FUN-MAZA-MASTI
प्यासा बदन
अंधेरी रात को बंद कमरे में हाथ में अपनी बीए क्लास की ट्यूशन की नोट बुक पकड़े हुए मैं बेड पे बैठी हुई थी.मेरे दिल में इक डर लगा हुआ था कि पता न्ही कल टेस्ट में क्या पूछा जाएगा,मुझसे हो पाएगा के न्ही.तभी खामोशी को ख़त्म क्रती हुई घर के बाहर साथ के खाली प्लॉट में मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी.मैने जब हल्के-हल्के पैरों से जाकर अपनी खीरकी से झाँक कर देखा तो मुझे इक अजीब नज़ारा नज़र आया.
मेरे मोहल्ले के लरका-लर्की उस प्लॉट के इक कोने में जहाँ रोशनी न्ही के बराबर थी वहाँ इक-दूसरे से लिपटे हुए थे.लरके ने लर्की को अच्छी तरह बाहों में जकड़ा हुआ था और दोनो के होंठ इक दूसरे से चिपके हुए थे.वो रमण और शीतल थे. थोरी देर वो ईकदूसरे के होंठो को चूस्ते और फिर छोड़ देते और फिर चूस्ते और फिर छोड़ देते.साथ साथ रमण शीतल के स्तन , थाइस और उसकी कमर के नीचे अच्छी तरह हाथ फिरा रहा था.मुझे यह सब नज़ारा बस चाँद की रोशनी और स्ट्रीट लाइट्स की वहाँ तक पहुँचती लाइट से देखने का मौका मिल रहा था.मैने 21 साल की उमर
में ऐसा पहले कभी न्ही देखा था इसलिए इस मौके को छोड़ने कि मैं ग़लती न्ही कर सकती थी.मैं बस अस्चर्य से टकटकी निगाहो से उन दोनो को देखती रही. शीतल ने सलवार-कमीज़ पहनी थी और रमण ने शर्ट और जीन्स.जब उनका मॅन चूमने से भर गया तो रमण ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और शीतल नीचे झुक गई.फिर रमण ने अपनी अंडरवेर थोरी नीचे की और अपना सब्से प्राइवेट पार्ट उस लर्की के सामने बिल्कुल नंगा कर दिया.शीतल ने उसे थोरी देर हाथों से सहलाया और फिर धीरे धीरे कुछ बोलते हुए अपने खूबसूरत होंठो से छूकर अपने मूह के अंदर ले लिया.जैसे
ही शीतल ने अंदर लिया तो रमण प्लॉट की दीवार का सहारा ले कर खरा हो गया और उसके मूह पर इसका मॅज़ा सॉफ दिखाई दे रहा था. शीतल उसे अंदर-बाहर करती रही और वो बस मज़े से आवाज़ें निकलता रहा.यह सब देखकर मेरे अंदर इक अंजान सी तरंग दौर गई.मैं उन दोनो के ऐसे प्यार को देखकर हक्की-बक्की रह गई थी.किताब अभी भी मेरे हाथों में थी लॅकिन मुझे इसे बेड पर रखने का ख्याल मन में आया ही न्ही.मेरी तो उन्दोनो से नज़र हट न्ही रही थी.तभी रमण ने उसे रोका और शीतल हाथ से उसे उतनी देर तक हिलाती रही जब तक रमण अपनी चरम सीमा पर न्ही
पहुँचा.रमण ने अपना सब रस ज़मीन पर गिरा दिया और पेंट उपर उठाते हुए शीतल से फिर किस करने लगा.फिर उन्होने ने इधर उधर देखा और चुपके से वहाँ से निकल लिए. उनके आँखों से ओझल होते ही मैं वापिस अपने बेड पर आई और मुझे थोरी होश आया कि मैं तो कल टेस्ट की तायारी कर रही थी.लॅकिन उन दोनो का वो द्रिश्य मेरे मन से निकल न्ही पा रहा था.मैने कभी किसी लरके की तरफ ऐसे न्ही देखा था . मेरी फॅमिली बहुत रिस्ट्रिक्टेड है और इसलिए मुझे बहुत लिमिट्स में रहना पड़ता है.मैने तो आज तक जीन्स भी पहेन के न्ही देखी थी.मेरे मंन में दो विचारो की लड़ाई हो
