Thursday, June 26, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--12

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--12

 हम दोनों की हँसी रुकते नहीं रुक रही थी। वहीं बैठ किसी तरह हँसी रोकने की कोशिश कर रही थी। तभी पूजा की नजर उस तरफ गई जहाँ वही जोड़ा खुली छत पर सेक्स कर रही थी। पूजा देखते ही बोली,"क्या यार, रोज-2 ऐसे करते मन नहीं उबता क्या? कभी तो जगह,पोज बदला करो। इससे अच्छी मस्ती तो हम लोग कर रहे हैं।"पूजा उसकी तरफ देख कहते हुए हँस पड़ी।
कुछ देर यूँ ही छत पर टहलने के बाद हम दोनों नीचे आ गए। फिर रात का खाना खा सो गए।
अगले दिन सुबह दूध ले वापस अपने फ्लैट की तरफ आ रही थी। तभी रोज की तरह वही ऑटो वाला गाना बजाते हुए आ रहा था। पता नहीं मन में क्या सुझी? पहली सीढ़ी पर रखी पैर वापस खींचते हुए बाहर उस ऑटो की तरफ देखने लगी। रोज की तरह ऑटो रुकी और ड्राइवर अपने लंड मसलते हुए जीभ फेरने लगा। बिना किसी शर्म के मैं उसकी आँखों में देखे जा रही थी। तभी उस ड्राइवर ने फ्लाइंग किस मेरी तरफ उछाल दिया। ना चाहते हुए भी मैं मुस्कुरा पड़ी और वापस भागती हुई अपने फ्लैट में चली आई। मेरी साँसें तेज चलने लगी थी.. मैं किचन में खड़ी हँसते हुए साँसें पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। मैं तो उसकी हिम्मत की कायल हो गई। कैसे वो बिना डर के पहले लंड मसल रहा था, फिर थोड़ी रिस्पांस मिलते ही फ्लाइंग किस दे बैठा। इसी तरह उसके बारे में सोचते किचन के काम में लग गई। रोज की तरह श्याम ड्यूटी,पूजा कॉलेज और मैं खाना खा के आराम करने चली गई।
दोपहर में करीब 1 बजे डोरबेल की आवाजें से मेरी नींद खुली। मैं तेजी से उठी और गेट खोली। सामने अंकल को देखते ही मैं चौंक पड़ी। अगले ही पल मैं संभलती हुई प्रणाम की। अंकल मेरी दोनों बाँहेँ पकड़ते हुए बोले,"अरे बेटा, दिल में रहने वाले लोग पैर नहीं छूते, बल्कि गले मिलते हैं।" कहते हुए अंकल अपने मजबूत बाँहों में मुझे समेट लिए। मैं भी सिमटती हुई अंकल के बाँहों में सिमट गई। सच अंकल के बाँहों में काफी सुकून मिल रही थी। कुछ देर किसी प्रेमी जोड़े की तरह लिपटी रहने के बाद मैं ऊपर उनकी आँखों में देखते हुए बोली,"यहीं पर से वापस जाएँगे क्या? अंदर चलिए ना....!"
मेरी बात सुन अंकल मेरी होंठों को हल्के से चूमते हुए बोले,"ओके बेटा,जैसी आपकी मर्जी।"
फिर हम दोनों अलग हुए और गेट बंद करते हुए अपने रूम की तरफ चल दी। अंकल भी मेरे पीछे आते हुए रूम में आए और सोफे पर बैठ गए। मैं फ्रिज से पानी की बोतल निकाल उनकी तरफ बढ़ा दी। बोतल पकड़ते हुए अंकल बोले,"सीता, खाना नहीं खाती क्या? कितनी दुबली हो गई। गाँव में थी तब अच्छी लगती थी। और पूजा कॉलेज से नहीं आई क्या?"
