Tuesday, June 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--5

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--5

पैकेट में क्या हो सकती है, मैं खुद परेशान थी। पर मम्मी जी के सामने दिए थे तो कुछ राहत जरूर मिली कि कोई ऐसी-वैसी चीजें तो नहीं ही होगी। फिर भी मेरे अंदर एक अलग ही उत्सुकता थी जल्द से जल्द देखने की।
पर ये पूजा पता नहीं कहाँ मर गई थी। चाय बनाने गई या चूत मरवाने जो इतनी देर लगा रही है। किसी तरह अपने मन को शांत कर रही थी।
तभी पूजा धड़धड़ाती हुई अंदर आई और आते ही बोली," भाभी अब जल्दी से खोल के दिखाओ।"
उसकी बातों पर मुझे थोड़ी शरारत सूझी।
होंठों पर कुटील मुस्कान लाते हुई पूछी,"क्या खोल के दिखाऊँ?"
सुनते ही पूजा आँख दिखाते हुए बोली,"कमीनी, अभी तो पैकेट खोलो। और कुछ खोलने की इच्छा है तो अंकल को बुलाती हूँ, फिर खोलना।"कहते हुए पूजा जाने के लिए मुड़ी कि मैं जल्दी से उसे पकड़ी।
"पूजा की बच्ची,मार खाएगी अब तू। मैं तो यूँ ही मजाक कर रही थी और तुम तो सच मान गई। चल पैकेट खोलती हूँ।" अपनी बाँहों में कसते हुए बोली। पूजा मेरी बातें सुन मुस्कुरा दी और वापस आने के लिए मुड़ गई।
फिर हम दोनों बेड पर बैठ बीच में पैकेट रखी और उसकी सील हटाने लगी।
सील हटते ही पूजा उसमें रखी थैली उठा ली।
अंदर दो थैली थी,दूसरी थैली मैं उठा के खाली पैकेट को साइड में कर दी।
"भाभी, पहले ये वाली खोलो।"पूजा अपना पैकेट मुझे पकड़ाते हुए बोली।
मैं भी हंसती हुई पैकेट ले कर उसे खोलने लगी।
मैं जानती थी अगर पूजा को खोलने कहती तो वो कभी हाँ नहीं कहेगी। अब तक तो उसकी काफी चीज मैं जान गई थी। ऐसी लड़की कभी घमंडी या खुदगर्ज नहीं होती।
तभी तो मुझे पूजा इतनी अच्छी लगने लगी थी।
थैली खुलते ही लाल रंग के कपड़े नजर आई।
पूजा जल्दी से उठा के देखने के लिए बेड पर रख खोलने लगी।
पूरी तरह से खुलते ही हम दोनों की मुख से Wowwwww! निकल पड़ी।
बहुत ही खूबसूरत नेट वाली लहंगा साड़ी थी जो कि रेशम की थी।
Red और Maroon कलर की थी, जिस पर तिरछी डाली की तरह गोल्ड कलर की डिजाइन बनी हुई थी। जिसके ऊपर stones से काम की हुई थी, जो कि एक बिगुल की तरह लग रही थी। बॉर्डर पर काफी सुंदर Lace से काम किया हुआ था।
कढ़ाई भी बहुत अच्छी से की हुई थी। ठीक से देखने पर भी कोई त्रुटि नहीं मिलती।
मेरी हो आँखें फटी की फटी रह गई इतने महँगे साड़ी देख कर।
तभी पूजा के हाथों में ब्लॉउज देखी, जो कि देख के मंद मंद मुस्कान दे रही थी। मैं देखी तो एक बारगी शर्मा गई थी।
ब्लॉउज Off-Shoulder डिजाइन की थी, जिस पर नाम मात्र की हल्की Work की हुई थी। बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैं तो ये सोचने लगी कि ऐसी ब्लॉउज मैं गाँव में कैसे पहन सकती हूँ।
"भाभी, इस ड्रेस में पूरी कयामत लगेगी। जो भी देखेगा, देखता ही रह जाएगा।"पूजा हंसती हुई बोली।
मैं तो सोच के ही शर्मा गई।
"भाभी, जल्दी से एक बार पहन के दिखाओ ना। सच कहती हूँ काफी सुंदर लगोगी।"
"नहीं, मुझे नहीं पहननी।"
"प्लीज भाभी,सिर्फ एक बार।फिर जल्दी से खोल देना।"पूजा गिड़गिड़ाते हुए मनाने लगी।
मुझे तो काफी हँसी आ रही थी पूजा की इस प्यारी अदा को देख कर।