रही थी.इक वो जो मैं आज तक अपनाती आई थी और इक यह जो मुझे उस दुनिया से जानू करवा गया जो मैने कभी सोची ही न्ही थी.मैं खरी हुई और अपने कमरे में घूमने लगी और तभी मेरी नॅज़र सामने शीशे पर गई.उसी वक़्त पता न्ही मुझे क्या हो गया मैने अपनी नाइटी उतारनी शुरू कर दी.अब मेरे शरीर पर ब्रा और पॅंटी के इलावा और कुछ न्ही था. मैने शीशे में देखा तो मुझे इक गुमनाम ख्याल आया कि आज तू अपने जिस्म के हर अंग को अच्छी तरह देख. उस तरह से देख जैसे तूने पहले कभी न्ही देखा था. मैने आँखे बंद कर के बहुत ही धीमी चाल से चलते हुए अपनी
35-डी ब्रा और पॅंटी भी अपने शरीर से अलग कर दी.अब मैं निर्वस्त्र अपने कमरे में खरी थी.मैने आँखें खोली और पहली बार उस नज़र से अपने अंगों को निहारा जैसे पहले मैने कभी न्ही देखा था.मैने अपने जवानी के जोश में भरे हुए गोल-गोल तने हुए दूध देखे …….और नीचे नज़र पड़ी तो दिखाई दी भरे हुए दो थाइस के बीच मेरी सील बंद टाइट चूत…..फिर पीछे घुमा के जब देखा तो अपनी 28 की वेस्ट और चट्टान जैसी 38 साइज़ वाली भरी हुई मदमस्त गांद नज़र आई. “जब
कोई लड़का इससे खेलेंगा तो कितना मज़ा आएगा” ऐसा सोचते सोचते मुझे इक अलग सा मज़ा आया और इसके साथ ही मैने अपनी सोच को भी बदल दिया और आगे वाली ज़िंदगी के लिए लिमिट्स(हदे) का नाम ही अपने मंन से मिटा दिया.इस न्यी सोच के साथ ही मैं नंगी अपने बेड पे सो गई. अगले दिन कॉलेज के लिए मैने मेरे पास जो भी सब्से टाइट सलवार-कमीज़ थी वो पहनी . कॉलेज पहुँचकर मैने पहली बार आँख उठा के लड़को को देखा और ऐसे ही हम क्लास में पहुँच गये.मैने पूरा दिन सब लड़को को जमकर लाइन दी…….लकिन अफ़सोस इसका कोई फयडा न्ही हुआ. लगता था कि
मुझे तो अपने बदलाव का पता है , लकिन ये सब मुझे वोही पुराने विचारो वाली सोनम समझ रहे हैं. मेरा किसी भी पीरियड में ध्यान न्ही लगा उस दिन और कॉलेज ख़त्म होते ही अपनी इक फरन्ड के साथ बस में बैठ गई.बस में बहुत भीड़ होने की वजह से बहुत मुश्किल हो रही थी.तभी मैने देखा कि मेरी फरन्ड के पीछे इक अंकल खड़े है और चुपके-चुपके अपना लंड उसकी गांद पे रगर रहे है. मेरी फरन्ड को कुछ पता न्ही चल रहा था.मैं अपनी फ्रेंड के पास गई और उससे ट्यूशन की कुछ बातें करने लगी और बातो बातों में उसकी जगह आ गई.
उस अंकल को भी न्ही पता चला कि मैने ये जानबूज के किया है.मैं उसका काम आसान करने के लिए बिल्कुल उसके सामने खरी हो गई और अपनी फरन्ड से बातें करने लगी.तभी मुझे गांद पे सख़्त चीज़ का अनुभव हुआ.मेरे मन में मज़े की तरंग उड़ी.फिर मुझे महसूस होने लगा कि वो अपना लंड मेरी गांद के बीच रख रहा है और हल्का हल्का रगड़ रहा है….मेरी आँखों में मज़ा था और मैं अपनी फरन्ड से पता न्ही कैसे बातें कर रही थी.
