यूस कराने के पहले...ए म ने मुझसे हाथ मिला लिया...और बोले..." अरे सर हमें मालूम है सब आप के बारे में...आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा,,,".
डी बी ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला..लेकिन मैंने मना कर दिया... कोई रूम हो तो ...इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो ...
" एकदम..." डी बी ने बोला.
हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए...शायद सी ओ का ही कमरा था...
फागुन के दिन चार--163
बदला पुर
सूप के साथ चर्चा फिर शुरू हुयी।
और जुनैद ने अपनी एनलिसिस शुरू की , चार्ट ग्राफ , सब कुछ वो अपने टैब पे दिखा रहा था , और जो कन्क्ल्यूजन उसने ड्रॉ किये थे , वो एकदम वही थे ,
इस बार का काउण्टर टेरर आपरेशन एकदम अलग थे। नार्मल सिक्योरिटी एजेंसीज इस तरह से रियेक्ट नहीं करती, किसी ने हैकिंग आपरेशन भी किया था , और ये काम किसी आदमी का हो सकता है , जिसके हैकर्स की दुनिया में कांटैक्ट हों।
" लेकिन मुम्बई में तो ए टी स ने ही सारे आपरेशन होने के पहले ही , इसका मतलब पुलिस ,… " मेजर ने बात काटी।
" एक्जैटली , " सूप खत्म करते जुनैद ने जोड़ा ,
'इसका मतलब पुलिस को पहले से ही ये पता था की इन जगहों पर हमले होने वाले हैं , तारीख और भी चीजे , इसलिए वो इस्तकबाल के लिए तैयार थे। इसलिए मुद्दा ये है की , कौन था वो जिसने सारे प्लान को पता किया और जब तक वो न्यूट्रलाइज नहीं होता कोई भी प्लान बनाना बेकार होगा। '
" और इसके लिए हमें बनारस जाना होगा ,अरिमर्दन सिंह से बात हुयी , वो बॉम्ब ब्लास्ट जो प्लांड बॉम्ब ब्लास्ट के पहले हुआ , वहां से क्ल्यु मिलेगा। "
जुनैद ने प्रश्नवाचक चिन्ह की तरह गर्दन हिलायी और मेजर ने हाल खुलासा बयान किया।
" बनारस में हमारा दस साल पुराना स्लीपर था ,बनारसी साड़ियों का बड़ा कारोबारी। उसी के जिम्मे प्लान था की होलिका में जगह जगह बॉम्ब लगाए जायँ , और वो बॉम्ब होलिका की सामग्री में कैमोफ्लाज कर के इस्तेमाल होते। जब होलिका जलती तो शहर में जगह जगह होली की जगह खून की होली होती और फिर उसके साथ दंगे। दंगों में पुलिस कुछ ज्यादा सख्ती करती तो फर्दर टेरर के लिए ग्राउंड मिलता।
तो उस स्लीपर ने एक मुहरे को लगा के वो बॉम्ब टेस्ट के लिए लगाया था।
वो मुहर वैसे रिलायबल था , भिवंडी में रिक्रूट हुआ था और वैसे भी उसकी उस स्लीपर से मुलाक़ात भी नहीं थी , एक कट आउट के जरिये सब कुछ था। लेकिन उस का कुछ पुराना चक्कर था , किसी लड़की से और वो वही बॉम्ब लेकर उन को धमकाने गया। कुछ लड़कियों को उसने होस्टेज बना लिया , बनारस पुलिस को लगा की कोई टेरर ऐक्ट है उन्होंने पूरा तमाशा जमा लिया।
लेकिन वहां जो सी ओ था , एक हमारे बन्दे के पे रोल पे था , उस को हमने यूज किया। अरिमर्दन सिंह , वही था सी ओ। वो वहां की खबर भी दे रहा था और अंदर उस मुहरे के कांटेक्ट में भी था। प्लानिंग ये थी की स्पेशल टास्क फोर्स के पहले वो लोकल पुलिस से अटैक करवा देगा , वैसे भी स्पेशल टास्क फोर्स के लोग भी ट्रिगर हैप्पी होते हैं और वो भी उसे मार ही देते , लेकिन पता नहीं कैसे , बॉम्ब एक्सप्लोड हुआ , और वो जिन्दा पकड़ा गया।
लेकिन अच्छी बात ये थी की न तो उसे आपरेशन के बारे में कुछ पता था और न ही बॉम्ब पूरी तरह लोडेड थे। डिटोनेटर आखिरी मिनट पर लगने वाले थे। इस लिए उसके पकड़े जाने से आपरेशन की कोई बात लीक होने के चांसेज नहीं थे। "
मेजर ने बात खत्म कर रेशमी कबाब की ओर ध्यान लगाया।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने एक लुकमा तोडा और मेजर को बोला , उस लड़के के बारे में बताओ।
तीन साल बाद मैं डी बी से मिल रहा था ....५ फिट ११ इंच...गेंहुआ रंग...हलकी मूंछे ...छोटे छोटे कृ कट बाल...हाफ शर्ट...कुछ भी नहीं बदला था...वही कांफिडेंस वही मुस्कान ..तपाक से उसने हाथ मिलाया और पुछा हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं..