अंकल की बात सुन मैं हँसती हुई बोली,"अंकल मैं तो वैसी ही हूँ जैसी गाँव में थी। पूजा भी कुछ देर में आ जाएगी।" कहते हुए मैं किचन में आई और चाय बनाने लगी। जैसी की मुझे उम्मीद थी, अंकल अगले ही पल किचन में मौजूद थे। मैं मन ही मन मुस्कुरा दी और बिना मुड़े चाय बनाने में मग्न रही। पर शरीर में तो अंकल के अगले कदम को सोच झुरझुर्री आ गई थी। तभी अंकल पीछे से अपनी लंड मेरी गांड़ के ऊपर रखते हुए चिपक गए और मेरी बाल एक तरफ करते हुए कान की बाली अपने मुँह में भर लिए। मैं तो जोर से सिहर गई। ओफ्फ करती हुई कसमसाने लगी। उनकी गर्म साँसें सीधे मेरी सुर्ख गालोँ पर पड़ रही थी जिससे मैं कांप सी गई। अगले ही पल अंकल अपने हाथ मेरी साड़ी के नीचे होते हुए नंगी पेट पर रख दिए। मेरी तो हालत जल बिन मछली की तरह हो गई। मैं सिसकती हुई अंकल के सीने पर अपने सर टिका दी। मेरी आँखें मदहोशी में बंद हो चुकी थी और नीचे मेरी चूत रस बहाने लगी थी। तभी अंकल मेरी कान की बाली को मुँह से आजाद कर दिए। मेरी साँसें अब तेज चलने लगी कि पता नहीं अब अंकल क्या करेंगे। तभी अंकल अपना दूसरा हाथ मेरी चूत के ठीक बगल में रख दिए। मैं मस्ती के सागर में डूबती हुई अपने दोनों पैर सिकुड़ कर पीछे को हुई। पर पीछे से अंकल अपने लंड को तैनात किए हुए थे जो किसी काँटे की भाँति मेरी मांसल चूतड़ में धँस गई। अंकल की एक छोटी सी हँसी सुनाई दी जिससे मैं शर्मा गई। तभी अंकल चूत के पास रखे अपने हाथ धीरे-2 ऊपर की तरफ सरकाने लगे। हाथ थी तो साड़ी के ऊपर पर वो अपने जलवे मेरी रूहोँ को तक दिखा रही थी। अंकल बिना रुके अपने कड़क हाथ पेट के ऊपर से गुजारते जा रहे थे। जैसे ही हाथ मेरी चुची के निचले हिस्से को छुई, मैं तड़प के अपने हाथों से उन्हें रोकने की कोशिश की। पर मेरी हाथ क्या पूरे शरीर में थोड़ी भी ताकत नहीं रह गई थी कि अंकल को अब रोक सकूँ। अंकल मेरे हाथ सहित अपने हाथ मेरी चुची पर ऊपर की तरफ ले जाने लगे। मेरी चुची के ठीक बीचोँबीच आते ही उन्होंने अपने हाथ नचा दिए। मैं काम वासना में इतनी जल गई थी कि इसे बर्दाश्त नहीं कर पाई और चीखते हुए झड़ने लगी। मेरी पूरी शरीर कांपने लगी थी, जिसे अंकल तुरंत समझ गए और पेट पर रखे हाथ से मुझे कस के पकड़ लिए ताकि मैं उनके साथ खड़ी रह सकूँ। तब तक अंकल के हाथ मेरी चुची को रगड़ती हुई मेरी गाल तक पहुँच गई। फिर मेरी गालोँ को हल्के से घुमाते हुए अपने तरफ करने लगे। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैं चाह कर भी कुछ करने लायक नहीं बची थी। अगले ही क्षण मेरी कांपती होंठ पर उनके होंठ चिपक गए। उनके होंठ लगते ही मैं जन्नत में पहुँच गई। मैं एक बार झड़ने के बावजूद पुनः गर्म हो गई और आपा खोते हुए किस करने लगी। मेरी तरफ से अनुमति मिलते ही अंकल तेजी से किस करने लगे। अगले ही पल मेरी पेट पर रखे हाथ को सीधा मेरी चुची पर रख दिए। अब मैं सारी दुनिया भूल अपने रसीली होंठ के रस चुसवा रही थी। और अंकल भी बदहवास मेरी चुची मर्दन करते किस किए जा रहे थे और नीचे अपने लंड से हौले-2 धक्का दे रहे थे। गैस पर चढ़ी का तो पता नहीं जल के बची भी होगी या नहीं..
10 मिनट तक लगातार चुसाई के बाद भी हम दोनों अपनी जीभ से जीभ लड़ाते हुए किस किए जा रहे थे कि तभी "Please Open The Door" की आवाज सुनते ही अंकल से छिटकते हुए गेट की तरफ लपकी।