लेकिन यह एहसास भी तब ख़त्म हो गया जब
10 मिनट बाद मेरा घर आ गया और मुझे उतरना पड़ा.लॅकिन कॉलेज की उदासी को इस अंकल ने मिटा दिया था.मैं घर गई और फिर शाम को ट्यूशन जाकर वापिस आकर रात का खाना खाया और अपने कमरे में चली गई. मेरे एग्ज़ॅम शुरू होने वाले थे और तभी मेरे मोम और डॅड को मेरे ताया जी की बेटी की शादी में जाना था. मैं अपने एग्ज़ॅम की वजह से न्ही जा सकी और घर में ही रही. मेरे पेरेंट्स ने कहा कि तुम रात को ताला लगाकर अपनी किसी फरन्ड के घर में चले जाना क्यूंकी वहाँ सेफ रहेंगी और अपने भैया से भी बची रहेगी.आक्च्युयली मेरे बारे भैया बहुत
शराब पीते थे इसलिए घर में से कोई भी उनको खाना देने के इलावा बुलाता न्ही था.मैं उनको कभी कभी बुला लिया करती थी.वो सुबह बिल्कुल ठीक होते थे लॅकिन रात को बहुत शराब पीकर आते थे और उनसे बात करना भी मुश्किल होता था.जैसे ही मोम-दाद गये मुझे इक गंदा ख्याल आने लगा..मैने बहुत सोचा लॅकिन वो ख्याल बार बार आता रहा….वो ख्याल था “भैया से सेक्स करना! मैं आख़िरकार हार गई और जानबूझ के घर पर ही रही.रात को भैया आए और उन्होने बहुत शराब पी हुई थी और वो सीधा अपने कमरे में सो गये.
मेरे अंदर अजीब सा डर भी था और अपनी प्यास भुजाने का जोश भी था.मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ इक अकेली नाइटी पहेन ली….मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था….मैं भैया के कमरे में गई और दरवाज़े के पास पहुँच कर उनको आवाज़ लगाई कि “खाना लाउ भैया”.5-6 बार कहने पर भी उन्होने न्ही सुना……तो मुझमे बहुत हिम्मत आ गई…..मैं उनके पास गई और बड़ी हवस भरी आखों से उनको देखा और वो प्लॉट वाला सीन याद किया….फिर मुझसे रहा ना गया और मैने बड़ी जल्दी जल्दी उनकी पेंट खोल दी और थोरी नीचे कर दी……
फिर अंडरवेर को होले-होले नीचे कर दिया….म….उनका नंगा लंड मेरे आँखों के सामने था…..मुझसे इक पल भी रहा ना गया और मैने सीधा उसे अपने मूह में ले लिया….जैसे ही मैने मूह मे लिया मुझे एक अजीब सी शांति का एहसास हुआ…मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी वो अभी थोरी शांत हुई.जब थोरी देर तक भैया ने कुछ हरकत न्ही की तो मैं लंड को बड़े मज़े से चूसने लगी……म्म्म्ममम…….यँ……….मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा शारीर इक दम गरम हो चुका था…..तभी इक दम भैया ने आँखें खोली और मैं डर गयइ….मैं बिल्कुल सहमी निगाहों से उनकी ओर देखने लगी……..
भैया ने कुछ न्ही बोला और मुझे ज़ोरों से पकड़ा और अपनी तरफ खिच लिया और अपने सीने से लगा लिया…….मुझे बहुत माज़ा आया..भैया की आँखें अब भी शराब के नशे से भरी हुई थी …भैया ने मेरी गर्दन को हाथों से पकड़ अपने होठों को मेरे होटो के बीच फसा दिया…..मैने कभी शराब को हाथ तक न्ही लगाया था लॅकिन आज वो ही शराब मैं अपने भैया की जीब से पी रही थी……भैया ने मुझे बहुत चूसा…..मैं भी इक दम बेशरम हो गई और भूल गई हमारा रिश्ता क्या है……….मैने भी उनकी जीब के उपर अपनी जीब घुमाई और पूरा उसको अपने होटो के बीच रख कर चूसा….