' बस अभी आये..." मैंने कहा और तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी...और वो झटके से उठ के खड़ा हो गया. तुरंत उसने नमस्ते किया..उसकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए.
हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गूंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं...मैं ने कुछ पूछना चाहा तो उसने हाथ के इशारे से मना कर दिया...और किसी से बोला ..." जरा एम् को बुलाओ.."
एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आ के खड़ा हो गया.यूनिफार्म में...तीन स्टार लगे थे
डी बी ने इंट्रोड्यूस कराया..."ये हैं...ए म..अरिमर्दन सिंह... यहाँ के सी ओ ...सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं...यही सब सम्हाल रहे हैं...और ये हैं..."
मुझे इंट्रोड्यूस कराने के पहले...ए म ने मुझसे हाथ मिला लिया...और बोले..." अरे सर हमें मालूम है सब आप के बारे में...आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा,,,".
डी बी ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला..लेकिन मैंने मना कर दिया... कोई रूम हो तो ...इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो ...
" एकदम..." डी बी ने बोला.
हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए...शायद सी ओ का ही कमरा था...
वो लड़का,....
मेजर ने बात खत्म कर रेशमी कबाब की ओर ध्यान लगाया।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने एक लुकमा तोडा और मेजर को बोला , उस लड़के के बारे में बताओ।
और मेजर ने फिर बात शुरू की ,
" उस मुहरे ने जिन लड़कियों को होस्टेज बनाया था , उनमे एक , उसकी रिश्तेदार थी। एक पुलिस आफिसर ट्रेनी था , और वहां कप्तान का पुराना दोस्त था और वो भी वहां था और पता ये चला की लड़कियों को छुड़ाने में उसका हाथ था और ये अरिमर्दन के जरिये ही पता चला वरना पुलिस ने तो सारी क्रेडिट अपने हाथ में ले ली थी। "
तब तक फोन बजा और मेजर ने कुछ देर बात करके बताया , इसने आज अरिमर्दन सिंह से बात की है , जो सवाल आप ने पूछे थे उसके जवाब।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने फोन के लिए हाथ बढ़ा दिया और सीधे बात की।
बहुत देर तक वो सिर्फ हाँ हूँ करते रहे ,फिर फोन रख दिया और बोले ," मेरा शक उसी पर है ".
कुछ देर तक सब चुपचाप खाना खाते रहे लेकिन मेजर ने चुप्पी तोड़ी ,
" उस का पीछा किया गया ,था एक आदमी दो दिन उसके शहर में रहा , उसके फोन टैप किये लेकिन कुछ पता नहीं चला। उसके साथ उसकी गर्ल फ्रेंड और एक थी दोनों को बग भी किया , लेकिन बस यही लगा की वो हीरो छाप लड़का है लड़कियों को इम्प्रेस करने के चक्कर में। "
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने खाना खत्म करलिया था। हाथ धोते हुए वो मुड़े और बोले , क्या पता यह इम्प्रेशन वो देना चाहता हो और सब लोग उस के जाल में फँस गए हो।
बाकी दोनों ने भी खाना खत्म कर दिया था , और अब जुनैद ने गुल साहब ने बोला की तुमने उसकी पर्सनैलिटी की क्या प्रोफाइलिंग की है ,
अब जुनैद चालु होगया.