 जब मैं गेट खोली तो सामने देखते ही चौंक पडी़ ... सामने पूजा खड़ी थी और उसके पीछे ऑटो ड्राइवर खड़ा मुस्कुरा रहा था... मैं एक बारगी तो सकपका गई... अगले ही पल मेरी नजर अंकल की तरफ पहुँच गई.. अंकल भी किचन से निकल आ गए और ड्राइवर पर नजर पड़ते ही बोले,"क्या हुआ पूजा?"
पूजा अंकल की तरफ हँसती हुई बोली,"कुछ नहीं अंकल, आज रास्ते में मेरी पर्स पता नहीं कहाँ गुम हो गई.. ये ऑटो वाले हैं, किराया लेने के लिए आए हैं.."
कहते हुए पूजा अंदर चली आई.. अंकल भी घूरते हुए ड्राइवर की तरफ देखते पूजा के पीछे चल दिए.. शायद अब वे पूजा को भी...
तभी मेरी नजर ड्राइवर पर पड़ी जो बेशर्मी से अपना लंड मसलने लगा... मेरी तो डर के मारे कांप सी गई.. मैं पलटती हुई तेजी से अपने रूम की तरफ भागी..
रूम में जाते ही मेरी नजर पूजा और अंकल पर पड़ी जो कि आते ही चिपक कर किस कर रहे थे..
मैं चौंकती हुई वापस मुड़ी कि पूजा किस रोकती हुई बोली,"भाभी, वो ड्राइवर को प्लीज किराया दे देना.. " और फिर वो दोनों अपने काम में जुट गए..
मैं मुस्काती हुई उनके बगल से होती हुई अपने पर्स लेने गई.. पैसे निकाल वापस आ रही थी कि अंकल किस करते हुए अपने हाथ बढ़ा मेरी चुची पकड़ लिए.
मैं अंकल की इस हरकत के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी.. मैं जोर से चीख पड़ी.. चीख इतनी तेज थी कि बाहर खड़े ड्राइवर स्पष्ट सुना होगा.. पूजा मेरी चीख सुन अंकल के हाथों पर एक चपत लगा दी.. अंकल बिना किस तोड़े हँसते हुए अपने हाथ हटा लिए..
मौं साड़ी ठीक करती हुई ड्राइवर के पास आई और पैसे बढ़ा दी..
वो मुस्कुराता हुआ पैसे लेने के लिए हाथ बढ़ा मेरी केहुनी को सहलाता नीचे मेरी हाथ तक आया और पैसे लेते हुए मेरी हाथ दबा दी ..
मैं इस्ससस करती हुई सिसक पड़ी.. तभी वो आगे बढ़ते हुए काफी निकट आते हुए बोला,"मैडम, आप तो खूब मजे लेती हैं.. एक बार हमका भी मजा दे के देखो ना़.. आप मुझे काफी अच्छी लगती हो.."
मैं पहले से ही काफी गर्म थी ही, अब उसकी बात हमें पिघलाए जा रही थी.. मैं वासना की आग में जलती कुछ बोल नहीं पा रही थी..फिर वो आगे बोला,"मैडम, अभी तो आप इन साहब को मजे दे दो, बाकी कुछ बचा तो अपने इस दिवाने का ख्याल रखना.."
और कहते हुए वापस नीचे की तरफ बढ़ गया...मैं अचानक ही धीरे से आवाज लगाती हुई उसे रूकने बोली.. वो फौरन वापस मेरे पास आ खड़ा हो गया..
