FUN-MAZA-MASTI
मेरी हेमा मालिनी-1
हम गुजरात के एक गाँव में रहते थे, मेरे महोल्ले के मेरे से ४-५ साल बड़े लडको के साथ खेलता घूमता था और उन लोगो से सेक्स की बाते सुन सुन कर बड़ा उतेजित हो जाता था . वो समय पर " DEFENCE" नाम की ब्लू फिल्म का बहोत चर्चा होता था और मुझे वो देखने की बहोत इच्छा होने लगी लेकिन वो देखने का कोई उपाय नहीं था, क्योकि जिसने भी वोह देखि थी वोह विडियो थिअटर में देखि थी और मेरी उम्र के कारन मेरा वह जाना बिलकुल नामुमकिन था एक बार सन्डे को विडियो थिअटर से गुजरते वक़्त देखा तो डिफेन्स फिल्म का बोर्ड लगा हुआ था, मैंने डरते डरते डोर कीपर से पुचा की क्या में अंडर जा सकता हु? और डोर कीपर ने बड़ी आसानी से सर हिला के मुझे इजाज़त दे दी और में सीधा उसके हाथ में २ रुपिया थमा के सीधा अन्दर भगा और पहली ही रो में बैठ गया मैंने अंग्रेजी फिल्म तो बहोत देखि थी और सेक्स सीन मेरे लिए नयी बात नहीं थी पर कभी मैंने फिल्मो में चूत नहीं देखि थी यह पिक्चर में पहली बार चूत देखकर मेरा लुंड एकदम लोहे रोड की तरह तन गया. वो पिक्चर का एक सीन लुजे आज भी याद है जिसमे फिल्म की हिरोइन पर ८-१० आदमी रेप करते है और हिरोइन की चूत की धजिया उड़ा देते है
ऐसे ही थोड़े बड़े होने के बाद दोस्तों के साथ टीवी और वीसीआर किराये से लेकर बहोत ब्लू फिल्मे देखि, पर कभी किसी लड़की को हाथ नहीं लगाया था, क्योंकि मेरा नेचर बहोत डरपोक किस्म का था.
जब में 21 साल का हुआ तब की यह बात है, मेरे घर के सामने गीता नाम की लड़की रहती थी, (महोल्ले के लड़के उसको हेमा मालिनी कहते थे ) बहुत ही सेक्सी और उसके मम्मे बहुत ही बड़े थे. सभी लड़के उसकी एक ज़लक के लिए बेताब होते थे. और मेरी सिस्टर की बहुत ही अच्छी सहेली थी और उसके परिवार के साथ हम लोगो के बहुत ही अच्छे रिश्ता था. बिलकुल घर जैसा. और हम बचपन से साथ खेल कर बड़े हुए थे. इतने सरे ब्लू फिल्म और दोस्तों की बाते सुन कर मुझे भी किसी लड़की की चुदाई करने का बहोत मन हो रहा था, पर मेरे में इतनी हिम्मत नहीं थी की में कोई लड़की पता सकू. में और गीता एक साथ बड़े हुए थे और कई बार हम घर में अकेले रहे है पर कभी गीता के लिए ऐसी फीलिंग्स नहीं आई थी
पर एक दिन ऐसी घटना हुई के मेरा गीता की और का नजरिया बिलकुल बदल गया. मुझे बरोबर याद हैं वोह दिन, वो दिन होली (धुलेटी) का दिन था और सभी लोग रंग से खेल रहे थे, वो दिन गीता मेरे घर पर आई रंग लेके खेल ने के लिए, हम लोगो का घर २ माले का था, और ground floor का बहोत ही कम उसे होता था, तो में गीता को आते देख कर घर रंग से ख़राब ना हो इसीलिए निचे चला गया जहा ग्राउंड फ्लोर पे कोई नहीं था, और हम दोनों अकेले मजे से रंग से खेलने लगे और दुसरे को रंग लगाते थे और एक दुसरे के शरीर के लगभग सब हिस्सों को छुते थे, उसे मम्मे भी शायद दबाया होगा, लेकिन मेरे मन में कभी उसके लिए ऐसी फीलिंग्स नहीं थी (गीता के मन में क्या था ना तो में जनता था न तो कभी जाननेकी जरुरत पड़ी थी)
