Friday, June 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI ऐसी चुदी कि मन भर गया-2

FUN-MAZA-MASTI
 ऐसी चुदी कि मन भर गया-2

 जीजू तो मेरी चूत कीसील तोड़कर चले गए थे लेकिन उसके बाद मेरी क्या हालत हुई वो में आपको बताती हूँ\जब तक किसी लड़की की चुदाई नहींहो तब तक तो कोई बात नहीं लेकिन लोडा खाने के बाद तो चूत हमेशा चाहती हे की कोई न कोई लोडा हमेशा उसमे घुसा रहे\जीजू के जाने के बाद में हर मर्द को उसी नजरिये से देखने लगी १५ साल का लोंडा हो या ५० साल का बुडा मेरी निगाहे हमेशा उसकी कमर के निचे होती निगाहे तलाशती रहती की इसका लोडा केसा होगा कितना लम्बा या मोटा होगा और अगर ये मेरी चूत में होता तो केसा लगता\
घर में अगर आस पड़ोस के छोटे बच्चे आ जाते तो में उनका छोटा सा लंड सहलाने लगती उसको कभी जोर से दबा देती तो बच्चा रोने लगता,भगवन से दुआ करती की हे भगवन इसका लंड जल्दी से बड़ा कर दे ताकि में अपनी चूत की ज्वाला शांत कर सकू\थोड़े दिनों में तो या हाल हो गया की में जब भी किसी जेंट्स को देखती तो काफी देर तक उसके लंड की जगह तकती रहती मुझे लगने लगता की मेरे देखने से इसका लोडा तन रहा हे\
हालत जब बेकाबू होने लगे तो में अपने घर में ही राह देखने लगी\ जीजी ,में,और हमसे छोटा हमारा १६ साल का भाई रवि दोस्तों की तरह रहे थे \जीजी की शादी के बाद रवि भी अपनी दुनिया में मस्त हो गया था\रवि के घर से जाने के बाद में ही उसके कमरे की सफाई करती एक दिन जब में उसके कमरे की सफाई कर रही थी पलंग के निचे मुझे उसके सफ़ेद रंग का जांघिया दिखा मेने उसको उठाया न जाने मुझे क्या सूझे की में जांघिया में वो जगह देखने लगी जहा लंड छुपा होता हे ,मुझे उस जगह कुछ दाग धब्बे से नज़र आये मेने जांघिया को अपना नाक
से सुंघा में क्या बताऊ आपको उस खुशबु को सूंघते ही में तो मस्त हो गयी \मेरा रोम रोम उतेजना से भर गया चूत गीली गीली सी लगने लगी मेने एक हाथ से जांघिये को सूंघना जारी रहा और एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी १० मिनट तक एसा करने के बाद मुझे लगा की मेरी चूत से कुछ निकाल रहा हे मेने एक बार जोर से चूत को रगड़ लगायी और मुझे लगा की मेरी चूत से कोई द्रव निकला और में शांत हो गयी\मुझे मज़ा आ गया अब तो मुझे रोज की राह मिल गयी रवि के जाने के बाद में उसके कमरे में जाती उसका कोई सा भी जांघिया लेती उसे सूंघती उत्तजित हो जाती चूत को सहलाती मसलती और स्खलित हो जाती\
एक परिवर्तन मुझमे और आ गया था पहले मुझमे अपने शरीर को लेकर काफी संकोच था में अपने शरीर को काफी छुपा कर रखती थी लेकिन जीजू से चुदाई के बाद मेरे मन में ये लगने लगा की ज्यादा से ज्यादा लोंडे मेरे शरीर को देखे,इसलिए मेने अपने पहनावे में भी change कर दिया अब में एसे कपडे ज्यादा पहन कर निकने लगी जिसमे मेरे शरीर का एक एक उभार दिख सके\
भाई का जांघिया सूंघने से मेरी उत्तेजना इतनी बाद गयी की मुझे लगने लगा की अगर मेरी चूत को जल्दी ही कोई लोडा नहीं मिला तो में जाने क्या कर बेठुंगी\


अचानक एक दिन एसा हादसा हो गया जो मेने सोचा भी नहीं था.में अपनी ८ सहेलियों के साथ एक ऑटो में सदर से स्कूल , जाया करते थे .ऑटो ड्राईवर का नाम केशव था और उसकी उम्र 25साल के लगभग होगी,वेसे तो सलीम रोजाना हमें हमारे घर से पिक करता और स्कूल छोरता मेरा घर सबसे पहले था इसलिए वो मुझे सबसे पाहिले पिक करता और स्कूल से आने के बाद छोड़ता भी सबसे बाद\मुझे लगभग १८ मिनट उसके साथ अकेले ऑटो में बेठना होता था\
उस दिन जेसे ही केशव ने मुझे घर के बहार उतरा तो मेने उसे अपना बैग ऑटो के पीछे से उतार कर देने को कहा केशव ने मुझे बैग तो दिया लेकिन इस तरीके से की जब तक में बैग संभालू वो मेरे दोनों बोबो को पकड़ चूका था मुझे एकदम करंट सा लगा ये तो सही हे की में चुदने को बेताब थी लेकिन इतनी भी नहीं की एक ऑटो ड्राईवर ही मेरे से छेड़खानी की सोचने लगे मने १ चांटा उसके गाल पर रसीद किया और घर में भागकर चली आई\
घर आकर जब में संयत हुई तो मुझे महसूस हुआ की मेरे दोनों बोबे बुरी तरह दुःख रहे हे केशव ने थोड़ी देर में ही उन्हें इतनी बेदर्दी से मसला था की वो ढीले पड़ गए थे,मेने तस्सली से केशव के बारे में सोचा वो एकदम काला लेकिन कसे हुआ बदन का मालिक था ऑटो चलते समय भी वो किसी के ऑटो के एकदम सामने आ जाने पर माँ बहन की गालिया दिया करता था .
