FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--125
प्लान , इम्प्लोजन
एक और डाइवर्जनरी ट्रिक भी शूरु होनी थी , पहले धमाके के साथ।
जब वो दिल दहला देने वाली आवाज लोगों के कानों को सुन्न कर देती उसी समय , कुछ और आगे पुल के बीचों बीच बल्कि थोड़ा और नागपाड़ा की और ट्रैफिक सिग्नल पर , दो लोग डार्ट गन लेकर खड़े थे , देखने में वो होली की पिचकारी वाली बंदूकें लग रही थी , लेकिन थीं कुछ और। ये गैस से आपरेट होती थीं और इनकी डार्ट में टाइटेनियम की बनी , बहुत ही शार्प, पियर्सिंग डार्ट्स थीं।
और उसी समय उन्होंने दो तीन बड़ी गाड़ियों, छोटी ट्रकों के टायर में वो डार्ट उतार देते।
और देखते देखते चार ट्रकें , तीन गाड़ियां मोहम्मद अली रोड पर खड़ी हो गयीं और जे जे हॉस्पिटल की और से आने जाने वाला ट्रैफिक पूरी तरह जाम हो गया।
उसी समय , कार बॉम्ब और जमीं में धंसे बॉम्ब के विस्फोट के साथ दंगे की अफवाह भी उड़ती और पूरा इलाका खाली हो जाता। और ये समय होता डिमॉलिशन एक्सपर्ट्स के लिए जो पल के नागपाड़ा एंड पे थे।
डिमॉलिशन के लिए उन्होंने इम्प्लोजन की टेक्निक चुनी थी।
पूरे पल को डिमालिश करना जरुरी नहीं था। अगर एक दो स्पान भी टूट जाते तो पुल बेकार हो जाता और उन का मतलब हल हो जाता।
...
लेकिन पहला काम था ड्रिल करना।
इम्प्लोजन में बिल्डिंग /ब्रिज के जो स्टरक्चरली कमजोर लेकिन महत्वपूर्ण भाग होते हैं ,जिनपर भार टिका रहता है , उसे सही मात्रा में एक्सप्लोजिव का प्रयोग कर के ध्वस्त करना। इसमें एक्स्प्लोसिव्स , एक निश्चित टाइम इंटरवल से एक्सप्लोड होते हैं , जिससे एक तो शाकवेव्स का पूरा असर हो , और दुसरे एक भाग कमजोर होने पर जहाँ वेट ट्रांसफर हो , अगले धमाके में , वो सपोर्ट उड़ जाए और फिर सारा वेट तीसरे प्वाइंट पर शिफ्ट और अगला एक्सप्लोजन हो और वो भी सपोर्ट खत्म हो जाय। और फिर ब्रिज , अपने पूरे भार के साथ ,ग्रेविटी के कारण अपने जगह पर ही गिर जाय।
जे जे फ्लाई ओवर के वीटी एंड के पास ही पहले एक्सप्लोजिव्स से भरी ट्रक का टकराना ,
फ्लाई ओवर के नीचे खड़ी कारों का एक्सप्लोड होना
उनके नीचे छुपे बाम्ब्स का एक्सप्लोजन
पुलिस का सारा ध्यान , उसी ओर रहता।
फिर जे जे हास्पिटॅल की ओर के रास्ते को कुछ ट्रकों , गाड़ियों के टायर को पंक्चर का ब्लाक कर दिया जाता।
और फिर भगदड़,
उस पूरे इलाके में सन्नाटा होता या कोई नोटिस नहीं करता की कुछ लोग पुल के खम्भो , जोड़ों के पास क्या कर है।
कुल चार टीमें थी ड्रिल के लिए।
साढ़े तीन बजे, गुड्डी
कुल चार टीमें थी ड्रिल के लिए।
सबके पास स्ट्रक्चरल प्लान था , जिसमें जगह का निशान बना था।
पुल पर भी २ दिन पहले क्रास के निशान उन जगहों पर बने थे , लेकिन सिक्योरटी फोर्सेज और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड ने कोई नोटिस नहीं लिया था।
उसी तरह निशान और भी जगह जगह बने थे , और ये साफ था की बच्चो ने खेल खेल में बनाये होंगे।
लेकिन क्रास की साइज में फर्क था।
और रास्ता बंद होते ही टीमों को अपने काम में लग जाना था।
एक के हाथ में ड्रिल थी।
वेट डायमंड कोर ड्रिल , जिसमें हैमरिंग और ड्रिलिंग दोनों एक्शन साथ साथ हो सकते थे।
ये रोटरी हैमर से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है और ज्यादा तेज भी।
उन्हें १२ इंच गहरा और एक इंच चौड़ा ड्रिल करना था , और ऐसे चार ड्रिल करने थे।
साथ ही यही काम दूसरी टीम , खम्भे के पीछे की ओर करती।
एक होल करने में एक से डेढ़ मिनट लगना था और पांच से छह मिनट में ये काम हो जाना था।
उसके बाद वो दूसरी साइट पे शिफ्ट हो जाते।
फिर दूसरा आदमी , मोर्चा सम्हाल लेता।
