FUN-MAZA-MASTI
सीता --एक गाँव की लड़की--10
अचानक श्याम मेरे शरीर को झकझोर कर जगाते हुए बोले,"ऐ सीता, उतरना नहीं है क्या?"
मैं हड़बड़ाते हुए जैसे नींद से जागी। ऑटो कब की रुक चुकी थी। मैं शर्मा गई और उतरते हुए एक नजर ड्राइवर की तरफ देखी। उसकी नजर मेरी चुची पर गड़ी भद्दी सी मुस्कान दे रहा था। मैं जल्दी से साड़ी ठीक करती उतर के खड़ी हो गई। हालाँकि मेरी साड़ी ठीक ही थी पर देखने वाले तो चंद मिनट में ही नंगी कर देते हैं।
ऑटो में बैठते ही मैं अपनी पुरानी यादों में इतनी खो गई कि मैं कब पहुँच गई मालूम ही नहीं पड़ी। श्याम उसे किराया देने के बाद सामान उठाते हुए अपने फ्लैट की ओर चल दिए। मैं भी उनके पीछे चल दी। गेट के पहुँचते ही मेरी नजर पता नहीं क्यों ऑटो-ड्राइवर की चली गई। वो अभी भी रुका भद्दी मुस्कान देते हुए अपना लंड मसल रहा था। मैं सकपकाती हुई तेजी से कदम बढ़ाती कैम्पस के अंदर चली आई। मन ही मन में उसे गाली भी दे रही थी।
कैम्पस उतनी बड़ी तो नहीं थी पर छोटी भी नहीं थी। जिसके चारों तरफ चारदिवारी थी। कैम्पस के गेट से फ्लैट तक पक्की पगडंडी बनी थी, जबकि दोनों तरफ घास लगी हुई थी। घास के बाद चारदिवारी से सटी चारों तरफ रंग बिरंगी अनेक तरह की फूल लगी थी। कुल मिलाकर कैम्पस काफी अच्छी तरह से सजी थी। मैं मुआयना करती चल रही थी। घर भी हम लोगों के लिए अच्छी खासी थी। 3 मंजिल के घर में मेरी फ्लैट पहली मंजिल पर थी। मैं सीढ़ी चढती अपने रूम तक पहुँच गई। श्याम गेट नॉक किए, कुछ देर बाद गेट खुली।
पूजा देखते ही चहक के हमें गले लगा ली। मैं भी हँसती हुई पूजा को अपनी बाँहों में भर ली। श्याम भी मुस्कुराते हुए अंदर सामान रख फ्रेश होने चले गए। पूजा मुझे खींचते हुए अपने रूम में ले गई और एक जोरदार किस के ख्याल से अपने होंठ मेरे होंठ पर चिपका दी। मैं भी एक भूखी की तरह चूमने लगी। जब काफी देर चुसने के बाद पूजा अलग हुई तो मैं पूछी,"क्या बात है, आजकल तो दिन ब दिन और निखरती जा रही है मेरी पूजा। अंकल का पानी कुछ ज्यादा ही असरदार लग रही है।"
"भाभी,जलो मत। अंकल का पानी जब अपने चूत में लेगी तो आप भी निखर जाओगी।" पूजा हँसती हुई बोली।
"चुप कर कमीनी। आपके भैया घर में ही हैं, कहीं सुन लिए तो खैर नहीं।" मैं डरती हुई धीमे आवाजोँ में बोली।
"ओह सॉरी। आपके आने की खुशी में सब कुछ भूल ही गई थी। अच्छा अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ, मैं नाश्ता तैयार कर रही हूँ। फिर ढेर सारी बातें करेंगे।" पूजा भी सकपका के बोली।
तभी बाथरुम से श्याम निकल अपने रूम में चले गए। मैं भी बाथरुम में फ्रेश होने घुस गई।
फ्रेश होने के बाद हम सब साथ ही नाश्ता किए और कुछ देर आराम करने अपने रूम में चली गई।
शाम में करीब 5 बजे नींद खुली। श्याम भी तब जग चुके थे और शायद बाहर जाने के लिए कपड़े पहन रहे थे। तैयार होने के बाद बोले,"आ रहा हूँ कुछ देर में।" और निकल गए।
मैं भी उठी और मुँह हाथ धो पूजा के रूम की तरफ बढ़ गई। पूजा बैठी पढ़ रही थी। मैं दखल दिए बिना वापस जाने की सोची कि तभी पूजा की नजर मुझ पर पड़ गई। वो देखते ही बोली,"भाभी, आओ ना। मैं पढ़ते-2 थक गई हूँ, तो कुछ देर फ्री होने की सोच रही थी। पर भैया की वजह से जबरदस्ती पढ़ रही थी।"
मैं मुस्कुराते हुए रुक गई। फिर पूजा उठी और बोली,"चलो छत पर चलते हैं।"
मैं हामी भरती हुई पूजा के साथ चल दी। छत पर पहुँचते ही पूजा फोन निकाली और नम्बर डायल करने लगी। मैं बिना कुछ पूछे पूजा की तरफ देख रही थी। तभी उधर से आवाज आई,"हाय मेरी रण्डी, क्या हाल है।"
ये अंकल की आवाज थी जिसे मैं सुनते ही पहचान गई। पूजा मेरी तरफ देख एक आँख दबाती हुई बोली,"मैं तो ठीक हूँ,पर मेरी चूत की हालत कुछ ठीक नहीं है अंकल।"
सच पूजा की रण्डीपाना देख मेरी तो हँसी निकल गई।
पता नहीं क्यों अब मैं भी ऐसी गंदी बातों को काफी मजे से सुन रही थी।
"वो तो होना ही था। आखिर 3 मर्द रात भर तेरी चूत बजाए जो हैं। हा हा हा हा" अंकल कहते हुए हँस पड़े तो साथ में पूजा भी हँसती हुई बोली,"हाँ अगर मैं नहीं जाती तो आप वहीं गाँव में मुखिया बनके बड़े नेता से गांड़ मरवाते रहते।" पूजा की बात सौ फीसदी सच थी तभी तो अंकल भी तुरंत उसकी हाँ में हाँ मिला दिए।
"अच्छा,अभी आप कहाँ है? आपसे मिलने के लिए कोई यहाँ बेसब्री से इंतजार कर रही है।" पूजा बात को सीधे प्वाइँट पर लाती हुई बोली।
पूजा यही बताने के लिए तो फोन की थी। अंकल खुशी से चहकते हुए बोले,"क्या, सीता आ गई है?"
