FUN-MAZA-MASTI
ससुराल में सुहागरात --2
गतान्क से आगे……………………………….
वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी.उसने मुझ से छूटने की कोसिस की पर उसके हाथ बँधे हुए थे ओर मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी.उसका मुँह खुला का खुला रह गया. मैने जान भुज कर एक ओर करारा धक्का तो मेरा लंड उसकी गांद में जड़ तक समा गया. उसके मूह से ज़ोर दर चीख निकल गई ओह मा मर जाउन्गि ये क्या कर दिया निकाल ईसीई.मैं उसके उपर लेट गया ओर उसके होंठो को कस कर चूमते हुए ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा. मेरी सास की गांद इतनी टाइट लग रही थी जैसे के 18 साल की लड़की को चोद रहा हूँ. हमारी चुदाई के फटके पूरे कमरे में गूँज रहे थे. वो बिलबिला रही थी पर कुछ करनही पा रही थी.मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए गांद मरता रहा. और साथ साथ उसके दूध को मसल ने लगा, और कभी उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ ने लगा उसका चूत का पानी बह कर उसकी गांद की ओर आ गया जिस से मुझे लूब्रिकेट मिला और मेरा लंड रूपा की गांद में अब मक्खन जैसे चलने लगा. मेरे लंड में अब सनसनी सी होने लगी, हमारी चुदाई को करीब 20-25 मिनिट हो चुके थे. इतनी टाइट और गरम गरम गांद के सामने अब मेरे लंड ने जवाब दे दिया, मैने अपना लंड गांद से निकाला ओर चूत मे डाल दिया.करीब 5 6 धक्के मे ही मेरा ज्वालामुखी फॅट गया ओर वो बुरी तरह मुझसे चिपक गई.उसने भी साथ साथ पानी छोड़ दिया. मैने उसके होंठ अब जा कर छोड़े ओर पुछा कैसा लगा जान.वो रोते हुए बोली भला ऐसे भी कोई करता है? मैने उसके हाथ खोल दिए.मैं उसे प्यार से चूमने लगा कुछ देर मे वो नॉर्मल हो गई. वो बोली.” अच्छा हुवा कि तुमने मेरी बेटी को चोदा नही , वरना वो तो मर ही जाती. जब तक वो लंड लेने के लिए तैयार नही हो जाती तुम मेरे साथ सुहागरात मना सकते हो. घर मे आकर मेरे साथ सुहागरात मनाया करो.” मैं तो खुस हो गया था कि बेटी के साथ मे मा फ्री मिल गयी. उसे शायद अब भी काफ़ी दर्द हो रहा था.वो उठ कर बाथरूम जाने लगी पर वो ठीक चल नही पा रही थी.बाथरूम से लौट कर वो विस्की की बॉटल ले आई ओर दो पेग बनाकर हम दोनो ने पिए.वो बोली राज मज़ा तो बहोत आया पर दर्द भी बहोत हुवा.मेरी गंद तो तूने फाड़ दी है शायद.मैने कहा कहाँ फटी है.सलामत तो है.हां अब दर्द नही होगा.उस रात मैने उसे एक बार ओर खूब चोदा ओर एक बार गांद मारी. चोदते हुए कब सुबह होने को आई पता ही नही चला.हम एक दूसरे से लिपटे हुए कब सो गए पता नही चला.जब उठे तब 8 बज चुके थे.मेरी बड़ी साली आ चुकी थी ओर वो हम दोनो को नंगा एक दूसरे की बाहों मे नंगा देख चुकी थी., मेरी सास की चूत और गांद सूज कर पकोड़ा बन गयी थी. मैने फिर उसे किसी की परवा किए बिना एक बार ओर चोदा.वो उठ कर कपड़े पहेन कर जाने लगी तो ठीक से चल भी नही पा रही थी.बाहर निकली तो उसकी नज़र डॉली(मेरी साली ) पर पड़ी. वो एक दम सहेम गई.मैं भी बाहर आया.मैने सोचा चलो अच्च्छा है इसे पता चल गया.मेरा काम आसान हो जाएगा.हो सकता है साली की चूत भी मिल जाए.वो बोली डॉली क्या बात है ललिता कहाँ है.? वो हड़बड़ा कर बोली ओवऊूओ वूऊ आ रही है.फिर वो बोली मोम तुम जीजू के कमरे मे क्या कर रही थी.ओर ये लड़खड़ा कर क्यों चल रही है.