वो पहले से ट्यूब की तरह बनी , प्लास्टिक ट्यूब में भरी सेमी लिक्विड एक्सप्लोसिव्स , डिटोनेटर चार छेदो में भरता।
फिर थोड़ी सी गीली सीमेंट , जिससे वो चार्ज निकलने नहीं पाये।
और उसके बाद , उसके झोले में पास के हाल में रिलीज होने वाली भोजपुरी पिक्चर , " साढ़े तीन बजे , गुड्डी " का पोस्टर था , वो वहां लगा देते।
हाँ जहाँ जहाँ ड्रिल किया था और वहां से इलेक्ट्रिकल चार्ज का तार निकला था , वहां पोस्टर में रगड़ कर उसे हल्का सा फाड़ दिया था।
इस पूरे काम में उसे दो तीन मिनट का समय लगता।
लेकिन उसे एक्स्प्लोशिव और चार्ज लगाने में काफी सावधानी बरतनी थी।
चार्ज डिजाइन करने में , कम्परहेंसिव स्ट्रेंथ पर स्क्वायर इंच कितनी है , स्टील री इन्फोर्समेंट का ग्रेड कितना है
, लांगीट्यूडिनल और वॉल्यूमेट्रिक स्टील का रेशियो क्या है , कालम जो सर्क्युलर है , उनका डायमीटर क्या है
,सब कुछ जोड़ा गया था। इस लिए हर होल केलिए एक्सप्लोसिव्स अलग थीं।
क्योंकि इस फलाइ ओवर में स्टील मेश भी रीइन्फोर्स्ड कंकरीट और स्टील के साथ इस्तेमाल हुयी थी, और वो शाक वेव्स को डिसरप्ट करती , तो उसकाअलग से कैल्क्युलेशन किया गया था।
चार्ज के लिए सेमटेक्स और टी इन टी का मिश्रण इस्तेमाल किया गया था , जो कंकरीट के डिमॉलिशन के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इसके इग्नाइट होने पर ७०० से ९०० पी स आई ( पर स्क्वायर इंच ) का प्रेशर बाहर की ओर फैलता। और सुपरसानिक स्पीड से फैलता प्रेशर , कंक्रीट को चंक्स में बदल देता।
पूरा कालम का कंक्रीट छोटे छोटे टुकड़ों में बदल देता।
लेकिन परेशानी स्टील को लेकर थी और इसलिए चार होल्स में दो में आर डी एक्स का इस्तेमाल किया गया था। इसके एक्सप्लोजन केबाद एक्प्लोजिव्स करीब ८,५०० मीटर प्रति सेकेण्ड की स्पीड से फैलते।
इतनी तेज स्पीड के कारण , ये बजाय कंक्रीट को डीसइंटीग्रेट करने के , तेज स्पीड से स्टील को बीच से चीर देता। इतनी तेज इसकी शियरिंग फोर्स होती।
दोनों को इग्नाइट करने के लिए एक ब्लास्टिंग कैप या प्राइमर लगाया गया था। और इसके साथ इलेक्ट्रिकल वायर , बटन टाइप की बैटरी। और तार पोस्टर से जस्ट बाहर निकला और उसके एंड पे एक छोटी सी बटन , जो पोस्टर से चिपकी थी और खुली आँख से नहीं नजर आ सकती थी।
चार्ज अलग अलग पिलर्स में इस तरह लगाये गए थे की वो उन्हें विपरीत दिशाओ में झुकाये , जिससे सेंटर आफ ग्रेविटी शिफ्ट हो जाय और ऊपर की सड़क बिना किसी सपोर्ट के होकर केव इन कर जाय।
इस पूरे काम में दस से पन्दरह मिनट का वकत लगना था।
एक्सप्लोसिव्स पहले से इसलिए नहीं लगाए जा सकते थे की बॉम्ब डिटेक्शन स्क्वाड हर दो से तीन घण्टे पर आकर फ्लाई ओवर की जांच कर रहे थे।
इसके अलावा मोबाईल पेट्रोल कार और स्टेटिक फोर्स भी थी।
लेकिन ट्रक के एक्सप्लोजन के बाद सारी फोर्स उधर चली गयी।
और ट्रकों , गाड़ियों के टायर बर्स्ट होने से मोबाइल पेट्रोलिंग के चांसेज खत्म हो जाते।
और इसके बाद सिर्फ रिमोट से सारे एक्सप्लोसिव्स को डिटोनेट करना था , जिसका भी सीक्वेंस था।
पिलर , ऊपर के सपोर्ट स्ट्रक्चर , और कुछ ही देर में दो स्पान नीचे आ जाते और बाकी पिलर्स में भी क्रैक हो जाता।
जानमाल के नुक्सान के साथ , न सिर्फ वी टी और भायखला के बीच का रास्ता बंद होता। बल्कि महीनो , दक्षिण मुम्बई का एक महत्वपूर्ण मार्ग तबाह हो जाता ,
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं
फँस गए उस्ताद
जानमाल के नुक्सान के साथ , न सिर्फ वी टी और भायखला के बीच का रास्ता बंद होता। बल्कि महीनो , दक्षिण मुम्बई का एक महत्वपूर्ण मार्ग तबाह हो जाता ,
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं
…..