तभी भैया ने गाली देते हुए कहा कि ……चल भेन्चोद नंगी हो जा…….तेरी चुउत मारनी है…!…..मैं अपने बारे में भैया से गालियाँ सुनकर पता न्ही क्यूँ मज़े ले रही थी…….भैया ने मुझे खुद नंगे कर दिया और मैने भैया की पेंट को पूरा नीचे कर दिया…….फिर भैया ने अपनी बन्यान उतार दी……और मैं पूरे जोश में भैया के उपर चढ़ गई….!मेरे दूध भैया की छाती और मेरी चूत भैया के लंड पे घिस रही थी…..मैने महसूस किया अब भैया का लंड बिल्कुल तन कर तयार हो चुका था…..भैया मेरे दूध को बहुत गोल गोल मसल रहे थे और
इनका दूध बरी मस्ती से पी रहे थे..ष्प्प्प्प्प्प………..चप्प्प्प …..हमचप्प…ऐसी
आवाज़ें आ रही थी…..!भैया ने मेरे पूरे शारीर पर जम कर हाथ फेरा , मेरी
गांद को भी गोल-गोल मसला और चुतद्द के छेड़ पर में बड़े मज़े से उंगली डाली
जिसका मुझे बहुत आनंद आया…फिर मुझे अपने नीचे लिटा दिया…..मैं फिर भैया के
नीचे आ गई..भैया ने मेरी चूत को खोला और हल्की सी उंगली
डाली………अहह……..मेरी तो जान पे बन आई……..मैं चीख को बहुत ही मुश्किल से
कंट्रोल कर पाई…….फिर भैया ने अपने लंड और मेरी चूत पर थूक लगाया और इक
धक्के से अपना लंड मेरी चूत में फसा दिया…
अहह….मैं मर गईइई…ऐसी ही इक लंबी चीख निकली और मुझे लगा मेरी चूत फॅट गई है…………….लॅकिन मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी……….तभी भैया बहुत ज़ोर ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगे…3-4 मिनट तो मुझे लगा कि मैं मर जाउन्गि…….मुझे बहुत दर्द हो रहा था लॅकिन जैसे ही मेरे मन में ख्याल आया कि मैं चुद रही हूँ और वो भी अपने भैया से ….मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा…..!मैने भी भैया का साथ दिया और अपनी गांद को हिला हिला कर उनका लंड लिया…!!सतत्तत्त्टसततत्त……..चप्
प्प्प्पछप…….चुदाई की आवाज़ें आने लगी……!
मैने भैया के मुँह में अपनी जीब डाल दी और उनकी जीब को चूसने लगी और भैया को कस्स के पकड़ लिया….भैया भी बरे कस्स कस्स के धक्के लगाते गये और मैं बड़े मज़े से पूरा लंड अंदर तक लेती रही……..फिर भैया ने मेरी टाँगें अपने शोल्डर पर रखी और मेरी चूत चोदने लगे…….मुझे फिर दर्द हुआ……..भैया ने साथ ही मेरे दूध के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया……अब मैं बिल्कुल मज़े में थी…….तभी मेरा दर्द थोरी देर के लिए एक दम गायब हो गया और मैने चीख मार कर अपनी पानी निकाला
ह…..उईईइमाआआ…….हइई………मुझे ऐसा माज़ा आया कि बता न्ही सकती…लॅकिन भैया मुझे चोद्ते गये…..मैं भैया को कहने लेगी बाहर निकलना माल प्लज़्ज़्ज़…..लॅकिन भैया कुछ सुन ही न्ही रहे थे…….फिर 5-6 मिनट्स और चोदने के बाद भैया ने अपने लंड से इक चीख के साथ पानी की धार छोड़ी और मैने उनसे छूटने की कोशिश की लॅकिन भैया ने मुझे गांद से कस्स के पकड़ा हुआ था…….भैया ने अपना सारा माल मेरी चूत में ही खाली किया……मुझे भी उनका गरम गरम माल अपनी चूत के अंदर जब लगा तो इक अजब सा मजेदार एहसास हुआ……..