अगले दिन केशव ने मुझसे निगाहे नहीं मिलायी लेकिन मेने देख लिया था की वो बेक mirror में बार बार मुझे घुर रहा हे
उस दिन पापा ने मुझसे कहा की वो दिन में मम्मी के साथ शोपिंग पर जायेंगे और रवि भी देर से आएगा इसलिए घर पर २-३ घंटे मुझे अकेले रहना पड़ेगा मेने कहा ठीक हे में रह लुंगी.मेरे मन में तो ये चल रहा था की आज घर पर कोई नहीं होगा तो मज़ा रहेगा में सारे कपडे उतर नंगी रहूंगी भाई का जांघिया लुंगी उसे अपनी चूत पर मस्लुंगी और जमकर मस्ती करुँगी \
लेकिन उस दिन जो हुआ वो मेरी कल्पना से भी बहार था घर से कुछ दूर पहले ही केशव का ऑटो ख़राब हो गया,मेने केशव से कहा जल्दी करो आज घर पर कोई नहीं हे और मुझे २-३ घंटे घर पर अकेले रहना हे मुझे जल्दी से घर भिजवाने की वयस्था करो.केशव ने एक ऑटो रोक मुझे बेठा दिया ,में उस ऑटो में बेठ kar घर आ गयी घर आते ही मेने अपने सारेकपडे उतर दिए और बिलकुल नंगी ही गयी\घर में आप अकेले हो और बिलकुल नंगे हो तो मज़ा ही कुछ और होता हे मेने शीशे में अपने आपको निहारा ,हाय क्या प्यारे प्यारे बूब्स हे मेरे,पतली कमर ,चूत कमसिन सी जिस पर रोयेदार बाल घूमी तो दोनों चूतड क़यामत ढाते हुआ,मेने अपनी छोटी अंगुली चूत में घुसना शुरू की तो चूत एकदम पनिया गयी\में धीरे धीरे अंगुली चूत में करने लगी और स्पीड बढाने लगी मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं रही अचानक दूरबेल्ल बजी तो मेरी तन्द्रा टूटी मेने जल्दी से निकर और टीशर्ट पहनी और दरवाजे पर आकर कहा-कोन हे बहार से आवाज़ आई-बेबी में केशव आपका टिफिन ऑटो में रह गया था वो देने आया हूँ मेने दरवाजा खोला की केशव तेजी से अन्दर आया और उसने दरवाजा बंद कर लिया\ मेरी समझ में कुछ आता इस सा पाहिले केशव मेरे उप्पर झपटा और मुझे अपनी बाहों में लेलिया,
वो कहने लगा मादेर्चोदनी तुने मेरे को चांटा मारा था तुझे बताता हूँ इसका नतीजा\
केशव तेजी से टीशर्ट के उप्पर से मेरे बोबो को मसलने लगा और कहने लगा की मुझे पता हे तू २-३ घंटे घर में अकेली हे आज तो में तेरा वो हाल करूँगा की तू आगे से किसी को चांटा मरने से पाहिले १०० बार सोचेगी\में समझ गयी की आज फिर से मेरी चूत का बाजा बजने वाला हे लेकिन बाजा ये keshavबजाएगा ये बात मेरे गले नहीं उतर रही थी मेने केशव का विरोध करने का फेसला किया\मेने केशव से अपने बोबो को छुड़ाने की कोशिश की और उसके हाथ पर काट खाया,केशव तिलमिला उठा उसने मेरे गाल पर २ कसके चांटे मरे और मेरे दोनों हाथ कस
कर पकड़ लिए उसने मुझे सीधा किया और अपने दोनों होठ मेरे होठो पर रख दिए और उन्हें बेदर्दी से चूसने लगा,में बेबस हो गयी
केशव अब तेजी से मेरे होठो को तो चूस ही रहा था साथ ही वो दोनों बूब्स को भी कसकर दबा रहथा\केशव के कालेकाले होठ मेरे पतले पतले गुलाबी होठो का जमकर रस स्वादन कर रहे थे\केशव ने बूब्स को मसलते मसलते एकदम टी शर्ट को खिंच दिया जिससे टीशर्ट फट गयी और मेरे दोनों बूब्स आज़ाद हो गए\अब तो केशव के हाथो में मेरे दोनों बोबो आ गए वो उनको और जोर से मसलने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पलो को नोचने लगा में छात्पटाने लगी\
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की में क्या करू अब केशव पर वासना का भूत तेजी से सर चड़कर बोलने लगा और उसने मेरा निक्कर भी खिंच दिया अब में उसके सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी चूत को देखते ही तो केशव पर और वहशीपन छाव गया वो कहने लगा आज रांड तेरा वो हाल करूँगा की तू और तेरी चूत रोजाना मुझ जेसे का लोडा मांगेगी\
मेने फिर एक बार विरोध का फेसला किया में जमीं पर बेठ गयी और अपना मुंह घुटनों में छुपा लिया केशव ने मुझे जोर से धक्का दिया,धक्के से में जमीं पर सीधी लेट गयी केशव को मोका मिला और वो मुझ पर चढ़ गया उसने फिर से ३-४ चांटे मेरे गाल पर मारे और जल्दी से मेरे दोनों बोबो को अपने मुंह में ले लिया और उन्हें तेजी से चूसने लगा ,उसके चूसने का तरीका एसा था की मुझे लगने लगा की जेसे वो दूध निकाल लेगा \वो बारबार मेरे निप्पलो को काट रहा था उसकी ये हरकत मुझे बेचेन्न करने लगी मेरे निप्प्ले सकत होने लगे और उसका असर चूत पर भी होने लगा चूत अब गीली होने लगी थी;मुझे मेरी बेबसी पर तरस आने लगा की आखिर मेरी चूत इतनी जल्दी हथियार क्या डाल देती हे\