"तुम ना वो जो मुझे देख गंदी हरकत करते रहते हो वो प्लीज आगे से मत करना.. अच्छी नहीं लगती हमें.. ठीक है अब तुम जाओ.."
मेरी बात सुनते ही वो मुस्कुराता हुआ हामी भर चल दिया.. उसके जाते ही मैं गेट बंद की .. तभी अंकल और पूजा भी रूम से निकलते हुए आए.. मेरे पास आते ही अंकल मूझे अपनी बाँहों में कसते हुए बोले," थैंक्स मेरी रानी, आज तो आपका आधे प्यार पा मैं गदगद हो गया.. मैं बहुत जल्द ही आपके पूरे प्यार को पाने आउंगा.."
"मतलब अभी आप जा रहे हैं.."मैं उनके सीने से चिपकते हुए बोली..
बगल में खड़ी पूजा मुस्कुरा रही थी..अब पूजा के सामने अब शर्म करने से कोई फायदे की बात तो थी नहीं जो शर्म करती...
"मन तो तनिक भी नहीं है आपसे हटने की पर क्या करूँ इन 1 घंटे भी सैकड़ों फोन आ चुके हैं..वो तो शुक्र है कि फोन साइलेंट थी वर्ना ....."
अंकल कहते हुए अपना लंड मेरी चुत पर रगड़ते हुए मेरी नंगी पीठ पर पर हाथ चलाने लगे.. तभी बीच में पूजा बोल पड़ी," अंकल, मेरी समझ में नहीं आ रही है कि भाभी आपको आधे प्यार कैसे दे दी.."
पूजा की बात सुनते ही अंकल झुकते हुए मेरी उभारों को चूमते हुए बोले," यहाँ से पूजा.."
अंकल के चूमते ही मैं सिसक पड़ी..और शर्म से नजरें छुपाती हुई मुस्कुराने लगी...
"वाह अंकल, भाभी को तो अभी भी शर्म आ रही है.. अच्छा बाकी के प्यार कब लेने आओगे?"पूजा मेरे कंधों पर हाथ रखती हुई पूछी..
"बहुत जल्द आउंगा साहिबा..अब तो रूक पाना मेरे बस की बात नहीं है..अगर विश्वास नहीं हो तो सीता से पुछ लो"अंकल अपने लंड की हालत बयान करते हुए बोले जो कि मेरी चूत में घुसी जा रही थी..
पूजा अंकल की बात सुन हँसती हुई बोली,"ओहो अंकल, मगर थोड़ा आराम से,, कहीं भाभी की साड़ी मत फाड़ देना.."
मेरी हालत पूजा की बात से और खराब होने लगी..
"वो सब छोड़ो अंकल, अब आप जल्दी जाओ वर्ना आपको जाने भी नहीं दूँगी.."मैं अंकल को थोड़ी ढ़ीली करते हुए बोली..
"हाँ हाँ अंकल, अब आप जाओ नहीं तो मेरी गरम भाभी आपका रेप कर देगी.." पूजा अंकल को हमसे अलग करती हुई हँसती हुई बोली.. मैं और अंकल भी साथ में हँस पड़े..
"जैसी आज्ञा मेरी रानी, रात में फोन करूँगा."अंकल गेट खोलते हुए बोले..
पूजा हाँ में सिर हिला दी..फिर अंकल को छोड़ने बाहर तक चली गई.. फिर वापस आते ही जल्दी से गेट लॉक की और अपनी चूत की गरमी निकालने के लिए पूजा को दबोच पलंग पर कूद गई...