थोड़ी देर हुई की ऊपर से मेरे पिताजी की चिल्लाने की आवाज आई और चिल्लाके मुझे ऊपर बुलाया और जैसे ही में पिताजी के पास गया वो मेरे पर बरस पड़े. "नालायक शर्म नहीं आती लड़की के साथ अकेले खेलते हुए," और काफी कुछ लेक्चर दिया. में हैरान हो गया की आखिर में क्या गलत किया, सिर्फ गीता के साथ होली तो खेली थी. फिर पिताजी मेरे पर गुस्सा क्यों हुए? दुसरे दिन मेरे एक दोस्त था जयेश नाम का उससे बात किया तो वोह बोला के बेवकूफ एक जवान लड़का और एक जवान लड़की जब अकेले में मिलते है तो क्या होता है.फिर जयेश ने मुझे डिटेल में एक्सप्लेन किया की मेरे पिताजी मेरे पर क्यों गुस्सा हुए थे और वोह दिन से मेरा गीता को देखने का नजरिया बदल गया
एक दिन मेरे दिमाग में एक आईडिया आया की जब भी में गीता से करीब से गुजरू उसका बूब्स दबा के भाग लेना. लेकिन किस्मत ही ख़राब थी, गीता मेरे घर पे रोज आती थी पर मौका नहीं मिलता था और डर भी लग रहा था. फिर एक दिन मेरी माँ और गीता ग्राउंड फ्लोर में थे, मेरी माँ कुछ काम कर रही थी और गीता सीडी के पास बैठ कर मेरी माँ के साथ बाते कर रही थी. क्योंकि मेरी माँ की पीठ सीडी की तरफ थी उसे पता नहीं चलना था की पीछे सीडी के पास क्या हो रहा है. में तय किया की जैसे ही में सीडी चढ़ के ऊपर जाऊ, वो समय पर गीता के बूब दबा कर ऊपर भाग जाना. जैसे ही में सीडी पर गीता तो क्रोस किया मेरी हिम्मत ही नहीं बनी और में सीडी चड़ने लगा. मुझे बहोत अफ़सोस हो रहा था, की बहोत दिनों के बाद मौका मिला और वो भी मैंने गवां दिया. मैंने हिम्मत जुताई और आधी सीडी से वापस निचे आया , माँ की तरफ देख कर चोकसी की की वोह देख तो नहीं रही है, और फिर तेज़ी से गीता का बूब दबा कर इतनी तेज़ सीडी चढ़ा मानो की ओल्य्म्पिक की रेस हो. सीधा ऊपर गया और अपने रूम में जा कर चद्दर ओढ़ के सो गया. यह बात आज भी याद करता हु तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है.
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मेरी हेमा मालिनी-1
हम गुजरात के एक गाँव में रहते थे, मेरे महोल्ले के मेरे से ४-५ साल बड़े लडको के साथ खेलता घूमता था और उन लोगो से सेक्स की बाते सुन सुन कर बड़ा उतेजित हो जाता था . वो समय पर " DEFENCE" नाम की ब्लू फिल्म का बहोत चर्चा होता था और मुझे वो देखने की बहोत इच्छा होने लगी लेकिन वो देखने का कोई उपाय नहीं था, क्योकि जिसने भी वोह देखि थी वोह विडियो थिअटर में देखि थी और मेरी उम्र के कारन मेरा वह जाना बिलकुल नामुमकिन था एक बार सन्डे को विडियो थिअटर से गुजरते वक़्त देखा तो डिफेन्स फिल्म का बोर्ड लगा हुआ था, मैंने डरते डरते डोर कीपर से पुचा की क्या में अंडर जा सकता हु? और डोर कीपर ने बड़ी आसानी से सर हिला के मुझे इजाज़त दे दी और में सीधा उसके हाथ में २ रुपिया थमा के सीधा अन्दर भगा और पहली ही रो में बैठ गया मैंने अंग्रेजी फिल्म तो बहोत देखि थी और सेक्स सीन मेरे लिए नयी बात नहीं थी पर कभी मैंने फिल्मो में चूत नहीं देखि थी यह पिक्चर में पहली बार चूत देखकर मेरा लुंड एकदम लोहे रोड की तरह तन गया. वो पिक्चर का एक सीन लुजे आज भी याद है जिसमे फिल्म की हिरोइन पर ८-१० आदमी रेप करते है और हिरोइन की चूत की धजिया उड़ा देते है
ऐसे ही थोड़े बड़े होने के बाद दोस्तों के साथ टीवी और वीसीआर किराये से लेकर बहोत ब्लू फिल्मे देखि, पर कभी किसी लड़की को हाथ नहीं लगाया था, क्योंकि मेरा नेचर बहोत डरपोक किस्म का था.
