FUN-MAZA-MASTI
ऐसी चुदी कि मन भर गया-1
हाय ,मेरा नाम रेनू शर्मा हे और में जयपुर कि एक पॉश कॉलोनी में रहती हु। मेरी २ साल पहले ही शादी हुई हे और मेरे पति १ इंजीनियर हे जिनकी पोस्टिंग आजकल पुणे में हे। मेरे पति लोकेश के मम्मी पापा जयपुर ही रहते हे तो मुझे उनकी देखभाल के लिए उन्ही के पास रहना पड़ता हे। लोकेश हर ३ महीने में १ हफ्ते कि छुट्टी लेकर आ जाते हे तो हम पति पत्नी मिल पाते हे .,में अभी तक १५-१५ दिन के लिए २ बार पुणे गयी हु।मेरे और लोकेश के बिच सेक्स सम्बन्ध एक आम पति पत्नी कि तरह ही हे ,लोकेश जब जयपुर रहते हे तो रोजाना ही सेक्स करते हे,जब में पुणे गयी तो वंहा भी उन्होंने रोज ही सेक्स किया,पर उनका सेक्स करने का तरीका सीधा साधा से हे ,वो न तो कोई ज्यादा सेक्सी बात करते हे ,न ही कोई नया प्रयोग करते हे ,बस
वो १०-१५ मिनट में मेरे उप्पर चढ़ जाते हे अपने धक्के लगाये ,खलास हुए और उतर गए उन्हें न तो ये एहसास होता हे कि में उत्तेजित हुई या नहीं या मे चरम उत्कर्ष पर पहुची या नही।
पर चूंकि लोकेश ने कभी मेरी योनि को प्*यार नहीं किया तो मैं भी एक शर्मीली नारी बनी रही, मैंने भी कभी लोकेश के लिंग को प्*यार नहीं किया। मुझे लगता था कि अपनी तरफ से ऐसी पहल करने पर लोकेश मुझे चरित्रहीन ना समझ लें।
सच तो यह है कि पिछले सालों में मैंने लोकेश का लिंग अपने अंदर लिया था पर आज तक मैं उसका सही रंग भी नहीं जानती थी... क्*योंकि सैक्*स करते समय लोकेश हमेशा लाइट बंद कर देते थे और मेरे ऊपर आ जाते थे। मैंने तो कभी रोशनी में आज तक लोकेश को नंगा भी नहीं देखा था। मुझे लगता है कि हम भारतीय नारियों में से अधिकतर ऐसी ही जिन्*दगी जीती हैं... और अपने इसी जीवन से सन्*तुष्*ट भी हैं। परन्*तु कभी कभी इक्*का-दुक्*का बार जब कभी ऐसा कोई दृश्*य आ सामने जाता है तो जीवन में कुछ अधूरापन सा लगने लगता है जिसको सहज करने में 2-3 दिन लग ही जाते हैं।
हम औरतें फिर से अपने घरेलू जीवन में खो जाती हैं और धीरे-धीरे सब कुछ सामान्*य हो जाता है। फिर भी हम अपने जीवन से सन्*तुष्*ट ही होती हैं। क्*योंकि हमारा पहला धर्म पति की सेवा करना और पति की इच्*छाओं को पूरा करना है। यदि हम पति को सन्*तुष्*ट नहीं कर पाती हैं तो शायद यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमी है।
और यह भी जान जाईये दोस्तो कि लड़की को चरमोत्कर्ष पर लाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। हम औरतें झूठे ओर्गास्म का ड्रामा करती हैं ताकि मर्दों के अहम् को ठेस न पहुंचे। न जाने कितनी लड़कियों को चरमोत्कर्ष कभी नसीब नहीं होता और कितनों को एक ही सेक्स में तीन से चार बार हो जाता है। चरमोत्कर्ष केवल पांच-दस मिनट के सेक्स से नहीं मिलता, लगातार तीस मिनट की चुदाई से मिलता है, और जब मिलता है तब 'हयो रब्बा' क्या मज़ा मिलता है ! अंदर से सिकुड़न होती है और कान से धुंए निकल जाते हैं, बस आग ही आग बदन से टपकने लगती है।
आम तौर पर लड़कियों की चूत गीली ही रहती है और गीली और तब हो जाती है जब कोई उससे सेक्स की बातें करता है, या प्यार से छूता है, इसे पानी छोड़ना नहीं कहते हैं, पानी छोड़ने का अर्थ, लड़कियों के चरमोत्कर्ष को कहते हैं जो किस्मत वालियों को नसीब होता है वर्ना अक्सर लड़के मुठ चूत में निकालने के बाद पीठ फेर कर सो जाते हैं।
सही कहु तो मेने अपनी सेक्स कि ज़िंदगी कि ऐसी कल्पना नही कि थी।शादी से पहले में हॉस्टल में रहती थी वंहा मेने खूब मस्ती कि थी,हम लड़कियो का १ ग्रुप प्रत्येक शनिवार को ब्लू फ़िल्म देखा करता था ,और आपस में एक दूसरे के खूब बूब्स को मसलते थे,और चूत पर हाथ फिराया करते थे। बाद में हमारे पास १ डिल्डो का भी इंतजाम हो गया था तो फिर हम सब एक दूसरे कि मदद से उसका इस्तेमाल कर लिया करते थे और डिस्चार्ज हो जाते थे।
कुछ लड़किया जो इस से भी संतुष्ट नही होती थी वो किसी के बॉय फ्रेंड को पकड़ लेती थी और उनसे चुदवा कर अपनी संतुष्टि कर लेती थी,एक लड़का जब पकड़ में आ जाता था तो जब तक वो बिलकुल निचुड़ नही जाता था और उसके लोडे में खड़े होने कि ताकत नही बचती थी तब ही उसे छोड़ा जाता था।लेकिन जब मेरी बड़ी बहन कि शादी हुई तब मेरे जीजाजी शोर्य ने मेरे साथ चुदाई कि ,मेरे भाई ने भाभी कि मदद से मुझे चोदा और उनकी चुदाई के बाद १ ऑटो ड्राईवर ने मुझे चोदा ,ये कहानी में आपको पहले लिख चुकी हे लेकिन जब जरुरत पड़ेगी तो में उस बात को भी लिख दूंगी।
चलिए ये बाते तो समय समय पर कहानी में आगे आती रहेंगी लेकिन अभी बात हम अभी वर्त्तमान कि ही करते हे। अब आप ही सोचिये जिस लड़की कि शादी के २ साल ही हुए हो और उसे साल में केवल कुछ समय ही चुदाई का मोका मिले तो उसका क्या हाल होता होगा वो ही मेरे साथ होता था। में अक्सर चुदाई के लिए तड़पती थी,किसी भी युवा लड़के को देख मेरी चूत गीली हो जाती थी,में बाज़ार जाती तो पेशाबघरों कि और जरुर नजर डालती क्य़ोंकि अक्सर उनमे से कोई न कोई पेशाब कर बहार निकलता होता और अपने लोडे को पेंट के अंदर कर रहा होता,उसके लोडे को देख कर ही में आह भर लेती जो कोई मेरी और देख लेता वो लोडे को इतनी देर में पेंट के अंदर करता कि मेरा मन ख़राब हो जाता।
पर मेरे ससुराल कि इस एरिया में बड़ी इमेज थी तो मुझे बड़े सावधान होकर रहना पड़ता,मेरे सास ससुर मेरा पूरा ख्याल रखते थे,लेकिन मेरी चूत कि खुजली का तो वो भी क्या ही करते। मुझे अपनी चूत कि खुजली वो ही अंगुली करके या मूली बेंगन से शांत करनी पड़ती।
लेकिन एक रात ऐसा हुआ जिसने सब कुछ ही बदल कर रख दिया ,हमारे उस इलाके में कच्छे बनियान गिरोह का आतंक बड़ गया था,आये दिन इस गिरोह के लोग किसी भी घर में घुस जाते,वंहा लोगो से मारपीट करते और सब कुछ लूट कर ले जाते। इस गिरोह के बारे में मशहूर था कि ये कच्छे और बनियान में ही रहते थे और मुह पर मफलर बंधे रहते थे ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। हमारी कॉलोनी में भी २-३ जगह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया था तो लोग काफी डरे हुए थे। लोग बागो को डर उनकी लूट पट से ज्यादा उनके द्वारा कि जाने वाली मारपीट से लगता था।
मुझे भी हालाँकि उनके बारे में सुन सुन कर बड़ा डर लगता था ,लेकिन फिर भी न जेन क्यू मेरे दिल से आवाज आती थी कि अगर वो हमारे घर आये तो कुछ अलग ही होगा लेकिन ये अलग क्या होगा ये तो में भी नही समझ पाती थी।
एक दिन जिसका डर था वो ही हुआ,रात को जब मेरी नींद खुली तो मुझे घर में शोर शराबे कि आवाज सुनाई दी ,में बहार आयी तो दांग रह गयी ४ लम्बे चोरे हट्टे कट्टे नोजवान कच्छे बनियान में मुह पर नकाब लगाये खड़े हुए हे उनके हाथो में लाठिया हे और मेरे सास ससुर उनके सामने खड़े हुए हे।
उनमे से एक जो शायद उनका सरदार होगा मेरे ससुर को घुड़कते हुए कह रहा था कि बुड्डे जल्दी से सारा माल निकल दे नही तो तुझे और तेरी बीबी को पीट पीट कर मार देंगे ,लेकिन मेरे ससुर कह रहे थे कि घर में कुछ नही हे और सारा माल बैंक में हे।
उनमे से एक ने मेरे ससुर के जोर से झापड़ लगाया तो मुझे गुस्सा आ गया और में एकदम सामने आ गयी कि ये क्या हो रहा हे,लेकिन जल्दी जल्दी में ,में ये भूल गयी कि मेने हाफ मेक्सी पहन रखी हे जो मेरे घुटनो तक आ रही हे। उन पांचो ने पलट कर मेरी और देखा ,वो चोंक गए कि में कहा से आ गयी ,.