मैजिशियन नेवर टेल , लेकिन कुछ बताना पड़ेगा।
लेकिन उस के साथ सिक्योरिटी का मामला ,
चलिए पूरा पूरा नही तो अाधा तिहा ही सही ,
ह्यूमनिट ( ह्यूमन इंटेलिजेंस ) , सिग्निट ( सिगनल इंटेलिजेंस ) और उन दोनों के कोर्डिनेशन और इंटरप्रेटेशन पर बहुत कुछ डिपेंड करता है , इन्टैलीजैन्स ऐनेलिसिस।
और इस मामले में भी यही हुआ।
सबसे पहले दुशमन के कमांड और कंट्रोल सेंटर में सेंध लगी , उसी से पांच पुलों के नक़्शे मिले , और उनमें जे जे फ्लाईओवर भी था।
और वहीँ से वो रेड अलर्ट के लिस्ट में आगया।
दादर के पुल के स्ट्रक्चरल डिटेल्स , बी एम सी से कैसे लीक हुए , ये ढूंढते हुए टीना ने बी एम सी के एक्जिक्यिटिव का पता लगा लिया , जिसने ब्लैकमेल और अपनी लडकी को बचाने के लिए डिटेल्स दिए थे।
और पूछताछ में उसने ये भी बता दिया की दादर के पुल के अलावा उसने पांच और फ्लाई ओवर्स डिटेल्स दिए हैं , जिसमे जे जे फ्लाईओवर भी शामिल है।
यही नहीं उसने ये भी बोला की जे जे फ्लाई ओवर के कंस्ट्रक्शन डिटेल , कंक्रीट की स्ट्रेंथ , पुल के खम्भो के डाइमेंशन और स्ट्रक्चर डिटेल भी दिए है।
और उसके बाद तो ये पक्का हो गया की ये टेररिस्ट के राडार पे है।
उन डिटेल्स के आधार पे मिलेट्री के इंजिनियर और एक्सप्लोसिव्स एक्सपर्ट ने ये पता लगाया और डिफरेंट सिचुएशन सिम्युलेट की , की उस पर कैसे हमला हो सकता हो , और पांच सबसे प्रॉबेबल सिनेरियो के आधार पर , सिक्योरिटी कवर डिजायन किया।
उस के साथ साथ , केनेडी ब्रिज के पास की कुछ देह जीवाअों ने जिस तरह सस्पेकेटेड कैरेक्टर्स के बारे में बताया , उससे ये साफ था की रेलवे के साथ पुलों पर भी हमले की योजनाये है , और जे जे फ्लाई ओवर उसमें होना ही था।
लेकिन अब सवाल ये था की हमला करने वालों का कैसे पता लगाया जाय।
उनकी मोडस आपरेंडी क्या होगी।
और ये एक बड़ी परेशानी थी।
जो कुछ हद तक एन पी की 'जासूसी ' से दूर हुयी और कुछ , बैक रूम ब्वायज ( जिसमें जितने ब्वायज थे उतनी ही लड़कियां भी ) से भी जिन्होंने फेस आइडिण्टीफिकेशन अलागारिथम में कुछ फेर बदल कर उसे और प्रभावी बना लिया था। इसमें बिहेवियर पैटर्न से जुडी चीजें भी डाली गयी थी।
और जेजे फ्लाईओवर और उसके आसपास के एक हफते के सी सी टीवी के सारे कैप्चर इमेजेज की अनैलिसिस करके उन्होंने कुछ सस्पेक्स्ट्स निकाले थे। फिर फोटो से , उनके सिम , बैंक आईडी , और करीब ८-१० लोग शार्ट लिस्ट हुए थे।
लेकिन मोडस आपरेंडी का अभी भी पता नहीं चला।
बस उस दिन दोपहर के समय किसी खबरी का फोन आया की चीरा बाजार में किसी ने एक ट्रक की है और जिस तरह से उसने दूना पेमेंट किया है , कुछ शक होरहा है।
बस।
नाकाबंदी तो पहले हो रही थी , अब दूनी कर दी गयी।
ट्रक के बारे में और कुछ डिटेल नहीं मिल सका।
कई बार संयोग कहे , भाग्य कहें , वो साथ देता है।
और इस बार भी वही हुआ ,
ए टी इस चीफ , कुछ देर के लिए क्रॉफोर्ड मार्केट में निकले। एन पी भी साथ थे।
( पुलिस कमिश्नर आफिस भी वहीँ है )
और तभी उन्होंने एक ट्रक को देखा। वहां ट्रकों का होना खासतौर से छोटी ट्रकों का होना बड़ी कॉमन बात थी।
लेकिन उसकी बात ए टी स चीफ को अजीब लगी और उन्होंने एन पी को भी इशारा किया और होंठ भी गोल होगये।