"हाँ..."
"ओह मेरी रानी। ये साला चुनाव सिर पर चढ़ा है सो मूड खराब कर रखा है। अच्छा एक-दो दिन में मैं किसी तरह समय निकाल आ जाऊँगा। अच्छा पूजा, उसकी चूत कब दिलवा रही हो। मैं काफी उतावला हो रहा हूँ।" अंकल एक ही सुर में सवाल जवाब सब कर गए। अंकल की बातें सुन इधर मेरी चूत तो पानी भी छोड़ने लग गई थी।
पूजा हँसते हुए बोली,"मिल जाएगी अंकल, बस एक-दो बार और उसे अपने लंड महसूस करा दो। फिर तो वो खुद ही अपनी चूत खोल देगी आपके लिए.."
पूजा की बात सुन मैं शर्मा सी गई और उसकी पीठ पर एक चपत लगा दी। वैसे पूजा भी सही ही कह रही थी, मैं भी तो अंकल से चुदने के लिए काफी बेसब्र हो गई अब।
"थैंक्स पूजा, समय मिलते ही आ जाऊँगा मैं। अभी रख रहा हूँ, एक मीटिंग में जाना है। बाहर सब इंतजार कर रहे हैं।" अंकल कहते हुए फोन रख दिए। पूजा फोन कटते ही बोली,"शाली, मारती क्यों है।"
"ऐसे क्यों बोल रही थी जो मार खाती है।" मैं मुस्कुराती हुई बोली।
"गलत थोड़े ही कह रही थी जो मारती हो।" पूजा भी कहते हुए हँस दी।
"अच्छा बाबा... छोड़ो ये सब और नीचे चलो। अँधेरा होने वाली है।" मैं बातों को ज्यादा ना बढ़ाते हुए कहने लगी।
पूजा हँसती हुई बिना कुछ नीचे की तरफ चल दी। अचानक वो रुकी और बोली,"भाभी,उस छत पर देखो।"
अब तक हम दोनों जहाँ पर थे, वहाँ से वो छत नहीं दिख रही थी क्योंकि पानी टंकी की दूसरी तरफ थे हम दोनों। मैं उधर नजर दौड़ाई तो देखते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गई।
नई नई शादी शुदा जोड़े खुली छत पर बेफिक्र हो सेक्स करने में मग्न थे। लड़की छत की रेलिँग के सहारे खड़ी पीछे की तरफ सिर की हुई थी और लड़का उसकी नंगी दोनों चुची पकड़ तेज-2 धक्के लगाए जा रहा था। हे भगवान, कितनी बेशर्म हो दोनों चुदाई कर रहे हैं। अगल बगल की छत की तरफ देखी तो कई और भी लोग थे जो उसे मुँह खोले एकटक देखे जा रहे थे। मैं शर्म के मारे पूजा को पकड़ते हुए नीचे की भागी। पूजा हँसते हुए बोली,"अरे भाभी, कर वे दोनों रहे हैं और शर्म आपको लग रही है। ये तो उनका लगभग रोज का काम है।"
मैं हँसती हुई बोली,"चल नीचे, मुझे इतनी बेशर्म नहीं बननी।"
"अरे मेरी लाडो, बेशर्म नहीं बनेगी तो मजे कैसे लेगी? वैसे अंकल से ढंग से चुद गई तो कितनी बड़ी बेशर्म बनेगी, वो तो समय ही बताएगी" पूजा अब साथ चलते हुए बोली। मैं चुपचाप पूजा की बात सुन मुस्कुरा ली और गेट खोलती अंदर आ गई। मेरी चूत काफी देर से पानी छोड़े जा रही थी तो झड़ने के ख्याल से बाथरुम में घुस गई। जब फ्रेश हो निकली तो पूजा चिढाती हुई बोली,"लगता है अब अंकल को जल्द ही बुलाना पड़ेगा। मेरी भाभी की गुफा से कुछ ज्यादा ही नदी बहने लगती है।"
"हाँ हाँ.. जल्द बुला ले वर्ना कहीं तुम नदी में बह नहीं जाओ।"मैं भी तैश में बोल हँस पड़ी। चूँकि अब ज्यादा शर्म करने से कुछ फायदा नहीं थी। पूजा भी मेरी बात जोर से हँस पड़ी।
फिर हम किचन का काम करने लगी और पूजा पढ़ने चली गई। कुछ ही देर में श्याम भी आ गए। फिर रात का खाना खा हम लोग सो गए। रात में श्याम ने जम के चुदाई की, मैं भी कई बार झड़ी। पर अब तो मैं दर्द के साथ चुदाई करने की सोच रखने लगी थी, जो कि भैया ने दिए थे। खैर चुदाई के बाद सपनों की दुनिया में खोती सो गई।
सुबह 5 बजे मेरी नींद खुल गई। पूजा और श्याम अभी भी सो रहे थे। अगर रात में हमें चुदाई की दर्द मिलती तो शायद मेरी भी नींद नहीं खुलती। श्याम को जगाए बिना मैं उठी और बालकनी में ताजी हवा खाने के निकल चली आई। कुछ ही देर बाद एक दूधवाला में साइकिल से आते हुए हमारी मेन गेट के पास आकर रुक गया और गेट पर लगी घंटी दबा दिया। ओह ये तो मेरे ही फ्लैट की घंटी दबा रहा था। मैं चौँकती हुई उसकी तरफ देखी। वो अब अपना सिर हमारी फ्लैट की तरफ उठा देखने लगा। मुझे देखते ही वो बोला,"मेमसाब दूध।"
मैं बिना कुछ बोले हाँ में सिर हिलाती अंदर से बर्तन ली और निकल गई।गेट खोल बर्तन उसकी तरफ बढ़ा दी। उसने दूध डालते हुए बोला,"मेमसाब, अब लगता है मुझे सुबह सुबह ज्यादा चीखने या घंटी दबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
मैं थोड़ी आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगी।
"मेमसाब,आपके वो साहब और वो छोटी बिटिया दोनों कुंभकर्ण के भी बाप हैं। रोज 10 बार चीखता तब जाकर उनकी नींद खुलती थी।" दूधवाला अपनी बातें कहते हुए हँस दिया। मैं भी उसकी बात पर हँस दी।
"लो बेटा, दूध लो।"दूध देते हुए वो अपनी साइकिल पर सवार हो गया और चल दिया।
मैं तो सोच में पड़ गई कि अक्सर सुनती रहती थी कि शहर में बड़े-2 घर की औरतों को दूधवाला अक्सर फँसा लेता है। पर यहाँ तो मेरे साथ कुछ और ही देखने मिल गई। कितने अच्छे स्वभाव का था ये। इन्हीं कुछ अच्छे लोगों की बदौलत तो ये दुनिया टिकी हुई है वर्ना.....।
तभी तेज आवाजोँ में गाना बजाती हुई एक ऑटो आई और ठीक मेरे सामने रुक गई। मैं आश्चर्य से उस ऑटो की तरफ देखी। ओह ये तो वही था जो हमें कल छोड़ने आया था। वो अपनी वही कल वाली हरकत करते हुए अपना लंड मसलते हुए जीभ फेर रहा था। मेरी तो सुबह-2 मूड खराब हो गई। मैं तेजी से गेट बंद की और अपने फ्लैट की तरफ बढ़ गई।
उसके बाद घर में ज्यादा कुछ नहीं हुई। एक अच्छी कामकाजी गृहिणी की तरह सारे काम की। श्याम तैयार हो ड्यूटी पर चले गए और पूजा कॉलेज।
मैं भी फ्रेश हो खाना खाई और आराम करने चली गई। दिन में करीब 2 बजे पूजा आई। आते ही बोली,"भाभी, जल्दी तैयार हो जाओ। बाहर घूमने कहीं चलते हैं।"
"क्या?"