अब केशव उठा उसने इधर उधर देखा और एक परदे को जोर से खिंच उसकी डोरी निकाल ली उसने मेरे दोनों हाथ पीछे किये और डोरी से बांध दिए\केशव अब खड़ा हुआ उसने अपने कपडे उतरना शुरू किया मेने शर्म के मरे आँखे बंद कर ली,थोड़ी देर में केशव मेरे सामने आया और बोला आँखे खोल मेने डर के मारे आँखे खोली तो दंग रह गयी सामने केशव का १२ इंच का लोडा किसी फन फहराते सांप की तरह लहरा था ये ही नहीं उसकी मोटाई को देखकर तो में दंग रह गयी;उसका लोडा जीजू के लोडे से लम्बा भी था और मोटा भी लेकिन जन्हा जीजू का लोडा गुलाबी था वंहा इसका लोडा बिलकुल काला\केशव ने अपने लंड को मुझे इस तरह तकते हुए देखा तो वो बोला ,चिंता मत कर इसके सारे उपयोग तेरे पर ही होंगे\
केशव ने मेरे बाल पकडे और अपने लोडे को बिलकुल मेरे मुंह पर लाकर बोला इसको चूस चूत मरवानी मेने गर्दन हिलाकर मना किया तो उसने अपने लंड को जबरन मेरे मुंह में घुसा दिया;मेरे पूरा मुंह उसके लोडे से भर गया में उसका लोडा चूसने लगी;केशव मेरे फुले गालो पर थपकिया देता रहा और कहने लगा तेरी चिकनी जन्घो पर मेरी कब से नजर थी बहन की लोडी में तो कब से सोच रहा था की तेरी चूत देखने को मिलेगी कब अपना लंड उसमे घुसाने का मोका मिलेगा;मेरी चप्पन चुर्री आज तो तेरी चूत तेरी गांड तेरे बोबो के इतने मज़े लूँगा और दूंगा की तू तो क्या तेरी अम्मा भी केशव को याद करेगी\
केशव का लोडा चूसते चूसते मेरा हलक सूखने लगा था लेकिन मेरी चूत तरबतर हो गयी थी और शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना भर गयी थी\मेने केशव से कहा मेरा हलक सुख रहा हे केशव ने कुछ सोचा और फिर मेरे मुंह को कसकर पकड़ लिया और उसमे पेशाब की धार छोड़ दी न चाहते हुआ भी मुझे केशव के लोडे से पेशाब को पीना पड़ा\
अब मेने सोचा की चुदाई तो होनी ही होनी हे तो फिर मज़े से ही क्यों नहीं करवाओं ;मेने केशव से कहा मेरे हाथ खोल दो में तुम जेसा कहोगे वेसा ही करुँगी\केशव ने मेरी आँखों में देखा शायद उसने मेरी आँखों के वासना के डोरे पड़ लिए और उसने मेरे हाथ खोल दिए;मेने लपक कर केशव का लोडा लिया और अपने मुंह में भर लिया;केशव मेरे बालो से अटखेलिया करता रहा और में उसका लोडा चुस्ती रही केशव मुझे अनवरत गालिया भी दिए जा रहा था-बहन की लोडी ;रंडी की ओलाद ;गंड मरी ;चूस जोर से चूस निकाल ले इसका सारा माल और डाल ले अपने मुंह में \
थोड़ी देर में केशव ने अपना सारा वीर्य मेरे मुंह में छोड़ दिया में गटागट सारा वीर्य पि गयी \मेरे को भी मस्ती चढ़ गयी थी मेने केशव से कहा बहन के लोडे अब तू भी तो मेरी चूत का रस निकाल ;केशव ने मुझे जमीं पर लिटाया और अपनी जीभ मेरी चूत के दोनों होठो पर रख दी में तो निहाल हो गयी सलीम मेरी चूत को चूसने लगा \में केशव के सर पर हाथ फिरने लगी अब गालिया देने की बारी मेरी थी\
ओ भाडू की ओलाद ,तेरी बहन की चूत में इतने लोडे घुसे की उसकी चूत में पूरा आगरा समां जाये;तेरी माँ को ,तेरी माँ की चूत में गधे का लंड तेरी बहनों की चूत में कुत्ते का लोडा गांडू की ओलाद गांडू चूस चूस; इस चूत रस को ;\
केशव ने अपनी जीभ चूत के पूरा अन्दर घुसा दी थी मुझे एसा लग रहा था की दुनिया यंहा ही थम जाये;में अब अपने चुत्डो को थिरकाने लगी \थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और केशव पुरे पानी को चाट गया जेसे की कुत्ता हड्डी को चूसता हे\अब केशव ने मुझे उल्टा कर दिया में समझ गयी की अब गांड का तबला बजने वाला हे केशव ने गांड में अंगुली डाली तो में चिहुक उठी,मेने कहा भाडू धीरे धीरे कर,उसने कहा तू शकल से तो लगती नहीं हे की इतनी बड़ी छिनाल होगी ये तो बता अपनी चूत किस से चुदवाई हे\में बोली मेरे गांडू जीजा से\;वो बोला अरे तेरी बड़ी बहन नीलम के पति से मेने कहा\ ठीक हे उस भाडू को भी कोनसा सील पाक माल मिला हे \,मेने कहा क्या मतलब उसने कहा अरे कोई मतलब वतलब नहीं तेरी बहिन भी तो मेरे ऑटो मी ही तो जाती थी उस से मालूम कर लेना की केशव का लोडा केसा लगा\ओहो दीदी भी शादी से पहले अपनी सील तुडवा चुकी थी मेने केशव से कहा की ये कब और केसे हुआ; कहा पहले तू आम खा अपनी दीदी के पेड़ बाद में गिन \
केशव ने अब अपनी जीभ मेरी गांड में घुसा दी मुझे बड़ा अजीब सा लगा मेने केशव से कहा मेरी गांड से अपनी जीभ निकाल ये गन्दी जगह हे \केशव ने कहा रानी हम जिस से प्यार करते हे उसकी कोई चीज भी हमें गन्दी नहीं लगती,में उसकी बात सुन कर निहाल हो गयी\केशव की जीभ का स्पर्श मेरी गांड को बहुत अच्छा लग रहा था ;वो मेरी गांड में जीभ फिर्रा फिरा कर इस तरह चूस रहा था की में आपको भी सलाह देना पसंद करुँगी की अपनी गांड में किसी मर्द की जीभ जरुर चटवाना आपकी गांड मस्त हो जाएगी\