 पूजा के साथ झड़ने के बाद कुछ देर खुली छत पर हवा खाई.. फिर वापस नीचे आ घर के काम में लग गई..

रोज की तरह अगली सुबह भी दूध लेने के बाद कुछ देर रूक उस ड्राइवर का इंतजार करने लगी...

इंतजार तो ऐसे कर रही थी कि मानों मैं उसकी प्रेमिका ही हूँ.. ज्यादा देर तक इंतजार करनी नहीं पड़ी..

आज वो काफी अच्छे से साफ-सुथरा लग रहा था.. हम दोनों की नजर टकराते ही याथ मुस्कुरा दिए और वापस अंदर आ गई..

आज वो कोई गंदी हरकत किए बिना ही चला गया, जिससे मैं काफी खुश लग रही थी..

घर के कामों से फ्री हो आराम करने लगी..आज पता नहीं अकेली काफी बोर क्यों हो रही थी...

फोन उठाई और नम्बर डायल करने लगी.. कुछ ही पल में भैया फोन रिसीव कर लिए..

भैया: "हैल्लो सीता, कैसी है तू और फोन क्यों नहीं करती.."

"मैं तो मस्त हूँ भैया, आप कैसे हैं?"

भैया: " मैं भी ठीक हूँ सीता, तुम तो वहां जाते ही हमें भूल गई.."

"नहीं भैया, भला अपने प्यारे भैया को कैसे भूल सकती हूँ.. अच्छा भैया भाभी कहां है.."

भैया: "वो तो घर पर है.. घर जाते ही बात करवा दूंगा.."

"ठीक है करवा देना, और आप कब आ रहे हैं हमें वो वाली दर्द देने......" मैं थोड़ी सकुचाती हुई बोली..

"ओहो मतलब मेरी रानी अभी अकेली है.. आउंगा जान, मौका मिलते ही तुम्हारी चूत मारने आ टपकूंगा" कहते हुए भैया हंस पड़े..

मैं भी भैया से चुदने की बात सुन शर्म से लाल हो गई..

"जल्दी आना भैया,, आपकी याद में काफी गीली हो जाती हूँ.." मैं अपनी हालत बयां करने की कोशिश की..

भैया: " जरूर रानी, और हाँ रानी जरा अपनी चूत को मजबूत बना कर रखना..अब तुझे प्यार से चोदने वाला नहीं हूँ.."

मेरी चूत ऐसी कामुक बातें सुन पानी छोड़नी शुरू कर दी थी..मैं बोली,"कोई बात नहीं भैया, जब एक बार ले ली तो डरने की क्या जरूरत अब.."

भैया: "अच्छा, वो तो तब पूछूंगा ना जब तू चिल्ला के छोड़ने की भीख मांगेगी और मैं तुझे किसी रंडी की तरह पेलता रहूँगा.."

भैया के मुँह से रंडी शब्द सुन मैं काफी रोमांचित हो उठी.. कैसे भैया मुझे बाजारू रंडी की तरह मसलेंगे..

"मैं इंतजार करूंगी भैया, मुझे सब मंजूर है.." मैं अपने भैया से एक रंडी की चुदने की हामी भर दी.

भैया: "आहहहह मेरी रंडी बहना, अब सब्र नहीं हो रहा.. अगली बार आएगी तो तुझे रंडी की तरह पूरे गांव वाले से चुदवाउंगा..."

भैया की बात से मेरी उंगली कब मेरी चूत में समा गई, रामजाने....मैं तेज तेज उंगली चलाती हुई बोली,"पहले आप तो पहले ठीक से कर लो भैया, फिर औरों की सोचना..हीहीहीही..

तभी भैया जोर से चीख पड़े...

"आहहहहहहह मेरी रंडी सीता.आ.आ.आ.आ.आ...."

भैया झड़ रहे थे... तभी मेरी चूत की भी नली खुल गई और आहहहहहहहह भैया कहते हुए मैं भी झड़ने लगी..

कुछ देर तक हम दोनों बिना कुछ बोले झड़ते रहे...फिर भैया बिना कुछ कहे फोन काट दिए..शायद वो फ्रेश होने चले गए थे...

मैं भी उठी और बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...फ्रेश हो रूम में आई और बेड पर लेट गई.. मेरी नजर घड़ी की तरफ गई जिसमें अभी 11:30 बज रहे थे... पूजा तो 2 बजे से पहले आती नहीं थी..