लेकिन अबकी चार्ट , ग्राफ नहीं थे , हाँ जार्गन जरूर थे।
उसके हिसाब से जो उसने पर्सनालिटी प्रोफाइलिंग की थी , वो ८८% मैच करती थी। जिस आदमी ने काउंटर आपरेशन किया था वो डेयरिंग , आउट आॉफ बॉक्स थिंकिंग वाला ,इमेजिनेटिव और गर्वमेंट के स्ट्रक्चर के बाहर जा के काम करने वाला था।
दूसरी बात ये आपरेशन एक्सजीयूट भले ही गर्वमेंट एजेंसीज ने किया , इसके पीछे की सोच में काफी नान गर्वमेण्ट इंसियेटिव नजर आती है , और जिस आदमी का डिटेल मुझे मिला है , जिसके बारे में अभी बात हुयी है उससे ये प्रोफाइल ८८% मैच करती है ,मैंने उसके स्टूडेंट डेज के पेपर्स एक्सेस किये ,नेशनल पुलिस अकेडमी की परफारमेंस एक्सेस की।
और जब जुनैद ने ये बताया की उसने हैकिंग के बारे में एक आर्टिकल लिखी थी जिसपे उसे अवार्ड मिला था और जिसकी ब्लैक हैट हैकर्स ने भी तारीफ की तो सबके कान खड़े हो गए और मेजर ने फिर जोर से अपनी बात रखनी शुरू की।
" यह नहीं है की हमारी लोकल यूनिट ने उसे लाइटली लिया था , उन्होंने उसका न सिर्फ पीछा किया और उसके फ़ोन टैप किये , एक लोकल पिक पॉकेट को इंगेज कर उसका मोबाइल भी उठवा लिया और उसकी सारी अनैलिसिस की , जो हमारा जो असेसमेंट था उससे मेल खाती थी , इसलिए मुझे अभी भी नहीं लगता की उसका हाथ है और फिर न मिडिया में कुछ , "
अबकी चुप कराने की बारी लेफ्टिनेंट जनरल गुल की थी।
" तुम्हारा असेसमेंट गलत हो सकता है बल्कि गलत है। और नहीं होता तो इस तरह मात पे मात , और तुमने मीडिया वाली बात सही बोली , अगर कोई पजामा छाप चपड़क़नुस भी पकड़ में आ जाता है तो वहां सब एजेंसीज के बीच मारपीट हो जाती है की मैंने पकड़ा , मैंने पकड़ा , और मालखाने से पुराने असलहा निकाल कर सामने रख कर हर आदमी ग्रुप फोटो खिंचाने और तमगा पाने की लाइन में लग जाता है ,लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ , क्यों और ये हामरे लिए बहुत खतरनाक है। "
जुनैद और मेजर उनकी बात चुपचाप सुनते रहे।
वली काफी बना के रख गया , लेफ्टिनेंट जनरल ने उसे सोने जाने के लिए बोल दिया और काफी पीते हुए अपना डर बताने लगे।
" अगर मैं मानता हूँ की ये अप्रोच सक्सेसफुल हो गया तो हम सब का अब तक का किया धरा मटियामेट हो जाएगा। टेरर एक्सपोर्ट करने के पीछे जो मैंने प्लान बनाया था , उसका क्या रीजन था। "
दोनों काफी पीते हुए उनके जवाब का इन्तजार करते रहे।
और वो बोले ,
" ये हमारे लिए लो कास्ट ऑप्शन था और उनके लिए हाई कास्ट। लो कास्ट इसलिए की मुझे शुरू से मालूम था की अफगानिस्तान का मोर्चा आज नहीं तो कल फतह होना है। आज तक कोई भी फॉरेन फोर्सेज , अफगानिस्तान में कामयाब नहीं हो पायीं , और रशिया की इकोनॉमिक कंडीशन भी बेइंतहा खराब था। १९८९ में वही हुआ , सारी ट्रेनिंग ,हथियार , जो सी आई ए ने मुहैया कराये थे बस हमने पश्चिम से पूरब की ओर कर दिया।
और सब से बढकर , जो ढेर सारे लड़ाके थे जिनके पास अब कोई मकसद नहीं रहा गया था , चेचन्या , सऊदी , सबको हम ने एक नया बैटल ग्राउंड ,नया मकसद दे दिया और १९८९ से कश्मीर में इंसर्जेंसी एक नए मुकाम पे पहुँच गयी।
और उनके लिए ये हाई कास्ट आपरेशन था क्यंकि लगातार कश्मीर में उन्हें अपनी फौज का एक बड़ा हिस्सा रखना पद रहा है और इसके इंटरनेशनल कॉन्सीक्वेंशेज है , लोकल लोग और अलीनेट हो रहे हैं , बिना हमारे कुछ किये। "