"हाँ, घर में ज्यादा रहेगी तो बोर हो जाएगी। और भैया से मैं पहले ही वादा कर चुकी हूँ कि भाभी को रोज बाहर घुमाने ले जाऊंगी।" पूजा फ्रेश होने बाथरुम में घुसती हुई बोली। मैं उसकी और श्याम के बीच हुई वादे सुन हँस पड़ी।
"अच्छा बाबा। पहले नाश्ता तो कर लो।" मैं भी अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए बोली।
पूजा OK कहती हुई निकली और नाश्ता निकाल करने लगी। मैं भी कुछ ही देर में एक अच्छी सी साड़ी पहन तैयार हो गई थी। पूजा भी काले रंग की जींस और सफेद रंग की टीशर्ट पहनी थी जो पूजा पर काफी अच्छी लग रही थी।
फ्लैट लॉक की और हम दोनों बाहर निकल गई। हम लोग मेन रोड से तकरीबन 1 किमी अंदर रहते थे तो इधर कोई सवारी इक्का-दुक्का ही आती थी। हम दोनों पैदल ही बातें करती मेन रोड की तरफ बढ़ने लगी।
तभी मेन रोड की तरफ से एक ऑटो आई और हम दोनों के ठीक सामने रुक गई।
"मैडम, स्टेशन चलना है क्या?"
ओह गॉड, ये तो यही ड्राइवर था सुबह वाला। पता नहीं कहाँ से बार-2 आ टपकता है साला। तब तक पूजा जवाब देती हुई बोली,"नहीं,बोरिँग रोड चलोगे क्या?"
"ठीक है मैडम, बैठिए।" कहते हुए उसने ऑटो हम दोनों के काफी करीब ला खड़ी कर दी। पूजा बढ़ते हुए चढ़ गई, मैं तो चढना नहीं चाहती थी पर क्या करती। मन ही मन गाली देती मैं भी चढ़ गई।
तभी मेरी नजर ऑटो के दोनों साइड मिरर पर पड़ी। ओह गॉड, एक मिरर मेरी चुची की तरफ थी जबकि दूसरी पूजा की चुची पर टिकी थी। मेरी तो खून खौल गई। दो टके की ड्राइवर की इतनी हिम्मत। किसी तरह खुद पर काबू करते हुए एक शरीफ लड़की की तरह अपनी नजरें दूसरी तरफ कर ली। क्यों बेवजह इस कमीने के मुँह लग खुद को नीच साबित करती।
कोई 20 मिनट बाद पूजा एक लेडिज ब्यूटी पॉर्लर के पास रोकने बोली। ऑटो रुकते ही मैं तेजी से नीचे उतर गई। पूजा भी उतरते हुए उसे पैसे दी और मुस्कुराते हुए बोली,"भाभी, ये सब तो यहाँ सब के साथ होती है। आप भी आदत डाल लो और मजे करो। कौन सा वो हमें चोद रहा था,बस चुची ही तो देख रहा था।"
मैं तो पूजा की बात सुनते ही शॉक हो गई। इतनी बेहूदा हरकतों को बस नॉर्मल कह रही थी। खैर मैं सिर हिलाती पूजा के साथ चल दी।
"भाभी,ये यहाँ की सबसे अच्छी पॉर्लर है। बड़ी-2 घर की लेडिज यहाँ ही आती है। कॉलेज की एक दोस्त इसके बारे में बताई थी।"पूजा कहती हुई सीढ़ी चढती हुई ऊपर चलने लगी। पूजा की बातों सुनते हुए मैं भी बढ़ रही थी। दिखने में तो काफी अच्छी लग रही थी।
कुछ ही देर में हम दोनों ब्यूटी पॉर्लर के अंदर थी। बेहद ही आधुनिक और उम्दा वर्ग की पॉर्लर लग रही थी। अंदर 4 औरतें थी जिसमें 2 तो काम कर रही थी और 2 गप्पे लड़ा रही थी। हम दोनों पर नजर पड़ते ही उनमें से एक उठी और बोली,"आइये मैडम, इधर आ जाइये।" हम दोनों की नजर उस तरफ गई जहाँ दो कुर्सी लगी थी जो कि काफी High classes Chair थी। पूजा के साथ मैं भी कुर्सी पर बैठ गई।
"कहिए मैडम?" पूजा के पास एक लेडिज खड़ी होती पूछी।
"मैम, बाल एडजस्ट कर कट कर दीजिए,फिर Face wash।" पूजा कुर्सी पर पीछे की तरफ लेटती हुई बोली।
"और हाँ, भाभी की सिर्फ Face....। बाल तो इनके काफी अच्छे ही हैं।"पूजा मेरी तरफ खड़ी लेडिज को बताती हुई बोली। पूजा की बात सुनते ही दोनों लेडिज अपने अपने काम में व्यस्त हो गई।अगले कुछ ही देर में बगल वाली दोनों लेडिज अपना काम करवा चुकी थी। वे दोनों बिल पे करती हुई निकल गई। उनके साथ दो वर्कर भी निकल गई शायद कुछ होगी। अब सिर्फ हम दोनों थी पॉर्लर में।
"नई-2 आई हैं क्या पटना में?" पूजा के बाल कट करती हुई वो लेडिज पूछी।
"जी हाँ, मैं तो पिछले महीने ही आई थी पर ये मेरी भाभी कल आई हैं।" पूजा उनकी बातों का जवाब देते हुए बोली।
"ओह, गुड! यहाँ कहाँ रहती है आप लोग"
"मैम,हम लोग आशियाना में रहते हैं। मेरे भैया यहाँ रेलवे में जॉब करते हैं।"
"Good... आप क्या करती हैं मिस....।"
"पूजा! और ये मेरी भाभी सीता। मैं यहाँ पढ़ने आई हूँ। वो वीमेँस कॉलेज में भूगोल से B.A. कर रही हूँ।" पूजा लेटी-2 मेरी तरफ इशारा करती हुई बोली। मैं भी उसकी बात सुन एक नजर पूजा की तरफ दौड़ाई,फिर सीधी कर ली।