जब में 21 साल का हुआ तब की यह बात है, मेरे घर के सामने गीता नाम की लड़की रहती थी, (महोल्ले के लड़के उसको हेमा मालिनी कहते थे ) बहुत ही सेक्सी और उसके मम्मे बहुत ही बड़े थे. सभी लड़के उसकी एक ज़लक के लिए बेताब होते थे. और मेरी सिस्टर की बहुत ही अच्छी सहेली थी और उसके परिवार के साथ हम लोगो के बहुत ही अच्छे रिश्ता था. बिलकुल घर जैसा. और हम बचपन से साथ खेल कर बड़े हुए थे. इतने सरे ब्लू फिल्म और दोस्तों की बाते सुन कर मुझे भी किसी लड़की की चुदाई करने का बहोत मन हो रहा था, पर मेरे में इतनी हिम्मत नहीं थी की में कोई लड़की पता सकू. में और गीता एक साथ बड़े हुए थे और कई बार हम घर में अकेले रहे है पर कभी गीता के लिए ऐसी फीलिंग्स नहीं आई थी
पर एक दिन ऐसी घटना हुई के मेरा गीता की और का नजरिया बिलकुल बदल गया. मुझे बरोबर याद हैं वोह दिन, वो दिन होली (धुलेटी) का दिन था और सभी लोग रंग से खेल रहे थे, वो दिन गीता मेरे घर पर आई रंग लेके खेल ने के लिए, हम लोगो का घर २ माले का था, और ground floor का बहोत ही कम उसे होता था, तो में गीता को आते देख कर घर रंग से ख़राब ना हो इसीलिए निचे चला गया जहा ग्राउंड फ्लोर पे कोई नहीं था, और हम दोनों अकेले मजे से रंग से खेलने लगे और दुसरे को रंग लगाते थे और एक दुसरे के शरीर के लगभग सब हिस्सों को छुते थे, उसे मम्मे भी शायद दबाया होगा, लेकिन मेरे मन में कभी उसके लिए ऐसी फीलिंग्स नहीं थी (गीता के मन में क्या था ना तो में जनता था न तो कभी जाननेकी जरुरत पड़ी थी)
थोड़ी देर हुई की ऊपर से मेरे पिताजी की चिल्लाने की आवाज आई और चिल्लाके मुझे ऊपर बुलाया और जैसे ही में पिताजी के पास गया वो मेरे पर बरस पड़े. "नालायक शर्म नहीं आती लड़की के साथ अकेले खेलते हुए," और काफी कुछ लेक्चर दिया. में हैरान हो गया की आखिर में क्या गलत किया, सिर्फ गीता के साथ होली तो खेली थी. फिर पिताजी मेरे पर गुस्सा क्यों हुए? दुसरे दिन मेरे एक दोस्त था जयेश नाम का उससे बात किया तो वोह बोला के बेवकूफ एक जवान लड़का और एक जवान लड़की जब अकेले में मिलते है तो क्या होता है.फिर जयेश ने मुझे डिटेल में एक्सप्लेन किया की मेरे पिताजी मेरे पर क्यों गुस्सा हुए थे और वोह दिन से मेरा गीता को देखने का नजरिया बदल गया
दोस्तों आगे बढ़ने से पहले
थोडा गीता और उसके परिवार के बारे में जानकारी देदूं . गीता के परिवार
में वैसे तो चार लोग थे, उसकी माँ, भाई और एक बहिन लेकिन उसका भाई दुबई
में नौकरी करता था और उसकी बहिन की शादी हो चुकी थी. और मेरे परिवार में
मेरे माता पिता के आलावा मेरी बहिन और मेरी दादी थी
दोस्तों आज तक मेरे मन में गीता के लिए ऐसी कोई फीलिंग्स नहीं थी पर जिस दिन से जयेश ने मुझे समजाया वोह दिन से में गीता को अलग नजर से देखने लगा और में नहाते वक़्त रोज गीता को और उसके बूब्स को याद करके मुठ मरता था. गीता जब मेरे घर आती थी तो एकदम बिन्दस्त होती थी जैसे की वोह अपने घर में हो. सच तो यह था की वोह हमारे घर के सदस्य जैसी ही थी. उसके बाद मुझे कई मौके मिले गीता की पेंटी उसकी स्कर्ट से देखने का जो मेरी प्यास और बढ़ा देती थी में क्या करू कुछ समाज में नहीं आ रहा था (दरअसल में डरता था ) जी चाहता था की गीता को किस करू और उसके बूब्स दबाऊ लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी. फिर एक दिन दिमाग में एक आइडिया आया