उन्होंने कंट्रोल रूम से बात की। तीन जगह नाकाबंदी में वो ट्रक चेक हुयी थी। दो जगह सामान भी चेक हुआ था। प्रिंसेस स्ट्रीट से कुछ केमिकल्स लोड हुए थे और ट्रक भिवंडी की ओर जा रहा था।
लेकिन तब तक एन पी ने उनका हाथ दबा के इशारा किया। उसका शक विश्वास में बदल चुका था।
और दोनों ध्यान से देख रहे थे।
क्रॉफोर्ड मार्केट में ट्रक भी पैदल चलने वालों की तरह धक्कामुक्की करते चलते है।
जरा सा जगह मिली तो ट्रक उसमें घुसा दिया , और फिर किसी भी जाम में से आड़े तिरछे कर के निकाल ले।
लेकिन अब तक चार बार ऐसा हो चूका था की इस ट्रक वाले को आगे जगह मिली लेकिन उसने पीछे ट्रक वाले को आगे जाने दिया।
जैसे उसे ख़ास वक्त पे कहीं पहुंचना हो।
अब दूसरा अध्याय शुरू हो चुका था।
ए टी एस चीफ ने अपने कम्युनिकेटर के पन्ने पलटे और एन पी ने दिमाग के।
दोनों के दिमागी कंप्यूटर में वो फोटो कहीं रजिस्टर नहीं थी , उस ट्रक ड्रायवर की। फोटो आइडिण्टिफिकेशन सॉफ्टवेयर के जरिये उतारी गयी , स्लीपर्स के साथ मिलते लोग या बॉम्ब मेकर से मिलते लोग , कहीं भी नही।
लेकिन पेरीफेरल विजन से , एन पी ने देखा।
एक आदमी ने ट्रक ड्राइवर को कुछ इशारा किया।
और उस अादमी की तस्वीर बैक रूम ब्वायज ने उतारी थी।
और ट्रक ने एकदम जैसे गियर बदला हो सीधे चौथे गियर में।
जैसे कोई हर्डल रेस का धावक हो , अब कोई उसका रास्ता रोक नहीं सकता था।
दायें ,बाएं , टैक्सी , ट्रक सड़क पार करते लोग , फूटपाथ पर सामान बेचने वाले , सब के बीच ,…
ए टी एस चीफ ने पहले तो प्रिवेंटिव स्टेप लिया , नाकाबंदी और मेटल बैरियर रेज करके।
लेकिन ट्रक की रफ्तार रुकी नहीं।
एक पल के लिए एन पी भी कुछ दहल गए।
लेकिन ए टी एस चीफ ने रेड बटन दबा दिया।
पास में ही ए टी एस के शार्प शूटर की एक टुकड़ी थी।
लेकिन इस १+३ कीटुकड़ी में , स्नाइपर , असाल्ट राइफल के साथ एक व्यक्ति टेजर गन के साथ भी रहता था।
और उसने टेजर शूट कर दिया।
कम से कम पांच मिनट की बेहोशी की गारंटी थी।
इतना समय काफी था , ए टी एस के एम्बुलेंस के पहुँच कर उसे टेकओवर कर लेने का।
लेकिन एन पी वहां नहीं थे। वो उस आदमी के पीछे थे , जिसने ट्रक ड्रायवर को इशारा किया था।
एन पी से ज्यादा इस इलाके को और कौन समझता था।
एन पी
एन पी से ज्यादा इस इलाके को और कौन समझता था।
और बादशाह ड्रिंक के सामने उसे पैर फंसा के गिरा दिया।
और जब तक वो उठा , उस मोबाइल एन पी के हाथ में।
आखिरी पांच नंबर उन्होंने चेक किये , सेंटर की मदद से लोकेशन पता की और कुछ देर में वो मोहम्मद अली रोड पे थे।
उनसे कुछ ही दूरी पे उनके चेले चापड़ ,
उधर ट्रक को बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड वालों ने कब्जे में कर लिया था।
और स्निफर डॉग्स ने ये इशारा कर दिया था की आर डी एक्स , बोनेट में है।
जिसका मोबाइल एन पी ने पार किया था ,वो भी अब ए टी एस के कब्जे में था।
और भला हो सोडियम पेंटाथाल का और दैहिक समीक्षा का , दोनों सत्य वदन की प्रतियोगिता कर रहे थे।
जितना भी उस प्लाट का एकाध पन्ना उन्हें मालूम था।
और उधर एन पी की तेज निगाहें , मुहम्मद अली रोड पर टहल रही थीं।
उन्होंने दो चार लोगों के हाथ में होली की पिचकारी नुमा पिस्तौल देखी और उनका एंटीना खड़ा होगया।
होली के बाद पिचकारी , और वो भी इस जगह से ?