मेने कहा ये तुम क्या कर रहे हो उनमे से एक ने कहा कि तू कोन हे मेने निर्भीकता से कहा ये मेरे पति का घर हे और ये मेरे सास ससुर हे।
उनमे से एक ने फिर कहा ,अच्छा तू इन बुड्डे बुड्डियो कि बहु हे तो जल्दी से सारा माल निकल नही तो इनके साथ तुझे भी ख़तम कर देंगे। मेने कहा कि ये सही कह रहे हे घर में कुछ नही हे सब बैंक में हे।
उनमे से एक ने कहा,जफ़र तू जाकर देख कि ये सही कह रही हे या नही,उसके ये कहते ही उनमे से एक नोजवान आगे बड़ा ,मेरी उस पर नजर पड़ी तो देखती ही रह गयी। .वो लम्बा पूरा था और उसका कच्छा फुला सा लग रहा था या तो उसका लोडा मुझे देख खड़ा हो गया था या उसका लोडा इतना बड़ा था कि कच्छे में ही नही समां रहा था,उसने कड़क कर मुझसे कहा मुझे घर कि सब आलमारियां दिखा ,मुझे देखना हे कि घर में कुछ हे या नही।
मेने उसे मना किया तो उसने मुझे जोर से खिंचा में निचे गिर पड़ी लेकिन गिरते गिरते मेरे हाथ में उसका कच्छा आ गया और वो भी फट ता हुआ निचे आ गिरा ,जफ़र नंगा हो चूका था, वो एकदम सन्न रह गया ,उसके साथी उसकी ये हालत देख हंसने लगे तो उसे गुस्सा आ गया ,उसने उनसे कहा कि हंसो मत और इसे लेकर कमरे में आओ,उनमे से २ ने मेरे सास ससुर को पकड़ा और उन्हें उनके कमरे में बंद कर दिया।
फिर चारो ने मुझे पकड़ा और मुझे अपने कमरे में ले गए ,उन्होंने कहा कि सीधे सीधे सब बता दे नही तो हैम तेरा वो हाल करेंगे कि तू सारी उम्र याद रखेगी,मेने कहा कि घर में कुछ भी नही हे,काफी देर बाद कि बहस के बाद उनमे से एक को गुस्सा आ गया और वो बोला चल मान ली तेरी बात घर में माल नही हे तो कोई बात नही तू तो माल हे,अगर तुझे अपनी और अपने सास ससुर कि सलामती चाहनी हे तो हम जैसा कहे तू वेसा कर नही तो भुगतने को तैयार रह। मेने कहा क्या चाहते वो बोले आज कि रात हम सब तेरी चुदाई करेंगे और तुझे हमारी हर बात को मानना पड़ेगा मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा.मेने कहा "मुझे मंजूर है" वो जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया. उसने अपने एक बैग से शराब कि एक बोतल निकली और मेरे कमरे में रखे एक गिलास में उसे डाल लिया।
"चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते" उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया,
मैने काँपते हाथों से मेक्सी के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स खोलकरमेक्सी के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए. मैने मेक्सी को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें चमक उठी. चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे टर रहे थे. मैं उनके सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगयी.
"मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को" जफ़र ने गुर्राते हुए कहा.
"प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो" मैने उससे मिन्नतें की.
"अबे राजे जा इसके सास ससुर के कमरे में और को रात भर हवाई जहाज़ बना कर डंडे मार और इस रंडी को भी अंदर कर दे" उसने अपने एक साथी से कहा
"नहीं नहीं, ऐसा मत करना. आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी." कहते हुए मैने अपने हाथ पीछे लेजा कर ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया. आब मैने पूरी तरह से समरपन का फ़ैसला कर लिया. ब्रा के हटते ही मेरे दूधिया उरोज रोशनी मे चमक उठे. चारों अपनी अपनी जगह पर कसमसने लगे. तीनो गरम हो चुके थे. उनके कच्छे पर उभार सॉफ नज़र अरहा था. जफ़र तो ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था. उपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था की अब मेरी खैर नहीं. मैने अपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मे फँसैई तो जफ़र बोल उठा.
"ठहर जा. यहाँ आ मेरे पास" मैं उसके पास आकर खड़ी हो गयी. उसने अपने हाथों से मेरी योनि को कुच्छ देर तक मसला फिर पॅंटी को नीचे करता चला गया. आब मैं पूरी तरह नंगी हो कर उसके सामने खड़ी थी.
. जफ़र मेरी योनि पर हाथ फिरा रहा था. मेरे योनि पर रेशमी घुंघराले बलों को सहला रहा था.
" चल बैठ यहाँ" उसने सेंटर टेबल की ओर इशारा किया. मैं सेंटर टेबल पर बैठ गयी. उसने मेरी टाँगों को ज़मीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा. मैने वैसा ही किया.
" अब टाँगें चौरी कर" मैं शर्म से दोहरी हो गयी मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मैने अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया.
" और फैला" मैने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फैला दिया. मेरी योनि उनके आँखों के सामने बेपर्दा थी. योनि के दोनो लब खुल गये थे. मैं चारों के सामने योनि फैला कर बैठी हुई थी.
" अपनी चूत मे उंगली डाल कर उसको चौड़ा कर." जफ़र ने कहा. वो अब अपना कच्छा खोल कर अपने काले मूसल जैसे लिंग पर हाथ फेर रहा था. मैं तो उसके लिंग को देख कर ही सिहर गयी. गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लिंग मैने पहली बार देखा था. लिंग भी पूरा काला था. मैने अपनी योनि मे उंगली डाल कर उसे सबके सामने फैला दिया. चारों हँसने लगे.
जफ़र ने अपनी दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि मे घुसा दी. मैं एक दम से सिहर उठी. मैं भी अब गरम होने लगी थी. मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था. उसकी उंगलियाँ कुच्छ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो योनि रस से चुपड़ी हुई थी. वह अपनी उंगलिओ को अपनी नाक तक ले जाकर सूँघा फिर सब को दिखा कर कहा,
"अब ये भी गरम होने लगी है." मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ च्छुआ कर कहा.
"ले चाट इसे." मैने अपनी जीभ निकाल कर अपने कामरस को पहली बार चखा. सारे एक दम से मेरे बदन पर टूट पड़े. कोई मेरी चूचियो को मसल रहा था तो कोई मेरी योनि मे उंगली डाल रहा था. मैं उनके बीच मे छटपटा रही थी. जफ़र ने सबको रुकने का इशारा किया. मैने देखा उसके काला भुजंग सा लिंग तना हुआ खड़ा है. उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लिंग पर दाब दिया.
"इसे ले अपने मुँह मे" उसने कहा
"मुँह खोल." मैने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लिंग अंदर घुसता चला गया. बड़ी मुश्किल से ही उसके लिंग के उपर के हिस्से को मुँह मे ले पा रही थी. वा मेरे सिर को अपने लिंग पर दाब रहा था. उसका लिंग गले के द्वार पर जाकर फँस गया. मेरा दम घुटने लगा मैं च्चटपटा रही थी. उसने अपने हाथों का ज़ोर मेरे सिर से हटाया. कुच्छ सेकेंड्स के लिए कुच्छ राहत मिली तो मैने अपना सिर उपर खींचा. लिंग के कुच्छ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया. इस तरह वो मेरे मुँह मे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा. मैने कभी मुख मैथुन नहीं किया था इसलिए मुझे शुरू शुरू मे काफ़ी दिक्कत हुई. उबकाई सी आ रही थी. धीरे धीरे उसके लिंग की अभ्यस्त हो गयी. अब मेरा शरीर भी गर्म हो गया था. मेरी योनि गीली होने लगी.
बाकी तीनों मेरे बदन को मसल रहे थे. मुख मैथुन करते करते मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छ्चोड़ ही नहीं रहा था. कोई बीस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लिंग झटके खाने लगा. उसने अपना लिंग बाहर निकाला.
" मुँह खोल कर रख." उसने कहा. मैने मुँह खोल दिया. ढेर सारा वीर्य उसकी लिंग से तेज धार सी निकल कर मेरे मुँह मे जा रही थी. जब मुँह मे और आ नही पाया तो काफ़ी सारा वीर्य मुँह से छातियो पर टपकने लगा. उसने कुच्छ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया.
" बॉस का एक बूँद वीर्य भी बेकार नहीं जाए" एक चम्चे ने कहा. उसने अपनी उंगलियों से मेरी चूचियो एवं मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह मे डाल दिया. मुझे मन मार कर भी सारा गटाकना पड़ा…….
इस रंडी को अब बेड पर लिटा दो " जफ़र ने कहा. दो आदमी मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेड पर ले गये. जफ़र अपने हाथों मे ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया.
" चलो शुरू हो जाओ" उसने अपने चम्चो से कहा. तीनो मुझ पर टूट पड़े. मेरी टाँगें फैला कर एक अपना मुँह मेरी योनि पर चिपका दिया. अपनी जीभ निकाल कर मेरे योनि को चूसने लगा. उसकी जीभ मेरे अंदर गर्मी फैला रही थी. मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने योनि पर ज़ोर से दबा रखा था. मैं छटपटाने लगी.मुँह से
"आहूऊहह ऑफ आहह उ" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. मैं अपना सिर झटक रही थी अपने उपर काबू रखने के लिए मगर मेरा शरीर था की बेकाबू होता जा रहा था.
बाकी दोनो मे से एक मेरे निपल्स पर दाँत गढ़ा रहा था तो एक ने मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. सामूहिक संभोग का द्रिश्य था. और जफ़र पास बैठा मुझे नौचते हुए देख रहा था. जफ़र का लेने के बाद इस आदमी का लिंग तो बच्चे जैसा लग रहा था. वो बहुत जल्दी झाड़ गया. अब जो आदमी मेरी योनि चूस रहा था वो मेरी योनि से अलग हो गया. मैने अपनी योनि को जितना हो सकता था उँचा किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे. मगर उसका इरादा कुच्छ और ही था.
उसने मेरे टाँगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके मे अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया. इस अचानक हुए हमले से मे छॅट्पाटा गयी. अब वो मेरी योनि मे तेज तेज झटके मारने लगा. दूसरा जो मेरी छातियोंको मसल रहा था मेरी छाती पर सवार हो गया और मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. फिर मेरे मुँह को योनि की तरह चोदने लगा. उसके अंडकोस मेरी ठुड्डी से रगर खा रहे थे. दोनो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे. मेरी योनि पानी छ्चोड़ने लगी. मैं चीखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़"उम्म्म्म उंफ़्ह" जैसी आवाज़ ही निकल रही थी. दोनो एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे बदन पर लुढ़क गये. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. बुरी तरह थक गयी थी मगर आज मेरे नसीब मे आराम नहीं लिखा था. उनके हट ते ही जफ़र उठा और मेरे पास आकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया. फिर वो बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लिंग मेरी टपकती योनि पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया. योनि गीली होने के कारण उसका मूसल जैसा लिंग लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ. मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे शरीर को चीरता हुआ मुँह से निकल जाएगा. फिर वो धक्के देने लगा. मजबूत पलंग भी उसके धक्के से चरमराने लगा. फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसकी तो सिर्फ़ कल्पना ही की जा सकती है. मैं चीख रही थी.