वो हंसते हुए बोली कुछ नही गांद के पास फोड़ा निकल आई है इस लिए वो ऐसे चल रही है. डॉली हंस पड़ी ओर कुछ बोली नही.रूपा तुरंत बाथरूम चली गई.डॉली मेरे पास आई ओर बोली जब इनकी ये हालत है तो तुम ललिता की क्या हालत करोगे? फिर मेरे लंड को दबाते हुए अपने कमरे मे भाग गई.मैं बाथरूम फ्रेश हो कर आ गया.तब तक ललिता भी आ गई.वो रूपा से बातचीत कर रही थी ओर मुझे देख कर थोड़ा डर भी रही थी. मेरी सास ने मुझसे कहा मैने उसे समझा दिया है.धीरे धीरे वो समझ जाएगी कि शादी के बाद क्या होता है.मैने उन्हे खींच कर बाहों मे भर लिया ओर कहा समझ जाए तो ठीक वरना तुम तो ही ही.वो मुस्कुरा कर अलग हो गई ओर बोली दामाद जी समझा उन दोनो ने देख लिया तो गजब हो जाएगा.मैने कहा डॉली तो देख ही चुकी है अब डर काहेका.पर वो मुझसे अलग हो कर मुस्कुराते हुए बोली सबर कर्लो मेरे राजा आज तुम्हारी सुहागरात ज़रूर मनवाउंगी ललिता से, पर मुझे तुम भूलना मत.अब मैं तुम्हारे बिना नही रहे पाउन्गि.तुमने मेरी भावना को फिर जगा दिया है.मैने कहा कभी नही मेरी जान कहो तो अभी ही.वो अलग हो कर मुझसे चूम कर चली गई. मैं नाश्ता करने के बाद चला गया.अपने दोस्तों से मिला ओर हम बार मे व्क्स्की पी कर फिल्म देखने चले गए.फिल्म बहूत ज़्यादा सेक्सी थी. नग्न और संभोग के द्रश्यो की भरमार थी. फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था सेक्स का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था. घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले सीन्स को बार बार सोच रहा था और जब भी उन्हे सोचता, ललिता ओर डॉली का चेहरा मेरे सामने आ जाता.मैं बेकाबू होने लगा था.मैने आज फ़ैसला कर लिया था कि आज अगर ललिता अपनी मर्ज़ी से राज़ी नही होगी तो मैं उसका रेप कर दूँगा.मैने वाइग्रा ले ली ओर फिर अपने ससुराल जाने लगा. मैं बेकाबू होने लगा था. मैने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो, अपनी पत्नी को या साली को चोदूगा ज़रूर.और अगर वो भी राज़ी नही हुई तो अपनी सास की चूत का भोसड़ा बनादुँगा.घर पहुचने पर डॉली ने दरवाजा खोला. मेरी नज़र सबसे पहले उसके भोले भाले मासूम चेहरे पर गयी फिर टी-शर्ट के नीचे धकी हुई उसकी नन्ही चूचियो पर और फिर उसके टाँगो के बीच चड्धी मे छुपी हुई छ्होटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पे. मुझे अपनी ओर अजीब नज़ारो से देखते हुए डॉली ने पूच्छा, “क्या बात है जीजू, ऐसे क्यो देख रहे है?” मैने कहा, “कुछ नही . मैं थोड़ा लड़खड़ाते कदमो से अंदर आया. अंदर मेने देखा डॉली शायद बीअर पी रही थी.घर पर ओर कोई दिख नही रहा था.तीन बीअर के टीन खाली दिखाई दे रहे थे.मैने डॉली को देखा तो वो मस्त लग रही थी.नशे के खुमार मे थी. मैने कहा ललिता ओर मम्मी कहाँ है? वो बोली ममाजी के घर पर गए हुए हैं.देर से लौटेंगे.क्या बात है?डॉली..बस ऐसे ही…… तबीयत कुछ खराब हो गई है.हाथ पैर मे थोड़ा दर्द है.सोचा ललिता से कुछ ….