FUN-MAZA-MASTI
भार्गव की शादी थी और हम सभी दोस्त शादी के लिए उसके गाँव हालियापुर गए हुए थे. दिल्ली की हॉस्टल में रंगीन मिजाज से रहने वाले लड़के गाँव की लड़कियों को देख के तो जैसे की पगला से ही गए थे. लेकिन उन सब लड़कियों में सब से भारी पीस था भावना. भावना की उम्र कुछ 21 की थी लेकिन उसके बड़े चुंचे और खुली
फैली हुई गांड देख के लगता था की वो एक बच्चे की माँ हैं. शादी के मौके में वो लड़की वालो के तरफ से थी. हालांकि यहाँ लड़की वाले और लड़के वाले के घर में 1 मिनिट का भी अंतर नहीं था. गाँव के उटपटांग रिवाजो से मुझे भी काफी फायदा पहुँचता था. यहाँ पर लडकी वाले लड़के को महंदी लगाने आते हैं और लड़के के दोस्त लड़के को महंदी लगाने से रोकते हैं. इसी खिंचातानी में मैं अपने हाथ जानबूझ के दो बार भावना के चुंचो के ऊपर रख दिए. उसने पहली बार मुझे नहीं देखा लेकिन दूसरी बार उसने मेरी और देखा. उसे पता चल गया की मैं क्या कर रहा हूँ. तीसरी बार तो मेरी हिम्मत कम ही थी लेकिन मैं कामदेव का नाम ले के उसके चुंचे पर हाथ रख ही दिया. भावना ने इस बार हंसी से मेरी तरफ देखा. मैं समझ गया की भाई दाल काली हैं यहाँ पे. शादी की रस्मे चलती रही और इसके साथ ही मेरी और भावना की सेटिंग भी होती रही. पहले तो उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर देने से मना किया लेकिन आखिर उसने मुझे अपना नम्बर दे ही दिया. उसने मुझे बताया की वो हर महीने अपनी बुआ के वहाँ आती हैं दिल्ली में. मैंने उसे कहा की अगली बार वो आएँगी तो मैं उसे दिल्ली घुमाऊंगा. उस वक्त तो तो वो हंस के वहाँ से भाग गई. मैंने मंडप के अंदर गद्दे के निचे भावना के नाम की मुठ मारी और गीली पेंट के साथ ही सो गया. मैं बस एक मौके की राह देख रहा था इस देसी लड़की की चूत लेने के लिए. मौका गाँव में तो मिला नहीं इसलिए मैं अपना बिस्तर पोटला और लंड ले के दिल्ली निकल गया. एक आस बची थी क्यूंकि उसका मोबाइल नम्बर अभी भी मेरे पास था.
दिल्ली आके वही अपनी सिगरेट, किताब और पोर्न मैगज़ीन वाली जिन्दगी में मैं भावना को कब भूल गया पता ही नहीं. उसकी पहली याद मुझे तब आई जब उस दिन दोपहर को मेरे मोबाईल के ऊपर उसका नाम आया. जी हाँ उसने मुझे कोल कर के बताया की वो दिल्ली आई हैं अपनी बुआ के वहाँ. मैंने सोचा की बेटा कुलदीप चूत सामने से कह रही हैं की आ लंड मुझे चोद. मैंने उसे पूछा की क्या वो मुझ से मिलेंगी. उसने हां नहीं कहा बल्कि यही कहा की अगर मुमकिन हुआ तो वो मुझे मिलेंगी. मैंने फट से अपने दोस्त राकेश को फोन लगाया और उसके मयूरगंज वाले कमरे की चाबी मांगी. लड़की मुमकिन हुआ कहे इसका मतलब होता हैं की पोसिबिलीटी ज्यादा हैं. भावना को शाम को फोन किया और उसने दुसरे दिन सुबह मुझे अपनी बुआ के घर से दूर बुलाया. जब मैं वहाँ गया तो देखा की उसके साथ और एक लड़की भी थी. भावना ने मुझे बताया की वो उसकी बुआ की बेटी हैं जिसका नाम रुपाली था. रुपाली को अलविदा कर के हम लोग पहले तो दिल्ली में खूब घूमे. मैंने उसे चाट खिलाई और मूवी के लिए पूछा. बात शायद वो भी आज लंड के लिए ही आई थी स्पेशियल क्यूंकि उसने मुझे मना कर दिया मूवी के लिए.