केशव जब मेरी गांड को अच्छी तरह से चाट चूका ,उसके बाद वो मेरे चुत्डो को चूसने लगा कई बार वो अपने दन्त भी लगा देता में इतनी मस्त हो गयी की मेने केशव से कहा की अगर गांड मारनी हे तो वो जल्दी करे;केशव ने कहा में घोड़ी बनू में घोड़ी बनी की केशव ने अपना लोडा मेरी गांड के मुंह पर लगा दिया और ठक ठक कर घुसाने लगा में दर्द से तड़प उठी मेने कहा मादरचोद क्या गांड फाडेगा पाहिले लोडे को चिकना तो कर लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी और वो अपना लोडा मेरी गांड में पेलता रहा \
धीरे धीरे उसने पूरा लोडा अन्दर कर दिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया\में आनंद के सागर में डूब गयी,केशव का लोडा मेरी गांड के अन्दर था तो उसके दोनों आंड मेरे चुत्डो और चूत के बीच टकरा रहे थे\केशव ने मेरे दोनों बोबो को सहारे के लिए पकड़ रखा था हर धक्के के साथ छतिया खूब मसली जा रही थी\
केशव का लोडा मुझे गांड में एसा लग रहा था जेसे कोई जहाज समुन्दर को फाड़ता हुआ जा रहा हो \आप ये न समझो की मेरी गांड समुन्दर थी बल्कि केशव का लोडा जहाज था\१५ मिनट तक मेरी गांड की मराईके बाद केशव के धक्के तेज हो गए वो हाफ्ने लगा और बुदबुदाने लगा मेरी जान तेरी गांड की खूबसूरती पर में कुर्बान \केशव अब हर धक्के के साथ मेरी गांड को भी मसल रहा था,नोच रहा था,चुटकिय भर रहा था ,और फिर उसने अपने सारे लंड की मलाई यानि वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया\मेरी गांड में जेसे गरम गरम लावे का सेलाब आ गया हो \में जमीं पर गिर गयी और केशव मेरे उप्पर ,काफी देर तक हम दोनों एसे ही पड़े रहे \
अब मेरी चूत की बारी थी;मेने सोचा केशव थक गया होगा में उसके लिए दूध लती हूँ \में उठने लगी तो केशव ने कहा -कंहा जा रही हो मेने बहाना बनाया की मुझे जोर से पेशाब लगी हे केशव ने कहा मुझे भी लगी हे आज हम दोनों साथ साथ पेशाब करते हे में मान गयी हम टोइलेट में गए;केशव ने कहा की में उसके सामने खड़े होकर पेशाब करू मेने अपनी चूत से खड़े खड़े ही पेशाब की धार छोड़ी केशव मेरे सामने खड़ा रहे;मेरे पेशाब की धार मेरी जन्घो से होकर जा रही थी\अब मेने केशव का लोडा पकड़ लिया और उसे हिला हिला कर पेशाब करवाने लगी\
केशव ने मुझे बांहों में उठा लिया और बेड पर लाकर पटक दिया,उसने मेरी दोनों जांघे चोडी कर दी और मेरे उप्पर चढ़ गया\मेने भी उसे अपनी बांहों में समेत लिया,केशव ने मेरे एक बोबे को अपने मुंह में दबा लिया और उसे चूसने लगा दुसरे बोबे को उसने हाथ से पकड़ लिया और उसे मसलने लगा ,अपने दोनों होठो से उसने मेरे गालो पर कई चुम्बन जड़ दिए कई बार उसने गालो को कट भी खता उसका मुसल जेसा लोडा मेरी दोनों जन्घो के बीच फंसा हुआ था और चूत में घुसने को बेताब था \में भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रखे हुए थे कभी कभी में उसके चुत्डो पर भी हाथ फिर रही थी और उसकी गांड में अंगुली भी कर रही थी मेरे होठ भी उसके होठो से मिले हुए थे ,चूत बिलकुल गीली हो चुकी थी\
केशव अब मेरी चूत में लोडा घुसाने लगा,लेकिन लोडा अन्दर नहीं जा रहा था;वो बार बार चूत के मुंह पर लोडा टिकता और जोर से धक्का मरने की कोशिश करता लेकिन मेरी चूत छोटी होने के कारन लोडा बार बार फिसल जाता\केशव अब निचे झुका और उसने मेरी चूत के होठो पर अपने होठ लगा दिया;वो मेरी चूत को चाटने लगा उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी में तो पागल सी हो गयी मेरे मुंह से सिस्कारिया निकलने लगी;में उसे गालिया देने लगी-अरे मादरचोद धीरे धीरे चूस ओ भोसड़ी के ओ बहब्चोद आ आ ;;;आ अरे मादरचोद क्या सारा रस जीभ से ही निकलेगा क्या ...भाडू अब तो लोडा खिला ,अपना सारा रस मेरी चूत में डाल दे मादरचोद मुझे अपने बच्चो की माँ बना दे ;केशव भी अपना सर चूत से हटाकर मेरे बोबो को मसल देता और कहता मदर्चोद्नी चिंता क्यों करती हे अपने वीर्य से तेरे इतने बच्चे पैदा करूँगा की जिन्दगी भर वो तेरे बोबे चूसते रहेंगे\
केशव अब उठा उसने कहा की में उसके लोडे को चूसकर चिकना कर दू मेने लपक कर उसका लोडा अपने मुंह में लिया और उसको चूसकर गिला कर दिया केशव ने अब लोडा चूत के मुंह पर टिकाया और जोर से थाप मारी लोडा आधे के करीब घुस ,गया पर मेरी दर्द के मारे जान निकाल गयी में चीख उठी ,अरे मादरचोद फ्री में चूत मिल रही हे तो उसको बेदर्दी से चोद रहा हे भेण के लोडे धीरे धीरे कर पर केशव पर तो जेसे जूनून सवार हो गया हो उसने तो ३ धक्के और जोर से मारे और पूरा १२ इंच का लोडा मेरी चूत में घुसा दिया\में तडपनेलगी लेकिन उस को इससे क्या उसने तो धक्के मरना शुरू किये तो रुका ही नहीं दे दना दन दे दना दन मेरी नाजुक कमसिन चूत की धज्जिय उड़ गयी फत्च फुत्च फत्च फुत्च से पूरा कमरा गूंज उठा ;कुछ ही समय में चूत ने भी अपने सटे तेवर ढीले कर दिए और वो पुरे लोडे को गप गप लेने लगी में भी अब लोडे की अभयस्त हो गयी तो मेने भी अपनी गांड को निचे से हिलाना शुरू किया ताकि चूत और लोडे का संगम अच्छी तरह से हो सके\