"आहह ऊओ प्लीज़. प्लीज़ म्मुझे छोड़ दो. अया अया नाअहीइन प्पल्ल्लीस्ससी" मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था. पूरे कमरे मे फूच फूच की आवाज़ें गूँज रही थी. बाकी तीनो उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे. मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लिंग जल्दी पानी छ्चोड़ दे. मगर पता नही वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार मे कोई कमी नहीं आ रही थी. कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गयी. मेरा पूरा शरीर बुरी तरह टूट रहा था. गला सूख रहा था.
"पानी" मैने पानी माँगा तो एक ने एक ग्लास पानी मेरे होंठों से लगा दिया. मेरे होठ वीर्य से लिसडे हुए थे उन्हे पोंच्छ कर मैने गटगट पूरा पानी पी लिया.
पानी पीने के बाद शरीर मे कुच्छ जान आई. तीनो वापस मेरे बदन से चिपक गये. अब मैं बिस्तेरके किनारे पैर लटका के बैठ गयी. एक का लिंग अपनी दोनो चूचियो के बीच ले रखी थी और बाकी दोनो के लिंग को बारी बारी से मुँह मे लेकर चूस रही थी. वो मेरी चूचियो को चोद रहा था. मैं अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियो को उसके लिंग पर दोनो ओर से दबा रखी थी. उसने मेरी चूचियो पर वीर्य गिरा दिया. फिर बाकी दोनो मुझे बारी बारी से चौपाया बना कर चोदे. उनके वीर्य पात हो जाने के बाद वो चले गये.
मैं बिस्तर पर चित पड़ी हुई थी. दोनो पैर फैले हुए थे. मेरी योनि से वीर्य चुहकर बिस्तर पर गिर रहा था. मेरे बाल चेहरा छातिया सब पर वीर्य फैला हुआ था. छातियो पर दांतो के लाल नीले निशान नज़र आ रहे थे.वो चारो उठे और वंहा से चले गए।
में उस समय तो सो गयी और सुबह जल्दी ही उठ गयी और अपनी हालत को दुरस्त कि।फिर मेने बाहर जाकर अपने सास ससुर के कमरे कि कुण्डी खोली और उन्हें बहार निकला ,वो मुझे देख कर कहने लगे कुछ हुआ तो नही,उन्होंने कुछ किया तो नही ,कब चले गए वो ,मेने कहा कुछ नही हुआ ,उन्हें जब कोई सामान नही मिला तो वो चले गए।
में बिलकुल संयत होकर बोल रही थी ताकि उन्हें कोई शक़ नही हो पर में तो अंदर ही अंदर जानती थी कि मेरी चूत का क्या हॉल हो रहा हे और मेरे पर क्या गुजर रही हे,लेकिन एक बात ये भी थी कि इतनी बेदर्दी कि चुदाई के बाद भी मुझे असीम से आनंद का अनुभव हो रहा था।
कुछ दिन बाद लोकेश घर आये तो उन्होंने मुझसे सारी बात को मालूम किया मेने अपने उप्पर हुए सामूहिक चुदाई के किस्से को छोड़कर सब बात बता दी। लोकेश को संतोष हो गया। उन्होंने ७ दिन में रोजाना मेरी चुदाई कि लेकिन उनकी हर चुदाई पर मुझे जफ़र और उसके साथी ही याद आते रहे।
सही कहु तो उस चुदाई के बाद मुझे अपनी पहली चुदाई य़ाद आने लगी जब मेरे जीजाजी ने मुझे पहली बार चोदा था ,आज में आपको अपने जीजू के साथ की पहली चुदाई की बात बता रही हु. मेरी दीदी की जब शादी हुई तब में 18 साल की थी,पर जेसे यू पी की कन्यायो का शरीर १४ साल की उम्र में ही भरने लगता हे एसा ही मेरे साथ हुआ,१८ साल की उम्र में मेरे बूबे पके आम की तरह हो गए थे,चूतर उभर गए थे और उन की दरार क़यामत ढाने लगी थी\
मेरे जीजाजी शोर्य काफी खुबसूरत और लम्बे तगड़े थे ,हमारे यहाँ ये समझा जाता हे की अगर जीजा थोडा बहुत अपनी साली के साथ फ्लर्ट कर ले तो उसका बुरा नहीं मान न चाहिए,ये ही कारन ही की कोई भी जीजू सबसे पहले अपनी साली को चोदने की कोशिशों में लगा रहता हे ,में भी ये ही
सोचती थी की अगर शोर्य ने कभी मेरे साथ जबरदस्ती की तो बूब्स तो में दबवा लुंगी साथ में चुम्बन वगेरा का भी बुरा नहीं मानूगी\
शोर्य जीजू ने कुछ असा ही मेरे साथ किया, वो जब भी अकेले में मेरे से मिलते तो कभी मेरी बोबे कस् कर दबा देते ,कभी गांड को सहलाने लगते,उन्हें हौले हौले सहलाते फिर एकदम गांड की दरार में ऊँगली कर देते,चुम्बन की तो कोई सीमा ही नहीं थी मेरे होटों को चूम चूम करवो सुजा देते,हालाँकि इस से मेरी चूत गीली हो जाती थी और मेरे बोबे तन जाते थे ,लेकिन में इसे जीजा का साली के प्रति प्यार समझ कर टाल देती थी\
लेकिन मुझे पता नहीं था की मेरे द्वारा दी जाने वाली आज़ादी का जीजू गलत मतलब निकल रहे हे और वो अब मुझे चोदने का प्लान भी बना चुके हे\जीजू जब भी ससुराल आते तो उनकी जीजी के साथ अलग कमरे में सोने की हसरत पूरी की जाती ,लेकिन इस बार जब वो आये तो वो हौले से मेरे से बोले ,आज रात को कमरे में आ जाना बात करेंगे\
रात को जीजी ,जीजू और में कमरे में काफी देर तक बाते करते रहे,१२ बजे के लगभग जीजी बोली की उन्हें नींद आ रही हे और वो सो रही हे \जीजू और में ताश खेलते रहे,थोडी देर में जीजी गहरी नींद में सो गयी,तब अचानक जीजू उठे और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपने होठ मेरे होठो से मिला दिए और उन्हें बेरहमी से चूसने लगे\ये ही नहीं जीजू ने अपना एक हाथ मेरी छातियों पर रख दिया और दुसरे हाथ से चुत्डो को मसलना शुरू कर दिया,में हतप्रभ रह गयी की क्या हुआ \
जीजू कहने लगे मेरी जान कबसे इस मोके का इंतजार कर रहा हूँ ,आज मेने तुम्हारी दीदी को नींद की गोलिया देदी हे और वो सुबह तक नहीं उठेगी ,उनकी बात सुनकर मेरे होश उर गए में समझ गयी की आज जीजी अपनी मनमानी कर के ही मानेगे,इधर जीजू ने अपने होठ मेरे होठो पर रख दिए और वो उन्हें चूसने लगे, उनका एक हाथ मेरे बोबो को मसल ही रहा था और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था\
मेरी छतिया एकदम तन गयी थी और मेरी चूत से पानी सा निकल रहा था, असल में में चुदाई के बारे में बिलकुल नहीं जानती थी, मेने केवल पुरुषों को आपस में गालीया देते हुआ सुना था जिसमे वो कहा करते थे,तेरी माँ को चोदु तेरी बहिन को चोदु , तेरी बीबी की चूत में मेरा लोडा ,अब इतनी नासमझ तो में भी नहीं थी ये तो समझ गयी थी की चूत मेरे पास हे और लोडा जीजू के पास और अब जो भी कहानी बनेगी वो इनसे ही बनेगी\
जीजू ने मुझसे कहा की में अपनी टीशर्ट उतर दू मेने वेसा ही किया अब में जीजू के सामने ३२ no की काली ब्रा में थी जीजू ने ब्रा काहूक खिंचा और मेरे दोनों बोबो को आजाद कर दिया अ़ब में जीजू के सामने अर्धनग्न अवस्था में थी जीजू तो मेरे दोनों बोबो देख कर मस्त हो गए उन्होंने दोनों बोबो को अपने मुंह मेंभर लिया और उन्हें चूसने लगे मेरी दोनों निप्प्ले जीजू के मुंह में थी और वो उसे धीरे धीरे काट रहे थे,मेरी तो हालत ख़राब हो गयी,इधर जीजू ने मेरी सलवार का नाडा खिंचा और उसे खोल दिया, मेरी सलवार जमीं पर गिर गयी और में काली पेंटी में रह गयी जीजू तो जेसे पागल हो गए उन्होंने काली पैंटी को भी उतार फेंका अब में बिलकुल नंगी जीजू के सामने खड़ी थी,जीजू ने मेरी रोयेदार चूत को देखा तो वो मदहोश हो गए कहने लगे रेनू रानी आज तुझे में जन्नत की सेर कराऊंगा,आज तेरी चूत का भुरता नहीं बनाया तो मेरा नाम भी शोर्य नहीं ,आज तुझको पता चलेगा की तेरी इस चूत से क्या गुल खिलेंगे
इधर जीजू ने मुझसे कहा रानी अगर मज़ा लेने हे तो थोडा बेशरम तुम्हे भी बन ना होगा अब तुम मेरे कपडे उतारो और मेरा लंड अपने मुहं में लेलो मेने वेसा वेसा ही किया जीजू का लंड देखा तो मेरे होश उड़ गए ९' इंच का फनफनाता लंड में तो देखकर ही काँप गयी की ये मेरी इतनी सी चूत में जायेगा केसे ,मेने जीजू से कहा आप इस लंड का जो करने को कहोगे वो में करुँगी लेकिन इसे मेरी चूत में मत घुसाना नहीं तो वो फट जायेगी\
जीजू के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी वो बोले ठीक हे में भी ये थोडा चाहता हूँ की मेरी साली को तकलीफ न हो तुम्हे अगर लोडा नहीं घुस्वना हे तो मत घुस्वो तुम इसे अपने मुंह में लेलो और इसे गन्ने की तरह चूस दो मरती में क्या नहीं करती मेने जीजू का लोडा मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी \
लंड से मेरा पूरा मुन्ह्भ र गया था इधर जीजू का काम चालू था वो सस्करिया भरते हुआ कह रहे थे चूस मेरीजान चूस और अक हाथ से मेरे गालो को मसल रहे थे और दुसरे हाथ से बोबो को ,बोबो तन चुके थे निप्प्ले सक्त हो गयी थी गाल लाल हो चुके थे