मैंने उसे कहा की चलो मेरे दोस्त के रूम पे जाते हैं. अगर उसने मना किया होता तो मैं समझ जाता की उसे नहीं चुदवाना; लेकिन उसने जूठ का भी ना नहीं कहा. मैं उसे अपनी बाइक पे लेके रूम पे आया. राकेश को पहले ही रिक्वेस्ट कर के मैंने उसके रूम से शराब की बोतलें और सिगरेट के बट्स हटवा लिए थे. भावना ने रूम में बैठते हुए मुझे पूछा, “तुम्हारी तो दिल्ली में काफी लडकियों से सेटिंग होंगी.”
मैंने हंस के कहा, “नहीं अब तक तो सिर्फ तुम पे ही दिल आया हैं.”
वो हंस के मुझे कंधे पे मारने लगी. मैंने भी मौका देख के उसके साथ मस्ती चालू कर दी. मैंने उसे कंधे से पकड़ा और पूरा झंझोड़ दिया. उसके भारी चुंचे जैसे की हवा में लहरा गए. उसने तकिया उठा के मेरे मुहं में दे मारा. मैंने उठ के उसे कमर से पकड़ के बेड पे डाल दिया. और देखते ही देखते मैंने उसके सेक्सी चुंचे अपने हाथ में पकड़ लिए. एक आह के साथ वो हंस पड़ी. उसने हथियार डाल दिए जैसे की उसका मकसद मुझ से चुंचे पकडवाने ही था. उसने बिना हिले हुए चुंचो को पकडवाना जारी रखा. मेरा लंड इधर मेरी हालत ख़राब किये हुआ था. मैंने उसके गले पे किस दी और फिर उसके होंठो को अपने होंठ का स्पर्श किया. मैं कुछ आगे करता उसके पहले तो भावना का हाथ मेरे माथे के पीछे आया और इस देसी लड़की ने अपने होंठ से मेरे होंठ लगा दिए. मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में देते हुए उसे बिलकुल जकड़ लिया और उसे और भी जोर से चूमने लगा. भावना की साँसे लंबी हो गई और वो मुझे किस करते करते मेरी गर्दन वाले हिस्से में नाख़ून मारने लगी. मैंने उसे कमर के ऊपर से पकड़ा और खड़ा कर दिया.
भावना हलके रंग की टी-शर्ट और लाल जिन्स पहन के आई थी. मैंने उसकी टी-शर्ट के गले वाले हिस्से से उसके चुंचे दबाये और फिर टी-शर्ट को पूरा ही खोल दिया. बोलीवुड की फिल्म की तरह उसने अपने चुंचे जो ब्लेक ब्रा में छिपे थे उन्हें अपने हाथ से ढंकने की कोशिश की. मैंने उसके दोनों हाथ हटा के उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चुंचे दबाने लगा. भावना भी अब चुदाई के रंग में रंग चूकी थी. मेरे लंड ने भी अब चूत की खुश्बू जैसे की सूंघ ली थी और वो भी बस चूत फाड़ने के लिए बेताब था. भावना के बड़े चुंचे मेरे हाथ में जैसे की समां भी नहीं रहे थे।
भावना की चूत जैसे की मेरे लंड ने अब सूंघ ली थी. वो अपने चूंचे दबवा के पलंग में लेटी हुई थी और मैंने अपने दिमाग में उसकी चूत से अपना बच्चा भी निकाल लिया था. इस देसी लड़की के कड़े हुए भारी चुंचे दबाते हुए मुझे स्वर्गीय अनुभूति होने लगी थी. अब मेरे से जरा भी रहा नहीं जा रहा था जैसे की. मैंने अपना लंड निकाल के उसके सामने रख दिया और उसका मुहं जैसे की खुला की खुला ही रह गया. मेरा लंड बड़ा चौड़ा हैं; मैं नहीं कहता की वो सब से मोटा हैं लेकिन वो औसत लंड से तो काफी तगड़ा मोटा हैं. देसी लड़की ने अपना हाथ आगे कर के मेरे लंड को छू लिया. आह मुझे बहुत मजा आ गया. भावना ने फिर से लंड को और अब की लंड के गोलियों को भी अपने हाथ में पकड़ के खींचा. वाह क्या मजा दे रही थी मुझे यह देसी लड़की.