काफी खत्म करने के बाद उन्होंने सिगार सुलगा ली और बोले इसी लिए हम नहीं चाहते थे की बाजपाई -नवाज टाक्स सक्सेफुल हों और कारगिल करना पड़ा।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये हुयी की वहां की इंटरनल कंडीशन का फायदा उठकर हम लोगों ने होम ग्रोन आपरेशन शुरू कर दिया जिससे हमारा कास्ट और रिस्क दोनों काम हो गया। "
मेजर ठंडी सांस ले के बोला ,
" इस बार तो हम लोगों का यही प्लान था , बनारस ,बड़ौदा और मुम्बई में लेकिन सबा चौपट हो गया। "
" एक्जैक्टली "
मेजर ने सिगार की राख झाड़ते हुए कहा। और जोड़ा ,
" २६/११ के बाद से उनका काउंटर टेरर आपरेशन बहुत मुफीद हो गया था ,लेकिन इतनी पक्की प्लानिंग के बाद तुम्हारा फेल होना ये बताता है की कोई नया फैक्टर है।
दूसरी बात , आज तक उन्होंने हमारे घर के अंदर घुस के हमला नहीं किया। और हम 'नान स्टेट एक्टर ' के जुमले की आड़ में छुपते रहते थे।
अमेरिका को हमारी जरूरत थी , इसलिए इस फिग लीफ से वो भी खुश था। कारगिल में भी उन्होंने सब जानते हुए भी बार्डर नहीं क्रास किया और अब हम दोनों न्यूक्लियर पावर हैं तो इंटरेंशनल कम्युनिटी उन्हें करने भी नहीं देगी। लेकिन सोचो अगर अबकी जैसे हुआ वैसा आगे होगा तो क्या होगा। "
दोनों के पास कोई जवाब नहीं था।
" ये बेबी स्टेप है , एकदम शुरुआत , और ये अप्रोच अगर सक्सेसफुल रहा तो कल वो बार्डर पार कर के हमारे ट्रेनिंग कैम्पस , रिक्रूटमेंट ग्राउंड सब जगह हमला कर सकते हैं। और अगर एक बार ये हो गया तो उसकी पॉलिटिकल कास्ट बहुत होगी , और फिर सारे आपरेशन का बेस खत्म हो जाएगा। "
" हमारे सारे स्लीपर , नेटवर्क क्रैश हो गए हैं अगले चार पांच साल तक कुछ भी करना कम से कम रेस्ट ऑफ इंडिया में बहुत मुश्किल है। " दुखी मन से मेजर ने बोला।
" और अगर ये ट्रिक कश्मीर में कामयाब हो गयी तो , दूसरे जिस तरह से नेपाल और बंगला देश में उन्होंने घुस के हमारे बेस डिस्ट्राय किये हैं , वहां से भी इन्फिल्ट्रेशन मुश्किल है। " लेफ्टिनेंट जनरल बोले और कहा , " इस लिए इसे जड़ से खत्म करना होगा। "
रात बहुत हो चुकी थी। चारो ओर सिर्फ चुप्पी थी ,डर थी और अँधेरा था।
मेजर ने बात खत्म कर रेशमी कबाब की ओर ध्यान लगाया।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने एक लुकमा तोडा और मेजर को बोला , उस लड़के के बारे में बताओ।
और मेजर ने फिर बात शुरू की ,
" उस मुहरे ने जिन लड़कियों को होस्टेज बनाया था , उनमे एक , उसकी रिश्तेदार थी। एक पुलिस आफिसर ट्रेनी था , और वहां कप्तान का पुराना दोस्त था और वो भी वहां था और पता ये चला की लड़कियों को छुड़ाने में उसका हाथ था और ये अरिमर्दन के जरिये ही पता चला वरना पुलिस ने तो सारी क्रेडिट अपने हाथ में ले ली थी। "
तब तक फोन बजा और मेजर ने कुछ देर बात करके बताया , इसने आज अरिमर्दन सिंह से बात की है , जो सवाल आप ने पूछे थे उसके जवाब।
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने फोन के लिए हाथ बढ़ा दिया और सीधे बात की।
बहुत देर तक वो सिर्फ हाँ हूँ करते रहे ,फिर फोन रख दिया और बोले ," मेरा शक उसी पर है ".