अचानक जीजू बोले अब तुम लेट जाओ में लेट गयी जीजू ने अपनी जीभ निकली और वो मेरी चूत को हौले हौले चाटने लगे मेरी तो उत्तेजना के मरे ही जान निकल गयी पूरी चूत गीली हो गयी शरीर, में तरंगे सी छुटने लगी में जीजू से बोली जीजू मज़ा आ गया जीजू बोले मज़ा तो और जब आएगा जब तुम रंडी बन जाओ और गालीया देने लगो मेने कहा मुझे तो गालीया आती नहीं हे तो वो बोले जो तुमारा मन में आये वो गालीया बको, इधर जीजू चुत्दाने को तलाशने में कामयाब हो गए और वो जीभ से उसे चूसने लगे \
अब तो में बेसुध हो गयी मेरे मुंह से अपने आप स्वर निकने लगे -हाय जीजू इसे मत चुसो अरे मादरचोद मेरी जान निकल रही हे,ओ गांडू ,ओ भोसड़ी के ,लेकिन जीजू ने एक नहीं सुनी उन्होंने तो पूरी चूत की एसी चुसाई की ,की कई बार असा लगा मेरी चूत से पानी ही पानी निकल रहा हे\
अब जीजू ने मुझे उल्टा किया और वो मेरी गांड को थपथपाने लगे ,फिर उन्होंने अपनी एक अंगुली मेरी गांड के छेद में घुसा दी में दर्द से तड़प उठी लेकिन जीजू नहीं मने उन्होंने अंगुली को गांड में घुसाना जारी रखा वो कहने लगे तेरी गांड तो तेरी बहिन से भी ज्यादा मस्त हे ,वे बोले अब तू कुतिया की तरह होजा में अपना लंड तेरी गांड में डालूँगा,मेने कहा जीजू ये फट जायेगी तो वे बोले तू ही फैसला कर ले चूत में घुस्वएगी या गांड में, मेने सोचा चूत तो बड़ी नाजुक हे गांड मरवा ली जाये वो ही बेहतर हे ,मेने जीजू से कहा आप तो गांड ही मार लो बस फिर क्या था उन्होंने ढेर साडी क्रीम मेरी गांड में लगायी और लंड अक झटकेसे घुसेड दिया में दर्द के मारे जोर से चिल्लाई ,मर गयी बहिनचोद,जल्दी वापस निकाल, ओ भाडू ओ जीजा तेरी बहिन की गांड में १०० लोडे घुसे लेकिन जीजा ने एक नहीं सुनी उसने पूरा लोडा गांड में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा वो अब पूरी मस्ती में आ गए थे उनका लोडा तो गांड में था साथ ही उनके हाथ मेरी गांड को उप्पर से नोचाखासूटी में लगे थे वो कहने लगे रंडी की बहिन आज तेरी एसी हालत करूँगा की जिंदगी में हमेशा अपने जीजा को याद रखेगी \
जीजू १५ मिनट तक मेरी गांड मारते रहे ,लेकिन उनके धक्के नहीं रुके मेने सोचा इससे पहले की गांड का बाजा बज जाये मुझे जीजू का लोडा चूत में डलवा लेना चाहिए फटेगी तो फट जायेगी कम से कम गांड तो सहीसलामत रह जायेगी ,ये सोचकर में जीजू से बोली जीजू मेरे पर रहम करो आप मेरी गांड को तो बख्श दो और मुझे छोड़ लो ,मुझ बावली को क्या पता की मेरा जीजा तो चाहता ही ये था \अब स्शोर्य ने मुझे चुत्रो के बल लेता दिया और अपना फनफनाता लोडा लेकर मेरे उप्पर चढ़ गए और कहने लगे अब नेविया लगाकर इसको चिकना कर दे कही मेने असे ही घुसा दिया तो अम्मा अम्मा चिल्लाती रहेगी, क्या करती मेने नेविया और जीजू के लोडे पर अच्छी तरह मल दी , जीजू ने निशाना साधा और लोडे को एकदम चूत में पेल दिया में जोर से चिल्लाये अरे भोसड़ी वाले मर गयी ,मार डाला बहनचोद ,निकाल जल्दी लेकिन जीजू ने तो लोडे को अन्दर पेलना शुरू कर दिया \
वो बारबार कहने लगे चुप हो जा रंडी की ओलाद ,आज तो में तेरी चूत का वो हाल करूँगा की ५ साल तक तू किसी के लोडे को ताकेगी भी नहीं और ये कहकर उन्होंने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए ,मेरी चूत से फुच फच ...फच की आवाज आ रही थी,जीजू का लोडा चूत को फाड़ने पर उतारू था, जीजू ने अपने मुह में मेरी चुचिया दाब राखी थी जिसे वो बीच बीच में कट रहे थे वो अपने हाथो से मेरे गाल मसल रहे थे\
मेने जीजू से कहा तुमने न जाने कितनो की बहिनों को चोदा होगा कभी अपनी बहिन रिंकू की भी चुदाई की हे या नहीं,जीजू बोले तुझे क्या पता कुतिया मेने ही सबसे पहिले उसकी चूत फाड़ीथी, मेने कहा जीजू रिंकू की चुदाई का किस्सा बताओ,जीजू बोले ये तब की बात हे जब रिंकू और में अक कमरे में ही सोते थे,एक दिन जब में कमरे में सोने आया तो मेने देखा रिंकू कीफ्रॉक उप्पेर उठी हुई हे और उसकी काली पेंटी साफ दिख रही हे, मेने उसकी पेंटी निचे की तो
रिंकू की चूत देखते ही में मस्त हो गया, मेने उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू किया, क्या मुलायम मस्त गुद्कारी चूत थी मेरी बहन की\अब मेने अपनी जीभ रिंकू की चूत की और ले गया और उसे चाटने लगा\१८ साल की जवान लोंडिया की चूत का स्वाद ,मेरे मुह में तो पानी आ गया\में काफी देर तक रिंकू की चूत चाटता रहा, इधर मेरा लंड अब फनफनाने लगा,बस अब तो लगने लगा की रिंकू की चूत
का स्वाद इसे भी चखा दू\
अचानक रिंकू कसमसाने लगी में उठकर खडा हो गया,जब वो वापिस नोर्मल हो गयी में उसके बोबो की और बड़ा, मेने उसकी टीशर्ट को ऊँचा किया उसने काले रंग की ब्रा पहन राखी थी , अब मेरे सामने दिक्कत ये की इसे उतारू केसे\मरे दिमाग में एक आईडिया आया,मेने केंची ली और उसकी ब्रा को काट दिया अब उसके बोबे बिलकुल आजाद थे\मासमी जेसे उसके भरेपूरे बोबे और उन पर बारीक़ सेnipple तो kayamat ध रहे थे\मेने धीरे से उसके बोबो को पकडा और आहिस्ता से मसलने लगा\थोडी देर दबाने के बाद मेने बोबो को muh में भर लिया और उन्हें चाटने लगा\
रिंकू की चूत और बोबो ने तो मुझे दीवाना बना दिया,में काफी देर तक उसे निहारता रहा,अब मेरा धेर्य भी जवाब देने लगा था,अब मेने लंड को उसकी चूत में पेलने की सोची,मेने क्रीम निकाल कर अपने लंड पर लगायी फिर थोडी क्रीम रिन्कुकी चूत पर लगायी\मेने अपने हाथ से रिंकू की चूत का छेद तलाशने लगा की इतने में रिंकू चिनक कर उठ बेठी, में भी सकपकाकर खडा हो गया, रिंकू ने मुझे नंगा खडा देखा फिर अपनी और देखा खुद को नंगी देखकर वो खड़ी हो गयी और भाग कर attach बाथरूम में चली गयी\
एक तो खड़े लंड पर दंड,और उसपर रिंक की क्या प्रतिकिर्या रहेगी इस बात से तो मुझे gabrahat होने लगी,१० मिनट के बाद रिंकू बाथरूम से
बहार
आई और बगेर मुझसे नज़रे मिलाये वो लेट गयी, मेने भी करवट बदली और सोने की कोशिश करने लगा\
पर रात भर में अपनी बहन की चुदाई के बारे में ही सोचता रहा की वो कोंन खुशनसीब होगा जिसे मेरी बहन की चूत को फाड़ने का मोका मिलेगा\
में और वो सुबह सोकर उठे ,मेने सोचा की ये मम्मी से मेरी शिकायत करेउस से अच्छा हें की में इससे माफ़ी मांग लू मेने नीची नजरे करते हुआ रिंकी से कहा सोरी , रात को में नशे में था, इसलिए में रिश्तो को भूल गया, उसने कहा कोई बात नहीं भय्या में आपकी शिकायत नहीं करुँगी\
उस दिन तो बात आई गयी हो गयी लेकिन अब मेरी नजरे रिंकू के प्रति बदल गयी, जब भी वो मेरे सामने आती मुझे उसकी चूत और बोबे याद आ जाते\में अब इस कोशिश में रहने लगा की कब मोका मिले और में इसकी चुदाई करू\
अचानक एक मोका मेरे हाथ लग गया पापा मम्मी और बबलू दो दिन के लिए नानाजी स मिलने चले गए और घर में रिंकू और में अकेले रह गए\में रिंकू के सोने से पहले सोने की कोशिश या ये कहे नाटक करने लगा,रिंकू रसोई का काम कर आई और बेड़ के दुसरे हिस्से पर आकर लेट गयी\उसने मुझे आवाज लगायी भय्या सो गए क्या मेने कई जवाब नहीं दिया \
अचानक रिंकू मेरे पास आई और मेरे गाल पर हाथ फिरते हुआ बोली की उस दिन का अधुरा काम पूरा नहीं करोगे क्या\ में चोंक गया ये क्या कह रही हें,रिंकू बोली आप क्या समझते हो भय्या की आप अपनी बहन की चूत चाटोगे, उसके बोबे मस्लोगे और उसे पता भी नहीं चलेगा, वो आगे बोली उस दिन तो में इसलिए चुप्पी लगा गयी की घर में सब हें और आपने जोर से मेरी चुदाई कर दी और में चिल्लाई तो घर के लोग जाग नहीं जाये\रिंकू मेरे और करीब आ गयी और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बोली में तो उस दिन से इसका स्वाद चखने को बेताब हो\