मैंने अब उसके कपडे पूरे निकाल दिए और उसे पलंग के ऊपर लिटा दिया. उसने भी अपनी टाँगे फैला के जैसे मुझे चूत में हस्तक्षेप करने की इजाजत दे दी. मैंने अपना हाथ उसकी कमर के ऊपर से ले के उसके चुंचो तक लिया और फिर चुंचो से ले के चूत की दरार तक जैसे की एक लकीर सी बना दी. वाह भावना की चूत तो पानी निकाल बैठी थी और चूत की चिकनाहट मेरे हाथो के ऊपर महसूस हो रही थी. मुझे भावना की चूत का चूसन करने का बेहद मन हो गया. और साथ ही मुझे यह भी इच्छा हो चली की भावना मेरे लंड को अपने मुहं में भर ले. इसलिए मैंने उसके साथ 69 पोजीशन बना ली. यह देसी लड़की जैसे की मेरे लंड को चूसने में थोडा कतरा सी रही थी. लेकिन फिर उसने लंड के ऊपर किस कर दी और हलके से सुपाड़ा अपने मुहं में ले लिया. मेरे तनबदन में आग सी दौड़ गई थी जैसे. मैंने भी अपना मुहं चूत की दरार पे लगाया और चूत के होंठो को अपनी दोउंगलियों से खोल दिया. भावना की चूत मस्त लाल लाल थी और क्यूंकि उसके अंदर से पानी निकल रहा था; ऐसे लग रहा था की सेब के ऊपर शबनम गिरी हुई हैं. मैंने अपनी जबान को जैसे ही चूत के होंठो के ऊपर लगाया देसी लड़की को जैसे की चूत में 1000 वोट का झटका लगा. उसने जोर से आह कर दी. मैंने अब जबान को चूत के अंदर डाला और उसके होंठो को साइड में धकेलने लगा. भावना ने मेरे लंड को मुहं में आधा ले लिया. उसकी उँगलियाँ उस वक्त मेरे गोलों के ऊपर थी और वो उन्हें हिलाते हुए लंड को चूस रही थी.
बड़ा सुख दे राही थी मुझे यह देसी लड़की. और मैं भी अपनी तरफ से उसे भरपूर मजा दे देना चाहता था आज. भावना ने अब लंड को थोडा और अंदर लिया और अब उसके मुहं में करीबन 75% लंड था. वो अब लंड के ऊपर हिल के उसे अपने मुहं से अंदर बहार कर रही थी. जैसे की वो केडबरी की केंडी अपने मुहं में ले रही हो. मैंने अब अपनी जबान उसकी चूत के पुरे अंदर तक दे दी और मेरी ऊँगली से चूत के दाने को मसलने लगा. देसी लड़की से बिलकुल भी बर्दास्त नहीं हुआ जब मैंने चूत के दाने को हाथ लगा के उसे सहलाया. वो छटपटा रही थी और उसने मेरे लौड़े को भी अपने मुहं से बहार निकाल लिया था. मैंने अपनी ऊँगली को चूत के काने में डाल दी और अंदर बहार करने लगा. भावना आह आह ओह ओह करने लगी. वो बोली, “चोद दो मुझे प्लीज़ मुझ से अब रहा नहीं जा रहा हैं. आह आह आह जल्दी अपना लौड़ा मेरी चूत के अंदर डालो प्लीज़.”