डॉली बोली.. “अपने कोई दवा ली या नही? अभी नही.” मैने जबाब दिया और फिर अपने कमरे मे जा कर लूँगी पहन कर बिस्तर पर लेट गया. थोड़ी देर बाद डॉली आई और बोली, “कुछ चाहिए जीजू जी मन मे आया की कह दू.” “साली मुझे चोद्ने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए.” पर मैं ऐसा कह नही सकता था. मैने कहा “. डॉली मेरे टाँगो मे बहुत दर्द है. थोड़ा तेल ला कर मालिश कर दो प्ल्ज़.” “ठीक है जीजू,” कह कर डॉली चली गयी और फिर थोड़ी देर मे एक कटोरी मे तेल लेकर वापस आ गयी. वो बिस्तर पर बैठ गयी और मेरी दाहिनी टाँग से लूँगी घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी. अपनी साली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर मेरा लॅंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद मैने कहा, “. डॉली ज़्यादा दर्द तो जाँघो मे है. थोड़ा घुटने के उपर भी तेल मालिश कर दे.” “जी जीजू” कह कर डॉली ने लूँगी को जाँघो पर से हटाना चाहा. तभी जानबूझ कर मैने अपना बाया पैर उपर उठाया जिससे मेरा फुनफूनाया हुआ खड़ा लॅंड लूँगी के बाहर हो गया. मेरे लॅंड पर नज़र पड़ते ही डॉली सकपका गयी. कुछ देर तक वा मेरे लॅंड को कनखियो से देखती रही.. फिर उसे लूँगी से ढकने की कोशिश करने लगी. लेकिन लूँगी मेरी टाँगो से दबी हुई थी इसलिए वो उसे धक नही पाई. मैने मौका देख कर पूछा, “क्या हुआ डॉली?” “जी जीजू. आपका अंग दिख रहा है.” डॉली ने सकुचाते हुए कहा “अंग, कौन सा अंग?” मैने अंजान बन कर पूच्छा. जब डॉली ने कोई जवाब नही दिया तो मैने अंदाज से अपने लॅंड पर हाथ रखते हुए कहा, “अरी! ये कैसे बाहर निकल गया?” फिर मैने कहा, “साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो.” मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गयी और शरमाते हुए बोली, “जीजू, कैसी बात करते है, जल्दी से ढाकिये इसे.” “देखो डॉली ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना.इसमे ही तो काफ़ी दर्द है? इस की भी मालिश करदो. मैने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली. “लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हू. मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,” “ठीक है डॉली, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नही समझ सकती और पाप – पुन्य की बात करती हो तो जाने दो.” मैने उदासी भरे स्वर मे कहा. मैं आपको दुखी नही देख सकती जीजू. आप जो कहेंगे, मैं कारूगी.” मुझे उदास होते देख कर डॉली भावुक हो गयी थी.. उसने अपने हाथो मे तेल चिपॉड कर मेरे खड़े लॅंड को पकड़ लिया. अपने लॅंड पर डॉली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर, वासना की आग मे जलते हुए मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी दौड़ गयी. मैने डॉली की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया. ” बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो. बहुत आराम मिल रहा है.” मैने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा.. थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा जिस्म वासना की आग मे जलाने लगा. मेरा मन बेकाबू हो गया. मैने डॉली की बाह पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया. उसकी दोनो चूचिया मेरी छाती से चिपक गयी. मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियो मे लेकर उसके होंठो को चूमने लगा. डॉली को मेरा यह प्यार शायद समझ मे नही आया.वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली. “जीजू ये आप क्या कर रहे है?” डॉली आज मुझे मत रोको. आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो.” देखो तुम भी प्यासी हो मैं जानता हूँ.