"काफी अच्छे नाम हैं आप दोनों के। मैं कोमल वर्मा हूँ, यहाँ आने वाली हर लेडिज मुझे कोमल दीदी कहकर बुलाती हैं। साथ में इस पॉर्लर की मालकिन भी हूँ। और ये मेरी कॉलेज दोस्त हैं जो कि मेरे काम में सहायता करने आती हैं।" अपना परिचय देते हुए वो लेडिज बोली।
मालकिन सुनते ही मेरी नजर एक बार फिर मुड़ गई। कोई 40 साल की एक भरी हुई शरीर की भी मालकिन थी। थोड़ी मोटी जरूर थी पर उतनी भी नहीं कि कोई उन्हें मोटी कह दे। रंग रूप में भी कोई कमी नहीं थी। उनके बाल कंधे तक ही आती थी। चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी। और उनके एक हाथों में कलाई तक चूड़ी भरी हुई थी जबकि दूसरी में सिर्फ एक पतली सी कंगन थी। पहनावा भी काफी High थी।
"थैंक्स कोमल दीदी, आपसे मिल के हमें काफी खुशी हुई।"तभी पूजा कोमल दीदी की तरफ हाथ बढ़ा दी। कोमल दीदी भी मुस्कुरा के हाथ मिलाई।
तभी कोमल दीदी मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली,"अरे आप भी पहली बार ही मेरी पॉर्लर में आई हैं तो कम से कम दोस्ती तो कर लीजिए।"
मैं भी हँसती हुई हाथ मिलाई और थैंक्स बोली। तब तक बाल एडजस्ट कर कट कर चुकी थी और Face पे अलग-2 क्रीम लगाने लगी।
"अच्छा पूजा, अगर बुरा नहीं मानोगी तो एक बात पुछूँ" कोमल दीदी बात करते हुए अपने हाथ से क्रीम रगड़ने लगी। पूजा उनकी बात सुन हँसती हुई बोली,"अब दोस्ती कर ही लिए हैं तो बोलने में क्यों झिझकते हैं।"
"ओके पूजा! महीने में कितना कमा लेती हो।"
कोमल दीदी की बात सुन हम दोनों एक साथ चौँक गई।पूजा कोई जॉब तो करती नहीं फिर कैसे..?
"अरे दीदी,बताई तो थी कि मैं स्टूडेँट हूँ और अलग से कोई पॉर्ट टाइम जॉब करती भी नहीं हूँ।"पूजा जवाब देते हुए बोली।
कोमल दीदी बोली,"मैं 20 वर्षों से पॉर्लर चलाती हूँ। तो रोज ही मेरी मुलाकात अलग-2 लेडिज और लड़की से होती है। ऐसे में हर लेडिज चाहे वो जॉब करने वाली हो या कॉलेज जाने वाली लड़की,उसकी Figure देखते ही मालूम पड़ जाती है कि कौन कैसी है?"
हम दोनों ही ध्यान से कोमल दीदी की बात सुन रहे थे। कोमल दीदी आगे बोली,"और अब तो इतनी अनुभव हो ही गई है कि कौन सी लेडिज सिर्फ एक से सेक्स करती है या फिर अनेक से,बता ही सकती हूँ। तुम्हारी शरीर तो साफ-2 बता रही है कि इसके कई लोग मजे ले चुके हैं।" कहते हुए कोमल दीदी हँस दी। अब तक मेरे चेहरे से क्रीम साफ कर दी थी।मैं कभी पूजा की तरफ तो कभी कोमल दीदी की तरफ हैरानी भरी नजरों से देखी जा रही थी। पूजा के तो A.C. चलने के बावजूद पसीने निकल रहे थे। उसकी मुँह खुली की खुली रह गई इतनी बड़ी बात कोमल दीदी सिर्फ देख के ही कैसे बता दी।
"आप लोग टेँशन मत लीजिए। ये सब बातें यहाँ Secret रहती है। अब दोस्त जब बनी हैं तो हर एक अच्छी-बुरी बातें तो कर ही सकते हैं ना।"तभी कोमल दीदी की वर्कर दोस्त मेरे कंधे को दबाती हुई बोली जिसे कोमल दीदी भी हाँ करते हुए दिलाशा दी। आगे कोमल दीदी बिना कुछ कहे अपने काम में लगी रही,शायद वो पूजा के जवाब की इंतजार कर रही थी। पूरे रूम में जहाँ कुछ क्षण पहले पूजा चहक-2 के कोमल दीदी से बातें कर रही थी,वहीं अब उसकी तो हालत किसी गूंगी से भी बदतर हो गई थी। इधर मैं भी एक बूत बनी सिर्फ मन में कोमल दीदी के कहे हर शब्द अनेक सवाल पैदा कर रही थी। कुछ ही देर में मैं और पूजा को काम खत्म होने की जानकारी कोमल दीदी ने दी। कोमल दीदी बिल मेरी तरफ बढ़ा दी,जिसे मैं अदा की और जल्द यहाँ से निकलने की सोची ताकि हमें या पूजा को उनकी और कोई बातें सुननी नहीं पड़े। पूजा तब तक पॉर्लर से बाहर निकल गेट के पास रुक मेरा इंतजार करने लगी। मैं उसके पीछे चलती जैसे ही गेट के पास पहुँची कि कोमल दीदी पीछे से आवाज दी,"सीता...."
मेरे कदम ज्यों के त्यों रुक गए। दिल की धड़कन काफी तेज हो गई कि पता नहीं अब ये मेरे बारे में क्या विस्फोट करने वाली है। कहीं.....?