मैं भी तो यही पॉइंट की तलाश में था जब वो बेताब हो अपनी चूत मरवाने के लिए. मैं उठा और उसकी दो टांगो के बीच में जाके बैठ गया. भावना ने चूत और भी फैला दी लौड़े के स्वागत के लिए. मैंने अपने लौड़े को हाथ में पकड़ा और भावना के चूत के सुपाड़े के ऊपर सटा दिया. वो फिर बोली, “अब इतना भी ना तडपाओ प्लीज़, जल्दी इसे अंदर डालो. कब से मेरी चूत इसे मांग रही हैं.”
मैंने लौड़े को छेद के ऊपर सेट किया और एक हल्का झटका दे दिया. देसी लड़की के छेद के छेद के अंदर लंड जाने में इतनी दिक्कत नहीं हुई जितना मैंने सोचा था. उसकी योनी शायद पहले से गीली थी इसलिए. मेरा लंड फट से करीब आधा उसकी चूत में घुस गया. भावना की आँखे बंध हो गई और वो बोली, “चोद मुझे जोर जोर से फाड़ दो मेरी चूत को आज अपने लौड़े से.”
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और लौड़े की ट्रेन को चूत की पटरी के उपर दौडाना चालू कर दिया. भावना भी अपनी गांड को उठा उठा के चुदाई का बड़ा मजा ले रही थी. वो अपने मुहं से आह आह ओह ओह यस्स्स्स यस्स्स्स की आवाजें निकाल रही थी और मुझे चोदने के लिए और भी उकसा रही थी. मैंने भी उसकी चूत का फालूदा बनाने के लिए जैसे की लंड को और भी जोर जोर से पटका उसकी चूत के अंदर. आह आह करते हुए यह देसी लड़की लंड को सही तरह से चूत के अंदर लेती गई.
अब मेरी इच्छा हो गई की भावना को कुतिया बना के पेल दूँ. मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और अभी तो उसकी कमर पे हाथ रखा ही था की वप अपनेआप ही पलट गई. यह होता हैं अनुभवी लड़की को चोदने का फायदा. आप को बोलना कम और करना ज्यादा होता हैं. मैंने भावना की गांड के पास से अपने लंड को अंदर की तरफ किया और चूत के छेद में लंड डाल दिया. भावना आह कर गई क्यूंकि इस पोजीशन में चूत के छेद में लंड सही तरह अंदर जो जाता हैं. अब वो अपनी गांड वापिस हिलाने लगी और मैं भी अपनी कमर हिला हिला के उसकी चूत लेने लगा.
2 मिनिट की चुदाई के बाद अब भावना के मुहं से झाग जैसा थूंक निकलने लगा और वैसा ही झाग उसकी चूत के ऊपर भी जमा हुआ था. मैं जब अपना लंड उसकी चूत से निकालता था तो वो सफ़ेद गाढ़ा झाग मुझे साफ़ नजर आ रहा था. मैं समझ गया की यह देसी लड़की झड चुकी थी. इसलिए मैंने भी उसकी चूत के अंदर अपना वीर्य निकालने की योजना बना ली. सेक्स के नशे में हम दोनों भी कंडोम की अहमियत जैसे भूल ही गए थे. फिर मैंने सोचा की कही पेट फूला लिया इसने तो गाँव की बस्ती गांड मार देंगी मेरी. यह सोच के मैंने उसकी चूत से अपना लंड बहार निकाल लिया. मैंने अपना लौड़ा अब उसके मुहं के आगे रख दिया और हाथ से उसका मुहं खोल दिया. भावना ने मुहं खोल के लंड को मुहं में ले लिया. आह वाऊ क्या मजा था ऐसा करने में. भावना अपना मुहं चलाने लगी और मेरा वीर्य 2 मिनिट में ही बहार आ गया. बेसिन के पास जाके भावना ने वीर्य में तैर रहे मेरे बच्चो को गटर में बहा दिया. वो नंगी वापस आई और मुझे किस करने लगी. हमने कपडे पहने और मैं उसे लेके पिज़ा खाने चला गया. पिज़ा के बाद मैं इस देसी लड़की को वापिस रूम पे ले के आ गया. अभी तो चुदाई का एक और राउंड बाकी जो था.