फिर मैं हामी भरते हुए बोली," अच्छा ठीक है, पर अभी दूसरी पैकेट बाकी है देखने की। उसे भी देख लेंगे फिर पहन के दिखा दूंगी।"
"Thanks भाभी।" पूजा कहते हुए जल्दी से साड़ी समेटने लगी। मैं भी साथ समेट कर उसी पैकेट में रख दी।
फिर दूसरी पैकेट खोलने के लिए बैठ गई।
पहली पैकेट में तो इतनी अच्छी साड़ी मिली जो कि Latest डिजाइन और बहुत ही खूबसूरत के साथ साथ काफी महँगी भी थी।
अब इस पैकेट में कितनी अच्छी और कितनी महँगी होगी।
मैं अगर कितनी भी अनुमान लगाती तो वो विफल ही होती। पूजा और मैं दोनों काफी उत्सुक थे देखने के लिए।
पैकेट खुलते ही मेरी तो आँखें चौँधिया गई।
पूजा भी Wowwww भाभी! कहती हुई एक टक देख रही थी।
गहने से भरी चमचमा रही थी।
पूजा एक एक कर निकालने लगी। मैं तो सिर्फ निहारे ही जा रही थी।
सारे गहने एक दम नई डिजाइन की थी।नेकलेस सेट तो देखने लायक थी। गोल्ड मीनाकारी कलर की बहुत ही खूबसूरत हार थी, जिस पर बहुत ही फैन्सी वर्क की हुई थी। साथ में लटकी हुई छोटी छोटी झुमकी और भी कयामत बना रही थी।
माँग टीका भी बहुत प्यारी थी जिस पर Stone और Diamond जड़ी हुई थी।
सोने की मध्यम सी मोटी मंगलसूत्र तो अद्भुत थी।
साथ ही कान के लिए 3 अलग अलग डिजाइन की रिंग और हुप्स थी। नाक की एक दम छोटी सी पिन, सभी उँगली के लिए अँगूठी, तारीफ के काबिल पायल।
मैं तो हर एक चीज देख हैरान थी। ऐसा नहीं था कि मेरे पास ये सब नहीं थी, थी मगर इतनी सुंदर और महँगी नहीं थी। मैं तो मंत्रमुग्ध हो एक टक देखी जा रही थी।
और ये सोने की घड़ी देख तो मैं मचल सी गई।
सच कहूँ तो मैं अब पूरी तरह से अंकल की दीवानी हो चुकी थी। कोई सगे भी इतनी महँगी गिफ्ट नहीं देता है।
मन तो कर रही थी कि अभी ये सारी गहने और कपड़े पहन के अंकल के बाँहों में जा गिरूँ।
मगर इतनी जल्दी अगर कहती भी तो पूजा जैसी लड़की कुछ और ही समझ लेती। भले ही अभी वो कुछ भी कह लेती मगर वो तो मुझे एक चालू लड़की की नाम जरूर दे देती जो सिर्फ दिखाने के लिए शरीफ बनती है। मन में ही अंकल के प्यार को कुछ दिनों के लिए दबा देने में ही भलाई थी।अंत में एक चीज देख तो हम दोनों एक साथ चौंक पड़ी।
फिर पूजा हंसती हुई हाथ में उठा ली।
एक दम नई मॉडल की मोबाइल फोन थी ये।पूजा जल्दी से ऑन की। ऑन होते ही उसके चेहरे पर एक नाराजगी सी आ गई। उसने फोन मेरे हाथ में पकड़ा के बाहर निकल गई।मैं भी मोबाइल में देखी कि आखिर क्या हुआ इसे।
ओह। इसमें Insert Sim लिखी थी। अब समझ में आ गई कि पूजा कहाँ गई है।मैं भी गेट के पास जा कर सुनने लगी कि क्या कहती है पूजा अंकल से।
"अंकल,फोन आप दिए तो उसमें Sim कौन डालेगा?" अंकल से गुस्से में बोली।
"ओह सॉरी पूजा, Sim मेरे जेब में ही रह गई।"
कहते हुए अंकल हँस दिए। साथ में मम्मी जी की भी हँसी सुनाई दी।
"पहले एक तंग करती थी और अब दो दो बेटी तंग करेगी। झेलते रहिएगा।"मम्मी बोली।




अंकल उठ के तेजी से बाहर की तरफ निकल गए। पूजा और मम्मी एक-दूसरे की तरफ देख हँस दिए। मैं भी अंदर में मुस्कुरा रही थी।
कुछ ही क्षण में बाहर से अंकल के आने की आहट हुई।
तब तक मम्मी जी उठ के बाथरूम की तरफ चली गई। अंकल आते ही मुझे आवाज देते हुए बोले...