केशव मेरे पर पूरी तरह चा गया था \मेर चूत से तो जेसे पानी की गंगा बह रही थी जो बह बहकर मेरी जांघो पर आ रही थी,केशव के धक्को से दो बार तो में झड गयी लेकिन उसका धक्का मारना नहीं रुका\में केशव से बार बार विनती करती रही-चोद चोद मादरचोद


एक बार तो चूत को पानी पिला एक बार तो इसकी अग्नि ठंडी कर लेकिन वो तो जेसे मेरी पूरी परीक्षा लेना चाहता था\उसने अपने लोडे का पानी चूत में छोड़े बगेर ही बहार निकाल लिया ,मेने कहा क्या कर रहे हो उसने कहा आज में तुझको हर तरीके से चोदुंगा ये कह कर उसने मुझे बेठा लिया और खुद भी बेठ गया ,अपनी जांघे मेरी जांघो के बीच फंसा ली और लोडे को फिर चूत में घुसा दिया अब हम दोनों आमने सामने थे,उसका लोडा तो वापस चूत में घुसा हुआ था मेरे दोनों बोबे उसकी बलिष्ट छातियो से टकरा रहे थे, चूमा चाटी,का सिलसिला अनवरत जारी था ,उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के निचे टिका रखे थे जिस से वो गांड को सहला रहा था तो कभी कभी उस पर चिकोटी भी काट रहा था ,कभी गांड में अंगुली भी कर देता तो में उछालजाती , बीच बीच में वो बोबो को भी मसल देता निप्प्ले तो इतनी घायल हो चुकी थी की अगर मेरा बच्चा भी होता तो ६ महीने में उसको दूध नहीं पिलाती]
मेरी समझ नहीं आ रहा था की में केसे chuddakad औरतो की तरह लोडा खा रही थी\लेकिन एक बात तो मेरे ये समझ आ गयी थी की भगवन किसी लोंडिया की शादी चाहे उस पेसे वाले से नहीं करे जिसका लोडा ४ इंच का ही हो ;शादी उस से करे जिसका लोडा ९ इंच का हो और जो चूत का रोज बाजा बजाये,केशव के लोडे ने मेरी चूत को सुजा दिया था फिर भी उसका लोडा वीर्य रूपी प्रसाद छोड़ने को तेयार नहीं था\
मेने सोचा की केशव एसे नहीं मानेगा मेने उसको जोर से धक्का दिया और निचे गिरा दिया अब में उसके उप्पर चढ़ गयी और अपनी चूत को उसके लोडे पर टिका अन्दर घुसा लिया अब में केशव पर सवार थिओर धक्के लगाने लगी,केशव ने मेरे दोनों बोबो को पकड़ लिया और उनकी मसला मसली शुरू कर दी मेरी गांड से उसकी झांटो के बल चुभ रहे थे जो मेरी गांड को अनूठा मजा दे रहे थे मेरी चूत अब वीर्य को तरस रही थी ,मेने धक्को की रफ़्तार बड़ा दी और उतेज्नावश जोर जोर से चिल्लाने लगी--छोड मदचोद छोड,अब अपना पानी छोड अब मत तरसा मत तरसा मदचोद जो तू कहेगा वो ही में करुँगी अपनी सब सहेलियों की चूत में तेरा लोडा करवौनगी \तेरे लोडे की हमेशा पूजा करुँगी तू जब कहेगा तेरा लोडा खाने आ जाउंगी,,केशव भी अब पुरे जोश में आ गया था उसने भी धक्को की रफ़्तार बड़ा दी और थोड़ी देर में ही मेरी चूत में वीर्य की असी धार छोड़ी की में निढाल होकर उस पर गिर गयी काफी देर तक में उसकी बांहों में पड़ी रही अचानक मुझे ख्याल आया की काफी देर हो चुकी हे और पापा मम्मी आने वाले होंगे\मेने केशव से कहा की वो अब चला जाये,केशव ने मेरे ७-८ कस कर चुम्बन लिए और उठ खड़ा हुआ\हम दोनों ने एक दुसरे को कपडे पहनाये और फिर लिपट गए दोनों ने वादा किया की जल्दी ही हम फिर मिलेंगे चुदाई करेंगे में अपनी और सहेलियों को उसका लोडा खिलने की वयस्था करुँगी और वो भी मेरे लिए उस जेसे नए लोडे का इंतजाम करेगा\इस तरह हम दोनों विदा हुआ और मेने आपको बताई अपनी कहानी एक बार फिर चुदी में

 यह बात करीब कुछ महीने पहले की हैं, तब लोकेश का ट्रान्सफर जयपुर हो गया था और मेरे सास ससुर अपने छोटे बेटे के साथ रहने पुणे चले गये थे जैसे कि हर शादीशुदा जोड़े का होता है, शादी के पहले साल में सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं सूझता, मेरे पति को और मुझे भी।लोकेश अब काफी बदल गए थे,शायद इसलिए भी कि अब हम दोनों ज्यादा साथ रहने लगे थे जब भी मौका मिलता, हम लोग चुदाई में लग जाते थे। उनकी ड्यूटी शिफ्ट में होती थी इसलिए सेक्स के लिए वक़्त की भी कोई पाबन्दी नहीं थी, जब भी उनका मूड होता था, वो शुरू हो जाते थे। कई बार छुट्टी के दिन तो वो मुझे अन्दर कुछ भी पहनने को भी मना करते थे, ताकि चुदाई करने में कोई वक़्त न डालना पड़े।