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गाँव की गोरी
प्रेषक : कुलदीपभार्गव की शादी थी और हम सभी दोस्त शादी के लिए उसके गाँव हालियापुर गए हुए थे. दिल्ली की हॉस्टल में रंगीन मिजाज से रहने वाले लड़के गाँव की लड़कियों को देख के तो जैसे की पगला से ही गए थे. लेकिन उन सब लड़कियों में सब से भारी पीस था भावना. भावना की उम्र कुछ 21 की थी लेकिन उसके बड़े चुंचे और खुली
फैली हुई गांड देख के लगता था की वो एक बच्चे की माँ हैं. शादी के मौके में वो लड़की वालो के तरफ से थी. हालांकि यहाँ लड़की वाले और लड़के वाले के घर में 1 मिनिट का भी अंतर नहीं था. गाँव के उटपटांग रिवाजो से मुझे भी काफी फायदा पहुँचता था. यहाँ पर लडकी वाले लड़के को महंदी लगाने आते हैं और लड़के के दोस्त लड़के को महंदी लगाने से रोकते हैं. इसी खिंचातानी में मैं अपने हाथ जानबूझ के दो बार भावना के चुंचो के ऊपर रख दिए. उसने पहली बार मुझे नहीं देखा लेकिन दूसरी बार उसने मेरी और देखा. उसे पता चल गया की मैं क्या कर रहा हूँ. तीसरी बार तो मेरी हिम्मत कम ही थी लेकिन मैं कामदेव का नाम ले के उसके चुंचे पर हाथ रख ही दिया. भावना ने इस बार हंसी से मेरी तरफ देखा. मैं समझ गया की भाई दाल काली हैं यहाँ पे. शादी की रस्मे चलती रही और इसके साथ ही मेरी और भावना की सेटिंग भी होती रही. पहले तो उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर देने से मना किया लेकिन आखिर उसने मुझे अपना नम्बर दे ही दिया. उसने मुझे बताया की वो हर महीने अपनी बुआ के वहाँ आती हैं दिल्ली में. मैंने उसे कहा की अगली बार वो आएँगी तो मैं उसे दिल्ली घुमाऊंगा. उस वक्त तो तो वो हंस के वहाँ से भाग गई. मैंने मंडप के अंदर गद्दे के निचे भावना के नाम की मुठ मारी और गीली पेंट के साथ ही सो गया. मैं बस एक मौके की राह देख रहा था इस देसी लड़की की चूत लेने के लिए. मौका गाँव में तो मिला नहीं इसलिए मैं अपना बिस्तर पोटला और लंड ले के दिल्ली निकल गया. एक आस बची थी क्यूंकि उसका मोबाइल नम्बर अभी भी मेरे पास था.
दिल्ली आके वही अपनी सिगरेट, किताब और पोर्न मैगज़ीन वाली जिन्दगी में मैं भावना को कब भूल गया पता ही नहीं. उसकी पहली याद मुझे तब आई जब उस दिन दोपहर को मेरे मोबाईल के ऊपर उसका नाम आया. जी हाँ उसने मुझे कोल कर के बताया की वो दिल्ली आई हैं अपनी बुआ के वहाँ. मैंने सोचा की बेटा कुलदीप चूत सामने से कह रही हैं की आ लंड मुझे चोद. मैंने उसे पूछा की क्या वो मुझ से मिलेंगी. उसने हां नहीं कहा बल्कि यही कहा की अगर मुमकिन हुआ तो वो मुझे मिलेंगी. मैंने फट से अपने दोस्त राकेश को फोन लगाया और उसके मयूरगंज वाले कमरे की चाबी मांगी. लड़की मुमकिन हुआ कहे इसका मतलब होता हैं की पोसिबिलीटी ज्यादा हैं. भावना को शाम को फोन किया और उसने दुसरे दिन सुबह मुझे अपनी बुआ के घर से दूर बुलाया. जब मैं वहाँ गया तो देखा की उसके साथ और एक लड़की भी थी. भावना ने मुझे बताया की वो उसकी बुआ की बेटी हैं जिसका नाम रुपाली था. रुपाली को अलविदा कर के हम लोग पहले तो दिल्ली में खूब घूमे. मैंने उसे चाट खिलाई और मूवी के लिए पूछा. बात शायद वो भी आज लंड के लिए ही आई थी स्पेशियल क्यूंकि उसने मुझे मना कर दिया मूवी के लिए.