तुम भी अपने पति से काफ़ी समय से दूर रहेती हो. ” लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?” डॉली ने आश्चर्या से पूछा. “साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर सम्हाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो. मैं औरो की बात नही जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हू. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हू. प्लीज़ आज मुझे मत रोको डॉली.” मैने अनुरोध भरे स्वर मे कहा. ” मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है”, डॉली ने कहा. “पाप-पुन्य सब बेकार की बाते हैं साली. जिस काम से दोनो को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो वो पाप कैसे हो सकता है? ” वो बोली पर जीजू अगर किसी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा.मैने कहा “यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसे भरोसा दिलाया. डॉली कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैने पूछा, “बोलो साली, क्या कहती हो?” “ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए. मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हू.” मेरी साली का चेहरा शर्म से और मस्ती से लाल हो रहा था. डॉली की स्वीक्रति मिलते ही मैने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाहो मे भींच लीया और उसके पतले पतले गुलाबी होंठो को चूसने लगा. मैं अपने एक हाथ को उसके टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियो को हल्के हल्के सहलाने लगा. फिर उसके निप्पल को चुटकी मे लेकर मसलने लगा. थोड़ी ही देर मे डॉली को भी मज़ा आने लगा और वो शी….शी. .ई.. करने लगी. “मज़ा आ रहा है जीजू…. आ… और कीजीए बहुत अच्छा लग रहा है.” अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया. हल्के विरोध के बावजूद मैने डॉली की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मूह मे लेकर चूसने लगा. दूसरी चूची को मैं हाथो मे लेकर धीरे धीरे दबा रहा था. डॉली को अब पूरा मज़ा आने लगा था. वह धीरे धीरे बुदबुदाने लगी. “ओह. आ… मज़ा आ रहा है जीजू..और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूची को चूसिए.. अयाया…आपने ये क्या कर दिया? ओह… जीजू.” अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होती देख कर मेरा हौसला बढ़ गया. मैने कहा, “डॉली मज़ा आ रहा है ना?” “हा जीजू बहुत मज़ा आ रहा है. आप बहुत अच्छी तराहा से चूची चूस रहे है.ईईईई हाय्ी ललिता तो पागल है हेय बड़ा मज़ा आ रहा हाईईईईईई.” डॉली ने मस्ती मे कहा. “अब तुम मेरा लॅंड मूह मे लेकर चूसो, और ज़्यादा मज़ा आएगा”, मैने डॉली से कहा. “ठीक है जीजू. ” वो मेरे लॅंड को मूह मे लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी तो मैने उसकी बाह पकड़ कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा मेरे लॅंड के पास और उसके चूतड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गये. वो मेरे लॅंड को मूह मे लेकर आइसक्रीम की तरह मज़े से चूसने लगी. उसने पहेले ही अपनी सोतेली मा को इस मूसल से चुद्ते हुए देखा था इस लिए उसे डर नही लग रहा था.मेरे पूरे शरीर मे हाई वोल्टेज का करंट दौड़ने लगा.
क्रमशः…………………………….
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ससुराल में सुहागरात --2
गतान्क से आगे……………………………….
वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी.उसने मुझ से छूटने की कोसिस की पर उसके हाथ बँधे हुए थे ओर मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी.उसका मुँह खुला का खुला रह गया. मैने जान भुज कर एक ओर करारा धक्का तो मेरा लंड उसकी गांद में जड़ तक समा गया. उसके मूह से ज़ोर दर चीख निकल गई ओह मा मर जाउन्गि ये क्या कर दिया निकाल ईसीई.मैं उसके उपर लेट गया ओर उसके होंठो को कस कर चूमते हुए ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा. मेरी सास की गांद इतनी टाइट लग रही थी जैसे के 18 साल की लड़की को चोद रहा हूँ. हमारी चुदाई के फटके पूरे कमरे में गूँज रहे थे. वो बिलबिला रही थी पर कुछ करनही पा रही थी.मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए गांद मरता रहा. और साथ साथ उसके दूध को मसल ने लगा, और कभी उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ ने लगा उसका चूत का पानी बह कर उसकी गांद की ओर आ गया जिस से मुझे लूब्रिकेट मिला और मेरा लंड रूपा की गांद में अब मक्खन जैसे चलने लगा. मेरे लंड में अब सनसनी सी होने लगी, हमारी चुदाई को करीब 20-25 मिनिट हो चुके थे. इतनी टाइट और गरम गरम गांद के सामने अब मेरे लंड ने जवाब दे दिया, मैने अपना लंड गांद से निकाला ओर चूत मे डाल दिया.करीब 5 6 धक्के मे ही मेरा ज्वालामुखी फॅट गया ओर वो बुरी तरह मुझसे चिपक गई.उसने भी साथ साथ पानी छोड़ दिया. मैने उसके होंठ अब जा कर छोड़े ओर पुछा कैसा लगा जान.वो रोते हुए बोली भला ऐसे भी कोई करता है? मैने उसके हाथ खोल दिए.मैं उसे प्यार से चूमने लगा कुछ देर मे वो नॉर्मल हो गई. वो बोली.” अच्छा हुवा कि तुमने मेरी बेटी को चोदा नही , वरना वो तो मर ही जाती. जब तक वो लंड लेने के लिए तैयार नही हो जाती तुम मेरे साथ सुहागरात मना सकते हो. घर मे आकर मेरे साथ सुहागरात मनाया करो.” मैं तो खुस हो गया था कि बेटी के साथ मे मा फ्री मिल गयी. उसे शायद अब भी काफ़ी दर्द हो रहा था.वो उठ कर बाथरूम जाने लगी पर वो ठीक चल नही पा रही थी.बाथरूम से लौट कर वो विस्की की बॉटल ले आई ओर दो पेग बनाकर हम दोनो ने पिए.वो बोली राज मज़ा तो बहोत आया पर दर्द भी बहोत हुवा.मेरी गंद तो तूने फाड़ दी है शायद.मैने कहा कहाँ फटी है.सलामत तो है.हां अब दर्द नही होगा.उस रात मैने उसे एक बार ओर खूब चोदा ओर एक बार गांद मारी. चोदते हुए कब सुबह होने को आई पता ही नही चला.हम एक दूसरे से लिपटे हुए कब सो गए पता नही चला.जब उठे तब 8 बज चुके थे.मेरी बड़ी साली आ चुकी थी ओर वो हम दोनो को नंगा एक दूसरे की बाहों मे नंगा देख चुकी थी., मेरी सास की चूत और गांद सूज कर पकोड़ा बन गयी थी. मैने फिर उसे किसी की परवा किए बिना एक बार ओर चोदा.वो उठ कर कपड़े पहेन कर जाने लगी तो ठीक से चल भी नही पा रही थी.बाहर निकली तो उसकी नज़र डॉली(मेरी साली ) पर पड़ी. वो एक दम सहेम गई.मैं भी बाहर आया.मैने सोचा चलो अच्च्छा है इसे पता चल गया.मेरा काम आसान हो जाएगा.हो सकता है साली की चूत भी मिल जाए.वो बोली डॉली क्या बात है ललिता कहाँ है.? वो हड़बड़ा कर बोली ओवऊूओ वूऊ आ रही है.फिर वो बोली मोम तुम जीजू के कमरे मे क्या कर रही थी.ओर ये लड़खड़ा कर क्यों चल रही है.वो हंसते हुए बोली कुछ नही गांद के पास फोड़ा निकल आई है इस लिए वो ऐसे चल रही है. डॉली हंस पड़ी ओर कुछ बोली नही.