कुछ देर तक सब चुपचाप खाना खाते रहे लेकिन मेजर ने चुप्पी तोड़ी ,
" उस का पीछा किया गया ,था एक आदमी दो दिन उसके शहर में रहा , उसके फोन टैप किये लेकिन कुछ पता नहीं चला। उसके साथ उसकी गर्ल फ्रेंड और एक थी दोनों को बग भी किया , लेकिन बस यही लगा की वो हीरो छाप लड़का है लड़कियों को इम्प्रेस करने के चक्कर में। "
लेफ्टिनेंट जनरल गुल ने खाना खत्म करलिया था। हाथ धोते हुए वो मुड़े और बोले , क्या पता यह इम्प्रेशन वो देना चाहता हो और सब लोग उस के जाल में फँस गए हो।
बाकी दोनों ने भी खाना खत्म कर दिया था , और अब जुनैद ने गुल साहब ने बोला की तुमने उसकी पर्सनैलिटी की क्या प्रोफाइलिंग की है ,
अब जुनैद चालु होगया.
लेकिन अबकी चार्ट , ग्राफ नहीं थे , हाँ जार्गन जरूर थे।
उसके हिसाब से जो उसने पर्सनालिटी प्रोफाइलिंग की थी , वो ८८% मैच करती थी। जिस आदमी ने काउंटर आपरेशन किया था वो डेयरिंग , आउट आॉफ बॉक्स थिंकिंग वाला ,इमेजिनेटिव और गर्वमेंट के स्ट्रक्चर के बाहर जा के काम करने वाला था।
दूसरी बात ये आपरेशन एक्सजीयूट भले ही गर्वमेंट एजेंसीज ने किया , इसके पीछे की सोच में काफी नान गर्वमेण्ट इंसियेटिव नजर आती है , और जिस आदमी का डिटेल मुझे मिला है , जिसके बारे में अभी बात हुयी है उससे ये प्रोफाइल ८८% मैच करती है ,मैंने उसके स्टूडेंट डेज के पेपर्स एक्सेस किये ,नेशनल पुलिस अकेडमी की परफारमेंस एक्सेस की।
और जब जुनैद ने ये बताया की उसने हैकिंग के बारे में एक आर्टिकल लिखी थी जिसपे उसे अवार्ड मिला था और जिसकी ब्लैक हैट हैकर्स ने भी तारीफ की तो सबके कान खड़े हो गए और मेजर ने फिर जोर से अपनी बात रखनी शुरू की।
" यह नहीं है की हमारी लोकल यूनिट ने उसे लाइटली लिया था , उन्होंने उसका न सिर्फ पीछा किया और उसके फ़ोन टैप किये , एक लोकल पिक पॉकेट को इंगेज कर उसका मोबाइल भी उठवा लिया और उसकी सारी अनैलिसिस की , जो हमारा जो असेसमेंट था उससे मेल खाती थी , इसलिए मुझे अभी भी नहीं लगता की उसका हाथ है और फिर न मिडिया में कुछ , "
अबकी चुप कराने की बारी लेफ्टिनेंट जनरल गुल की थी।
" तुम्हारा असेसमेंट गलत हो सकता है बल्कि गलत है। और नहीं होता तो इस तरह मात पे मात , और तुमने मीडिया वाली बात सही बोली , अगर कोई पजामा छाप चपड़क़नुस भी पकड़ में आ जाता है तो वहां सब एजेंसीज के बीच मारपीट हो जाती है की मैंने पकड़ा , मैंने पकड़ा , और मालखाने से पुराने असलहा निकाल कर सामने रख कर हर आदमी ग्रुप फोटो खिंचाने और तमगा पाने की लाइन में लग जाता है ,लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ , क्यों और ये हामरे लिए बहुत खतरनाक है। "
जुनैद और मेजर उनकी बात चुपचाप सुनते रहे।
वली काफी बना के रख गया , लेफ्टिनेंट जनरल ने उसे सोने जाने के लिए बोल दिया और काफी पीते हुए अपना डर बताने लगे।
" अगर मैं मानता हूँ की ये अप्रोच सक्सेसफुल हो गया तो हम सब का अब तक का किया धरा मटियामेट हो जाएगा। टेरर एक्सपोर्ट करने के पीछे जो मैंने प्लान बनाया था , उसका क्या रीजन था। "
दोनों काफी पीते हुए उनके जवाब का इन्तजार करते रहे।
और वो बोले ,