मैंने उसे कहा की चलो मेरे दोस्त के रूम पे जाते हैं. अगर उसने मना किया होता तो मैं समझ जाता की उसे नहीं चुदवाना; लेकिन उसने जूठ का भी ना नहीं कहा. मैं उसे अपनी बाइक पे लेके रूम पे आया. राकेश को पहले ही रिक्वेस्ट कर के मैंने उसके रूम से शराब की बोतलें और सिगरेट के बट्स हटवा लिए थे. भावना ने रूम में बैठते हुए मुझे पूछा, “तुम्हारी तो दिल्ली में काफी लडकियों से सेटिंग होंगी.”
मैंने हंस के कहा, “नहीं अब तक तो सिर्फ तुम पे ही दिल आया हैं.”
वो हंस के मुझे कंधे पे मारने लगी. मैंने भी मौका देख के उसके साथ मस्ती चालू कर दी. मैंने उसे कंधे से पकड़ा और पूरा झंझोड़ दिया. उसके भारी चुंचे जैसे की हवा में लहरा गए. उसने तकिया उठा के मेरे मुहं में दे मारा. मैंने उठ के उसे कमर से पकड़ के बेड पे डाल दिया. और देखते ही देखते मैंने उसके सेक्सी चुंचे अपने हाथ में पकड़ लिए. एक आह के साथ वो हंस पड़ी. उसने हथियार डाल दिए जैसे की उसका मकसद मुझ से चुंचे पकडवाने ही था. उसने बिना हिले हुए चुंचो को पकडवाना जारी रखा. मेरा लंड इधर मेरी हालत ख़राब किये हुआ था. मैंने उसके गले पे किस दी और फिर उसके होंठो को अपने होंठ का स्पर्श किया. मैं कुछ आगे करता उसके पहले तो भावना का हाथ मेरे माथे के पीछे आया और इस देसी लड़की ने अपने होंठ से मेरे होंठ लगा दिए. मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में देते हुए उसे बिलकुल जकड़ लिया और उसे और भी जोर से चूमने लगा. भावना की साँसे लंबी हो गई और वो मुझे किस करते करते मेरी गर्दन वाले हिस्से में नाख़ून मारने लगी. मैंने उसे कमर के ऊपर से पकड़ा और खड़ा कर दिया.
भावना हलके रंग की टी-शर्ट और लाल जिन्स पहन के आई थी. मैंने उसकी टी-शर्ट के गले वाले हिस्से से उसके चुंचे दबाये और फिर टी-शर्ट को पूरा ही खोल दिया. बोलीवुड की फिल्म की तरह उसने अपने चुंचे जो ब्लेक ब्रा में छिपे थे उन्हें अपने हाथ से ढंकने की कोशिश की. मैंने उसके दोनों हाथ हटा के उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चुंचे दबाने लगा. भावना भी अब चुदाई के रंग में रंग चूकी थी. मेरे लंड ने भी अब चूत की खुश्बू जैसे की सूंघ ली थी और वो भी बस चूत फाड़ने के लिए बेताब था. भावना के बड़े चुंचे मेरे हाथ में जैसे की समां भी नहीं रहे थे।
भावना की चूत जैसे की मेरे लंड ने अब सूंघ ली थी. वो अपने चूंचे दबवा के पलंग में लेटी हुई थी और मैंने अपने दिमाग में उसकी चूत से अपना बच्चा भी निकाल लिया था. इस देसी लड़की के कड़े हुए भारी चुंचे दबाते हुए मुझे स्वर्गीय अनुभूति होने लगी थी. अब मेरे से जरा भी रहा नहीं जा रहा था जैसे की. मैंने अपना लंड निकाल के उसके सामने रख दिया और उसका मुहं जैसे की खुला की खुला ही रह गया. मेरा लंड बड़ा चौड़ा हैं; मैं नहीं कहता की वो सब से मोटा हैं लेकिन वो औसत लंड से तो काफी तगड़ा मोटा हैं. देसी लड़की ने अपना हाथ आगे कर के मेरे लंड को छू लिया. आह मुझे बहुत मजा आ गया. भावना ने फिर से लंड को और अब की लंड के गोलियों को भी अपने हाथ में पकड़ के खींचा. वाह क्या मजा दे रही थी मुझे यह देसी लड़की.