एन पी ने उन्हें घूरना शुरू कर दिया।
और वो एक एक कर के पास की गलियों में गायब होने लगे।
बस ये कन्फर्मेटरी टेस्ट था।
और कुछ एन पी के चेले चपाडों ने कुछ ए टी एस वालों ने उन्हें धर दबोचा।
और थोड़ी देर में ही नागपाड़ा के पास के एक घर से , एक्सप्लोसिव के साथ कोर टीम भी धर दबोची गयी।
और सारा कचड़ा , ए टी एस के कचड़े की गाडी से उनके कचड़ा धोवन केंद्र पहुंचा दिया गया।
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फागुन के दिन चार--125
प्लान , इम्प्लोजन
एक और डाइवर्जनरी ट्रिक भी शूरु होनी थी , पहले धमाके के साथ।
जब वो दिल दहला देने वाली आवाज लोगों के कानों को सुन्न कर देती उसी समय , कुछ और आगे पुल के बीचों बीच बल्कि थोड़ा और नागपाड़ा की और ट्रैफिक सिग्नल पर , दो लोग डार्ट गन लेकर खड़े थे , देखने में वो होली की पिचकारी वाली बंदूकें लग रही थी , लेकिन थीं कुछ और। ये गैस से आपरेट होती थीं और इनकी डार्ट में टाइटेनियम की बनी , बहुत ही शार्प, पियर्सिंग डार्ट्स थीं।
और उसी समय उन्होंने दो तीन बड़ी गाड़ियों, छोटी ट्रकों के टायर में वो डार्ट उतार देते।
और देखते देखते चार ट्रकें , तीन गाड़ियां मोहम्मद अली रोड पर खड़ी हो गयीं और जे जे हॉस्पिटल की और से आने जाने वाला ट्रैफिक पूरी तरह जाम हो गया।
उसी समय , कार बॉम्ब और जमीं में धंसे बॉम्ब के विस्फोट के साथ दंगे की अफवाह भी उड़ती और पूरा इलाका खाली हो जाता। और ये समय होता डिमॉलिशन एक्सपर्ट्स के लिए जो पल के नागपाड़ा एंड पे थे।
डिमॉलिशन के लिए उन्होंने इम्प्लोजन की टेक्निक चुनी थी।
पूरे पल को डिमालिश करना जरुरी नहीं था। अगर एक दो स्पान भी टूट जाते तो पुल बेकार हो जाता और उन का मतलब हल हो जाता।
...
लेकिन पहला काम था ड्रिल करना।
इम्प्लोजन में बिल्डिंग /ब्रिज के जो स्टरक्चरली कमजोर लेकिन महत्वपूर्ण भाग होते हैं ,जिनपर भार टिका रहता है , उसे सही मात्रा में एक्सप्लोजिव का प्रयोग कर के ध्वस्त करना। इसमें एक्स्प्लोसिव्स , एक निश्चित टाइम इंटरवल से एक्सप्लोड होते हैं , जिससे एक तो शाकवेव्स का पूरा असर हो , और दुसरे एक भाग कमजोर होने पर जहाँ वेट ट्रांसफर हो , अगले धमाके में , वो सपोर्ट उड़ जाए और फिर सारा वेट तीसरे प्वाइंट पर शिफ्ट और अगला एक्सप्लोजन हो और वो भी सपोर्ट खत्म हो जाय। और फिर ब्रिज , अपने पूरे भार के साथ ,ग्रेविटी के कारण अपने जगह पर ही गिर जाय।
जे जे फ्लाई ओवर के वीटी एंड के पास ही पहले एक्सप्लोजिव्स से भरी ट्रक का टकराना ,
फ्लाई ओवर के नीचे खड़ी कारों का एक्सप्लोड होना
उनके नीचे छुपे बाम्ब्स का एक्सप्लोजन
पुलिस का सारा ध्यान , उसी ओर रहता।
फिर जे जे हास्पिटॅल की ओर के रास्ते को कुछ ट्रकों , गाड़ियों के टायर को पंक्चर का ब्लाक कर दिया जाता।
और फिर भगदड़,
उस पूरे इलाके में सन्नाटा होता या कोई नोटिस नहीं करता की कुछ लोग पुल के खम्भो , जोड़ों के पास क्या कर है।
कुल चार टीमें थी ड्रिल के लिए।
साढ़े तीन बजे, गुड्डी
कुल चार टीमें थी ड्रिल के लिए।
सबके पास स्ट्रक्चरल प्लान था , जिसमें जगह का निशान बना था।
पुल पर भी २ दिन पहले क्रास के निशान उन जगहों पर बने थे , लेकिन सिक्योरटी फोर्सेज और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड ने कोई नोटिस नहीं लिया था।
उसी तरह निशान और भी जगह जगह बने थे , और ये साफ था की बच्चो ने खेल खेल में बनाये होंगे।
लेकिन क्रास की साइज में फर्क था।
और रास्ता बंद होते ही टीमों को अपने काम में लग जाना था।
एक के हाथ में ड्रिल थी।
वेट डायमंड कोर ड्रिल , जिसमें हैमरिंग और ड्रिलिंग दोनों एक्शन साथ साथ हो सकते थे।
ये रोटरी हैमर से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है और ज्यादा तेज भी।
उन्हें १२ इंच गहरा और एक इंच चौड़ा ड्रिल करना था , और ऐसे चार ड्रिल करने थे।
साथ ही यही काम दूसरी टीम , खम्भे के पीछे की ओर करती।