"लो सीता बेटा, अपना Sim लो।"
मैं थोड़ी सी सकपका गई,पर तुरंत ही संभलते हुए बाहर की तरफ चल दी।
पूजा और अंकल दोनों कुछ ही फासले पर खड़े थे। मैं आहिस्ते से बढ़ते हुए अंकल के पहुँची और हाथ बढ़ा दी। अंकल हल्की मुस्कान देते हुए Sim दे दिए।
मैं बिना कुछ बोले वापस जाने के लिए आधी ही मुड़ी थी कि अंकल बोले।
"सीता, मेरा उपहार तो पसंद आया ना?"
मैं तो पसीने पसीने हो गई कि अब क्या जवाब दूँ! कुछ ना बोलती तो ये गलत होती।
मैं हिम्मत की और हाँ में अपना सिर हिला दी।
मेरी इस हरकत से अंकल कुछ अलग ही अंदाज में बोले,"पूजा, सीता गुटखा खाती है क्या जो कुछ बोलती नहीं है?"
इतना सुनते ही पूजा और अंकल दोनों जोर से हँस पड़े।
मैं भी अपने आप को नहीं रोक पाई और रोनी सी सूरत बनाते हुए सिर्फ इतना ही कह पाई,"अंकललललललल...."
अंकल अगले ही क्षण हँसते हुए मुझे अपने सीने से लगा लिए।
मैं भी बिना कोई मौका गँवाए अंकल के सीने से चिपक गई।
अंकल के सीने से लगते ही मैं एक रोमांच से भर गई थी।
तभी नीचे मेरे पेट कुछ चुभती हुई महसूस हुई।मैं समझते हुई देर नहीं कि क्या है? ये अंकल का तगड़ा लण्ड था जो कि पूरा तना हुआ था।मैं तो पानी पानी हो गई।
चूँकि अंकल काफी लम्बे थे तो मैं उनके कंधे तक ही आ पाती थी।वर्ना अंकल का विशाल लण्ड मेरी साड़ी फाड़ती हुई सीधी मेरी चूत में जा समाती।
मैं ठीक से संतुलन नहीं बना पा रही थी क्योंकि उनका लण्ड सीधा मेरे पेट को धक्का दे रहा था। मैं अपना सिर अंकल के सीने से चिपकाए थी पर मेरी पेट से नीचे करीब 8 इंच बाहर थी।
मैंने इसी अवस्था में थोड़ी सी ऊपर उठी और फिर नीचे हुई। जिससे अगले ही पल हल्की नीचे की तरफ हुई। मैंने और जोर लगाते हुए लण्ड को नीचे की दबाते हुए पूरी तरह चिपकने की कोशिश की।
किंतु उनका लण्ड अभी भी राजी नहीं थी बैठने के लिए। वो लगातार मुझे बाहर की धकेल रही थी।
अनायास ही मेरे मन में सवाल गूँज उठी कि चंद दिनों बाद जब ये लण्ड मेरी चूत को फाड़ेगा तो मेरी जान ही निकल जाएगी।
अंकल के हाथ मेरी पीठ पर थी और दूसरे हाथ से मेरी बाल को ऊपर से नीचे की तरफ लगातार सहला रहे थे।
अब तक तो अंकल भी समझ गए होंगे कि मैं भी उनके लंड से मजे ले रही हूँ। तभी बगल में खड़ी पूजा की आवाज आई,"अंकल, नई बहू के आते ही आप तो हमें भूल ही जाएँगे, ऐसा लग रहा है।"
अंकल हँसते हुए पूजा की बाँहेँ पकड़ अपनी तरफ खींचते हुए बोले,"अरे नहीं मेरी बच्ची, मैं किसी को नहीं भूल सकता। अब तो पहले से और ज्यादा समय देना होगा आप लोगों को।" और अगले ही पल पूजा भी मेरी बगल से अंकल के सीने में सटी हुई थी।