मैंने अब उसके कपडे पूरे निकाल दिए और उसे पलंग के ऊपर लिटा दिया. उसने भी अपनी टाँगे फैला के जैसे मुझे चूत में हस्तक्षेप करने की इजाजत दे दी. मैंने अपना हाथ उसकी कमर के ऊपर से ले के उसके चुंचो तक लिया और फिर चुंचो से ले के चूत की दरार तक जैसे की एक लकीर सी बना दी. वाह भावना की चूत तो पानी निकाल बैठी थी और चूत की चिकनाहट मेरे हाथो के ऊपर महसूस हो रही थी. मुझे भावना की चूत का चूसन करने का बेहद मन हो गया. और साथ ही मुझे यह भी इच्छा हो चली की भावना मेरे लंड को अपने मुहं में भर ले. इसलिए मैंने उसके साथ 69 पोजीशन बना ली. यह देसी लड़की जैसे की मेरे लंड को चूसने में थोडा कतरा सी रही थी. लेकिन फिर उसने लंड के ऊपर किस कर दी और हलके से सुपाड़ा अपने मुहं में ले लिया. मेरे तनबदन में आग सी दौड़ गई थी जैसे. मैंने भी अपना मुहं चूत की दरार पे लगाया और चूत के होंठो को अपनी दोउंगलियों से खोल दिया. भावना की चूत मस्त लाल लाल थी और क्यूंकि उसके अंदर से पानी निकल रहा था; ऐसे लग रहा था की सेब के ऊपर शबनम गिरी हुई हैं. मैंने अपनी जबान को जैसे ही चूत के होंठो के ऊपर लगाया देसी लड़की को जैसे की चूत में 1000 वोट का झटका लगा. उसने जोर से आह कर दी. मैंने अब जबान को चूत के अंदर डाला और उसके होंठो को साइड में धकेलने लगा. भावना ने मेरे लंड को मुहं में आधा ले लिया. उसकी उँगलियाँ उस वक्त मेरे गोलों के ऊपर थी और वो उन्हें हिलाते हुए लंड को चूस रही थी.
बड़ा सुख दे राही थी मुझे यह देसी लड़की. और मैं भी अपनी तरफ से उसे भरपूर मजा दे देना चाहता था आज. भावना ने अब लंड को थोडा और अंदर लिया और अब उसके मुहं में करीबन 75% लंड था. वो अब लंड के ऊपर हिल के उसे अपने मुहं से अंदर बहार कर रही थी. जैसे की वो केडबरी की केंडी अपने मुहं में ले रही हो. मैंने अब अपनी जबान उसकी चूत के पुरे अंदर तक दे दी और मेरी ऊँगली से चूत के दाने को मसलने लगा. देसी लड़की से बिलकुल भी बर्दास्त नहीं हुआ जब मैंने चूत के दाने को हाथ लगा के उसे सहलाया. वो छटपटा रही थी और उसने मेरे लौड़े को भी अपने मुहं से बहार निकाल लिया था. मैंने अपनी ऊँगली को चूत के काने में डाल दी और अंदर बहार करने लगा. भावना आह आह ओह ओह करने लगी. वो बोली, “चोद दो मुझे प्लीज़ मुझ से अब रहा नहीं जा रहा हैं. आह आह आह जल्दी अपना लौड़ा मेरी चूत के अंदर डालो प्लीज़.”