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सीता --एक गाँव की लड़की--10
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मैं हड़बड़ाते हुए जैसे नींद से जागी। ऑटो कब की रुक चुकी थी। मैं शर्मा गई और उतरते हुए एक नजर ड्राइवर की तरफ देखी। उसकी नजर मेरी चुची पर गड़ी भद्दी सी मुस्कान दे रहा था। मैं जल्दी से साड़ी ठीक करती उतर के खड़ी हो गई। हालाँकि मेरी साड़ी ठीक ही थी पर देखने वाले तो चंद मिनट में ही नंगी कर देते हैं।
ऑटो में बैठते ही मैं अपनी पुरानी यादों में इतनी खो गई कि मैं कब पहुँच गई मालूम ही नहीं पड़ी। श्याम उसे किराया देने के बाद सामान उठाते हुए अपने फ्लैट की ओर चल दिए। मैं भी उनके पीछे चल दी। गेट के पहुँचते ही मेरी नजर पता नहीं क्यों ऑटो-ड्राइवर की चली गई। वो अभी भी रुका भद्दी मुस्कान देते हुए अपना लंड मसल रहा था। मैं सकपकाती हुई तेजी से कदम बढ़ाती कैम्पस के अंदर चली आई। मन ही मन में उसे गाली भी दे रही थी।
कैम्पस उतनी बड़ी तो नहीं थी पर छोटी भी नहीं थी। जिसके चारों तरफ चारदिवारी थी। कैम्पस के गेट से फ्लैट तक पक्की पगडंडी बनी थी, जबकि दोनों तरफ घास लगी हुई थी। घास के बाद चारदिवारी से सटी चारों तरफ रंग बिरंगी अनेक तरह की फूल लगी थी। कुल मिलाकर कैम्पस काफी अच्छी तरह से सजी थी। मैं मुआयना करती चल रही थी। घर भी हम लोगों के लिए अच्छी खासी थी। 3 मंजिल के घर में मेरी फ्लैट पहली मंजिल पर थी। मैं सीढ़ी चढती अपने रूम तक पहुँच गई। श्याम गेट नॉक किए, कुछ देर बाद गेट खुली।
पूजा देखते ही चहक के हमें गले लगा ली। मैं भी हँसती हुई पूजा को अपनी बाँहों में भर ली। श्याम भी मुस्कुराते हुए अंदर सामान रख फ्रेश होने चले गए। पूजा मुझे खींचते हुए अपने रूम में ले गई और एक जोरदार किस के ख्याल से अपने होंठ मेरे होंठ पर चिपका दी। मैं भी एक भूखी की तरह चूमने लगी। जब काफी देर चुसने के बाद पूजा अलग हुई तो मैं पूछी,"क्या बात है, आजकल तो दिन ब दिन और निखरती जा रही है मेरी पूजा। अंकल का पानी कुछ ज्यादा ही असरदार लग रही है।"
"भाभी,जलो मत। अंकल का पानी जब अपने चूत में लेगी तो आप भी निखर जाओगी।" पूजा हँसती हुई बोली।
"चुप कर कमीनी। आपके भैया घर में ही हैं, कहीं सुन लिए तो खैर नहीं।" मैं डरती हुई धीमे आवाजोँ में बोली।
"ओह सॉरी। आपके आने की खुशी में सब कुछ भूल ही गई थी। अच्छा अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ, मैं नाश्ता तैयार कर रही हूँ। फिर ढेर सारी बातें करेंगे।" पूजा भी सकपका के बोली।
तभी बाथरुम से श्याम निकल अपने रूम में चले गए। मैं भी बाथरुम में फ्रेश होने घुस गई।
फ्रेश होने के बाद हम सब साथ ही नाश्ता किए और कुछ देर आराम करने अपने रूम में चली गई।
शाम में करीब 5 बजे नींद खुली। श्याम भी तब जग चुके थे और शायद बाहर जाने के लिए कपड़े पहन रहे थे। तैयार होने के बाद बोले,"आ रहा हूँ कुछ देर में।" और निकल गए।
मैं भी उठी और मुँह हाथ धो पूजा के रूम की तरफ बढ़ गई। पूजा बैठी पढ़ रही थी। मैं दखल दिए बिना वापस जाने की सोची कि तभी पूजा की नजर मुझ पर पड़ गई। वो देखते ही बोली,"भाभी, आओ ना। मैं पढ़ते-2 थक गई हूँ, तो कुछ देर फ्री होने की सोच रही थी। पर भैया की वजह से जबरदस्ती पढ़ रही थी।"
मैं मुस्कुराते हुए रुक गई। फिर पूजा उठी और बोली,"चलो छत पर चलते हैं।"
मैं हामी भरती हुई पूजा के साथ चल दी। छत पर पहुँचते ही पूजा फोन निकाली और नम्बर डायल करने लगी। मैं बिना कुछ पूछे पूजा की तरफ देख रही थी। तभी उधर से आवाज आई,"हाय मेरी रण्डी, क्या हाल है।"
ये अंकल की आवाज थी जिसे मैं सुनते ही पहचान गई। पूजा मेरी तरफ देख एक आँख दबाती हुई बोली,"मैं तो ठीक हूँ,पर मेरी चूत की हालत कुछ ठीक नहीं है अंकल।"
सच पूजा की रण्डीपाना देख मेरी तो हँसी निकल गई।
पता नहीं क्यों अब मैं भी ऐसी गंदी बातों को काफी मजे से सुन रही थी।
"वो तो होना ही था। आखिर 3 मर्द रात भर तेरी चूत बजाए जो हैं। हा हा हा हा" अंकल कहते हुए हँस पड़े तो साथ में पूजा भी हँसती हुई बोली,"हाँ अगर मैं नहीं जाती तो आप वहीं गाँव में मुखिया बनके बड़े नेता से गांड़ मरवाते रहते।" पूजा की बात सौ फीसदी सच थी तभी तो अंकल भी तुरंत उसकी हाँ में हाँ मिला दिए।
"अच्छा,अभी आप कहाँ है? आपसे मिलने के लिए कोई यहाँ बेसब्री से इंतजार कर रही है।" पूजा बात को सीधे प्वाइँट पर लाती हुई बोली।
पूजा यही बताने के लिए तो फोन की थी। अंकल खुशी से चहकते हुए बोले,"क्या, सीता आ गई है?"
"हाँ..."