कभी कभी वो ब्लू फिल्म की सीडी लाते थे, वो देखने के बाद चुदाई और भी जोर से होती थी। शादी से पहले मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था लेकिन जयपुर में आने के बाद कुछ ज्यादा ही पता चल रहा था। हम लोग कभीगोरव टावर या दूसरे किसी जेसे जलमहल घूमने गए तो वह बैठे जोड़ों को देख कर कुछ अजीब सा लगता था, लेकिन रत में चुदाई के वक़्त उसके बारे में सोचा तो बड़ा मज़ा आता था।


एक साल की ऐसी मस्त सेक्सी जिंदगी के बाद, सब रोजमर्रा जैसा काम सा लगने लगा था। मुझे सेक्स में इतना मज़ा नहीं आ रहा था। हाँ, चुदाई होती थी लेकिन उनका मन रखने के लिए। जब भी वो मूड में होते थे, मैं न नहीं कहती थी, टाँगें फैला कर लेट जाती थी और वो लग जाते थे।


थोड़े दिनों के बाद जब मेरा मूड नहीं होता था तब मैं कभी कभी मना भी करती थी। कभी कभी वो मान जाते थे। वो भी तरह तरह से मुझे गर्म करने की कोशिश करते थे। कभी गर्म होती थी कभी नहीं। कभी कभी चुदाई के वक़्त वो अपने दोस्तों के बारे में, उनकी बीबियों के बारे में बातें करते थे। पहले तो मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। लेकिन बाद में सोचा कि अगर उनको ऐसी बातों से मज़ा आता हैं तो क्यों नहीं।


उन्हीं दिनों हम लोगो ने एक अंग्रेज़ी मूवी देखी। नाम तो याद नहीं लेकिन उसमें भी मिंया-बीबी होते हैं जिनकी कल्पनाओं की एक सूचि होती हैं और वो एक-एक कल्पना पूरी करते जाते हैं।उन्होंने मुझसे कहा की में उनके किसी दोस्त के बारे में एसे ही कोई कल्पना करू ।


उस पहले तो मुझे यह कुछ अजीब सा लगा लेकिन उनके बार-बार कहने पर मैं मान गई क्योंकि जब मैं भी गर्म मूड में होती हूँ तब ऐसी सब बातें अच्छी लगती हैं।
उन्होंने पूछा- तुम्हारी काल्पनिक लालसाएँ क्या हैं?
लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोली। उन्होंने बड़ी कोशिश की लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया। कई बार पूछने के बाद भी मेरे न बोलने से उन्होंने पूछना छोड़ दिया।
अगली बार जब हम लोग चोदने के बारे में सोच रहे थे तब उन्होंने अपना लण्ड मेरे हाथ में थमाया और कहने लगे- तुम्हें कैसा लगेगा अगर कोई बड़ा मोटा काला लंड तुम्हारे हाथ में हो?
मुझे उनका ऐसा कहना कुछ अजीब सा लगा। कुछ गुस्सा भी आया, सोचा कि यह कैसा मर्द हैं जो दूसरे किसी का लंड अपनी बीबी के हाथ में देने की बात कर रहा है। लेकिन मन ही मन में उस बारे में सोच कर अच्छा भी लगा लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया।
वो बोलने लगे- तुम्हें इतना सोचने की जरुरत नहीं है। देखो, मैं चाहता हूँ कि मैं दूसरी किसी औरत को चोदूँ। मुझे मेरे बहुत सारे दोस्तों की बीवियाँ अच्छी लगती हैं। और भी पड़ोस वाली बहुत सारी औरतें हैं जिन्हें चोदने की मेरी इच्छा हैं। तो फिर अगर तुमको लगता है कि किसी और से चुदवा लूँ तो उसमे गलत क्या है?
वो जो कह रहे थे ठीक था। लेकिन असल में ऐसा कुछ करना मुझे ठीक नहीं लगता था।
मैंने कहा- तुम्हें जो लगता है, वो लगने दो लेकिन मुझे उसमें कोई रुचि नहीं है।
बात यही पर नहीं रुकी।अगली बार से जब भी मौका मिलता, वो इस बात का जिक्र करते और मैं मना करती। उनको लगता कि मैं थोड़ी खुल जाऊँ। शायद मुझे किसी और से चोदने के ख्याल से उन्हें बड़ा मज़ा आता था। या शायद, अगर मैं किसी और से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो उनको किसी और औरत को चोदने का मौका मिल जायेगा। शायद वो मुझे अपराधी महसूस करवाना चाहते थे पता नहीं।

ऐसे ही बहुत बातों के बाद आखिर में मैं इस बात के लिए मान गई कि मैं कुछ अंग-प्रदर्शन करूँ जब जब मौका मिले और वो भी दूसरी औरतो के बारे में गन्दी बाते करें। अगर मुझे लगा तो मैं भी दूसरे मर्दों के बारे में बोलूँ या दूसरों के बारे में हम लोग बेझिझक बातें करें, दोनों के बीच में कोई बंधन न रहे। संक्षेप में हम एक दूसरे के सामने बेशर्म हो कर बातें करें।
जब कभी हम लोग बाहर घूमने जाते, मैं थोड़ा मेकअप करती, इनके कहने पर मैंने दो तीन गहरे गले के ब्लाऊज़ भी सिला लिए थे। कभी कोई शादी या ऐसी कोई उत्सव में जाते वक़्त मैं भी गहरे गले के ब्लाऊज़ पहनने लगी। मुझे भी मज़ा आने लगा था। अगर कोई मेरी तरफ देखे तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था।
शायद रमेश भी इस ख्याल से गर्म होता था। उस रात जब चुदाई होती थी, तब वो बोलता- वो आदमी कैसे घूर कर तुम्हारी तरफ देख रहा था। शायद तुम्हें याद करके अब मुठ मार रहा होगा।
मुझे भी ऐसी बातें अच्छी लगने लगी। मैं भी बोलती- हाँ ! मुझे भी ऐसा ही लगता है। अगर वो वाला आदमी मिल जाये तो उससे मस्त चुदवा लेती ! वो मुझे मस्त चोदता ......!