मैं भी तो यही पॉइंट की तलाश में था जब वो बेताब हो अपनी चूत मरवाने के लिए. मैं उठा और उसकी दो टांगो के बीच में जाके बैठ गया. भावना ने चूत और भी फैला दी लौड़े के स्वागत के लिए. मैंने अपने लौड़े को हाथ में पकड़ा और भावना के चूत के सुपाड़े के ऊपर सटा दिया. वो फिर बोली, “अब इतना भी ना तडपाओ प्लीज़, जल्दी इसे अंदर डालो. कब से मेरी चूत इसे मांग रही हैं.”
मैंने लौड़े को छेद के ऊपर सेट किया और एक हल्का झटका दे दिया. देसी लड़की के छेद के छेद के अंदर लंड जाने में इतनी दिक्कत नहीं हुई जितना मैंने सोचा था. उसकी योनी शायद पहले से गीली थी इसलिए. मेरा लंड फट से करीब आधा उसकी चूत में घुस गया. भावना की आँखे बंध हो गई और वो बोली, “चोद मुझे जोर जोर से फाड़ दो मेरी चूत को आज अपने लौड़े से.”
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और लौड़े की ट्रेन को चूत की पटरी के उपर दौडाना चालू कर दिया. भावना भी अपनी गांड को उठा उठा के चुदाई का बड़ा मजा ले रही थी. वो अपने मुहं से आह आह ओह ओह यस्स्स्स यस्स्स्स की आवाजें निकाल रही थी और मुझे चोदने के लिए और भी उकसा रही थी. मैंने भी उसकी चूत का फालूदा बनाने के लिए जैसे की लंड को और भी जोर जोर से पटका उसकी चूत के अंदर. आह आह करते हुए यह देसी लड़की लंड को सही तरह से चूत के अंदर लेती गई.
अब मेरी इच्छा हो गई की भावना को कुतिया बना के पेल दूँ. मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और अभी तो उसकी कमर पे हाथ रखा ही था की वप अपनेआप ही पलट गई. यह होता हैं अनुभवी लड़की को चोदने का फायदा. आप को बोलना कम और करना ज्यादा होता हैं. मैंने भावना की गांड के पास से अपने लंड को अंदर की तरफ किया और चूत के छेद में लंड डाल दिया. भावना आह कर गई क्यूंकि इस पोजीशन में चूत के छेद में लंड सही तरह अंदर जो जाता हैं. अब वो अपनी गांड वापिस हिलाने लगी और मैं भी अपनी कमर हिला हिला के उसकी चूत लेने लगा.
2 मिनिट की चुदाई के बाद अब भावना के मुहं से झाग जैसा थूंक निकलने लगा और वैसा ही झाग उसकी चूत के ऊपर भी जमा हुआ था. मैं जब अपना लंड उसकी चूत से निकालता था तो वो सफ़ेद गाढ़ा झाग मुझे साफ़ नजर आ रहा था. मैं समझ गया की यह देसी लड़की झड चुकी थी. इसलिए मैंने भी उसकी चूत के अंदर अपना वीर्य निकालने की योजना बना ली. सेक्स के नशे में हम दोनों भी कंडोम की अहमियत जैसे भूल ही गए थे. फिर मैंने सोचा की कही पेट फूला लिया इसने तो गाँव की बस्ती गांड मार देंगी मेरी. यह सोच के मैंने उसकी चूत से अपना लंड बहार निकाल लिया. मैंने अपना लौड़ा अब उसके मुहं के आगे रख दिया और हाथ से उसका मुहं खोल दिया. भावना ने मुहं खोल के लंड को मुहं में ले लिया. आह वाऊ क्या मजा था ऐसा करने में. भावना अपना मुहं चलाने लगी और मेरा वीर्य 2 मिनिट में ही बहार आ गया. बेसिन के पास जाके भावना ने वीर्य में तैर रहे मेरे बच्चो को गटर में बहा दिया. वो नंगी वापस आई और मुझे किस करने लगी. हमने कपडे पहने और मैं उसे लेके पिज़ा खाने चला गया. पिज़ा के बाद मैं इस देसी लड़की को वापिस रूम पे ले के आ गया. अभी तो चुदाई का एक और राउंड बाकी जो था.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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