रूपा तुरंत बाथरूम चली गई.डॉली मेरे पास आई ओर बोली जब इनकी ये हालत है तो तुम ललिता की क्या हालत करोगे? फिर मेरे लंड को दबाते हुए अपने कमरे मे भाग गई.मैं बाथरूम फ्रेश हो कर आ गया.तब तक ललिता भी आ गई.वो रूपा से बातचीत कर रही थी ओर मुझे देख कर थोड़ा डर भी रही थी. मेरी सास ने मुझसे कहा मैने उसे समझा दिया है.धीरे धीरे वो समझ जाएगी कि शादी के बाद क्या होता है.मैने उन्हे खींच कर बाहों मे भर लिया ओर कहा समझ जाए तो ठीक वरना तुम तो ही ही.वो मुस्कुरा कर अलग हो गई ओर बोली दामाद जी समझा उन दोनो ने देख लिया तो गजब हो जाएगा.मैने कहा डॉली तो देख ही चुकी है अब डर काहेका.पर वो मुझसे अलग हो कर मुस्कुराते हुए बोली सबर कर्लो मेरे राजा आज तुम्हारी सुहागरात ज़रूर मनवाउंगी ललिता से, पर मुझे तुम भूलना मत.अब मैं तुम्हारे बिना नही रहे पाउन्गि.तुमने मेरी भावना को फिर जगा दिया है.मैने कहा कभी नही मेरी जान कहो तो अभी ही.वो अलग हो कर मुझसे चूम कर चली गई. मैं नाश्ता करने के बाद चला गया.अपने दोस्तों से मिला ओर हम बार मे व्क्स्की पी कर फिल्म देखने चले गए.फिल्म बहूत ज़्यादा सेक्सी थी. नग्न और संभोग के द्रश्यो की भरमार थी. फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था सेक्स का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था. घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले सीन्स को बार बार सोच रहा था और जब भी उन्हे सोचता, ललिता ओर डॉली का चेहरा मेरे सामने आ जाता.मैं बेकाबू होने लगा था.मैने आज फ़ैसला कर लिया था कि आज अगर ललिता अपनी मर्ज़ी से राज़ी नही होगी तो मैं उसका रेप कर दूँगा.मैने वाइग्रा ले ली ओर फिर अपने ससुराल जाने लगा. मैं बेकाबू होने लगा था. मैने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो, अपनी पत्नी को या साली को चोदूगा ज़रूर.और अगर वो भी राज़ी नही हुई तो अपनी सास की चूत का भोसड़ा बनादुँगा.घर पहुचने पर डॉली ने दरवाजा खोला. मेरी नज़र सबसे पहले उसके भोले भाले मासूम चेहरे पर गयी फिर टी-शर्ट के नीचे धकी हुई उसकी नन्ही चूचियो पर और फिर उसके टाँगो के बीच चड्धी मे छुपी हुई छ्होटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पे. मुझे अपनी ओर अजीब नज़ारो से देखते हुए डॉली ने पूच्छा, “क्या बात है जीजू, ऐसे क्यो देख रहे है?” मैने कहा, “कुछ नही . मैं थोड़ा लड़खड़ाते कदमो से अंदर आया. अंदर मेने देखा डॉली शायद बीअर पी रही थी.घर पर ओर कोई दिख नही रहा था.तीन बीअर के टीन खाली दिखाई दे रहे थे.मैने डॉली को देखा तो वो मस्त लग रही थी.नशे के खुमार मे थी. मैने कहा ललिता ओर मम्मी कहाँ है? वो बोली ममाजी के घर पर गए हुए हैं.देर से लौटेंगे.क्या बात है?डॉली..बस ऐसे ही…… तबीयत कुछ खराब हो गई है.हाथ पैर मे थोड़ा दर्द है.सोचा ललिता से कुछ ….