बस फिर क्या था मेने मिनटों में उसे नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया\हम दोनों एक दुसरे से चिपट गए और चूमने लगे, रिंकू ने भी बराबर मेरा साथ दिया, उसने मेरा लंड ले लिया और चूसने लगी बीच बीच में वो बुदबुदा भी रही थी फाड़ दे अपनी बहन की चूत को उंडेल दे अपना सारा वीर्य और बना दो मुझे अपने बच्चो की माँ,मेने कहा चिंता मत कर मेरी रानी\
मेने अपने लंड को जेसे ही रिंकू की चूत में डाला वो चीखने लगी बाहर निकालो भय्या मेरी जान निकली जा रही हें, मेने कहा अब तो ये तेरी चूत का बजा बजा कर ही निकलेगा\ फिर क्या था रात भर हम दोनों भाई बहन ने असी जमकर चुदाई की की रिंकू की चूत का सुबह तक भोसड़ा\ बन गया
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ऐसी चुदी कि मन भर गया-1
हाय ,मेरा नाम रेनू शर्मा हे और में जयपुर कि एक पॉश कॉलोनी में रहती हु। मेरी २ साल पहले ही शादी हुई हे और मेरे पति १ इंजीनियर हे जिनकी पोस्टिंग आजकल पुणे में हे। मेरे पति लोकेश के मम्मी पापा जयपुर ही रहते हे तो मुझे उनकी देखभाल के लिए उन्ही के पास रहना पड़ता हे। लोकेश हर ३ महीने में १ हफ्ते कि छुट्टी लेकर आ जाते हे तो हम पति पत्नी मिल पाते हे .,में अभी तक १५-१५ दिन के लिए २ बार पुणे गयी हु।मेरे और लोकेश के बिच सेक्स सम्बन्ध एक आम पति पत्नी कि तरह ही हे ,लोकेश जब जयपुर रहते हे तो रोजाना ही सेक्स करते हे,जब में पुणे गयी तो वंहा भी उन्होंने रोज ही सेक्स किया,पर उनका सेक्स करने का तरीका सीधा साधा से हे ,वो न तो कोई ज्यादा सेक्सी बात करते हे ,न ही कोई नया प्रयोग करते हे ,बस
वो १०-१५ मिनट में मेरे उप्पर चढ़ जाते हे अपने धक्के लगाये ,खलास हुए और उतर गए उन्हें न तो ये एहसास होता हे कि में उत्तेजित हुई या नहीं या मे चरम उत्कर्ष पर पहुची या नही।
पर चूंकि लोकेश ने कभी मेरी योनि को प्*यार नहीं किया तो मैं भी एक शर्मीली नारी बनी रही, मैंने भी कभी लोकेश के लिंग को प्*यार नहीं किया। मुझे लगता था कि अपनी तरफ से ऐसी पहल करने पर लोकेश मुझे चरित्रहीन ना समझ लें।
सच तो यह है कि पिछले सालों में मैंने लोकेश का लिंग अपने अंदर लिया था पर आज तक मैं उसका सही रंग भी नहीं जानती थी... क्*योंकि सैक्*स करते समय लोकेश हमेशा लाइट बंद कर देते थे और मेरे ऊपर आ जाते थे। मैंने तो कभी रोशनी में आज तक लोकेश को नंगा भी नहीं देखा था। मुझे लगता है कि हम भारतीय नारियों में से अधिकतर ऐसी ही जिन्*दगी जीती हैं... और अपने इसी जीवन से सन्*तुष्*ट भी हैं। परन्*तु कभी कभी इक्*का-दुक्*का बार जब कभी ऐसा कोई दृश्*य आ सामने जाता है तो जीवन में कुछ अधूरापन सा लगने लगता है जिसको सहज करने में 2-3 दिन लग ही जाते हैं।
हम औरतें फिर से अपने घरेलू जीवन में खो जाती हैं और धीरे-धीरे सब कुछ सामान्*य हो जाता है। फिर भी हम अपने जीवन से सन्*तुष्*ट ही होती हैं। क्*योंकि हमारा पहला धर्म पति की सेवा करना और पति की इच्*छाओं को पूरा करना है। यदि हम पति को सन्*तुष्*ट नहीं कर पाती हैं तो शायद यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमी है।
और यह भी जान जाईये दोस्तो कि लड़की को चरमोत्कर्ष पर लाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। हम औरतें झूठे ओर्गास्म का ड्रामा करती हैं ताकि मर्दों के अहम् को ठेस न पहुंचे। न जाने कितनी लड़कियों को चरमोत्कर्ष कभी नसीब नहीं होता और कितनों को एक ही सेक्स में तीन से चार बार हो जाता है। चरमोत्कर्ष केवल पांच-दस मिनट के सेक्स से नहीं मिलता, लगातार तीस मिनट की चुदाई से मिलता है, और जब मिलता है तब 'हयो रब्बा' क्या मज़ा मिलता है ! अंदर से सिकुड़न होती है और कान से धुंए निकल जाते हैं, बस आग ही आग बदन से टपकने लगती है।
आम तौर पर लड़कियों की चूत गीली ही रहती है और गीली और तब हो जाती है जब कोई उससे सेक्स की बातें करता है, या प्यार से छूता है, इसे पानी छोड़ना नहीं कहते हैं, पानी छोड़ने का अर्थ, लड़कियों के चरमोत्कर्ष को कहते हैं जो किस्मत वालियों को नसीब होता है वर्ना अक्सर लड़के मुठ चूत में निकालने के बाद पीठ फेर कर सो जाते हैं।
सही कहु तो मेने अपनी सेक्स कि ज़िंदगी कि ऐसी कल्पना नही कि थी।शादी से पहले में हॉस्टल में रहती थी वंहा मेने खूब मस्ती कि थी,हम लड़कियो का १ ग्रुप प्रत्येक शनिवार को ब्लू फ़िल्म देखा करता था ,और आपस में एक दूसरे के खूब बूब्स को मसलते थे,और चूत पर हाथ फिराया करते थे। बाद में हमारे पास १ डिल्डो का भी इंतजाम हो गया था तो फिर हम सब एक दूसरे कि मदद से उसका इस्तेमाल कर लिया करते थे और डिस्चार्ज हो जाते थे।
कुछ लड़किया जो इस से भी संतुष्ट नही होती थी वो किसी के बॉय फ्रेंड को पकड़ लेती थी और उनसे चुदवा कर अपनी संतुष्टि कर लेती थी,एक लड़का जब पकड़ में आ जाता था तो जब तक वो बिलकुल निचुड़ नही जाता था और उसके लोडे में खड़े होने कि ताकत नही बचती थी तब ही उसे छोड़ा जाता था।लेकिन जब मेरी बड़ी बहन कि शादी हुई तब मेरे जीजाजी शोर्य ने मेरे साथ चुदाई कि ,मेरे भाई ने भाभी कि मदद से मुझे चोदा और उनकी चुदाई के बाद १ ऑटो ड्राईवर ने मुझे चोदा ,ये कहानी में आपको पहले लिख चुकी हे लेकिन जब जरुरत पड़ेगी तो में उस बात को भी लिख दूंगी।
चलिए ये बाते तो समय समय पर कहानी में आगे आती रहेंगी लेकिन अभी बात हम अभी वर्त्तमान कि ही करते हे। अब आप ही सोचिये जिस लड़की कि शादी के २ साल ही हुए हो और उसे साल में केवल कुछ समय ही चुदाई का मोका मिले तो उसका क्या हाल होता होगा वो ही मेरे साथ होता था। में अक्सर चुदाई के लिए तड़पती थी,किसी भी युवा लड़के को देख मेरी चूत गीली हो जाती थी,में बाज़ार जाती तो पेशाबघरों कि और जरुर नजर डालती क्य़ोंकि अक्सर उनमे से कोई न कोई पेशाब कर बहार निकलता होता और अपने लोडे को पेंट के अंदर कर रहा होता,उसके लोडे को देख कर ही में आह भर लेती जो कोई मेरी और देख लेता वो लोडे को इतनी देर में पेंट के अंदर करता कि मेरा मन ख़राब हो जाता।
पर मेरे ससुराल कि इस एरिया में बड़ी इमेज थी तो मुझे बड़े सावधान होकर रहना पड़ता,मेरे सास ससुर मेरा पूरा ख्याल रखते थे,लेकिन मेरी चूत कि खुजली का तो वो भी क्या ही करते। मुझे अपनी चूत कि खुजली वो ही अंगुली करके या मूली बेंगन से शांत करनी पड़ती।
लेकिन एक रात ऐसा हुआ जिसने सब कुछ ही बदल कर रख दिया ,हमारे उस इलाके में कच्छे बनियान गिरोह का आतंक बड़ गया था,आये दिन इस गिरोह के लोग किसी भी घर में घुस जाते,वंहा लोगो से मारपीट करते और सब कुछ लूट कर ले जाते। इस गिरोह के बारे में मशहूर था कि ये कच्छे और बनियान में ही रहते थे और मुह पर मफलर बंधे रहते थे ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। हमारी कॉलोनी में भी २-३ जगह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया था तो लोग काफी डरे हुए थे। लोग बागो को डर उनकी लूट पट से ज्यादा उनके द्वारा कि जाने वाली मारपीट से लगता था।
मुझे भी हालाँकि उनके बारे में सुन सुन कर बड़ा डर लगता था ,लेकिन फिर भी न जेन क्यू मेरे दिल से आवाज आती थी कि अगर वो हमारे घर आये तो कुछ अलग ही होगा लेकिन ये अलग क्या होगा ये तो में भी नही समझ पाती थी।
एक दिन जिसका डर था वो ही हुआ,रात को जब मेरी नींद खुली तो मुझे घर में शोर शराबे कि आवाज सुनाई दी ,में बहार आयी तो दांग रह गयी ४ लम्बे चोरे हट्टे कट्टे नोजवान कच्छे बनियान में मुह पर नकाब लगाये खड़े हुए हे उनके हाथो में लाठिया हे और मेरे सास ससुर उनके सामने खड़े हुए हे।
उनमे से एक जो शायद उनका सरदार होगा मेरे ससुर को घुड़कते हुए कह रहा था कि बुड्डे जल्दी से सारा माल निकल दे नही तो तुझे और तेरी बीबी को पीट पीट कर मार देंगे ,लेकिन मेरे ससुर कह रहे थे कि घर में कुछ नही हे और सारा माल बैंक में हे।
उनमे से एक ने मेरे ससुर के जोर से झापड़ लगाया तो मुझे गुस्सा आ गया और में एकदम सामने आ गयी कि ये क्या हो रहा हे,लेकिन जल्दी जल्दी में ,में ये भूल गयी कि मेने हाफ मेक्सी पहन रखी हे जो मेरे घुटनो तक आ रही हे। उन पांचो ने पलट कर मेरी और देखा ,वो चोंक गए कि में कहा से आ गयी ,.