मैं भी पूजा को थोड़ी सी जगह देने की सोच एक तरफ खिसक गई।
मेरे हटते ही अंकल की भीमकाय लण्ड आजाद हो गया।
अब वो मेरी और पूजा के कमर के बीच दब रही थी। पूजा तुरंत ही इस स्थिति को भांप गई। वो मुस्काती हुई हमें हल्की सी धक्का दे दी। मैं उसकी तरफ देखी तो वो अपनी गोल आँखें नचाती हुई नीचे लण्ड की तरफ इशारा कर दी।
मैं तो डर और शर्म से भर गई और अपनी नजरें नीचे कर ली और अंकल से पुनः चिपक गई।
अंकल अपना चेहरा नीचे करते हुए मेरे गाल के काफी पास लाते हुए बोले,"सीता बेटा,मेरे मन में एक इच्छा जग गई है।अगर तुम हाँ करेगी तो मैं कहूंगा।"
मैं तो सोच में पड़ गई कि अंकल की क्या इच्छा है। सेक्स के लिए तो नहीं कहेंगे। ऐसी सोच दिमाग में आते ही मैं संकोच से भर गई।एक बारगी तो मैं अंकल की हर इच्छा पूरी करने की सोच रखी थी पर आज पहली मुलाकात में कुछ अटपटा लग रहा था।
फिर भी मैं सुनना चाहती थी कि आखिर अंकल क्या कहते हैं तो मैंने एक शब्द में "क्या....."कह अंकल के जवाब का इंतजार करने लगी।
कुछ क्षण पश्चात अंकल बोले,"बहू, मेरी इच्छा थी कि अगर आपको मेरा तोहफा पसंद आया है तो प्लीज एक बार मैं आपको उन कपड़े और जेवर में देखना चाहता हूँ।बस यही मेरी तमन्ना है। और हाँ...जरूरी नहीं कि आपको अभी ही पहननी है।जब भी आपको ठीक लगे तब आप दिखा देना।"
मैं अंकल की इच्छा सुन शर्म से पूजा की तरफ देख हल्की सी मुस्कान दी। पूजा भी हमें देख हँस रही थी।
अंकल को अब ना कहने की तो सोच भी नहीं सकती थी। मैं अंकल के कमीज के बटन पर उँगली फिराते हुए बोली,"ठीक है अंकल, मैं पहन के दिखा दूंगी"
अंकल हाँ सुनते ही हम दोनों को जोर से भीँचते हुए और अंदर चिपका लिए।
अब मेरी संकोच बहुत हद तक जा चुकी थी।
मेरी आँखे आनंद से बंद सी होने लगी थी अंकल की बाँहों में। पर किसी तरफ आँखें खोलते हुए पूजा की तरफ देखी तो वो नीचे इशारा करते हुए कुछ कहने की कोशिश कर रही थी। मैं भी ठीक से समझने की कोशिश की तो वो शायद अंकल के लण्ड की साइज के बारे में कह रही थी।
मैं शर्माते हुए पूजा की तरफ अपनी कमर से हल्की धक्का दे कर साइज मापने की कोशिश की।
हे भगवान! लण्ड तो हम दोनों की कमर से बाहर जा रही थी।
इतनी बड़ी देख मैं तो हैरान रह गई। पता नहीं पूजा कैसे झेलती होगी।
पूजा मेरी हालत देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
मैं पुनः अपनी आँखें बंद कर अंकल के सीने से लग गई।
तभी अंकल की अगली हरकत देख मैं तो शर्म से मरी जा रही थी।




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