"ओह मेरी रानी। ये साला चुनाव सिर पर चढ़ा है सो मूड खराब कर रखा है। अच्छा एक-दो दिन में मैं किसी तरह समय निकाल आ जाऊँगा। अच्छा पूजा, उसकी चूत कब दिलवा रही हो। मैं काफी उतावला हो रहा हूँ।" अंकल एक ही सुर में सवाल जवाब सब कर गए। अंकल की बातें सुन इधर मेरी चूत तो पानी भी छोड़ने लग गई थी।
पूजा हँसते हुए बोली,"मिल जाएगी अंकल, बस एक-दो बार और उसे अपने लंड महसूस करा दो। फिर तो वो खुद ही अपनी चूत खोल देगी आपके लिए.."
पूजा की बात सुन मैं शर्मा सी गई और उसकी पीठ पर एक चपत लगा दी। वैसे पूजा भी सही ही कह रही थी, मैं भी तो अंकल से चुदने के लिए काफी बेसब्र हो गई अब।
"थैंक्स पूजा, समय मिलते ही आ जाऊँगा मैं। अभी रख रहा हूँ, एक मीटिंग में जाना है। बाहर सब इंतजार कर रहे हैं।" अंकल कहते हुए फोन रख दिए। पूजा फोन कटते ही बोली,"शाली, मारती क्यों है।"
"ऐसे क्यों बोल रही थी जो मार खाती है।" मैं मुस्कुराती हुई बोली।
"गलत थोड़े ही कह रही थी जो मारती हो।" पूजा भी कहते हुए हँस दी।
"अच्छा बाबा... छोड़ो ये सब और नीचे चलो। अँधेरा होने वाली है।" मैं बातों को ज्यादा ना बढ़ाते हुए कहने लगी।
पूजा हँसती हुई बिना कुछ नीचे की तरफ चल दी। अचानक वो रुकी और बोली,"भाभी,उस छत पर देखो।"
अब तक हम दोनों जहाँ पर थे, वहाँ से वो छत नहीं दिख रही थी क्योंकि पानी टंकी की दूसरी तरफ थे हम दोनों। मैं उधर नजर दौड़ाई तो देखते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गई।
नई नई शादी शुदा जोड़े खुली छत पर बेफिक्र हो सेक्स करने में मग्न थे। लड़की छत की रेलिँग के सहारे खड़ी पीछे की तरफ सिर की हुई थी और लड़का उसकी नंगी दोनों चुची पकड़ तेज-2 धक्के लगाए जा रहा था। हे भगवान, कितनी बेशर्म हो दोनों चुदाई कर रहे हैं। अगल बगल की छत की तरफ देखी तो कई और भी लोग थे जो उसे मुँह खोले एकटक देखे जा रहे थे। मैं शर्म के मारे पूजा को पकड़ते हुए नीचे की भागी। पूजा हँसते हुए बोली,"अरे भाभी, कर वे दोनों रहे हैं और शर्म आपको लग रही है। ये तो उनका लगभग रोज का काम है।"
मैं हँसती हुई बोली,"चल नीचे, मुझे इतनी बेशर्म नहीं बननी।"
"अरे मेरी लाडो, बेशर्म नहीं बनेगी तो मजे कैसे लेगी? वैसे अंकल से ढंग से चुद गई तो कितनी बड़ी बेशर्म बनेगी, वो तो समय ही बताएगी" पूजा अब साथ चलते हुए बोली। मैं चुपचाप पूजा की बात सुन मुस्कुरा ली और गेट खोलती अंदर आ गई। मेरी चूत काफी देर से पानी छोड़े जा रही थी तो झड़ने के ख्याल से बाथरुम में घुस गई। जब फ्रेश हो निकली तो पूजा चिढाती हुई बोली,"लगता है अब अंकल को जल्द ही बुलाना पड़ेगा। मेरी भाभी की गुफा से कुछ ज्यादा ही नदी बहने लगती है।"
"हाँ हाँ.. जल्द बुला ले वर्ना कहीं तुम नदी में बह नहीं जाओ।"मैं भी तैश में बोल हँस पड़ी। चूँकि अब ज्यादा शर्म करने से कुछ फायदा नहीं थी। पूजा भी मेरी बात जोर से हँस पड़ी।
फिर हम किचन का काम करने लगी और पूजा पढ़ने चली गई। कुछ ही देर में श्याम भी आ गए। फिर रात का खाना खा हम लोग सो गए। रात में श्याम ने जम के चुदाई की, मैं भी कई बार झड़ी। पर अब तो मैं दर्द के साथ चुदाई करने की सोच रखने लगी थी, जो कि भैया ने दिए थे। खैर चुदाई के बाद सपनों की दुनिया में खोती सो गई।
सुबह 5 बजे मेरी नींद खुल गई। पूजा और श्याम अभी भी सो रहे थे। अगर रात में हमें चुदाई की दर्द मिलती तो शायद मेरी भी नींद नहीं खुलती। श्याम को जगाए बिना मैं उठी और बालकनी में ताजी हवा खाने के निकल चली आई। कुछ ही देर बाद एक दूधवाला में साइकिल से आते हुए हमारी मेन गेट के पास आकर रुक गया और गेट पर लगी घंटी दबा दिया। ओह ये तो मेरे ही फ्लैट की घंटी दबा रहा था। मैं चौँकती हुई उसकी तरफ देखी। वो अब अपना सिर हमारी फ्लैट की तरफ उठा देखने लगा। मुझे देखते ही वो बोला,"मेमसाब दूध।"
मैं बिना कुछ बोले हाँ में सिर हिलाती अंदर से बर्तन ली और निकल गई।गेट खोल बर्तन उसकी तरफ बढ़ा दी। उसने दूध डालते हुए बोला,"मेमसाब, अब लगता है मुझे सुबह सुबह ज्यादा चीखने या घंटी दबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
मैं थोड़ी आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगी।
"मेमसाब,आपके वो साहब और वो छोटी बिटिया दोनों कुंभकर्ण के भी बाप हैं। रोज 10 बार चीखता तब जाकर उनकी नींद खुलती थी।" दूधवाला अपनी बातें कहते हुए हँस दिया। मैं भी उसकी बात पर हँस दी।
"लो बेटा, दूध लो।"दूध देते हुए वो अपनी साइकिल पर सवार हो गया और चल दिया।
मैं तो सोच में पड़ गई कि अक्सर सुनती रहती थी कि शहर में बड़े-2 घर की औरतों को दूधवाला अक्सर फँसा लेता है। पर यहाँ तो मेरे साथ कुछ और ही देखने मिल गई। कितने अच्छे स्वभाव का था ये। इन्हीं कुछ अच्छे लोगों की बदौलत तो ये दुनिया टिकी हुई है वर्ना.....।
तभी तेज आवाजोँ में गाना बजाती हुई एक ऑटो आई और ठीक मेरे सामने रुक गई। मैं आश्चर्य से उस ऑटो की तरफ देखी। ओह ये तो वही था जो हमें कल छोड़ने आया था। वो अपनी वही कल वाली हरकत करते हुए अपना लंड मसलते हुए जीभ फेर रहा था। मेरी तो सुबह-2 मूड खराब हो गई। मैं तेजी से गेट बंद की और अपने फ्लैट की तरफ बढ़ गई।
उसके बाद घर में ज्यादा कुछ नहीं हुई। एक अच्छी कामकाजी गृहिणी की तरह सारे काम की। श्याम तैयार हो ड्यूटी पर चले गए और पूजा कॉलेज।
मैं भी फ्रेश हो खाना खाई और आराम करने चली गई। दिन में करीब 2 बजे पूजा आई। आते ही बोली,"भाभी, जल्दी तैयार हो जाओ। बाहर घूमने कहीं चलते हैं।"
"क्या?"