एक होल करने में एक से डेढ़ मिनट लगना था और पांच से छह मिनट में ये काम हो जाना था।
उसके बाद वो दूसरी साइट पे शिफ्ट हो जाते।
फिर दूसरा आदमी , मोर्चा सम्हाल लेता।
वो पहले से ट्यूब की तरह बनी , प्लास्टिक ट्यूब में भरी सेमी लिक्विड एक्सप्लोसिव्स , डिटोनेटर चार छेदो में भरता।
फिर थोड़ी सी गीली सीमेंट , जिससे वो चार्ज निकलने नहीं पाये।
और उसके बाद , उसके झोले में पास के हाल में रिलीज होने वाली भोजपुरी पिक्चर , " साढ़े तीन बजे , गुड्डी " का पोस्टर था , वो वहां लगा देते।
हाँ जहाँ जहाँ ड्रिल किया था और वहां से इलेक्ट्रिकल चार्ज का तार निकला था , वहां पोस्टर में रगड़ कर उसे हल्का सा फाड़ दिया था।
इस पूरे काम में उसे दो तीन मिनट का समय लगता।
लेकिन उसे एक्स्प्लोशिव और चार्ज लगाने में काफी सावधानी बरतनी थी।
चार्ज डिजाइन करने में , कम्परहेंसिव स्ट्रेंथ पर स्क्वायर इंच कितनी है , स्टील री इन्फोर्समेंट का ग्रेड कितना है
, लांगीट्यूडिनल और वॉल्यूमेट्रिक स्टील का रेशियो क्या है , कालम जो सर्क्युलर है , उनका डायमीटर क्या है
,सब कुछ जोड़ा गया था। इस लिए हर होल केलिए एक्सप्लोसिव्स अलग थीं।
क्योंकि इस फलाइ ओवर में स्टील मेश भी रीइन्फोर्स्ड कंकरीट और स्टील के साथ इस्तेमाल हुयी थी, और वो शाक वेव्स को डिसरप्ट करती , तो उसकाअलग से कैल्क्युलेशन किया गया था।
चार्ज के लिए सेमटेक्स और टी इन टी का मिश्रण इस्तेमाल किया गया था , जो कंकरीट के डिमॉलिशन के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इसके इग्नाइट होने पर ७०० से ९०० पी स आई ( पर स्क्वायर इंच ) का प्रेशर बाहर की ओर फैलता। और सुपरसानिक स्पीड से फैलता प्रेशर , कंक्रीट को चंक्स में बदल देता।
पूरा कालम का कंक्रीट छोटे छोटे टुकड़ों में बदल देता।
लेकिन परेशानी स्टील को लेकर थी और इसलिए चार होल्स में दो में आर डी एक्स का इस्तेमाल किया गया था। इसके एक्सप्लोजन केबाद एक्प्लोजिव्स करीब ८,५०० मीटर प्रति सेकेण्ड की स्पीड से फैलते।
इतनी तेज स्पीड के कारण , ये बजाय कंक्रीट को डीसइंटीग्रेट करने के , तेज स्पीड से स्टील को बीच से चीर देता। इतनी तेज इसकी शियरिंग फोर्स होती।
दोनों को इग्नाइट करने के लिए एक ब्लास्टिंग कैप या प्राइमर लगाया गया था। और इसके साथ इलेक्ट्रिकल वायर , बटन टाइप की बैटरी। और तार पोस्टर से जस्ट बाहर निकला और उसके एंड पे एक छोटी सी बटन , जो पोस्टर से चिपकी थी और खुली आँख से नहीं नजर आ सकती थी।
चार्ज अलग अलग पिलर्स में इस तरह लगाये गए थे की वो उन्हें विपरीत दिशाओ में झुकाये , जिससे सेंटर आफ ग्रेविटी शिफ्ट हो जाय और ऊपर की सड़क बिना किसी सपोर्ट के होकर केव इन कर जाय।
इस पूरे काम में दस से पन्दरह मिनट का वकत लगना था।
एक्सप्लोसिव्स पहले से इसलिए नहीं लगाए जा सकते थे की बॉम्ब डिटेक्शन स्क्वाड हर दो से तीन घण्टे पर आकर फ्लाई ओवर की जांच कर रहे थे।
इसके अलावा मोबाईल पेट्रोल कार और स्टेटिक फोर्स भी थी।
लेकिन ट्रक के एक्सप्लोजन के बाद सारी फोर्स उधर चली गयी।
और ट्रकों , गाड़ियों के टायर बर्स्ट होने से मोबाइल पेट्रोलिंग के चांसेज खत्म हो जाते।
और इसके बाद सिर्फ रिमोट से सारे एक्सप्लोसिव्स को डिटोनेट करना था , जिसका भी सीक्वेंस था।
पिलर , ऊपर के सपोर्ट स्ट्रक्चर , और कुछ ही देर में दो स्पान नीचे आ जाते और बाकी पिलर्स में भी क्रैक हो जाता।
जानमाल के नुक्सान के साथ , न सिर्फ वी टी और भायखला के बीच का रास्ता बंद होता। बल्कि महीनो , दक्षिण मुम्बई का एक महत्वपूर्ण मार्ग तबाह हो जाता ,
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं
फँस गए उस्ताद
जानमाल के नुक्सान के साथ , न सिर्फ वी टी और भायखला के बीच का रास्ता बंद होता। बल्कि महीनो , दक्षिण मुम्बई का एक महत्वपूर्ण मार्ग तबाह हो जाता ,
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं
…..