हाई……….हम दोनो ही 5-6 मिनट्स तक ऐसे पड़े रहे……फिर जब मुझे होश आया तो मैं उठी और अपनी नाइटी पहनी.फिर मैने भैया को कपड़े पहनाए और अपने कमरे में चली गई. मुझे बहुत दर्द हो रहा था इसलिए सारी रात में अच्छे से सो न्ही पाई.सुबह जब मैने उठकर भैया के लिए चाइ बनाई तो भैया उठे और मुझे अजीब सी निगाहो से देखा..मैं थोड़ा डर गई….तभी भैया ने
मुझसे पूछा—भैया–सोनम तुम कल मेरे कमरे में आई थी? मे—-न्ही भैया मैं तो आज सुबह ही आई हूँ आपको चाइ देने……..क्यूँ क्या बात है? भैया—-न्ही कुछ न्ही……वैसे ही पूछा……अच्छा चाइ रख दो.! पता न्ही भैया को याद है या न्ही लॅकिन मुझे तो बहुत मज़ा आया,चाहे इस चुदाई का दर्द 2-3 दिन तक रहा!
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
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प्यासा बदन
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मेरे मोहल्ले के लरका-लर्की उस प्लॉट के इक कोने में जहाँ रोशनी न्ही के बराबर थी वहाँ इक-दूसरे से लिपटे हुए थे.लरके ने लर्की को अच्छी तरह बाहों में जकड़ा हुआ था और दोनो के होंठ इक दूसरे से चिपके हुए थे.वो रमण और शीतल थे. थोरी देर वो ईकदूसरे के होंठो को चूस्ते और फिर छोड़ देते और फिर चूस्ते और फिर छोड़ देते.साथ साथ रमण शीतल के स्तन , थाइस और उसकी कमर के नीचे अच्छी तरह हाथ फिरा रहा था.मुझे यह सब नज़ारा बस चाँद की रोशनी और स्ट्रीट लाइट्स की वहाँ तक पहुँचती लाइट से देखने का मौका मिल रहा था.मैने 21 साल की उमर
में ऐसा पहले कभी न्ही देखा था इसलिए इस मौके को छोड़ने कि मैं ग़लती न्ही कर सकती थी.मैं बस अस्चर्य से टकटकी निगाहो से उन दोनो को देखती रही. शीतल ने सलवार-कमीज़ पहनी थी और रमण ने शर्ट और जीन्स.जब उनका मॅन चूमने से भर गया तो रमण ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और शीतल नीचे झुक गई.फिर रमण ने अपनी अंडरवेर थोरी नीचे की और अपना सब्से प्राइवेट पार्ट उस लर्की के सामने बिल्कुल नंगा कर दिया.शीतल ने उसे थोरी देर हाथों से सहलाया और फिर धीरे धीरे कुछ बोलते हुए अपने खूबसूरत होंठो से छूकर अपने मूह के अंदर ले लिया.जैसे
ही शीतल ने अंदर लिया तो रमण प्लॉट की दीवार का सहारा ले कर खरा हो गया और उसके मूह पर इसका मॅज़ा सॉफ दिखाई दे रहा था. शीतल उसे अंदर-बाहर करती रही और वो बस मज़े से आवाज़ें निकलता रहा.यह सब देखकर मेरे अंदर इक अंजान सी तरंग दौर गई.मैं उन दोनो के ऐसे प्यार को देखकर हक्की-बक्की रह गई थी.किताब अभी भी मेरे हाथों में थी लॅकिन मुझे इसे बेड पर रखने का ख्याल मन में आया ही न्ही.मेरी तो उन्दोनो से नज़र हट न्ही रही थी.तभी रमण ने उसे रोका और शीतल हाथ से उसे उतनी देर तक हिलाती रही जब तक रमण अपनी चरम सीमा पर न्ही