"हाँ, घर में ज्यादा रहेगी तो बोर हो जाएगी। और भैया से मैं पहले ही वादा कर चुकी हूँ कि भाभी को रोज बाहर घुमाने ले जाऊंगी।" पूजा फ्रेश होने बाथरुम में घुसती हुई बोली। मैं उसकी और श्याम के बीच हुई वादे सुन हँस पड़ी।
"अच्छा बाबा। पहले नाश्ता तो कर लो।" मैं भी अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए बोली।
पूजा OK कहती हुई निकली और नाश्ता निकाल करने लगी। मैं भी कुछ ही देर में एक अच्छी सी साड़ी पहन तैयार हो गई थी। पूजा भी काले रंग की जींस और सफेद रंग की टीशर्ट पहनी थी जो पूजा पर काफी अच्छी लग रही थी।
फ्लैट लॉक की और हम दोनों बाहर निकल गई। हम लोग मेन रोड से तकरीबन 1 किमी अंदर रहते थे तो इधर कोई सवारी इक्का-दुक्का ही आती थी। हम दोनों पैदल ही बातें करती मेन रोड की तरफ बढ़ने लगी।
तभी मेन रोड की तरफ से एक ऑटो आई और हम दोनों के ठीक सामने रुक गई।
"मैडम, स्टेशन चलना है क्या?"
ओह गॉड, ये तो यही ड्राइवर था सुबह वाला। पता नहीं कहाँ से बार-2 आ टपकता है साला। तब तक पूजा जवाब देती हुई बोली,"नहीं,बोरिँग रोड चलोगे क्या?"
"ठीक है मैडम, बैठिए।" कहते हुए उसने ऑटो हम दोनों के काफी करीब ला खड़ी कर दी। पूजा बढ़ते हुए चढ़ गई, मैं तो चढना नहीं चाहती थी पर क्या करती। मन ही मन गाली देती मैं भी चढ़ गई।
तभी मेरी नजर ऑटो के दोनों साइड मिरर पर पड़ी। ओह गॉड, एक मिरर मेरी चुची की तरफ थी जबकि दूसरी पूजा की चुची पर टिकी थी। मेरी तो खून खौल गई। दो टके की ड्राइवर की इतनी हिम्मत। किसी तरह खुद पर काबू करते हुए एक शरीफ लड़की की तरह अपनी नजरें दूसरी तरफ कर ली। क्यों बेवजह इस कमीने के मुँह लग खुद को नीच साबित करती।
कोई 20 मिनट बाद पूजा एक लेडिज ब्यूटी पॉर्लर के पास रोकने बोली। ऑटो रुकते ही मैं तेजी से नीचे उतर गई। पूजा भी उतरते हुए उसे पैसे दी और मुस्कुराते हुए बोली,"भाभी, ये सब तो यहाँ सब के साथ होती है। आप भी आदत डाल लो और मजे करो। कौन सा वो हमें चोद रहा था,बस चुची ही तो देख रहा था।"
मैं तो पूजा की बात सुनते ही शॉक हो गई। इतनी बेहूदा हरकतों को बस नॉर्मल कह रही थी। खैर मैं सिर हिलाती पूजा के साथ चल दी।
"भाभी,ये यहाँ की सबसे अच्छी पॉर्लर है। बड़ी-2 घर की लेडिज यहाँ ही आती है। कॉलेज की एक दोस्त इसके बारे में बताई थी।"पूजा कहती हुई सीढ़ी चढती हुई ऊपर चलने लगी। पूजा की बातों सुनते हुए मैं भी बढ़ रही थी। दिखने में तो काफी अच्छी लग रही थी।
कुछ ही देर में हम दोनों ब्यूटी पॉर्लर के अंदर थी। बेहद ही आधुनिक और उम्दा वर्ग की पॉर्लर लग रही थी। अंदर 4 औरतें थी जिसमें 2 तो काम कर रही थी और 2 गप्पे लड़ा रही थी। हम दोनों पर नजर पड़ते ही उनमें से एक उठी और बोली,"आइये मैडम, इधर आ जाइये।" हम दोनों की नजर उस तरफ गई जहाँ दो कुर्सी लगी थी जो कि काफी High classes Chair थी। पूजा के साथ मैं भी कुर्सी पर बैठ गई।
"कहिए मैडम?" पूजा के पास एक लेडिज खड़ी होती पूछी।
"मैम, बाल एडजस्ट कर कट कर दीजिए,फिर Face wash।" पूजा कुर्सी पर पीछे की तरफ लेटती हुई बोली।
"और हाँ, भाभी की सिर्फ Face....। बाल तो इनके काफी अच्छे ही हैं।"पूजा मेरी तरफ खड़ी लेडिज को बताती हुई बोली। पूजा की बात सुनते ही दोनों लेडिज अपने अपने काम में व्यस्त हो गई।अगले कुछ ही देर में बगल वाली दोनों लेडिज अपना काम करवा चुकी थी। वे दोनों बिल पे करती हुई निकल गई। उनके साथ दो वर्कर भी निकल गई शायद कुछ होगी। अब सिर्फ हम दोनों थी पॉर्लर में।
"नई-2 आई हैं क्या पटना में?" पूजा के बाल कट करती हुई वो लेडिज पूछी।
"जी हाँ, मैं तो पिछले महीने ही आई थी पर ये मेरी भाभी कल आई हैं।" पूजा उनकी बातों का जवाब देते हुए बोली।
"ओह, गुड! यहाँ कहाँ रहती है आप लोग"
"मैम,हम लोग आशियाना में रहते हैं। मेरे भैया यहाँ रेलवे में जॉब करते हैं।"
"Good... आप क्या करती हैं मिस....।"
"पूजा! और ये मेरी भाभी सीता। मैं यहाँ पढ़ने आई हूँ। वो वीमेँस कॉलेज में भूगोल से B.A. कर रही हूँ।" पूजा लेटी-2 मेरी तरफ इशारा करती हुई बोली। मैं भी उसकी बात सुन एक नजर पूजा की तरफ दौड़ाई,फिर सीधी कर ली।