दोस्तों आज तक मेरे मन में गीता के लिए ऐसी कोई फीलिंग्स नहीं थी पर जिस दिन से जयेश ने मुझे समजाया वोह दिन से में गीता को अलग नजर से देखने लगा और में नहाते वक़्त रोज गीता को और उसके बूब्स को याद करके मुठ मरता था. गीता जब मेरे घर आती थी तो एकदम बिन्दस्त होती थी जैसे की वोह अपने घर में हो. सच तो यह था की वोह हमारे घर के सदस्य जैसी ही थी. उसके बाद मुझे कई मौके मिले गीता की पेंटी उसकी स्कर्ट से देखने का जो मेरी प्यास और बढ़ा देती थी में क्या करू कुछ समाज में नहीं आ रहा था (दरअसल में डरता था ) जी चाहता था की गीता को किस करू और उसके बूब्स दबाऊ लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी. फिर एक दिन दिमाग में एक आइडिया आया
एक दिन मेरे दिमाग में एक आईडिया आया की जब भी में गीता से करीब से गुजरू उसका बूब्स दबा के भाग लेना. लेकिन किस्मत ही ख़राब थी, गीता मेरे घर पे रोज आती थी पर मौका नहीं मिलता था और डर भी लग रहा था. फिर एक दिन मेरी माँ और गीता ग्राउंड फ्लोर में थे, मेरी माँ कुछ काम कर रही थी और गीता सीडी के पास बैठ कर मेरी माँ के साथ बाते कर रही थी. क्योंकि मेरी माँ की पीठ सीडी की तरफ थी उसे पता नहीं चलना था की पीछे सीडी के पास क्या हो रहा है. में तय किया की जैसे ही में सीडी चढ़ के ऊपर जाऊ, वो समय पर गीता के बूब दबा कर ऊपर भाग जाना. जैसे ही में सीडी पर गीता तो क्रोस किया मेरी हिम्मत ही नहीं बनी और में सीडी चड़ने लगा. मुझे बहोत अफ़सोस हो रहा था, की बहोत दिनों के बाद मौका मिला और वो भी मैंने गवां दिया. मैंने हिम्मत जुताई और आधी सीडी से वापस निचे आया , माँ की तरफ देख कर चोकसी की की वोह देख तो नहीं रही है, और फिर तेज़ी से गीता का बूब दबा कर इतनी तेज़ सीडी चढ़ा मानो की ओल्य्म्पिक की रेस हो. सीधा ऊपर गया और अपने रूम में जा कर चद्दर ओढ़ के सो गया. यह बात आज भी याद करता हु तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है.
जब
में गीता के बूब्स दबाके सीडी चढ़ रहा था तभी मैंने नीचे की और देखा तो
गीता मेरी और ही देख रही थी और उसकी आँखों में एक अजीब सा अनजाना सा और
साथ में हैरानी देखि में बहोत डर गया था और
मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी. पर दोस्तों क्या गीता का बूब्स था. आह
एकदम माखन जैसा. में काफी देर तक अपने कमरे में रहा, और मेरा लुंड तो शांत
होना का नाम ही नहीं ले रहा था. इतने मुझे यह ख्याल आया की कही गीता ने
मेरी माँ को फ़रियाद किया तो? खाल्ल्ल्लल्लाश. मेरा लोहे तो रोड की माफिक
ताना हुआ लौदा रबर की माफिक ढीला हो गया. काफी देर तक नीचे के कमरे में
कोई हलचल ना हुई तो मेरा मन थोडा शांत हुआ. पर उसके बाद दोस्तों रात तक ना
तो गीता मेरे घर पर आई ना तो वोह अपने घर की खिड़की में दिखी. में वापस
घबरा गया की कही मेरी इस हरकत से गीता नाराज़ तो नहीं हो गई. अब क्या? रात
भर गीता के बारे में सोचता रहा और उसको याद कर के एक बार तो मुठ भी मार
ली पर नींद गायब हो गई थी.