मेने कहा ये तुम क्या कर रहे हो उनमे से एक ने कहा कि तू कोन हे मेने निर्भीकता से कहा ये मेरे पति का घर हे और ये मेरे सास ससुर हे।
उनमे से एक ने फिर कहा ,अच्छा तू इन बुड्डे बुड्डियो कि बहु हे तो जल्दी से सारा माल निकल नही तो इनके साथ तुझे भी ख़तम कर देंगे। मेने कहा कि ये सही कह रहे हे घर में कुछ नही हे सब बैंक में हे।
उनमे से एक ने कहा,जफ़र तू जाकर देख कि ये सही कह रही हे या नही,उसके ये कहते ही उनमे से एक नोजवान आगे बड़ा ,मेरी उस पर नजर पड़ी तो देखती ही रह गयी। .वो लम्बा पूरा था और उसका कच्छा फुला सा लग रहा था या तो उसका लोडा मुझे देख खड़ा हो गया था या उसका लोडा इतना बड़ा था कि कच्छे में ही नही समां रहा था,उसने कड़क कर मुझसे कहा मुझे घर कि सब आलमारियां दिखा ,मुझे देखना हे कि घर में कुछ हे या नही।
मेने उसे मना किया तो उसने मुझे जोर से खिंचा में निचे गिर पड़ी लेकिन गिरते गिरते मेरे हाथ में उसका कच्छा आ गया और वो भी फट ता हुआ निचे आ गिरा ,जफ़र नंगा हो चूका था, वो एकदम सन्न रह गया ,उसके साथी उसकी ये हालत देख हंसने लगे तो उसे गुस्सा आ गया ,उसने उनसे कहा कि हंसो मत और इसे लेकर कमरे में आओ,उनमे से २ ने मेरे सास ससुर को पकड़ा और उन्हें उनके कमरे में बंद कर दिया।
फिर चारो ने मुझे पकड़ा और मुझे अपने कमरे में ले गए ,उन्होंने कहा कि सीधे सीधे सब बता दे नही तो हैम तेरा वो हाल करेंगे कि तू सारी उम्र याद रखेगी,मेने कहा कि घर में कुछ भी नही हे,काफी देर बाद कि बहस के बाद उनमे से एक को गुस्सा आ गया और वो बोला चल मान ली तेरी बात घर में माल नही हे तो कोई बात नही तू तो माल हे,अगर तुझे अपनी और अपने सास ससुर कि सलामती चाहनी हे तो हम जैसा कहे तू वेसा कर नही तो भुगतने को तैयार रह। मेने कहा क्या चाहते वो बोले आज कि रात हम सब तेरी चुदाई करेंगे और तुझे हमारी हर बात को मानना पड़ेगा मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा.मेने कहा "मुझे मंजूर है" वो जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया. उसने अपने एक बैग से शराब कि एक बोतल निकली और मेरे कमरे में रखे एक गिलास में उसे डाल लिया।
"चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते" उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया,
मैने काँपते हाथों से मेक्सी के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स खोलकरमेक्सी के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए. मैने मेक्सी को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें चमक उठी. चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे टर रहे थे. मैं उनके सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगयी.
"मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को" जफ़र ने गुर्राते हुए कहा.
"प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो" मैने उससे मिन्नतें की.
"अबे राजे जा इसके सास ससुर के कमरे में और को रात भर हवाई जहाज़ बना कर डंडे मार और इस रंडी को भी अंदर कर दे" उसने अपने एक साथी से कहा
"नहीं नहीं, ऐसा मत करना. आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी." कहते हुए मैने अपने हाथ पीछे लेजा कर ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया. आब मैने पूरी तरह से समरपन का फ़ैसला कर लिया. ब्रा के हटते ही मेरे दूधिया उरोज रोशनी मे चमक उठे. चारों अपनी अपनी जगह पर कसमसने लगे. तीनो गरम हो चुके थे. उनके कच्छे पर उभार सॉफ नज़र अरहा था. जफ़र तो ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था. उपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था की अब मेरी खैर नहीं. मैने अपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मे फँसैई तो जफ़र बोल उठा.
"ठहर जा. यहाँ आ मेरे पास" मैं उसके पास आकर खड़ी हो गयी. उसने अपने हाथों से मेरी योनि को कुच्छ देर तक मसला फिर पॅंटी को नीचे करता चला गया. आब मैं पूरी तरह नंगी हो कर उसके सामने खड़ी थी.
. जफ़र मेरी योनि पर हाथ फिरा रहा था. मेरे योनि पर रेशमी घुंघराले बलों को सहला रहा था.
" चल बैठ यहाँ" उसने सेंटर टेबल की ओर इशारा किया. मैं सेंटर टेबल पर बैठ गयी. उसने मेरी टाँगों को ज़मीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा. मैने वैसा ही किया.
" अब टाँगें चौरी कर" मैं शर्म से दोहरी हो गयी मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मैने अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया.
" और फैला" मैने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फैला दिया. मेरी योनि उनके आँखों के सामने बेपर्दा थी. योनि के दोनो लब खुल गये थे. मैं चारों के सामने योनि फैला कर बैठी हुई थी.
" अपनी चूत मे उंगली डाल कर उसको चौड़ा कर." जफ़र ने कहा. वो अब अपना कच्छा खोल कर अपने काले मूसल जैसे लिंग पर हाथ फेर रहा था. मैं तो उसके लिंग को देख कर ही सिहर गयी. गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लिंग मैने पहली बार देखा था. लिंग भी पूरा काला था. मैने अपनी योनि मे उंगली डाल कर उसे सबके सामने फैला दिया. चारों हँसने लगे.
जफ़र ने अपनी दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि मे घुसा दी. मैं एक दम से सिहर उठी. मैं भी अब गरम होने लगी थी. मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था. उसकी उंगलियाँ कुच्छ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो योनि रस से चुपड़ी हुई थी. वह अपनी उंगलिओ को अपनी नाक तक ले जाकर सूँघा फिर सब को दिखा कर कहा,
"अब ये भी गरम होने लगी है." मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ च्छुआ कर कहा.
"ले चाट इसे." मैने अपनी जीभ निकाल कर अपने कामरस को पहली बार चखा. सारे एक दम से मेरे बदन पर टूट पड़े. कोई मेरी चूचियो को मसल रहा था तो कोई मेरी योनि मे उंगली डाल रहा था. मैं उनके बीच मे छटपटा रही थी. जफ़र ने सबको रुकने का इशारा किया. मैने देखा उसके काला भुजंग सा लिंग तना हुआ खड़ा है. उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लिंग पर दाब दिया.
"इसे ले अपने मुँह मे" उसने कहा
"मुँह खोल." मैने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लिंग अंदर घुसता चला गया. बड़ी मुश्किल से ही उसके लिंग के उपर के हिस्से को मुँह मे ले पा रही थी. वा मेरे सिर को अपने लिंग पर दाब रहा था. उसका लिंग गले के द्वार पर जाकर फँस गया. मेरा दम घुटने लगा मैं च्चटपटा रही थी. उसने अपने हाथों का ज़ोर मेरे सिर से हटाया. कुच्छ सेकेंड्स के लिए कुच्छ राहत मिली तो मैने अपना सिर उपर खींचा. लिंग के कुच्छ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया. इस तरह वो मेरे मुँह मे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा. मैने कभी मुख मैथुन नहीं किया था इसलिए मुझे शुरू शुरू मे काफ़ी दिक्कत हुई. उबकाई सी आ रही थी. धीरे धीरे उसके लिंग की अभ्यस्त हो गयी. अब मेरा शरीर भी गर्म हो गया था. मेरी योनि गीली होने लगी.
बाकी तीनों मेरे बदन को मसल रहे थे. मुख मैथुन करते करते मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छ्चोड़ ही नहीं रहा था. कोई बीस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लिंग झटके खाने लगा. उसने अपना लिंग बाहर निकाला.
" मुँह खोल कर रख." उसने कहा. मैने मुँह खोल दिया. ढेर सारा वीर्य उसकी लिंग से तेज धार सी निकल कर मेरे मुँह मे जा रही थी. जब मुँह मे और आ नही पाया तो काफ़ी सारा वीर्य मुँह से छातियो पर टपकने लगा. उसने कुच्छ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया.
" बॉस का एक बूँद वीर्य भी बेकार नहीं जाए" एक चम्चे ने कहा. उसने अपनी उंगलियों से मेरी चूचियो एवं मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह मे डाल दिया. मुझे मन मार कर भी सारा गटाकना पड़ा…….
इस रंडी को अब बेड पर लिटा दो " जफ़र ने कहा. दो आदमी मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेड पर ले गये. जफ़र अपने हाथों मे ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया.
" चलो शुरू हो जाओ" उसने अपने चम्चो से कहा. तीनो मुझ पर टूट पड़े. मेरी टाँगें फैला कर एक अपना मुँह मेरी योनि पर चिपका दिया. अपनी जीभ निकाल कर मेरे योनि को चूसने लगा. उसकी जीभ मेरे अंदर गर्मी फैला रही थी. मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने योनि पर ज़ोर से दबा रखा था. मैं छटपटाने लगी.मुँह से
"आहूऊहह ऑफ आहह उ" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. मैं अपना सिर झटक रही थी अपने उपर काबू रखने के लिए मगर मेरा शरीर था की बेकाबू होता जा रहा था.
बाकी दोनो मे से एक मेरे निपल्स पर दाँत गढ़ा रहा था तो एक ने मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. सामूहिक संभोग का द्रिश्य था. और जफ़र पास बैठा मुझे नौचते हुए देख रहा था. जफ़र का लेने के बाद इस आदमी का लिंग तो बच्चे जैसा लग रहा था. वो बहुत जल्दी झाड़ गया. अब जो आदमी मेरी योनि चूस रहा था वो मेरी योनि से अलग हो गया. मैने अपनी योनि को जितना हो सकता था उँचा किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे. मगर उसका इरादा कुच्छ और ही था.
उसने मेरे टाँगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके मे अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया. इस अचानक हुए हमले से मे छॅट्पाटा गयी. अब वो मेरी योनि मे तेज तेज झटके मारने लगा. दूसरा जो मेरी छातियोंको मसल रहा था मेरी छाती पर सवार हो गया और मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. फिर मेरे मुँह को योनि की तरह चोदने लगा. उसके अंडकोस मेरी ठुड्डी से रगर खा रहे थे. दोनो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे. मेरी योनि पानी छ्चोड़ने लगी. मैं चीखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़"उम्म्म्म उंफ़्ह" जैसी आवाज़ ही निकल रही थी. दोनो एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे बदन पर लुढ़क गये. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. बुरी तरह थक गयी थी मगर आज मेरे नसीब मे आराम नहीं लिखा था. उनके हट ते ही जफ़र उठा और मेरे पास आकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया. फिर वो बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लिंग मेरी टपकती योनि पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया. योनि गीली होने के कारण उसका मूसल जैसा लिंग लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ. मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे शरीर को चीरता हुआ मुँह से निकल जाएगा. फिर वो धक्के देने लगा. मजबूत पलंग भी उसके धक्के से चरमराने लगा. फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसकी तो सिर्फ़ कल्पना ही की जा सकती है. मैं चीख रही थी.