"काफी अच्छे नाम हैं आप दोनों के। मैं कोमल वर्मा हूँ, यहाँ आने वाली हर लेडिज मुझे कोमल दीदी कहकर बुलाती हैं। साथ में इस पॉर्लर की मालकिन भी हूँ। और ये मेरी कॉलेज दोस्त हैं जो कि मेरे काम में सहायता करने आती हैं।" अपना परिचय देते हुए वो लेडिज बोली।
मालकिन सुनते ही मेरी नजर एक बार फिर मुड़ गई। कोई 40 साल की एक भरी हुई शरीर की भी मालकिन थी। थोड़ी मोटी जरूर थी पर उतनी भी नहीं कि कोई उन्हें मोटी कह दे। रंग रूप में भी कोई कमी नहीं थी। उनके बाल कंधे तक ही आती थी। चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी। और उनके एक हाथों में कलाई तक चूड़ी भरी हुई थी जबकि दूसरी में सिर्फ एक पतली सी कंगन थी। पहनावा भी काफी High थी।
"थैंक्स कोमल दीदी, आपसे मिल के हमें काफी खुशी हुई।"तभी पूजा कोमल दीदी की तरफ हाथ बढ़ा दी। कोमल दीदी भी मुस्कुरा के हाथ मिलाई।
तभी कोमल दीदी मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली,"अरे आप भी पहली बार ही मेरी पॉर्लर में आई हैं तो कम से कम दोस्ती तो कर लीजिए।"
मैं भी हँसती हुई हाथ मिलाई और थैंक्स बोली। तब तक बाल एडजस्ट कर कट कर चुकी थी और Face पे अलग-2 क्रीम लगाने लगी।
"अच्छा पूजा, अगर बुरा नहीं मानोगी तो एक बात पुछूँ" कोमल दीदी बात करते हुए अपने हाथ से क्रीम रगड़ने लगी। पूजा उनकी बात सुन हँसती हुई बोली,"अब दोस्ती कर ही लिए हैं तो बोलने में क्यों झिझकते हैं।"
"ओके पूजा! महीने में कितना कमा लेती हो।"
कोमल दीदी की बात सुन हम दोनों एक साथ चौँक गई।पूजा कोई जॉब तो करती नहीं फिर कैसे..?
"अरे दीदी,बताई तो थी कि मैं स्टूडेँट हूँ और अलग से कोई पॉर्ट टाइम जॉब करती भी नहीं हूँ।"पूजा जवाब देते हुए बोली।
कोमल दीदी बोली,"मैं 20 वर्षों से पॉर्लर चलाती हूँ। तो रोज ही मेरी मुलाकात अलग-2 लेडिज और लड़की से होती है। ऐसे में हर लेडिज चाहे वो जॉब करने वाली हो या कॉलेज जाने वाली लड़की,उसकी Figure देखते ही मालूम पड़ जाती है कि कौन कैसी है?"
हम दोनों ही ध्यान से कोमल दीदी की बात सुन रहे थे। कोमल दीदी आगे बोली,"और अब तो इतनी अनुभव हो ही गई है कि कौन सी लेडिज सिर्फ एक से सेक्स करती है या फिर अनेक से,बता ही सकती हूँ। तुम्हारी शरीर तो साफ-2 बता रही है कि इसके कई लोग मजे ले चुके हैं।" कहते हुए कोमल दीदी हँस दी। अब तक मेरे चेहरे से क्रीम साफ कर दी थी।मैं कभी पूजा की तरफ तो कभी कोमल दीदी की तरफ हैरानी भरी नजरों से देखी जा रही थी। पूजा के तो A.C. चलने के बावजूद पसीने निकल रहे थे। उसकी मुँह खुली की खुली रह गई इतनी बड़ी बात कोमल दीदी सिर्फ देख के ही कैसे बता दी।
"आप लोग टेँशन मत लीजिए। ये सब बातें यहाँ Secret रहती है। अब दोस्त जब बनी हैं तो हर एक अच्छी-बुरी बातें तो कर ही सकते हैं ना।"तभी कोमल दीदी की वर्कर दोस्त मेरे कंधे को दबाती हुई बोली जिसे कोमल दीदी भी हाँ करते हुए दिलाशा दी। आगे कोमल दीदी बिना कुछ कहे अपने काम में लगी रही,शायद वो पूजा के जवाब की इंतजार कर रही थी। पूरे रूम में जहाँ कुछ क्षण पहले पूजा चहक-2 के कोमल दीदी से बातें कर रही थी,वहीं अब उसकी तो हालत किसी गूंगी से भी बदतर हो गई थी। इधर मैं भी एक बूत बनी सिर्फ मन में कोमल दीदी के कहे हर शब्द अनेक सवाल पैदा कर रही थी। कुछ ही देर में मैं और पूजा को काम खत्म होने की जानकारी कोमल दीदी ने दी। कोमल दीदी बिल मेरी तरफ बढ़ा दी,जिसे मैं अदा की और जल्द यहाँ से निकलने की सोची ताकि हमें या पूजा को उनकी और कोई बातें सुननी नहीं पड़े। पूजा तब तक पॉर्लर से बाहर निकल गेट के पास रुक मेरा इंतजार करने लगी। मैं उसके पीछे चलती जैसे ही गेट के पास पहुँची कि कोमल दीदी पीछे से आवाज दी,"सीता...."
मेरे कदम ज्यों के त्यों रुक गए। दिल की धड़कन काफी तेज हो गई कि पता नहीं अब ये मेरे बारे में क्या विस्फोट करने वाली है। कहीं.....?
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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