" ये हमारे लिए लो कास्ट ऑप्शन था और उनके लिए हाई कास्ट। लो कास्ट इसलिए की मुझे शुरू से मालूम था की अफगानिस्तान का मोर्चा आज नहीं तो कल फतह होना है। आज तक कोई भी फॉरेन फोर्सेज , अफगानिस्तान में कामयाब नहीं हो पायीं , और रशिया की इकोनॉमिक कंडीशन भी बेइंतहा खराब था। १९८९ में वही हुआ , सारी ट्रेनिंग ,हथियार , जो सी आई ए ने मुहैया कराये थे बस हमने पश्चिम से पूरब की ओर कर दिया।
और सब से बढकर , जो ढेर सारे लड़ाके थे जिनके पास अब कोई मकसद नहीं रहा गया था , चेचन्या , सऊदी , सबको हम ने एक नया बैटल ग्राउंड ,नया मकसद दे दिया और १९८९ से कश्मीर में इंसर्जेंसी एक नए मुकाम पे पहुँच गयी।
और उनके लिए ये हाई कास्ट आपरेशन था क्यंकि लगातार कश्मीर में उन्हें अपनी फौज का एक बड़ा हिस्सा रखना पद रहा है और इसके इंटरनेशनल कॉन्सीक्वेंशेज है , लोकल लोग और अलीनेट हो रहे हैं , बिना हमारे कुछ किये। "
काफी खत्म करने के बाद उन्होंने सिगार सुलगा ली और बोले इसी लिए हम नहीं चाहते थे की बाजपाई -नवाज टाक्स सक्सेफुल हों और कारगिल करना पड़ा।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये हुयी की वहां की इंटरनल कंडीशन का फायदा उठकर हम लोगों ने होम ग्रोन आपरेशन शुरू कर दिया जिससे हमारा कास्ट और रिस्क दोनों काम हो गया। "
मेजर ठंडी सांस ले के बोला ,
" इस बार तो हम लोगों का यही प्लान था , बनारस ,बड़ौदा और मुम्बई में लेकिन सबा चौपट हो गया। "
" एक्जैक्टली "
मेजर ने सिगार की राख झाड़ते हुए कहा। और जोड़ा ,
" २६/११ के बाद से उनका काउंटर टेरर आपरेशन बहुत मुफीद हो गया था ,लेकिन इतनी पक्की प्लानिंग के बाद तुम्हारा फेल होना ये बताता है की कोई नया फैक्टर है।
दूसरी बात , आज तक उन्होंने हमारे घर के अंदर घुस के हमला नहीं किया। और हम 'नान स्टेट एक्टर ' के जुमले की आड़ में छुपते रहते थे।
अमेरिका को हमारी जरूरत थी , इसलिए इस फिग लीफ से वो भी खुश था। कारगिल में भी उन्होंने सब जानते हुए भी बार्डर नहीं क्रास किया और अब हम दोनों न्यूक्लियर पावर हैं तो इंटरेंशनल कम्युनिटी उन्हें करने भी नहीं देगी। लेकिन सोचो अगर अबकी जैसे हुआ वैसा आगे होगा तो क्या होगा। "
दोनों के पास कोई जवाब नहीं था।
" ये बेबी स्टेप है , एकदम शुरुआत , और ये अप्रोच अगर सक्सेसफुल रहा तो कल वो बार्डर पार कर के हमारे ट्रेनिंग कैम्पस , रिक्रूटमेंट ग्राउंड सब जगह हमला कर सकते हैं। और अगर एक बार ये हो गया तो उसकी पॉलिटिकल कास्ट बहुत होगी , और फिर सारे आपरेशन का बेस खत्म हो जाएगा। "
" हमारे सारे स्लीपर , नेटवर्क क्रैश हो गए हैं अगले चार पांच साल तक कुछ भी करना कम से कम रेस्ट ऑफ इंडिया में बहुत मुश्किल है। " दुखी मन से मेजर ने बोला।
" और अगर ये ट्रिक कश्मीर में कामयाब हो गयी तो , दूसरे जिस तरह से नेपाल और बंगला देश में उन्होंने घुस के हमारे बेस डिस्ट्राय किये हैं , वहां से भी इन्फिल्ट्रेशन मुश्किल है। " लेफ्टिनेंट जनरल बोले और कहा , " इस लिए इसे जड़ से खत्म करना होगा। "
रात बहुत हो चुकी थी। चारो ओर सिर्फ चुप्पी थी ,डर थी और अँधेरा था।
2 comments:
Very Very Intresting Story
jaldi se aage ke part post karo
are bhai ji kahan chale gaye
aage ke part to post karo
Post a Comment