पहुँचा.रमण ने अपना सब रस ज़मीन पर गिरा दिया और पेंट उपर उठाते हुए शीतल से फिर किस करने लगा.फिर उन्होने ने इधर उधर देखा और चुपके से वहाँ से निकल लिए. उनके आँखों से ओझल होते ही मैं वापिस अपने बेड पर आई और मुझे थोरी होश आया कि मैं तो कल टेस्ट की तायारी कर रही थी.लॅकिन उन दोनो का वो द्रिश्य मेरे मन से निकल न्ही पा रहा था.मैने कभी किसी लरके की तरफ ऐसे न्ही देखा था . मेरी फॅमिली बहुत रिस्ट्रिक्टेड है और इसलिए मुझे बहुत लिमिट्स में रहना पड़ता है.मैने तो आज तक जीन्स भी पहेन के न्ही देखी थी.मेरे मंन में दो विचारो की लड़ाई हो
रही थी.इक वो जो मैं आज तक अपनाती आई थी और इक यह जो मुझे उस दुनिया से जानू करवा गया जो मैने कभी सोची ही न्ही थी.मैं खरी हुई और अपने कमरे में घूमने लगी और तभी मेरी नॅज़र सामने शीशे पर गई.उसी वक़्त पता न्ही मुझे क्या हो गया मैने अपनी नाइटी उतारनी शुरू कर दी.अब मेरे शरीर पर ब्रा और पॅंटी के इलावा और कुछ न्ही था. मैने शीशे में देखा तो मुझे इक गुमनाम ख्याल आया कि आज तू अपने जिस्म के हर अंग को अच्छी तरह देख. उस तरह से देख जैसे तूने पहले कभी न्ही देखा था. मैने आँखे बंद कर के बहुत ही धीमी चाल से चलते हुए अपनी
35-डी ब्रा और पॅंटी भी अपने शरीर से अलग कर दी.अब मैं निर्वस्त्र अपने कमरे में खरी थी.मैने आँखें खोली और पहली बार उस नज़र से अपने अंगों को निहारा जैसे पहले मैने कभी न्ही देखा था.मैने अपने जवानी के जोश में भरे हुए गोल-गोल तने हुए दूध देखे …….और नीचे नज़र पड़ी तो दिखाई दी भरे हुए दो थाइस के बीच मेरी सील बंद टाइट चूत…..फिर पीछे घुमा के जब देखा तो अपनी 28 की वेस्ट और चट्टान जैसी 38 साइज़ वाली भरी हुई मदमस्त गांद नज़र आई. “जब
कोई लड़का इससे खेलेंगा तो कितना मज़ा आएगा” ऐसा सोचते सोचते मुझे इक अलग सा मज़ा आया और इसके साथ ही मैने अपनी सोच को भी बदल दिया और आगे वाली ज़िंदगी के लिए लिमिट्स(हदे) का नाम ही अपने मंन से मिटा दिया.इस न्यी सोच के साथ ही मैं नंगी अपने बेड पे सो गई. अगले दिन कॉलेज के लिए मैने मेरे पास जो भी सब्से टाइट सलवार-कमीज़ थी वो पहनी . कॉलेज पहुँचकर मैने पहली बार आँख उठा के लड़को को देखा और ऐसे ही हम क्लास में पहुँच गये.मैने पूरा दिन सब लड़को को जमकर लाइन दी…….लकिन अफ़सोस इसका कोई फयडा न्ही हुआ. लगता था कि
मुझे तो अपने बदलाव का पता है , लकिन ये सब मुझे वोही पुराने विचारो वाली सोनम समझ रहे हैं. मेरा किसी भी पीरियड में ध्यान न्ही लगा उस दिन और कॉलेज ख़त्म होते ही अपनी इक फरन्ड के साथ बस में बैठ गई.बस में बहुत भीड़ होने की वजह से बहुत मुश्किल हो रही थी.तभी मैने देखा कि मेरी फरन्ड के पीछे इक अंकल खड़े है और चुपके-चुपके अपना लंड उसकी गांद पे रगर रहे है. मेरी फरन्ड को कुछ पता न्ही चल रहा था.मैं अपनी फ्रेंड के पास गई और उससे ट्यूशन की कुछ बातें करने लगी और बातो बातों में उसकी जगह आ गई.
उस अंकल को भी न्ही पता चला कि मैने ये जानबूज के किया है.मैं उसका काम आसान करने के लिए बिल्कुल उसके सामने खरी हो गई और अपनी फरन्ड से बातें करने लगी.तभी मुझे गांद पे सख़्त चीज़ का अनुभव हुआ.मेरे मन में मज़े की तरंग उड़ी.फिर मुझे महसूस होने लगा कि वो अपना लंड मेरी गांद के बीच रख रहा है और हल्का हल्का रगड़ रहा है….मेरी आँखों में मज़ा था और मैं अपनी फरन्ड से पता न्ही कैसे बातें कर रही थी.