फिर काफी देर के बाद नींद आई और सुबह देर तक सोता रहा. फिर मेरी माँ ने मुझे जगाया और कहा की वो बहार जा रही है और सपना (मेरी बहिन) मेरी मौसी के घर गई हुई है. में फिर उठकर नहाने चला गया और फिर तैयार हो कर नीचे आया और सीधा किचन में गया. किचन में जाते ही मेरे होस उड़ गए. वह मेरी दादी की जगह गीता थी. हलाकि वोह मेरे लिए नई बात नहीं थी, लेकिन आज में खूब डरा हुआ था. लेकिन जब में गीता की और देखा तो उसके चेहरे पर शर्म के साथ साथ हलकी मुस्कराहट भी थी, मेरा सब डर हवा में उड़ गया. में उसे पूछा की क्या कल मजा आया था? उसने जवाब नहीं दिया और शर्माने लगी. मेरा जवाब मुझे मिल गया था. मेंने गीता से अपनी दादी के बारे में पूछा तो वोह बोली की दादी बाजु में कुछ लेने गई है. में गीता के पीछे आया और उसको पीछे से पकड़ कर धीरे धीरे अपने हाथों से उसके बूब्स पकड़ लिए. आज तक फिल्मो में बूब्स तो काफी देखे थे लेकिन कभी हाथ नहीं लगाया था. क्या बूब्स थे यारो. मेरा लंद एकदम से खड़ा हो गया और पीछे से गीता के स्कर्ट के ऊपर से उसकी गांड की दरार में अटक गया.. आआहाआ क्या बूब्स थे. अचानक मुझे मेरी दादी का ख्याल आया, और सोचा की गीता के साथ तो कभी भी मजे कर सकूँगा, क्योंकि काफी बार हम लोग घर में अकेले रहते थे.
फिर काफी देर के बाद नींद आई और सुबह देर तक सोता रहा. फिर मेरी माँ ने मुझे जगाया और कहा की वो बहार जा रही है और सपना (मेरी बहिन) मेरी मौसी के घर गई हुई है. में फिर उठकर नहाने चला गया और फिर तैयार हो कर नीचे आया और सीधा किचन में गया. किचन में जाते ही मेरे होस उड़ गए. वह मेरी दादी की जगह गीता थी. हलाकि वोह मेरे लिए नई बात नहीं थी, लेकिन आज में खूब डरा हुआ था. लेकिन जब में गीता की और देखा तो उसके चेहरे पर शर्म के साथ साथ हलकी मुस्कराहट भी थी, मेरा सब डर हवा में उड़ गया. में उसे पूछा की क्या कल मजा आया था? उसने जवाब नहीं दिया और शर्माने लगी. मेरा जवाब मुझे मिल गया था. मेंने गीता से अपनी दादी के बारे में पूछा तो वोह बोली की दादी बाजु में कुछ लेने गई है. में गीता के पीछे आया और उसको पीछे से पकड़ कर धीरे धीरे अपने हाथों से उसके बूब्स पकड़ लिए. आज तक फिल्मो में बूब्स तो काफी देखे थे लेकिन कभी हाथ नहीं लगाया था. क्या बूब्स थे यारो. मेरा लंद एकदम से खड़ा हो गया और पीछे से गीता के स्कर्ट के ऊपर से उसकी गांड की दरार में अटक गया.. आआहाआ क्या बूब्स थे. अचानक मुझे मेरी दादी का ख्याल आया, और सोचा की गीता के साथ तो कभी भी मजे कर सकूँगा, क्योंकि काफी बार हम लोग घर में अकेले रहते थे.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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