मन विचलित सी हो रही थी.. झड़ने के बावजूद प्यास कम नहीं हो रही थी... अकेली घर में काफी बोर फील कर रही थी..

अगले ही पल उठी और ब्लैक कलर की साड़ी निकाली.. साथ में मैच करती हुई एक लो कट ब्लाउज भी निकाली..

फिर साड़ी पहन हल्की मेकअप की... बालों को खुली छोड़ दी जो कि पीठ पर लहरा रही थी...और गेट लॉक कर बाहर निकल गई...

मेन रोड तक पैदल ही पहुंच गई..इतनी देर में ना जाने कितने मर्द मुझे देख अपना लंड मसल चुके थे... मेन रोड पर तो काफी गाड़ी दौड़ रही थी पर मैं तो किसी और की इंतजार कर रही थी..

सड़क पर सभी की नजर मेरी आधी नंगी चुची पर टिक के थम जाती जो कि ब्लाउज से साफ दिख रही थी...

पल्लू तो जान बूझकर सिर्फ एक चुची पर रखी थी... तभी धड़धड़ाती हुई एक ऑटो मेरे आगे आ रूक गई...जिसमें पहले ही काफी लोग बैठे थे सिवाए एक सीट के...

मैं एक नजर ड्राइवर पर डाली.. उसे देखते ही मैं चुपचाप बैठ गई... और अगले ही पल झटके लेती हुई ऑटो चल पड़ी..

ज्यों ज्यों ऑटो आगे बढ़ रही थी, सभी पैसेंजर अपनी मंजिल के पास उतर रहे थे.. सिवाए हमके, क्योंकि मैं कहां जा रही थी खुद नहीं जानती थी....

और वो ड्राइवर मिरर में मुझे देख मुस्कुराता हुआ बढ़ा जा रहा था...कोई 10 मिनट बाद सभी यात्री उतर चुके थे... बस मैं ही बची थी ऑटो में...;

जब से मैं बैठी थी तब से गौर कर रही थी कि अब वो सिर्फ लोगों को उतार रहा है,, कोई चढ़ने के लिए इशारे भी करता तो वो बिना देखे चला जा रहा था...

इस हरकत पर मैं मुस्कुराते हुए पूछी," इन लोगों को बिठा क्यों नहीं रहे हो..?"

वो मिरर में झाँकते हुए बोला,"मैडम, कमा तो मैं बाद में भी लूँगा पर आप से बातें करने का मौका थोड़े ही हरदम मिलेगा."


उसकी बातें सुन मैं मुस्कुराती हुई बोली," अच्छा, मैं बातें करने के लिए थोड़े ही बैठी हूँ...मैं तो कोमल दीदी की पॉर्लर पर जाने के लिए बैठी हूँ..."

पर सच तो यही थी कि मैं ईसी से बातें करने आई थी.. कोमल दीदी तो एक बहाना है...

"क्यााा? पॉर्लर जाएगी आप? अरे अभी भी तो काफी सुंदर लग रही हैं फिर पॉर्लर जा के करेगी क्या?"ड्राइवर चौंकते हुए बोला.

"नहीं मेरे बाल कुछ गड़बड़ सी लग रही है,उसी को ठीक करवाउंगी.."मैं उसकी बात का जवाब देती हुई बोली.. पर सच में मेरे बाल ठीक ही थी..

"पता नहीं मैडम, इतने अच्छे बाल में आपको कहां गड़बड़ लग रही है.." उसने पीछे पलट एक नजर डाली और फिर आगे देखने लगा...

उसकी बात सुन मेरी हल्की हंसी आ गई, फिर मैं बिना कुछ कहे दूसरी तरफ देखने लगी...

कुछ ही देर में मैं पॉर्लर के पास पहुँच गई थी..मैं ऑटो से उतर पैसे दी और पॉर्लर की तरफ बढ़ गई....
[...कहानी जारी है]




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