डॉली बोली.. “अपने कोई दवा ली या नही? अभी नही.” मैने जबाब दिया और फिर अपने कमरे मे जा कर लूँगी पहन कर बिस्तर पर लेट गया. थोड़ी देर बाद डॉली आई और बोली, “कुछ चाहिए जीजू जी मन मे आया की कह दू.” “साली मुझे चोद्ने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए.” पर मैं ऐसा कह नही सकता था. मैने कहा “. डॉली मेरे टाँगो मे बहुत दर्द है. थोड़ा तेल ला कर मालिश कर दो प्ल्ज़.” “ठीक है जीजू,” कह कर डॉली चली गयी और फिर थोड़ी देर मे एक कटोरी मे तेल लेकर वापस आ गयी. वो बिस्तर पर बैठ गयी और मेरी दाहिनी टाँग से लूँगी घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी. अपनी साली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर मेरा लॅंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद मैने कहा, “. डॉली ज़्यादा दर्द तो जाँघो मे है. थोड़ा घुटने के उपर भी तेल मालिश कर दे.” “जी जीजू” कह कर डॉली ने लूँगी को जाँघो पर से हटाना चाहा. तभी जानबूझ कर मैने अपना बाया पैर उपर उठाया जिससे मेरा फुनफूनाया हुआ खड़ा लॅंड लूँगी के बाहर हो गया. मेरे लॅंड पर नज़र पड़ते ही डॉली सकपका गयी. कुछ देर तक वा मेरे लॅंड को कनखियो से देखती रही.. फिर उसे लूँगी से ढकने की कोशिश करने लगी. लेकिन लूँगी मेरी टाँगो से दबी हुई थी इसलिए वो उसे धक नही पाई. मैने मौका देख कर पूछा, “क्या हुआ डॉली?” “जी जीजू. आपका अंग दिख रहा है.” डॉली ने सकुचाते हुए कहा “अंग, कौन सा अंग?” मैने अंजान बन कर पूच्छा. जब डॉली ने कोई जवाब नही दिया तो मैने अंदाज से अपने लॅंड पर हाथ रखते हुए कहा, “अरी! ये कैसे बाहर निकल गया?” फिर मैने कहा, “साली जब तुमने देख ही लिया तो क्या शरमाना, थोड़ा तेल लगा कर इसकी भी मालिश कर दो.” मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गयी और शरमाते हुए बोली, “जीजू, कैसी बात करते है, जल्दी से ढाकिये इसे.” “देखो डॉली ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना.इसमे ही तो काफ़ी दर्द है? इस की भी मालिश करदो. मैने इतनी बात बड़े ही मासूमियता से कह डाली. “लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हू. मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,” “ठीक है डॉली, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नही समझ सकती और पाप – पुन्य की बात करती हो तो जाने दो.” मैने उदासी भरे स्वर मे कहा. मैं आपको दुखी नही देख सकती जीजू. आप जो कहेंगे, मैं कारूगी.” मुझे उदास होते देख कर डॉली भावुक हो गयी थी.. उसने अपने हाथो मे तेल चिपॉड कर मेरे खड़े लॅंड को पकड़ लिया. अपने लॅंड पर डॉली के नाज़ुक हाथो का स्पर्श पाकर, वासना की आग मे जलते हुए मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी दौड़ गयी. मैने डॉली की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया. ” बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो. बहुत आराम मिल रहा है.” मैने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा.. थोड़ी ही देर मे मेरा पूरा जिस्म वासना की आग मे जलाने लगा. मेरा मन बेकाबू हो गया. मैने डॉली की बाह पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया. उसकी दोनो चूचिया मेरी छाती से चिपक गयी. मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियो मे लेकर उसके होंठो को चूमने लगा. डॉली को मेरा यह प्यार शायद समझ मे नही आया.वो कसमसा कर मुझसे अलग होते हुए बोली. “जीजू ये आप क्या कर रहे है?” डॉली आज मुझे मत रोको. आज मुझे जी भर कर प्यार करने दो.” देखो तुम भी प्यासी हो मैं जानता हूँ.