मैजिशियन नेवर टेल , लेकिन कुछ बताना पड़ेगा।
लेकिन उस के साथ सिक्योरिटी का मामला ,
चलिए पूरा पूरा नही तो अाधा तिहा ही सही ,
ह्यूमनिट ( ह्यूमन इंटेलिजेंस ) , सिग्निट ( सिगनल इंटेलिजेंस ) और उन दोनों के कोर्डिनेशन और इंटरप्रेटेशन पर बहुत कुछ डिपेंड करता है , इन्टैलीजैन्स ऐनेलिसिस।
और इस मामले में भी यही हुआ।
सबसे पहले दुशमन के कमांड और कंट्रोल सेंटर में सेंध लगी , उसी से पांच पुलों के नक़्शे मिले , और उनमें जे जे फ्लाईओवर भी था।
और वहीँ से वो रेड अलर्ट के लिस्ट में आगया।
दादर के पुल के स्ट्रक्चरल डिटेल्स , बी एम सी से कैसे लीक हुए , ये ढूंढते हुए टीना ने बी एम सी के एक्जिक्यिटिव का पता लगा लिया , जिसने ब्लैकमेल और अपनी लडकी को बचाने के लिए डिटेल्स दिए थे।
और पूछताछ में उसने ये भी बता दिया की दादर के पुल के अलावा उसने पांच और फ्लाई ओवर्स डिटेल्स दिए हैं , जिसमे जे जे फ्लाईओवर भी शामिल है।
यही नहीं उसने ये भी बोला की जे जे फ्लाई ओवर के कंस्ट्रक्शन डिटेल , कंक्रीट की स्ट्रेंथ , पुल के खम्भो के डाइमेंशन और स्ट्रक्चर डिटेल भी दिए है।
और उसके बाद तो ये पक्का हो गया की ये टेररिस्ट के राडार पे है।
उन डिटेल्स के आधार पे मिलेट्री के इंजिनियर और एक्सप्लोसिव्स एक्सपर्ट ने ये पता लगाया और डिफरेंट सिचुएशन सिम्युलेट की , की उस पर कैसे हमला हो सकता हो , और पांच सबसे प्रॉबेबल सिनेरियो के आधार पर , सिक्योरिटी कवर डिजायन किया।
उस के साथ साथ , केनेडी ब्रिज के पास की कुछ देह जीवाअों ने जिस तरह सस्पेकेटेड कैरेक्टर्स के बारे में बताया , उससे ये साफ था की रेलवे के साथ पुलों पर भी हमले की योजनाये है , और जे जे फ्लाई ओवर उसमें होना ही था।
लेकिन अब सवाल ये था की हमला करने वालों का कैसे पता लगाया जाय।
उनकी मोडस आपरेंडी क्या होगी।
और ये एक बड़ी परेशानी थी।
जो कुछ हद तक एन पी की 'जासूसी ' से दूर हुयी और कुछ , बैक रूम ब्वायज ( जिसमें जितने ब्वायज थे उतनी ही लड़कियां भी ) से भी जिन्होंने फेस आइडिण्टीफिकेशन अलागारिथम में कुछ फेर बदल कर उसे और प्रभावी बना लिया था। इसमें बिहेवियर पैटर्न से जुडी चीजें भी डाली गयी थी।
और जेजे फ्लाईओवर और उसके आसपास के एक हफते के सी सी टीवी के सारे कैप्चर इमेजेज की अनैलिसिस करके उन्होंने कुछ सस्पेक्स्ट्स निकाले थे। फिर फोटो से , उनके सिम , बैंक आईडी , और करीब ८-१० लोग शार्ट लिस्ट हुए थे।
लेकिन मोडस आपरेंडी का अभी भी पता नहीं चला।
बस उस दिन दोपहर के समय किसी खबरी का फोन आया की चीरा बाजार में किसी ने एक ट्रक की है और जिस तरह से उसने दूना पेमेंट किया है , कुछ शक होरहा है।
बस।
नाकाबंदी तो पहले हो रही थी , अब दूनी कर दी गयी।
ट्रक के बारे में और कुछ डिटेल नहीं मिल सका।
कई बार संयोग कहे , भाग्य कहें , वो साथ देता है।
और इस बार भी वही हुआ ,
ए टी इस चीफ , कुछ देर के लिए क्रॉफोर्ड मार्केट में निकले। एन पी भी साथ थे।
( पुलिस कमिश्नर आफिस भी वहीँ है )
और तभी उन्होंने एक ट्रक को देखा। वहां ट्रकों का होना खासतौर से छोटी ट्रकों का होना बड़ी कॉमन बात थी।
लेकिन उसकी बात ए टी स चीफ को अजीब लगी और उन्होंने एन पी को भी इशारा किया और होंठ भी गोल होगये।
उन्होंने कंट्रोल रूम से बात की। तीन जगह नाकाबंदी में वो ट्रक चेक हुयी थी। दो जगह सामान भी चेक हुआ था। प्रिंसेस स्ट्रीट से कुछ केमिकल्स लोड हुए थे और ट्रक भिवंडी की ओर जा रहा था।
लेकिन तब तक एन पी ने उनका हाथ दबा के इशारा किया। उसका शक विश्वास में बदल चुका था।