"आहह ऊओ प्लीज़. प्लीज़ म्मुझे छोड़ दो. अया अया नाअहीइन प्पल्ल्लीस्ससी" मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था. पूरे कमरे मे फूच फूच की आवाज़ें गूँज रही थी. बाकी तीनो उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे. मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लिंग जल्दी पानी छ्चोड़ दे. मगर पता नही वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार मे कोई कमी नहीं आ रही थी. कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गयी. मेरा पूरा शरीर बुरी तरह टूट रहा था. गला सूख रहा था.
"पानी" मैने पानी माँगा तो एक ने एक ग्लास पानी मेरे होंठों से लगा दिया. मेरे होठ वीर्य से लिसडे हुए थे उन्हे पोंच्छ कर मैने गटगट पूरा पानी पी लिया.
पानी पीने के बाद शरीर मे कुच्छ जान आई. तीनो वापस मेरे बदन से चिपक गये. अब मैं बिस्तेरके किनारे पैर लटका के बैठ गयी. एक का लिंग अपनी दोनो चूचियो के बीच ले रखी थी और बाकी दोनो के लिंग को बारी बारी से मुँह मे लेकर चूस रही थी. वो मेरी चूचियो को चोद रहा था. मैं अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियो को उसके लिंग पर दोनो ओर से दबा रखी थी. उसने मेरी चूचियो पर वीर्य गिरा दिया. फिर बाकी दोनो मुझे बारी बारी से चौपाया बना कर चोदे. उनके वीर्य पात हो जाने के बाद वो चले गये.
मैं बिस्तर पर चित पड़ी हुई थी. दोनो पैर फैले हुए थे. मेरी योनि से वीर्य चुहकर बिस्तर पर गिर रहा था. मेरे बाल चेहरा छातिया सब पर वीर्य फैला हुआ था. छातियो पर दांतो के लाल नीले निशान नज़र आ रहे थे.वो चारो उठे और वंहा से चले गए।
में उस समय तो सो गयी और सुबह जल्दी ही उठ गयी और अपनी हालत को दुरस्त कि।फिर मेने बाहर जाकर अपने सास ससुर के कमरे कि कुण्डी खोली और उन्हें बहार निकला ,वो मुझे देख कर कहने लगे कुछ हुआ तो नही,उन्होंने कुछ किया तो नही ,कब चले गए वो ,मेने कहा कुछ नही हुआ ,उन्हें जब कोई सामान नही मिला तो वो चले गए।
में बिलकुल संयत होकर बोल रही थी ताकि उन्हें कोई शक़ नही हो पर में तो अंदर ही अंदर जानती थी कि मेरी चूत का क्या हॉल हो रहा हे और मेरे पर क्या गुजर रही हे,लेकिन एक बात ये भी थी कि इतनी बेदर्दी कि चुदाई के बाद भी मुझे असीम से आनंद का अनुभव हो रहा था।
कुछ दिन बाद लोकेश घर आये तो उन्होंने मुझसे सारी बात को मालूम किया मेने अपने उप्पर हुए सामूहिक चुदाई के किस्से को छोड़कर सब बात बता दी। लोकेश को संतोष हो गया। उन्होंने ७ दिन में रोजाना मेरी चुदाई कि लेकिन उनकी हर चुदाई पर मुझे जफ़र और उसके साथी ही याद आते रहे।
सही कहु तो उस चुदाई के बाद मुझे अपनी पहली चुदाई य़ाद आने लगी जब मेरे जीजाजी ने मुझे पहली बार चोदा था ,आज में आपको अपने जीजू के साथ की पहली चुदाई की बात बता रही हु. मेरी दीदी की जब शादी हुई तब में 18 साल की थी,पर जेसे यू पी की कन्यायो का शरीर १४ साल की उम्र में ही भरने लगता हे एसा ही मेरे साथ हुआ,१८ साल की उम्र में मेरे बूबे पके आम की तरह हो गए थे,चूतर उभर गए थे और उन की दरार क़यामत ढाने लगी थी\
मेरे जीजाजी शोर्य काफी खुबसूरत और लम्बे तगड़े थे ,हमारे यहाँ ये समझा जाता हे की अगर जीजा थोडा बहुत अपनी साली के साथ फ्लर्ट कर ले तो उसका बुरा नहीं मान न चाहिए,ये ही कारन ही की कोई भी जीजू सबसे पहले अपनी साली को चोदने की कोशिशों में लगा रहता हे ,में भी ये ही
सोचती थी की अगर शोर्य ने कभी मेरे साथ जबरदस्ती की तो बूब्स तो में दबवा लुंगी साथ में चुम्बन वगेरा का भी बुरा नहीं मानूगी\
शोर्य जीजू ने कुछ असा ही मेरे साथ किया, वो जब भी अकेले में मेरे से मिलते तो कभी मेरी बोबे कस् कर दबा देते ,कभी गांड को सहलाने लगते,उन्हें हौले हौले सहलाते फिर एकदम गांड की दरार में ऊँगली कर देते,चुम्बन की तो कोई सीमा ही नहीं थी मेरे होटों को चूम चूम करवो सुजा देते,हालाँकि इस से मेरी चूत गीली हो जाती थी और मेरे बोबे तन जाते थे ,लेकिन में इसे जीजा का साली के प्रति प्यार समझ कर टाल देती थी\
लेकिन मुझे पता नहीं था की मेरे द्वारा दी जाने वाली आज़ादी का जीजू गलत मतलब निकल रहे हे और वो अब मुझे चोदने का प्लान भी बना चुके हे\जीजू जब भी ससुराल आते तो उनकी जीजी के साथ अलग कमरे में सोने की हसरत पूरी की जाती ,लेकिन इस बार जब वो आये तो वो हौले से मेरे से बोले ,आज रात को कमरे में आ जाना बात करेंगे\
रात को जीजी ,जीजू और में कमरे में काफी देर तक बाते करते रहे,१२ बजे के लगभग जीजी बोली की उन्हें नींद आ रही हे और वो सो रही हे \जीजू और में ताश खेलते रहे,थोडी देर में जीजी गहरी नींद में सो गयी,तब अचानक जीजू उठे और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपने होठ मेरे होठो से मिला दिए और उन्हें बेरहमी से चूसने लगे\ये ही नहीं जीजू ने अपना एक हाथ मेरी छातियों पर रख दिया और दुसरे हाथ से चुत्डो को मसलना शुरू कर दिया,में हतप्रभ रह गयी की क्या हुआ \
जीजू कहने लगे मेरी जान कबसे इस मोके का इंतजार कर रहा हूँ ,आज मेने तुम्हारी दीदी को नींद की गोलिया देदी हे और वो सुबह तक नहीं उठेगी ,उनकी बात सुनकर मेरे होश उर गए में समझ गयी की आज जीजी अपनी मनमानी कर के ही मानेगे,इधर जीजू ने अपने होठ मेरे होठो पर रख दिए और वो उन्हें चूसने लगे, उनका एक हाथ मेरे बोबो को मसल ही रहा था और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था\
मेरी छतिया एकदम तन गयी थी और मेरी चूत से पानी सा निकल रहा था, असल में में चुदाई के बारे में बिलकुल नहीं जानती थी, मेने केवल पुरुषों को आपस में गालीया देते हुआ सुना था जिसमे वो कहा करते थे,तेरी माँ को चोदु तेरी बहिन को चोदु , तेरी बीबी की चूत में मेरा लोडा ,अब इतनी नासमझ तो में भी नहीं थी ये तो समझ गयी थी की चूत मेरे पास हे और लोडा जीजू के पास और अब जो भी कहानी बनेगी वो इनसे ही बनेगी\
जीजू ने मुझसे कहा की में अपनी टीशर्ट उतर दू मेने वेसा ही किया अब में जीजू के सामने ३२ no की काली ब्रा में थी जीजू ने ब्रा काहूक खिंचा और मेरे दोनों बोबो को आजाद कर दिया अ़ब में जीजू के सामने अर्धनग्न अवस्था में थी जीजू तो मेरे दोनों बोबो देख कर मस्त हो गए उन्होंने दोनों बोबो को अपने मुंह मेंभर लिया और उन्हें चूसने लगे मेरी दोनों निप्प्ले जीजू के मुंह में थी और वो उसे धीरे धीरे काट रहे थे,मेरी तो हालत ख़राब हो गयी,इधर जीजू ने मेरी सलवार का नाडा खिंचा और उसे खोल दिया, मेरी सलवार जमीं पर गिर गयी और में काली पेंटी में रह गयी जीजू तो जेसे पागल हो गए उन्होंने काली पैंटी को भी उतार फेंका अब में बिलकुल नंगी जीजू के सामने खड़ी थी,जीजू ने मेरी रोयेदार चूत को देखा तो वो मदहोश हो गए कहने लगे रेनू रानी आज तुझे में जन्नत की सेर कराऊंगा,आज तेरी चूत का भुरता नहीं बनाया तो मेरा नाम भी शोर्य नहीं ,आज तुझको पता चलेगा की तेरी इस चूत से क्या गुल खिलेंगे
इधर जीजू ने मुझसे कहा रानी अगर मज़ा लेने हे तो थोडा बेशरम तुम्हे भी बन ना होगा अब तुम मेरे कपडे उतारो और मेरा लंड अपने मुहं में लेलो मेने वेसा वेसा ही किया जीजू का लंड देखा तो मेरे होश उड़ गए ९' इंच का फनफनाता लंड में तो देखकर ही काँप गयी की ये मेरी इतनी सी चूत में जायेगा केसे ,मेने जीजू से कहा आप इस लंड का जो करने को कहोगे वो में करुँगी लेकिन इसे मेरी चूत में मत घुसाना नहीं तो वो फट जायेगी\
जीजू के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी वो बोले ठीक हे में भी ये थोडा चाहता हूँ की मेरी साली को तकलीफ न हो तुम्हे अगर लोडा नहीं घुस्वना हे तो मत घुस्वो तुम इसे अपने मुंह में लेलो और इसे गन्ने की तरह चूस दो मरती में क्या नहीं करती मेने जीजू का लोडा मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी \
लंड से मेरा पूरा मुन्ह्भ र गया था इधर जीजू का काम चालू था वो सस्करिया भरते हुआ कह रहे थे चूस मेरीजान चूस और अक हाथ से मेरे गालो को मसल रहे थे और दुसरे हाथ से बोबो को ,बोबो तन चुके थे निप्प्ले सक्त हो गयी थी गाल लाल हो चुके थे