तुम भी अपने पति से काफ़ी समय से दूर रहेती हो. ” लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?” डॉली ने आश्चर्या से पूछा. “साली तो आधी घर वाली होती है और जब तुमने घर सम्हाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो. मैं औरो की बात नही जानता, पर आज मैं तुमको हर तरह से प्यार करना चाहता हू. तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हू. प्लीज़ आज मुझे मत रोको डॉली.” मैने अनुरोध भरे स्वर मे कहा. ” मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है”, डॉली ने कहा. “पाप-पुन्य सब बेकार की बाते हैं साली. जिस काम से दोनो को सुख मिले और किसी का नुकसान ना हो वो पाप कैसे हो सकता है? ” वो बोली पर जीजू अगर किसी को पता चल गया तो गजब हो जाएगा.मैने कहा “यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो. मैं तुम्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा”, मैने उसे भरोसा दिलाया. डॉली कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैने पूछा, “बोलो साली, क्या कहती हो?” “ठीक है जीजू, आप जो चाहे कीजिए. मैं सिर्फ़ आपकी खुशी चाहती हू.” मेरी साली का चेहरा शर्म से और मस्ती से लाल हो रहा था. डॉली की स्वीक्रति मिलते ही मैने उसके नाज़ुक बदन को अपनी बाहो मे भींच लीया और उसके पतले पतले गुलाबी होंठो को चूसने लगा. मैं अपने एक हाथ को उसके टी-शर्ट के अंदर डाल कर उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियो को हल्के हल्के सहलाने लगा. फिर उसके निप्पल को चुटकी मे लेकर मसलने लगा. थोड़ी ही देर मे डॉली को भी मज़ा आने लगा और वो शी….शी. .ई.. करने लगी. “मज़ा आ रहा है जीजू…. आ… और कीजीए बहुत अच्छा लग रहा है.” अपनी साली की मस्ती को देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया. हल्के विरोध के बावजूद मैने डॉली की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मूह मे लेकर चूसने लगा. दूसरी चूची को मैं हाथो मे लेकर धीरे धीरे दबा रहा था. डॉली को अब पूरा मज़ा आने लगा था. वह धीरे धीरे बुदबुदाने लगी. “ओह. आ… मज़ा आ रहा है जीजू..और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूची को चूसिए.. अयाया…आपने ये क्या कर दिया? ओह… जीजू.” अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होती देख कर मेरा हौसला बढ़ गया. मैने कहा, “डॉली मज़ा आ रहा है ना?” “हा जीजू बहुत मज़ा आ रहा है. आप बहुत अच्छी तराहा से चूची चूस रहे है.ईईईई हाय्ी ललिता तो पागल है हेय बड़ा मज़ा आ रहा हाईईईईईई.” डॉली ने मस्ती मे कहा. “अब तुम मेरा लॅंड मूह मे लेकर चूसो, और ज़्यादा मज़ा आएगा”, मैने डॉली से कहा. “ठीक है जीजू. ” वो मेरे लॅंड को मूह मे लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी तो मैने उसकी बाह पकड़ कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा मेरे लॅंड के पास और उसके चूतड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गये. वो मेरे लॅंड को मूह मे लेकर आइसक्रीम की तरह मज़े से चूसने लगी. उसने पहेले ही अपनी सोतेली मा को इस मूसल से चुद्ते हुए देखा था इस लिए उसे डर नही लग रहा था.मेरे पूरे शरीर मे हाई वोल्टेज का करंट दौड़ने लगा.
क्रमशः…………………………….
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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