लोकेश की हालत देखने लायक होती थी। शायद वो डर जाता था कि कहीं मैं सच में तो किसी से चुदवा तो नहीं रही? वो लाख छुपाना चाहे लेकिन उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई देता था। लेकिन फिर कभी वो दूसरे मर्द के बारे में बात करने लगे तो मैं एकदम गुस्सा हो जाती थी। उसे भी समझ में नहीं आता कि यह अचानक फिर क्या हो गया? लेकिन तब उसके चेहरे के ऊपर की चिंता गायब दिखाती थी।
मैं भी मन ही मन में किसी और से चुदवाने के बारे में सोचने लगी थी। कोई हट्टा-कट्टा मर्द दिखाई दे तो लगता था- काश यह मुझे मिले और मैं इसके साथ मस्त चुदाई करूँ।
कभी कभी इसी ख्याल में मेरी चूत गीली हो जाती थी ।
जिस गली के मकान में हम रहते थे उस मकान के निचे 1 दुकान थी,हमारे मकान मालिक ने उस दुकान को किराये पर दे दिया ।मुझे पता चला की उसका नाम असलम हे और वो उस दुकान में बेटरी का काम करता हे।असलम 30 साल का हत्ता कट्टा नोजवान था और वो हमेशा अपने काम में ही लगा रहता था,में जब भी लोकेश के साथ बहार जाती तो एक नजर उसकी दुकान पर डाल लेती।।उसकी नजरे हमसे मिल जाती तो वो आंखे झुका कर हमसे नमस्कार कर लेता जवाब में हम भी नमस्कार कर देते ।
हमारे मकान की 1 खिड़की गली में खुलती थी 1 दिन जब में दिन में खिड़की से बहार गली में देख रही थी ,अचानक मेने देखा असलम गली में आया और अपने पेंट की जिप खोलकर अपने लंड को बहार निकला और पेशाब करने लगा।।उसका धयान नही था की में उप्पर खिड़की में से उसको देख रही हु।।मेरी तो उसके लंड को देखते ही साँस उप्पर के उप्पर ही रह गयी,काला मोटा 9 इंच लम्बा सांप की तरह फेन फ़नाता लोड़ा देख मेरी चूत तो गीली हो गयी।।मन तो असा हुआ की अभी उप्पर से ही गली में कूद जाऊ और असलम के लोडे को पकड़ कर अपनीचूत में डाल लू,पर पर में मन मसोस कर रह गयी।अब तो मेरा रोज का ही काम हो गया की में अपने काम काज निबटा कर खिड़की के पास बेठ जाती और असलम के पेशाब करने के लिए आने का इंतजार करती रहती।।असलम दिन में 2-3 बार पेशाब करने आता और में उसके लोडे को देख देख कर गरम हो जाती ।अब तो रात को भी जब लोकेश चुदाई करते तो में असलम की कल्पना करती,असलम के लोडे का ख्याल करते ही में गरम हो जाती लोकेश समझते की उन्होंने मुझे गरम कर दिया,और वो अपनी मर्दानगी पर बहुत खुश होते लेकिन सच बात तो ये थी की लोकेश की चुदाई में अब मुझे बिलकुल भी मजा नही आता था और में प्यासी की प्यासी रह जाती थी।
मेरी समझ नही आ रहा था की में असलम को चोदने के लिए केसे तेयार करु ,लेकिन अक दिन जेसे भगवान ने मेरी सुन ली।।में खिड़की से असलम को पेशाब करते देख रही थी की असलम ने एकदम अपनी निगाहे उप्पर उठा दी,उप्पर में असलम को देख रही थी की मेरी निगाहे भी असलम से टकरा गयी,असलम एकदम हक्का बक्का रह गया उसका लोडा उसके हाथ से छुट गया और हवा में झूलने लगा ।थोड़ी देर माँ असलम को जेसे होश आया हो उसने अपना लोडा पेंट के अन्दर किया और जल्दी से अपनी दुकान की और चला गया ।
अब जेसे असलम को भी एहसास हुआ की कोई जवान ओरत ने उसके लोडे को देख लिया हे ,वो जब भी पेशाब करने आता .बड़ी देर तक अपने लोडे को हिलाता रहता .में भी मस्त होकर उसके लोडे को देखती रहती।अब तो में मोके का इंतजार देखने लगी की कब असलम का लोडा मेरी चूत की प्यास बुझाए ।
हुआ यूँ कि -1 दिन लोकेश को कहीबहार जाना पड़ा और में घर पर अकेली थी।में तुरंत तेयार हो कर खिड़की के पास खड़ी हो गयी ,जेसे ही असलम पेशाब करने आया मेने उसकी और आँख मरी और उसे उप्पर आने का इशारा किया ,जेसे ही असलम उप्पर आया अगले पल मैं उसकी बाहों में थी। उसने मुझे जोर से कस लिया और बेसब्री से मुझे चूमने लगा। मेरी भी हालत कुछ अलग नहीं थी। मैं भी सालों की प्यासी की तरह उसका साथ देने लगी थी। एक पराये मर्द की बाहों में होने का अनुभव कुछ और ही था।
उसने कहा- भाभी, तुम बहुत सुंदर हो। कब से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आकर दोस्ती की बात करूँ लेकिन हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। पता था यह मुझे मक्खन लगा रहा है, मैंने भी कहा- जबसे तुम यहाँ आए हो, तबसे तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मैं भी चाहती थी कि तुम्हारे जैसा कोई तगड़ा जवान मिले जो मेरी सारी इच्छायें पूरी करे !
उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। मैं भी अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ दे दिया और उसके शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने धीरे धीरे मेरे गाउन में हाथ डाला और अपना चेहरा गाउन के ऊपर रख दिया।
मैंने कहा - ज़रा आराम से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !
उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैंने उसकीपेंट और कमीज़ भी निकाल दी। वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया, मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चूचे चूसने लगा। मैं भी अब उसका पूरा देने लगी थी, मैंने उसके लण्ड को हाथ में पकड़ा, ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।
असलम बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब पूरा पानी अभी निकल जायेगा !
उसने मेरे स्तन चूसते-चूसते अपने हाथ से मेरी पैन्टी निकाल दी और हाथ मेरी चूत पर फेरना शुरू कर दिया।
मैंने उसका अंडरवीयर निकाल दिया और उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। उसने मेरे चूचों से अपना मुँह हटाया और मेरी नाभि को चाटना शुरू किया। मैं और कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। फिर उसने धीरे धीरे अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। मेरी सिसकी निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट सके।
थोड़ी देर में मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अपने पति का लंड चूसते समय बहुत बार मैं कतराती थी लेकिन अब क्या हुआ था पता नहीं, मेरी पूरी लाज शर्म कहीं खो गई थी। मैं लॉलीपोप की तरह उसका लंड मज़े लेकर चूसती जा रही थी। वो इतना मोटा और गर्म था कि लगता था किसी भी वक़्त पानी छोड़ देगा।
वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहा था, बोला- अब से यह तुम्हारा है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकती हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकती हो।
उसने अब अपना लण्ड मेरे मुँह के और अन्दर धकेल दिया मैं और जोर जोर से चाटने लगी। वो एक बार फिर से मेरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ मेरी चूत में और भी जल्दी जल्दी और अन्दर-अन्दर डालने लगा।
मैंने उसका लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली- अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे यार ! मेरे ख्यालों के राजा ! मेरा पति भी मुझे तेरे जैसे ही हट्टे कटते जवान से चुदवाना चाहता था ! चोद डालो मेरे राजा !
उसने मुझे ठीक तरह से नीचे लिटाया, मेरी टाँगें फैलाई, अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रखा और एक धक्के में अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में आधा घुसा दिया। काफी बड़ा था। मेरी तो जैसे चीख सी निकल गई, मैं बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो !
उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा लंड मेरी चूत में चला गया।
वो बोला- आह आह उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्म आआ ! क्या मस्त चूत है तेरी ! मेरी रानी ! एकदम रबर की तरह मेरे लंड पर चिपक गई है ! बहुत खुजली हो रही थी ना इसलिए झुक-झुक कर लोडा देखा करती थी? कैसा लग रहा है? ले काला मोटा लण्ड? अब से जब भी चुदती होगी तब मुझे याद कर लेना, अपने आप गर्म हो जाएगी तेरी यह मस्त चूत ! लगता है कि फाड़ डालूँ तेरी यह मस्त चूत.....
मैं बोली- यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !
उसने अपनी गति बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर वार करने लगा। उसने मेरे चुचूक मुँह में लिए और अपनी गति और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। मैंने उसे जोर से चूम लिया और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में असलम और मैंने फिर से चूमना शुरू किया और इस बार मैंने पहले उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
वो पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए।
उसने इस बार मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे बूब्स को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। चोदते समय वो मेरी गांड के ऊपर भी छोटे बड़े चांटे लगा रहा था। क्या बताऊँ कितना मज़ा आ रहा था। इस अवस्था में लंड सीधा चूत में घुस जाता है औवो बोल रहा था- कितनी मस्त है तेरी गांड, लगता है कच्चे आम की तरह उसे चबा डालूँ !
और अपनी उंगलियाँ मेरी गांड पर दबाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चीख निकल गई, मैं बोली- आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है, अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।
उसने मेरी कमर पकड़ कर पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने उसे कहा- लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये !
वो बोला - कोई बात नहीं ! तुम लगी रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !
उसने अब मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मेरी सिसकारियाँ अब तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरी चूत झड़ने को तैयार नहीं थी । फिर मैंने सोचा कि अगर उसका लंड एक कसी सी चीज़ में जाए तो शायद और मज़ा आए और मैं झड़ जाऊँ । मैंने उसे अपना लंड मेरे गांड के ऊपर फेरने के लिए कहा।
असलम शायद मेरा इशारा समझ रहा था, वो बोला- क्या इरादा है? गाण्ड मरवाने का का इरादा है क्या?
मैंने कहा- हाँ यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।
उसने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। उसका मोटा लंड मेरी गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और मेरी चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह ! निकाल दो इसे बाहर ! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई ...आये ए हह आ आ आ !
उसने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से मेरे मम्मे दबा रहा था जिससे गर्मी और बढ़ती जा रही थी। उसने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। अब मैं भी उसका फिर से भरपूर साथ दे रही थी। उसने मुझे ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और मेरी कसी गांड में उसका लंड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर वो कुछ देर बाद मेरी गांड में ही झड़ गया। मेरी जिंदगी में वो पहला गांड मरवाने का अनुभव था।
मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि असल में मुझे कोई ऐसा पराया मर्द मिलेगा जो मेरी इस तरह से चुदाई करेगा।अब तो ये हमारा रोज का काम हो गया लोकेश के जाते ही असलम उप्पर कमरे में आ जाता और मेरी जमकर चुदाई करता।।वो मुझे गलियों से बात करता और में भी उसे खूब गलिय देती।



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