अचानक जीजू बोले अब तुम लेट जाओ में लेट गयी जीजू ने अपनी जीभ निकली और वो मेरी चूत को हौले हौले चाटने लगे मेरी तो उत्तेजना के मरे ही जान निकल गयी पूरी चूत गीली हो गयी शरीर, में तरंगे सी छुटने लगी में जीजू से बोली जीजू मज़ा आ गया जीजू बोले मज़ा तो और जब आएगा जब तुम रंडी बन जाओ और गालीया देने लगो मेने कहा मुझे तो गालीया आती नहीं हे तो वो बोले जो तुमारा मन में आये वो गालीया बको, इधर जीजू चुत्दाने को तलाशने में कामयाब हो गए और वो जीभ से उसे चूसने लगे \
अब तो में बेसुध हो गयी मेरे मुंह से अपने आप स्वर निकने लगे -हाय जीजू इसे मत चुसो अरे मादरचोद मेरी जान निकल रही हे,ओ गांडू ,ओ भोसड़ी के ,लेकिन जीजू ने एक नहीं सुनी उन्होंने तो पूरी चूत की एसी चुसाई की ,की कई बार असा लगा मेरी चूत से पानी ही पानी निकल रहा हे\
अब जीजू ने मुझे उल्टा किया और वो मेरी गांड को थपथपाने लगे ,फिर उन्होंने अपनी एक अंगुली मेरी गांड के छेद में घुसा दी में दर्द से तड़प उठी लेकिन जीजू नहीं मने उन्होंने अंगुली को गांड में घुसाना जारी रखा वो कहने लगे तेरी गांड तो तेरी बहिन से भी ज्यादा मस्त हे ,वे बोले अब तू कुतिया की तरह होजा में अपना लंड तेरी गांड में डालूँगा,मेने कहा जीजू ये फट जायेगी तो वे बोले तू ही फैसला कर ले चूत में घुस्वएगी या गांड में, मेने सोचा चूत तो बड़ी नाजुक हे गांड मरवा ली जाये वो ही बेहतर हे ,मेने जीजू से कहा आप तो गांड ही मार लो बस फिर क्या था उन्होंने ढेर साडी क्रीम मेरी गांड में लगायी और लंड अक झटकेसे घुसेड दिया में दर्द के मारे जोर से चिल्लाई ,मर गयी बहिनचोद,जल्दी वापस निकाल, ओ भाडू ओ जीजा तेरी बहिन की गांड में १०० लोडे घुसे लेकिन जीजा ने एक नहीं सुनी उसने पूरा लोडा गांड में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा वो अब पूरी मस्ती में आ गए थे उनका लोडा तो गांड में था साथ ही उनके हाथ मेरी गांड को उप्पर से नोचाखासूटी में लगे थे वो कहने लगे रंडी की बहिन आज तेरी एसी हालत करूँगा की जिंदगी में हमेशा अपने जीजा को याद रखेगी \
जीजू १५ मिनट तक मेरी गांड मारते रहे ,लेकिन उनके धक्के नहीं रुके मेने सोचा इससे पहले की गांड का बाजा बज जाये मुझे जीजू का लोडा चूत में डलवा लेना चाहिए फटेगी तो फट जायेगी कम से कम गांड तो सहीसलामत रह जायेगी ,ये सोचकर में जीजू से बोली जीजू मेरे पर रहम करो आप मेरी गांड को तो बख्श दो और मुझे छोड़ लो ,मुझ बावली को क्या पता की मेरा जीजा तो चाहता ही ये था \अब स्शोर्य ने मुझे चुत्रो के बल लेता दिया और अपना फनफनाता लोडा लेकर मेरे उप्पर चढ़ गए और कहने लगे अब नेविया लगाकर इसको चिकना कर दे कही मेने असे ही घुसा दिया तो अम्मा अम्मा चिल्लाती रहेगी, क्या करती मेने नेविया और जीजू के लोडे पर अच्छी तरह मल दी , जीजू ने निशाना साधा और लोडे को एकदम चूत में पेल दिया में जोर से चिल्लाये अरे भोसड़ी वाले मर गयी ,मार डाला बहनचोद ,निकाल जल्दी लेकिन जीजू ने तो लोडे को अन्दर पेलना शुरू कर दिया \
वो बारबार कहने लगे चुप हो जा रंडी की ओलाद ,आज तो में तेरी चूत का वो हाल करूँगा की ५ साल तक तू किसी के लोडे को ताकेगी भी नहीं और ये कहकर उन्होंने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए ,मेरी चूत से फुच फच ...फच की आवाज आ रही थी,जीजू का लोडा चूत को फाड़ने पर उतारू था, जीजू ने अपने मुह में मेरी चुचिया दाब राखी थी जिसे वो बीच बीच में कट रहे थे वो अपने हाथो से मेरे गाल मसल रहे थे\
मेने जीजू से कहा तुमने न जाने कितनो की बहिनों को चोदा होगा कभी अपनी बहिन रिंकू की भी चुदाई की हे या नहीं,जीजू बोले तुझे क्या पता कुतिया मेने ही सबसे पहिले उसकी चूत फाड़ीथी, मेने कहा जीजू रिंकू की चुदाई का किस्सा बताओ,जीजू बोले ये तब की बात हे जब रिंकू और में अक कमरे में ही सोते थे,एक दिन जब में कमरे में सोने आया तो मेने देखा रिंकू कीफ्रॉक उप्पेर उठी हुई हे और उसकी काली पेंटी साफ दिख रही हे, मेने उसकी पेंटी निचे की तो
रिंकू की चूत देखते ही में मस्त हो गया, मेने उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू किया, क्या मुलायम मस्त गुद्कारी चूत थी मेरी बहन की\अब मेने अपनी जीभ रिंकू की चूत की और ले गया और उसे चाटने लगा\१८ साल की जवान लोंडिया की चूत का स्वाद ,मेरे मुह में तो पानी आ गया\में काफी देर तक रिंकू की चूत चाटता रहा, इधर मेरा लंड अब फनफनाने लगा,बस अब तो लगने लगा की रिंकू की चूत
का स्वाद इसे भी चखा दू\
अचानक रिंकू कसमसाने लगी में उठकर खडा हो गया,जब वो वापिस नोर्मल हो गयी में उसके बोबो की और बड़ा, मेने उसकी टीशर्ट को ऊँचा किया उसने काले रंग की ब्रा पहन राखी थी , अब मेरे सामने दिक्कत ये की इसे उतारू केसे\मरे दिमाग में एक आईडिया आया,मेने केंची ली और उसकी ब्रा को काट दिया अब उसके बोबे बिलकुल आजाद थे\मासमी जेसे उसके भरेपूरे बोबे और उन पर बारीक़ सेnipple तो kayamat ध रहे थे\मेने धीरे से उसके बोबो को पकडा और आहिस्ता से मसलने लगा\थोडी देर दबाने के बाद मेने बोबो को muh में भर लिया और उन्हें चाटने लगा\
रिंकू की चूत और बोबो ने तो मुझे दीवाना बना दिया,में काफी देर तक उसे निहारता रहा,अब मेरा धेर्य भी जवाब देने लगा था,अब मेने लंड को उसकी चूत में पेलने की सोची,मेने क्रीम निकाल कर अपने लंड पर लगायी फिर थोडी क्रीम रिन्कुकी चूत पर लगायी\मेने अपने हाथ से रिंकू की चूत का छेद तलाशने लगा की इतने में रिंकू चिनक कर उठ बेठी, में भी सकपकाकर खडा हो गया, रिंकू ने मुझे नंगा खडा देखा फिर अपनी और देखा खुद को नंगी देखकर वो खड़ी हो गयी और भाग कर attach बाथरूम में चली गयी\
एक तो खड़े लंड पर दंड,और उसपर रिंक की क्या प्रतिकिर्या रहेगी इस बात से तो मुझे gabrahat होने लगी,१० मिनट के बाद रिंकू बाथरूम से
बहार
आई और बगेर मुझसे नज़रे मिलाये वो लेट गयी, मेने भी करवट बदली और सोने की कोशिश करने लगा\
पर रात भर में अपनी बहन की चुदाई के बारे में ही सोचता रहा की वो कोंन खुशनसीब होगा जिसे मेरी बहन की चूत को फाड़ने का मोका मिलेगा\
में और वो सुबह सोकर उठे ,मेने सोचा की ये मम्मी से मेरी शिकायत करेउस से अच्छा हें की में इससे माफ़ी मांग लू मेने नीची नजरे करते हुआ रिंकी से कहा सोरी , रात को में नशे में था, इसलिए में रिश्तो को भूल गया, उसने कहा कोई बात नहीं भय्या में आपकी शिकायत नहीं करुँगी\
उस दिन तो बात आई गयी हो गयी लेकिन अब मेरी नजरे रिंकू के प्रति बदल गयी, जब भी वो मेरे सामने आती मुझे उसकी चूत और बोबे याद आ जाते\में अब इस कोशिश में रहने लगा की कब मोका मिले और में इसकी चुदाई करू\
अचानक एक मोका मेरे हाथ लग गया पापा मम्मी और बबलू दो दिन के लिए नानाजी स मिलने चले गए और घर में रिंकू और में अकेले रह गए\में रिंकू के सोने से पहले सोने की कोशिश या ये कहे नाटक करने लगा,रिंकू रसोई का काम कर आई और बेड़ के दुसरे हिस्से पर आकर लेट गयी\उसने मुझे आवाज लगायी भय्या सो गए क्या मेने कई जवाब नहीं दिया \
अचानक रिंकू मेरे पास आई और मेरे गाल पर हाथ फिरते हुआ बोली की उस दिन का अधुरा काम पूरा नहीं करोगे क्या\ में चोंक गया ये क्या कह रही हें,रिंकू बोली आप क्या समझते हो भय्या की आप अपनी बहन की चूत चाटोगे, उसके बोबे मस्लोगे और उसे पता भी नहीं चलेगा, वो आगे बोली उस दिन तो में इसलिए चुप्पी लगा गयी की घर में सब हें और आपने जोर से मेरी चुदाई कर दी और में चिल्लाई तो घर के लोग जाग नहीं जाये\रिंकू मेरे और करीब आ गयी और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बोली में तो उस दिन से इसका स्वाद चखने को बेताब हो\
बस फिर क्या था मेने मिनटों में उसे नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया\हम दोनों एक दुसरे से चिपट गए और चूमने लगे, रिंकू ने भी बराबर मेरा साथ दिया, उसने मेरा लंड ले लिया और चूसने लगी बीच बीच में वो बुदबुदा भी रही थी फाड़ दे अपनी बहन की चूत को उंडेल दे अपना सारा वीर्य और बना दो मुझे अपने बच्चो की माँ,मेने कहा चिंता मत कर मेरी रानी\
मेने अपने लंड को जेसे ही रिंकू की चूत में डाला वो चीखने लगी बाहर निकालो भय्या मेरी जान निकली जा रही हें, मेने कहा अब तो ये तेरी चूत का बजा बजा कर ही निकलेगा\ फिर क्या था रात भर हम दोनों भाई बहन ने असी जमकर चुदाई की की रिंकू की चूत का सुबह तक भोसड़ा\ बन गया
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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