लेकिन यह एहसास भी तब ख़त्म हो गया जब
10 मिनट बाद मेरा घर आ गया और मुझे उतरना पड़ा.लॅकिन कॉलेज की उदासी को इस अंकल ने मिटा दिया था.मैं घर गई और फिर शाम को ट्यूशन जाकर वापिस आकर रात का खाना खाया और अपने कमरे में चली गई. मेरे एग्ज़ॅम शुरू होने वाले थे और तभी मेरे मोम और डॅड को मेरे ताया जी की बेटी की शादी में जाना था. मैं अपने एग्ज़ॅम की वजह से न्ही जा सकी और घर में ही रही. मेरे पेरेंट्स ने कहा कि तुम रात को ताला लगाकर अपनी किसी फरन्ड के घर में चले जाना क्यूंकी वहाँ सेफ रहेंगी और अपने भैया से भी बची रहेगी.आक्च्युयली मेरे बारे भैया बहुत
शराब पीते थे इसलिए घर में से कोई भी उनको खाना देने के इलावा बुलाता न्ही था.मैं उनको कभी कभी बुला लिया करती थी.वो सुबह बिल्कुल ठीक होते थे लॅकिन रात को बहुत शराब पीकर आते थे और उनसे बात करना भी मुश्किल होता था.जैसे ही मोम-दाद गये मुझे इक गंदा ख्याल आने लगा..मैने बहुत सोचा लॅकिन वो ख्याल बार बार आता रहा….वो ख्याल था “भैया से सेक्स करना! मैं आख़िरकार हार गई और जानबूझ के घर पर ही रही.रात को भैया आए और उन्होने बहुत शराब पी हुई थी और वो सीधा अपने कमरे में सो गये.
मेरे अंदर अजीब सा डर भी था और अपनी प्यास भुजाने का जोश भी था.मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ इक अकेली नाइटी पहेन ली….मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था….मैं भैया के कमरे में गई और दरवाज़े के पास पहुँच कर उनको आवाज़ लगाई कि “खाना लाउ भैया”.5-6 बार कहने पर भी उन्होने न्ही सुना……तो मुझमे बहुत हिम्मत आ गई…..मैं उनके पास गई और बड़ी हवस भरी आखों से उनको देखा और वो प्लॉट वाला सीन याद किया….फिर मुझसे रहा ना गया और मैने बड़ी जल्दी जल्दी उनकी पेंट खोल दी और थोरी नीचे कर दी……
फिर अंडरवेर को होले-होले नीचे कर दिया….म….उनका नंगा लंड मेरे आँखों के सामने था…..मुझसे इक पल भी रहा ना गया और मैने सीधा उसे अपने मूह में ले लिया….जैसे ही मैने मूह मे लिया मुझे एक अजीब सी शांति का एहसास हुआ…मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी वो अभी थोरी शांत हुई.जब थोरी देर तक भैया ने कुछ हरकत न्ही की तो मैं लंड को बड़े मज़े से चूसने लगी……म्म्म्ममम…….यँ……….मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा शारीर इक दम गरम हो चुका था…..तभी इक दम भैया ने आँखें खोली और मैं डर गयइ….मैं बिल्कुल सहमी निगाहों से उनकी ओर देखने लगी……..
भैया ने कुछ न्ही बोला और मुझे ज़ोरों से पकड़ा और अपनी तरफ खिच लिया और अपने सीने से लगा लिया…….मुझे बहुत माज़ा आया..भैया की आँखें अब भी शराब के नशे से भरी हुई थी …भैया ने मेरी गर्दन को हाथों से पकड़ अपने होठों को मेरे होटो के बीच फसा दिया…..मैने कभी शराब को हाथ तक न्ही लगाया था लॅकिन आज वो ही शराब मैं अपने भैया की जीब से पी रही थी……भैया ने मुझे बहुत चूसा…..मैं भी इक दम बेशरम हो गई और भूल गई हमारा रिश्ता क्या है……….मैने भी उनकी जीब के उपर अपनी जीब घुमाई और पूरा उसको अपने होटो के बीच रख कर चूसा….