और दोनों ध्यान से देख रहे थे।
क्रॉफोर्ड मार्केट में ट्रक भी पैदल चलने वालों की तरह धक्कामुक्की करते चलते है।
जरा सा जगह मिली तो ट्रक उसमें घुसा दिया , और फिर किसी भी जाम में से आड़े तिरछे कर के निकाल ले।
लेकिन अब तक चार बार ऐसा हो चूका था की इस ट्रक वाले को आगे जगह मिली लेकिन उसने पीछे ट्रक वाले को आगे जाने दिया।
जैसे उसे ख़ास वक्त पे कहीं पहुंचना हो।
अब दूसरा अध्याय शुरू हो चुका था।
ए टी एस चीफ ने अपने कम्युनिकेटर के पन्ने पलटे और एन पी ने दिमाग के।
दोनों के दिमागी कंप्यूटर में वो फोटो कहीं रजिस्टर नहीं थी , उस ट्रक ड्रायवर की। फोटो आइडिण्टिफिकेशन सॉफ्टवेयर के जरिये उतारी गयी , स्लीपर्स के साथ मिलते लोग या बॉम्ब मेकर से मिलते लोग , कहीं भी नही।
लेकिन पेरीफेरल विजन से , एन पी ने देखा।
एक आदमी ने ट्रक ड्राइवर को कुछ इशारा किया।
और उस अादमी की तस्वीर बैक रूम ब्वायज ने उतारी थी।
और ट्रक ने एकदम जैसे गियर बदला हो सीधे चौथे गियर में।
जैसे कोई हर्डल रेस का धावक हो , अब कोई उसका रास्ता रोक नहीं सकता था।
दायें ,बाएं , टैक्सी , ट्रक सड़क पार करते लोग , फूटपाथ पर सामान बेचने वाले , सब के बीच ,…
ए टी एस चीफ ने पहले तो प्रिवेंटिव स्टेप लिया , नाकाबंदी और मेटल बैरियर रेज करके।
लेकिन ट्रक की रफ्तार रुकी नहीं।
एक पल के लिए एन पी भी कुछ दहल गए।
लेकिन ए टी एस चीफ ने रेड बटन दबा दिया।
पास में ही ए टी एस के शार्प शूटर की एक टुकड़ी थी।
लेकिन इस १+३ कीटुकड़ी में , स्नाइपर , असाल्ट राइफल के साथ एक व्यक्ति टेजर गन के साथ भी रहता था।
और उसने टेजर शूट कर दिया।
कम से कम पांच मिनट की बेहोशी की गारंटी थी।
इतना समय काफी था , ए टी एस के एम्बुलेंस के पहुँच कर उसे टेकओवर कर लेने का।
लेकिन एन पी वहां नहीं थे। वो उस आदमी के पीछे थे , जिसने ट्रक ड्रायवर को इशारा किया था।
एन पी से ज्यादा इस इलाके को और कौन समझता था।
एन पी
एन पी से ज्यादा इस इलाके को और कौन समझता था।
और बादशाह ड्रिंक के सामने उसे पैर फंसा के गिरा दिया।
और जब तक वो उठा , उस मोबाइल एन पी के हाथ में।
आखिरी पांच नंबर उन्होंने चेक किये , सेंटर की मदद से लोकेशन पता की और कुछ देर में वो मोहम्मद अली रोड पे थे।
उनसे कुछ ही दूरी पे उनके चेले चापड़ ,
उधर ट्रक को बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड वालों ने कब्जे में कर लिया था।
और स्निफर डॉग्स ने ये इशारा कर दिया था की आर डी एक्स , बोनेट में है।
जिसका मोबाइल एन पी ने पार किया था ,वो भी अब ए टी एस के कब्जे में था।
और भला हो सोडियम पेंटाथाल का और दैहिक समीक्षा का , दोनों सत्य वदन की प्रतियोगिता कर रहे थे।
जितना भी उस प्लाट का एकाध पन्ना उन्हें मालूम था।
और उधर एन पी की तेज निगाहें , मुहम्मद अली रोड पर टहल रही थीं।
उन्होंने दो चार लोगों के हाथ में होली की पिचकारी नुमा पिस्तौल देखी और उनका एंटीना खड़ा होगया।
होली के बाद पिचकारी , और वो भी इस जगह से ?
एन पी ने उन्हें घूरना शुरू कर दिया।
और वो एक एक कर के पास की गलियों में गायब होने लगे।
बस ये कन्फर्मेटरी टेस्ट था।
और कुछ एन पी के चेले चपाडों ने कुछ ए टी एस वालों ने उन्हें धर दबोचा।
और थोड़ी देर में ही नागपाड़ा के पास के एक घर से , एक्सप्लोसिव के साथ कोर टीम भी धर दबोची गयी।
और सारा कचड़ा , ए टी एस के कचड़े की गाडी से उनके कचड़ा धोवन केंद्र पहुंचा दिया गया।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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