तभी भैया ने गाली देते हुए कहा कि ……चल भेन्चोद नंगी हो जा…….तेरी चुउत मारनी है…!…..मैं अपने बारे में भैया से गालियाँ सुनकर पता न्ही क्यूँ मज़े ले रही थी…….भैया ने मुझे खुद नंगे कर दिया और मैने भैया की पेंट को पूरा नीचे कर दिया…….फिर भैया ने अपनी बन्यान उतार दी……और मैं पूरे जोश में भैया के उपर चढ़ गई….!मेरे दूध भैया की छाती और मेरी चूत भैया के लंड पे घिस रही थी…..मैने महसूस किया अब भैया का लंड बिल्कुल तन कर तयार हो चुका था…..भैया मेरे दूध को बहुत गोल गोल मसल रहे थे और
इनका दूध बरी मस्ती से पी रहे थे..ष्प्प्प्प्प्प………..चप्प्प्प
अहह….मैं मर गईइई…ऐसी ही इक लंबी चीख निकली और मुझे लगा मेरी चूत फॅट गई है…………….लॅकिन मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी……….तभी भैया बहुत ज़ोर ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगे…3-4 मिनट तो मुझे लगा कि मैं मर जाउन्गि…….मुझे बहुत दर्द हो रहा था लॅकिन जैसे ही मेरे मन में ख्याल आया कि मैं चुद रही हूँ और वो भी अपने भैया से ….मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा…..!मैने भी भैया का साथ दिया और अपनी गांद को हिला हिला कर उनका लंड लिया…!!सतत्तत्त्टसततत्त……..चप्
प्प्प्पछप…….चुदाई की आवाज़ें आने लगी……!
मैने भैया के मुँह में अपनी जीब डाल दी और उनकी जीब को चूसने लगी और भैया को कस्स के पकड़ लिया….भैया भी बरे कस्स कस्स के धक्के लगाते गये और मैं बड़े मज़े से पूरा लंड अंदर तक लेती रही……..फिर भैया ने मेरी टाँगें अपने शोल्डर पर रखी और मेरी चूत चोदने लगे…….मुझे फिर दर्द हुआ……..भैया ने साथ ही मेरे दूध के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया……अब मैं बिल्कुल मज़े में थी…….तभी मेरा दर्द थोरी देर के लिए एक दम गायब हो गया और मैने चीख मार कर अपनी पानी निकाला
ह…..उईईइमाआआ…….हइई………मुझे ऐसा माज़ा आया कि बता न्ही सकती…लॅकिन भैया मुझे चोद्ते गये…..मैं भैया को कहने लेगी बाहर निकलना माल प्लज़्ज़्ज़…..लॅकिन भैया कुछ सुन ही न्ही रहे थे…….फिर 5-6 मिनट्स और चोदने के बाद भैया ने अपने लंड से इक चीख के साथ पानी की धार छोड़ी और मैने उनसे छूटने की कोशिश की लॅकिन भैया ने मुझे गांद से कस्स के पकड़ा हुआ था…….भैया ने अपना सारा माल मेरी चूत में ही खाली किया……मुझे भी उनका गरम गरम माल अपनी चूत के अंदर जब लगा तो इक अजब सा मजेदार एहसास हुआ……..
हाई……….हम दोनो ही 5-6 मिनट्स तक ऐसे पड़े रहे……फिर जब मुझे होश आया तो मैं उठी और अपनी नाइटी पहनी.फिर मैने भैया को कपड़े पहनाए और अपने कमरे में चली गई. मुझे बहुत दर्द हो रहा था इसलिए सारी रात में अच्छे से सो न्ही पाई.सुबह जब मैने उठकर भैया के लिए चाइ बनाई तो भैया उठे और मुझे अजीब सी निगाहो से देखा..मैं थोड़ा डर गई….तभी भैया ने
मुझसे पूछा—भैया–सोनम तुम कल मेरे कमरे में आई थी? मे—-न्ही भैया मैं तो आज सुबह ही आई हूँ आपको चाइ देने……..क्यूँ क्या बात है? भैया—-न्ही कुछ न्ही……वैसे ही पूछा……अच्छा चाइ रख दो.! पता न्ही भैया को याद है या न्ही लॅकिन मुझे तो बहुत मज़ा आया,चाहे इस चुदाई का दर्द 2-3 दिन तक रहा!
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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